दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आज हम बात करेंगे एक ऐसी समस्या की जो, कोई रोग नहीं है, कोई विकार नहीं है जिसके लिये किसी डॉक्टर के पास जाना पड़े। परन्तु फिर भी यह किसी रोग से कम नहीं है। यह अप्रत्यक्ष रूप से मनोवैज्ञानिक तौर पर बच्चों से लेकर बड़ों तक बीमार बना रही है। इस समस्या का समाधान किसी डॉक्टर के पास नहीं स्वयं आपके ही पास है क्योंकि यह वस्तु आपकी आदत बन चुकी है, एक नशा जिसे छोड़ना आसान नहीं। परन्तु यदि आपने दृढ़ निश्चय कर लिया तो इसे छोड़ना मुश्किल भी नहीं। दोस्तो, जब कोई वस्तु “आवश्यक आवश्यकता” ना रह कर “विलासिता” की वस्तु बन जाये तो उसके नुकसान झेलने ही पड़ते हैं। दोस्तो, वैज्ञानिकों ने आवश्यक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुऐ आविष्कार किये जैसे कि बारूद का आविष्कार पहाड़ों को तोड़कर रास्ता बनाने के उद्देश्य के लिये किया गया परन्तु इसका उपयोग अब हथियार के रूप में विध्वन्स के लिये किया गया। टेलीफोन का आविष्कार सन् 2 जून, 1875 को स्कॉटिश वैज्ञानिक अलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने वार्तालाप के माध्यम से संचार व्यवस्था स्थापित करने के लिये किया। 3 अप्रैल 1973 को मोटोरोला कम्पनी के सीनियर डवलपमेंट इंजीनियर मार्टिन कूपर ने मोबाइल फोन किया। दस वर्ष तक इसकी कमियों को दूर करने और सेल्युलर नेटवर्क को मजबूत करने के पश्चात् सन् 1983 में, मोटोरोला डायना टैक 8000X (Motorola DynaTAC 8000X) के नाम से इस मोबाइल फोन को लोगों के लिये उतार दिया गया। इसके बाद तो विकसित होती मोबाइल फोन की तकनीक ने मोबाइल की दुनियां में क्रान्ति ला दी। मोबाइल फोन आज के युग में पूरे विश्व पर राज कर रहा है। दोस्तो, मोबाइल फोन के बारे में हम पहले ही जानकारी दे चुके हैं। इस पर विस्तार से जानकारी के लिये और इसके फायदे, नुकसान जानने के लिये हमारा आर्टिकल “मोबाइल फोन के फायदे और नुकसान” पढ़ें। इस मोबाइल फोन का उपयोग आज आवश्यकता के लिये कम विलासिता के लिये अधिक किया जाता है क्योंकि इसे हमने अपनी आदत बना लिया है और यह विषाणु की तरह हमारे रक्त में मिल चुका है। नतीजा हम सबके सामने है कि कैसे यह हमारे स्वस्थ, परिवार और समाज पर कुप्रभाव छोड़ रहा है। इसने आदमी को आदमी से दूर कर दिया। यदि इसी मोबाइल को दूर कर दिया जाये तो, अर्थात् मोबाइल की आदत को छोड़ दें तो, फिर से हम अपने परिवार में, समाज में प्यार मोहब्बत की दुनियां को पा सकेंगे। पर यह आदत छूटेगी कैसे? दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “मोबाइल फोन की आदत कैसे छुड़ाएं“। देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से आज आपको मोबाइल फोन की आदत के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और इसकी छोड़ने के उपाय भी बतायेगा। तो सबसे पहले जानते हैं कि मोबाइल फोन की आदत क्या है, मोबाइल फोन की आदत लगने के कारण क्या हैं। फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।
मोबाइल फोन की आदत कैसे छुड़ाएं – How to Get Rid of Mobile Phone Habit
