स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, शारीरिक परीक्षण के दौरान बाहर की चोट को देखना बहुत ही सरल होता है। शरीर के अंदर अंगों की समस्या को जानने के लिये एक्स-रे, सीटी स्केन आदि की मदद ली जाती है। परन्तु शरीर के अंदर खोखले अंग, छिद्रों की जानकारी, किसी अंग विशेष में लगी चोट, या इंफेक्शन की जानकारी एक्स-रे, सीटी स्केन आदि से नहीं ली जा सकती। इनको देखकर जांच करने के लिए और कई बार विशेष सर्जरी के लिए एक विशेष उपकरण की जरूरत पड़ती है जिसे एंडोस्कोप कहा जाता है और इस प्रक्रिया को “एंडोस्कोपी“। एंडोस्कोपी टेस्ट प्रक्रिया में शरीर के अंदर का Live दृश्य देखने को मिल जाते हैं जिसके आधार पर उपचार करना अत्यंत सरल हो जाता है। आखिर यह एंडोस्कोपी क्या है? दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “एंडोस्कोपी क्या है?”।
देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको एंडोस्कोपी के बारे में विस्तार से जानकारी देगा यह भी बताएगा कि एंडोस्कोपी कैसे की जाती है। तो, सबसे पहले जानते हैं कि एंडोस्कोप क्या होता है और एंडोस्कोपी क्या है। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।
एंडोस्कोप क्या होता है? – What is an Endoscopy
एंडोस्कोप (Endoscope) एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग चिकित्सीय परीक्षण के लिए किया जाता है। चिकित्सीय चित्रण उपकरण (medical imaging devices) शरीर के अंदर के लाईव चित्र नहीं ले सकते वहीं इस उपकरण को जांच के लिए सीधे शरीर के अंदर भेजा जा सकता है। यह उपकरण एक लंबी, पतली और लचीली ट्यूब होती है, जिसके एक सिरे पर एक लाइट और एक कैमरा लगा हुआ होता है।
शरीर में जाने के बाद कैमरा अंदर के चित्र कंप्यूटर स्क्रीन पर भेजता है। एंडोस्कोप उपकरण का आविष्कार सन् 1806 में फिलिप बोज़िनी (Philipp Bozzini) के द्वारा मनुष्य के शरीर की नलियों और गर्तों की जांच के लिए, प्रस्तुत किये गये “लिचट्लीटर (Lichtleiter)” (प्रकाश संचालक) के विकास के साथ हुआ था। समय के साथ-साथ इसमें जरूरत के अनुसार बदलाव किये जाते रहे।
एंडोस्कोपी क्या है? – What is Endoscopy
एंडोस्कोप उपकरण का उपयोग शरीर के आंतरिक अंगों को देखने, जांच करने और संचालित करने के लिये किया जाता है। इस प्रक्रिया को ही एंडोस्कोपी कहा जाता है। एंडोस्कोपी का उपयोग सर्जरी के लिए भी किया जाता है इससे अत्याधिक रक्त बहने से बच जाता है।
इस उपकरण (लंबी, पतली और लचीली ट्यूब) को चिकित्सीय मामले की जरूरत के अनुसार मुंह, गुदा या शरीर पर छोटा चीरा लगाकर शरीर के अंदर प्रभावित अंग के पास भेजा जाता है जहां से अंदर के चित्र कैमरे का द्वारा कंप्यूटर स्क्रीन पर आते रहते हैं। इन चित्रों के आधार पर मरीज को समुचित चिकित्सा प्रदान की जाती है।
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एंडोस्कोपी के प्रकार – Types of Endoscopy
एंडोस्कोपी कई प्रकार की होती है। हम बता रहे हैं इसके कुछ मुख्य प्रकार जिनका विवरण निम्न प्रकार है –
