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बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के उपाय – How to Increase Children’s Immunity in Hindi

बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के उपाय

दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, बच्चे देश की धरोहर और भविष्य होते हैं। वे स्वस्थ तो देश का भविष्य भी स्वस्थ। परन्तु आपने यह भी देखा होगा कि कुछ बच्चे शारीरिक रूप बहुत ज्यादा कमजोर होते हैं, कुछ ठीक-ठाक होते हुऐ भी बार-बार बीमार पड़ते रहते हैं और उनको ठीक होने में भी सामान्य से अधिक समय लगता है। आखिर क्यों? दोस्तो, इसी प्रश्न का उत्तर है हमारा आज का टॉपिक बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के उपाय अर्थात् बच्चों की इम्यूनिटी को कैसे बढ़ाया जाये ताकि उनका इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत बने और सुचारु रूप से कार्य करता रहे। 

दोस्तो, हमने पिछले लेख में बताया था कि इम्यूनिटी क्या होती है और कितने प्रकार की होती है? हमने यह भी बताया था कि यह “मानव का सुरक्षा कवच” होता है जो विभिन्न प्रकार के संक्रमणों और बीमारियों से हमारी रक्षा करता है। तो, इस बारे में दोहराने की आवश्यकता नहीं है। बच्चे की इम्यूनिटी  क्या होती है, इस बारे में प्रकाश डालते हैं। दोस्तो, देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से बच्चों की इम्यूनिटी  को बढ़ाने के उपाय बतायेगा। 

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बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के उपाय
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बच्चे की इम्यूनिटी  क्या होती है? – What is Child Immunity

जहां तक प्रश्न बच्चे की इम्यूनिटी  का है तो यह समझ लीजिये कि बच्चे की इम्यूनिटी  का आधार “मां का दूध” होता है जिससे उसकी जन्मजात इम्यूनिटी  बनती है जो धीरे-धीरे विकसित होती है। जन्म लेने से पहले भी बच्चे को गर्भ में प्लैसेंटा के द्वारा मां से एंटीबॉडीज मिलती रहती हैं। जन्म लेने के बाद मां के दूध में मौजूद एंटीबॉडीज बच्चे की उन बीमारियों से रक्षा करते हैं जिनसे मां पहले बीमार पड़ चुकी होती है। इसी कारण कहा जाता है कि “मां के दूध” का कर्ज कोई नहीं उतार सकता। मां के दूध से ही बच्चे की अपनी जन्मजात इम्यूनिटी   (Innate Immunity) इम्यूनिटी  का विकास होता है जिसको विकसित होने में 9 महीने का समय लगता है। बाद में टीकाकरण के माध्यम से और पौष्टिक आहार के माधयम से बच्चा अनुकूलीय प्रतिरक्षा (Adeptive Immunity) को प्राप्त करता है। 

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बच्चों में कमजोर इम्यूनिटी  के लक्षण – Symptoms of Weak Immunity in Children

यदि बच्चे में निम्नलिखित लक्षण नजर आते हैं तो समझिये कि बच्चे का इम्यूनिटी  सिस्टम कमजोर है –

1. बार-बार और जल्दी-जल्दी बच्चे का बीमार पड़ना।

2. हर मौसम के बदलने पर बीमार पड़ना।

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3. बच्चे का देर से ठीक होना अर्थात् जहां बच्चे को दो या तीन दिन में सही होना चाहिये, ठीक होने में एक हफ्ता लग जाना।

4. जल्दी-जल्दी पेट खराब रहना। कब्ज रहना, गैस बनना।

5. सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी आदि होते रहना, बार-बार छींक आना।

6. ठीक से भूख ना लगना।

7. बच्चे का वजन कम होना

8. तनाव और बेचैनी महसूस करना।

बच्चों की इम्यूनिटी कम होने के कारण – Cause of low Immunity of Children

बच्चों की इम्यूनिटी कम होने के हो सकते हैं निम्नलिखित कारण –

1. प्री-मैच्योर यानी समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों में इम्यूनिटी  क्षमता कम होना स्वाभाविक है।

2. किसी कारणवश बच्चे को मां का दूध ना मिल पाने से बच्चे की इम्यूनिटी  क्षमता कमजोर रह जाती है।

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3. जरूरी टीकाकरण का न करवाना। माता-पिता की लापरवाही या अज्ञानता के कारण बच्चे को उचित समय पर जरूरी टीके ना लग पाना जो विभिन्न संक्रमणों और बीमारियों से बचाते हैं। 

