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शतावरी के फायदे और नुकसान – Benefits and Side Effects of Shatavari in Hindi

शतावरी के फायदे और नुकसान

दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आज हम आपको एक ऐसे पौधे के बारे में जानकारी देंगे भारत में जो हिमालयन क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से उगता है या उगाया जाता है। कहने को तो यह सब्जी है लेकिन प्रसिद्ध है जड़ी बूटी के रूप में। इसके फायदे तो अनेक हैं या यूं कहें कि सौ से भी अधिक बीमारियों के उपचार में काम आती है लेकिन बदनाम है सेक्स पॉवर बढ़ाने के रूप में। जैसे अश्वगंधा, शिलाजीत या केसर का नाम आते ही लोगों के दिमाग बस उसी की तरफ जाता है, सेक्स की ओर। और कुछ फायदे नज़र नहीं आते। आज के आर्टिकल में हम इसी सोच को बदलने का प्रयास करेंगे। हम जिस जड़ी बूटी के बारे बतायेंगे वह महिलाओं के लिये विशेष है, उनको विशेष फायदा पहुंचाती है। हम बात कर रहे हैं शतावरी की। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “शतावरी के फायदे और नुकसान”। देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से आज आपको शतावरी के बारे विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि इसे खाने के क्या फायदे होते हैं और क्या नुकसान।  तो, सबसे पहले जानते हैं कि शतावरी क्या है, इसका महत्व क्या है और यह कहां पायी जाती है?  इसके बाद फिर अन्य बिन्दुओं (Points) की जानकारी देंगे। 

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शतावरी के फायदे और नुकसान
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शतावरी क्या है? – What is Shatavari?

लिली परिवार से जुड़ी शतावरी, औषधियों पौधा है जो लता (बेल) के रूप में उगता है। यह, पहाड़ी क्षेत्र, जंगलों और मैदानी इलाकों में उगती है। यह बेल एक मीटर से दो मीटर तक लंबी होती है और अनेक शाखाओं से युक्त काँटेदार होती है। इसकी जड़ों के गुच्छे होते हैं। एक बेल के नीचे लगभग 100 से ज्यादा जड़ें होती हैं। इसकी काँटे रहित प्रजाति हिमलाय में 4 से 9 हजार फीट की ऊँचाई पर मिलती है। इसे एस्पेरेगस फिलिसिनस कहा जाता है। इसको अनेक नामों से जाना जाता है जैसे ‘शतावर’, ‘शतावरी’, ‘सतावरी’, ‘सतमूल’ और ‘सतमूली’। शतावरी तीन रंगो में मिलती है, सफ़ेद, हरी और बैगनी। सन् 1799 में शतावरी की पहचान की गई थी। वस्तुतः शतावरी को भारत में वसंत ऋतु की एक सब्जी के रूप में जानी जाती है और पहाड़ी क्षेत्र में खाई भी जाती है। परन्तु इसे जड़ी बूटी के रूप में प्रसिद्धि मिली। 

शतावरी का महत्व क्या है? – What is the Importance of Shatavari?