1. लैरिंगोस्कोपी (Laryngoscopy) – यह प्रक्रिया ओटोलरींगोलॉजिस्ट (Otolaryngologist) द्वारा की जाती है। इसे लैरिंक्स (Larynx) को नजदीक से देखने, जांचने के लिए किया जाता है। गले और सांस की नली में होने वाली समस्या के लिए यह प्रक्रिया की जाती है।
2. थोरैकोस्कोपी/प्लेरोस्कोपी (Thoracoscopy/Pleuroscopy) – यह प्रक्रिया फुफ्फुसीय रोग विशेषज्ञ (Pulmonologist) द्वारा की जाती है। छाती के आसपास के हिस्सों को देखने के लिए, छाती में छोटा सा चीरा लगाकर स्कोप को अंदर भेजा जाता है।
3. आर्थोस्कोपी (Arthroscopy) – यह प्रक्रिया जोड़ों पर नजदीक को देखने के लिए की जाती है। हड्डियों के सर्जन, जोड़ के पास छोटा सा चीरा लगाकर उपकरण को अंदर भेजते हैं।
4. ब्रोंकोस्कोपी (Bronchoscopy)- यह प्रक्रिया Pulmonologist द्वारा फेफड़ों की जांच के लिए की जाती है। इसके लिये यह नाक या मुंह के जरिये अंदर डाली जाती है।
5. कॉलोनोस्कोपी (Colonoscopy) – इस प्रक्रिया को गस्ट्रोएन्टोरोलोजिस्ट (Gastroenterologist) द्वारा अंजाम दिया जाता है। कोलन के चित्र प्राप्त करने के लिए स्कोप को गुदा मार्ग से अंदर डाला जाता है।
6. सिस्टोस्कोपी (Cystoscopy) – इस प्रक्रिया को यूरोलॉजिस्ट (urologist) करते हैं। मूत्राशय (bladder) की जांच करने के लिए स्कोप को मूत्रमार्ग (Urethra) के द्वारा अंदर भेजा जाता है ताकि मूत्राशय से संबंधित लक्षणों को अच्छी तरह समझा जा सके।
7. एंटरोस्कोपी (Enteroscopy) – छोटी आंतों के निरीक्षण के लिए यह प्रक्रिया की जाती है। इसमें स्कोप को मुंह या गुदा मार्ग से अंदर भेजा जाता है।
8. हिस्टोरोस्कोपी (Hysteroscopy) – इस प्रक्रिया को स्त्रीरोग विशेषज्ञ (Gynecologist) द्वारा किया जाता है। गर्भाशय (Uterus) से संबंधित समस्याओं को जांचने के लिये योनि मार्ग से स्कोप को अंदर भेजा जाता है।
9. लेप्रोस्कोपी (Laparoscopy) – इसे पेट तथा श्रोणि (Pelvic) क्षेत्र की जांच करने के लिए यह प्रक्रिया की जाती है। इसे सर्जन द्वारा किया जाता है। पेट या पेल्विक के आसपास चीरा लगाकर स्कोप को अंदर डाला जाता है।
10. ऊपरी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंडोस्कोपी (Upper gastrointestinal Endoscopy) – इस प्रक्रिया को ग्रासनली (Esophagus) और ऊपरी आंत्र पथ (Upper intestinal tract) के निरीक्षण के लिये किया जाता है। मुंह रास्ते के स्कोप को अंदर डाल दिया जाता है।
11. युरेटेरोस्कोपी (Ureteroscopy) – इस प्रक्रिया को यूरोलॉजिस्ट (urologist) करते हैं। स्कोप को मूत्रमार्ग द्वारा अंदर डाला जाता है। यह प्रक्रिया मूत्र की जांच के लिए किया जाता है।
12. सिग्मोइडोस्कोपी (Sigmoidoscopy) – इस प्रक्रिया को Proctologist करते हैं। मलाशय और बड़ी आंत के निरीक्षण के लिये यह प्रक्रिया की जाती है। इस प्रक्रिया में गुदा मार्ग द्वारा स्कोप को मलांत्र (rectum) और बड़ी आंत के निचले हिस्सों तक भेजा जाता है।
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एंडोस्कोपी क्यों की जाती है? – Why is Endoscopy Done?
