Advertisements

चमकदार त्वचा के लिये योगासन – Yoga for Glowing Skin in Hindi

चमकदार त्वचा के लिये योगासन

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, त्वचा हमारे शरीर का कवच है जो मांसपेशियों, हड्डियों तथा शरीर के आंतरिक अंगों की रक्षा करता है। यह कवच, केवल कवच ही नहीं बल्कि सुन्दरता आईना भी है जो हमें यह आभास कराता है कि हम इसके प्रति कितने सजग हैं और इसका कितना ध्यान रखते हैं। त्वचा में एक प्राकृतिक चमक होती है जो सही रक्त आपूर्ति और सही रक्त संचार का परिणाम होती है। यदि रक्त संचार ठीक नहीं है तो समझिये कि त्वचा का सौंदर्य खत्म हो चुका है, यह अपनी चमक खो चुकी है। फिर ऐसा क्या किया जाये कि त्वचा की चमक वापिस मिल जाये और वह भी प्राकृतिक तरीके से ना कि कोई सौंदर्य उत्पाद का उपयोग करके। यह प्राकृतिक उपाय है योगासन का। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “चमकदार त्वचा के लिये योगासन”

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से त्वचा के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि योगासन के जरिये कैसे त्वचा की प्राकृतिक चमक प्राप्त की जाये। तो, सबसे पहले जानते हैं कि त्वचा क्या है और इसकी परतें। फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

Advertisements
चमकदार त्वचा के लिये योगासन
Advertisements

त्वचा क्या है? – What is Skin?

त्वचा एक बाह्य आवरण है जो शरीर को ढक के रखती है साथ ही शरीर की मांसपेशियों को सहारा देती है, उनको कस कर रखती है। यदि त्वचा ना हो मानव खड़ा भी नहीं हो सकता। मांसपेशियां शरीर पर रुक ही नहीं पाएंगी, ये लटक कर गिर जाएंगी। यह त्वचा उपकला ऊतकों (epithelial tissue) की कई परतों द्वारा बनी होती है। यह वेस्टिबुलर सिस्टम (vestibular system) का सबसे बड़ा अंग होती है। त्वचा का मुख्य काम मांसपेशियों, हड्डियों, लिगामेंट तथा अन्य आंतरिक अंगों की रक्षा करना है। 

Advertisements

त्वचा की परतें – Skin Folds 

दोस्तो, जो त्वचा हमें दिखाई देती है, जिसके ऊपर बाल होते हैं, वह सबसे ऊपर की परत होती है। इसके नीचे दो और परत होती हैं यानि कुल मिलाकर त्वचा की तीन परत होती हैं। विवरण निम्न प्रकार है –

1. एपिडर्मिस (Epidermis) – यह सबसे ऊपर की परत होती है। यह त्वचा की सबसे पतली परत होती है। शरीर के अंगों के हिसाब से इसकी मोटाई होता है उदहारण के तौर पर पैरों के तलवे, हाथों की हथेलियों के क्षेत्र की मोटाई 1.5 मिलीमीटर हो सकती है तो पलकों में एपिडर्मिस की परत की मोटाई लगभग 0.05 मिलीमीटर होती है। इसका निर्माण निम्नलिखित तीन प्रमुख कोशिकाओं द्वारा होता है –

(i) केराटिनोसाइट्स – केराटिनोसाइट्स नामक कोशिकाएं, प्रोटीन केराटिन का उत्पादन करती हैं जो कि एपिडर्मिस का मुख्य घटक हैं। 

Advertisements

(ii) मेलानोसाइट्स – इनको मेलेनिन के नाम से भी जाना जाता है। ये त्वचा का रंगद्रव्य बनाने के लिये जिम्मेदार होते हैं।  

(iii) लैंगरहैंस कोशिकाएं –  ये कोशिकाएं वस्तुओं को त्वचा के अंदर जाने से रोकती हैं। 