इस जड़ी बूटी के महत्‍व इसी बात से सिद्ध हो जाता है कि  आयुर्वेद में शतावरी को “जड़ी बूटियों की रानी”, “औषधियों की रानी” और “सौ रोगों में प्रभावकारी” कहा गया है। चरक संहिता और अष्‍टांग हृदयम में शतावरी को स्त्रियों के लिये “शक्‍तिवर्द्धक” कहा गया है। ये विशेषण जड़ी बूटी की दुनियां में शतावरी को अद्वितीय बनाते हैं। आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ. दीक्षा भवसार के अनुसार शतावरी का अर्थ “सौ जड़ों वाली जड़ी-बूटी” होता है। डॉ। दीक्षा इसे “महिलाओं की सबसे सच्ची साथी” मानती हैं जो हर पड़ाव पर महिलाओं के जननांग और हार्मोन को स्वस्थ रखने में मदद करती है। यह महिलाओं के लिए एक उत्तम टॉनिक है।  इसका उपयोग महिलाओं में बांझपन को दूर करने, महिलाओं के स्तन में दूध की मात्रा बढ़ाने, मूत्र विसर्जन के समय होने वाली जलन को कम करने, कामोत्तेजना की कमी दूर करने, रजोनिवृत्ति के लक्षणों के उपचार के लिये किया जाता है। इनके अतिरिक्त इसका उपयोग तंत्रिका प्रणाली, पाचन-तंत्र से जुड़ी बीमारियों, गले के संक्रमण, ब्रोंकाइटिस, अनिद्रा की बीमारी और शारीरिक कमजोरी के उपचार के लिये किया जाता है। शतावरी, पुरुषों की यौन समस्याओं के उपचार में और काम क्षमता को बढ़ाने के लिये अत्यंत लाभदायक होती है। शतावरी का उपयोग सिद्धा (सिद्ध चिकित्सा प्रणाली) और होम्योपैथिक दवाइयों में भी किया जाता है। भारत में विभिन्न प्रकार की औषधियां  बनाने के लिये प्रति वर्ष 500 टन शतावर की जड़ों की आवश्यकता होती है। 

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शतावरी कहां पाई जाती है? – Where is Shatavari found?

यह अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, चीन, नेपाल, श्रीलंका और हिमालयी क्षेत्र में उगती है। भारत में यह हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, अरूणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल और मध्यप्रदेश में उगती है। यह मध्यप्रदेश में तो पन्ना में सारंग मंदिर की पहाडियों से लेकर कालिंजर और काल्दा पठार तक भरपूर मात्रा में प्राकृतिक रूप से उपजती है। 

शतावरी के गुण – Properties of Shatavari

1. शतावरी में ऐस्मेरेगेमीन-ए नामक पॉलिसाइक्लिक एल्कालॉइड, स्टेराइडल सैपोनिन, शैटेवैरोसाइड-ए, शैटेवैरोसाइड-बी, फिलियास्पैरोसाइड-सी और आइसोफ्लेवोंस जैसे महत्वपूर्ण रासायनिक घटक पाये जाते हैं जो शतावरी को औषधिय गुण प्रदान करते हैं। 

2. डॉ. दीक्षा भवसार के अनुसार शतावरी का स्वाद मीठा-कड़वा जैसा होता है। 

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3. इसकी तासीर ठंडी होती है जो शरीर में वात और पित्त दोष को संतुलित करती है। यह शीतलता और नमी प्रदान करती है। 

4. बायोएक्टिव घटकों के अतिरिक्त शतावरी के पौधे में  मैंगनीज, कॉपर, जिंक, कोबाल्ट, पोटेशियम, सेलेनियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे  पोषक तत्व और खनिज होते हैं।  

5. पोषक तत्वों का विवरण (मात्रा प्रति 100 ग्राम) –

पानी                      93.22 ग्राम

ऊर्जा                     20kcal

प्रोटीन                    2.20 ग्रा.

कुललिपिड (वसा)   0.12 ग्रा.

कार्बोहाइड्रेट           3.88ग्रा.

फाइबर (डाइट्री)         2.1 ग्रा.

कैल्शियम                 24 मि.ग्रा.

आयरन                 2.14 मि.ग्रा.

मैग्नेशियम               14 मि.ग्रा.

फॉस्फोरस               52 मि.ग्रा.

पोटैशियम             202 मि.ग्रा.

सोडियम                   2 मि.ग्रा.

जिंक                       0.54 मि.ग्रा.

शुगर (कुल)         1.88 ग्रा.

कोलेस्ट्रॉल               0 मि.ग्रा.

विटामिन-सी,

कुल एस्कॉर्बिक एसिड 5.6 मि.ग्रा.

थायमिन                  0.143 मि.ग्रा.

नियासिन                 0.978 मि.ग्रा.

रिबोफ्लेविन             0.141 मि.ग्रा.

विटामिन-बी6           0.091 मि.ग्रा.

