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सूर्य नमस्कार के फायदे – Benefits of Surya Namaskar in Hindi

सूर्य नमस्कार के फायदे

दोस्तो, आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग पर। हमारा आज का टॉपिक है सूर्य नमस्कार। जी हां, सूर्य नमस्कार के फायदे जिसके अस्तित्व और महत्व को योग गुरुओं के अतिरिक्त वैज्ञानिकों ने भी माना है। प्राचीन काल से ही देवगण, ऋषि मुनियों के अतिरिक्त सामान्य व्यक्ति भी सूर्य को नमस्कार करते चले आ रहे हैं। सूर्य नमस्कार केवल नमस्कार नहीं है बल्कि 12 योगासनों का संगम है।  एक सम्पूर्ण योग। जिसे प्रतिदिन 5-10 मिनट करने के पश्चात किसी और योग को करने की आवश्यकता नहीं रह जाती।  

दोस्तो, सूर्य नमस्कार 12 अवस्थाओं में किया जाता है। प्रत्येक अवस्था में एक एक मंत्र बोला जाता है और प्रत्येक मंत्र का एक ही अर्थ होता है कि सूर्य को  नमस्कार है। सबसे पहले सूर्य के लिये प्रार्थना और अंत में उसकी महानता बताने वाला श्लोक इस प्रकार है :-

ॐ ध्येयः सदा सवितृ-मण्डल-मध्यवर्ती, नारायण: सरसिजासन-सन्निविष्टः।

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केयूरवान् मकरकुण्डलवान् किरीटी, हारी हिरण्मयवपुर्धृतशंखचक्रः ॥

आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने।

आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते ॥

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अर्थात् जो लोग प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करते हैं, उनकी आयु, प्रज्ञा, बल, वीर्य और तेज बढ़ता है।

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सूर्य नमस्कार के फायदे
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सूर्य नमस्कार करने का तरीका – Surya Namaskar karne ka tarika

दोस्तो, सूर्य नमस्कार सुबह खाली पेट, खुले स्थान पर किया जाना चाहिए जहां शुद्ध हवा चल रही हो। जैसा कि हम पहले बता चुके हैं कि सूर्य नमस्कार 12 योगासनों का मिलाप है। इन 12 योगासनों का विवरण निम्नप्रकार है – 

1. प्रणामासन (Pranamasana)- दोनों पैरों को मिलाकर,  दोनों हाथों को जोड़कर, सूर्य की ओर मुंह करके सीधे खड़े हों। हाथ प्रणाम मुद्रा में रहें। ‘आज्ञा चक्र’ पर ध्यान केंद्रित करके ‘सूर्य भगवान’ का आह्वान ‘ॐ मित्राय नमः’ मंत्र के द्वारा करें।

2. हस्तउत्तानासन (Hastauttanasana)- पहली अवस्था में ही खड़े होकर, श्वास भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर तानें और प्रणाम अवस्था में ही गर्दन पीछे ले जायें। ध्यान गर्दन के पीछे ‘विशुद्धि चक्र’ पर केंद्रित करें। अब कमर को पीछे की तरफ झुकायें।  

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3. पादहस्तासन (Padahastasana)- सांस धीरे-धीरे छोड़ते हुऐ, बाजू कानों से सटे हुऐ, नीचे की ओर झुकें, माथा घुटनों का स्पर्श करता हुआ ध्यान नाभि के पीछे ‘मणिपूरक चक्र’ पर। पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का स्पर्श करें।

4. अश्व संचालनासन (Horse steering)- धीरे-धीरे सांस भरते हुऐ बांये पैर को पीछे ले जायें। सीना तना हुआ। गर्दन पीछे झुकी हुई रहे। टांग तनी हुई पीछे की ओर। पैर का पंजा खड़ा हुआ। हथेलियां जमीन पर सीधी रहें। मुख आकाश की ओर। ध्यान ‘विशुद्धि चक्र’ पर। इस मुद्रा में कुछ पर रुकें।  

5. दंडासन (Dandasana)- सांस धीरे-धीरे छोड़ते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जायें। दोनों पैरों की एड़ियां मिली हुई हों इनको जमीन पर मिलायें। नितम्बों को जितना हो सके ऊपर उठायें। गर्दन को नीचे झुकायें। ठोड़ी को गले पर लगायें। ध्यान ‘सहस्रार चक्र’ पर। 

6. अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskar)- सांस लेते हुये हथेलियों, सीने, घुटनों और पैरों को पृथ्वी के समानांतर रख साष्टांग दण्डवत करें। नितम्बों को थोड़ा ऊपर उठायें। सांस की गति सामान्य रखें। 

7. भुजंगासन (Bhujangasana)- सांस भरते हुऐ, हथेलियों को जमीन पर टिका कर पेट को जमीन से मिलायें। गर्दन को पीछे ले जायें। घुटने पृथ्वी पर टिके रहें और पंजे उठे हुऐ रहें।

