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हेपेटाइटिस बी क्या है? – What is Hepatitis B in Hindi

हेपेटाइटिस बी क्या है?

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, विटामिन कई बीमारियों के निवारण में सहायक होते हैं और हमारे स्वास्थ को बनाए रखते हैं परन्तु इसके विपरीत वायरस स्वास्थ को बिगाड़ने का काम करते हैं। ऐसा ही एक वायरस है हेपेटाइटिस बीजो सीधे तौर पर लिवर की सूजन और क्षति के लिये जिम्मेदार होता है। जैसे विटामिन मुख्य रूप से पांच होते हैं – विटामिन-ए, बी, सी, डी और ई, उसी प्रकार हेपेटाइटिस बी भी, हेपेटाइटिस के पांच रूपों (हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई) में से एक रूप होता है। इस हेपेटाइटिस बी के भी दो रूप होते हैं। इस पर जानकारी देने के लिए ही इस विषय को चुना है। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “हेपेटाइटिस बी क्या है?”। 

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको हेपेटाइटिस के बारे में और हेपेटाइटिस बी के बारे में जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि हेपेटाइटिस बी का उपचार क्या है और इसका प्रभाव कम करने के लिये क्या घरेलू उपाय हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि हेपेटाइटिस क्या है, हेपेटाइटिस के प्रकार और हेपेटाइटिस बी क्या है। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।

हेपेटाइटिस क्या है? – What is Hepatitis 

दोस्तो, हेपेटाइटिस (Hepatitis) एक अत्यंत व्यापक शब्द है जिसे लिवर की सूजन के रूप में सामान्यीकृत तथा पारिभाषित किया जा सकता है। वस्तुतः यह एक वायरस है जो लिवर को क्षति पहुंचाता है। हेपेटाइटिस को दो श्रेणी में विभाजित किया गया है – पहली श्रेणी में संक्रामक हेपेटाइटिस जिसमें हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई सम्मलित होते हैं तथा दूसरी श्रेणी में सीरम हेपेटाइटिस, इसमें हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और हेपेटाइटिस डी आते हैं।

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अंग्रेजी वर्णमाला के नाम से ही इन वायरस की पहचान होती है यानि हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A Virus – HAV), हेपेटाइटिस बी (HBV), हेपेटाइटिस सी (HCV), हेपेटाइटिस डी (HDV) तथा हेपेटाइटिस ई (HEV)। कहने का तात्पर्य यह है कि हेपेटाइटिस वायरस के पांच प्रकार होते हैं, जिनका जिक्र हम आगे करेंगे।

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हेपेटाइटिस के प्रकार – Types of Hepatitis

हेपेटाइटिस वायरस के पांच प्रकार का विवरण निम्न प्रकार है –

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1. हेपेटाइटिस ए और ई (Hepatitis A and E)- हेपेटाइटिस ए बच्चों में होता है जबकि हेपेटाइटिस ई सभी आयु के व्यक्तियों में होता है। ये दोनों ही दूषित भोजन तथा दूषित पानी के कारण होते हैं। बुखार, मितली, उल्टी, भूख में कमी, बेहद कमजोरी, आंखें पीली होना पेशाब में पीलापन, पेट में दर्द, खुजली जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इन दोनों के लिए कोई विशेष एंटीवायरल उपचार नहीं है, बल्कि इनको कुछ उचित सावधानियां बरत कर रोका जा सकता है।

2. हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B)- यह संक्रमित रक्त चढ़ाने, असुरक्षित तथा अप्राकृतिक यौन क्रियाओं, मादक पदार्थों को एक ही सुई द्वारा लेने आदि से होता है। इसका कोई समुचित और स्थाई उपचार नहीं है। इसे नियंत्रित करने के लिए आजीवन उपचार की आवश्यकता हो सकती है। टीकाकरण से इसका बचाव किया जा सकता है। इस टॉपिक पर हम आगे विस्तार से जानकारी देंगे। 

3. हेपेटाइटिस सी (Hepatitis C)- यह भी संक्रमित रक्त चढ़ाने, असुरक्षित तथा अप्राकृतिक यौन क्रियाओं, मादक पदार्थों को एक ही सुई द्वारा लेने आदि के कारण होता है। यह पूरी तरह ठीक हो जाता है। वैसे हेपेटाइटिस-सी की कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।

4. हेपेटाइटिस डी (Hepatitis D)- यह एक अपूर्ण वायरस है क्योंकि इसे जिन्दा रहने के लिए हेपेटाइटिस बी से मदद की आवश्यकता होती है। हेपेटाइटिस बी (HBV) से संक्रमित व्यक्ति ही HDV से संक्रमित होते हैं। HBV के साथ HDV आ जाने से स्थिति और भी खराब हो जाती है।

हेपेटाइटिस बी क्या है? – What is Hepatitis B?

हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस के पाच प्रकार के वायरस में से एक वायरस है जिसे हेपेटाइटिस बी वायरस (Hepatitis B Virus – HBV) के नाम से जाना जाता है। यह लिवर को संक्रमित करता है और इसे विश्व का सबसे अधिक सामान्य लिवर संक्रमण माना जाता है। अधिकतर इससे पीड़ित लोग कुछ समय में अच्छा महसूस करने लगते हैं जिसे एक्यूट हेपेटाइटिस कहते हैं।

यह छः महीने तक रह सकता है। इससे लंबे समय तक रहने से यह क्रोनिक हेपेटाइटिस में परिवर्तित हो सकता है लेकिन ऐसा ही हो, यह जरूरी भी नहीं है। शिशुओं और छोटे बच्चों को क्रोनिक हेपेटाइटिस होने का जोखिम ज्यादा रहता है। इसका इलाज लंबे समय तक चल सकता है शायद जीवन भर तक। इस संक्रमण का आश्चर्यजनक पहलू यह है कि किसी को बात हेपेटाइटिस बी हो और उसे पता भी ना चले क्योंकि संभवतः इसके लक्षण प्रकट ना हों। और यदि प्रकट भी हों तो फ्लू के लक्षणों की तरह।

ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार विश्व में हेपेटाइटिस बी के 200 करोड़ से भी अधिक पीड़ित हैं जिनमें 25 करोड़ लोग क्रोनिक हेपेटाइटिस से ग्रस्त हैं। एक अनुमान के अनुसार भारत में 4 करोड़ व्यक्ति हेपेटाइटिस बी से ग्रस्त हैं।

हेपेटाइटिस बी के प्रकार – Types of Hepatitis B

हेपेटाइटिस बी निम्नलिखित दो प्रकार का होता है –

1. एक्यूट हेपेटाइटिस बी (Acute Hepatitis B)- हेपेटाइटिस बी वायरस का यह सामान्य प्रकार है जिसमें मरीज दो या तीन सप्ताह में  ठीक हो जाता है। इसमें एंटीवायरल उपचार देने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। मरीज को आराम करने की सलाह दी जाती है। यह छः महीने तक चल सकता है। इसमें लिवर की क्षति होने की संभावना बहुत ही कम होती है।

2. क्रोनिक हेपेटाइटिस बी (Chronic Hepatitis B)- जब हेपेटाइटिस बी वायरस लंबे समय तक रह जाये तो यह क्रोनिक हेपेटाइटिस बी कहलाता है। यह घातक होता है, लिवर को गंभीर क्षति पहुंचा सकता है और सिरोसिस की वजह भी बन सकता है। यह अधिकतर बच्चों को होता है या व्यस्क लोग जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है उनको अपना शिकार बनाता है। इसमें लंबे समय तक इलाज की आवश्यकता होती है, संभवतः जीवन भर तक इलाज चल सकता है।

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हेपेटाइटिस बी के प्रभाव – Effects of Hepatitis B

क्रॉनिक हेपेटाइटिस बी के प्रभाव से निम्नलिखित अन्य बीमारियों  तथा जटिलताओं की संभावना रहती है –

1. सिरोसिस (Cirrhosis)- हेपेटाइटिस बी के संक्रमण के प्रभाव से सूजन के कारण लिवर पर निशान पड़ सकते हैं जिनको सिरोसिस कहा जाता है। ये लिवर की कार्य क्षमता को प्रभावित कर इसे कम कर सकते हैं।

2. लिवर कैंसर (Liver Cancer)- हेपेटाइटिस बी संक्रमण से लिवर कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है।

3. लिवर फेल्योर (Liver Failure)- हेपेटाइटिस बी संक्रमण का सबसे बड़ा प्रभाव लिवर की कार्य प्रणाली पर पड़ सकता है। इससे लिवर महत्वपूर्ण कार्य करना बंद कर सकता है या लिवर पूरी तरह फेल हो सकता है। ऐसी स्थिति में लिवर ट्रांसप्लांट जरूरी हो जाता है।