फोलेट, डीएफई         52μg

विटामिन-बी12         0.00μg

विटामिन-ए, आरएइ   38μg

विटामिन-ए, आईयू     756 IU

विटामिन-ई

(अल्फा-टोकोफेरॉल)   1.13 मि.ग्रा.

विटामिन-के 

(फिलोकिओनोन)     41.6 μg

फैटीएसिड

टोटल सैचुरेटेड             0.040 ग्रा. 

टोटल 

मोनो अनसैचुरेटेड       0.000 ग्रा.

टोटल 

पॉली अनसैचुरेटेड       0.050 ग्रा.

शतावरी का उपयोग – Use of Shatavari

दोस्तो, शतावरी का उपयोग आप निम्नलिखित कई रूपों में कर सकते हैं –

1. चूर्ण के रूप में – आधा चम्मच शतावरी चूर्ण गुनगुने दूध के साथ रोजाना, रात को। 

2 जूस के रूप में – शतावरी का ताजा जूस निकालकर पीयें।

3. उबाल कर – शतावरी को उबाल कर बहुत हल्का नमक, मिर्च मिलाकर खा सकते हैं। 

4. सब्जी बनाकर – जैसे अन्य सब्जियां बनती हैं वैसे ही शतावरी की सब्जी बनाकर खा सकते हैं। जड़ें काट कर अलग करनी होंगी। 

5. सलाद के रूप में – छोटा-छोटा काट कर हरे सलाद के रूप में इसका सेवन कर सकते हैं।

6. सनैक्स के रूप में – शतावरी को रोस्ट करके या तल कर पका कर हल्के मिर्च मसाले मिलाकर स्नैक्स के रूप में खा सकते हैं। 

7. काढ़े के रूप में – शतावरी की जड़ का काढ़ा बनाकर (10-30 मि।ली।) पीयें। मूत्र संबंधी रोगों में फायदा होगा। 

8. कैप्सूल के रूप में – शतावरी के कैप्सूल भी आते हैं। इनका सेवन डॉक्टर/विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार करें। 

शतावरी की मात्रा – Amount of Shatavari

1. रस –        10 से 20 मि.ली.

2. काढ़ा –     50 से 100 मि.ली.

3. चूर्ण –       3 से 6 ग्राम

4. कैप्सूल –  डॉक्टर/विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार।

शतावरी के फायदे – Benefits of Shatavari

1. मासिक धर्म से पहले की समस्या (Premenstrual Problem)- महिलाओं को मासिक धर्म से पहले की सूजन, दर्द, ऐंठन बहुत पीड़ा देते हैं। इसके लिये शतावरी का अर्क (Juice) बहुत लाभ पंहुचता है। यह अर्क प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के लक्षणों और मूड स्विंग को कम करने में मदद करता है। सूजन, ऐंठन से भी राहत मिल जायेगी। 

2. मासिक धर्म में लाभकारी (Beneficial in Menstruation)- शतावरी का सेवन मासिक धर्म से संबंधित समस्याओं को दूर करने में अत्यंत लाभकारी है। मासिक धर्म के समय बहुत अधिक रक्त श्राव होना या बार-बार होना, पेट में, कमर में दर्द, ऐंठन आदि से शतावरी का अर्क राहत दिलाने में मदद करता है। शतावरी प्रजनन हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन में संतुलन बनाये रखने का काम करती है जिससे मासिक धर्म नियमित रहता है।

