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कीमोथेरेपी क्या है? –  What is Chemotherapy in Hindi

कीमोथेरेपी क्या है?

दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आपने चिकित्सा जगत में थेरेपी शब्द बहुत सुना होगा जैसे नेचुरोथेरेपी (Naturopathy), फिजियोथेरेपी, ड्रग थेरेपी, साइकोडायनमिक थेरेपी आदि। एक और थेरेपी होती है जिसका नाम सुनकर ही रूह कांपने लगती है, वह है “कीमोथेरेपी”। हम आज कीमोथेरेपी के बारे में ही बात करेंगे। दोस्तो, इसका नाम सुनकर हमारा ध्यान सबसे खतरनाक बीमारी कैंसर की तरफ जाता है जो कि स्वाभाविक है और बात सही भी है। कैंसर के उपचार के लिये इस थेरेपी को अपनाया जाता है। आखिर यह कीमोथेरेपी क्या है? और क्यों की जाती है।

दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “कीमोथेरेपी क्या है?” देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको कीमोथेरेपी के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि इसके फायदे क्या हैं और इसके दुष्परिणाम क्या है। तो, सबसे पहले जानते हैं कीमोथेरेपी क्या है, कैंसर क्या है और कीमोथेरेपी क्यों की जाती है। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।

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कीमोथेरेपी क्या है?
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कीमोथेरेपी क्या है? – What is Chemotherapy

यहां हम स्पष्ट कर दें कि कीमोथेरेपी (Chemotherapy) एक अंग्रेज़ी शब्द है जिसका हिन्दी में अर्थ होता है रसायन या रासाय चिकित्सा। यदि शब्दों पर ध्यान दिया जाये तो पता चलेगा कि कीमो शब्द केमिकल से लिया है जिसका मतलब होता है रसायन और थेरेपी से का अर्थ है उपचार। अतः एक ऐसा उपचार जिसमें कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिये रसायन का उपयोग किया जाता है, कीमोथेरेपी कहलाता है। कौन सा रसायन यानी दवा देनी है, कब और कितनी देनी है यह कैंसर के प्रकार पर निर्भर करता है। कीमोथेरेपी अकेले या, सर्जरी के साथ या रेडियोथेरेपी के साथ भी दी जा सकती है, इसका निर्णय कैंसर के प्रकार के आधार पर डॉक्टर करते हैं। 

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कैंसर क्या है?- What is Cancer?

दोस्तो, हमारा शरीर अनगिनत कोशिकाओं (Cells) से बना हुआ है और इन कोशिकाओं में लगातार विभाजन होता रहता है यानी पुरानी कोशिकाओं के स्थान पर नई कोशिकाऐं प्राकृतिक रूप से बनती रहती हैं। यह एक सामान्य प्रक्रिया है जिस पर शरीर का पूरा नियंत्रण होता है। परन्तु जब शरीर किसी अंग विशेष की कोशिकाओं  अपना नियंत्रण खो देता है तो या नियंत्रण बिगड़ जाता है तब कोशिकाऐं बेहिसाब तेजी से विकसित होने लगती हैं और उपयोगी कोशिकाओं की जगह ले लेती हैं। इन्हीं को कैंसर या कैंसर कोशिकाऐं कहा जाता है। कैंसर की शुरूआत कोशिकाओं के ज़ीन में परिवर्तन होने के कारण होती है और ज़ीन में परिवर्तन किसी विशेष कारण से होता है। कैंसर के 200 से भी अधिक प्रकार होते हैं।

कीमोथेरेपी क्यों की जाती है? – Why is Chemotherapy Done?

डॉक्टर निम्नलिखित परिस्थितियों में कीमोथेरेपी कराने की सलाह देते हैं –

1. कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए (To Destroy Cancer Cells)- कीमोथेरेपी दवाऐं  कैंसर कोशिकाओं के पुनर्निर्माण और विकसित होने की प्रक्रिया और क्षमता पर प्रभाव डालती हैं। इन कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिये कोई एक दवा या अलग-अलग दवाओं को नसों में चढ़ाया जाता है या कैंसर वाले अंग पर केंद्रित करते हैं। 

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2. अंतिम विकल्प के तौर पर(As a Last Resort) – जब कैंसर के मरीज को किसी अन्य इलाज के जरिये आराम नहीं लगता तो अंतिम विकल्प के तौर पर मरीज को कीमोथेरेपी कराने की सलाह दी जाती है ताकि कैंसर की कोशिकाओं को इस माध्यम से नष्ट किया जा सके।

3. ब्रेन ट्यूमर के मामले में (Case of Brain Tumor)- ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित व्यक्ति को कीमोथेरेपी कराने की सलाह दी सकती है।  

ये भी पढ़े- ब्रेन ट्यूमर क्या है?

