दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, गर्मी आते ही एयर कंडीशनर (Air Conditioner – AC) की याद आने लगती है। घर में यदि एसी लगा हुआ है तो उसकी सर्विसिंग करा कर चालू कर देते हैं। फिर उसका तापमान सेट करके रात को आराम से सोते हैं। जब तापमान 42,43, 45 डिग्री के पार जाता है तब एसी की उपयोगिता का पता चलता है कि यह कितना जरूरी है। परन्तु लंबे समय तक एसी में रहने और सोने से हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है, हम इस बात से अनिभिज्ञ होते हैं। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “एसी में सोने के नुकसान”। देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको एसी के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि एसी में सोने के क्या नुकसान होते हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि एसी क्या होता है और यह कितने प्रकार का होता है। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।
एसी क्या होता है? – What is AC?
सबसे पहले हम आपको बता दें कि एसी (AC) का पूर्ण रूप एयर कंडीशनर Air Conditioner होता है, जिसे हिंदी में “वातानुकूलक” कहते हैं। एसी का आविष्कार 1902 में, अमेरिका के युवा इंजीनियर विलिस हैविलैंड कैरियर (Willis Haviland Carrier) ने, ब्रुकलीन में स्थित सैकेट-विल्हेम्स लिथोग्राफिंग एंड पब्लिशिंग कंपनी के प्लांट में पेपर स्टॉक को नमी की समस्या से बचाने के लिये किया गया था। यह एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो वातावरण की हवा को ठंडा करता है। यह कमरे की गर्म हवा को सोख कर अपने अंदर लगे हुऐ Refrigerant और Coils के द्वारा Process करके ठंडी हवा में परिवर्तित कर देता है। एसी की क्षमता को बीटीयू BTU (British Thermal Unit – BTU) में मापा जाता है। एसी में फ्रेओन गैस (Freon gas) का उपयोग किया जाता है जोकि रेफ्रिजरेटर में भी इस्तेमाल होती है।
एसी कैसे काम करता है? – How Does AC Work?
दोस्तो, एसी कैसे काम करता है यह एक तकनीकी विषय है फिर भी हम इस बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं। एसी को जब ऑन करके तापमान सेट किया जाता है तो एसी का थर्मोस्टेट (Thermostat) वातावरण के तापमान और सेट किया हुआ तापमान का अंतर निकाल कर उसी के अनुसार एसी अपने आप काम करने लगता है। आपकी जानकारी के लिये बता दें कि एसी के चार मुख्य भाग होते हैं जो अपना-अपना काम करते हैं। विवरण निम्न प्रकार है।
1. इवेपरेटर (Evaporator) – यह Heat Exchange Coil होता है इसमें heat fins लगे हुऐ होते हैं जो हवा की गर्मी और हवा की नमी को सोख लेते हैं। ये नमी को पानी में बदल देते हैं। फिर उस पानी को Water Drain Hose Pipe के द्वारा AC से बाहर निकाल दिया जाता है, इससे Heat Exchange Coil खराब नहीं होती।
2. कंप्रेसर (Compressor) – इसे एसी का दिल माना जाता है। Evaporator से Low Pressure refrigerant कंप्रसर में पहुंचने पर कंप्रेसर उस गैस को फिर से Compress करता है और उस गैस का टेम्प्रेचर और प्रेसर बढ़ा देता है। यह एक प्रकार से पंप का भी काम करता है जो एयर कंडीशनर सिस्टम में Refrigerant के बहाव को बनाये रखने का काम करता है।
3. कंडेन्सर (Condenser) – यह Compressor से आने वाली High Pressure Refrigerant की गर्मी को बाहर निकलकर Refrigerant को Gas से Liquid में बदल देता है और इस Liquid को Expansion Valve में भेज देता है।