दोस्तो, कहते हैं कि किसी भी अति बुरी होती है और जब अति आदत बन जाये तो यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ के लिये हानिकारक होती है। यही बात मोबाइल फोन पर भी लागू होती है। इसकी अति हो जाना अर्थात् इसका बहुत अधिक समय तक उपयोग करना मोबाइल की आदत लग जाना लग जाना कहते हैं। दोस्तो, मोबाइल की आदत को नोमोफोबिया (Nomophobia) के नाम से जाना जाता है। Nomophobia का मतलब है No Mobile Phobia यानी मोबाइल फोन ना होने का डर। “कहीं मेरा फोन खो न जाये या खराब ना हो जाये, तो इसके बिना मैं कैसे रहूंगा”। बस यही सोच बीमारी बन जाती है जिसे ‘नोमोफोब’ (Nomophobe) कहा जाता है। नोमोफोब से ग्रस्त व्यक्ति के स्वाभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है, चिंता और थकान उसे घेरे रहती हैं। कई मनोवैज्ञानिक नोमोफोबिया को नशे की आदत से भी अधिक खतरनाक मानते हैं, इसे डर और विकार का नाम देते हैं।
मोबाइल फोन की आदत लगने के कारण – Cause of the Habit of Mobile Phone
1. मोबाइल फोन का दुरुपयोग (Mobile Phone Abuse)- मोबाइल फोन की आदत लगने का सबसे प्रमुख कारण है आपकी सोच। आपने जरूरत वस्तु को खिलौना समझ बैठे। मोबाइल के फीचर्स, आपकी जीवन की कुछ समस्याओं के समाधान हेतु “सुविधा” के रूप में दिये गये थे जिनका उपयोग कभी-कभी किया जाये। परन्तु इनका दुरुपयोग होने लगा।
2. खाली समय को मोबाइल पर गुजारना (Spend Free Time on Mobile)- जब आपके पास करने को कुछ नहीं है तो आप कुछ सकारात्मक करने के बजाय मोबाइल पर समय व्यतीत करना ज्यादा पसंद करते हैं। जैसे गेम खेलते रहना, चैटिंग करते रहना, बहुत लंबे समय तक मोबाइल पर बात करते रहना। इससे शारीरिक गतिविधियों की क्षति होती है और मानसिक व्यावधान में बढ़ोत्तरी। इससे आपके कीमती समय का नुकसान होता है।
3. किसी विशेष की लत लग जाना (Become Addicted to a Particular)- किसी एक विशेष ऐप को चलाने या कोई प्रोग्राम देखने लत लग जाना, मोबाइल फोन पर चिपके रहने का कारण बनता है जैसे अश्लील वीडियो, सेक्सी, हॉरर मूवी देखना या जिसमें जिसकी ज्यादा रुचि है वह देखते रहना।
4. नई ऐप्स/साइट्स का क्रेज (Craze for New Apps/sites)- आये दिन नई-नई ऐप्स और वेबसाइट बनती रहती हैं। इनके बारे में ज्यादातर दोस्तों से पता चलता है तो मन में उत्सुकता जागती है उसे चलाने की। पसंद आने पर नई ऐप्स/साइट्स का हम पीछा नहीं छोड़ते। हमें एक और मौका मिल जाता है मोबाइल से चिपकने का।
5. प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन (Violation of Natural Laws)- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ के लिये प्राकृतिक नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है जैसे कि रात को जल्दी सोना ताकि आपको अच्छी और भरपूर नींद आ सके परन्तु अपनी नींद की परवाह ना करके हम मोबाइल को प्रायोरिटी देते हैं और कभी काम के नाम पर या मनोरंजन के नाम पर आधी रात तक जागना, मोबाइल की आदत का रूप ले लेती है। इसी तरह सुबह को देर से उठना भी प्रकृति के विरुद्ध जाता है। यहां तक कि सुबह उठकर सबसे पहले मोबाइल हाथ में लेकर नोटिफिकेशन चैक करना यह मोबाइल की आदत की वजह बन जाती है। इसी प्रकार भोजन आराम से तसल्ली में ना करना, भी प्रकृति के नियम का उल्लंघन है। भोजन के समय मोबाइल हाथ में लेना बहुत बड़ा कारण है इसकी आदत बनने का।
6. पारिवारिक परिवेश का उल्लंघन (Violation of Family Environment)- हमेशा यह बात याद रखनी चाहिये कि आप परिवार के लिये बने हैं और परिवार आपके लिये। परन्तु जब आप परिवार को इग्नोर करने लगते हैं, परिवार के सदस्यों की बात नहीं सुनते, उनकी समस्याऐं नहीं सुनते किसी से प्यार से बात नहीं करते तो मान लेना चाहिये कि आपका परिवार का इग्नोरेंस आपकी मोबाइल की आदत की वजह बन चुका है। अपने परिवार से आप जितना जुड़े रहेंगे, आप मोबाइल की आदत से दूर रहेंगे।