4. बच्चे की मां का इम्यूनिटी  सिस्टम कमजोर होना। इसका प्रभाव बच्चे की इम्यूनिटी  पर पड़ना स्वाभाविक है।

5. कुपोषण का शिकार। जिन बच्चों का पारिवारिक स्थिति या किसी अन्य कारणवश भरण पोषण उचित तरीके से नहीं हो पाता अर्थात् दूध, भोजन आदि की कमी से इम्यूनिटी  सिस्टम कमजोर पड़ जाता है।

6. बच्चों का पोषणयुक्त भोजन ना करना अर्थात् आदत के कारण जंक फूड्स का अधिक सेवन करना। 

7. फल, सब्जियां ना खाना। 

8. शारीरिक गतिविधि ना करना या कम करना, खेल में रुचि ना लेना, अपने साथ वाले बच्चों के साथ खेलने बाहर ना जाना व्यायाम ना करना।

9. बच्चे की नींद पूरी ना हो पाना।

10. बच्चे का तनाव में रहना। 

बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के उपाय  – How to Increase Children’s Immunity 

दोस्तो, सबसे पहले आपको बताते हैं कुछ मूलभूत (Basic) उपाय जो खानपान की ही तरह महत्वपूर्ण हैं।

मूलभूत उपाय – Basic Remedy

1. छोटे बच्चों को मां का स्तनपान कराना (Breastfeeding the mother of young children)- मां का दूध बच्चे के लिए अमृत होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार छह महीने की आयु तक के बच्चे को स्तनपान कराना अनिवार्य होता है। क्योंकि मां के दूध के एंटीबॉडीज ही बच्चे को उन रोगों से बचाते हैं जिनसे मां पहले बीमार रह चुकी होती है।  मां के दूध से ही बच्चे की अपनी जन्मजात इम्यूनिटी   (Innate Immunity) इम्यूनिटी  का विकास होता है जिसको विकसित होने में 9 महीने का समय लगता है। मां के दूध के एंटीबॉडीज सफेद रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में मदद करते हैं। यदि किसी कारणवश मां बच्चे को दूध नहीं पिला पा रही तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिये। 

2. टीकाकरण (Vaccination)-  बच्चे के जन्म के बाद टीकाकरण कार्ड के अनुसार समय-समय पर आवश्यक टीके अवश्य लगवायें। ये टीके ना केवल संक्रमणों और बीमारियों से बच्चे को बचाते हैं बल्कि उसकी जन्मजात इम्यूनिटी  को विकसित करती है। बच्चे के किसी संक्रमण या किसी पैथोजेंस (रोगजनक) के सम्पर्क में आने पर टीकाकरण के द्वारा बच्चे की अनुकूलीय प्रतिरक्षा (Adeptive Immunity) मजबूत होती है जो बच्चे को विशेष बीमारियों से बचाती है।  देसी हैल्थ क्लब यहां स्पष्ट करना चाहता है कि समय-समय पर बच्चे को टीका लगवाने की जिम्मेदारी केवल मां या पिता किसी एक की नहीं बल्कि माता-पिता दोनों की ही होती है। 

3. भरपूर नींद (Full Sleep)- जिस प्रकार बड़ों के लिये 7-8 घंटे की नींद जरूरी है उसी प्रकार छोटे बच्चों का कम से कम 9 घंटों की नींद बहुत जरूरी है। इस मामले में शिशु बहुत तंग करते हैं। कई बार वे देर रात तक जागते हैं, खेलते हैं और माता-पिता तंग होते रहते हैं, उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती। ऐसी स्थिति में कुछ नहीं कर सकते। ये शिशु दिन में मां का दूध पीकर कई-कई घंटे सोकर अपनी नींद पूरी करते हैं। जब बच्चा सोया हुआ हो तो उसे जगाना नहीं चाहिये क्योंकि सोते समय भी इम्यूनिटी  सिस्टम अपना काम सरलता से काम कर रहा होता है।

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इनसे थोड़ा बड़े बच्चे, जिनमें स्कूल जाने वाले बच्चे भी शामिल हैं, इनके लिये सुनिश्चित करें कि वे रात को जल्दी सो जायें ताकि वे 9 घंटे की भरपूर नींद ले सकें। इससे उनकी इम्यूनिटी निश्चित रूप से बढ़ेगी क्योंकि सोते समय भी इम्यूनिटी  सिस्टम अपना काम सरलता से करता है।