8. अधोमुख श्वानासन (Downward Bronchitis)- सांस को धीरे-धीरे बाहर छोड़ते हुऐ पैरों को जमीन पर सीधा रखें। एड़ियां परस्पर मिली हुई। शरीर को पीछे की ओर खिंचाव दें। नितम्बों को ऊपर उठायें। कंधों को सीधा रखें और गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को गले से मिलायें। ध्यान ‘सहस्रार चक्र’ पर। इसे पर्वतासन भी कहते हैं। 

9. अश्व संचालनासन (Horse Steering)- धीरे-धीरे सांस लेते हुऐ सीधा पैर पीछे की ओर ले जाएं। घुटना जमीन से स्पर्श करे। सीना तना हुआ। दूसरे पैर को घुटने से मोड़े और हथेलियों को जमीन पर सीधे रखें।  सिर सामने हल्का सा आकाश की ओर उठा हुआ।   

10. पादहस्तासन (Padahastasana)- धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों की उंगलियों को छुए। माथा घुटनों से मिला होना चाहिए।  ध्यान नाभि के पीछे ‘मणिपूरक चक्र’ पर।

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सूर्य नमस्कार के फायदे – Benefits of Surya Namaskar

1. छटी इन्द्रिय (Sixth sense) को जागृत करने के लिए – नाभि के पीछे एक चक्र होता है जिसे मणिपूरक चक्र कहते हैं। इस चक्र को मानव शरीर का केंद्र कहा जाता है। योग गुरुओं ने इसे दूसरा मस्तिष्क भी कहा है। नियमित रूप से ध्यान लगाने और सूर्य नमस्कार करने से यह चक्र बादाम के आकार हो जाता है फिर बढ़कर हथेली के आकार का बन जाता है। ध्यान एकाग्र होने पर हमारी छठी इंद्रिय विकसित होने लगती है।

2.ऊर्जा का संचार (Communication of Energy)- प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने से फेफड़े अधिक खुलते हैं। जब हम सांस लेते हैं तो हमारे शरीर में अधिक रक्त तक अधिक ऑक्सीजन जाती है और वापिस सांस छोड़ने पर कार्बन डाई ऑक्साइड के साथ-साथ अन्य विषैली गैस बाहर निकलती है। इस प्रक्रिया में शरीर अंदर से डिटॉक्स हो जाता है। परिणामस्वरूप हम अपने अंदर विशुद्ध ऊर्जा का अनुभव करते हैं।

3. तनाव समाप्त हो जाता है (Stress Ends)- आज कल की व्यस्त जीवन शैली में तनाव होना आम समस्या है। किसी के पास इतना समय ही नहीं है कि एक दूसरे की समस्या को सुनें, समझें, एक दूसरे के दुख-तकलीफ़ को अनुभव करें  और इन सब का समाधान कर खुद भी सुखी हो और दूसरों को भी सुखी रखें। छोटी-छोटी बातों पर हम तनाव ग्रस्त हो जाते हैं। सूर्य नमस्कार वह थेरेपी है जिसके करने से एंडोक्राइन ग्लैंड्स विशेषकर थायराइड ग्लैंड की क्रिया सामान्य हो जाती है और नर्वस सिस्टम शांत हो जाता है। परिणाम तनाव से मुक्ति और आप शांत और प्रसन्नचित्त अनुभव करते हैं। 

4. रक्त संचार के लिये (Blood circulation)- सूर्य नमस्कार एक ऐसी गतिविधि है जिसके माध्यम से रक्त संचार की प्रक्रिया में सुधार होता है। सांस भरते समय ऑक्सीजन फेफड़ों के साथ-साथ रक्त तक पहुंचती है। धमनियों में रक्त का प्रवाह सुचारू रूप से होता है। इससे उच्च रक्तचाप भी नियंत्रण में रहता है। 

5. एकाग्रता बढ़ाने के लिए (Concentration)- कभी-कभी हमारा मन चलायमान हो जाता है। हम चाह कर भी किसी भी विषय पर एकाग्र नहीं हो पाते हैं। चाहे पढ़ाई-लिखाई हो, कार्यस्थल हो या कोई पारिवारिक समस्या। ऐसी स्थिति में सूर्य नमस्कार बहुत अच्छा और प्राकृतिक विकल्प है। इसे करने से मन शांत रहेगा और एकाग्रता बढ़ेगी। 

6. शरीर में पानी का संतुलन (Body Water Balance)- प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने से शरीर में पानी की मात्रा का संतुलन बना रहता है। 

7. शरीर में लचीलापन (Flexibility) – शरीर में लचीलापन होना आवश्यक भी है और फायदेमंद भी। योगा, डांस आदि के लिये तो यह बहुत जरूरी है। शारीरिक गतिविधि का ना होना, या कम होना शरीर में आलस भर देता है और स्फूर्ति समाप्त हो जाती है। सूर्य नमस्कार के माध्यम से शरीर का लचीलापन बना रहता है और शरीर में स्फूर्ति भी बनी रहती है।

