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मुलेठी के फायदे और नुकसान – Benefits and Side Effects of Mulethi in HIndi

मुलेठी के फायदे और नुकसान

दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आज हम बतायेंगे एक ऐसे पौधे के बारे में जिसका तना और जड़ आयुर्वेदिक औषधियां बनाने में काम आते हैं। जिसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में कई बीमारियों के उपचार में प्राचीन काल से किया जाता रहा है। यहां तक कि चीनी चिकित्सा पद्धति में इसका उपयोग किया जाता है और उनकी दवाओं में इसका उपयोग किया जाता है। गले से संबंधित बीमारियों के उपचार में यह रामबाण उपाय है। जब गले में खराश हो जाये, खांसी की समस्या हो, गला दुखता हो या गला बैठ जाये तो इसके सेवन से तुरंत आराम लग जाता है। इसलिये पान में भी इसको डाला जाता है। इसके अतिरिक्त अनेक बीमारियों में यह लाभकारी होती है। हम बात कर रहे हैं मुलेठी की जिसका उपयोग दवाओं के अतिरिक सौंदर्य प्रसाधन उत्पाद बनाने में भी किया जाता है और कुछ टूथपेस्ट में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग बहुत कम मात्रा में किया जाये तो बहुत फायदा होता है परन्तु ज्यादा खाने पर इसके नुकसान भी होते हैं। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “मुलेठी के फायदे और नुकसान”। देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से आज आपको मुलेठी के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और इसके खाने के फायदे और नुकसान भी बतायेगा। तो, सबसे पहले जानते हैं कि मुलेठी क्या है और इसकी खेती कहां होती है। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।

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मुलेठी के फायदे और नुकसान
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मुलेठी क्‍या है? – What is Mulethi

मुलेठी एक सदाबहार झाड़ीनुमा पौधा है। यह अंदर से पीला, रेशेदार और हल्की सुगंध देने वाला होता है। इस पौधे के तने को छाल सहित काट कर सुखाया जाता है। फिर इसके छोटे-छोटे टुकड़े कर लिये जाते हैं। इन्हीं छोटे-छोटे टुकड़ों को मुलेठी कहा जाता है। बाद में इसका पाउडर भी बना लिया जाता है। इसको वानस्पातिक नाम ग्लाइसीराइजा ग्लबरा (Glycyrrhiza glabra) और अंग्रेजी में लीकोरिस (Licorice) के नाम से जाना जाता है। इसका पौधा 120 से।मी। तक ऊंचा हो जाता है। इसके फूल जामुनी से सफेद नीले रंग के हो सकते हैं। स्वाद में मुलेठी चीनी से भी ज्यादा मीठी होती है और ताजा मुलेठी में पचास प्रतिशत पानी होता है, जो मुलेठी के सूख जाने पर केवल दस प्रतिशत ही रह जाता है। इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में प्राचीन काल से किया जाता रहा है। आधुनिक युग में इसका उपयोग सौंदर्य उत्पाद तथा कुछ टूथपेस्ट बनाने में किया जाता है। 

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मुलेठी की खेती – Mulethi cultivation

1. मुलेठी की खेती अरब, अफगानिस्तान, तुर्किस्तान, ग्रीक, चीन और मिस्र आदि देशों में होती है।

2. भारत में लगभग सभी जगह इसकी खेती होती है। पंजाब और हिमालयी क्षेत्रों में इसकी खेती ज्यादा होती है। जम्मू, कश्मीर, देहरादून, सहारनपुर में भी मुलेठी की खेती की जा रही है। 

मुलेठी के गुण – Properties of Mulethi 

1. मुलेठी की तासीर ठंडी होती है। 

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2. ग्लिसराइजिक एसिड के होने के कारण मुलेठी का स्वाद साधारण शक्कर की तुलना में पचास गुना ज्यादा मीठा होता है।

3. मुलेठी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीकार्सिनोजेन, एंटीओबेसिटी, हाइपरग्लाइसेमिक आदि गुण होते हैं।

4. मुलेठी को विटामिन-बी, विटामिन-ई के साथ-साथ फास्फोरस, कैल्शियम, कोलीन, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सेलेनियम, सिलिकॉन और जिंक जैसे खनिज का भी बेहतरीन स्रोत माना जाता है। इसके अतिरिक्त इसमें कई जरूरी फाइटोन्यूटरिएंट्स भी होते हैं। 

5. पौष्टिक तत्व (मात्रा प्रति 100 ग्राम) –

पानी                               6.3 ग्रा.