4. अन्य गंभीर बीमारी में(Other Serious illness) – अन्य गंभीर मामलों में जैसे फेफड़ों के कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर आदि में भी कीमोथेरेपी कराने की सलाह दी जा सकती है।  

कीमोथेरेपी के प्रकार – Types of Chemotherapy 

कीमोथेरेपी दवाओं के और उनके उपयोग के चार मुख्य प्रकार हैं जिनका विवरण इस प्रकार है –

1. अल्काईलेटिंग एजेंट (Alkylating Agent) – ये एजेंट सीधे हमारे डीएनए पर प्रभाव डालते हुऐ कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करके उनके पुनर्निर्माण को रोकते हैं। यह कीमोथेरेपी दवाओं का सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला, सबसे पुराना वर्ग है। इस वर्ग में क्लोरमबुसिल, साईक्लोफॉस्फेमाइड, थिओटेपा, और बूसुल्फान आदि आते हैं। इनका उपयोग ल्यूकेमिया, लिम्फोमा, हॉजकिन रोग (प्रतिरक्षा प्रणाली के एक हिस्से का कैंसर), मल्टीपल मायलोमा ( प्लाज्मा कोशिकाओं का कैंसर), सरकोमा, मस्तिष्क, फेफड़े, स्तन और अंडाशय का कैंसर के उपचार में किया जाता है। 

2. एंटी मेटाबोलाइट (Anti Metabolite)- ये दवाऐं आरएनए और डीएनए के विकास में रुकावट डालती हैं। ये कोशिका-चक्र विशिष्ट हैं जो कोशिका विभाजन के एक विशिष्ट चरण में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करते हैं। ये कैंसर कोशिकाओं के लिये नकली प्रोटीन बनाती हैं, जिसे खाने से कोशिकाओं को कोई फायदा नहीं होता और वे भूख से मर जाती हैं।  इसमें प्यूरीन एंटागोनिस्ट्स, पाईरिमीडाइन एंटागोनिस्ट्स, और फोलेट एंटागोनिस्ट्स शामिल हैं। 

3.प्लांट एल्कलॉइड (Plant Alkaloids)- ये कुछ विशेष प्रकार के पौधों से प्राप्त होते हैं। ये दवाऐं कोशिका विभाजन की दर और विकसित होने की क्षमता को रोकती हैं या एंजाइम को कोशिकाओं के प्रजनन के लिए आवश्यक प्रोटीन बनाने से रोकती हैं। इनमें एक्टिनोमायसिन डी, डॉक्सोरूबिसिन, और माइटोमायसिन आदि सम्मलित हैं।

4. एंटीट्यूमर एंटीबायोटिक्स /एंथ्रासाइक्लिन (Antitumor Antibiotics) – एन्थ्रासाइक्लिन एंटीट्यूमर एंटीबायोटिक्स हैं जो सामान्य एंटीबायोटिक्स से अलग हैं। ये डीएनए के साथ जुड़ कर आरएनए को सिन्थेसाइज करने से रोकते हैं।  जिससे कि कैंसर कोशिकाओं का पुनर्निर्माण या पुनरावृति न हो सके। इनमें डॉक्सोरूबिसिन, माइटोमाइसिन-सी और ब्लोमाइसिन आदि सम्मलित होते हैं। 

कीमोथेरेपी कैसे की जाती है? – How is Chemotherapy Done?

कीमोथेरेपी के लिये निम्नलिखित विधियां अपनाई जा सकती हैं –

1. इंट्रावेनस (IV) कीमोथेरेपी (Intravenous Chemotherapy)- इस विधि में कुछ दवाओं को सीधा मरीज के शरीर में नसों के द्वारा पहुंचाया जाता है। दवाऐं नसों द्वारा रक्त के जरिये शरीर के विभिन्न हिस्सों में चली जाती हैं। यह कीमोथेरेपी का सबसे पुराना और प्रचलित तरीका है। इसे दवाई चढ़ाना भी कहा जाता है। इसके लिये एक छोटे पम्प का उपयोग किया जाता है जिसके जरिये दवा नस में भेजी जाती है। दवाई चढ़ने में कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों का समय लग सकता है।  

2. ओरल कीमोथेरेपी (Oral Chemotherapy)- कीमोथेरेपी की इस विधि में कुछ दवाओं को मुंह में रखकर निगला जाता है। इनमें टेब्लेट्स या कैप्सूल हो सकते हैं या पीने वाली दवा भी हो सकती है। इनको डॉक्टर के निर्देशानुसार मरीज अपने घर पर ही लेते हैं लेकिन समय-समय पर जांच के लिये अस्पताल जाना होता है। ये दवाऐं बहुत प्रभावकारी होती हैं और जल्दी असर करती हैं। इनसे कई बार मरीज को उलटी भी हो जाती है और मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है। 

