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मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर क्या है? – What is Multiple Personality Disorder in Hindi

मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर क्या है?

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। आपने अपने जीवन में कुछ ऐसे लोगों को देखा होगा जो दोहरी ज़िंदगी जीते हैं अर्थात् दोहरा व्यक्तित्व या अनेक व्यक्तित्व। प्रत्येक व्यक्तित्व में उनका आचार, विचार और व्यवहार अलग-अलग होते हैं। इस प्रकार दो या दो से अधिक व्यक्तित्व को, कभी मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर क्या है? (Multiple Personality Disorder) या स्प्लिट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (Split Personality Disorder) कहा जाता था। अब, मेडिकल भाषा में इसका नाम बदल कर डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर (Dissociative Identity Disorder) कर दिया गया है। इसलिये देसी हैल्थ क्लब आगे इस आर्टिकल में, इसे डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर के नाम से ही उल्लेख करेगा।  

लेखक भी एक ऐसे ही डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर वाले व्यक्ति को अच्छी तरह जानता है (अब वो इस दुनियां में नहीं है), जो अपने ऑफिस में एक बेहतरीन कर्मचारी के रूप में जाना जाता था। परन्तु जैसे ही वह घर वापिस आता उसकी दुनियां ही बदल जाती थी, एक बिगड़े हुऐ शराबी के रूप में उसका व्यक्तित्व उभर कर सामने आता था। ऑफिस की कोई भी बात उसे याद नहीं रहती थी, यहां तक कि उसे यह भी याद नहीं रहता था कि वह किसी ऑफिस में काम करता है। इसी टॉपिक को आर्टिकल का रूप देकर, इस पर हम प्रकाश डालेंगे। आज के आर्टिकल का नाम है “डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर क्या है?”। देसी हैल्थ क्लब डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर पर विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसका उपचार क्या है। तो सबसे पहले जानते हैं कि मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर क्या है?/ डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर क्या है और यह कितना आम है?। फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

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मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर क्या है?
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मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर क्या है? –  What is Multiple Personality Disorder?

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जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर को अब डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर कहा जाता है जिसे हिन्दी भाषा में बहुव्यक्तित्व विकार कहते हैं। नाम बदलने के बावजूद आज भी इसे आम भाषा में मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर कहा जाता है। सरल भाषा में कहें तो यह समझिये कि डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर एक ऐसी मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है जिसमें व्यक्ति दो या दो से ज्यादा अलग-अलग किरदार (Characters) को जीता है। यानि उसका व्यक्तित्व एक दूसरे से बिल्कुल अलग होगा और विडम्बना यह है कि उसे पता ही नहीं होता और ना ही उसे कुछ याद होता है, कि उसके अंदर कई व्यक्तित्व छिपे हुए हैं। 

प्रत्येक व्यक्तित्व में उसके आचार, विचार, व्यवहार और वाणी में बदलाव आते हैं जो पहले के व्यक्तित्व से मेल नहीं खाते। इसी को डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर कहा जाता है। यह डिसऑर्डर हल्का भी हो सकता है और गंभीर भी। हल्के स्तर पर इसका पता नहीं चलता और पता चलता भी है नोटिस नहीं किया जाता। गंभीर होने पर इसका प्रभाव दिखाई देने लगता है। यह किसी भी आयु में किसी को भी हो सकता है। वैसे पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इस डिसऑर्डर की संभावना ज्यादा होती है। 

डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर कितना आम है? – How Common is Dissociative Identity Disorder? 

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दोस्तो, डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर कोई आम विकार नहीं है जिसके मामले बहुत अधिक हों। डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर दुर्लभ से भी दुर्लभ (Rare of Rarest) है जिससे 0.01 और 1 प्रतिशत जनसंख्या प्रभावित होती है। परन्तु यह विषय शुरु से ही फिल्म वालों के लिये लोकप्रिय रहा है और उनको लुभाता रहा है। परिणाम स्वरूप इस विषय पर अनेक फिल्में बनीं हैं और कुछ टीवी शोज़ भी जिनका जिक्र हम आगे करेंगे। 

डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर पर बनी फिल्में  – Films on Dissociative Identity Disorder

डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर पर कुछ टीवी सीरियल भी बने और फिल्में भी बनीं। विवरण निम्न प्रकार है –

1. टीवी शोज़ (Tv Shows)- नेटफ्लिक्स की चार-भाग वाली डॉक्यूमेंट्री मॉन्स्टर इनसाइड: द 24 फेसेस ऑफ बिली मिलिगन, मिस्टर रोबोट, वॉयस विदिन: द लाइव्स ऑफ़ ट्रुडी चेज़ आदि।