एनर्जी                     375 kcal

टोटल लिपिड             0.05 ग्रा.

कार्बोहाइड्रेट             93.55 ग्रा.

फाइबर, कुल डाइटरी        0.2 ग्रा.

कैल्शियम                     3 मि.ग्रा.

फास्फोरस                     4 मि.ग्रा.

पोटेशियम                     37 मि.ग्रा.

मैग्नीशियम                     2 मि.ग्रा.

आयरन                     0.13 मि.ग्रा.

सोडियम                     50 मि.ग्रा.

शुगर                             70 ग्रा.

जिंक                             0.05 मि.ग्रा.

कॉपर                            0.028 मि.ग्रा.

सेलेनियम                     1.1 माइक्रो.ग्रा.

थायमिन                     0.004 मि.ग्रा.

राइबोफ्लेविन             0.011 मि.ग्रा.

नियासिन                       0.008 मि.ग्रा.

विटामिन-बी6           0.004 मि.ग्रा.

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मुलेठी के रूप – Mulethi

मुलेठी निम्न रूप में मिलती है –

1. डंडी यानी ठोस रूप में। 

2. पाउडर के रूप में।

3. टेबलेट के रूप में।

4. कैप्सूल के रूप में 

5. तेल के रूप में 

मुलेठी का उपयोग – Use of Mulethi

मुलेठी का निम्न प्रकार से इस्तेमाल किया जा सकता है –

1. मुलेठी को ऐसे ही चूसा जा सकता है। 

2. मुलेठी को पानी के साथ सेवन किया जा सकता है। रात को इसके कुछ टुकड़े पानी में भीगने के लिये रख दें। सुबह इन टुकड़ों को कूटकर इनका रस पीयें।

3. मुलेठी के पाउडर को ठंडे/गर्म पानी में घोलकर पीया जा सकता है।

4. मुलेठी के पाउडर को सौंफ़ के पाउडर के साथ पानी में मिलाकर पीया जा सकता है। 

5. मुलेठी पाउडर को दूध में डालकर भी पीया जा सकता है। 

6. त्वचा में निखार लाने के लिये मुलेठी पाउडर को नींबू के रस के साथ पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगाया जा सकता है। 

7. मुलेठी के तेल को बालों की समस्या के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है।

मुलेठी कितनी खानी चाहिये? – How Much Mulethi Should be Eaten

1. दोस्तो, सबसे पहले तो हम आपको बता दें कि मुलेठी का सेवन किसी भी समय, यानी सुबह, शाम या रात, में सेवन कर सकते हैं। 

2. मुलेठी का सेवन बहुत ही कम मात्रा में करना चाहिये, यानी टुकड़े के रूप में बहुत ही छोटा टुकड़ा खायें। 

3. पाउडर के रूप में 3-5 ग्राम की मात्रा में इसका सेवन करें।

4. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशानिर्देशों के अनुसार, प्रतिदिन मुलेठी की खुराक 75 मिलीग्राम से कम होनी चाहिये। 

किन लोगों को मुलेठी का सेवन नहीं करना चाहिए? – Which People Should not Consume Mulethi 

1. जो लोग हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त हैं।

2. जिन लोगों को लो पोटेशियम लेवल की समस्या है।

3. गर्भावस्था में मुलेठी का सेवन नहीं करना चाहिये क्योंकी यह गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु के लिये हानिकारक हो सकती है। इससे बच्चे के मस्तिष्क के विकास में नुकसान हो सकता है।