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7. सामाजिक परिवेश का उल्लंघन (Violation of the Social Environment)- कहा जाता है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। अपने परिवार के अलावा यह एक परिवेश होता है भाई-चारे, प्यार मोहब्बत का, मानवता की भलाई के लिये कुछ करने का, आपस के मन मुटाव को दूर करने, लड़ाई झगड़े निपटाने, अच्छे संबंध बनाने, जीवन-मरण, शादी-समारोह जैसे हजारों काम होते हैं। इसीलिये मनुष्य समाज के बिना अकेला नहीं रह सकता। परन्तु जब आप इस परिवेश को नकारने लगते हैं और किसी की परवाह नहीं करते तो समझ लेना चाहिये कि आपके द्वारा किया गया सामाजिक परिवेश का उल्लंघन आपकी मोबाइल की आदत बन चुका है। उदाहरण के लिये आपका कोई संबंधी, कोई पड़ोसी, या कोई अन्य व्यक्ति आपके पास अपना निजी या समाजिक काम लेकर आता है और आपका उसकी तरफ तवज्जो ना देना, या उसकी बात ध्यान से ना सुनना, या अनसुना करना और इस बीच अपने मोबाइल की नोटिफिकेशन चैक करना, या मोबाइल पर लगे रहना आदि गतिविधियां।
मोबाइल फोन की आदत लगने के लक्षण – Symptoms of Mobile Phone Habit
दोस्तो, बड़ा हो या बच्चा, मोबाइल फोन की लत लग जाने पर उसमें निम्नलिखित लक्षण प्रकट होते हैं –
1. एक शोध बताती है कि मोबाइल फोन का अधिक उपयोग करने से अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (Attention Deficit Hyperactivity Disorder – ADHD) के लक्षण उत्पन्न होते हैं। 10 प्रतिशत से अधिक लोगों में ADHD के लक्षण पाये जाते हैं जैसे कि –
(i) बहुत छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करना।
(ii) मन चलायमान रहना अर्थात् किसी एक जगह विषय वस्तु पर ध्यान केन्द्रित ना कर पाना।
(iii) शांत रहकर बैठने में परेशानी महसूस करना।
2. मोबाइल फोन को कभी अपने से अलग ना करना यानी कि वॉशरूम जाते समय भी मोबाइल साथ ले जाना।
3. मोबाइल के एक पल ओझल होते ही बेचैनी महसूस करना। मोबाइल की बैटरी खत्म होने पर बेचैन हो जाना।
4. मोबाइल के खोने या खराब होने से भयभीत रहना।
5. मोबाइल के अलावा किसी अन्य काम को या व्यक्ति को वरीयता ना देना, किसी को कुछ ना समझना।
6. किसी और काम में रुचि ना लेना।
7. किसी से बात करना तो मोबाइल के बारे में ही बात करना जैसे किसी गेम के बारे में, वीडियो, सीरियल, मूवी आदि के बारे में।
8. मोबाइल चलाने का समय दिन प्रतिदिन बढ़ता जाना।
9. रात को आधी रात तक या इससे भी ज्यादा मोबाइल चलाना।
10. घरवालों की टोकाटाकी करने पर मोबाइल फोन को छुपाकर चलाना या किसी दोस्त के यहां या अन्य जगह जाकर चलाना।
मोबाइल फोन की आदत के प्रभाव – Effects of Mobile Phone Habit
दोस्तो, हमने पिछले आर्टिकल “मोबाइल फोन के फायदे और नुकसान” में स्वास्थ पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया था। इसलिये संक्षेप में स्वास्थ पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बता देते हैं जो सभी पर पड़ते हैं चाहे वे बड़े हों या बच्चे। ये प्रभाव निम्न प्रकार हैं –
1. उंगलियों में दर्द (Finger Pain)- मोबाइल स्क्रीन पर टच करते रहने से, टाइप करते रहने से उंगलियों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है जो हमें आसानी से पता नहीं चलता, लेकिन लंबे समय के बाद उंगलियों में दर्द होने लगता है, विशेषकर उंगलियों के पोरवे और नाखूनों में। उंगलियों में झनझनाहट रहने लगती है।
