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ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के उपाय – How to Prevention Breast Cancer in Hindi

ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के उपाय

दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आपके लिये आज हम एक ऐसा टॉपिक ले कर आये हैं जो पूरी तरह महिलाओं से सम्बन्ध रखता है। महिलाओं से सम्बन्धित एक ऐसी बीमारी जिसका बचाव ही उपाय है। और यदि यह हो जाये इसकी सर्जरी करनी पड़ती है। हम बात कर रहे हैं महिलाओं में होने वाले ब्रेस्ट कैंसर की। इसके बारे में जागरूक होना और इससे बचाव ही सबसे बड़ा उपाय है। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के उपाय“। दोस्तो, इस लेख के माध्यम से देसी हेल्थ क्लब आपको ब्रेस्ट कैंसर के विषय में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के क्या उपाय हैं। महिलाओं पर हुऐ सर्वे बताते हैं कि 2020 में हमारे देश भारत में ब्रेस्‍ट कैंसर से 7,12,758 महिलाएं पीड़ित थीं, और इन आंकड़ों की वर्ष 2025 में 8,06,218 तक पहुंचने की संभावना बताई जा रही है। तो इस बारे में जागरूक होना बहुत जरूरी है। सबसे पहले जानते हैं कि ब्रेस्‍ट कैंसर क्या होता है?।

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ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के उपाय
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ब्रेस्ट कैंसर क्या है? – What is Breast Cancer

दोस्तो, सबसे सरल शब्दों में कहा जाये तो समझिये कि महिला के स्तन पर, या स्तन के आसपास, बगल के पास भी, कोई गांठ है या स्तन पर सूजन है तो यह ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है। आयुर्वेद के अनुसार स्तन कोशिकाओं में जब विषाक्त पदार्थ इकट्ठा हो जाते हैं तो ब्रेस्ट कैंसर की संभावना बन जाती है। स्तन कैंसर की कोशिकाएं जो ट्यूमर बनाती हैं उसे एक्स-रे द्वारा देखा जा सकता है या इसे एक गांठ के रूप में महसूस किया जा सकता है। किसी-किसी मामले में गांठ नहीं होती केवल सूजन होती है, स्तन सामान्य से अधिक गर्म होता है और दर्द भी होता है।  स्तन में गांठ या सूजन होने की स्थिति में डॉक्टर से तुरन्त सम्पर्क करना चाहिये। 

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ब्रेस्ट कैंसर के प्रकार – Type of Breast Cancer

1. डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू (Ductal Carcinoma In Situ, DCIS)- यह कैंसर का एक नॉन-इनवेसिव (Non-Invasive) प्रकार है जिसमें  कैंसर कोशिकाएं आसपास की कोशिकाओं या स्तन ऊतकों Breast Tissues तक नहीं फैलती हैं। 

2.  लोब्यूलर कार्सिनोमा इन सीटू (Lobular Carcinoma In Situ, LCIS) –  यह कैंसर का वह प्रकार है जो दूध बनाने वाली ग्रंथियों में पनपता है। इसमें कैंसर कोशिकाएं आसपास के ऊतकों तक नहीं फैलती हैं।

3. इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा (Invasive Ductal Carcinoma, IDC)-  यह ब्रेस्ट कैंसर का सबसे आम प्रकार है। यह स्तन की दूध नलिकाओं (Milk Ducts) से शुरू होता है। फिर इसके, स्तनों के आसपास के ऊतकों Tissues और शरीर के अन्य भागों में भी फैल जाने की संभावना रहती है।

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4. इनवेसिव लॉबुलर कार्सिनोमा (Invasive Lobular Carcinoma, ILC)- यह आम प्रकार का कैंसर नहीं है। यह कैंसर स्तन के लोब्यूल्स या दूध बनाने वाली ग्रंथियों में उत्पन्न होता है। यदि इसकी ILC के रूप में पहचान हो जाती है तो समझिये कि यह कैंसर आसपास के ऊतकों और अंगों में पहुंच चुका है।  

5. इंफ्लेमेटरी ब्रेस्ट कैंसर (Inflammatory Breast Cancer)- जैसा कि नाम से जाहिर है इसमें IBC के कारण स्तन में सूजन होती है, इसमें ट्यूमर नहीं बनता। यह कैंसर लसिकापर्व (Lymph nodes) को बाधित (Interrupt)  कर देती हैं जिससे स्तनों का स्रवित होना बंद हो जाता है।  सूजन होने के कारण स्तन लाल, गर्म और कठोर लगने लगते  जाती हैं। इस प्रकार के ब्रेस्ट कैंसर केवल एक प्रतिशत ही हैं। 