4. हाइपोकलेमिया (hypokalemia) के मामले में।

5. क्रोनिक हेपेटाइटिस (Chronic hepatitis) के मामले में।

6. कोलेस्टेटिक लिवर डिजिज (Cholestatic liver disease) वाले रोगी।

7. लिवर सिरोसिस (Liver cirrhosis) के मामले में।

8. हृदय संबंधी रोग में।

9. गंभीर किडनी की समस्याओं  (Severe kidney problems) वाले मरीज।

10. एड्रेनल ग्लैंड में ट्यूमर (A tumor in adrenal glands) वाले मरीज।

11. हाइपोथायरॉइडिज्म (hypothyroidism) की समस्या वाले लोग।

12. किसी भी प्रकार की एलर्जी है तो मुलेठी का सेवन डॉक्टर की सलाह पर करें। 

13. किसी प्रकार की दवा ले रहे हैं तो मुलेठी का सेवन डॉक्टर की सलाह पर करें। कुछ विशेष प्रकार की दवाओं के साथ इसका सेवन ना करें। इसका जिक्र हम आगे करेंगे। 

किन दवाओं के साथ मुलेठी का सेवन नहीं करना चाहिए – With Which Medicines Mulethi Should not be Consumed

1. ब्लड प्रेशर की दवाओं के साथ।

2. खून को पतला करने वाली दवाओं के साथ।

3. पोटेशियम के स्तर को कम करने की दवा के साथ।

4. हृदय रोग की दवाओं के साथ।

5. वॉटर पिल्स के साथ।

6. कोर्टिकोस्टेरॉयड (स्टेरॉयड हार्मोन का एक वर्ग)।

मुलेठी के फायदे – Benefits of Mulethi

दोस्तो, मुलेठी के फायदे बताने से पहले देसी हैल्थ क्लब यह स्पष्ट करता है कि मुलेठी का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। चूंकि मुलेठी के महिलाओं के लिये विशेष फायदे हैं इसलिये हम पहले महिलाओं के लिये फायदे बतायेंगे, फिर सामान्य फायदे बतायेंगे जो सभी के लिये हैं। सभी फायदों का विवरण निम्न प्रकार है –

1. ल्यूकोरिया से राहत दिलाये (Get Relief from Leucorrhoea)- महिलाओं में श्वेत प्रदर यानी महिला के गुप्तांग से सफेद, पीले, हल्के नीले रंग का चिपचिपा और बदबूदार पानी बहते रहना, की समस्या अक्सर हो जाया करती है। इसे सफेद पानी या ल्यूकोरिया कहा जाता है। ऐसा महिलाओं में पीरियड से एक, दो दिन पहले या बाद में होता है। यदि यह समस्या ज्यादा दिनों चलती है तो गुप्तांग में खुजली और जलन पैदा हो जाती है। इससे महिला में बेचैनी, लगातार कमर दर्द, बदन दर्द, सिर दर्द, कमजोरी, थकावट और स्वभाव में चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण प्रकट होने लगते हैं। इस समस्या में मुलेठी रामबाण औषधी के रूप में अपना प्रभाव दिखाती है। इसके लिये एक गिलास पानी में आधा-आधा चम्मच मुलेठी का पाउडर घोलकर सुबह और शाम पीयें। ल्यूकोरिया पर विस्तृत जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “Likoria का घरेलु इलाज” पढ़ें।

2. मासिक धर्म में आराम दिलाये (Ease Menstruation)- महिलाओं में मासिक धर्म होना, प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें महिला को इस दौरान असहनीय दर्द को झेलना पड़ता है, कमर कटने लगती है और पेट में ऐंठन होती है। नारी की इस पीड़ा को केवल नारी ही समझ सकती है। मुलेठी के सेवन से इस पीड़ा को कुछ कम किया जा सकता है। इसके लिये पीरियड्स शुरू होने से तीन दिन पहले से मुलेठी की चाय पीना शुरू कर दें। मुलेठी की चाय से तात्पर्य है कि एक गिलास पानी में आधी या एक चम्मच मुलेठी पाउडर डालकर उबालें और इसे छानकर धीरे-धीरे चाय की तरह पीयें। पीरियड पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारे पिछले आर्टिकल “पीरियड समय पर लाने का घरेलू उपाय” पढ़ें।

3. रजोनिवृत्ति की समस्याओं में फायदेमंद (Beneficial in Menopausal Problems) – महिलाओं में रजोनिवृत्ति (Menopause) की स्थिति 45 से 55 वर्ष की उम्र के दौरान आती है। यह वो स्थिति होती है जिसमें मासिक धर्म आना स्थाई रूप से बंद हो जाता है। यह अनेक समस्याओं से घिरी स्थिति होती है जिसमें महिला को Hot Flash महसूस होने लगता है। इसमें महिला को चेहरे, गर्दन या सीने पर गर्माहट महसूस होती है। रजोनिवृत्ति की स्थिति में महिला में हार्मोन असंतुलित होने लगते हैं जिसकी वजह से रात को नींद ना आना, रात को पसीना आना, अवसाद (Depression), प्राइवेट पार्ट में सूखापन जैसे लक्षण प्रकट होने लगते हैं। 