2. गर्दन में दर्द (Pain in the Neck)- अक्सर आपने देखा होगा कि मोबाइल फोन पर लगातार गर्दन झुकी रहती है, आड़ी तिरछी रहती है। इसके चलते गर्दन में दर्द होना स्वाभाविक है जो आपको लगातार तंग करता है। गर्दन की फ्लेक्सेबिलिटी कम होने से गर्दन में अकड़न रहती है।
3. पीठ में दर्द (Back Pain)- जब गर्दन झुकी रहेगी और अधिकतर पोस्चर भी गलत रहेगा तो इसका प्रभाव रीड़ की हड्डी पर भी पड़ता है। इसके चलते पीठ में दर्द की अक्सर शिकायत रहती है।
4. कंधे में दर्द (Shoulder Pain)- गलत पोस्चर से ना केवल गर्दन और पीठ में दर्द होता है बल्कि कंधे भी प्रभावित होते हैं। इनमें दर्द होने लगता है और मांसपेशियों में खिंचाव भी होता है।
5. आंखों में दर्द (Eye Pain)- घंटों-घंटों मोबाइल स्क्रीन पर आंखों को गढ़ाये रखने का नतीजा आंखों में दर्द होना, आंखों से पानी जाना, नजर कमजोर होना आदि, ये सब आंखों पर पड़ने वाले कुप्रभाव हैं। लगभग 70 प्रतिशत लोग मोबाइल चलाते समय आंखों को सिकोड़ कर देखते हैं। यह आदत आगे चलकर विज़न सिंड्रोम नामक बीमारी बन सकती है।
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6. फेफड़ों पर प्रभाव (Effects on the Lungs)- गर्दन झुकी होने के कारण शरीर को पूरी और गहरी सांस नहीं मिल पाती जिसका कुप्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है।
7. वजन बढ़ना (Gaining Weight)- बच्चे तो क्या बड़े लोग भी मोबाइल चलाते-चलाते ही चाय नाश्ता करते हैं, भोजन करते हैं। इस आदत के चलते मोटापा बढ़ने लगता है और पेट की बीमारियां भी।
8. कैंसर का खतरा (Cancer Risk)- डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन से मस्तिष्क के कैंसर का खतरा भी बढ़ रहा है। रिपोर्ट बताती है कि मानव शरीर के लिये 0.60 वाट/किलोग्राम से अधिक रेडिएशन घातक होता है जबकि स्मार्टफोन से निकलने वाला रेडिएशन इससे दोगुना या अधिक है।
9. नींद पर प्रभाव (Effect on Sleep)- आधी-आधी रात मोबाइल चलाने से नींद पर बहुत असर पड़ता है। इससे इंसोमेनिया यानी अनिद्रा नामक बीमारी यानी जन्म लेती है।
10. मस्तिष्क पर प्रभाव (Effect on Brain)- शारीरिक प्रभाव के अतिरिक्त मोबाइल की लत का प्रभाव मस्तिष्क स्वास्थ पर भी पड़ता है। रेडियएशन से ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा तो रहता ही है, इसके अतिरिक्त किसी विषय वस्तु पर ध्यान एकाग्रचित करने की क्षमता की क्षति होती है। आप किसी पर concentrate नहीं कर पाते हैं। यहां तक कि स्मरण शक्ति भी कमजोर पड़ने लगती है। दिमाग पर बहुत जोर डालने पर भी याद नहीं आता है।
बड़ों के लिए मोबाइल फोन की आदत छुड़ाने के उपाय – Tips to Get Rid of Mobile Phone Habit for Elders
1. अपने लिए नियम बताएं और पालन करें (Make your own rules and follow)- पहले तो यह बात समझनी होगी कि पहले आपको समझना होगा फिर आप किसी और को समझाने का हक रखते हैं। यदि आप घर के मुखिया हैं तो आपकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। आपको अपने लिये कड़े नियम बनाने होंगे और ईमानदारी से निभाने भी होंगे। इसके लिये पहले अपनी दिनचर्या में निम्नलिखित बदलाव करके देखिये –
(i) रात को सोने से एक घंटा पहले मोबाइल फोन चैक नहीं करेंगे और सोते समय इसे बिस्तर पर ना रखकर कम से कम चार फुट की दूरी पर रखें ताकि आपका हाथ वहां तक ना पहुंच पाये। हां, फोन स्विच ऑफ करने की गलती मत करना। पता नहीं कब किसकी इमरजेंसी कॉल आ जाये।
