स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, हर किसी का अपना पास्ट (Past) होता है अच्छा भी बुरा भी। पास्ट में हुईं कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो जीवन का नक्शा ही बदल देती हैं। ये घटनाएं बार-बार व्यक्ति के दिमाग में बैठ जाती हैं और याद बनकर मन में कसक पैदा करती हैं। उन यादों को व्यक्ति कभी नहीं भुला सकता विशेषकर दर्दनाक यादों को क्यों कि यादें, यदि भुलाई जा सकतीं तो दुनियां में “याद” नाम का शब्द ही नहीं होता। दोस्तो, बीती हुई या देखी हुई कुछ दुर्घटनाओं की यादें जब दैनिक जीवन में इस कदर हलचल मचा दें कि व्यक्ति के दैनिक कार्य बुरी तरह प्रभावित होने लगे और स्वास्थ भी प्रभावित हो जाए तो इस स्थिति को चिकित्सा विज्ञान में “पोस्ट-ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर” (पीटीएसडी) – (Post traumatic Stress Disorder – PTSD) कहा जाता है। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “पीटीएसडी क्या है?”।
देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको पीटीएसडी के बारे में विस्तार से जानकारी देगा यह भी बताएगा कि पीटीएसडी के उपचार क्या हैं। तो, सबसे पहले एक स्पष्टीकरण, उसके बाद जानते हैं कि पीटीएसडी क्या है और इसके कारण क्या हैं। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।
स्पष्टीकरण – The Explanation
देसी हैल्थ क्लब यहां स्पष्ट करता है कि पीटीएसडी एक डिस्ऑर्डर अवश्य है जो कि मानसिक स्थिति है परन्तु यह कोई शारीरिक कमी या कमजोरी नहीं है। इस डिस्ऑर्डर से पीड़ित लोग, अन्य सामान्य व्यक्तियों के समान ही कार्य करते हैं।
पीटीएसडी क्या है? – What is a PTSD
पीटीएसडी यानि पोस्ट-ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (Post traumatic Stress Disorder) मानसिक स्वास्थ से संबंधित एक ऐसी समस्या है जिसका आधार भूतकाल में हुई कोई दिल दहलाने वाली भयानक घटना होती है। एक ऐसी घटना जिसे दुर्घटना कहा जाता है। वह कुछ भी हो सकती है जैसे सड़क, रेल, हवाई, जलयात्रा दुर्घटना, प्राकृतिक आपदा, युद्ध में संहार, आक्रमण, मकान में आग लगना और किसी की इसमें मृत्यु, घर में डाका पड़ना और इसमें किसी का हताहत हो जाना या मत्यु हो जाना, कहीं खो जाना या कहीं बुरी तरह लंबे समय तक फंस जाना, ऊंचाई से गिर जाना या किसी प्रियजन का पानी में डूब जाना या कोई भयानक सपने का बार-बार आना आदि।
ये सब घटनाएं या तो व्यक्ति के साथ खुद हुई होती हैं या किसी प्रियजन के साथ व्यक्ति ने होते हुए देखी होंगी जो उसके मस्तिष्क में घर कर आती हैं और इनसे बाहर निकलना चाह कर भी वह बाहर नहीं निकल पाता। ऐसी दुर्घटनाओं की यादें उसे रह-रह कर बेचैन कर देती हैं जिससे वह मानसिक तौर पर बहुत परेशान हो जाता है और इसका कुप्रभाव उसके शारीरिक स्वास्थ तथा दैनिक कार्य-कलापों और उसके व्यवसाय पर भी पड़ता है। भूतकाल में बीती दुर्घटनाओं के परिणाम स्वरूप उत्पन्न हुई ऐसी मानसिक स्थिति को ही पीटीएसडी कहा जाता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इस डिस्ऑर्डर के विकसित होने की संभावना अधिक रहती है। यह समस्या किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकती है यहां तक कि बच्चे को भी हो सकती है।
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पीटीएसडी के कारण – Cause of PTSD