एपिडर्मिस में कोई नस नहीं होती और ना ही रक्तवाहिकाएं होती हैं। 

ये भी पढ़े- बेली फैट कम करने के योगासन

2. डर्मिस (Dermis)- एपिडर्मिस के नीचे जीवित कोशिकाओं की एक और परत मौजूद होती है जिसमें तंत्रिका, रक्तवाहिकाएं, पसीने की ग्रंथियां और बालों के रोम होते हैं। इसे डर्मिस कहा जाता है। यह त्वचा की सबसे मोटी परत होती है। कोलेजन और इलास्टिन इसे मोटा और त्वचा की समग्र संरचना का समर्थन करने में मदद करते हैं। डर्मिस में वसा, फाइबर, कोलेजन और रक्त वाहिकाएं होती हैं जो त्वचा को लचीला और मजबूत बनाने का कार्य करते हैं। यह सूरज के प्रकाश के संपर्क में आने पर विटामिन-डी, के संश्लेषण में भी सम्मलित होता है।   

3. हाइपोडर्मिस (Hypodermis)- यह त्वचा की डर्मिस परत के नीचे की गहरी परत होती है, जिसे उपचर्म प्रावरणी (subcutaneous fascia) के नाम से भी जाना जाता है। इसमें रक्तवाहिकाओं, संवेदी न्यूरॉन्स, कुछ बालों के रोम तथा वसा कोशिकाएं मौजूद होती हैं। यह त्वचा को अंतर्निहित हड्डियों और मांसपेशियों से जोड़ने का काम करती है। यह मांसपेशियों, हड्डियों या अन्य आंतरिक अंगों तक पहुंचने पर किसी भी चोट के कारण होने वाले आघात या झटके को अवशोषित करने का काम करती है। इसके अतिरिक्त, यह वसा को संग्रहीत (जो ऊर्जा भंडार के रूप में कार्य करता है) और शरीर के तापमान को कंट्रोल करने के काम भी मदद करती है। 

त्वचा के प्रकार – Type of Skin

दोस्तो, त्वचा पांच प्रकार की होती है। विवरण निम्न प्रकार है – 

1. सामान्य त्वचा (Normal Skin)- सामान्य त्वचा ना तो बहुत ज्यादा ऑयली होती है, ना ही ड्राई और ना ही संवेदनशील। ऐसी त्वचा में सीबम का उत्‍पादन संतुलित मात्रा में होता है। रक्त संचार भी सही बना रहता है। इस प्रकार की त्वचा के रोमछिद्र भी आसानी से दिखाई नहीं देते। चेहरा चमकदार दीखता है। ब्‍लड सर्कुलेशन भी ठीक रहता है

2. शुष्क त्वचा (Dry Skin)- रोमछिद्र का नजर ना आना, रूखी और खुरदुरी परत, लचीलापन नहीं के बराबर, बेजान और त्वचा पर धारियां दिखना, खोई हुई चमक, ये सब शुष्क त्वचा के लक्षण हैं। 

3. तैलीय त्वचा (Oily Skin)- जब त्वचा में सीबम का उत्‍पादन अधिक होता है तो त्वचा ऑयली हो जाती है। विशेषतौर पर गालों और नाक पर ऑयल अधिक होता है। इस प्रकार की त्वचा में चमक तो होती है परन्तु निखार नहीं होता। इसकी सारी सक्रिय तेल ग्रंथियां नजर आती हैं। इस प्रकार की त्वचा वालों को ब्लैकहेड्स, व्हाइटहेड्स, कील-मुंहासे, दाग-धब्बे आदि की समस्या अधिक होती है। 

4. मिश्रित त्वचा (Combination Skin)- ऐसी त्वचा का कुछ क्षेत्र तैलीय होता है और कुछ शुष्क अर्थात् नाक, माथा और ठुड्डी के आसपास की त्वचा तैलीय होती है परन्तु गाल तथा अन्य हिस्से ड्राई होंगे। ऐसी त्वचा की विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। 

5. संवेदनशील त्वचा (Sensitive Skin)- जैसा कि नाम से जाहिर है ऐसी त्वचा अत्यंत संवेदनशील होती है। किसी भी नये ब्यूटी प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने से पहले पैच टेस्ट करना पड़ता है अन्यथा त्वचा खराब होने का डर रहता है। तीखा तेज मसालेदार भोजन से भी इस त्वचा को दिक्कत होती है। इसकी एक विशेषता और भी है कि यह गर्मियों में तैलीय रहती है तो सर्दी में ड्राई। धूल-मिट्टी, ठंडी वस्तुएं, एलर्जी वाले पदार्थ, कपड़ा आदि से भी बहुत अधिक परेशानी होती है। लालिमा, खुजली, जलन रूखापन आदि ऐसी त्वचा के लक्षण हैं। 