3. प्रजनन समस्याओं को दूर करे (Cure Fertility Problems)- शतावरी में पाये जाने वाले स्टेरॉयडल सैपोनिन प्रजनन हार्मोन एस्ट्रोजन को बढ़ाते हैं और प्रोजेस्टेरोन ऋतु चक्र यानी मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करते हैं। जिन महिलाओं को गर्भ धारण करने में समस्या आती है उनको शतावरी का सेवन करने की सलाह दी जाती है।  प्रत्येक महीने महिला के अंडाशय के द्वारा एक परिपक्व अंडा उत्पन्न होता है। इसे अंडोत्सर्ग अर्थात् ओवुलेशन (Ovulation) प्रक्रिया कहा जाता है। इसी समय के आसपास एक महिला द्वारा गर्भ धारण करने की संभावना सबसे अधिक होती है। यह ओवुलेशन प्रक्रिया मासिक धर्म चक्र पर निर्भर करती है। आमतौर पर ओवुलेशन मासिक धर्म चक्र के 15वें दिन होता है, लेकिन यह प्रक्रिया हर महिला में अलग अलग हो सकती है। इसकी विस्तृत जानकारी हमारे पिछले आर्टिकल “आई वी एफ़ (I.V.F) क्या है? में मिल जायेगी और यह भी जानकारी मिल जायेगी कि बांझपन क्या होता है। कुछ महिलाओं में ओवुलेशन प्रक्रिया में समस्या हो जाती है ओवुलेशन चक्र समय पर नहीं आता यानी दो पीरियड्स के बीच भी यह ओवुलेशन नहीं होता। मासिक धर्म चक्र भी अनियमित हो जाता है। शतावरी के सेवन से मासिक धर्म चक्र भी नियमित हो जायेगा और ओवुलेशन फेस भी सही हो जायेगा जिससे महिला गर्भ धारण कर सकेगी। 

4. गर्भावस्था में फायदेमंद (Beneficial in Pregnancy)- शतावरी गर्भवती महिलाओं के लिये एक उत्तम टॉनिक है। गर्भवती महिलाओं को गर्भ के दौरान भोजन में अतिरिक्त पोषक तत्‍वों और खनिज पदार्थों की जरूरत होती है। शतावरी फोलेट जिसे विटामिन-बी6 भी कहा जाता है का अच्छा श्रोत है। यह गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क और सभी अंगों के विकास के लिये अपनी सक्रिय भूमिका निभाता है। गर्भवती महिला को शतावरी चूर्ण का सेवन करना चाहिये। बेहतर होगा यदि एक से दो ग्राम शतावरी चूर्ण को बराबर मात्रा में सोंठ, अजगंधा, मुलैठी और भृंगराज के साथ मिलाकर बकरी के दूध के साथ पीया जाये। इससे गर्भस्थ शिशु स्वस्थ रहेगा।

5. स्तनों में दूध बढ़ाये (Increase Breast Milk)- शतावरी महिला के स्तन ग्रंथियों में दूध के उत्पादन को बढ़ा कर उसकी गुणवत्ता को भी बढ़ाती है। शतावरी में शक्तिशाली गैलेक्टगॉग होता है। गैलेक्टगॉग प्राकृतिक या सिंथेटिक पदार्थ है जो दूध उत्पादन को बढ़ाता है। शतावरी में यह प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। इसके लिये शिशु को दूध पिलाने वाली महिलाओं को 10 ग्राम तक शतावरी की जड़ से बना चूर्ण को दूध के साथ इस्तेमाल करना चाहिये। या शतावरी की जड़ को पानी के साथ पीसकर पेस्ट बना लें। एक या दो ग्राम पेस्ट को गाय के दूध में मिक्स करके पीयें। 

6. महिलाओं में कामेच्छा बढ़ाये (Increase Libido in Women)- दोस्तो, शतावरी महिलाओं की सच्ची साथी है और उनके लिये उत्तम टॉनिक। महिलाओं के लिये इसके फायदों में आपने देखा कि यह उनके मासिक धर्म पूर्व और मासिक धर्म के समय की समस्याओं से छुटकारा दिलाती है, प्रजनन समस्याओं को दूर कर गर्भ धारण करने में सहायता करती है, गर्भस्थ शिशु के विकास में सहायक है और महिला के स्तनों में दूध बढ़ाकर गुणवत्ता बढ़ाती है।  इसके अतिरिक्त एक बहुत ही महत्वपूर्ण फायदा यह पहुंचाती कि जिन महिलाओं में कामेच्छा मर चुकी है उसे जागृत करती है। हमारे पिछले आर्टिकल “महिलाओं में कामेच्छा की कमी को दूर करने के देसी उपाय में विस्तार से जानकारी दी गई है। शतावरी में पाये जाने वाला एस्‍ट्रोजेनिक गुण महिलाओं में कामेच्‍छा को बढ़ाने और मनोदशा को नियंत्रित करने में मदद करता है। शतावरी महिलाओं के जननांग और हॉर्मोन को स्वस्थ बनाये  रखती है। इसमें पाये जाने वाला फाइटोएस्ट्रोजन तत्व, हार्मोन में संतुलन बनाए रखता है और महिलाओं के अंग को उत्तेजित कर सेक्स करने की इच्छा को प्रचंड करता है। इसके लिये महिलाऐं गुनगुने दूध या गुनगुने पानी में या चाय कॉफी में 5 ग्राम शतावरी चूर्ण ले सकती हैं। या शतावरी की जड़ को पीसकर इस पाउडर को पानी में डाल कर उबाल लें। जब थोड़ा ठंडा हो जाये तो पी लें। या शतावरी के कैप्सूल डॉक्टर की सलाह के अनुसार लें।

