दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉक पर। दोस्तो, जब हम रसोई में भोजन बनाते हैं तो अपने हिसाब से बनाते हैं क्योंकि भोजन हमारा है, हमको खाना है। सब्जी बनाते समय अपने स्वादानुसार मिर्च, मसाले, नमक आदि डालते हैं ताकि हमको एकदम परफैक्ट स्वाद वाला भोजन मिल सके। यदि इसमें कुछ भी वस्तु कम या ज्यादा हो गई तो भोजन का स्वाद ही बिगड़ जायेगा। इसी प्रकार यह शरीर भी हमारा है, जैसा हम इसको भोजन देंगे उसी के अनुसार इसकी कार्य प्रणाली काम करेगी। इसकी कार्य प्रणाली इस बात पर निर्भर करती है कि हम इसको दे क्या रहे हैं। प्रोटीन, विटामिन, खनिज आदि के अतिरिक्त एक और तत्व है जो शरीर की कार्य प्रणाली की जान है। एक ऐसा रसायनिक तत्व जिसके बिना हम जीवित नहीं रह सकते ठीक उसी प्रकार जैसे कि हम पानी के बिना जिंदा रहने की कल्पना भी नहीं कर सकते। यह रसायनिक तत्व हमारे शरीर को भोजन के द्वारा मिलता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं आयोडीन की। यह एक ऐसा रसायनिक तत्व है जिसकी मदद से ही शरीर में हार्मोन बनते हैं। यदि शरीर में हार्मोन की कमी हो जाये तो हार्मोन का बनना भी रुक जायेगा। हार्मोन ना बनने की स्थिति में शरीर की कार्य प्रणाली ठप्प पड़ जायेगी। फिर ऐसा क्या किया जाये कि शरीर में आयोडीन की कमी ना होने पाये। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “आयोडीन की कमी पूरी करने के उपाय”। देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से आज आपको आयोडीन के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि आयोडीन की कमी को पूरा करने के क्या उपाय हैं। तो सबसे पहले जानते हैं कि आयोडीन क्या है और यह शरीर के लिये क्यों जरूरी है। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।
आयोडीन क्या है? – What is Iodine?
दोस्तो, आयोडीन एक ऐसा रसायनिक तत्व है जिसे प्रतीक रूप में अंग्रेजी वर्णमाला का “आई” (English Alphabet- I) लिखा जाता है और परमाणु संख्या 53 है। सन् 1811 में, फ्रांस के रसायन वैज्ञानिक बर्नार्ड कोर्ट्टोइस ने इस तत्व की खोज की थी लेकिन दो वर्ष पश्चात् जोसेफ लुई गे-लुसाक द्वारा इसे नामित किया। रसायनिक भाषा में बात की जाये तो समझिये कि –
(i) यह रसायन स्थिर हॅलोजन में सबसे भारी है।
(ii) मानक परिस्थितियों (Standard Conditions) में अर्ध-चमकदार,
(iii) गैर-धातु ठोस के रूप में उपलब्ध जो 114° सेल्सियस पर एक गहरे बैंगनी तरल बनाने के लिये पिघलता है, और 184° सेल्सियस पर वायलेट गैस में उबलता है।
आयोडिन का मुख्य श्रोत भूमि और पानी होते हैं अर्थात् इनसे उपजने वाले अनाज और शाक-सब्जियों में प्राकृतिक रूप से आयोडिन होता है। यह रसायनिक तत्व हमारे शरीर के लिये “आवश्यक आवश्यकता” है। इसके बिना शरीर की गतिविधियां संभव नहीं हैं अर्थात् हमारे शरीर की महत्वतूर्ण क्रियाऐं पूरी तरह आयोडीन पर निर्भर रहती हैं। अब जानते हैं कि आयोडीन हमारे शरीर के लिये क्यों आवश्यक है आयोडीन हमारे शरीर के लिये क्या काम करता है।
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आयोडीन शरीर के लिये क्यों जरूरी है? – Why is Iodine important for the body?