एंडोस्कोपी निम्नलिखित समस्याओं/लक्षणों के निवारण के लिए की जाती है –
1. विशेष प्रकार की सर्जरी करने में मदद करने के लिए।
2. सर्जरी के समय, स्वस्थ ऊतकों की क्षति कम से कम हो और घाव को ढूंढकर और बाहर निकालने के लिए एंडोस्कोपी की मदद ली जाती है।
2. बायोप्सी प्रक्रिया में शरीर से ऊतक का सैंपल, एंडोस्कोपी द्वारा निकाला जाता है।
3. छोटे चीरा लगाकर सर्जरी करना। इसे लेप्रोस्कोपिक सर्जरी कहते हैं।
4. लेजर थेरेपी में कोशिकाओं को खत्म करने के लिए शक्तिशाली किरण का उपयोग किया जाता है।
5. फोटो डायनामिक सर्जरी की प्रक्रिया में ट्यूमर में लाइट के प्रति संवेदनशील पदार्थ को इंजेक्शन द्वारा डाला जाता है। फिर उसे लेजर की सहायता से नष्ट कर दिया जाता है।
6. छोटी आंतों की समस्याओं, जैसी एक्स-रे में दिखाई देती हैं, की पुष्टी करने के लिए।
7. गले की समस्या में जैसे कि निगलने में दिक्कत होना। ग्रासनली में रूकावट, गले में छाले होना आदि।
8. पेट की समस्याओं की जांच करने के लिए जैसे पेट के अंदर खून बहना, पेट में निरन्तर दर्द रहना, पेट में अल्सर, छाले, पेट में तेज दर्द और जलन आदि।
9. पाचन तंत्र में कुअवशोषण के कारण की जांच करने के लिए।
10. पाचन तंत्र से रक्त बहना।
11. आंतों में सूजन होना।
12. लंबे समय से कब्ज की समस्या में।
13. कोलन कैंसर का विष्लेषण करने के लिये जिसे कोलनोस्कोपी कहा जाता है।
14. ट्यूमर की जांच के लिए।
15. गर्भाश्य की जांच के लिए।
16. गर्भावस्था में भ्रूण की जांच के लिए।
एंडोस्कोपी कैसे की जाती है? – How is Endoscopy Done?
एंडोस्कोपी एक ऐसी प्रक्रिया है जो मरीज की समस्या/लक्षणों पर निर्भर करती है यानि किस मरीज को कौन सी एंडोस्कोपी की जाएगी। कुछ एंडोस्कोपी इस प्रकार की होती हैं जिनके लिए पहले से कुछ तैयारी करनी पड़ती है। एंडोस्कोपी आमतौर पर अस्पताल में ही की जाती है। एंडोस्कोपी से पहले और एंडोस्कोपी के दौरान क्या होता है, इसका विवरण निम्न प्रकार है –
1. एंडोस्कोपी से पहले – Before Endoscopy
(i) शरीर के जिस हिस्से की एंडोस्कोपी की जानी है उसके मद्देनज़र, एंडोस्कोपी से मरीज को पहले खाने पीने से परहेज करने को कहा जा सकता है। एंडोस्कोपी से कितने समय पहले खाने-पीने से परहेज करना है इस बारे में मरीज को बताया जाता है।
(ii) आंत की जांच के लिये कोलोनोस्कोपी की जाती है इसके लिए डॉक्टर, मरीज को लैक्सेटिव दे सकते हैं ताकि आंतों से मल अच्छे से साफ हो जाये।
(iii) यदि मरीज की कोई दवाई चल रही है तो, डॉक्टर इसे लेने का समय बदलने, या बंद करने की सलाह दे सकते हैं।
(iv) डॉक्टर, कुछ मरीजों को एंडोस्कोपी से पहले एंटीबायोटिक दवाएं लेने को कह सकते हैं।
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2. एंडोस्कोपी के दौरान – During Endoscopy
हम यहां स्पष्ट कर दें कि एंडोस्कोप उपकरण को शरीर के ठीक उसी भाग में भेजा जाता है, जहां का परीक्षण करना होता है। यह मुंह, नासिका, गुदा या मूत्रद्वार द्वारा शरीर में डाला जाता है। विशिष्ट सर्जरी या बायोप्सी के लिये छोटा चीरा लगाकर एंडोस्कोप को अंदर भेजा जाता है। इस उपकरण में लगा कैमरा चित्र भेजता रहता है जो कंप्यूटर स्क्रीन पर देखे जाते हैं।