7. प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ाये (Boost Immune System)- एंटीऑक्सीडेंट के गुणों वाली शतावरी में ग्लुटाथाईओन होता है जो शरीर से गन्दगी बहार निकलने और कार्सिनोजन का खत्म करता है। इस पदार्थ से इम्युनिटी बढ़ती है। शतावरी में प्रोबायोटिक भी होते हैं जिनसे रोग प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनती है। शतावरी को आप किसी भी रूप में सेवन कर सकते हैं। सर्दी जुकाम से राहत पाने के लिये शतावरी की जड़ का काढ़ा बनाकर पी सकते हैं। 

8. शारीरिक कमजोरी दूर करे (Remove Physical Weakness)- एंटीऑक्सीडेंट के गुणों से युक्त शतावरी पोषक तत्वों, विटामिन्स् और खनिज पदार्थों का खजाना है जो शारीरिक कमजोरी को दूर करने में मदद करते हैं और ऊर्जा प्रदान करते हैं। शारीरिक कमजोरी दूर करने के बारे में हमने पिछले आर्टिकल “शारीरिक कमजोरी दूर करने के उपाय में विस्तार से जानकारी दी है। एक-एक चम्मच शतावरी और सफेद मूसली के चूर्ण को आपस मिलाकर एक गिलास गर्म दूध में मिलाकर पीयें लेकिन इसे पीने के बाद एक घंटे तक कुछ ना खायें। शारीरिक कमजोरी बहुत जल्दी खत्म हो जायेगी।

9. अनिद्रा रोग में लाभदायक (Beneficial in Insomnia)- आंखों में नींद होते हुऐ भी और चाह कर भी ना सो पाना बहुत कष्टकारी होता है। नींद ना आने के कारण शरीर में थकान बनी रहती है। शरीर की चुस्ती स्फूर्ति खत्म हो जाती है। यह स्थिति जब ज्यादा दिनों, हफ्तों या महीनों तक बनी रहे तो यह एक गंभीर समस्या और इंसोमनिया यानी अनिद्रा कहलाती है। इस संबंध में विस्तृत जानकारी हमारे पिछले आर्टिकल “इंसोमनिया से राहत पाने के उपाय पर उप्लब्ध है। इस नींद ना आने की समस्या से राहत पाने के लिये शतावरी चूर्ण का उपयोग करना चाहिये। दो से चार ग्राम शतावरी चूर्ण को दूध में उबालकर, शुद्ध देसी घी मिलाकर पीयें। जल्दी ही इस रोग से मुक्ति मिल जायेगी। 

10. खांसी में फायदेमंद (Beneficial in Cough)- खांसी के उपचार में शतावरी बहुत फायदा पहुंचाती है। खांसी और गले की खराश दूर करने के लिये शतावरी की जड़ के रस का सेवन करें। सूखी खांसी के लिये एक गिलास पानी में दस-दस ग्राम शतावरी, अडूसे के पत्ते और मिश्री को डालकर उबाल लें और ठंडा होने दें। इस मिश्रण को दिन में तीन बार पीयें। 