इन सब समस्याओं से निपटने के लिये मुलेठी अपनी सक्रिय भूमिका निभाती है। इसमें पाये जाने वाले फायटोएस्ट्रोजैनिक यौगिक (Phytoestrogenic Compounds) शरीर में हार्मोन में संतुलन बनाये रखने का काम करते हैं ताकि इन लक्षणों से राहत मिल सके। आण्विक तंत्रिका विज्ञान के जर्नल में प्रकाशित एक 2003 के अध्ययन से पता चलता है कि मुलेठी सेरोटोनिन को रोकती है, जिससे रजोनिवृत्ति के पहले और बाद में अवसाद के इलाज में सहायक होती है। इसके अतिरिक्त मुलेठी में पाये जाने वाले मैग्नीशियम, कैल्शियम और बीटा कैरोटीन जैसे खनिज और फ्लेवोनॉइड्स अवसाद को खत्म करने में मदद करते हैं। इसके लिये मुलेठी की चाय का सेवन डॉक्टर की सलाह के अनुसार किया जा सकता है। 

4. गले में दर्द, सूजन, खांसी में लाभकारी (Beneficial in sore throat, swelling, cough)- दोस्तो, गले की समस्याओं के लिये मुलेठी रामबाण उपाय है। सर्दियों में अक्सर गला खराब हो जाता है, गले में सूजन, खराश, दर्द की समस्या हो जाती है, खांसी भी बन जाती है। कभी-कभी गला भी बैठ जाता है। गला बैठने की समस्या गायक कलाकारों को होती रहती है। इन सब समस्याओं के लिये मुलेठी आराम दिलाती है। मुलेठी के एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक और एंटीइंफ्लामेटरी गुण दर्द और सूजन को कम करने का काम करते हैं। इसके लिये मुलेठी का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसते रहें। सूखी खांसी में एक छोटी चम्मच मुलेठी पाउडर को शहद में मिलाकर दिन में दो, तीन बार चाटें।  

5. श्वसन तंत्र के लिये फायदेमंद (Beneficial to the Respiratory System)- मुलेठी के एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लामेटरी गुण श्वसन नलियों की सूजन को दूर करने और वायुमार्ग को शांत करने में का कार्य करते हैं। इसके एंटीमाइक्रोबियल और एंटीवाइरल गुण श्वास की बीमारियों और बलगम का कारण होने वाले रोगाणुओं से लड़कर संक्रमण से बचाते हैं। इसके लिये एक छोटी चम्मच मुलेठी पाउडर को शहद में मिलाकर दिन में दो, तीन बार चाटें इससे गले की जलन भी शांत हो जायेगी। मुलेठी की जड़ की चाय बनाकर भी दिन में दो, तीन बार पी सकते हैं। 

6. मौखिक स्वास्थ्य के लिये (Oral Health)- कई बार दांतों और मसूड़ों की समस्या के कारण मुंह और सांस से बदबू आने लगती है। इनसे राहत पाने के लिये मुलेठी की नरम डंडी को दातुन के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। या मुलेठी युक्त माउथवॉश का उपयोग करें। मुलेठी युक्त टूथपेस्ट भी बाजार में मिल जाते हैं, इनका उपयोग करें या मुलेठी के पाउडर को पानी के साथ गाढ़ा पेस्ट बनाकर बतौर टूथपेस्ट इस्तेमाल करें। मुलेठी के एंटीबैक्टीरियल और एंटीमाइक्रोबियल गुण मुंह में कैविटी वाले बैक्टीरिया को पनपने से रोकते हैं, प्लाक को कम करते हैं, जिससे मुंह की बदबू खत्म हो जाती है।