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ब्रेस्ट कैंसर की स्थितियां – (Stages of Breast Cancer) 

ब्रेस्ट कैंसर की निम्नलिखित पांच मुख्य स्थितियां होती हैं :-

1. स्थिति 0 (Stages)- इस शून्य स्थिति को डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू (Ductal Carcinoma In Situ, DCIS) कहा जाता है। इस स्थिति में कैंसर कोशिकाएं स्तन की नलिकाओं (Ducts) में रहती हैं और आपस के ऊतकों (Tissues) तक अभी नहीं पहुंची होतीं।

2. स्थिति 1(Stages 1) – ट्यूमर का आकार 2 सेंटीमीटर (cm) से बड़ा नहीं होता। इस स्टेज के कैंसर में लसीकापर्व (Lymph nodes) प्रभावित नहीं होते।

3. स्थिति 2 (Stages 2)- इस दूसरी स्थिति में स्तन कैंसर दो तरह के होते हैं।  पहली प्रकार में ट्यूमर का आकार 2 cm से बड़ा नहीं होता लेकिन कैंसर लसीकापर्व (Lymph nodes) तक पहुंच जाता है और दूसरे प्रकार के कैंसर में ट्यूमर 2 से 5 cm के बीच होता है परन्तु यह लसीकापर्व Lymph nodes या आसपास के Tissues तक नहीं फैला होता।

4. स्थिति 3 (Stages 3)- इस स्थिति में अनेक प्रकार का कैंसर हो सकता है। पहले प्रकार में ट्यूमर का आकार 5 cm से बड़ा नहीं होता लेकिन यह Lymph nodes और Tissues तक फैल जाता है। इस स्थिति में ऐसा भी हो सकता है कि कैंसर छाती या त्वचा तक ही फैला हो Lymph nodes और Tissues तक नहीं।  अन्य प्रकार के कैंसर में ट्यूमर किसी भी आकार का हो सकता है और Lymph nodes और Tissues तक फैल सकता है चाहे वो दूर हों। 

5. स्थिति 4 (Stages 4)- इस स्थिति में ट्यूमर किसी भी आकार का हो सकता है और पास और दूर दोनों प्रकार के Lymph nodes फैल जाता है।  

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण – Symptoms of Breast Cancer

1. स्तनों में हल्का-हल्का या तेज दर्द होना जो कई दिनों तक भी ठीक ना हो। 

2. स्तनों में गांठ महसूस होना।

3. स्तन में सूजन आ जाना।

4. छूने पर सामान्य से ज्यादा फूला हुआ और सख्त लगना।

5. स्तन का तापमान बढ़ जाना और छूने पर अधिक गर्म लगना। 

6. शरीर में बेचैनी और सुस्ती बने रहना।

7. कभी दर्द बिल्कुल भी ना होना तो कभी छूने से ही दर्द महसूस करना। जबकि स्थिति में छूने से दर्द करना। 

8. कभी दर्द असहनीय हो जाना। 

ब्रेस्ट कैंसर होने के कारण – Causes of Breast Cancer

1. स्तनों में सघन ऊतक (Dense Tissue in the Breasts)-  स्तनों में ऊतक Tissues बहुत ज़्यादा सघन Dense होना ब्रेस्ट कैंसर का कारण बन सकता है। 

2. शारीरिक गतिविधि ना होना (Stop the Physical Activity)- जिन महिलाओं की रूप शारीरिक गतिविधियां नहीं होती या नहीं करतीं उनमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा हो सकता है। 

3. समय से पहले मासिक धर्म शुरू (Premature Menstruation Begins)- 12 वर्ष से उम्र में  पहले मासिक धर्म शुरू हो जाना भविष्य में ब्रेस्ट कैंसर का कारण हो सकता है।  होने का खतरा थोड़ा बढ़ जाता है।

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4. ज्यादा उम्र तक गर्भवती न होना (Do not get Pregnant for a long time)- 30 वर्ष की आयु के बाद गर्भवती होना या गर्भधारण न करना भी ब्रेस्ट कैंसर का कारण बन सकता है। 

5. देर से रजोनिवृत्ति (Late Menopause) – 55 की उम्र के बाद रजोनिवृत्ति होना। 

6. पहले स्तन में गांठ की समस्या होना (First Breast Lump Problem)- यदि पहले स्तन पर गांठ रह चुकी हों बेशक वे कैंसर वाली ना हों तो भी ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना रहती है। 