4. अन्य प्रभाव (Other Effects)- हेपेटाइटिस बी से पीड़ित लोगों में किडनी रोग, रक्त वाहिकाओं की सूजन अथवा एनीमिया की समस्या हो सकती है।

हेपेटाइटिस बी के कारण – Causes of Hepatitis B

यहां देसी हैल्थ क्लब स्पष्ट करता है कि हेपेटाइटिस बी इंफेक्शन गले लगाने, चूमने, छींकने, खांसने, या खाद्य/पेय साझा करने से नहीं फैलता। हेपेटाइटिस बी होने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –

1. संक्रमित रक्त चढ़ाने से।

2. संक्रमित रक्त के लगातार संपर्क में रहने से।

3. लंबे समय से डायलिसिस कराने वाले व्यक्तियों को।

4. संक्रमित सुई के उपयोग से।

5. संक्रमित सुई का उपयोग टैटू बनाने के लिये किया गया हो।

6. त्वचा और मुंह का घाव या कट (Cut) की स्थिति में रक्त या लार के सीधे संपर्क में आने से।

7. संक्रमित व्यक्ति से असुरक्षित यौन क्रिया करने से।

8. असुरक्षित समलैंगिक यौन क्रिया करने से।

9. संक्रमित व्यक्ति की निजी वस्तुओं का उपयोग करने से जैसे टूथब्रश, रेजर आदि।

10. संक्रमित गर्भवती महिला से उसके बच्चे में।

हेपेटाइटिस बी के लक्षण – Symptoms of Hepatitis B

हेपेटाइटिस बी के लक्षणों का कई बार पता ही नहीं चलता और जब प्रकट होते हैं तो बहुत देर हो चुकी होती है। तब तक बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है। इसके आरम्भिक लक्षण निम्न प्रकार हो सकते हैं –

1. गाढ़े पीले रंग का पेशाब आना।

2. त्वचा में मकड़ी के जालों के समान रक्त वाहिकाओं का उभार।

3. त्वचा पर खुजली लगना।

4. पेट के निचले भाग में दर्द रहना।

5. कमजोरी और घबराहट।

6. जोड़ों में दर्द होना।

7. भूख ना लगना।

8. पीलिया भी हेपेटाइटिस-बी का लक्षण हो सकता है।

हेपेटाइटिस बी का परीक्षण – Hepatitis B Test

हेपेटाइटिस बी के लिए निम्नलिखित परीक्षण किए जा सकते हैं –

1. ब्लड टेस्ट (Blood Test)- इस टेस्ट से यह जानकारी मिल जाती है कि व्यक्ति हेपेटाइटिस बी से पीड़ित है या नहीं और पहले कभी हेपेटाइटिस बी से पीड़ित रहा है या नहीं तथा इसका टीकाकरण हुआ है या नहीं।

2. लिवर बायोप्सी (Liver Biopsy)- लिवर बायोप्सी के लिये सुई का उपयोग करते हुए लिवर का छोटा सा सेंपल लेकर जांच के लिये लैब भेज दिया जाता है।

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3. हेपेटाइटिस बी सरफेस एंटीजन टेस्ट (Hepatitis B Surface Antigen Test)- इस टेस्ट से यह पता चलता है कि व्यक्ति हैपेटाइटिस बी से संक्रमित है या नहीं। इसका पता पोजिटिव या नेगेटिव रिपोर्ट से चलता है। पोजिटिव रिपोर्ट का मतलब है कि व्यक्ति को हैपेटाइटिस बी है और नेगेटिव का मतलब है कि हैपेटाइटिस बी नहीं है। परन्तु इस टेस्ट से क्रोनिक और एक्यूट संक्रमण के बीच अंतर पता नहीं चलता।

4. हेपेटाइटिस बी कोर एंटीजन टेस्ट (Hepatitis B Core Antigen Test)- इस टेस्ट का परिणाम भी पोजिटिव या नेगेटिव रिपोर्ट के आधार पर होता है। पोजिटिव का मतलब एक्यूट या क्रोनिक हैपेटाइटिस बी है। इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि व्यक्ति एक्यूट हेपेटाइटिस बी से उबर रहा है यानि ठीक हो रहा है।