दोस्तो, जैसा कि हमने बताया कि आयोडीन शरीर के लिये आवश्यक आवश्यकता है, यह शरीर व मस्तिष्क दोनों की समुचित विकास बहुत जरूरी है। इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं –
1. दोस्तो, हमारे गले में तितली जैसे आकार की एक ग्रंथि होती है जिसे थायरॉयड ग्रंथि कहा जाता है। यह ग्रंथि ट्राईआयोडोथायरोनिन यानी टी3 और थायरॉक्सिन यानी टी4 हार्मोंन का निर्माण करके संग्रहित (Store) करती है और जरूरत के अनुसार शरीर की कोशिकाओं में भेजती है। ये हार्मोन सांस, हृदय गति, कोलेस्ट्रॉल, पाचन तंत्र और शरीर के तापमान को नियन्त्रित करते हैं। हड्डियों और मांसपेशियों को स्वस्थ बनाये रखने में भी ये हार्मोन मदद करते हैं। आयोडीन, थायरॉयड ग्रंथि के इस हार्मोन निर्माण के कार्य में मदद करता है। इसकी मदद के बिना यह कार्य संभव नहीं है।
2. आयोडीन, उदासीनता को दूर कर, मन को शांत करता है।
3. मस्तिष्क के स्वस्थ बनाये रखने में मदद करता है, यह तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाता है।
4. बाल, नाखून, दांत और त्वचा को स्वस्थ बनाये रखता है।
5. गर्भवती महिला और उसके बच्चे के स्वास्थ के लिये आयोडीन बेहद जरूरी है। इसकी कमी से बच्चा असामान्य हो सकता है।
6. नवजात शिशु के शरीर तथा मस्तिषक के विकास में आयोडिन सक्रिय भूमिका निभाता है। इसकी कमी से शारीरिक विकास में तो बाधा आती ही है, बच्चों में सीखने की क्षमता भी रुक जाती है।
7. बच्चे ही नहीं बड़ों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ के लिये भी आयोडीन की आवश्यकता होती है। इसकी कमी से अनेक रोग होने की संभावना रहती है।
आयोडीन की कमी से होने वाले रोग – Iodine Deficiency Diseases
दोस्तो, शरीर में केवल 10 से 12 मिलीग्राम आयोडीन होता है लेकिन इसके बगैर जीवन सम्भव नहीं है। अपने आहार के माध्यम से हमें आयोडीन प्राप्त होता रहता है। सामान्यतः किशोर और व्यस्क के लिये प्रतिदिन 150 माइक्रोग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है। गर्भवती और शिशु को स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिये क्रमशः 200 और 250 माइक्रोग्राम आयोडीन प्रतिदिन लेना जरूरी होता है। यदि आयोडीन उचित मात्रा में ना लिया जाये यानी इसकी कमी या अधिकता लंबे समय तक चले तो अनेक गंभीर समस्याऐं/रोग हो सकते हैं। सबसे पहले आपको बताते हैं आयोडीन की कमी से होने से होने वाली समस्याऐं/रोग जो निम्न प्रकार हैं। फिर आगे जिक्र करेंगे आयोडीन की अधिकता से होने वाले नुकसानों के बारे में।
1. थायरॉयड ग्रंथि के काम में बाधा (Obstruction of Thyroid Gland)- जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि आयोडीन, थायरॉयड ग्रंथि के हार्मोन निर्माण में मदद करता है, इसके बिना हार्मोन का निर्माण कार्य रुक जायेगा। थायरॉयड ग्रंथि के द्वारा हार्मोन उत्पादन ना किये जाने की स्थिति में शरीर की कार्य प्रणाली बुरी तरह प्रभावित हो जायेगी। आयोडीन की कमी होने पर यह सबसे बड़ी समस्या बन जायेगी।