त्वचा के खराब होने के कारण – Cause to Damage Skin

अब जानते हैं उन कारणों के बारे में जो जिनसे त्वचा खराब होती है और अपना ग्लो खोने लगती है। ये कारण निम्नलिखित हैं –

1. त्वचा का डिहाइड्रेट होना (Dehydrated Skin)- शरीर में पानी की कमी होने से त्वचा में नमी खत्म होने लगती है फिर यह शुष्क हो जाती है। इस वजह से त्वचा सख्त हो जाती है और अपनी कोमलता और चमक खोने लगती है। 

2. रक्त आपूर्ति और रक्त संचार में कमी (Decreased Blood Supply and Circulation)- जब रक्त आपूर्ति में कमी आती है तो आगे शरीर के सभी अंगों में इसकी संचार व्यवस्था अनियमित हो जाती है। इस वजह से चेहरे पर समय से पहले ही झुर्रियां बनने लगती हैं, चेहरा बेजान होकर अपनी दमक खो देता है। 

3. कील-मुंहासे (Pimples)- शरीर में पानी की कमी और रक्त संचार में अनियमितता से कील-मुंहासे बनने लगते हैं। जिससे चेहरा भद्दा नज़र आता है। असंतुलित पाचन के कारण भी कील-मुंहासे हो सकते हैं।

4. हार्मोन में असंतुलन (Hormonal Imbalance)- महिलाओं को कील-मुंहासे होना, या चेहरे पर झुर्रियां पड़ना एक आम समस्या है जो कि हार्मोन में असंतुलन भी इसका कारण हो सकता है। 

5. खानपान (Food and Drink)- खानपान का सबसे ज्यादा असर शरीर पर पड़ता है। पोषक तत्वों से रहित खाद्य पदार्थ निश्चित रूप से आपकी त्वचा को प्रभावित करते हैं उदाहरण के तौर पर तला-भुना, तीखा तेज मसालेदार, वसा युक्त, ऑयली भोजन या फास्ट फूड। 

6. धूम्रपान (Smoking)- महिला हो या पुरुष, धूम्रपान सभी के लिये हानिकारक होता है। इससे त्वचा में रूखापन आने लगता है और प्राकृतिक ग्लो खत्म हो जाता है।

7. एल्कोहल तथा ड्रग्स (Alcohol and Drugs)- शराब, नशीली दवाओं या अन्य किसी भी प्रकार के ड्रग्स त्वचा को सीधे तौर पर हानि पहुंचाते हैं। 

8. तनाव तथा अन्य मेडिकल स्थिति (Stress and other Medical Conditions) – तनाव, डिप्रेशन, चिंता आदि का शरीर पर बहुत बुरा असर पड़ता है। ऐसे ही यदि कोई किसी बीमारी से लंबे समय से पीड़ित है तो त्वचा की चमक खोना स्वाभाविक है। 

ये भी पढ़े- स्लिप डिस्क के लिए योगासन

चमकदार त्वचा के लिये योगासन – Yoga for Glowing Skin

यहां हम स्पष्ट कर दें कि त्वचा में प्राकृतिक तौर पर चमक तभी आती है, जब त्वचा पर किसी प्रकार का तनाव ना है, समय से पहले बढ़ती उम्र के लक्षण ना हों यानि चेहरे पर झुर्रियां, फाइनलाइन्स आदि। इसके साथ-साथ यह भी अति आवश्यक है कि रक्त संचार और रक्त प्रवाह शरीर में सही बना रहे। योगासन वास्तव में यही सब काम करते हैं जिससे त्वचा स्वस्थ बनती है और प्राकृतिक चमक आती है। अब बताते हैं आपको कुछ निम्नलिखित योगासन जिनको नियमित रूप से करके स्वस्थ और चमकदार त्वचा पा सकते हैं –