7. मोटापा (Obesity)- महिलाओं का मोटापा ब्रेस्ट कैंसर का कारण बन सकता है क्योंकि उनकी शारीरिक गतिविधियां नहीं के समान होती हैं। 

8. गर्भनिरोधक दवाएं (Contraceptive Drugs)- कुछ गर्भ-निरोधक दवाओं के अधिक सेवन बन सकता है ब्रेस्ट कैंसर का कारण। 

9. धूम्रपान और शराब पीना (Smokingand Drink)- बीड़ी-सिगरेट और शराब का ज्यादा सेवन से भी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा रहता है। 

10. दुग्ध ग्रंथियों की समस्या (Problem of Milk Glands)- दुग्ध ग्रंथियों में किसी प्रकार का अवरोध हो जाने या चोट लगने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा हो सकता है। भी इस रोग के होने की संभावना रहती है। 

ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के उपाय – How to Prevention Breast Cancer

दोस्तो, देसी हेल्थ क्लब यहां स्पष्ट करता है कि ब्रेस्ट कैंसर किसी को ना हो, इसके लिये केवल मात्र उपाय है “जागरूकता और बचाव”। अब बताते हैं आपको इससे बचाव के कुछ उपाय जो निम्न प्रकार हैं –

1. जागरूकता और रेगुलर मैमोग्राफी (Awareness and Regular Mammography)- दोस्तो, एम्स के डॉ। अभिषेक शंकर का मानना है कि ब्रेस्‍ट कैंसर से बचने का एकमात्र उपाय है, इस बीमारी के में बारे जागरूकता फैलाना। 30 वर्ष की उम्र के बाद सेल्फ चेकअप और रेगुलर मैमोग्राफी करवाना जरूरी है। डॉ। अभिषेक शंकर के अनुसार “पिछले कुछ दशक में भारत में ब्रेस्‍ट कैंसर का शिकार होने वाली महिलाओं की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है और लगभग 50% मरीज डॉक्‍टर के पास इलाज के लिए कैंसर के अंतिम स्टेज पर आती हैं। इस स्थिति में मरीजों को बचा पाना काफी मुश्किल होती है।” 

2. लहसुन (Garlic)- लहसुन एंटीऑक्सीडेंट्स का खजाना है। इसके अतिरिक्त इसमें सल्फर, फ्लेवोन्स और फ्लेवोनोल्स नामक तत्व पाये जाते हैं जो कैंसर से लड़ने की क्षमता रखते हैं। ये ब्रेस्‍ट कैंसर के होने की संभावना को ही खत्म कर देते हैं। लहसुन का पूरी तरह फायदा लेने के लिये केवल दो कलियां कच्ची खानी चाहिए। यदि लहसुन कच्चा नहीं खा सकते तो कोई बात नहीं आप सब्जी बनने के बाद लहसुन डाल सकते हैं। यहां देसी हैल्थ क्लब बताना चाहता है कि यदि लहसुन शुरू में ही भून लिया जाता है तो उसके एंटीऑक्सीडेंट ज्यादातर खराब होकर प्रभावहीन हो जाते हैं।

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3. अदरक (Ginger)- अदरक के नियमित रूप से सेवन करने से ब्रेस्ट कैंसर के होने की संभावना नहीं रहती। अदरक शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को खत्म कर बाहर निकालने का काम करती है। ये विषाक्त पदार्थ ब्रेस्ट कैंसर का कारण हो सकते हैं। इस प्रकार अदरक ब्रेस्ट कैंसर तो क्या, अन्य प्रकार के कैंसर से बचाव करने में भी सहायक होती है। 

4. लौंग (Cloves)- छोटी सी लौंग ब्रेस्ट कैंसर की बढ़ती रफ्तार को नियंत्रित करने में सक्षम होती है। सब्जी में, चावल में, चाय में और अन्य खाद्य पदार्थों में लौंग का इस्तेमाल करना चाहिये। लौंग ना केवल ब्रेस्ट कैंसर से बचाव करती है, आपकी इम्यूनिटी को भी बढ़ाती है। 