7. मुंह में छालों के लिए (Mouth Ulcers)- दोस्तो, मुंह में छाले हो जायें तो बहुत तकलीफ़ होती है, खाना तो सटका ही नहीं जाता, पानी पीने में भी परेशानी होती है। ऐसे में मुलेठी रामबाण बनकर आती है और इस समस्या से छुटकारा दिलाती है। इसके लिये एक गिलास पानी में एक छोटी चम्मच मुलेठी पाउडर अच्छे से मिलाकर गरारे करें। याद रखिये केवल गरारे करने हैं, इस पानी को पीना नहीं है। गरारे दिन में तीन, चार बार करें। या मुलेठी की गोलियों को भी पानी में घोलकर गरारे कर सकते हैं। मुंह के छालों पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “मुंह में छालों का देसी इलाज” पढ़ें। 

8. हिचकी से छुटकारा दिलाए (Get Rid of Hiccups)- दोस्तो, हिचकी आना एक सामान्य सी बात है जो दो, चार हिचकी के बाद अपने आप बंद हो जाती है या कुछ देर बाद। परन्तु यदि हिचकी 48 घंटे के बाद भी चले तो यह गंभीर मसला हो जाता है और बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हिचकी आने का मुख्य कारण होता है डायफ्राम का संकुचन या इस पर पड़ने वाला दबाव। इससे पहले कि यह लंबी चले, और जल्दी बंद ना हो, तो मुलेठी को अपनाना चाहिये। मुलेठी की एक टुकड़ा मुंह में रखें और चूसते रहें। थोड़ी देर के बाद हिचकी अपने-आप आना बंद हो जायेगी।  

9. लिवर स्वास्थ्य के लिये लाभकारी (beneficial for Liver Health)- मुलेठी के फायदे पीलिया, हेपेटाइटिस और गैर शराबी (non alcoholic) फैटी लिवर जैसे लिवर रोगों में देखे जा सकते हैं। मुलेठी में पाये जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट मुक्त कणों (Free radicals) और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर लिवर को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। हेपेटाइटिस लिवर की सूजन और इसको क्षतिग्रस्त करने का कारण बनता है। मुलेठी का हेपोप्रोटेक्टिव (Hepatoprotective) प्रभाव एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव को बढ़ाकर इसे क्षतिग्रस्त होने से बचाता है। एनसीबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, अर्क के रूप में मुलेठी के सेवन से फैटी लिवर (Liver steatosis) से बचने में मदद मिलती है। लिवर को स्वस्थ रखने के लिये एक गिलास पानी में मुलेठी की जड़ का आधा चम्मच पाउडर डालकर अच्छी तरह उबालें और छान कर चाय की तरह पीयें रोजाना दिन में एक बार पीयें। इसे एक सप्ताह तक पीयें और कुछ सप्ताह के लिये बंद कर दें। कुछ सप्ताह के ब्रेक के बाद दुबारा एक सप्ताह के लिये शुरु कर सकते हैं। बेहतर होगा मुलेठी का सेवन लिवर के लिये करने से पहले डॉक्टर की सलाह ले लें।  

10. इम्युनिटी बढ़ाये (Boost Immunity)- मुलेठी में पाये जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटीबैक्टीरियल, एंटीमाइक्रोबियल आदि गुण शरीर के अंदर हमला करने वाले जीवाणुओं को खत्म करके बीमारियों से बचाते हैं। मुलेठी के गुण शरीर से Free radicals और विषैले पदार्थों को बाहर निकालकर इम्युनिटी को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। मुलेठी लिम्फोसाइट्सऔर मैक्रोफेज जैसे रसायनों के उत्पादन में मदद करते हुऐ शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करती है। इसके लिये सुबह मुलेठी के छोटे टुकड़े को खाया जा सकता है या मुलेठी की चाय बनाकर पीयें। इम्युनिटी पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “इम्युनिटी सिस्टम को बढ़ाने के उपाय” पढ़ें। 

11. मस्तिष्क के लिये फायदेमंद(Beneficial to the Brain) – मुलेठी में ग्लाइसीराइजिक एसिड (Glycyrrhizic acid) नामक कार्बनिक यौगिक मौजूद होता है, जो वस्तुतः मुख्य रूप से न्यूरोप्रोटेक्टिव (neuroprotective) प्रभाव छोड़ता है और मस्तिष्क के कार्यों को सक्रिय रूप से करने में मदद करता है। यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने सूजन की वजह से मस्तिष्क को होने वाली क्षति से बचाने में मदद करता है। इसके लिये मुलेठी पाउडर को सब्जी के साथ भूनकर खायें। 