2. हिन्दी फिल्में (Hindi Movies)- 1967 में रिलीज़ हुई, सत्येन बोस द्वारा निर्देशित नरगिस, प्रदीप कुमार और फिरोज़ खान द्वारा अभिनीत “रात और दिन” को पहली हिन्दी मूवी माना जा सकता है। इसके बाद, राजेश खन्ना की “प्रेम बन्धन”, अक्षय कुमार की “भूल भुलैयां”, अक्षय खन्ना की “दीवानगी” और दक्षिण भारत की “अपरिचित” मूवी इस विषय अच्छी फिल्में हैं।

3. विदेशी फिल्में (English Movies)- स्पिलिट, सीक्रेट विंडो, ग्लास, फाइट क्लब, शटर आइसलैंड, साईको, ब्लैक स्वान, हेरिडिटरी, मैरोबोन आदि विदेशी हिट फिल्में हैं। 

डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर के कारण – Causes of Dissociative Identity Disorder

डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर के कारणों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है – ट्रॉमा, आनुवंशिक लिंक और न्यूरोबायोलॉजिकल। विवरण निम्न प्रकार है – 

1. ट्रॉमा (Trauma)- ट्रॉमा, डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर का मुख्य कारण होता है। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं। 

(i) शारीरिक या मानसिक रूप से यौन उत्पीड़न। डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर को 90 प्रतिशत मामले यौन उत्पीड़न के होते हैं। 

(ii) बचपन में लगी कोई गंभीर चोट।

(iii) गंभीर दुर्घटनाएं, सड़क, ट्रेन दुर्घटना। 

(iv) प्राकृतिक आपदा की भयंकरता जैसे बाढ़, बादल फटना, जंगल में आग आदि प्राकृतिक गतितिविधि के कारण कोई दुर्घटना जैसे बिजली गिरने से घायल होना, आंधी, तूफान से पेड़ उखड़कर गिरना आदि।

(v) युद्ध, चाहे दो देशों के बीच हो या आम तौर पर होने वाली लड़ाईयां जिनके कारण व्यक्ति को  मानसिक आघात पहुंचा है, इस डिसऑर्डर का कारण बन सकते हैं। 

(vi) मानसिक या शारीरिक सदमा जिसमें व्यक्ति को बहुत बड़ा नुकसान हुआ हो। 

2. जेनेटिक लिंक (Genetic Link)- जेनेटिक्स का ट्रांसमिशन जैसे कुछ अन्य फैक्टर्स के कारण यह डिसऑर्डर हो सकता है।

3. न्यूरोबायोलॉजिकल – 

न्यूरोबायोलॉजिकल रीजन्स यानि मस्तिष्क स्तर पर आये बदलाव जिनमें शामिल हैं –

(i) मस्तिष्क में मौजूद थैलेमस – इसका काम है बाहरी सेंसरी सेंसेशन को फ़िल्टर करना, उनको मेंटेन करना जैसे कि सुनने की क्षमता, महसूस करने की क्षमता आदि। थैलेमस में रक्त प्रवाह में कमी होने से यह डिसऑर्डर हो सकता है।

(ii) अमिग्डाला (Amygdala) मस्तिष्क का वह भाग जो भावनाओं को नियंत्रित करता है तथा हिप्पोकैंपस सीखने की क्षमता को नियंत्रित करता है। अमिगडाला में नाभिक (Nuclei) का एक समूह, या न्यूरॉन्स के समूह (Clusters of Neurons) शामिल होते हैं। इनका आकार छोटा होना भी डिसऑर्डर की वजह है।

डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर के लक्षण – Symptoms of Dissociative Identity Disorder

डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं –

1. सबसे सामान्य और मुख्य लक्षण यह कि व्यक्ति की वास्तविक पहचान दो या दो से अधिक अलग-अलग व्यक्तित्व के बीच ना चाहते हुए भी बंट जाना।  

2. जब व्यक्ति की पहचान बंटती है तो उसमें परिवर्तन आते हैं। ये परिवर्तन बातचीत करने के तरीके, व्यवहार, उसकी रुचियां आदि में होते हैं। ये परिवर्तन, प्रत्येक व्यक्तित्व से अलग होते हैं। कई लोगों में सौ से अधिक परिवर्तन होते हैं। 

3. कई बार व्यक्ति रोजाना की घटनाओं या व्यक्तिगत जानकारियों को भूल जाता है जैसे अपने बच्चे का जन्म दिन, किसी की या अपनी शादी की बातें, नाम आदि।