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2. ऊर्जा की कमी (Lack of Energy)- थायरॉयड ग्रंथि आयोडीन की मदद से हार्मोन का निर्माण करती है। आयोडीन की कमी से जब यह प्रभावित होता है तो हाइपोथायरायडिज्म की समस्या बनती है। हाइपोथायरायडिज्म के कारण शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है क्योंकि हाइपोथायरायडिज्म कैलोरी घटाने की प्रक्रिया की गति को कम कर देता है। नतीजा यह होता है कि थकावट, उदासीनता, अवसाद, वजन का बढ़ना, कब्ज़ आदि जैसे लक्ष्ण प्रकट हो जाते हैं। दोस्तो, शरीर में ऊर्जा की कमी का अर्थ है कि ऐसी स्थिति में मांसपेशियों का सुचारु रूप से काम नहीं कर पाती हैं। इसलिये शरीर में कमजोरी होना स्वाभाविक है।
3. ध्यान और एकाग्रता में कमी (Decreased Attention and Concentration)- आयोडीन की कमी का प्रभाव मस्तिष्क स्वास्थ पर भी पड़ता है। किसी भी काम में ध्यान नहीं लग पाता है। एकाग्रचित होकर किसी काम को ठीक प्रकार से करने में कठिनाई होती है। कभी भ्रम की स्थिति उत्पन्न है जाती है तो कभी दिशा ज्ञान खो जाता है। यहां तक कि स्मरण शक्ति भी कमजोर होने लगती है।
4. क्रेटिनिज्म (Cretinism)- यह आयोडीन की कमी से होने वाला सबसे खतरनाक “विकासात्मक विकार” है जिसका कोई समुचित उपचार नहीं है। परन्तु दोस्तो, जितना यह खतरनाक है उतना ही इसे रोक पाना यानी इसे पैदा ही ना होने देना, आसान है केवल आयोडीन के माध्यम से। गर्भावस्था में आयोडीन की कमी के कारण गर्भस्थ भ्रूण या नवजात शिशु में क्रेटिनिज्म के निम्नलिखित विकार होने की संभावना बन जाती है।
(i) अल्पबुद्धिता (Short-Sightedness)- अल्पबुद्धिता से तात्पर्य है मानसिक विकास का सामान्य से कम होना। इसे गौण मानसिक न्यूनता भी कहा जा सकता है। यह स्थिति अपरिवर्तनीय (इसलिये गंभीर) मानसिक मंदता कही जायेगी। यद्यपि इसका कोई सटीक कारण नहीं है लेकिन इसे क्रेटिनिज्म के दुष्परिणाम के साथ जोड़कर देखा जाता है। आयोडीन की कमी से बच्चों के बौद्धिक स्तर में 10 से 15 प्रतिशत तक कम आ सकती है।
(ii) सोचने-समझने और बोलने की क्रिया/क्षमता कम हो जाती है।
(iii) गूंगा बहरापन।
(iv) हड्डियों का अधूरा विकास।
(v) बौनापन। बच्चे की शारीरिक वृद्धि रुक जाती है। 12 से 14 वर्ष का बच्चा 4 से 6 वर्ष जितना ही रह जाता है।
(vi) वजन बढ़ने लगता है। शरीर पर सूजन भी आ जाती है।
(vii) शरीर का ताप भी कम हो जाता है।
(viii) बाल कम होने लगते हैं। गंजेपन की स्थिति भी बन जाती है।
5. घेंघा रोग (Goitre Disease)- दोस्तो, थायरॉयड ग्रंथि का हार्मोन उत्पन्न करने का काम उस स्थिति में बढ़ जाता है जब उसे पर्याप्त मात्रा में आयोडीन नहीं मिलता। तब थायरॉयड ग्रंथि भोजन में से आयोडीन को खींचती है। इस प्रक्रिया में थायरॉयड ग्रंथि को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। परिणामस्वरूप थायरॉयड ग्रंथि का आकार बढ़ने लगता है और गले में सूजन आ जाती है जोकि एक गांठ के रूप में नजर आती है। गले की इसी सूजन को “घेंघा” कहा जाता है। इस गांठ या सूजन को देखकर तो सभी जान जाते हैं लेकिन कभी-कभी यह गांठ या सूजन दिखाई नहीं देती, उस अवस्था में केवल अनुभवी डॉक्टर ही इस समस्या को जान पाता है।