12. पाचन के लिये फायदेमंद (Beneficial for Digestion)- मुलेठी की जड़ पाचन के लिये बेहद फायदेमंद है। पाचन समस्याओं जैसे, एसिडिटी, गैस, कब्ज़, सीने में जलन, पेट के अल्सर, पेट की सूजन आदि से राहत दिलाने में मदद करती है। इसके एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पेट की सूजन को कम करने और एंटीबैक्टीरियल गुण संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं। इसका हल्का रेचक प्रभाव मल त्याग को आसान बनाने में सक्रिय भूमिका निभाता है। पाचन के लिये मुलेठी की जड़ के पाउडर की चाय बनाकर सप्ताह में दो या तीन बार पीयें। 

13 वज़न कम करने में सहायक (Weight Loss)- मुलेठी में पाये जाने वाले फ्लेवोनाइड्स शरीर और आंत के फैट को कम करने में मदद करते हैं। मुलेठी की जड़ के अर्क में एंटीओबेसिटी (Antiobesity) प्रभाव पाये जाते हैं जो वस्तुतः वजन को कम करने में मदद करता है। अनुसंधान और नैदानिक अभ्यास जर्नल में प्रकाशित 2009 के एक अध्ययन में से पता चलता है कि मुलेठी का तेल अधिक वजन वाले लोगों में फैट को कम करने में मदद करता है। इसके लिये पानी के साथ मुलेठी पाउडर या मुलेठी के अर्क का सेवन किया जा सकता है। बेहतर होगा कि इसके लिये डॉक्टर की सलाह ले ली जाये। 

14. बालों के लिये (For Hair)- एक रिसर्च के मुताबिक मुलेठी की जड़ से मिलने वाले हाइड्रो-अल्कोहलिक अर्क में हेयर ग्रोथ प्रभाव होता है जो यह बालों को बढ़ाने में मदद करता है। इसलिये बालों की समस्या खत्म करने और बालों को स्वस्थ रखने के लिये मुलेठी युक्त शैम्पू का उपयोग किया जा सकता है। इससे बालों की जड़ें मजबूत होंगीं और उनका ग्रोथ होगा। इसका क्लिंजिंग प्रभाव बालों को साफ करने में मदद करता है।

मुलेठी के नुकसान – Side Effects of Mulethi

मुलेठी के अधिक सेवन से और लंबे समय तक खाने से हो सकते हैं निम्नलिखित नुकसान –

1. हाई ब्लड प्रेशर।

2. द्रव प्रतिधारण (fluid retention)।

3. ऊर्जा में कमी होना।

4. क्रोनिक थकान। 

5. चयापचय असामान्यताएं (metabolism abnormalities)।

6. सिर दर्द। 

7. सूजन (Edema)।

8. मांसपेशियों में कमजोरी या ऐंठन। जोड़ों की कठोरता।  

9. शरीर में पोटेशियम की कमी हो सकती है जिससे मूत्र संबंधी समस्या हो सकती है।

10. हृदय संबंधी समस्या हो सकती है।

11. श्वास रोग।

12. टेस्टोस्टेरोन हार्मोन स्तर में कमी से पुरुष में नपुंसकता हो सकती है। 

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको मुलेठी के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मुलेठी क्या है, मुलेठी की खेती, मुलेठी के गुण, मुलेठी का रूप, मुलेठी का उपयोग, मुलेठी कितनी खानी चाहिये, किन लोगों को मुलेठी का सेवन नहीं करना चाहिये और किन दवाओं के साथ मुलेठी का सेवन नहीं करना चाहिये, इन सब के बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से मुलेठी के बहुत सारे फायदे बताये और कुछ नुकसान भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा। 

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।
Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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मुलेठी के फायदे और नुकसान
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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको मुलेठी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मुलेठी क्या है, मुलेठी की खेती, मुलेठी के गुण, मुलेठी का रूप, मुलेठी का उपयोग, मुलेठी कितनी खानी चाहिये, किन लोगों को मुलेठी का सेवन नहीं करना चाहिये और किन दवाओं के साथ मुलेठी का सेवन नहीं करना चाहिये, इन सब के बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया।
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