11. पेट के लिये फायदेमंद (Beneficial for Stomach)- पेट से जुड़ी समस्याओं  जैसे दर्द, अपच आदि में शतावरी फायदा पहुंचाती है। शतावरी की जड़ का 5 ग्राम रस शहद और दूध के साथ मिलाकर पीने से अपच से छुटकारा मिल जायेगा। शतावरी का 10 मि।ली। रस शहद में मिलाकर पीने से पेट का दर्द खत्म हो जायेगा। 

12. हड्डियां मजबूत बनें (Get Stronger Bones)- शतावरी में विटामिन-के और कैल्शियम की प्रचुर मात्रा होती है। दोनों ही हड्डियों के स्वास्थ के लिये आवश्यक होते हैं। विटामिन-के, कैल्शियम का अवशोषण सही ढंग से कर पाता है और मूत्र के जरिये कैल्शियम भी कम मात्रा में बाहर निकलता है जिससे कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा शरीर में ही रहती है। इससे हड्डियों का स्वास्थ बना रहता है और  ऑस्टियोपोरोसिस नामक अस्थि रोग की संभावना नहीं रहती। इस रोग में हड्डियां कमजोर होकर जरा सी चोट लगने पर टूट जाती हैं। शतावरी एक प्रीबायोटिक भी है जो कैल्शियम का अवशोषण बढ़ाने में मदद करता है। शतावरी में पाये जाने वाला आयरन भी हड्डियों और जोड़ों को मजबूती प्रदान करता है। कुल मिलाकर कहने का तात्पर्य यह है कि शतावरी का सेवन आप किसी भी रूप में कीजिये, हड्डियां और जोड़ मजबूत होंगे।

13. वजन कम करे (Lose Weight)- शतावरी में कैलोरी बहुत कम होती है और पानी 94% होता है यानी कम कैलोरी और अधिक पानी वाले खाद्य पदार्थ वजन कम करने में सहायक होते हैं। इसमें फाइबर की पर्याप्त मात्रा होती है। फाइबर भूख को नियंत्रित करता है यानी जल्दी-जल्दी भूख नहीं लगती। यह भूख को कम करता है ठीक उसी प्रकार जैसे दो केले खाने से भूख मिट जाती है। जब जल्दी-जल्दी और बार-बार भूख नहीं लगेगी तो वजन अपने आप ही कम हो जायेगा। 

14. पुरुष यौन समस्याओं में फायदेमंद (Beneficial in Male Sexual Problems)- शतावरी के बारे में हमने बताया कि यह महिलाओं में कामेच्छा जगाती है। यह पुरुषों के यौन संबंधी समस्याओं को खत्म करने में भी अत्यंत लाभकारी है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ. दीक्षा भवसार के अनुसार “पुरुष सीमेन क्वालिटी और स्पर्म काउंट सुधारने (Increase Sperm Count) के लिए शतावरी का सेवन कर सकते हैं”। इसके फायदे निम्न प्रकार हैं :-

(i)  सेक्स पावर बढ़ाये – शतावरी में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो यह टेस्टोस्टेरोन और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन जैसे पुरुष हार्मोन के उत्पादन में सुधार करते हैं। इसके उपयोग से पुरुषों में कामोत्तेजना की कमी पूरी होती है और सेक्स पावर में भी बढ़ोत्तरी होती है। रोजाना 5 से 10 ग्राम शतावरी को घी के साथ सेवन करने से कामोत्तेजना और सेक्स पावर बढ़ती है और वीर्य में वृद्धि होती है। विस्तृत जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “सेक्स पावर बढ़ाने के उपाय देखें।

(ii) नपुंसकता दूर करे – शतावरी पुरुषों में नपुंसकता की समस्या को भी दूर करने के गुण मौजूद होते हैं। इसके लिये एक-एक चम्मच शतावरी और सफेद मूसली के चूर्ण एक गिलास गर्म दूध में मिलाकर पीयें, इससे ना केवल शरीरिक कमजोरी दूर होगी बल्कि नपुंसकता से भी राहत मिल सकेगी। या अश्वगंधा, शतावरी, सफ़ेद मुसली, कौंच के बीज का चूर्ण बनाकर गाय के दूध में मिलाकर पीयें। अधिक जानकारी के लिये हमारा आर्टिकल “नपुंसकता को दूर करने के देसी उपाय देखें। 