4. बच्चे को तनाव न होने दें (Do not let the child get stressed)- यह बहुत ही संवेदनशील मामला होता है। याद रखिये, बड़ा हो या बच्चा तनाव ग्रस्त होने पर हमेशा इम्यूनिटी की हानि होती है। इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होने लगता है। यदि बच्चे तनाव में आते हैं तो सीधे तौर पर इसकी जिम्मेदारी माता-पिता पर आती है। जहां तक संभव है, बच्चों को प्यार से समझाना चाहिये ना कि उनको डांटना या उन पर गुस्सा करना चाहिये। मार-पीट तो बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिये। यदि डांटना भी पड़े तो उनको बच्चों को सबके सामने डांटना नहीं चाहिये, इससे उनमें हीन भावना घर कर जाती है फिर वो तनाव में रहने लगते हैं। 

जहां तक 14 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों (Teenagers) का प्रश्न है तो उनके साथ तो और अधिक गंभीर रहना पड़ता है, उनके फ्रेंड सर्किल से या स्कूल संबंधी अनेक समस्याएं हो सकती हैं। इस मामले में बच्चे को समझने की कोशिश कीजिये, उसकी समस्या को सुलझाने में उसकी मदद कीजिए और उसे भरोसा दिलाएं कि आप हमेशा उसके साथ हैं ताकि वह तनाव का शिकार ना हो। और यदि तनाव है भी तो उसे दूर कीजिए। इस प्रकार जब बच्चा तनाव रहित रहेगा तो उसकी इम्यूनिटी  सही बनी रहेगी।

5. साफ-सफाई (Cleanliness)- घर की साफ-सफाई के साथ-साथ  बच्चों की साफ-सफाई रखना उनके स्वास्थ के लिये बेहद जरूरी है। क्योंकि गंदगी से और गंदे वातावरण से कीटाणु बच्चों के शरीर में जाकर उनको बार-बार बीमार करते हैं। ऐसी स्थिति में भी बच्चों की इम्यूनिटी  कम होती है। इसलिये उनको प्रतिदिन नहलाना, उनके कपड़ों की धुलाई आदि का विशेष ध्यान रखना चाहिये। थोड़ा बड़े बच्चों को साफ-सफाई के महत्व के बारे में बताना चाहिये। जैसे कि कुछ भी खाने से पहले साबुन से हाथ धोने चाहियें, ताकि कोई वायरस या बैक्टीरिया हाथों के माध्यम से शरीर में ना जाये। बाहर से आये हैं तो उनको हाथ, पैर, मुंह धोने चाहियें, बाजार में जाकर कुछ भी खाना, विशेषकर कटे हुऐ फल नहीं खाना चाहिये और रात को सोने से पहले ब्रश से दांत साफ करने चाहिये। इन सब बातों का परिणाम यह होगा कि बच्चे की इम्यूनिटी  कम नहीं होगी बल्कि खानपान के जरिये स्वाभाविक रूप से बढ़ेगी। 

6. शारीरिक गतिविधियां (Physical Activities)- बच्चे की इम्यूनिटी  को बनाये रखने और उसके स्वाभाविक विकास के लिये शारीरिक गतिविधि का होना बहुत जरूरी है अन्यथा बच्चे में चुस्ती, फुर्ती नहीं होगी। उसका खेलना, कूदना, भाग-दौड़,  हल्की-फुल्की एक्सरसाइज ये सब उसकी इम्यूनिटी  को बढ़ाने में मदद करते हैं। छोटे बच्चे अपनी साईकल चलाने से बहुत खुश होते हैं, इससे उनकी एक्सरसाइज भी हो जाती है। यदि आपके शहर में लॉकडाउन/कर्फ्यू नहीं है तो बच्चों को बाहर खेलने दीजिये। अन्यथा घर में ही उनको किसी ना किसी काम में बिजी रखिये ताकि उनकी शारीरिक गतिविधि होती रहे। इस तरह उनकी इम्यूनिटी  स्वाभाविक रूप से बढ़ेगी। 

खानपान संबंधी उपाय – Food Remedy

दोस्तो, मूलभूत उपायों के बाद अब आपको बताते हैं खानपान संबंधी उपाय जिनसे बच्चों की इम्यूनिटी  प्राकृतिक रूप से बढ़ेगी। ये निम्न प्रकार हैं :-

