दोस्तो, कुछ बच्चे देखने में एकदम स्वस्थ दिखाई देते हैं लेकिन उनमें दिनचर्या के अपने कार्य करने की क्षमता में कमी देखी जाती है जैसे कि खुद खाना खाने में असुविधा महसूस होना, खुद कपड़े पहनने में असुविधा, ड्राइंग बनाने में दिक्कत होना या जूते ठीक से ना पहन पाना आदि। यदि इनके इतिहास पर नजर डाली जाए तो कुछ का जन्म समय से पहले हुआ होता है, जन्म के समय वजन कम होता है, ये घुटनों के बल और पैरों से भी देर से चले होते हैं। इनमें गतिविधि और समन्वय की कमी होती है। इनमें अन्य बच्चों की तुलना में सीखने की क्षमता भी बेहद कम होती है। ऐसी स्थिति जिसमें बच्चे में गतिविधि और समन्वय की कमी हो, को मेडिकल भाषा में डिस्फेजिया कहा जाता है। यह मस्तिष्क से संबंधित मोटर कौशल और मोटर समन्वय विकार है जिसका कोई समुचित इलाज नहीं है बल्कि कुछ थेरेपी के जरिए इसे मैनेज किया जाता है ताकि प्रभावित व्यक्ति की जीवनशैली में परिवर्तन आ जाए और वह अपने दैनिक कार्य ठीक से कर सके। आखिर यह डिस्प्रेक्सिया है क्या?। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “डिस्प्रेक्सिया क्या है?“।
देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको डिस्प्रेक्सिया के बारे में जानकारी विस्तार से जानकारी देगा और इसके इलाज के बारे में भी बताएगा। तो, सबसे पहले जानते हैं कि डिस्प्रेक्सिया क्या है और इसके होने के कारण। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।
डिस्प्रेक्सिया क्या है? – What is Dyspraxia?
दोस्तो, डिस्प्रेक्सिया (Dyspraxia) एक न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर है जिसमें व्यक्ति की गतिविधियां और समन्वय प्रभावित होते हैं। जो बच्चे जन्म से डिस्प्रेक्सिया से ग्रस्त होते हैं, अन्य बच्चों की तुलना में उनका विकास धीमा होता है जिससे उनको संतुलन और समन्वय में भी दिक्कत होती है। यद्यपि ऐसे बच्चे देखने में स्वस्थ दिखते हैं परन्तु ये सामान्य रूप से सक्रिय नहीं होते हैं। डिस्प्रेक्सिया को विकासात्मक समन्वय विकार (Developmental Coordination Disorder – DCD) भी कहा जाता है।
यह डिस्ऑर्डर अपने आप में अकेला भी हो सकता है या अन्य विकास संबंधी विकारों के साथ भी। यह डिस्ऑर्डर महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक होता है। भारत में हर वर्ष लगभग 10 लाख से कम मामले नोटिस किए जाते हैं। डिस्प्रेक्सिया का कोई सटीक कारण नहीं है और ना ही कोई उपचार। केवल कुछ थेरेपी के माध्यम से इसको मैनेज किया जा सकता है।
डिस्प्रेक्सिया के कारण – Causes of Dyspraxia
विशेषज्ञों के अनुसार डिस्प्रेक्सिया का कोई सटीक और ठोस प्रमाणिक कारण नहीं है परन्तु माना जाता है कि यह मस्तिष्क से संदेश प्रसारित होने की विधि में रुकावट की वजह से होता है। डिस्प्रेक्सिया से व्यक्ति की सहज और समन्वित तरीके से गतिविधियों की क्षमता प्रभावित होती है। यह भी माना जाता है कि समय से पहले यानि प्रेग्नेंसी के 37 सप्ताह से पहले जन्म होना तथा जन्म के समय वजन होने पर बच्चों में डिस्प्रेक्सिया होने की संभावना बढ़ जाती है।
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डिस्प्रेक्सिया के लक्षण – Symptoms of Dyspraxia
डिस्प्रेक्सिया के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं –
- अधिक चिड़चिड़ापन
- तेज आवाज़ के प्रति संवेदनशीलता
- देर से बोलना शुरू करना
- बोलने में दिक्कत महसूस करना
- मुंह से निरन्तर लार टपकना
- सीखने की क्षमता में कमी
- ड्राइंग बनाने में कठिनाई
- उठने, बैठने और चलने-फिरने में देरी
- घुटनों के बल चलने में देरी
- पैरों पर चलने में देरी