6. गर्भवती महिला और शिशु के लिये खतरा (Danger to Pregnant Woman and Baby)- आयोडीन की कमी गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु के लिये बहुत ही खतरनाक हो सकता है। आयोडीन की कमी से गर्भपात होने की संभावना बन सकती है, शिशु का वजन कम हो सकता है, शिशु मृत अवस्था में पैदा हो सकता है या जन्म के पश्चात शिशु की मृत्यु भी हो सकती है। गर्भस्थ भ्रूण या नवजात शिशु में क्रेटिनिज्म विकार के बारे में हम ऊपर बता ही चुके हैं।
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7. ज्यादा ठंड लगना (Getting too Cold)- आयोडीन की कमी से चयापचय (Metabolism) प्रणाली प्रभावित होती है। चयापचय दर कम होने लगती है, ऊर्जा कम बनती है। परिणामस्वरूप शरीर को कमजोरी और ज्यादा ठंड लगना, महसूस होती है। सर्दियों में ठंड सहन नहीं होती है।
8. बालों और त्वचा पर प्रभाव (Effects on Hair and Skin)- जिस प्रकार थायरॉयड हार्मोन के कारण शरीर में नए बाल उगते हैं उसी प्रकार थायरॉयड हार्मोन त्वचा में कोशिकाओं के निर्माण में भी मदद करते हैं। लेकिन जब आयोडीन की कमी होने लगती है तो नए बालों की प्रक्रिया बंद हो जाती है। ऐसे में बालों का झड़ना शुरु हो जाता है। गंजापन बढ़ने लगता है। त्वचा में कोशिकाओं के निर्माण कार्य बंद हो जाने पर वर्तमान कोशिकाऐं भी नष्ट होने लगती हैं और त्वचा में रूखापन आ जाता है कई बार त्वचा पर पपड़ी भी बन जाती है। नाखूनों के टूटने की समस्या भी हो सकती है।
9. आयोडीन की कमी से रक्त में कोलेस्ट्रोल का स्तर असंतुलित हो सकता है।
10. सेक्स पावर और प्रजनन क्षमता में कमी होने की संभावना होती है।
आयोडीन की कमी वाले क्षेत्र – Iodine Deficient Areas
दोस्तो, हमने ऊपर बताया है कि आयोडीन का मुख्य श्रोत भूमि और पानी होते हैं अर्थात् जिस जगह की मिट्टी और पानी में आयोडीन की मात्रा अधिक होगी वहां की फसल, शाक-सब्जी में भी आयोडीन भरपूर होगा। यदि हम इस दृष्टिकोण से देखें तो हमें पता चलता है कि पहाड़ी क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हैं। जम्मू और कश्मीर से लेकर उत्तरपूर्व तक 2,500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में रहने वाले लोग आयोडीन की कमी से ग्रस्त हैं। क्योंकि इस क्षेत्र की मिट्टी और पानी में ही आयोडीन की कमी है। इनके अतिरिक्त दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश , आँन्घ्र प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, गोवा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल राज्यों में भी आयोडीन की कमी है। इनके अतिरिक्त अन्य राज्यों के कुछ विशेष क्षेत्र भी आयोडीन की कमी से प्रभावित हैं।
आयोडीन के फायदे – Benefits of Iodine
1. सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण फायदा तो यही है की आयोडिन थायरॉयड ग्रंथि के हार्मोन उत्पादन के कार्य में मदद करता है। जिससे शरीर की चयापचय दर नियंत्रित रहती है। थायरोक्सिन और ट्राईआयोडोथायरोनिन जैसे हार्मोन हृदय गति की दर, रक्तचाप, वजन और शरीर का तापमान आदि को प्रभावित करते हैं। इन हार्मोन की सहायता से हमारा शरीर चयापचय दर में संतुलन बनाये रखता है।
2. आयोडीन कैलोरी का सदुपयोग करके कैलोरी को अतिरिक्त वसा के रूप में जमा नहीं होने देता और शरीर में ऊर्जा के स्तर को बनाये रखने में मदद करता है।
3. आयोडीन बालों की रक्षा करता है। इसकी मदद से बालों की वृद्धि होती है और मजबूती मिलती है। बालों के झड़ने की समस्या नहीं होती।