यहां हम स्पष्ट कर दें कि यह आवश्यक नहीं है कि बड़ी और भयंकर दुर्घटनाओं के कारण हर किसी को पीटीएसडी की समस्या हो, बहुत लोगों को नहीं भी होती है। पीटीएसडी के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –
1. यह आवश्यक नहीं है कि पीटीएसडी के पीछे किसी बड़ी दुर्घटना का ही हाथ हो, यह मस्तिष्क पर कोई छोटी बीमारी के प्रभाव या किसी सर्जरी के प्रभाव का परिणाम भी हो सकता है।
2. हार्ट अटैक भी पीटीएसडी का कारण हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसाल आठ में से एक व्यक्ति को पीटीएसडी की समस्या हो सकती है।
3. मनोवैज्ञानिक अनुजा कपूर के अनुसार जीन (gene) भी PTSD के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
4. शारीरिक शोषण और यौन शोषण भी पीटीएसडी को ट्रिगर कर सकती हैं।
5. किसी ने डराकर रखा हो या धमकी मिली हो।
पीटीएसडी के लक्षण – Symptom of PTSD
पीटीएसडी के लक्षणों की बात की जाये तो आमतौर पर इसके लक्षण जल्दी ही दिखाई दे जाते हैं लगभग कुछ दिनों में या महीनों में परन्तु कई लोगों में लक्षण प्रकट होने में लंबा समय भी लग जाता है यानि एक वर्ष या इससे भी अधिक। आमतौर पर पीटीएसडी के निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं –
1. दुर्घटना की याद बार-बार आना।
2. बेचैन रहना।
3. स्टैस, डिप्रेशन में जीना।
4. नकारात्मक सोच।
5. दुर्घटना वाले स्थान पर जाने से कतराना।
6. दोस्तो, सगे संबंधियों से अधिक मेलजोल ना रखना, उनसे कोई बात शेयर ना करना।
7. परिवार से भी अपने को अलग महसूस करना।
8. ठीक से नींद ना आना।
9. दुर्घटना संबंधी सपने आना।
10. व्यवहार में चिड़चिड़ापन, आक्रमकता और क्रोध।
11. अपनी प्रिय गतिविधियों में रुचि ना लेना।
12. अपराध बोध महसूस करना और अपने को दोषी मानना।
पीटीएसडी की जटिलताएं – Complications of PTSD
पीटीएसडी के कारण निम्नलिखित जटिलताएं हो सकती हैं –
1. यादों को भुला पाना लगभग असंभव होता है। कई बार यादें इतनी सघन होती हैं कि व्यक्ति उन्हीं में गुमसुम रहने लगता है।
2. पीटीएसडी की समस्या से पीड़ित व्यक्ति की सोच और मनोदशा में नकारात्मक परिवर्तन आने की संभावना रहती है।
3. व्यक्ति की शारीरिक तथा भावनात्मक प्रतिक्रियाओं में परिवर्तन आ सकता है। हर समय वह इसी डर में जीता है कि “फिर कहीं ऐसा ना हो जाए”।
4. आत्मघाती विचार आते रहते हैं।
5. व्यक्ति के व्यवसाय पर भी इसका असर पड़ता है। उसकी कार्य कुशलता और क्षमता बाधित होती है। यहां हम स्पष्ट कर दें कि व्यक्ति की कार्य कुशलता और क्षमता में कमी नहीं आती केवल उसके Performance की गति कम हो जाती है।
6. पीटीएसडी की जटिलता का सबसे सशक्त उदाहरण सन् 1971 में देखने को मिला जब अमेरिकन सेना के सैनिक वियतनाम युद्ध से घर लौट कर आए तो युद्ध की यादों में इस कदर बुरी तरह जकड़े हुए थे कि उनको बुरे-बुरे सपने आने लगे और वे तनाव में रहने लगे।
7. पीटीएसडी की जटिलता का ताजा उदाहरण कोविड-19 के कारण लॉकडाउन के दौरान देखने को मिला जब कारखाने, फैक्ट्रियां और बिल्डिंग निर्माण बंद होने पर लाखों लोगों ने शहरों से अपने गांवों में पलायन किया तो वे तनाव में रहने लगे। इतना ही नहीं कारखाने और फैक्ट्रियों के मालिक भी डिप्रेशन में आ गये। कुछ तो इतने बर्बाद हो गये कि उनको दूसरों के यहां नौकरी करनी पड़ी और आज भी कर रहे हैं।
पीटीएसडी का निदान – Diagnosing PTSD
1. विशेष टेस्ट नहीं है(No Special Test) – पीटीएसडी का निदान करने के लिए को विशेष टेस्ट नहीं है। चूंकि यह समस्या यादों से जुड़ी है इसलिये इस विषय पर व्यक्ति से सीधे रूप से बात नहीं की जा सकती और वह व्यक्ति भी पुरानी यादों को दोहराना नहीं चाहेगा, इसलिये इसका निदान करना बेहद मुश्किल हो जाता है। इस संबंध में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद ली जाती है।
2. मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की भूमिका (Role of Mental Health Experts)- मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ ऐसे मानसिक समस्याओं/विकारों के एक्सपर्ट होते हैं। वे समस्या के मूल कारणों को जानने के लिए संबंधित व्यक्ति से उसके अनुभवों की जानकारी हासिल करते है। उस जानकारी, कारणों और लक्षणों का मनोवैज्ञानिक रूप से मूल्यांकन करते हैं।
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3. शारीरिक परीक्षण (Physical Examination)- पीटीएसडी को ट्रिगर करने वाले कारकों तथा अन्य रोगों की जानकारी के लिए व्यक्ति का शारीरिक परीक्षण कराया जा सकता है।
पीटीएसडी का इलाज – Treating PTSD
पीटीएसडी के इलाज के लिये निम्नलिखित चिकित्सा विधि अपनाई जा सकती हैं –
1. मनोचिकित्सा (Psychotherapy)- इसे साइकोथेरेपी या टॉक थेरेपी भी कहा जाता है। इसमें मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, व्यक्ति से बातचीत करके, समस्या को समझकर, बातचीत के जरिए ही उपचार करते हैं। यह थेरेपी एक अकेले व्यक्ति को या ग्रुप में दी जा सकती है। यह थेरेपी कुछ महीनों से लेकर एक वर्ष तक चल सकती है। यह थेरेपी मानसिक विकार/समस्या से लड़ने में मदद करती है।
2. कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी(Cognitive Behavioral Therapy) – इस थेरेपी से डॉक्टर को ठीक से सोचने, समझने और काम करने में मदद मिलती है तथा व्यक्ति को भी अपनी समस्याओं को सही प्रकार से समझने में मदद मिलती है। यह थेरेपी एक अकेले व्यक्ति को दी जा सकती है और ग्रुप के साथ भी।
यह थेरेपी व्यवहार में परिवर्तन पर फोकस करती है। व्यवहार में सुधार लाने के तौर-तरीके सिखाए जाते हैं। इस थेरेपी के द्वारा भय, बुरे सपनों, यादों को और नकारात्मक सोच को दूर करने का प्रयत्न किया जाता है।
3. एक्सपोजर थेरपी (Exposure Treatment)- इस थेरेपी के द्वारा भूतकाल की घटनाओं, भय और बुरे सपनों के बारे में आसानी से जाना और समझा जा सकता है। फिर इसके लक्षणों के आधार पर उपचार किया जाता है।
यह थेरेपी पीड़ित व्यक्ति को भय के विरुद्ध लड़ने और अपने आप को नियंत्रित करने में सक्षम बनाती है। व्यक्ति को बीती घटनाओं के बारे में यादों और कल्पना के आधार पर लिखने, स्केच बनाने या घटना स्थल पर जाने को कहा जा सकता है ताकि वह मानसिक रूप से स्ट्रोंग बन सके।
4. दवाएं(Medicines) – एंटीडिप्रेशेंट, एंटीएंग्जाइटी तथा प्राजोसिन दवाएं दी जा सकती हैं। ये दवाएं स्ट्रेस, डिप्रेशन, चिंता, क्रोध और सुन्नता, रक्तचाप का बढ़ना आदि पीटीएसडी के लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं। इन दवाओं से अच्छी नींद आयेगी तो सपने भी ना आने की संभावना रहेगी। व्यक्ति को आराम मिलेगा।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने सबसे पहले एक स्पष्टीकरण दिया। इसके बाद आपको पीटीएसडी के बारे में जानकारी दी। पीटीएसडी क्या है?, पीटीएसडी के कारण, पीटीएसडी के लक्षण, पीटीएसडी की जटिलताएं और पीटीएसडी का निदान, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से पीटीएसडी के इलाज के बारे में भी बताया। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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