3. इंजेक्टेड कीमोथेरेपी (Injected Chemotherapy)- इस थेरेपी में इंजेक्शन के जरिये मरीज के शरीर के अंदर दवा इंजेक्ट की जाती है। कई केसों में इंजक्शन मांसपेशियों में और कुछ मामलों में त्वचा में लगाया जाता है। यह रोगी के हाथ, पैरों या पेट में किया जा सकता है।

4. उपचर्म कीमोथेरेपी (Subcutaneous Chemotherapy)-  इस प्रक्रिया में एक छोटी सुई का उपयोग करते हुऐ त्वचा के नीचे इंजेक्शन दिये जाते हैं। 

5. इंट्रामस्क्युलर कीमोथेरेपी (Intramuscular Chemotherapy)– इस विधि में त्वचा के जरिये से मांसपेशियों की परत में इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन दिये जाते हैं। 

6. आर्टरी के माध्यम से कीमोथेरेपी (Chemotherapy Through the Artery)- धमनी (आर्टरी)  हृदय से शरीर केअन्य हिस्सों में रक्त संचार का काम करती है। कई मामलों में दवाऐं सीधी धमनी में इंजेक्ट की जाती है जो कैंसर कोशिकाओं पर प्रभाव दिखाती हैं।

7. पेरिटोनियम में कीमोथेरेपी (Chemotherapy in the Peritoneum)- जब कैंसर पेरिटोनियम (पेट के अंदर एक प्रकार की झिल्ली) में हो जाये तो कीमोथेरेपी दवाओं को सीधा मरीज के पेट में पहुंचाया जाता है। ओवरियरन कैंसर इसी प्रकार का कैंसर है जो पेरिटोनियम में फैल जाता है।

8. टोपिकल कीमोथेरेपी (Topical Chemotherapy)- यदि मरीज को त्वचा का कैंसर हुआ है तो इसके लिए टोपिकल कीमोथेरेपी द्वारा उपचार किया जाता है। इसके लिये कीमोथेरेपी क्रीम को कम मात्रा में मरीज की त्वचा पर लगाई जाती है। यह त्वचा के कैंसर की कोशिकओं को पूरी तरह मार देती है और इसके दोबारा होने की सम्भावना भी नहीं रहती।  

9. इंट्रा प्लूरल कीमोथेरेपी(Intrapleural Chemotherapy)- इस विधि का उपयोग फेफड़ों  के कैंसर में किया जाता है। फेफड़ों में कैंसर फ्लूइड (पानी) भर जाने से सांस लेने में दिक्कत होती है।  इस विधि में एक टूयुब (inhaler) के द्वारा फेफड़ों में भरे पानी को बाहर निकाला जाता है। इस इंट्राप्लूरल कीमोथेरेपी को स्क्लेरोसिस (sclerosis) और प्लुरोडेसिस (pleurodesis) के नाम से भी जाना जाता है। 

कीमोथेरेपी कब और कितनी दी जाती है?- When and How Much Chemotherapy is Given

मरीज को कीमोथेरेपी कब और कितनी दी जानी है इसका निर्धारण डॉक्टर निम्नलिखित तथ्यों को ध्यान में रखकर करते हैं –

1. कैंसर का प्रकार क्या है।

2. ट्यूमर का आकार।

3. कैंसर किस अंग में है और इसका फैलाव कितना हे।

4. कैंसर कौन से चरण (Stage) में है।

5. मरीज की आयु।

6. मरीज के सामान्य स्वास्थ की स्थिति क्या है।

7. क्या मरीज पहले भी कैंसर का उपचार ले चुका है।

8. मरीज को कोई अन्य रोग तो नहीं है।

ये भी पढ़े- प्लाज्मा थेरेपी क्या है?

कीमोथेरेपी के बाद देखभाल – Care After Chemotherapy

दोस्तो, कीमोथेरेपी उपचार के बाद निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिये –

1. अपने भोजन में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें ताकि आपका वजन मेन्टेन रहे।

2. नमकीन खाद्य पदार्थों का कम सेवन करें।

3. रेड मीट का भी कम सेवन करें।

4. अपने शरीर की गतिविधि को धीरे-धीरे बढ़ायें।

5. धूम्रपान ना करें।

6. शराब का कम मात्रा में सेवन करें।

7. सूरज की यूवी किरणों के संपर्क से बचें 

8. अच्छी गुणवत्ता वाले Sun Protection Factor  लेवल के सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।

9. डॉक्टर की सलाह के अनुसार मल्टीविटामिन का सेवन करें। 

10. कोई समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।

कीमोथेरेपी का खर्च – Cost of Chemotherapy

अलग-अलग अस्पतालों में कीमोथेरेपी उपचार पर आने वाला खर्च अलग-अलग हो सकता है। यह निर्भर करता है कैंसर के प्रकार और कीमोथेरेपी की विधि पर। फिर भी, यह लगभग 75,000 से 1,00,000 रुपये तक हो सकता है।