1. त्रिकोणासन (Trikonasana)- जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है, इस आसन में शरीर, त्रिकोण की मुद्रा में आ जाता है। इस आसन में शरीर के सभी अंग प्रभावित होते हैं। इससे मांसपेशियों पर खिंचाव पड़ने के कारण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनता है, रक्त संचार में सुधार आता है, ऑक्सिजन स्तर में सुधार होता है, त्वचा विकार दूर होते हैं और स्वस्थ तथा ग्लोइंग त्वचा मिलती है। इसके अतिरिक्त कमर दर्द, साइटिका, कब्ज और एसिडिटी की समस्याओं में भी राहत मिलती है। हाई और लो ब्लड प्रेशर, कमर में अधिक दर्द, अधिक एसिडिटी, गर्दन और अधिक पीठ दर्द की समस्या वाले लोग यह योगासन को ना करें। 

त्रिकोणासन करने की विधि – Triangulation Method

(i) मैट बिछाकर सीधा खड़े हो जाएं, बाजुओं को शरीर से सटाकर रखें, पैरों के बीच लगभग दो फीट की दूरी बनाकर रखें। अब बाजुओं को कंधों तक फैलाएं। 

(ii) सांस भरते हुए दायीं बाजू को सिर से ऊपर ले जायें और बाएं पैर को थोड़ा सा बाहर की तरफ मोड़ें। 

(iii) सांस छोड़ते हुए कमर को धीरे-धीरे बायीं ओर झुकाएं। दायीं बाजू को जमीन के समानांतर लायें और बाएं हाथ से बाएं पैर के टखने को छूने की कोशिश करें। यदि नहीं छू सकते तो जहां तक हाथ ला सकते हैं, लायें। नज़र ऊपर की ओर रहनी चाहिये। इसी मुद्रा में 10-30 सेकेंड तक रहें, सांस लेते और छोड़ते रहें। फिर सामान्य स्थिति में वापस आ जायें। 

(iv) अब बायीं बाजू को ऊपर ले जायें, दायां पैर बाहर की ओर मोड़ें। कमर को धीरे-धीरे दायीं ओर झुकाएं। बायीं बाजू जमीन के समानान्तर लायें, दायें हाथ से दायें पैर के टखने को छूएं। सांस लेते रहें, छोड़ते रहें। कुछ सेकेंड इस मुद्रा में रुकें और फिर सामान्य स्थिति में आ जायें। 

2.  हलासन (Halasana)- हलासन में शरीर की मुद्रा हल के समान दिखाई देती है। इसके करने से पाचन तंत्र में सुधार होता है, गर्दन, कंधे, पेट और पीठ की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। इससे रक्त आपूर्ति और रक्त प्रवाह में सुधार होता है। परिणाम स्वरूप त्वचा में चमक आती है। यह एक कठिन आसन है इसे योग गुरू या योग विशेषज्ञ की देखरेख में करना चाहिये। इसमें बहुत पसीना आ सकता है। 

हलासन करने की विधि – Halasana Method

(i) सबसे पहले जमीन पर मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।

(ii) अब सांस अंदर खींचते हुए पैरों को ऊपर 90 डिग्री तक उठाएं, फिर सांस बाहर छोड़ते हुए, हथेलियों की मदद से अपने नितम्ब और कमर को उठाएं। 

(iii) अब अपने पैरों को सिर के ऊपर से ले जाते हुए 180 डिग्री से पीछे जमीन पर टिका दें। यही प्रक्रिया बेहद कठिन है। 

(iv) 10-15 सेकेंड तक इसी मुद्रा में रहें और फिर वापिस अपनी अवस्था में आ जायें। अपनी सामर्थ्य के अनुसार इस प्रक्रिया को दोहरा सकते हैं। 

3. शीर्षासन (Shirshasana)- यह सबसे शक्तिशाली आसन है इसीलिये इसे योगासन का राजा माना जाता है। इसआसन में सिर जमीन पर टिका होता है और पूरा शरीर ऊपर उठा हुआ। पैर आसमान की ओर रहते हैं। इस मुद्रा में रक्त प्रवाह उल्टी दिशा में यानि पैरों से सिर की ओर होता है। इससे रक्त संचार और रक्त प्रवाह में सुधार होता है जिससे त्वचा स्वस्थ बनती है और इसमें निखार आता है। यह बेहद कठिन आसन है परन्तु अभ्यास करते-करते आसान लगने लगता है। 