4. एक्सपेंशन वाल्व (Expansion Valve) – एक्सपेंशन वाल्व High Pressure Refrigerant को Low-Pressure Refrigerant में परिवर्तित करता है और liquid refrigerant के flow को नियंत्रित करता है अर्थात् Liquid Refrigerant को गैस के रूप में बदल देता है ताकि Evaporator ज्यादा से ज्यादा गर्मी को सोख सके।
यह पूरा प्रोसेस तब तक चलता है, जब तक उस कमरे का तापमान सेट किये हुऐ तापमान पर ना आ जाये और कमरा ठंडा हो जाये।
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एसी के प्रकार -Types of AC
एसी मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं – विंडो एसी और स्प्लिट एसी। विवरण निम्न प्रकार है –
1. विंडो एसी (Window AC)- विंडो एसी को कमरे की खिड़की पर ही लगाया जा सकता है, दीवार पर नहीं। इसको खिड़की पर इस प्रकार लगाया जाता है कि इसका कुछ हिस्सा खिड़की के अंदर और बाकी हिस्सा खिड़की के बाहर रहे। इसे फिट करने के लिये दीवार में तोड़-फोड़ करने की जरूरत नहीं पड़ती और यदि जरूरत हो भी तो बहुत कम होती है। यह स्प्लिट एसी की अपेक्षा आवाज ज्यादा करता है परन्तु इसमें एक अच्छी बात यह है कि चालू करते ही ठंडी हवा देना शुरु कर देता है। स्प्लिट एसी की तुलना में इनकी कीमत भी कम होती है।
2. स्प्लिट एसी (Split AC) – स्प्लिट एसी के दो भाग होते हैं। एक In-door यूनिट होती है जिसे कमरे के अंदर दीवार पर लगाया जाता है, दूसरी यूनिट मशीनरी होती है जिसे Out-door यूनिट कहते हैं इसे कमरे के बाहर, एकदम बाहरी दीवार पर या छत पर लगाया जाता है। दोनों यूनिट को एक पाइप के द्वारा जोड़ दिया जाता है। In-door यूनिट से कमरे में ठंडी हवा आती है और Out-door यूनिट से गर्म हवा बाहर निकलती रहती है। स्प्लिट एसी को कूलिंग करने में समय लगता है।
दोनों प्रकार के AC में बिजली की खपत लगभग बराबर होती है।
सामान्य एसी और इन्वर्टर एसी में अंतर – Difference Between Normal AC and Inverter AC
इन्वर्टर एसी से तात्पर्य यह नहीं कि यह इन्वर्टर पर चलता है, यह भी सामान्य एसी की तरह ही चलता है परन्तु इसका कंप्रेसर ऑफ मोड पर नहीं होता। इसमें Variable स्पीड मोटर लगी होती है जो तापमान के अनुसार ऑफ नहीं होती। यह हमेशा ऑपरेटिंग मोड़ में बनी रहती है, इसकी स्पीड अपने आप कम या ज्यादा होती रहती है। जबकि सामान्य एसी का कंप्रेसर तापमान के अनुसार ऑफ और ऑन होता रहता है। ऑफ और ऑन होने की प्रक्रिया में बिजली की खपत ज्यादा होती है। इन्वर्टर एसी में सामान्य एसी की तुलना में 40 प्रतिशत बिजली की खपत कम होती है। हां, इन्वर्टर एसी की कीमत सामान्य एसी से ज्यादा होती है।
एसी में स्टार रेटिंग – Star Rating in AC
दोस्तो, एसी को 1 स्टार से 5 स्टार की रेटिंग दी जाती है। हर एसी पर एक एनर्जी एफिशिएंसी रेश्यो (EER) दिया होता है जिससे एसी की स्टार की रेटिंग का पता चलता है। विवरण निम्न प्रकार है –
1. 2.7 से 2.9 EER: 1 स्टार
2. 2.9 से 3.09: 2 स्टार
3. 3.1 से 3.29 : 3 स्टार
4. 3.3 से 3.49: 4 स्टार
5. 3.5: 5 स्टार रेटिंग
एनर्जी एफिशिएंसी रेश्यो के लिये, एसी की कूलिंग आउटपुट में इनपुट पावर का भाग देने पर रेटिंग आ जाएगी। उदाहरण के लिये यदि एसी 1 टन का है और इसका कूलिंग आउटपुट 3516 वॉट है और इनपुट पावर 11750 वॉट है तो 3516 में हिस्सा देने पर 2.99 आयेगा। यह 2.9 से 3.09 रेटिंग 2 स्टार में है तो यह एसी 2 स्टार रेटिंग का होगा।