5. हेपेटाइटिस बी सरफेस एंटीबॉडी परीक्षण (Hepatitis B Surface Antibody Test)– यह टेस्ट हेपेटाइटिस बी की प्रतिरक्षा की जांच के लिये किया जाता है। इसमें पोजिटिव का मतलब होता हँ कि व्यक्ति हेपेटाइटिस बी के प्रति प्रतिरक्षित है। पोजिटिव रिपोर्ट की एक संभावना तो यह होती है कि व्यक्ति को टीका लगा है और दूसरी संभावना यह होती है कि व्यक्ति एक्यूट हेपेटाइटिस बी संक्रमण से ठीक हो चुका है।

हेपेटाइटिस बी का उपचार – Treatment of Hepatitis B

हेपेटाइटिस बी का निम्न प्रकार से उपचार किया जा सकता है –

1. एक्यूट हेपेटाइटिस बी के उपचार के लिये आमतौर पर मरीज को घर पर ही आराम करने की सलाह दी जाती है।  पौष्टिक आहार का सेवन करना, बहुत अधिक तरल पदार्थों का सेवन करना शराब, धूम्रपान, शराब तथा अन्य नशीले पदार्थों का उपयोग ना करना आदि की सलाह दी जाती है। एंटीवायरल दवाओं का उपयोग तब तक नहीं किया जाता जब तक कि मरीज बहुत ज्यादा बीमार ना हो।

2. क्रोनिक हेपेटाइटिस बी के उपचार के लिये यह जानना जरूरी होता है कि वायरस मरीज के शरीर में कितना सक्रिय है और लिवर की कितनी क्षति हो चुकी है या क्षति होने की कितनी संभावना है। इसी के आधार पर मरीज को एंटीवायरल दवाएं दी जाती हैं जो कि वायरस की गुणन क्षमता को धीमा करने का कार्य करती हैं अन्यथा इसमें हर व्यक्ति को एंटीवायरल दवाएं नहीं दी जाती हैं।

3. यदि कोई व्यक्ति को शक है कि वह वायरस के संपर्क में आया है और उसे संक्रमण हो सकता है तो उसे 12 घंटे के भीतर ही हेपेटाइटिस बी इम्यून ग्लोबेयुलिन का इंजेक्शन लगवाना चाहिए इससे शरीर में वायरस के विकसित होने की संभावना कम हो जाएगी।

हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण – Hepatitis B Vaccination

हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिये हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाना चाहिए। यह टीका हेपेटाइटिस बी के विरुद्ध 95% प्रभावी होता है। यह कम से कम 20 वर्षों तक संक्रमण के प्रति सुरक्षा प्रदान करती है। टीकाकरण का विवरण निम्न प्रकार है –

1. गर्भवती महिला को हेपेटाइटिस बी टेस्ट करवाना चाहिए। यदि गर्भवती महिला को हेपेटाइटिस बी है तो बच्चे के जन्म के समय बच्चे को हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाना चाहिए।

2. भारत सरकार की तरफ से हेपेटाइटिस बी का टीका उपलब्ध है। बच्चों को हेपेटाइटिस बी के टीकाकरण का विवरण निम्न प्रकार है –

(i) नवजात शिशु को जन्म के समय 24 घंटे के भीतर। इसे शून्य (zero) खुराक कहा जाता है।

(ii) पहली खुराक –  6 सप्ताह में।

(iii) दूसरी खुराक – 10 सप्ताह में।

(iv) तीसरी खुराक – 14 सप्ताह में।

3. 19 वर्ष से कम आयु के बच्चों को यदि हेपेटाइटिस बी का टीका नहीं लग पाया है तो उनको कैच-अप डोज दी जाती हैं।

4. वयस्कों को भी इसके विशेष प्रकार के टीके लगाए जाते हैं।

5. किडनी, लिवर से संबंध रोग से पीड़ित और एचआईवी वाले लोगों को भी टीका लगवाना चाहिए।

6. ऐसे लोग जो एक से ज्यादा लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाते हो या ऐसे पुरुष, जो दूसरे पुरुषों से शारीरिक संबंध बनाते हों, उनको भी टीका लगवाना चाहिए।

7. जो लोग अधिकतर संक्रमित लोगों के साथ रहते हैं जैसे डॉक्टर और चिकित्सा क्षेत्र से संबंधित लोग, उनको भी हेपेटाइटिस से बचाव के लिए टीके की जरूरत होती है। 