शीर्षासन करने की विधि – Shirshasana Method

(i) सबसे पहले मैट बिछाकर वज्रासन की मुद्रा में घुटनों के बल बैठ जाएं। 

(ii) दोनों हाथों की उंगलियों को इंटरलॉक करके हाथों नीचे रखकर इनके बीच अपना सिर टिकाएं।

(iii)अब कमर को उठाकर घुटनों और पैरों को सीधा करके, पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और सीधा कर लें यानि आपकी टांगें एकदम सीधी, ऊपर की ओर।

(iv) इसी मुद्रा में रहें। शरीर एकदम तना हुआ। धीरे-धीरे सांस लेते रहें। सांसों की गति सामान्य रहे। 

(v) इस मुद्रा में 15-20 सेकेंड रहें और वापिस अपनी सामान्य अवस्था में आ जाएं।

ये भी पढ़े- Yoga से Anxiety कैसे दूर करें 

4. धनुरासन (Dhanurasana)- इस आसन में शरीर की मुद्रा धनुष के समान हो जाती है और इसकी यह विशेषता है कि यह आसन पेट के बल लेटकर किया जाता है। इससे पेट का फैट कम होने के साथ-साथ शरीर का अतिरिक्त वजन भी कम हो जाता है। किडनी, अग्न्याशय, लिवर और आंतों की समस्या में यह लाभदायक होता है और कमर दर्द से राहत पाने के लिये तो यह रामबाण योगासन है। हर्निया, पथरी, पेट में अल्सर, साइटिका से पीड़ित लोगों को इस आसन से परहेज करना चाहिये। इसके करते रहने से शरीर में लोच बना रहता है, तनाव दूर हो जाता है जिससे त्वचा में दमक आती है। 

धनुरासन करने की विधि – Dhanurasana Method

(i) सबसे पहले मैट बिछाकर पेट के बल लेट जायें, ठोड़ी जमीन पर टिका कर रखें। दृष्टि सीधी सामने की ओर तथा दोनों हाथ जांघों से लगाकर रखें। 

(ii) अब सांस छोड़ते हुए दोनों घुटनों को मोड़कर ऊपर उठायें तथा दोनों हाथ पीछे ले जाकर टखनों को पकड़ लें। 

(iii) फिर सांस भरते हुए सिर और छाती को ऊपर उठायें, जितना उठा सकते हैं। दोनों हाथों से पैरों को आगे की तरफ खींचें ताकि शरीर का वजन पेट पर आ जाये।  इसी टाइट और घुमावदार धनुष की मुद्रा में 10-20 सेकेंड तक रहें।

(iv) धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए पैरों, ठोड़ी और छाती को आराम से जमीन पर टिकायें और कुछ देर आराम करें और फिर वापिस अपनी सामान्य मुद्रा में आ जायें। इस आसन के कम से कम पांच चक्र करें।  

5. भुजंगासन (Bhujangasana)- सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में 7वां स्थान भुजंगासन का है। यह आसन भी पेट के बल लेट कर किया जाता है। इसे करते समय शरीर की मुद्रा फन उठाये सांप के भांति बन जाती है, इसीलिये इसे भुजंगासन कहा जाता है। यह पेट के लिये अत्यंत लाभदायक है। इससे पाचन सही रहता है, तनाव कम कमर दर्द में आराम मिलता होता है तथा त्वचा विकार दूर होते हैं तथा त्वचा में निखार आता है। हर्निया, कमर की चोट या फ्रक्चर, सिर दर्द, पेट के निचले भाग की सर्जरी वाले लोग यह योगासन ना करें। 

भुजंगासन करने की विधि – Bhujangasana Method

(i) मैट बिछाकर पेट के बल लेट जायें, दोनों हथेलियों को जमीन की दिशा में जांघों के पास रखें। 

(ii) दोनों पैर पीछे की तरफ सीधे रखें, घुटने आपस में मिले हुए हों। इनके बीच में कोई फासला ना हो। 

(iii) दोनों हथेलियों को सीने के पास कंधों की सीध में लाकर जमीन पर टिका लें। 

(iv) अब हथेलियों पर वजन डालते हुए, सांस भरते हुए सिर को पीछे की तरफ खींचें तथा साथ ही शरीर यानि छाती को ऊपर उठायें। शरीर निचला हिस्सा नहीं उठना चाहिये। शरीर का सारा वजन हथेलियों पर रहेगा और दबाव पेट पर। सांस सामान्य रूप से लेते रहें। 