दूसरी बात यह कि स्टार रेटिंग से बिजली की खपत का पता चलता है। यदि एक टन का एसी 1 या 2 स्टार रेटिंग वाला है तो इससे बिजली की खपत बहुत ज्यादा होगी। विवरण निम्न प्रकार है –
1. 2 स्टार एसी के एक घंटे चलने में 1.02 Units बिजली खर्च होती है।
2. 3 स्टार एसी के एक घंटे चलने में 0.96 Units बिजली लगती है।
3. 5 स्टार एसी के एक घंटे चलने में 0.8 Units बिजली खर्च होती है।
रात का आदर्श तापमान – Ideal Night Temperature
विज्ञान के अनुसार रात में कमरे का तापमान लगभग 67 डिग्री फारेनहाइट यानी की 19 डिग्री सेल्सियस, आदर्श तापमान माना जाता है। यह ना तो बहुत ज्यादा ठंडा होता है और ना ही बहुत ज्यादा गर्म। 19 डिग्री सेल्सियस के तापमान में सोना सुविधाजनक होता है और नींद भी अच्छी आती है।
एसी में सोने के नुकसान – Disadvantages of Sleeping in AC
दोस्तो, अब बताते हैं आपको एसी में सोने के नुकसान जो निम्न प्रकार हैं –
1. थकावट (Exhaustion)- एसी चलाते समय कमरे का दरवाजा, खिड़कियां, रोशनदान आदि सब बंद करने पड़ते हैं, जिससे बाहर की ताजी हवा अंदर नहीं आ पाती है। परिणामस्वरूप शरीर में थकावट हो जाती है। लंबे समय तक एसी में सोने से यह थकावट बढ़ती चली जाती है। इससे बुखार बने रहने की भी शिकायत हो सकती है। आपके मिजाज़ में भी बदलाव आ सकता है। चिड़चिड़ापन और सिरदर्द बने रह सकता है।
2. जोड़ों में दर्द (Joint Pain)- अधिकतर समय एसी रूम में बिताने और सोने का हड्डियों और मांसपेशियों पर पड़ता है। यह शरीर पर पड़ने वाला सबसे बड़ा कुप्रभाव है। इससे ना केवल घुटने अफेक्टिड होते हैं बल्कि शरीर के सभी जोड़ों में दर्द रहने लगता है और अकड़न बनी रहती है। मांसपेशियों में भी खिंचाव और दर्द होता है। सही तापमान ना मिल पाने के कारण हड्डियों के घनत्व पर इसका प्रभाव पड़ता है। भविष्य में हड्डियों से संबंधित रोग होने की संभावना रहती है। एसी की वजह से रात में कमरे का कम तापमान होने पर शरीर असुविधा महसूस करने लगता है। इससे सिर में और पीठ में दर्द रहने लगता है।
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3. ब्लड प्रेशर कम करे (Reduce Blood Pressure)- इस बात को सभी जानते हैं कम तापमान में शरीर का तापमान कम होने लगता है। पहाड़ी क्षेत्र में रहने वालों के ठंडे तापमान में रहने की आदत होती है, इसलिये उनको खास फर्क नहीं पड़ता परन्तु मैदानी क्षेत्र में रहने वालों को ठंडे तापमान में रहने और सोने की आदत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यह ब्लडप्रेशर को कम कर सकता है जिससे सांस संबंधी समस्यायें और कमजोरी हो जाती हैं। इसलिये यह समझ लीजिये की 19° सेल्सियस से कम तापमान पर रहना और सोना आपके ब्लडप्रेशर के लिये खतरनाक हो सकता है।
4. सांस की समस्या (Respiratory Problems)- जैसा कि हमने ऊपर बताया कि अधिक समय तक एसी में रहने और सोने से ब्लडप्रेशर कम हो जाता है जिससे सांस संबंधी समस्यायें हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त यदि एसी की सफाई उचित समय पर नहीं करते हैं तो उसमें बैक्टीरिया और फंगस उत्पन्न हो जाते हैं जो हवा के साथ हमारे शरीर में जाकर फेफड़ों को प्रभावित करते हैं। इससे सांस और अस्थमा की समस्या हो सकती है। वैसे भी अस्थमा के मरीज को एसी में सोना अवॉइड करना चाहिये।