4. कई बार व्यक्ति को याद नहीं आता कि वह इस स्थान पर क्यों और कैसे आया। 

5. खाने पीने में दिक्कत महसूस करना।

6. नींद में परेशानी महसूस करना। 

7. सेक्स में रुचि ना लेना। 

8. चिंता, अवसाद।

9. भ्रम, भटकाव की स्थिति।

10. नशीली दवाओं का सेवन।

11. शराब का अधिक सेवन।

12. अपने को नुकसान पहुंचाने की कोशिश या आत्महत्या करने के बारे में सोचना/प्रयास करना। 

बाइपोलर डिसऑर्डर और डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर में अंतर – Difference Between Bipolar Disorder and Dissociative Identity Disorder

दोस्तो, यद्यपि इन दोनों का संबंध मस्तिष्क से यानि ये मानसिक विकार हैं परन्तु इनके बीच निम्नलिखित अंतर स्पष्ट देखा जा सकता है – 

1. बाइपोलर डिसऑर्डर – Bipolar Disorder

(i)  यह विकार व्यक्ति के मूड को प्रभावित करता है। मूड जल्दी-जल्दी स्विंग करता है। कभी व्यक्ति बहुत खुश होता है तो अगले ही पल वह अपने को बहुत दुखी महसूस करता है। इसीलिये इसको “मूड डिसऑर्डर” भी कहा जाता है। इस मूड डिसऑर्डर को उन्माद और हाइपोमेनिया (Hypomania) के रूप में समझा जा सकता है।

इस शब्द का प्रयोग उन्माद की भांति मानसिक स्थिति की व्याख्या करने के लिये किया जाता है। हाइपोमेनिया के लक्षण कम स्पष्ट होते हैं जैसे नींद में कमी, विचारों में उड़ान, लापरवाही और जोखिम भरा व्यवहार आदि। इसमें व्यक्ति अपने को “सुपरमैन” मानते हुए अजेय समझता है। इसकी मुख्य विशेषताओं में मनोदशा, विघटन (Dissolution) और अधिकतर मामलों में जलन की सुविधा आदि शामिल हैं। 

(ii) मूड स्विंग हाई बाइपोलर मेनिया से लो डिप्रेशन तक जाता है। 

(iii) बाइपोलर डिसऑर्डर का मुख्य कारण डोपामाइन हार्मोन में असंतुलन होना है। डोपामाइन हार्मोन में असंतुलन के कारण ही व्यक्ति का मूड और व्यवहार में बदलाव आता है। 

(iv) बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रस्त व्यक्ति का मन चलायमान रहता है अर्थात् मन स्थिर नहीं हो पाता, आवश्यकता से अधिक खर्च करने की लत लग जाती है, नींद ना आने की समस्या होने लगती है और सेक्स करने की इच्छा बहुत अधिक बढ़ जाती है।

(v) बाइपोलर डिसऑर्डर आज के समय में बहुत आम है। 100 में से तीन या पांच प्रतिशत लोग इससे पीड़ित हैं। 

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2. डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर – Dissociative Identity Disorder 

(i)  इस डिसऑर्डर में व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव बहुव्यक्तित्व के कारण आता है। व्यक्ति दो या दो से अधिक भिन्न-भिन्न व्यक्तित्व को जीता है और हर व्यक्तित्व को अपनी सच्चाई और पहचान समझता है। 

(ii)  इसका मुख्य कारण ट्रामा होता है। कुछ अन्य कारण भी होते हैं जिनका जिक्र हमने ऊपर किया है।

(iii) वस्तुतः मूल व्यक्तित्व ही पीड़ित व्यक्ति की पहचान होती है। उसका आचार, व्यवहार वास्तविक होता है। वैकल्पिक व्यक्तित्व पर उसके आचार, व्यवहार में बदलाव आ जाता है परन्तु वह व्यक्ति इसे ही असली मानता है। वह हर व्यक्तित्व को सामान्य रूप से जीता है। 

(iv) नींद ना आने की हल्की-फुल्की समस्या हो सकती है। खाना खाने में दिक्कत हो सकती है और सामान्य सेक्स में परेशानी हो सकती है। 

(v) डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर आम नहीं है यह एक दुर्लभ डिसऑर्डर जिसके मामले 0.01 और 1 प्रतिशत हैं। 

डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर का निदान – Diagnosing Dissociative Identity Disorder

1. डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर की जांच के लिये कोई विशेष टेस्ट नहीं है। इसके लक्षण 5 से 10 साल की आयु के बीच दिखाई देते हैं। माता-पिता, टीचर्स या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता लक्षणों/संकेतों को याद रख सकते हैं, बच्चा नहीं। वैसे भी बच्चा व्यवहार या स्कूलिंग, सीखने की समस्याओं के साथ भ्रमित रह सकता है।