8. पाचन तंत्र के लिए (Digestive System)- खाली पेट सूर्य नमस्कार करने से पाचन प्रणाली में सुधार होता है। सूर्य नमस्कार के समय शरीर के सभी अंगों और पेट के अंदर के अंगों पर खिंचाव पड़ता है जिससे वे बेहतर तरीके से काम करते हैं। चयापचय (Metabolism) प्रणाली स्वस्थ होती है। गैस, जलन, कब्ज आदि की समस्या से भी राहत मिल जाती है। 

9. भूख लगना (Feeling Hungry)- जिन व्यक्तियों को भूख न लगने की समस्या रहती है उनके लिये सूर्य नमस्कार योग बहुत अच्छा विकल्प है। इसे करने से अच्छी तरह प्राकृतिक तौर पर भूख लगेगी।

10. त्वचा के लिए फायदेमंद (Skin)- सूर्य नमस्कार का बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण लाभ यह होता है कि हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन-डी मिल जाता है। जिससे त्वचा चमकदार निखरी हुई और मुलायम रहती है। 

11. शरीर की मुद्रा के लिये (Posture)- दोस्तो, आपने अक्सर देखा होगा कि कई व्यक्तियों की पीठ बाहर निकली हुई होती है जिसके कारण वे झुक कर चलते हैं, झुक कर बैठते हैं। कुछ लोग दांये, बांये बहुत हिल-हिल कर चलते हैं। ऐसे लोगों को सूर्य नमस्कार अवश्य करना चाहिये। नियमित करते रहने से बॉडी पॉश्चर ठीक होने लगेगा। 

12. अनिद्रा (Insomnia)- जिन व्यक्तियों को किसी कारणवश नींद नहीं आती वे अनेक समस्याओं से घिरे रहते हैं जैसे कि तनाव रहना, ऊर्जा की कमी महसूस करना, उनके काम-काज पर असर, दिमाग और मन में अशांति आदि। सूर्य नमस्कार से अनिद्रा की समस्या का समाधान होगा और अनिद्रा के कारण हर समस्या से छुटकारा स्वतः ही हो जायेगा। 

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13. वजन कम करने के लिये (Weight Loss)- अधिक वजन (overweight) होने से अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। हृदय-आघात की संभावना बनी रहती है। सूर्य नमस्कार से पाचन-तंत्र तो ठीक होता ही है, पूरे शरीर पर भी जोर पड़ता है जिससे कैलोरी बहुत अधिक मात्रा में बर्न हो जाती है जो वजन कम करने में सहायक है।

14. मजबूत हड्डियां बनें (Strong Bones)- सूर्य नमस्कार का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि हमारे शरीर को विटामिन-डी मिलता है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है और मांसपेशियां पुष्ट होती हैं। बढ़ती उम्र में तो विटामिन-डी की बहुत आवश्यकता होती है। 

15. अनियमित मासिक धर्म के लिये (Irregular menstruation)- जिन महिलाओं को मासिक धर्म की समस्या है उनको सूर्य नमस्कार से निश्चित रूप से लाभ होगा। उनका मासिक धर्म नियमित हो जायेगा।

सूर्य नमस्कार के लिए कुछ सावधानियां –

1. सूर्य नमस्कार उचित समय में करें।

2. सूर्य नमस्कार खुली साफ सुथरी जगह पर, ताज़ी हवा में खाली पेट करना चाहिये।

3. गति धीमी रखें।

4. एक अवस्था में जब तक सांस सामान्य ना हो जाये तब तक दूसरी अवस्था में ना जायें।

5. मुलायम या ज्यादा गद्देदार मैट का प्रयोग ना करें। क्योंकि रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंच सकता है।

6. बुखार या जोड़ों में दर्द या सूजन हो तो सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिये। 

किन लोगों को सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिये –

1. हृदय रोग वाले व्यक्तियों को।

2. पीठ से जुड़ी समस्या वाले व्यक्तियों को।

3.  उच्च रक्तचाप वालों को।

4. गठिया रोग से पीड़ितों को।

5. हर्निया से पीड़ित व्यक्तियों को।

6.  जिसे कलाई पर चोट लगी हो।

7. गर्भवती महिला को, गर्भावस्था के 4 महीने बाद।

8. मासिक धर्म के समय। 

9. शारीरिक रूप से जिसे असहज लगे। 

Conclusion

दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको सूर्य नमस्कार के फायदे के  के बारे में विस्तार से जानकारी दी।  इस लेख के माध्यम से सूर्य नमस्कार के तरीके और इसके फायदे बताये बताये। कुछ सावधानियां भी बतायीं। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा।

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