(ii) संकल्प लीजिये कि कभी भी किसी भी समय चाय पीते हुऐ या भोजन करते या समाचार पत्र पढ़ते समय या अन्य कोई घर का काम करते समय मोबाइल फोन अपने पास ना रखकर बहुत दूर रखेंगे।
(iii) एक टाइम टेबल बनाइये कि घर पर सुबह और शाम कितने टाइम के लिये मोबाइल फोन चलाना है। इसी दौरान आप सभी अपडेट्स चैक कर लें। व्हाट्सऐप, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि सोशल मीडिया भी इसी दौरान चैक कर लें जो भी काम करना है इसी टाइम ज़ोन में करलें। इमरजेंसी हालात के लिये कोई टाइम टेबल नहीं ये कभी भी हो सकती है लेकिन रोजाना नहीं होती।
2. नो फोन ज़ोन भी सेट करें (Set No Phone Zone)- घर में नो फोन ज़ोन भी बनायें कि आपको यहां-यहां फोन नहीं रखना, या फोन लेकर नहीं जाना चाहिये जैसे कि –
(i) किचन और पूजाघर जोकि एक पवित्र स्थान हैं यहां किसी भी प्रकार की डिस्टरबेंस नहीं होनी चाहिये। फोन पर अनेक कीटाणु लगे होते हैं जो इनकी पवित्रता को भंग करेंगे।
(ii) वाशरूम में भी फोन नहीं जाना चाहिये क्योंकि वहां कीटाणु होने की संभावना सबसे अधिक होती है इससे आपका फोन अपवित्र हो जायेगा। वाशरूम, फोन पर बातचीत करने या अन्य कोई गतिविधि करने का उचित स्थान नहीं है।
(iii) बेडरूम दम्पत्ति का निजी कमरा होता है जहां किसी तीसरे का कोई स्थान नहीं मगर मोबाइल फोन रखा जा सकता है। परन्तु एक बात हमेशा याद रखिये कि इसे कमरे में चार्ज ना करें, किसी और जगह चार्ज करें क्योंकि बेडरूम में दम्पत्ति एक दूसरे को प्रेमालाप और सेक्स के जरिये रीचार्ज करते हैं। मोबाइल फोन को बेड से चार फुट की दूरी पर रखिये।
(iv) इसे आप स्टडी रूम में रख सकते हैं या घर में किसी ऐसी जगह रखिये जहां से आपको कॉल की घंटी सुनाई दे और वहां जाकर फोन पिकअप कर सकें। जैसे कि पहले टेलीफोन एक जगह पर रखे रहते थे।
3. नोटिफिकेशन/साउंड बंद करें (Turn off Notifications/sounds)- अक्सर ऐसा होता है कि जब भी कोई नोटिफिकेशन आता है व्यक्ति सारे जरूरी काम छोड़कर देखने लगता है कि किसका मैसेज है कहीं जाते-जाते भी वह रुक जाता है कभी-कभी बेचैन हो जाता है, उसकी हृदय गति भी बढ़ जाती है और ब्लड प्रेशर भी। ऐसी स्थिति को अवॉइड करने के लिये जरूरी है कि आप अपने मोबाइल फोन में जाकर फालतू और गैर जरूरी ऐप्स की नोटिफिकेशन बंद दें जैसे वीडियो, गाने, ऑनलाइन शॉपिंग, पेमेंट, गेम आदि, इससे आपको बार-बार डिस्टर्ब नहीं होंगे। जरूरी ऐप्स की नोटिफिकेशन साउंड बंद कर दें। इससे आपको नोटिफिकेशन तो जरूर मिलेंगे लेकिन आपको इसकी आवाज परेशान नहीं करेगी। ये नोटिफिकेशन आप अपने तय किये हुऐ समय में देख सकते हैं। यदि किसी को बात करनी होगी तो वह कॉल कर लेगा।
4. कुछ समय के लिए इंटरनेट बंद रखें (Internet Shutdown for a While)- दिन में कुछ घंटों के लिये और रात को सोने से पहले सारी रात के लिये इंटरनेट बंद कर दें। इससे आपका डाटा पैक बचेगा, मोबाइल की बैटरी की बचत होगी और यह गतिविधि आपकी आदत बन जायेगी आप खुद ही सोचोगे कि क्यों फालतू में डाटा पैक खर्च किया जाये। और इस तरह धीरे-धीरे आपकी मोबाइल फोन से चिपके रहने की आदत छूट जायेगी।