उसका किसी में भी ध्यान नहीं लग पायेगा ना पढ़ाई में, ना खेल कूद में यह बच्चे के लिये आम बात है, इसे ध्यान घाटे की सक्रियता विकार (Attention Deficit Hyperactivity Disorder) कहा जाता है। यह एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है।  इस वजह से, बच्चे के वयस्क होने तक डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर  ​​का निदान नहीं किया जाता है। 

2. डॉक्टर व्यक्ति के लक्षणों और व्यक्तिगत स्वास्थ्य इतिहास की समीक्षा करते हैं। लक्षणों के ध्यान में रखते हुए शारीरिक कारणों का पता लगाने के लिए सिर में चोट या ब्रेन ट्यूमर आदि का परीक्षण कर सकते हैं।  

3. कुछ इमेजिंग टेस्ट जैसे एक्स-रे, सीटी स्कैन,  एमआरआई आदि और ब्लड टेस्ट किये जा सकते हैं ताकि पीड़ित को कोई अन्य शारीरिक रोग या फिर किसी प्रकार की दवाओं का साइड-इफेक्ट के बारे में पता लगाया जा सके।

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डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर का इलाज – Treating Dissociative Identity Disorder

यह अफ़सोस की बात है कि डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर का कोई विशेष इलाज नहीं है। मगर संयोजित उपचार इसके लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। 

1. डॉक्टर एंटी एंग्जाइटी, एंटी साइकोटिक तथा  एंटी डिप्रेशेन्ट दवाइयां दे सकते हैं। 

2. मनोचिकित्सा (Psychotherapy) को डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर के उपचार के लिये उत्तम माना जाता है। यह थेरेपी निम्नलिखित बिंदुओं पर काम करती है –

(i) पिछले किसी आघात, चोट, दुर्घटना या दुर्व्यवहार को पहचानना और काम करना। 

(ii) अचानक व्यवहार परिवर्तन का प्रबंधन करना।

(iii) अलग-अलग पहचान/व्यक्तित्व को एक ही वास्तविक पहचान में मिलाना।

3. सम्मोहन चिकित्सा (Hypnotherapy)- मनोचिकित्सा के साथ-साथ सम्मोहन चिकित्सा की भी सलाह दी जा सकती है। यह एक निर्देशित ध्यान चिकित्सा है जिसके माध्यम से दबी हुई यादों को पुनः वापिस लाया जा सकता है। 

डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर के घरेलू उपाय – Home Remedies for Dissociative Identity Disorder

1. देसी हैल्थ क्लब यहां स्पष्ट करता है की डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर के कोई घरेलू उपाय नहीं हैं लोग भ्रमित ना हों। लोगों को सलाह दी जाती है कि झाड़-फूंक, तंत्र-मंत्र, ओझा, पीर-फकीर आदि के चक्कर में बिल्कुल भी ना पड़ें। अपना पैसा और समय बर्बाद ना करें। 

2. पौष्टिक भोजन करें जिससे मस्तिष्क स्वास्थ सही रहे और यह डिसऑर्डर काफी हद तक मैनेज हो सके। इसका हम आगे जिक्र करेंगे।

डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर में क्या खाएं – What to eat in Dissociative Identity Disorder

यद्यपि, डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसॉर्डर से पीड़ित व्यक्तियों के लिये कोई विशेष आहार नहीं है फिर भी कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, आवश्यक वसा, विटामिन और खनिजों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। संतुलित आहार चिंता और डिप्रेशन को कम करने में मदद करता है। पोषक आहार किसी भी रोग के लक्षणों को कम करने और विकार का हरण करने में सहायक होता है। मस्तिष्क की कार्य प्रणाली में सुधार करने वाले कुछ खाद्य पदार्थों का विवरण निम्न प्रकार   है –

1. ओमेगा 3 फैटी एसिड (Omega-3 Fatty Acid)- सैल्मन, हेरिंग, सार्डिन और मैकेरल मछली, बीज और नट्स (फ्लेक्स बीजों और अखरोट) ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं। ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ, मस्तिष्क की कार्य प्रणाली को प्रभावित कर चिंता, डिप्रेशन तथा अन्य मानसिक रोग/विकार को कम करने में मदद करते हैं।