(i) चूंकि एंडोस्कोपी प्रक्रिया बहुत ही कम समय की होती है, लगभग एक घंटा लगता है इसलिए मरीज को सारा दिन या रात भर रुकने की जरूरत नहीं होती।
(iii) इस प्रक्रिया में आमतौर पर दर्द नहीं होता इसलिये आमतौर पर मरीज की सचेत अवस्था में की जाती है। यद्यपि कुछ मरीजों को हल्की-फुल्की तकलीफ महसूस हो सकती है जैसे कि गले में खराश या दर्द।
(iv) गले को सुन्न करने के लिए स्प्रे या लॉजेंज (Lozenge) का उपयोग किया जाता है। मरीज अपने को आरामदायक स्थिति में महसूस करे इसके लिए सीडेटिव (Sedative) दी जा सकती है। इससे मरीज को उसके आस पास होने वाली गतिविधियों की जानकारी रहती है।
(v) विशिष्ट सर्जरी या बायोप्सी आदि के लिये, शरीर के विशेष अंग को सुन्न करना पड़ता है। इसके लिए मरीज को लोकल अनेस्थेसिया दिया जाता है।
एंडोस्कोपी के बाद की देखरेख – Post Endoscopy Care
एंडोस्कोपी के बाद की देखरेख के लिये दिशा निर्देश/सलाह निम्न प्रकार हैं –
1. एंडोस्कोपी प्रक्रिया पूरी होने के बाद मरीज को निगरानी में रखा जाता है तथा उसका अवलोकन किया जाता है।
2. मरीज को कम से कम एक घंटा लगातार आराम करने की सलाह दी जाती है, इससे बेहोशी/सुन्न आदि की दवाओं का असर खत्म हो जाता है।
3. जनरल अनेस्थेसिया दिए जाने वाले मरीज को ज्यादातर मामलों में मरीज को लंबे समय तक निगरानी में रखा जाता है।
4. जरूरत के अनुसार मरीज को दर्द निवारक दवाएं भी दी जाती हैं।
5. यदि सीडेटिव दवाओं का उपयोग हुआ है तो मरीज को उसके परिवार के सदस्य के साथ ही जाने दिया जाता है तथा उस दिन के लिये वाहन ना चलाने, मशीन आदि पर काम ना करने की सलाह दी जाती है।
6. मरीज में गलशोथ उत्पन्न हो जाने की स्थिति में नमक-पानी की कुल्ली करने और कैमोमाइल चाय पीने की सलाह दी जाती है। एंडोस्कोपी प्रक्रिया के समय फूंकी हुई हवा के कारण मरीज को डिस्टेंशन महसूस हो सकती है।
ऐसी समस्याएं कम समय के लिये होती हैं और हल्की होती हैं। कुछ घंटों के भीतर, पूरी तरह से ठीक हो जाने पर मरीज को सामान्य आहार लेने की सलाह दी जाती है।
7. मूत्राशय की जांच के लिए हुई एंडोस्कोपी के 24 घंटे बाद तक मरीज के मूत्र में खून आ सकता है जो कि अपने आप ठीक भी हो जाता है। यदि 24 घंटे के बाद भी यह समस्या बनी रहती है तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको एंडोस्कोपी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। एंडोस्कोप क्या होता है?, एंडोस्कोपी क्या है?, एंडोस्कोपी के प्रकार, एंडोस्कोपी क्यों की जाती है? और एंडोस्कोपी कैसे की जाती है?, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से एंडोस्कोपी के बाद की देखरेख के लिये दिशा निर्देश/सलाह के बारे में भी विस्तार से बताया। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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