5. मोटापा बढ़े (Get Obesity)- यह एक आश्चर्यजनक है की एसी में लंबे समय तक रहने से मोटापा बढ़ता है, मगर यह सत्य है। क्योंकि एसी में रहने की आदत से शरीर में इतना आलस भर चुका होता है कि अधिकतर छोटे-छोटे कामों के लिये बाहर जाना अवॉइड किया जाता है केवल बहुत ही जरूरी काम, जिसके बिना गुजारा नहीं हो सकता, के लिये ही सारे दिन में एक या दो बार उठते हैं। ठीक उसी तरह जैसे दुकानदार एक ही जगह बैठा रहता है। इससे शरीर की सक्रियता, फुर्तीलापन खत्म हो जाता है। इस तरह शरीर की गतिविधियां नहीं के बराबर होने से मोटापा बढ़ने लगता है।
6. त्वचा की समस्या (Skin Problem)- एसी में रहने, सोने से त्वचा पर बहुत बुरा असर पड़ता है। एसी कमरे की हवा की नमी को सोख लेता है, इस कारण त्वचा में भी प्राकृतिक नमी की कमी होने लगती है। त्वचा की नमी के कारण यह सूखकर सख्त होने लगती है परिणामस्वरूप त्वचा पर पपड़ी बनने लगती है, यह मृत होने लगती है और खुजली की समस्या होने लगती है। खोपड़ी की त्वचा पर भी इसका असर पड़ता है। रूखेपन के कारण बालों में डेंड्रफ़ बढ़ने लगता है।
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7. रक्त संचार में बाधा (Obstruction of Blood Circulation)- जैसा कि हमने ऊपर बताया कि कम तापमान के वातावरण में रहने से ब्लडप्रेशर कम हो जाता है, एसी के कारण शरीर का तापमान भी कृत्रिम रूप से कम होने लगता है। शरीर का तापमान ज्यादा कम होने से रक्त वाहिकाओं में संकुचन होता है जिससे रक्त प्रवाह में बाधा आती है और सभी अंगों में रक्त सुचारु रूप से नहीं पहुंच पाता, जिससे शरीर के अंगों की क्षमता कम होने लगती है।
8. मस्तिष्क की कोशिकाओं पर असर (Effect on Brain Cells)- एसी के कम तापमान का दुष्प्रभाव मस्तिष्क पर भी पड़ता है। मस्तिष्क की कोशिकाएं भी संकुचित हो जाती हैं इससे मस्तिष्क की कार्यक्षमता और क्रियाशीलता में कमी आती है। लगातार चक्कर आने की समस्या भी बनी रह सकती है।
9. सर्दी जुकाम (Cold and Cough)- जो लोग एसी का तापमान 19° सेल्सियम से कम सेट कर देते हैं, कई लोग तो 16° सेल्सियम पर रखते हैं, उनको सुबह उठने पर सर्दी जुकाम की शिकायत होने लगती है। क्योंकि लगभग आधी रात के बाद बाहर का प्राकृतिक तापमान भी कम हो जाता है। ऐसे में कमरे का तापमान सैट होने के बावजूद भी कमरा इतना ठंडा हो जाता है कि सर्दी लगना स्वाभाविक है।
10. गर्मी के प्रति असहिष्णुता (Heat Intolerance)- जो लोग अधिकतर अपना समय एसी में ही बिताते हैं जैसे घर में एसी, ऑफिस में एसी, कार में एसी, उनके लिये बिना एसी के रहना बेहद मुश्किल हो जाता है। क्योंकि उनमें गर्मी के प्रति सहनशीलता खत्म हो जाती है। यदि उनको कुछ समय के लिये गर्मी में रहना पड़ जाये तो वे बहुत बेचैन हो जाते हैं। अतः गर्मी के प्रति असहिष्णुता, सबसे बड़ा नुकसान है। इसको इस तरह समझिये कि कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड का व्यक्ति यदि दिल्ली या राजस्थान में आ जाये तो उसकी हालत खराब हो जाती है। उसकी त्वचा जल जाती है। इसलिये विषम परिस्थितियों में ऐसे लोगों को एडजस्ट करने में बेहद कठिनाई होती है।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको एसी में सोने के नुकसान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। एसी क्या होता है, एसी कैसे काम करता है, एसी के प्रकार, सामान्य एसी और इन्वर्टर एसी में अंतर, एसी में स्टार रेटिंग और रात का आदर्श तापमान, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से एसी में सोने के बहुत सारे नुकसान भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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