5. मोबाइल फोन को फोन समझें खिलौना नहीं (Treat Mobile Phone as Phone Not Toy)- बहुत लोग होते हैं जो कार्य स्थल जाने और आते समय पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करते हुऐ सारे रास्ते गेम खेलते रहते हैं या चैटिंग करते रहते हैं या किसी ना किसी रूप में फोन पर लगे रहते हैं। कई बार तो उनका गंतव्य स्थान भी छूट जाता है। ऐसे ही लोगों ने मोबाइल फोन को खिलौना बना कर रख दिया है। सफर करते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना अवॉइड कीजिये, कम से कम सफर के समय तक तो मोबाइल छूटेगा। यदि आप अपने वाहन से सफर कर रहे हैं तो मोबाइल का इस्तेमाल मत कीजिये। किसी की कॉल आती है और आपके गंतव्य स्थान पर पहुंचने में अधिक समय नहीं है, तो कॉल मत उठाइये और आपके गंतव्य स्थान पर पहुंचकर कर लीजिये। और यदि आपके पहुंचने में देर है तो वाहन साइड पर रोक कर बात कर सकते हैं। वाहन चलाते समय मोबाइल फोन पर बात ना करें यह खतरनाक है और कानूनी अपराध भी।
6. शाम को परिवार के साथ रहें (Stay with Family in the Evening)- शाम को जब आप अपने कार्यालय स्थल से घर आते हैं तो अपने मोबाइल फोन को निर्धारित स्थान पर रख कर भूल जायें। अपना सारा समय माता-पिता, भाई-बहिन, पत्नी और बच्चों के साथ बिताइये। उनकी बातें जानिये, समस्याऐं समझिये और सुलझाने का प्रयत्न कीजिये। इस समय की फोन की दूरी आपको कुछ दिनों में अच्छी लगने लगेगी। इन पलों में यदि आपको मोबाइल की आवश्यकता पड़ती है मगर कोई इमरजेंसी नहीं है तो अवॉइड कीजिये और यह समझिये कि आपके पास मोबाइल है ही नहीं।
7. एक दिन मोबाइल को छुट्टी दीजिए (Give a Day off to Mobile)- सप्ताह में एक दिन विशेषकर छुट्टी वाले दिन अपने मोबाइल फोन को भी छुट्टी दे दीजिये, उसे स्विच ऑफ़ कर दीजिये और यह समझ लीजिये कि आपका फोन खराब हो गया है या आपके पास है ही नहीं। एक तरह से आप पूरी दुनियां से कट जाइये, सोशल मीडिया से कट जाइये, केवल अपने परिवार से जुड़े रहिये। बच्चों के साथ मौज मस्ती कीजिये, उनके सुख दुख जानिये, परेशानियों का हल निकलिये। बाहर यार दोस्तों से मिलिये। सारा दिन जब आपके पास फोन नहीं होगा तो आपको यह सोचकर बहुत अच्छा लगेगा कि आज मोबाइल ने आपको परेशान नहीं किया और यह भी पता चल जायेगा कि सोशल मीडिया की आदत ने किस तरह आपको जकड़ा हुआ है। आप आजाद फील करेंगे। आपको अंदर से खुशी की अनुभूति होगी।
8. केवल 21 दिन (21 Days Only)- दोस्तो, ऊपर दिये गये उपायों पर केवल 21 दिन ईमानदारी से अमल कीजीये। यकीन मानिये पुरानी आदत छूट कर नयी आदत बन जायेगी। यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है किसी भी बुरी आदत को छोड़ने में और सामान्य होने में इतना समय लग ही जाता है फिर बाद में धीरे-धीरे व्यक्ति सामान्य होता चला जाता है।
बच्चों के लिये मोबाइल फोन की आदत छुड़ाने के उपाय – Tips to Get Rid of Mobile Phone Habit for Kids
दोस्तो, बहुत ही संवेदनशील होते हैं, इनके मामले में बहुत सोच समझकर कदम उठाना पड़ता है। हम बता रहे हैं कुछ निम्नलिखित उपाय जिन पर अमल करके आप अपने बच्चे की मोबाइल फोन की आदत छुड़ा सकते हैं –
1. जो सिखाना है वही दिखाइये (show what shows)- सबसे पहले माता-पिता को यह समझना होगा कि बच्चे वो करते हैं जो देखते हैं अर्थात् आपकी गतिविधियों को देखकर ही सीखते हैं। यदि उनके सामने आप कोई पुस्तक पढ़ोगे तो बच्चा भी पुस्तक लेके बैठेगा बेशक उसे पढ़ना आता हो या ना आता हो। यदि आप बच्चे के सामने मोबाइल चलाओगे तो बच्चा भी मोबाइल ही चलायेगा। तो सबसे पहले आपको अपने पर लगाम लगानी पड़ेगी।