5. हल्दी (Turmeric)- हल्दी एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीट्यूमर, एंटीसेप्टिक, एंटीवायरस, कार्डियो प्रोटेक्टिव, हेपटोप्रोटेक्टीवे और नेफ्रो प्रोटेक्टिव जैसे औषधीय गुणों से भरपूर होती है। जो हमें हृदय, लिवर, किडनी रोगों से बचाती है। इसमें एंटी नियोप्लास्टिक, ट्यूमर से बचाव के गुण और एंटी कैंसर गुण भी मौजूद होते हैं जो ब्रेस्‍ट और लंग्स कैंसर से बचाव करते हैं। सब्जी में खड़ी हल्दी का इस्तेमाल करना चाहिये क्योंकि इसमें मिलावट की संभावना नहीं होती। एक बात का ध्यान रखिये कि हल्दी को पहले ना डालें जब सब्जी बनकर तैयार होने वाली हो उससे थोड़ी देर पहले ही डालकर पकायें ताकि उसके गुण अधिक प्रभाव डाल सकें। 

6. टमाटर (Tomato)- टमाटर का सेवन ब्रेस्ट कैंसर से बचाव का बेहतरीन विकल्प है। टमाटर में लाइकोपीन नामक तत्व भरपूर मात्रा में होता है जो एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है। लाइकोपीन तत्व कैंसर के विरुद्ध एंटी-प्रोलाइफरेटिव के रूप में काम करता है। एंटी-प्रोलाइफरेटिव गुण ट्यूमर सेल्स पर अपना प्रभाव छोड़ते हैं। टमाटर जूस के में विटामिन-ए, ई, सी, के, पोटैशियम और फोलेट भी मौजूद होते हैं। टमाटर के ये सभी गुण कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, हृदय रोग आदि से बचाव करते हैं। 

7. ब्रोकली (Brokley)- विटामिन-ए, सी और मिनरल से भरपूर ब्रोकली में इंडोल-3 कार्बिनोल नामक एक तत्व होता है जो ट्यूमर सेल्स को बढ़ने से रोकता है। इसमें सल्फोराफेन नामक यौगिक भी पाया जाता है जो कैंसर होने की संभावना को ही रोकने में सक्रिय भूमिका निभाता है। ब्रोकली के सेवन से ब्रेस्ट कैंसर, मुंह का कैंसर, लिवर कैंसर होने की संभावना नहीं रहती।  ब्रोकली सप्ताह में दो, तीन दिन खा लेनी चाहिये। इसे सब्जी या सूप के रूप में या फिर सलाद के तौर पर कच्ची खा सकते हैं। इसका भरपूर फायदा लेने के लिये हल्का उबाल कर हल्का सा नमक छिड़क कर खाएं। 

8. अंगूर (Grapes)- अंगूर का मुख्य घटक (Component) रेस्वेराट्रोल (Resveratrol) अर्थात एक किस्म का पॉलीफेनोल होता है, जो विभिन्न औषधीय गुणों के लिये जाना जाता है। अंगूर में अनेक फाइटोकेमिकल्स होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने का काम करते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित स्टडी में बताया गया है कि अंगूर के एंटीऑक्सीडेंट में एंटी-कैंसर गुण होते हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर से बचाव करने में मदद कर सकते हैं और  सहायक हो सकते हैं। आप प्रतिदिन अंगूर खा सकते हैं या अंगूर का जूस पी सकते हैं।  

9. अनार (Pomegranate)- खनिज, विटामिन और पोषक तत्वों से भरपूर अनार अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक फल है। नियमित रुप से इसको खाने या जूस पीने से ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना नहीं रहती। अनार में एंटीट्यूमर (ट्यूमर को बढ़ने से रोकना) और एंटीकैंसर (कैंसर के प्रभाव को कम करना) गुण मौजूद होते हैं। एक शोध में बताया गया है कि अनार में पाये जाने वाले पॉलीफेनोल्स की वजह से यह एंटी कैंसर गुण के प्रभाव डालता है। अनार में पाये जाने वाला गैलोटैनिंस नामक पॉलीफिनोल्स कैंसर पैदा करने वाले ट्यूमर को बढ़ने से रोकते हैं।

10. ब्लूबेरी (Blueberry)- ब्लूबेरी को कैंसर से बचाव का अचूक उपाय माना जाता है। वैज्ञानिकों का भी यही कहना है कि ब्लूबेरी कैंसर जैसी बीमारियों को काफी हद तक ठीक करने में सक्षम है। इसमें टेरोस्टिलबिन (pterostilbene) नामक Component होता है, जिसे कई रोगों को ठीक करने के लिए औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।  यह Component  स्किन, लिवर और ब्रेस्ट कैंसर से बचाव करने में मददगार होता है। ब्लूबेरी का रस पीना सबसे बहुत ही लाभदायक है। 