(v) 15-30 सेकेंड तक इस मुद्रा में रहें फिर धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जायें। इसे आरम्भ में दो-तीन चक्र करें फिर बाद में अभ्यास द्वारा बढ़ायें।

6. पद्मासन (Padmasana)- इसे कमलासन भी कहा जाता है। यह बेहद सरल आसन है, योगा सीखने वालों के लिये उत्तम है। वस्तुतः यह ध्यानमुद्रा योगासन है जिसमें व्यक्ति ध्यानमग्न मुद्रा में रहता है। इसे अपने घर में छोटी जगह पर भी किया जा सकता है। इसके करने से पेट से जुड़े रोग, लिवर, हृदय रोग तथा त्वचा विकार में आराम मिलता है साथ ही त्वचा में चमक आती है। 

पद्मासन करने की विधि – Padmasana Method

(i) मैट बिछाकर पालथी मार कर बैठ जाएं। 

(ii) शरीर को एकदम सीधा रखें, रीढ़ की हड्डी एकदम रहे। अब दाएं पैर को उठाकर बाएं पैर की जांघ पर रखें। 

(iii) हाथों को (हथेलियां आकाश की ओर) दोनों घुटनों पर टिका कर उंगलियों से ज्ञान मुद्रा बनायें। इसी मुद्रा में बैठे हुए गहरी सांस भरकर धीरे-धीरे छोड़ते रहें। 3-5 मिनट यह प्रक्रिया जारी रखें। 

(iv) फिर पैर की पोजीशन बदलें यानि बाएं पैर को उठाकर दाएं पैर की जांघ पर रखें और उपरोक्त क्रिया दोहराएं। 

(v) दो, तीन चक्र करके अपनी सामान्य अवस्था में आ जाएं। 

7. अधोमुख श्वानासन (Downward Facing Dog)- यह एक ऐसा योगासन है जिसे करते समय शरीर की मुद्रा ऐसी हो जाती है जैसे किसी डॉग ने अपना मुंह नीचे जमीन पर लगा रखा हो। इसीलिये इसे डाउनवर्ड फेसिंग डॉग पोज भी कहा जाता है।  इसे करते समय सिर हृदय से नीचे की तरफ होता है और नितम्ब ऊपर की तरफ उठे हुए रहते हैं। इससे गुरुत्व बल की मदद से सिर की तरफ नए रक्त की आपूर्ति बढ़ती है। डिप्रेशन खत्म होता है और मस्तिष्क शांत। जब मस्तिष्क शांत है तो समझिये सब कुछ ठीक-ठाक है, ना मन में और ना तन में। परिणाम स्वरूप त्वचा सौंदर्य भी निखर उठता है। 

अधोमुख श्वानासन करने की विधि – Downward Facing Dog Method

(i) मैट बिछाकर घुटनों और हथेलियों के बल बैठ जाएं। इसके बाद इसके बाद सांस खींचते हुए अपने पैरों और हाथों के बल शरीर को उठाएं।

(ii) सांस बाहर निकालते हुए धीरे-धीरे अपने नितम्ब ऊपर उठाएं। इस पोजिशन में आपका सिर दोनों कोहनियों के बीच में होगा और शरीर उल्टे ‘वी (V)’ की आकृति बनाएगा। 

(iii) ध्यान रहे कि कंधे और हाथ एक सीध में रहें और पैर नितम्ब की सीध में।  इस बात का ध्यान रहे कि आपके टखने बाहर की तरफ रहेंगे।

(iv) गर्दन को अंदर की ओर खींचकर नाभि को देखने का प्रयास करें।  

(v) कुछ सेकेंड इसी पोजीशन में रहें। फिर घुटने जमीन पर लगाकर वापिस अपनी सामान्य अवस्था में आ जाएं। इसे 3-4 बार कर सकते हैं। 

8. शशकासन (Shasakasana)- शशक यानि खरगोश। इस आसन को करते समय शरीर खरगोश जैसी आकृति बनाता है। तनाव, चिंता, उदासी, अनिद्रा आदि की समस्या में लाभदायक है। पेट की चर्बी कम करने के लिये यह उत्तम आसन है। इसके करने से रक्त संचार में सुधार होता है। 