4. कैल्शियम की भांति आयोडीन भी हड्डियों के विकास स्वास्थ के लिये जरूरी है। आयोडीन की मदद से ही गर्भावस्था में शिशु की हड्डियों के ढ़ांचे का समुचित विकास हो पाता है। आयोडीन हड्डियों को मजबूती देता है और दांतों को स्वस्थ बनाये रखने में मदद करता है।
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5. आयोडीन त्वचा के स्वास्थ को बनाये रखने में मदद करता है। यह त्वचा में नमी बनाये रखता है और उसे चमकदार बनाता है। त्वचा की कोशिकाओं के नव निर्माण में आयोडीन अपनी सकारात्मक भूमिका निभाता है।
6. आयोडीन, विटामिन-सी की भांति शरीर में एंटीऑक्सीडेंट की गतिविधियों को उत्तेजित कर इम्युनिटी पावर को बूस्ट करता है।
7. गर्भवती महिलाओं और गर्भस्थ शिशु के लिये आयोडीन “जीवन रक्षक” के रूप में काम करता है। गर्भवती महिलाओं को आयोडीन की ज्यादा जरूरत पड़ती है। यह गर्भपात और मृत प्रसव की संभावना को खत्म कर गर्भवती महिला और उसके बच्चे की रक्षा करता है। यह बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करता है। बच्चे में न्यूरो कॉग्निटिव विकार (neurocognitive disorder) और क्रेटिनिज्म विकार होने की संभावना नहीं रहती।
8. शिशु को स्तनपान कराने वाली महिला को आयोडीन की सबसे अधिक जरूरत पड़ती है गर्भवती महिला से भी ज्यादा क्योंकि स्तन के दूध के जरिये आयोडीन की मात्रा खत्म होती रहती है। इसलिये आयोडीन की अतिरिक्त उसके और शिशु के स्वास्थ को बनाये रखने में मदद करता है।
आयोडीन की कमी पूरी करने के उपाय – Home Remedy to Overcome Iodine Deficiency
दोस्तो, अब बताते हैं आपको आयोडीन के श्रोत जिनके सेवन से इसकी कमी को पूरा किया जा सकता है। दोस्तो, यह एक आश्चर्यजनक सत्य है कि कुछ सुमद्री वनस्पतियों के सिवाय ऐसा कोई भी खाद्य पदार्थ नहीं है जो अपने आप में आयोडीन से भरपूर हो। क्योंकि हमारे देश भारत के बहुत बड़े भाग की भूमि और पानी आयोडीन युक्त नहीं है। इसका जिक्र हम ऊपर कर चुके हैं। ऐसे क्षेत्र में रहने वाले लोग आयोडीन युक्त नमक से आयोडीन की कमी को पूरा कर सकते हैं। इसका जिक्र हम आगे करेंगे। हां, कुछ खाद्य पदार्थों से आयोडीन की थोड़ी बहुत मात्रा मिल जाती है किसी से कम किसी से ज्यादा। जैसे दालें, अनाज, मूली, शतावर, गाजर, टमाटर, पालक, आलू, मटर, मुनक्का, ब्राउन राइस, लहसुन, मशरूम, सलाद, प्याज, केला, स्ट्राबेरी, दूध, दही, पनीर, मांस, मछली, सी-फूड, अंडे की जर्दी आदि। दोस्तो, सबसे पहले आपको बताते हैं आयोडीन युक्त नमक के बारे में फिर बतायेंगे कुछ ऐसे निम्नलिखित खाद्य पदार्थों के बारे में जिनसे ठीक-ठाक मात्रा में आयोडीन प्राप्त किया जा सकता है –
1. आयोडीन युक्त नमक (Iodized Salt)- नमक सबसे अच्छा और सरल श्रोत है आयोडीन की कमी को पूरा करने का। परन्तु दोस्तो, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि किसी भी नमक में आयोडीन नहीं होता, इसमें आयोडीन मिलाना पड़ता है तब जाकर आयोडीन युक्त नमक बनता है। घरों में जो नमक इस्तेमाल किया जाता है उसमें आयोडीन की मात्रा 15 पीपीएम होनी चाहिये। अब जानते हैं कि ये पीपीएम क्या होता है। और नमक में आयोडीन क्यों मिलाया जाता है।
पीपीएम क्या होता है?-What is PPM?
पीपीएम यानी पार्ट्स प्रति मिलियन। यह पानी या मिट्टी में किसी चीज की सांद्रता को वर्णित करता है। एक पीपीएम से अभिप्राय है एक मिलियन या 1/1,000,000 में से एक होता है। उदहारण के लिये एक पीपीएम प्रति लीटर पानी के 1 मिलीग्राम (मिलीग्राम / एल) या प्रति किलोग्राम मिट्टी के 1 मिलीग्राम (मिलीग्राम / किग्रा) के बराबर है।
नमक में आयोडीन क्यों मिलाया जाता है?-Why is Iodine Added to Salt?
दोस्तो, जब हमें आयरन की कमी हो जाती है तो आयरन की एक गोली रोजाना लेनी पड़ती है और विटामिन की कमी होने पर विटामिन की एक गोली रोजाना खानी होगी। इसी प्रकार आयोडीन की कमी होने पर आपको आयोडीन की गोली रोजाना ना खानी पड़े, इसीलिये नमक में आयोडीन मिलाना पड़ता है क्योंकि नमक सबसे सरल और जरूरी विकल्प है आयोडीन प्राप्त करने का। हम भोजन के माध्यम से रोजाना लगभग 10 से 15 ग्राम नमक खा जाते हैं।
2. समुद्री शैवाल (Seaweed) आयोडीन की दैनिक जरूरत की पर्याप्त मात्रा समुद्री शैवाल से मिल जाती है। एक चौथाई समुद्री शैवाल में 4500 माइक्रोग्राम आयोडीन की मात्रा मौजूद होती है।
3. सी-फूड (Seafood)- सी-फूड आयोडीन का सबसे उत्तम श्रोत है। इनमें आयोडीन की भरपूर मात्रा होती है। बच्चों के मानसिक विकास के लिये तो बहुत ही अच्छा होता है। इससे उनका ब्रेन तेज होता है। समुद्री मछली के पोषक तत्व दिमाग को तेज करते हैं। इसमें मौजूद फैटी एसिड स्मरण शक्ति को बढ़ाता है और प्रोटीन मस्तिष्क की नई कोशिकाओं के निर्माण में मददगार होता है।
4. क्रैनबेरी (Cranberry)- एंटीऑक्सीडेंट क्रैनबेरी में आयोडीन की प्रचुर होती है। केवल 4 क्रैनबेरी से 400 माइक्रोग्राम आयोडीन मिल जाता है। क्रैनबेरी, थायरॉयड ग्रंथि और प्रजनन के लिये भी उपयोगी होती है।
5. दही (Curd)- दही से आयोडीन की दैनिक मात्रा पूरी होरजाती है। एक कटोरी दही से 80 माइक्रोग्राम आयोडीन मिल जाता है। यह पाचन-तंत्र के लिये भी बहुत फायदेमंद होती है।
6. दूध (Milk)- कैल्शियम और विटामिन-डी से भरपूर एक कप दूध से 56 माइक्रोग्राम आयोडीन पाया जाता है। दूध से हड्डियों को भी मजबूती मिलती है।
7. भुना आलू (Roasted Potatoes)- पोषक तत्वों से भरपूर भुने हुऐ आलू को छिलका सहित खाइये। इसके छिलके में आयोडीन, पोटेशियम और विटामिन मौजूद होते हैं। एक आलू से 40% आयोडीन मिल जाता है।
8. मुनक्का (Raisins)- फाइबर और विटामिन से भरपूर मुनक्के स्वास्थ के लिये बहुत लाभदायक होते हैं। प्रतिदिन तीन मुन्नके खाने से आपको 34 माइक्रोग्राम आयोडीन मिल जायेगा।
9. ब्राउन राइस (Brown Rice)- ब्राउन राइस को आयोडीन का बेहतरीन श्रोत माना जाता है। इसमें मौजूद घुलनशीन फाइबर रक्त में खराब वाले कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करता है।
10. लहसुन (Garlic)- लहसुन में भी आयोडीन की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर लहसुन अपने आप में आयुर्वेदिक औषधी है जो स्वास्थ के लिये अत्यंत लाभदायक होता है। इसके सेवन से इम्युनिटी भी बढ़ती है।
आयोडीन की मात्रा – Quantity of Iodine
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित अनुशंसित आहार भत्ता (Recommended Dietary Allowance – RDA) निम्नप्रकार है –
बच्चे –
1 वर्ष तक – 90 माइक्रोग्राम, प्रतिदिन
1 से 6 वर्ष तक – 90 माइक्रोग्राम, प्रतिदिन
6 से 12 वर्ष तक – 120 माइक्रोग्राम, प्रतिदिन
किशोर और व्यस्क – 150 माइक्रोग्राम, प्रतिदिन
गर्भवती महिलाऐं – 200 माइक्रोग्राम, प्रतिदिन
स्तनपान कराने
वाली महिलाऐं – 250 माइक्रोग्राम, प्रतिदिन
आयोडीन की अधिक मात्रा से नुकसान – Damage from an Overdose of Iodine
शरीर में आयोडीन की मात्रा असंतुलित होने से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जिस प्रकार आयोडीन की कमी नुकसानदायक है उसी प्रकार इसकी अधिक मात्रा निम्नलिखित समस्याऐं उत्पन्न कर सकती है –
1. घबराहट हो सकती है, सदमा भी लग सकता है और बेहोशी भी छा सकती है।
2. खाँसी, बुखार, सांस की तकलीफ।
3. पेट में दर्द, उल्टी, दस्त जैसी समस्या हो सकती है।
4. मुंह के स्वाद में परिवर्तन, मुंह और गले में जलन।
5. हाशिमोटो यानी ऑटोइम्यून थाइरॉइड रोग, थाइरॉइड कैंसर और अन्य थाइरॉइड से जुड़े रोग हो सकते हैं।
6. हाइपोथायरायडिज्म, एक स्थिति जब थाइरॉइड ग्रंथि से हार्मोन नहीं बनते तो हृदयगति, शरीर का तापमान और चयापचय प्रणाली प्रभावित होते हैं।
Conclusion –
दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको आयोडीन की कमी पूरी करने के उपाय के बारे में विस्तार से जानकारी दी। आयोडीन क्या है, आयोडीन शरीर के लिये क्यों जरूरी है, आयोडीन की कमी से होने वाले रोग, आयोडीन की कमी वाले क्षेत्र, आयोडीन के फायदे और आयोडीन की कमी पूरी करने के बहुत सारे उपाय, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से भी बताया कि शरीर में आयोडीन की मात्रा कितनी होनी चाहिये और आयोडीन की अधिक मात्रा से क्या नुकसान होते हैं। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा।
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