11. कीवी (Kiwi)- पोषक तत्वों, खनिज और विटामिन से भरपूर कीवी स्वास्थ के लिये अत्यंत लाभदायक होता है। कीवी एक ऐसा फल है जिसे एंटी-कैंसर वाले फलों की श्रेणी में रखा गया है और इसमें कार्सिनोजेन्स यानी कैंसर पैदा करने वाले यौगिकों Compounds को रोकने की क्षमता होती है। इसलिये कहा जा सकता है कि कीवी के सेवन से ब्रेस्ट कैंसर होने से बचा जा सकता है। 

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12. आलूबुखारा (Plum)- खट्टा मीठा यह फल स्वास्थ्य के लिये बहुत फायदेमंद होता है। सूखे आलूबुखारे के भी बहुत फायदे होते हैं।  इनमें एंटी-कैंसर गुण मौजूद होते हैं जो  कैंसर के विरुद्ध लड़ते हैं। आलूबुखारे का रस ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना को कम करता है। वैज्ञानिक शोध के अनुसार सूखे आलूबुखारे में पाये जाने वाला फाइबर और पॉलीफेनोल्स पेट के कैंसर के खतरे को कम करने मददगार हो सकते हैं। 

13. आड़ू (Peach)- फाइबर से भरपूर, मीठे स्वाद वाले इस फल में 80% पानी होता है। यह खनिज, पोषक तत्वों और  विटामिन से समृद्ध होता है।  आड़ू में एंटीकैंसर, एंटी-एलर्जिक, एंटीट्यूमर, एंटीबैक्टीरियल, एंटीमाइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इसके छिलके में एंटी कैंसर प्रभाव अधिक होता है। इसके अतिरिक्त आड़ू में पॉलीफेनोल्स होते हैं, जिनको एंटीकार्सिनोजेनिक एजेंट माना जाता है। एक रिसर्च के अनुसार इससे ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को दूर करने में मदद मिलती है। अतः आड़ू खाने से ब्रेस्ट कैंसर से बचाव किया जा सकता है। 

14. ग्रीन टी (Green Tea)- ग्रीन टी को वजन कम करने के उपाय के रूप में जाना जाता है परन्तु इसके पीने से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर और पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना को दूर किया जा सकता है।  ग्रीन टी में पाये जाने वाले  पॉलीफेनॉल जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से रोकते हैं। प्रतिदिन दो या तीन कप ग्रीन टी पीना फायदेमंद होता है।

15. गेहूं के ज्वारे (Wheatgrass)- गेहूं के ज्वारे में कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयोडीन, जिंक, सेलेनियम, आयरन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट के गुण होते हैं। डॉ। एन विग्मोर इन्हीं गुणों के कारण गेहूं के ज्वारे के रस को “हरित रक्त” मानती हैं। उनके अनुसार इसे गेहूं का ज्वारा या घास कहना ठीक नहीं होगा बल्कि यह वास्तव में अंकुरित गेहूँ ही है। इसमें क्लोरोफिल, फ्लेवोनोइड्स, विटामिन-सी और विटामिन-ई की प्रचुर मात्रा पायी जाती है। 

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें विटामिन-बी-17 जिसे लेट्रियल भी कहा जाता है, प्रचुर मात्रा में और सेलेनियम दोनों पाये जाते हैं। ये दोनों ही अत्यंत शक्तिशाली कैंसररोधी होते हैं। मेक्सिको के ओएसिस ऑफ होप अस्पताल में पचास वर्षों से लेट्रियल के इंजेक्शन, गोलियों और आहार चिकित्सा से कैंसर के रोगियों का इलाज होता चला आ रहा है। क्लोरोफिल शरीर में हीमोग्लोबिन उत्पन्न कर शरीर को भरपूर ऑक्सीजन देता है। ऑक्सीजन के रहते कैंसर सेल्स नहीं पनपते। सेलेनियम इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में मदद करता है। अतः यह कहा जा सकता है कि प्रतिदिन Wheatgrass जूस पीने से ब्रेस्ट कैंसर सहित अन्य प्रकार के कैंसर की संभावना से बचा जा सकता है।

Conclusion

दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के उपाय के विषय में विस्तृत जानकारी दी। ब्रेस्ट कैंसर क्या होता है, कितने प्रकार का होता है, इसकी कितनी Stages होती हैं इस बारे में विस्तार पूर्वक बताया। ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण क्या होते हैं, क्या  कारण होते हैं, इस बारे में भी बताया। और इस लेख के माध्यम से ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के बहुत सारे देसी उपाय भी बताये। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और  सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर करें। ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, हमारा आज का यह लेख आपको कैसा लगा, इस बारे में कृपया अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health- Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह लेख केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर उत्तरदायी नहीं है।  कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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