2. लाढ़ प्यार में बच्चे को मोबाइल ना दें (Do not Give Mobile to a Child in Love)- बच्चा यदि बहुत छोटा है लगभग छः, सात महीने का तो उसके सामने मोबाइल मत चलाइये क्योंकि वह उसे खिलौना समझकर आपसे छीनेगा और उससे खेलेगा। मोबाइल की ऑन स्क्रीन उसे आकर्षित होता है। इस पर कई वीडियोज़ भी बने हैं जिसमें दिखाया गया है कि जब बच्चे को मोबाइल देते हैं तो वह खेलने लगता है और मोबाइल उससे छीन ले लेते हैं तो वह रोने लगता है। इसलिये कभी लाढ़ प्यार में बच्चे को मोबाइल देने की गलती मत करना। और याद रखिये कि बच्चे को आपके लाढ़ प्यार की जरूरत है ना कि मोबाइल फोन की।
3. ऑनलाइन क्लास के बाद (After Online Class)- कोरोना महामारी के चलते स्कूल, कॉलेज आदि शिक्षण संस्थान बंद होने पर बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा मोबाइल फोन पर आ गया। इसके जरिये क्लासिज़ ऑनलाइन चलने लगीं। देखते ही देखते मोबाइल फोन बच्चों के लिये “आवश्यक आवश्यकता” बन गया लेकिन बच्चों की जिद और माता-पिता के लाढ़ प्यार ने इसे खिलौना बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। क्लास खत्म होने के बाद बच्चे मोबाइल पर गेम खेलते रहते हैं जोकि धीरे-धीरे उनकी आदत में शुमार होता जा रहा है। इसलिये बेहतर है कि आप बच्चे की ऑनलाइन क्लास के बाद उससे फौरन मोबाइल ले लें और उसे कुछ और इंडोर गेम खेलने के लिये प्रेरित करें या कुछ और सकारात्मक कार्य करने के लिये कहें जैसे की पेपर आर्ट वर्क, चित्रकला आदि। फिर भी यदि बच्चा नहीं मानता है उसे सिर्फ़ 10 मिनट दीजिये और इसके बाद मोबाइल ले लें। बच्चा मान जायेगा।
4. स्क्रीन क्रैक्ड का विकल्प चुनें (Select Screen Cracked Option)- यदि बच्चा बहुत जिद्दी है और आपके समझाने से नहीं मानता है तो उसे मोबाइल दे दें और बाद में इसमें टूटी हुई स्क्रीन का ऐप Cracked Screen Prank इंस्टाल करदें। फिर स्क्रीन क्रैक्ड की टाइमिंग सेट कर दें। सेट टाइम के बाद मोबाइल की स्क्रीन क्रैक्ड नज़र आयेगी तो बच्चा मोबाइल छोड़ देगा।
5. रचनात्मक कार्य के लिये प्रेरित करें (Inspire Creative Work)- बड़े बच्चों पर स्क्रीन क्रैक्ड जैसी ट्रिक नहीं चलेगी। हर बच्चे में कोई ना कोई हुनर होता है। उस हुनर को पहचान कर, उसके शौक के अनुसार ही उसे रचनात्मक कार्य करने के लिये प्रेरित कीजिये जैसे पेंटिंग, आर्ट, डांस, म्यूजिक सीखना, पेड़-पौधों से लगाव, चित्रकला, पढ़ाई से संबंधित कुछ गेम जैसे क्रासवर्ड आदि। इनके लिये आप अलग से क्लास भी ज्वाइन करा सकते हैं। उसे उसी के कामों में बिजी रखिये, उसके काम की तारीफ कीजिये ताकि मोबाइल फोन की तरफ उसका ध्यान बहुत कम जाये।
6. सोने से पहले फोन ना दें (Don’t Call Before Bedtime)- रात को सोने से कम से कम एक घंटा पहले ना तो आप खुद फोन का इस्तेमाल करें और ना ही फोन बच्चे को दें। क्योंकि रात को सोने से पहले मोबाइल फोन चलाने से बच्चे के सोने का प्राकृतिक पैटर्न बिगड़ सकता है और यहीं से रात को मोबाइल की आदत भी पड़ती है। बेहतर होगा कि रात को सोने से पहले बच्चे को पुस्तक पढ़ने को कहा जाये। यह अच्छी नींद के लिये सबसे अच्छी आदत मानी जाती है।
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7. घर के काम में मदद लें (Get Help with Housework)- खाली समय में जब भी आप नोटिस करें कि बच्चा बेवजह मोबाइल फोन चला रहा है तो उसकी क्षमता के अनुसार घर का कुछ काम बताइये कि इसमें मदद करो। या उसे कुछ घर का काम सिखाइये या कुछ ऐसे काम जो उसका शौक बन सकते हैं और आगे चलकर व्यवसाय भी, जैसे सिलाई, कढ़ाई, बुनाई आदि। और कुछ नहीं है तो उसे कहिये चलो बाजार का एक चक्कर लगाते हैं कुछ पसंद आ जायेगा तो खरीद लेंगे। ऐसा करने से उसका ध्यान मोबाइल से हट जायेगा और कुछ काम करने की आदत भी पड़ जायेगी।