(iii) स्वप्नदोष से मुक्ति – जिन लोगों को स्वप्नदोष की शिकायत रहती है उनके लिये शतावरी की जड़ रामबाण उपाय है। 250 ग्राम शतावरी की जड़ का चूर्ण और 250 ग्राम पिसी हुई मिश्री के साथ मिलाकर रख लें। इस मिश्रण को पांच ग्राम की मात्रा में लेकर रोजाना सुबह शाम गाय के दूध से साथ सेवन करें। जल्द ही स्थिति में सुधार होगा। स्वप्नदोष से संबंधित विस्तृत जानकारी हमारे आर्टिकल “स्वप्नदोष दूर करने के देसी उपाय में मिल जायेगी। 

(iv) शुक्राणुओं के लिये लाभकारी – शतावरी की जड़ के चूर्ण में अत्यंत शक्तिशाली शुक्राणुजन्य गुण होते हैं जो  टेराटोस्पर्मिया (असामान्य शुक्राणु आकार), ओलिगोस्पर्मिया (शुक्राणुओं की कम संख्या)  एस्थेनोज़ोस्पर्मिया (गतिशीलता) के लिये लाभदायक होते हैं। पांच-पांच ग्राम शतावरी की जड़ का चूर्ण, अश्वगंधा और मुलेठी को मिलाकर, थोड़ा सा शुद्ध देशी घी मिलाकर खायें और एक गिलास दूध में मिश्री मिलाकर पीयें। इससे शुक्राणुओं की स्थिति में सुधार होगा। शुक्राणुओं से संबंधित जानकारी के लिये हमारा आर्टिकल “शुक्राणु बढ़ाने के देसी उपाय देखें। 

शतावरी के नुकसान  –  Side Effects of Shatavari

शतावरी से होने वाले निम्नलिखित नुकसान हो सकते हैं या समस्याऐं हो सकती हैं –

1. एलर्जी – शतावरी से कई लोगों को एलर्जी हो सकती है विशेषकर उनको जिन्हें प्याज से एलर्जी है। 

2. गैस बनना – शतावरी में रेफिनोज़ नामक एक कार्बोहाइड्रेट होता है जिसे पचाने के लिए पेट में खमीर बनता है। ऐसे में पेट में गैस बनती और पास होती रहती है।  

3. किडनी में पथरी – यूरिक एसिड से जुड़ी समस्याओं जैसे किडनी में पथरी या गाउट वाले लोगों को शतावरी नहीं खानी चाहिये क्योंकि शतावरी में प्यूरीन होता है। यूरिक एसिड बनाने के लिये जब प्यूरीन टूटता है तो शरीर में प्यूरीन की मात्रा शतावरी खाने से और अधिक बढ़ जाती है। 

4. पेट खराब होने की स्थिति में जैसे दस्त, शतावरी का सेवन नहीं करना चाहिये।

5. शतावरी ज्यादा खाने से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।

6. त्वचा पर रैशेस पड़ सकते हैं।

7. त्वचा में खुजली हो सकती है।

8. आंखों में खुजली हो सकती है।

9. चक्‍कर आना।

10. हृदय गति का बढ़ जाना। 

Conclusion – 

दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको शतावरी के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। शतावरी क्या है, शतावरी का महत्व क्या है, शतावरी कहां पाई जाती है, शतावरी के गुण, शतावरी का उपयोग और शतावरी की मात्रा, इन सबके बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से आपको शतावरी खाने के फायदे बताये और नुकसान भी बताये। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा। 

दोस्तो, इस लेख से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो लेख के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह लेख आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और  सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health- Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह लेख केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है।  कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको शतावरी के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। शतावरी क्या है, शतावरी का महत्व क्या है, शतावरी कहां पाई जाती है, शतावरी के गुण, शतावरी का उपयोग और शतावरी की मात्रा, इन सबके बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया।
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