- खुद भोजन करने में असुविधा
- खुद कपड़े पहनने में असुविधा
- नींद की समस्या
- कूदने या जूते के फीते बांधने जैसे कार्यों में असुविधा
- ढीली मांसपेशियां
- मांसपेशियों में कमज़ोरी
डिस्प्रेक्सिया का निदान – Diagnosing Dyspraxia
हम यहां स्पष्ट कर दें कि डिस्प्रेक्सिया का निदान तब तक संभव नहीं है जब तक कि बच्चा पांच वर्ष का ना हो जाए। हम यह भी स्पष्ट कर दें कि डिस्प्रेक्सिया के निदान के लिए कोई विशेष टेस्ट नहीं है। फिर भी विशेषज्ञों की टीम विशिष्ट मानदंडों की जांच करता है। टीम में बाल रोग विशेषज्ञ, बाल मनोवैज्ञानिक, व्यावसायिक या भौतिक चिकित्सक आदि शामिल हो सकते हैं।
यह टीम बच्चे के माता-पिता से बच्चे की चिकित्सा इतिहास, विकास और लक्षणों के बारे में जानकारी हासिल करती है। यह टीम बच्चे के मोटर कौशल, मोटर कौशल का स्तर,समन्वय और संतुलन, बच्चे की मानसिक क्षमता, स्कूल में दैनिक गतिविधियों और उपलब्धियां आदि का आकलन करती है।
डिस्प्रेक्सिया का इलाज – Treatment of Dyspraxia
दोस्तो। बहुत अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि डिस्प्रेक्सिया का कोई समुचित इलाज नहीं है परन्तु कुछ थेरेपी और व्यायाम के जरिए मरीज की जीवनशैली में और सोच विचार में परिवर्तन लाया जाता है। यह परिवर्तन उसके जीवन जीने को आसान बना देता है जैसे कि स्वतन्त्र रहना आना, खुद खाना बनाने की निपुणता, खाना खाने, लिखने, पढ़ने, खेल-कूद, चित्र बनाना आदि दैनिक जीवन के कार्य। कुछ थेरेपी और व्यायाम का विवरण निम्न प्रकार है –
1. कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (Cognitive Behavioral Therapy)- इसे टॉकिंग थेरेपी भी कहा जाता है। इसके जरिए सोच, विचार और व्यवहार में परिवर्तन से जीवन की अनेक कठिनाइयों का सामना करना सरल हो जाता है।
2. ऑक्यूपेशनल थेरेपी (Occupational Therapy)- इस थेरेपी के जरिए ऐसे उपायों को खोजने और अपनाने पर जोर दिया जाता है जिनके जरिए मरीज स्वतंत्र रहना सीखता है और खाना पकाने, खाने, लिखने, पढ़ने, ड्राइंग करने आदि जैसे दिनचर्या के कार्य सरलता से कर सके।
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3. फिजियोथेरेपी (Physiotherapy)- फिजियोथेरेपी के अंतर्गत “ली पद्धति” डिस्प्रेक्सिया के उपचार में बहुत लाभदायक सिद्ध हुई है। अध्धयनों के अनुसार इस उपचार से प्रत्येक मरीज में 69 प्रतिशत तक सुधार देखा गया है। यह पद्धति धड़, श्रोणि, कंधे और की कमर की मांसपेशियों को मजबूती देने का काम करती है। इसमें सकल और फाइन मोटर कौशल, समन्वय, स्थानिक जागरूकता, आंख, हाथ, पैर का समन्वय और गेंद कौशल तथा लिखावट कौशल आदि सम्मलित होते हैं।
4. व्यायाम (Exercise)- व्यायाम एक शारीरिक गतिविधि है जो फिटनेस, मांसपेशियों को मजबूत और विकसित करने, वजन कम करने, हृदय को स्वस्थ रखने, सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने, शारीरिक और मानसिक रोगों को दूर करने के लिए की जाती है। केवल 30-45 मिनट का व्यायाम एथलेटिक कौशल को निखारने में भी मदद करता है। डिस्प्रेक्सिया सहित अन्य मस्तिष्क विकारों/रोगों को भी दूर करने के लिये व्यायाम का सहारा लिया जा सकता है।
Conclusion –
आज के आर्टिकल में हमने आपको डिस्प्रेक्सिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डिस्प्रेक्सिया क्या है, डिस्प्रेक्सिया के कारण, डिस्प्रेक्सिया के लक्षण और डिस्प्रेक्सिया का निदान, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से और डिस्फेजिया का इलाज भी बताया। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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