8. शारीरिक गतिविधियां करने के लिए प्रेरित करें (Encourage Physical Activity)- बच्चों को कुछ ऐसा करने के लिये प्रेरित करें जिससे उसका ध्यान मोबाइल से हटकर शारीरिक गतिविधि होती रहे। इसे उसके दोस्तों के साथ बाहर खेलने के लिये कहें जैसे क्रिकेट, फुटबाल आदि। बागवानी के लिये भी कह सकते हैं। पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी भी दीजिये। इससे उसका प्रकृति प्रेम विकसित होगा। ये सब उसके शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक होंगे। हां, इस बात का ध्यान रखें कि बाहर जाते समय मोबाइल फोन ना ले जाये। अधिक से अधिक समय वह अपनी पढ़ाई, खेलकूद और अन्य गतिविधियों में लगाये। उसका मन खुद ही मोबाइल फोन से उचट जायेगा।
9. हल्के-फुल्के नियम बनायें (Make Light Rules)- बच्चों का मामला बहुत नाजुक होता है, वे बहुत संवेदनशील होते हैं। इसीलिये उनको प्यार से समझाया जाता है ज्यादा सख्ती करना भी ठीक नहीं होती। इसके लिये आप कुछ निम्नलिखित हल्के-फुल्के नियम बना सकते हैं –
(i) ऑनलाइन क्लास लगभग 30-45 मिनट चलती है। इतनी देर में बच्चा थक जाता है, उसकी आंखें थक जाती हैं, दुखने लगती हैं। यही बात बच्चे को समझाइये और ऑनलाइन क्लास के बाद उसे मोबाइल ना दीजिये। यदि बच्चा ज्यादा जिद करता है तो केवल 10 मिनट के लिये मोबाइल दीजिये फिर बाद में यदि जबरदस्ती मोबाइल लेना पड़े तो ले लीजिये।
(ii) यदि आप नोटिस करते हैं कि वह मोबाइल फोन पर बात करते हुऐ या वैसे ही बद्तमीजी करता है, चीखता, चिल्लाता है उसे चेतावनी दीजिये कि यदि ऐसा करोगे तो कभी फोन नहीं मिलेगा, ऑनलाइन क्लास के लिये भी नहीं। फिर उसके तेवर ठंडे पड़ जायेंगे।
(iii) बच्चे को फोन पर बात करने के मैनर्स सिखाइये। आवाज और टोन के बारे में बताइये। फोन पर कितनी देर और किस तरह बात करनी है यह बताइये। सबसे बड़ी बात उसे यह बताइये कि फोन बातचीत का माध्यम है लड़ाई या बद्तमीजी करने का साधन नहीं। फोन के आलावा वैसे भी बातचीत करने का ढंग बताइये। इससे उसके व्यावहार में सुधार होगा। निश्चित रूप से बच्चा बेवजह फोन पर नहीं रहेगा।
10. पढ़ाई के साथ-साथ मनोरंजन भी बेहद जरूरी है। इसके लिये बच्चे को रोजाना आधा ज्यादा से ज्यादा एक घंटा मोबाइल चलाने की इजाजत दें।
11. चाय, नाश्ता, भोजन के समय सबके फोन दूर रखवायें ताकि सब आराम से तसल्ली से खा पी सकें।
12. दिन में कभी-कभी 15-20 मिनट के लिये बच्चे को फोन दे सकते हैं।
13. रात को कभी फोन ना दें।
दोस्तो, देसी हैल्थ क्लब उम्मीद करता है कि जो उपाय हमने ऊपर बताये हैं, वे बड़े और बच्चों की मोबाइल फोन की आदत छुड़ाने में सहायक होंगे।
Conclusion –
दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको मोबाइल फोन की आदत के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मोबाइल फोन की आदत क्या है, मोबाइल फोन की आदत लगने के कारण, मोबाइल फोन की आदत लगने के लक्षण और मोबाइल फोन की आदत के कुप्रभाव, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से बड़ों के लिये मोबाइल फोन की आदत कैसे छुड़ाएं के उपाय और बच्चों के लिये मोबाइल फोन की आदत छुड़ाने के बहुत सारे उपाय भी बताये। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा।
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