स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आपने बहुत सुना होगा कि घर का चिराग ही जब घर को जलाने लगे तो घर को जलने से कौन बचा सकता है या जब खेत ही खेत को खाने लगे तो खेत को कौन बचाएगा। यही बात मानव शरीर पर भी लागू होती है। शरीर में एक इम्युनिटी सिस्टम विद्यमान होता है यानि प्रतिरक्षा प्रणाली। यह इम्युनिटी सिस्टम संक्रमण/वायरस के विरुद्ध लड़कर शरीर को बीमारियों से बचाने का काम करता है। अब सोचो कि यदि इम्युनिटी खुद अपने पर ही आक्रमण करके इम्युनिटी को ही नुकसान पहुंचाने लगे तो क्या होगा। ऐसी स्थिति को ऑटोइम्यून कहा जाता है और इससे होने वाले रोग को ऑटो इम्यून जिसमें अनेक प्रकार के रोग सम्मलित होते हैं। आखिर यह ऑटोइम्यून है क्या? दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “ऑटोइम्यून क्या है?”।
देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको ऑटोइम्यून के बारे में विस्तार से जानकारी देगा यह भी बताएगा कि ऑटोइम्यून का इलाज क्या है? तो, सबसे पहले जानते हैं कि ऑटोइम्यून क्या है और इसके कितने प्रकार होते हैं।
ऑटोइम्यून क्या है? – What is Autoimmune?
दोस्तो, शाब्दिक अर्थ की दृष्टि से ऑटोइम्युनिटी शब्द मनुष्य के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाओं और ऊतकों को “स्वयं” के रूप में पहचानने में असफल होने को परिभाषित करता है। इसका तात्पर्य यह है कि जब प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही स्वस्थ ऊतकों या शरीर में मौजूद अन्य पदार्थों को ठीक से समझ पाने में असमर्थ होती है और गलती से इनको हानिकारक विषाक्त या फिर कोई बाहरी रोगजनक (Pathogen) पदार्थ समझकर इन पर आक्रमण करके नष्ट करने लगती है, तो इस स्थिति को ऑटोइम्यून या ऑटो इम्यून रोग कहा जाता है।
इस रोग में एक नहीं अनेक रोग शामिल होते हैं जिनका जिक्र हम आगे करेंगे। ऑटो इम्यून रोग पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होता है। यदि पुरुषों में ऑटो इम्यून रोग का प्रतिशत दर लगभग 2:1 है तो महिलाओं में यह दर 6.4 प्रतिशत होगी।
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ऑटोइम्यून रोग के प्रकार – Types of Autoimmune Diseases
दोस्तो, ऑटो इम्यून रोग के लगभग 80 प्रकार होते हैं। हम यहां बता रहे हैं कुछ ऑटो इम्यून रोगों के बारे में और उनके लक्षणों बारे में, विवरण निम्न प्रकार है –
1. टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes)- यह रोग ऑटो इम्यून माना जाता है। इस रोग में इम्युनिटी सिस्टम पैनक्रियाज पर आक्रमण करके स्वस्थ कोशिकाओं को खत्म करता रहता है। पैनक्रियाज वह अंग है जो शरीर में इंसुलिन बनाता है। स्वस्थ कोशिकाओं के नष्ट होते रहने पर ग्लुकोज शरीर में पच नहीं पाता।
परिणाम स्वरूप व्यक्ति टाइप 1 डायबिटीज रोग से ग्रस्त हो जाता है। व्यक्ति को बहुत अधिक प्यास लगना, बार-बार मूत्र विसर्जन को जाना, हृदय गति का बढ़ना, शरीर में पानी की कमी हो जाना, कमजोरी और थकान आदि इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
2. ल्यूपस (Lupus)- प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर द्वारा शरीर के ऊतकों को क्षति पहुंचाये जाने के कारण ल्यूपस रोग पनपता है। इसमें शरीर में जलन और सूजन होने लगती है। इस रोग में हृदय, मस्तिष्क, कोशिकाएं आदि पर प्रभाव पड़ता है। कमजोरी, थकावट, बुखार, जोड़ों का दर्द, सूजन, सांस लेने में दिक्कत, सिर दर्द, छाती में दर्द, त्वचा में जलन आदि इसके लक्षण हैं।