कीमोथेरेपी के फायदे :- 

दोस्तो, कीमोथेरेपी उपचार के निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं –

1. सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि मरीज को कैंसर से मुक्ति मिल जाती है। उसे एक नया जीवन मिल जाता है। 

2. कैंसर के दुबारा होने होने की संभावना को कम करने के लिये उन सभी अत्यंत सूक्षम कोशिकाओं को भी नष्ट कर दिया जाता है जिनका पता लगाना भी मुश्किल होता है।

3. सम्भावित रोग के लक्षणों से छुटकारा दिलाने के लिये कैंसर के बढ़ने और फैलने को रोकना। 

4.  कीमोथेरेपी का उद्देश्य यह भी है कि सर्जरी या रेडियोथेरेपी से पहले कैंसर के प्रभाव को कम करना। 

5. रेडिएशन के प्रभाव को बढ़ाना।

6. डॉक्टर के सम्पर्क में रहने से मरीज आश्वस्त रहता है। उसके नियमित जाँच, टेस्ट जरूरत होने पर होते रहते हैं। 

कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स – Side Effects of Chemotherapy

कीमोथेरेपी उपचार के बाद कुछ साइड इफेक्ट्स सामने आ सकते हैं जो हर मरीज में अलग-अलग दवाओं के अलग-अलग हो सकते हैं। इनमें कुछ निम्न प्रकार हैं –

1. सिर में दर्द रहना।

2. मांसपेशियों में दर्द रहना।

3. पेट दर्द रहना।

4. नसों के क्षतिग्रस्त होने पर दर्द, जलन, सुन्न होना, अंगुलियों या पंजो में तेज दर्द होना आदि। नसों को ठीक होने में कई महीने ता कई साल लग सकते हैं। कई लोगों में पूरी तरह ठीक भी नहीं हो पाती हैं।

5. नर्वस सिस्टम में परिवर्तन आ सकता है।

6. कीमोथेरेपी उपचार के बाद घर पर अस्वस्थ महसूस कर सकते हैं। 37।5 डिग्री सेल्सियस तक या उससे अधिक तापमान होने पर उल्टी या दस्त लग सकते हैं। अप्रत्याशित रूप से खरोंचे आ कती है या खून बह सकता है या मूत्र सम्बन्धी परेशानी हो सकती है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से तुरंत सम्पर्क करना चाहिये।

7. रक्त कोशिकाओं पर प्रभाव पड़ सकता है यानी लाल, सफेद और प्लेटलेट्स की संख्या में घट सकती है। लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या घटने से एनीमिया हो सकता है। सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या कम होने से रोग प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है और प्लेटलेट्स कम होने पर रक्त बहाव की समस्या हो सकती है। नाक या मसूड़ों से रक्त बहना शुरु हो सकता है। जरा सी खरोंच आने पर भी रक्त बहना जल्दी बंद नहीं होगा।

8. कीमोथेरेपी उपचार का दुष्प्रभाव मुंह पर भी पड़ सकता है। कीमोथेरेपी कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने के साथ-साथ मुंह के अन्दर की कोशिकाओं को भी  नष्ट कर सकती है। इससे मुंह लाल पड़ सकता है या अंदर घाव है सकता है, छाले हो सकते हैं।

9. कीमोथेरेपी उपचार से भूख प्रभावित हो सकती है। भूख ना लगने पर वजन तेजी से कम हो सकता है। स्वाद बदल सकता है।

10. कीमोथेरेपी का आंतों पर भी प्रभाव पड़ सकता है जिससे दस्त और कब्ज की समस्या बन सकती है।

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको कीमोथेरेपी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कीमोथेरेपी क्या है?, कैंसर क्या है?, कीमोथेरेपी क्यों की जाती है?, कीमोथेरपी के प्रकार, कीमोथेरेपी कैसे की जाती है?, कीमोथेरेपी कब और कितनी दी जाती है, कीमोथेरेपी के बाद देखभाल, कीमोथेरेपी का खर्च, इन सब के बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से कीमोथेरेपी के फायदे बताये और कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा। 

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।
Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको कीमोथेरेपी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कीमोथेरेपी क्या है?, कैंसर क्या है?, कीमोथेरेपी क्यों की जाती है?, कीमोथेरपी के प्रकार, कीमोथेरेपी कैसे की जाती है?, कीमोथेरेपी कब और कितनी दी जाती है, कीमोथेरेपी के बाद देखभाल, कीमोथेरेपी का खर्च, इन सब के बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया।
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2 thoughts on “कीमोथेरेपी क्या है? –  What is Chemotherapy in Hindi

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