शशकासन करने की विधि – Shasakasana Method

(i) मैट बिछा कर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। दोनों घुटनों के बीच थोड़ा फासला रखें। 

(ii) अब सांस अन्दर खींचते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठायें और सीधा रखें। गर्दन और रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधा रखें।

(iii) सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे नीचे की ओर झुकते जाएं, साथ-साथ दोनों हाथों को भी नीचे लाएं और अपने माथे को जमीन पर टिकाएं। अपने हाथों को भी जमीन पर टिका दें।

(iv) थोड़ी देर इसी पोजीशन में रहें, फिर अपनी सामान्य अवस्था में वापिस आ जाएं। इसे 5-10 बार कर सकते हैं। 

9. सर्वांगासन (Sarvangasana)- सर्वांगासन का अर्थ है वह आसन जिसके करने से शरीर के सभी अंगों की एक्सरसाइज हो जाये। इसके करने से एनर्जी लेवल बढ़ता है, रक्त संचार में सुधार होता है, हाई बल्ड प्रेशर में फायदा होता है। बालों और चेहरे पर चमक आती है। 

सर्वांगसान करने की विधि – Sarvangasana Method

(i) मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं और दोनों हाथों को शरीर के साथ मिलाकर जमीन पर टिका लें। 

(ii) गहरी सांस भरते हुए पैरों, कूल्हों और कमर को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं, 90 डिग्री पर। कोहनियों को जमीन पर ही टिकाए हुए दोनों हाथों से पीठ को सहारा दें। 

(iii) दोनों पैर ऊपर एकदम सीधे और आपस में सटे हुए रहें और कमर भी एकदम सीधी। 

(iv) अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार 1 से 3 मिनट तक इसी पोजीशन में रहें, फिर धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में वापिस आ जाएं। 

10. शवासन (Shavasana)- शवासन से तात्पर्य है कि शरीर को शव की अवस्था के समान ले आना। यह आसन किसी भी योगासन के अंत में किया जाता है। इसके करने से प्राकृतिक ऊर्जा प्राप्त होती है जिससे आतंरिक ऊर्जा में वृद्धि  होती है, ब्लड प्रेशर नियंत्रण में रहता है, कमर दर्द, तनाव और अनिद्रा की समस्या में लाभ मिलता है। त्वचा विकार/रोग जैसे खुजली, सोराइसिस आदि की समस्या में फायदा होता है। स्किन की चमक लौट आयेगी।  हाई ब्लड प्रेशर वाले लोग, कमर, हिप्स, कंधों, सीने में, घुटनों में दर्द या पीठ में कड़ापन की समस्या वाले लोग इस योगासन को अवॉइड करें। यह योगासन करना जितना सरल लगता है वास्तव में उतना ही कठिन है। 

शवासन करने का तरीका – Shavasana Method

(i) इसे करने के लिये शांत वातावरण वाला स्थान चुनें जहां किसी भी प्रकार की डिस्टरबेंस ना हो। 

(ii) उस स्थान पर जाकर, मैट बिछाकर पीठ के बल सीधा लेट जायें, तकिया, कुशन का इस्तेमाल ना करें। अपनी आंखें बंद कर लें। 

(iii) दोनों टांगों के बीच लगभग डेढ़ फुट का फासला रखें। पैर जमीन को छूते हुए साइड-बाइ-साइड झुके रहें। बाहें शरीर से 45 डिग्री की दूरी पर, हथेलियां आकाश की तरफ खुली हुई रहें। 

(iv) शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़ दें, मन को शांत करें। सांसों की गति सामान्य बनी रहे। 

(v) अब सांसों की गति को धीमी करें लेकिन सांस गहरी रखते हुए अपना ध्यान केवल अपने शरीर पर केंद्रित करें। पहले पैरों के अंगूठे, फिर घुटने, पेट, छाती और इसी तरह शरीर ऊपर के हिस्सों पर ध्यान लगायें। शरीर एकदम निश्चल शांत रहे। 

(v) आप महसूस करेंगे कि आपकी सांस पूरे शरीर में सांस फैलती जा रही है और अंदर अधिक ऊर्जा का संचार हो रहा है। सांस छोड़ते हुए शरीर और मन शांत हो रहा है। 