8. हेपेटाइटिस ए और बी के लिए एक संयोजन वैक्सीन – ट्विनरिक्स (Twinrix) भी मौजूद है।

9. वर्तमान में हेपेटाइटिस-सी की कोई वैक्सीन मौजूद नहीं है।

हेपेटाइटिस बी के घरेलू उपाय – Home Remedies for Hepatitis B

और अब बताते हैं आपको कुछ निम्नलिखित घरेलू उपाय जिनका उपयोग करके हेपेटाइटिस बी के प्रभाव से छुटकारा पाया जा सकता है –

1. आँवला (Amla)- आँवला औषधीय गुणों से सम्पन्न होता है। इसमें मौजूद एंटीवायरल गुण हेपेटाइटिस बी वायरस से निपटने में सक्षम होते हैं। इसके लिये आँवला के रस को पानी में मिलाकर पीना चाहिए या आंवला पाउडर को गुड़ मिलाकर दिन में दो बार खाएं कम से कम एक महीने तक या आँवला के रस में शहद मिलाकर पीएं।

2. मुलेठी (Muleti)- मुलेठी भी औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इसमें मौजूद एंटीवायरल और एंटीऑक्सीडेंट गुण हेपेटाइटिस बी वायरस को नष्ट कर देते हैं। इसके लिए मुलेठी का काढ़ा बनाकर पीएं या दिन में दो या तीन बार मुलेठी का टुकड़ा चबाएं।

3. जैतून के पत्ते (Olive Leaves )- जैतून के पत्ते भी हेपेटाइटिस बी वायरस को नष्ट करने में मदद करते हैं। जैतून के पत्तों में फाइटोकेमिकल नाम का एक कंपाउंड मौजूद होता है जिसे ओलेरोपिन कहा जाता है, इसमें एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण उपस्थित होते हैं जो हेपेटाइटिस बी वायरस के विरुद्ध लड़कर वायरस को खत्म कर देते हैं। जैतून के कुछ सूखे पत्तों को एक कप पानी में दस मिनट तक उबालकर छान लें। इस पानी को दिन में दो। तीन बार पीएं। विकल्प स्वरूप डॉक्टरी की सलाह पर ऑलिव लीफ के 500 एमजी कैप्सूल भी खा सकते हैं।

4. लहसुन (Garlic)- लहसुन में उपस्थित एलिसिन नामक तत्व की वजह से लहसुन में एंटीमाइक्रोबियल,  इम्यूनोमॉड्यूलेटरी और एंटीवायरल गुण मौजूद होते हैं। एंटीमाइक्रोबियल और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण शरीर की इम्युनिटी में सुधार कर उपापचय (metabolism) संबंधी विकारों को खत्म करने में मदद करते हैं तथा एंटीवायरल गुण हेपेटाइटिस बी वायरस को नष्ट करने का कार्य करते हैं। इसके लिए लहसुन की दो, तीन कलियां रोजाना खाएं तथा सब्जी में भी इसका उपयोग करें।

5. अदरक (Ginger)- अदरक में लिवर को क्षति से बचाने वाले हेपटोप्रोटेक्टीव गुण तथा वायरस के प्रभाव को नष्ट करने वाले एंटीवायरल गुण मौजूद होते हैं जो हेपेटाइटिस बी वायरस से लिवर की रक्षा करते हैं। हेपेटाइटिस बी वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए अदरक के कुछ टुकड़े काटकर पानी में अच्छी तरह उबालें। इसे छानकर गुनगुना होने तक ठंडा करके पीएं। इसे दिन में दो बार अवश्य पीएं।

6. हल्दी (Turmeric)- औषधीय गुणों से भरपूर हल्दी प्राकृतिक एंटीसेप्टिक है। इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटीइंफ्लेमेटरी गुण उपस्थित होते हैं। हल्दी में पाए जाने वाला करक्यूमिन (curcumin) तत्व, स्वास्थ के लिए बहुत लाभदायक होता है। हेपेटाइटिस बी वायरस को खत्म करने के लिये रोजाना रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी पाउडर डालकर पीएं।