2. जटिल कार्बोहाइड्रेट (Complex Carbohydrates) – जटिल कार्बोहाइड्रेट वाले पदार्थ जैसे गेहूं, जई, जौ, क्विनोआ, बाजरा, ब्राउन चावल आदि किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं करते। जबकि सरल कार्बोहाइड्रेट वाले पदार्थ जैसे परिष्कृत आटा, चीनी, और प्रोसेस्ड फूड ब्लड शुगर को बढ़ाते हैं। इसलिये जटिल कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन का सेवन करना चाहिये। कार्बोहाइड्रेट्स,  मस्तिष्क को ऊर्जा प्रदान करने का काम करते हैं, तभी मस्तिष्क सही से काम कर पाता है।

3. दुबला प्रोटीन (Lean Protein) – मांस, मछली, सेम, अंडे, टर्की, आदि जैसे खाद्य पदार्थों में दुबला प्रोटीन मौजूद होता है। ट्राइपोफान नामक एक एमिनो एसिड मूड बढ़ाने का काम करता है। शरीर में प्रोटीन की मात्रा सबसे अधिक होती है। प्रोटीन, न्यूरोट्रांसमीटर (neurotransmitters) के रूप में भी कार्य करता है।

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4. पत्तेदार हरी सब्जियां (Leafy Green Vegetables)- डॉक्टर अधिकतर बीमारी में पत्तेदार हरी सब्जियां खाने की सलाह देते हैं। मानसिक रोगों को कम करने में भी इनकी विशिष्ट भूमिका होती है। पालक, ब्रोकोली, मेथी, सलिप पत्तियां, आदि विटामिन और फोलिक एसिड से सम्पन्न होते हैं। ये डिप्रेशन, अनिद्रा और थकावट को कम करने में मदद करते हैं।

5. फल (Fruit)- पत्तेदार हरी सब्जियों के समान फल भी विटामिन और खनिजों के भरपूर समृद्ध होते हैं। ये मस्तिष्क सहित शरीर के अंगों के विकास और कार्य कलापों में मदद करते हैं। 

डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर को प्रबंधित करने के सुझाव – Tips for Managing Dissociative Identity Disorder

1. सबसे पहले यह जरूरी है कि पीड़ित के परिवार के सभी सदस्यों के अतिरिक्त मित्रगण, नजदीकी पड़ोसी और स्वास्थ्य सेवा केन्द्र पीड़ित की स्थिति से भली-भांति अवगत हों और समझते हों। इनसे खुलकर बात करें और मदद लेने में ना हिचकिचाएं। इस मजबूत समर्थन प्रणाली के चलते जीवन को मैनेज़ करना सरल हो जायेगा।

2. परिवार के हर सदस्य को पीड़ित के साथ संवेदनशील रहना होगा। असंवेदनशील, क्रोध और लापरवाही के लिये कोई स्थान नहीं है। 

3. परिवार के हर सदस्य की वाणी में मधुरता और व्यवहार में आत्मीयता आवश्यक है, तभी पीड़ित खुलकर अपनी बात/समस्या शेयर कर पायेगा।

4. परिवार के हर सदस्य को पीड़ित के लक्षणों को जानना और समझना होगा तभी पीड़ित की सही रूप में मदद हो पाएगी।

5. विभिन्न पहचानों या परिवर्तनों के बारे में पीड़ित से अनावश्यक प्रश्न ना पूछे जाएं अन्यथा पीड़ित और अधिक परेशान हो जायेगा। 

6. पीड़ित का प्रत्येक परिवर्तन उसकी वास्तविकता है, इसे स्वीकार कर उससे सौहार्द। बनाये रखना होगा। 

7. पीड़ित से किसी भी प्रकार की कुछ करने की उम्मीद ना करें। 

8. सुबह के समय पीड़ित को ध्यान लगाने को प्रेरित करें, मगर कोई दबाव ना डालें।  इसके लिये पहले खुद ध्यान मुद्रा में बैठ जायें। आपको देखा-देखी एक दिन वह भी ध्यान लगाने लगेगा। इससे पीड़ित के मस्तिष्क स्वास्थ में सुधार होगा।

9. ध्यान के बाद ॐ का उच्चारण करें और पीड़ित से भी करवाएं। इससे केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System) में सुधार होगा।

10. पीड़ित के दिनचर्या के कामों में उसकी मदद करें। उसे महसूस होना चाहिये कि आप उसके साथ हो। इसका मनोवैज्ञानिक तौर पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर क्या है?, डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर कितना आम है, डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर पर बनी फिल्में, डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर के कारण, डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर के लक्षण, बाइपोलर डिसऑर्डर और डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर में अंतर, डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर का निदान, डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर का इलाज, डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर के घरेलू उपाय और डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसॉर्डर में क्या खायें, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर को प्रबंधित करने के बहुत सारे सुझाव भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा। 

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर क्या है?
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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर क्या है? इस सब के बारे में हमने आपको विस्तार से जानकारी दी है।
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