3. सीलिएक रोग (Celiac Disease)- यह एक ऐसा रोग है जिसमें व्यक्ति को ग्लूटेन नामक प्रोटीन से एलर्जी होती है। गेहूं, जौ और राई जैसे अनाज में ग्लूटेन सामान्य रूप से पाया जाता है। ग्लूटेन के कारण व्यापक रूप से सूजन होने लगती है और छोटी आंत की क्षति होती है। इस वजह से भोजन से पोषक तत्वों का अवशोषण मुश्किल हो जाता है। थकान और कमजोरी, लगातार वजन कम होना, कब्ज और दस्त की शिकायत, पेट में दर्द आदि इसके लक्षण हैं।
4. रूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis)- इस रोग को गठिया भी कहा जाता है जो ऑटो इम्यून का परिणाम स्वरूप होता है। इस रोग में शरीर के जोड़ों के साथ-साथ अन्य अंग जैसे आंखें, फेफड़े, हृदय, रक्त की धमनियां और त्वचा आदि बुरी तरह प्रभावित होते हैं। कमजोरी, थकावट, जोड़ों में अकड़न और दर्द, हल्का बुखार, मुंह और आंखों का सूखना, शरीर में गांठ बनना आदि इस रोग के लक्षण होते हैं।
5. सोरियाटिक अर्थराइटिस (Psoriatic Arthritis) – आमतौर पर सोरियाटिक अर्थराइटिस, सोरियासिस से ग्रस्त मरीजों में होता है। इस रोग में उंगलियां, पंजे, घुटने और रीढ़ की हड्डी आदि प्रभावित होते हैं, इनमें सूजन आ जाती है। जोड़ों में सूजन, अकड़न, हाथ, पैर की उंगलियों में सूजन, मांसपेशियों में दर्द, बेहद थकावट, आंखों लालिमा, आंखों का दुखना आदि इस रोग के लक्षण हैं।
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6. मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple Sclerosis)- इसे एक गंभीर ऑटो इम्यून रोग माना जाता है। इसमें केंद्रिय तंत्रिका तंत्र की गंभीर हानि होती है। यह रोग मस्तिष्क, रीढ की हड्डी और ऑप्टिक नर्व को अधिक प्रभावित करता है। इस रोग में एंटीबॉडीज़ मस्तिष्क, रीढ की हड्डी और आंखों की नसों को क्षति पहुंचाती हैं। इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं कमजोरी, बुखार, आंखों की समस्याएं, सोचने समझने में परेशानी होना, चलने में असमर्थता आदि।
7. इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज Inflammatory Bowel Disease)- इस रोग में पाचन तंत्र में सूजन आ जाती है जो लंबे समय तक बनी रह सकती है। इसमें अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन रोग मुख्य रूप से शामिल होते हैं। क्रोहन रोग में बड़ी आंत (कोलन) और मलाशय के अंदर की आंत में सूजन आ जाती है और यह अल्सर की वजह भी बन सकता है। पेट में दर्द रहना, ऐंठन, पेट में सूजन, वजन कम होना, लगातार दस्त लगना और मल में खून आना इसके लक्षण हैं।
8. एडिसन रोग (Addison’s Disease)- यह एक दुर्लभ बीमारी है जो लाखों में किसी एक को होती है। इसे हाइपोकोर्टिसोलिज्म भी कहा जाता है। किडनी के ऊपर ग्रंथियों को एड्रेनल ग्रंथियां कहा जाता है। एड्रेनल ग्रंथियों की बाहरी परत को कोर्टेक्स कहा जाता है। ये ग्रंथियां तीन प्रकार के स्टेरॉयड हार्मोन का उत्पादन करती हैं। कोर्टिसोल और एल्डोस्टेरोन के अतिरिक्त सेक्स हार्मोन एंड्रोजन का भी उत्पादन करती हैं।
जब ये ग्रंथियां इन हार्मोन्स का उत्पादन कम करने लगती हैं तो इस स्थिति को एडिसन रोग कहते हैं। थकावट महसूस करना, मांसपेशियों में कमजोरी, त्वचा में कालापन, वजन कम होना, भूख ना लगना, लो ब्लड प्रेशर, हृदय गति का कम होना, मुंह में छाले, चिड़चिड़ापन, नमकीन खाने की तीव्र इच्छा आदि इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
9. स्पॉट बोल्डनेस (Spot Baldness)- यह गंजेपन की स्थिति होती है। यह स्थिति तब बनती है जब प्रतिरक्षा प्रणाली बालों के रोम पर आक्रमण कर, इनको नुकसान पहुंचाती है। इस रोग में सिर के बाल झड़ने लगते हैं।
10. वैस्क्युलाइटिस (Vasculitis)- यह एक ऐसा रोग है जिसमें रक्त वाहिकाओं में सूजन आ जाती है। जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली नसों, धमनियों और छोटी कोशिकाओं पर आक्रमण करती है तब वैस्क्युलाइटिस की स्थिति उत्पन्न होती है। इस रोग में धमनियां, नसें तथा कोशिकाएं प्रभावित होती हैं। सिर में दर्द, थकावट, बुखार, वजन कम होना, नसों की समस्याएं, त्वचा पर रैशेज पड़ जाना, रात के समय पसीने आना आदि इस रोग के लक्षण होते हैं।
ऑटो इम्यून रोग के कारण – Cause of Autoimmune Disease
ऑटो इम्यून रोग के सटीक और प्रमाणिक कारण अज्ञात हैं परन्तु अनुमानतः निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –
1. अनुवांशिकता – माना जाता है मल्टीपल स्केलेरोसिस तथा अन्य ऑटोइम्यून रोग परिवार में यदि किसी ना किसी को चला आ रहा है तो संभावना जताई जाती है कि यह आगे भी चल सकता है। परन्तु ऐसा ही हो, यह आवश्यक भी नहीं है।
2. कुछ रसायन या सॉल्वैंट्स में संक्रमण भी ऑटो इम्यून के कारण बन सकते हैं।
3. वेस्टर्न फूड को भी ऑटो इम्यून के लिए जिम्मेदार माना जा सकता है।
4. असंतुलित आहार जैसे हाई फैट, हाई शुगर वाले खाद्य पदार्थ और हाई प्रोसेस्ड फूड भी ऑटो इम्यून को ट्रिगर कर सकते हैं।
5. 2015 में की गई स्टडी में “हाइजीन हाइपोथेसिस” के अनुसार एंटीसेप्टिक और टीकाकरण को भी ऑटो इम्यून के लिये जिम्मेदार माना गया है। बच्चों में, पहले की तुलना में अब काफी कम रोगाणुओं के संपर्क में आने के कारण, प्रतिरक्षा प्रणाली रोगाणुओं की पहचान नहीं कर पाती। इस वजह से स्वस्थ कोशिकाओं को हानि पहुंचने की संभावना बढ़ जाती है।
ऑटो इम्यून रोग के लक्षण – Symptoms of Auto Immune Disease
ऑटो इम्यून में चूंकि अनेक रोग शामिल होते हैं इसलिये इसके लक्षण भी रोग विशेष पर निर्भर करते हैं। कुछ ऑटो इम्यून रोगों के लक्षण हम ऊपर बता चुके हैं। अब हम आपको सामान्य लक्षणों के बारे में बताते हैं जो निम्न प्रकार हैं –
1. मांसपेशियों में दर्द।
2. जोड़ों में दर्द।
3. कमजोरी और थकावट।
4. वजन कम होना।
5. मानसिक प्रभाव के कारण व्यवहार में परिवर्तन।
6. त्वचा विकार होना।
7. बुखार होना।
8. सूजन।
9. पाचन तंत्र में समस्या
10. मल में खून आना।
11. लगातार दस्त रहना।
12. पेट में दर्द, ऐंठन।
13. हाथ, पैरों में झुनझुनी और सुन्नता।
14. हृदय की असामान्य गति
15. अधिकाधिक गर्भपात।
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जटिलताएं – Complications
ऑटोइम्यून की जटिलताएं ऑटो इम्यून रोगों पर आधारित होती हैं। रोग विशेष यदि गंभीर है तो इसकी जटिलताएं भी गंभीर और जानलेवा हो सकती हैं। यहां हम बता रहे हैं कुछ निम्नलिखित जटिलताएं जो आमतौर पर हो सकती हैं –
1. हृदय संबंधी समस्याएं।
2. लो ब्लड प्रेशर
3. अंधापन
4. हड्डियों की क्षति
5. तंत्रिका संबंधी विकार
6. पक्षाघात,
7. स्ट्रोक, हार्ट अटैक।
8. त्वचा संबंधी विकार/समस्या।
9. किडनी और लिवर संबंधी समस्याएं
10. गर्भावस्था के समय की जटिलताएं।
11. रक्तस्राव और रक्त के थक्के बनना।
12. जल्दी-जल्दी होने वाले संक्रमण जैसे निमोनिया, ब्रोंकाइटिस आदि।
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ऑटोइम्यून का निदान – Diagnosis of Autoimmune
किसी एक टेस्ट विशेष की मदद से ऑटोइम्यून का निदान नहीं किया जा सकता। हर रोग के लिए विशेष टेस्ट हो सकते हैं। हालांकि डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट करवा सकते हैं –
1. एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडी टेस्ट – इस टेस्ट की पॉजिटिव रिपोर्ट का मतलब होता है कि व्यक्ति को कोई ऑटो इम्यून रोग है, परन्तु कौन सा है, यह पता नहीं चल पाता।
2. शारीरिक परीक्षण।
3. ब्लड टेस्ट।
4. बायोप्सी।
5. इमेजिंग टेस्ट जैसे एक्स-रे, सीटी स्केन आदि।
ऑटोइम्यून रोगों का इलाज – Treatment of Autoimmune Diseases
दोस्तो, सभी ऑटो इम्यून रोगों का इलाज उपलब्ध नहीं है इनको केवल दवाओं के जरिये नियंत्रित किया जा सकता है और सूजन को कम किया जा सकता है। इसके लिए निम्न प्रकार की दवाएं दी जा सकती हैं –
1. नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स जैसे आईबूप्रोफेन (मोट्रिन, एडविल) और नेप्रोक्सन (नेप्रोसिन)।
2. इम्यूनोसप्रेसेन्ट दवाएं – प्रतिरक्षा प्रणाली की गतिविधि को रोकने करने के लिए।
3. दर्द निवारक दवा जैसे पेरासिटामोल और कौडीन आदि।
4. डायबिटीज के मामले में इंसुलिन के इंजेक्शन।
5. मरीज की गतिशीलता को बढ़ाने के लिए फिजियोथेरेपी।
ऑटोइम्यून रोगों से बचाव – Prevention of Autoimmune Diseases
चूंकि ऑटो इम्यून रोगों का कोई समुचित उपचार नहीं है इसलिये इनसे बचाव ही बेहतर विकल्प है। इन रोगों से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाये जा सकते हैं –
1. धूम्रपान बंद करें। यदि आप धूम्रपान करते हैं तो इसे तुरंत छोड़ें क्योंकि तम्बाकू अनेक बीमारियों को जन्म देता है।
2. शराब का सेवन कम करें। शराब का अधिक मात्रा में सेवन करने से केवल नुकसान ही होता है, फायदा नहीं।
3. ड्रग्स का सेवन ना करें। ड्रग्स तथा अन्य नशीले पदार्थों का सेवन किसी भी दृष्टि से फायदा नहीं होता सिवाय नुकसान के।
4. विषाक्त पदार्थों (toxins) को बाहर निकालें। शरीर में से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। फाइबर युक्त तथा एंटीटॉक्सिक खाद्य पदार्थों को अपने भोजन में शामिल करें।
5. संतुलित आहार लें। आपका भोजन ऐसा होना चाहिए जो संतुलित हो, विरोधी खाद्य पदार्थ ना हों और सबसे बड़ी बात यह है कि भोजन, विटामिन और खनिजों से युक्त पोषक तत्वों वाला होना चाहिए।
6. प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड और डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों को अवॉइड करें।
7. योग और व्यायाम करें – योग, ध्यान, प्राणायाम, अनुलोम, विलोम और व्यायाम ये प्राकृतिक चिकित्सा का हिस्सा हैं जो लगभग सभी प्रकार की बीमारियों से बचाते हैं और बीमारियों का निवारण करते हैं।
कम से कम आधे घंटे का व्यायाम अवश्य करें। यदि व्यायाम नहीं करना चाहते तो कम से कम 30 से 45 मिनट की मॉर्निंग वॉक करें, यह भी व्यायाम का हिस्सा है।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको ऑटोइम्यून के बारे में विस्तार से जानकारी दी। ऑटोइम्यून क्या है?, ऑटो इम्यून रोग के प्रकार, ऑटो इम्यून रोग के कारण, ऑटो इम्यून रोग के लक्षण, जटिलताएं और ऑटोइम्यून का निदान, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से ऑटो इम्यून रोगों के इलाज के बारे में बताया और ऑटो इम्यून रोगों से बचाव के उपाय भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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