(vi) इस अवस्था में 5-10 मिनट तक स्थिर रहें परन्तु याद रहे आपको सोना नहीं है। 

(vii) शरीर को धीरे-धीरे हिलायें, धीरे-धीरे आंखें खोलें और फिर सुखासन या पद्मासन में बैठ कर तक आराम करें।

ये भी पढ़े- Yoga से Back Pain कैसे दूर करें

कुछ सुझाव – Some Suggestions

और अब कुछ निम्नलिखित सुझाव जो आपकी त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाये रखने में मदद करेंगे – 

1. खूब पानी पिएं अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ज्यादा से ज्यादा पानी पीने का प्रयास करें। इससे आपके शरीर का तापमान सामान्य बना रहेगा, रक्त संचार में सुधार होगा। त्वचा हाइड्रेट रहेगी, त्वचा शुष्क होने की संभावना नहीं रहेगी।  त्वचा नरम और मुलायम बनी रहेगी तथा त्वचा में प्राकृतिक चमक बनी रहेगी। 

2. प्रतिदिन चेहरे को कम से कम दो बार अवश्य धोयें। इसके लिये अच्छी गुणवता वाला फेसवॉश का इस्तेमाल करें। इससे धूल, मिट्टी, कीटाणु, आदि से त्वचा की रक्षा होगी और त्वचा में दमक आयेगी वो अलग। 

3. प्रोटीन और विटामिन से भरपूर खाद्य पदार्थों विशेषकर कैलोरी युक्त और हाइड्रेटिड खाद्य पदार्थों को अपने भोजन में सम्मलित करें। क्योंकि खाने पीने का शरीर पर बहुत प्रभाव पड़ता है। यह त्वचा को अंदर से स्वस्थ और मजबूत रखेगा। इससे एंटी-एज़िंग प्रभाव पड़ेगा। समय से पहले बूढ़े होने की गति रुक जायेगी। चेहरे से झुर्रियां और फाइनलाइन्स हट जाएंगी और आपको मिलेगी स्वस्थ और चमकदार त्वचा।

4. अपने चेहरे को बार-बार हाथ ना लगाएं। ऐसा करने से कीटाणु हाथ के जरिये त्वचा में प्रवेश कर अनेक प्रकार के त्वचा विकार और रोग पैदा कर सकते हैं। 

drink plenty of water जहां तक हो सके बाजार से मिलने वाले रसायनिक ब्यूटी प्रोडक्ट्स को अवॉइड करें। हां, प्राकृतिक ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। ब्यूटी पार्लर भी ऐसा चुनें जो प्राकृतिक ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हों। इनके द्वारा त्वचा को नुकसान पहुंचने की संभावना बहुत ही कम या नहीं के बराबर होती है। 

6. उबटन या फेस पैक बनाने के लिये प्राकृतिक स्रोतों से उपलब्ध पदार्थों का इस्तेमाल करें जैसे एलोवीरा, आँवला, तुलसी, चंदन, बेसन, जौ, हल्दी, दही, दूध-मलाई आदि।

7. अपने भोजन में विटामिन-सी युक्त फलों को अवश्य शामिल करें क्योंकि विटामिन-सी एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट के रूप कार्य करते हुए शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और त्वचा को अंदर से स्वस्थ बनाता है। इससे प्राकृतिक तौर पर त्वचा में चमक आती है। 

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको चमकदार त्वचा के लिये योगासन के बारे में जानकारी दी। त्वचा क्या है, त्वचा की परतें, त्वचा के प्रकार और त्वचा के खराब होने के कारण, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से चमकदार त्वचा के लिये बहुत सारे योगासन भी बताये तथा त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाये रखने के लिये कुछ सुझाव भी दिये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा। 

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

Summary
चमकदार त्वचा के लिये योगासन
Article Name
चमकदार त्वचा के लिये योगासन
Description
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको चमकदार त्वचा के लिये योगासन के बारे में जानकारी दी। त्वचा क्या है, त्वचा की परतें, त्वचा के प्रकार और त्वचा के खराब होने के कारण, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया है।
Author
Publisher Name
Desi Health Club
Publisher Logo

One thought on “चमकदार त्वचा के लिये योगासन – Yoga for Glowing Skin in Hindi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *