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डिस्फेजिया क्या है? – What is Dysphagia in Hindi

डिस्फेजिया क्या है?

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, भोजन करते समय या पानी या अन्य पेय पदार्थ निगलते समय खाना या पानी, भोजन की नली में ना जाकर श्वास नली में चला जाता है जिससे गले में फंदा लगता है, जोर-जोर से खांसी उठती है और बहुत तकलीफ होती है। यह सब होता है भोजन और पेय पदार्थ को ठीक से ना निगल पाने की वजह है। यह सामान्य और मामूली बात है। मगर कुछ चिकित्सकीय स्थितियां ऐसी होती हैं कि जिनकी वजह से निगलने में कठिनाई होती है। यदि निगलने में कठिनाई अक्सर होती रहे और लंबे समय तक बनी रहे तो यह गंभीर स्थिति की ओर संकेत करती है। मेडिकल भाषा में इसे डिस्फेजिया कहा जाता है। तंत्रिका तंत्र व मस्तिष्क संबंधी विकार, मांसपेशियों से संबंधित विकार तथा कुछ अन्य चिकित्सकीय स्थितियां डिस्फेजिया की वजह बनते हैं जिनका उपचार किया जा सकता है। आखिर यह डिस्फेजिया है क्या?। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “डिस्फेजिया क्या है?”। 

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको डिस्फेजिया के बारे में जानकारी विस्तार से जानकारी देगा और इसके इलाज के बारे में भी बताएगा। तो, सबसे पहले जानते हैं कि डिस्फेजिया क्या है और इसके प्रकार। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे। 

डिस्फेजिया क्या है? – What is Dysphagia?

दोस्तो, भोजन का शरीर में जाकर पाचन तंत्र द्वारा पचाये जाने की अपनी अनोखी प्रक्रिया होती है। सबसे पहले हम भोजन को अपने मुंह में डालते हैं, दांत चबा-चबा कर इसको बहुत छोटा बनाते हैं और लार ग्रंथियां थूक उत्पन्न कर लार बनाती हैं जो भोजन के साथ मिलकर भोजन को थोड़ा रसादार बनाकर नरम बना देती हैं। जीभ इस रसादार भोजन को पीछे गले में धकेलती है और भोजन आसानी से गले द्वारा निगल लिया जाता है।

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इस पूरी प्रणाली में कहीं भी किसी भी हिस्से में कोई परेशानी हो जाती है तो इसका सीधा प्रभाव भोजन को निगलने पर पड़ता है। भोजन को निगलने में कठिनाई होती है। भोजन को निगलने में कठिनाई होने की स्थिति को ही मेडिकल भाषा में डिस्फेजिया (Dysphagia) कहा जाता है। “डिस्फेजिया” शब्द मेडिकल भाषा में ‘निगलने में कठिनाई’ को संदर्भित को संदर्भित करता है।  

डिस्फेजिया को कई लोग डिस्फेगिया भी कहते हैं। वैसे तो यह डिस्फेजिया किसी भी आयु वर्ग को हो सकता है लेकिन अमूमन यह मसला बच्चों और बुजुर्गों में देखा गया है। जब निगलने में कठिनाई पैदा होती है, तो भोजन का ग्रासनली (Esophagus) में जाने के बजाय श्वसन पथ (Respiratory Tract) में जाने खतरा होता है जोकि भविष्य में गंभीर संक्रमण और निमोनिया की वजह बन सकता है।

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डिस्फेजिया के प्रकार – Types of Dysphagia

भोजन प्रणाली के तीन मुख्य आधार हैं – मुंह, गला और ग्रासनली। इन्हीं के आधार पर डिस्फेजिया को तीन भागों में बांटा गया है। विवरण निम्न प्रकार है –

1. मौखिक डिस्फेजिया (Oral) – मौखिक डिस्फेजिया का अर्थ है मुंह से जुड़ी कोई समस्या होना। भोजन को मुंह में डालने पर जबड़ा और दांत उसे चबा-चबाकर छोटे-छोटे टुकड़ों में बदल देते हैं। फिर लार ग्रंथियां जो थूक का उत्पादन करती हैं, लार भोजन को रसादार बनाती है फिर जीभ उसे मुंह से गले में धकेलती है। इस पूरी प्रणाली में रुकावट आ जाना मौखिक डिस्फेजिया कहलाता है।  

2. मुख-ग्रसनी डिस्फेजिया (Oropharyngeal) – इसे ट्रांसफर डिस्फेजिया भी कहा जाता है यानि भोजन का मुंह से गले तक जाने में रुकावट आ जाना। ऐसा तब होता है जब अन्नप्रणाली (esophagus) के मार्ग में वायु नली (trachea) में स्वरयंत्र (larynx) बंद हो जाए। जब हम भोजन करते हैं तो जीभ उस भोजन या पानी आदि पेय पदार्थ को गले में धकेलती है। 

3. इसोफेजियल डिस्फेजिया (Esophageal) – इसका तात्पर्य यह है कि समस्या अन्नप्रणाली (esophagus) में आई कोई रुकावट है। क्योंकि अन्नप्रणाली भोजन और पेय पदार्थ को, पेट में जाने तक लहर के समान गति (peristalsis) में निचोड़ती है। 

डिस्फेजिया के कारण – Causes of Dysphagia

डिस्फेजिया के कारणों को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जा सकता है – तंत्रिका तंत्र व मस्तिष्क संबंधी विकार तथा मांसपेशियों से संबंधित विकार। इनके अतिरिक्त अन्य कारण भी हो सकते हैं। विवरण निम्न प्रकार है – 

1. तंत्रिका तंत्र व मस्तिष्क – Nervous System and Brain

(i) डिमेंशिया (Dementia)- यह मस्तिष्क से जुड़ा एक सिंड्रोम है। इसमें मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं को हानि पहुंचती है। स्मृति की हानि होना, बोलचाल, संवाद, भाषा समझने में दिक्कत होना, सोच विचार में क्षीणता आदि इसके मुख्य लक्षण होते हैं।

(ii) पार्किंसंस रोग (Parkinson’s Disease)- यह केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का दूसरा सबसे आम रोग है। यह तंत्रिका तंत्र का प्रगतिशील रोग है जो गतिविधि को प्रभावित करता है। इसमें मस्तिष्क के ऊतकों को हानि पहुंचती है। कंपकंपी, मांसपेशियों में अकड़न, धीमी और अनिश्चित गति, चलते समय झुककर चलना, बाजुओं का मूवमेंट ना होना आदि इसके मुख्य लक्षण होते हैं। 

(iii) मल्टीपल स्केलेरोसिस (Multiple Sclerosis)- यह एक ऑटोइम्यून रोग है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली स्वयं शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं पर आक्रमण कर इम्युनिटी को कमजोर करती है। परिणामस्वरूप मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में नसों को हानि पहुंचाती है।

(iv) मस्तिष्क ट्यूमर (Brain Tumors)- मस्तिष्क में वृद्धि, तंत्रिका तंत्र संकेतों में रुकावट डाल सकती है जो मांसपेशियों को मूवमेंट के लिए कहते हैं।

(v) स्ट्रोक (Stroke)- यह मस्तिष्क से जुड़ी एक ऐसी स्थिति है जिसमें मस्तिष्क में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचने में बाधा आती है। यह स्थिति मस्तिष्क की उन मांसपेशियों को प्रभावित करती है जो निगलने को कंट्रोल करती हैं।

2. मांसपेशियों से संबंधित विकार – Muscle-Related Disorders

(i) अचलासिया (Achalasia)- यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें अन्नप्रणाली के निचले हिस्से की मांसपेशियां आराम करने में विफल हो जाती हैं। परिणामस्वरूप भोजन पेट में जाने से रुक जाता है। 

(ii) मायोसिटिस (Myositis)- यह एक ऑटोइम्यून रोग है जो जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली स्वयं शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं पर आक्रमण करती है और इम्युनिटी को कमजोर करती है। यह रोग गले और अन्नप्रणाली में मांसपेशियों की कमजोरी की वजह भी बन सकती है। 

(iii) स्क्लेरोडर्मा (Scleroderma)- एक ऑटोइम्यून बीमारी जिसमें  अन्नप्रणाली में ऊतक कठोर हो जाते हैं। इन कठोर ऊतकों  के कारण अन्नप्रणाली की मांसपेशियां सिकुड़ नहीं पातीं, परिणामस्वरूप भोजन पेट की ओर नहीं जा पाता।

(iv) ग्रासनली की ऐंठन (Esophageal Spasm)- जब अन्नप्रणाली के ऊपरी हिस्से की मांसपेशियां बहुत ज्यादा सिकुड़ जाती हैं निगलने में दिक्कत होती है और ऐसा लगता है कि जैसे गले में कुछ फंस गया है।

(v) इओसिनोफिलिक ग्रासनलीशोथ (Eosinophilic Esophagitis)- यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें अन्नप्रणाली में बहुत ज्यादा श्वेत रक्त कोशिकाएं (इओसिनोफिल्स) जमा हो जाती हैं। इस वजह से निगलने में दिक्कत होती है।

3. अन्य स्थितियां (Other Conditions)- कुछ अन्य स्थितियां भी डिस्फेजिया की वजह बन सकती हैं जैसे कि मुंह का कैंसर या ग्रासनली का कैंसर या रेडिएशन थेरेपी। रेडिएशन थेरेपी के बाद कुछ समय तक भोजन निगलने में दिक्कत हो सकती है। विशेषतौर पर यह उन लोगों को अधिक प्रभावित कर सकती है जिनकी सिर और गर्दन की रेडियोथेरेपी होती है। 

डिस्फेजिया के लक्षण – Symptoms of Dysphagia

डिस्फेजिया के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –

  1. भोजन को निगलने में दिक्कत होना यह मुख्य लक्षण है।
  2. भोजन करने में 30 मिनट से अधिक का समय लगना।
  3. भोजन या पेय पदार्थ का गले में अटक जाना या “गलत रास्ते” पर चले जाना जैसे कि श्वास नली में चले जाना जिससे बहुत जोर से खांसी उठना।
  4. खांसते समय गले में दर्द होना।
  5. भोजन करते या पीते समय मुंह बंद करना या दम घुटना महसूस करना।
  6. मुंह में लार को रोक पाने पर नियंत्रण ना होना।
  7. भोजन करते या पीते समय सांस फूलना।
  8. गले और छाती में कुछ भी अटका हुआ सा महसूस करना।
  9. संवाद में रुकावट, ठीक से बोल ना पाना।
  10. ऐसा महसूस करना जैसे कि खाना ऊपर आ रहा है। 
  11. ऐसे खाद्य पदार्थ जिनको निगलने में कठिनाई होती है, का परहेज करना।  
  12. बिना किसी स्पष्ट कारण के छाती में संक्रमण होना।

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डिस्फेसिया का निदान – Diagnosis of Dysphasia

डिस्फेसिया के परीक्षण के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जा सकते हैं –

1. एंडोस्कोपी और बायोप्सी (Endoscopy and Biopsy)- पूरे या लगभग पूरे ब्‍लॉकेज के लक्षण के मरीजों की एंडोस्कोपी की जा सकती है। एंडोस्कोपी करते समय श्वेत रक्त कोशिकाओं के कारण अन्नप्रणाली की सूजन को देखते हुए बायोप्सी भी की जा सकती है। 

2. बेरियम निगलने का टेस्ट (Barium Swallow Test)- जिन मरीजों के लक्षण पूरी तरह से ब्‍लॉकेज को नहीं हैं तो पहले सादे तरल बेरियम को निगलने को कहा जाता है। बेरियम निगलते समय यह एक्स-रे पर दिखाई देता है। फिर बेरियम तरल को मार्शमैलो या क्रैकर जैसी किसी सामग्री के साथ मिलाकर मरीज को दिया जाता है ताकि ब्‍लॉकेज का पता चल सके। बेरियम का निगेटिव रिपोर्ट आने पर, यदि कोई गतिशीलता विकार नजर आता है तो मरीज की अन्नप्रणाली की गतिशीलता का परीक्षण किया जाता है। इसके लिए एक पतली ट्यूब जिसमें प्रेशर सेंसर लगे होते हैं, को निगलना होता है। इससे अन्नप्रणाली की सामान्य रूप से सिकुड़न या निचले हिस्से की आरामदायक स्थिति का पता चलता है।

3. सीटी स्केन

4. एमआरआई स्केन 

डिस्फेसिया से बचाव – Prevention of Dysphasia

दोस्तो, निम्नलिखित बातों को अपनाकर डिस्फेसिया की समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है – 

1. खाना आराम से करें (Eat Comfortably)- कई लोग खाना बहुत हड़बड़ी में खाते हैं या बहुत जल्दी-जल्दी खाना खाते हैं। इससे कई बार खाना श्वास नली में चला जाता है और खांसी उठने लगती है। इससे गले में दर्द होने लगता है। इसलिये खाना आराम से तसल्ली में खाएं, अच्छी तरह चबा-चबाकर खाएं और अपना ध्यान भोजन पर ही रखें। 

इससे कभी भी भोजन करते समय कोई समस्या नहीं होगी। आराम से भोजन करने का मतलब यह भी नहीं है कि भोजन लंबे समय तक करते रहें। भोजन ज्यादा से ज्यादा 20 मिनट में समाप्त करने की कोशिश करें। 30 मिनट से अधिक समय तक भोजन करना डिस्फेसिया का लक्षण माना जाता है।

2. सोने से तुरन्त पहले भोजन न करें (Do not Eat Immediately Before Bedtime)- कई लोग सोने तुरन्त पहले खाना खा लेते हैं और खाना खाकर सो जाते हैं। यह एकदम गलत है। ऐसा करने से पेट में अजीब सी हलचल होती है जो अपच का कारण बन सकती है। भोजन सही से ना पचने से पेट में एसिडिटी की समस्या हो सकती है, पेट में दर्द भी हो सकता है और सीने में जलन भी हो सकती है। 

कई लोग देर रात को भोजन करते हैं जैसे कि 10, 11 या 12 बजे। यह स्थिति बेहद खराब होती है। इससे अपच तो होती ही है साथ ही नींद की गुणवत्ता भी खराब होती है। अतः रात का भोजन सोने से तीन घंटे पहले कर लेना चाहिए। रात का भोजन करने का सही समय 7 या 8 बजे का होता है जिससे कि आप 10 या 11 बजे तक सो सकें और आप 6, 7 घंटे की भरपूर नींद ले सकें। ऐसा करने से डिस्फेसिया की संभावना नहीं रहेगी।

3. गले की एक्सरसाइज करें (Do throat Exercises)- डिस्फेसिया को दूर रखने के लिए गले की एक्सरसाइज करें। कई बार ठुड्डी के नीचे, गले के पास फैट जमा हो जाता है जो भोजन निगलने में कठिनाई का कारण बनता है। इससे राहत पाने के लिए मुंह को ऐसे फुलाएं मानो उसमें पानी भरा है। 

फिर मुंह में भरी हवा को दाएं गाल से बाएं और फिर बाएं गाल से दाएं की ओर घुमाएं। ऐसा 20 बार रिपीट करें और दिन में दो बार करें। इससे गले की मांसपेशियों में रुकावट और अकड़न भी खत्म हो जाएगी। गले की एक्सरसाइज के लिए योगा एक्सपर्ट की सलाह अवश्य ले लें।

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डिस्फेजिया का इलाज – Treatment of Dysphagia

डिस्फेजिया के इलाज के लिये निम्नलिखित विधि अपनाई जा सकती हैं –

1. दवाएं – Medicines

(i) चूंकि अधिकतर डिस्फेजिया वायरस या फंगल इंफेक्शन के कारण होता है, इसलिए डॉक्टर एंटीमाइक्रोबियल दवाएं दे सकते हैं। 

(ii) जीईआरडी के उपचार में एसिड रिफ्लक्स को कंट्रोल करने वाली दवाएं दी जा सकती हैं।

(iii) न्यूरोलॉजिकल स्थिति के मामले में डॉक्टर समुचित इलाज करते हैं। मांसपेशियों की ऐंठन से छुटकारा दिलाने के लिए बोटुलिनम टॉक्सिन (बोटॉक्स®) इंजेक्शन का उपयोग किया जा सकता है।  

2. फीडिंग ट्यूब (Feeding Tube)- यदि कोई मरीज इस स्थिति में है कि वह खा नहीं सकता या पी नहीं सकता अथवा उसका दम घुट रहा है तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर फीडिंग ट्यूब के जरिये भोजन और तरल पदार्थ सीधे मरीज की आंतों या पेट में पहुंचाता है। 

3. पुनर्वास उपाय (Rehabilitation)- आघात की वजह से हुए डिस्फेजिया के मामलों में पुनर्वास विशेषज्ञ द्वारा उपचार किया जाता है। इसमें भोजन करते समय सिर की पोजीशन में बदलाव, निगलने वाली मांसपेशियों को दुबारा से प्रशिक्षित करना, ऐसे व्यायाम करना जो मुंह में भोजन के कौर-दर-कौर को समायोजित करने की क्षमता में सुधार आदि सम्मलित हो सकते हैं।

Conclusion –

आज के आर्टिकल में हमने आपको डिस्फेजिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डिस्फेजिया क्या है?, डिस्फेजिया के प्रकार, डिस्फेजिया के कारण, डिस्फेजिया के लक्षण, डिसमेनोरिया का निदान और डिस्फेजिया से बचाव, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से डिस्फेजिया का इलाज भी बताया। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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आज के आर्टिकल में हमने आपको डिस्फेजिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डिस्फेजिया क्या है?, डिस्फेजिया के प्रकार, डिस्फेजिया के कारण, डिस्फेजिया के लक्षण, डिसमेनोरिया का निदान और डिस्फेजिया से बचाव, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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