7. गिलोय (Giloy)- गिलोय में औषधीय गुण उपस्थित होते हैं। इसके अर्क में हेपेटोप्रोटेक्टिव प्रभाव होता है जो हेपेटाइटिस बी वायरस के प्रभाव को कम करके लिवर को सुरक्षित रखने में मदद करता है। एक गिलास पानी में गिलोय के कुछ पत्ते डालकर अच्छी तरह उबालें। इसे छानकर पी लें। चाहें तो इसमें आधा चम्मच शहद भी मिला सकते हैं।

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8. पिप्पली (Pippi)- एक रिसर्च से पिप्पली में एंटी-हेपेटाइटिस बी वायरस गतिविधियां होने का पता चला है जो हेपेटाइटिस बी वायरस को पनपने से रोकने में सक्षम होती हैं। इस कारण इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके लिए चुटकी भर पिप्पली सब्जी या सूप में डालकर खाएं।

9. हरीतकी (Haritaki)- हरीतकी को हरड़ भी कहा जाता है। यह त्रिफला चूर्ण बनाने के लिये तीन सामग्रियों (हरड़, बहेड़ा और आँवला) में से एक है। हरीतकी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटीइंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। इसकी एंटीवायरल गतिविधियां हेपेटाइटिस बी वायरस की रोकथाम में सक्रिय भूमिका निभाकर इसके लक्षणों से राहत दिलाती है। 20 से 30 मि.ग्रा. हरीतकी का काढ़ा बनाकर सेवन करें।

10. शहद (Honey)- शहद का उपयोग दवा के रूप में अनेक बीमारियों के उपचार के लिए सदियों से किया जाता रहा है। जहां तक हेपेटाइटिस बी वायरस की बात है तो शहद में मौजूद एंटीवायरल और हेप्टोप्रोटेक्टिव गुण इस वायरस को नष्ट कर लिवर को बचाने में मदद करते हैं। इसके लिए प्रतिदिन एक चम्मच प्राकृतिक शहद का सेवन करना चाहिए।

11. गन्ने का जूस (Sugarcane Juice)- गन्ने के जूस में फ्लेवोनॉयड और एंथोसायनिन तत्व भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। इनके कारण गन्ने का जूस एंटीऑक्सीडेंट तथा हेप्टोप्रोटेक्टिव प्रभाव छोड़ता है। परिणाम स्वरूप मुक्त कणों से होने वाली क्षति नहीं हो पाती और हेपेटाइटिस बी वायरस के खत्म होने पर लिवर सुरक्षित रहता है। इसके लिए प्रतिदिन एक गिलास गन्ने का जूस पीया जा सकता है।

12. ग्रीन टी (Green Tea)- हेपेटाइटिस बी वायरस की रोकथाम के लिए ग्रीन टी का भी सहारा लिया जा सकता है। वस्तुतः ग्रीन टी में एपिगैलोकैटेचिन गैलेट नामक तत्व उपस्थित होता है जो हेपेटाइटिस बी वायरस के विरुद्ध लड़ने में सक्षम होता है। यह हेपेटाइटिस बी वायरस से राहत दिलाकर लिवर की रक्षा करता है। इस समस्या के निवारण के लिए दिन में दो बार ग्रीन टी पीएं।

Conclusion –

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको हेपेटाइटिस और हेपेटाइटिस बी क्या है? के बारे में जानकारी दी। हेपेटाइटिस क्या है, हेपेटाइटिस के प्रकार, हेपेटाइटिस बी क्या है, हेपेटाइटिस बी के प्रकार, हेपेटाइटिस बी के प्रभाव, हेपेटाइटिस बी के कारण, हेपेटाइटिस बी के लक्षण, हेपेटाइटिस बी का परीक्षण, हेपेटाइटिस बी का उपचार और हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से हेपेटाइटिस बी के बहुत सारे घरेलू उपाय भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – 

 यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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हेपेटाइटिस बी क्या है?
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हेपेटाइटिस बी क्या है?
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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको हेपेटाइटिस और हेपेटाइटिस बी क्या है? के बारे में जानकारी दी। हेपेटाइटिस क्या है, हेपेटाइटिस के प्रकार, हेपेटाइटिस बी क्या है, हेपेटाइटिस बी के प्रकार, हेपेटाइटिस बी के प्रभाव, हेपेटाइटिस बी के कारण, हेपेटाइटिस बी के लक्षण, हेपेटाइटिस बी का परीक्षण, हेपेटाइटिस बी का उपचार और हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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