1. ओट्स/दलिया (Oats / Oatmeal)- बच्चे को सुबह के नाश्ते में ओट्स या दलिया खाने की आदत डलवायें। यह नाश्ते का सबसे बेहतर, हल्का मगर अधिक समय तक भूख ना लगने देने वाला भोजन है।  इनमें पाये जाने वाला बीटाग्लूकेन नाम का फाइबर पेट के अंदर की लाइनिंग को मजबूत करता है जिससे इम्यूनिटी  बढ़ती है।

2. प्रोबायोटिक्स तथा डेयरी उत्पाद (Probiotics and Dairy Products)- छाछ प्रोबायोटिक्स का सबसे उत्तम स्रोत है। प्रोबायोटिक्स बैक्टीरिया  स्वास्थ्य के लिये लाभकारी होते हैं।  छाछ लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया से भी परिपूर्ण होती है जो खाद्य पदार्थों में पाये जाने वाले हानिकारक विषाणुओं से लड़ता है और रोगों से बचाकर इम्यूनिटी  को मजबूत करता है। यदि बच्चा तीन वर्ष से ऊपर है तो उसे दोपहर के भोजन के साथ एक कप/गिलास छाछ पीने को दें। छाछ के स्थान पर दही भी दे सकते हैं। ये दोनों ही इम्यूनिटी  को बढ़ाते हैं। दही खाने से कान-गले का संक्रमण, सूजन, सर्दी, जुकाम आदि की संभावना 19% तक कम हो जाती है। रात के समय छाछ और दही का सेवन नहीं करना चाहिये। दही में फल काटकर या ड्राई-फ्रूट्स भी मिलाकर बच्चे को खिला सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप बच्चे को डेयरी उत्पाद जैसे दूध, पनीर, मिल्क शेक, स्मूदी, योगार्ट भी दे सकते हैं। इन सबसे भी इम्यूनिटी  बढ़ती है।

3. हल्दी दूध (Turmeric Milk)- रात को सोने से पहले यदि बच्चे को हल्दी वाला दूध पीने को दिया जाये तो इम्यूनिटी  बढ़ाने में बहुत कारगर सिद्ध होगा। यद्यपि इसे देखकर बच्चे मुंह बनायेंगे परन्तु यदि उनको बताया जाये कि इसे “गोल्डन मिल्क” कहते हैं, यह अदभुत शक्तिशाली टॉनिक होता है और  इसके गुण बताये जायें तो बच्चा यह दूध पी लेगा। इस दूध में कोई और मसाला जैसे काली मिर्च, लौंग, इलायची और अदरक कुछ भी ना मिलाया जाये।  हल्दी एंटी बैक्टीरिया, एंटी फंगल, आयरन, जिंक, प्रोटीन, विटामिन-सी, विटामिन-के, कैल्शियम, कॉपर जैसे तत्वों से सम्पन्न होती है और दूध कैल्शियम से भरपूर। 

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4. ड्राई फ्रूट्स (Dry Fruits)- ड्राई फ्रूट्स शारीरिक शक्ति को बढ़ाने के अतिरिक्त इम्यूनिटी  सिस्टम को सुधारने में और इम्यूनिटी  को बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। बच्चों में इम्यूनिटी  बढ़ाने के लिये नियमित रूप से ड्राई फ्रूट्स खाने को दीजिये मगर ज्यादा नहीं, सीमित मात्रा में। ड्राई फ्रूट्स में बच्चे को काजू, पिस्ता, किशमिश, अखरोट, बादाम, चिलगोजे दे सकते हैं।  ड्राई फ्रूट्स में विटामिन्स और खनिज (नियासिन, विटामिन-ई, राइबोफ्लेविन आदि) भरपूर मात्रा में होते हैं। बादाम सबसे अधिक लाभकारी  होते हैं जो एंटीबॉडीज का निर्माण करने वाली टाइप-बी की कोशिकाओं को बढ़ाते हैं। ये कोशिकाएं शरीर को हानि पहुंचाने वाले बैक्टीरिया को खत्म करती हैं। 

5. प्रोटीन युक्त आहार(Protein Rich Diet)- दोस्तो, इम्यूनिटी  सबसे अधिक भोजन पर निर्भर करती है। मजबूत इम्यूनिटी  के लिये यह बहुत आवश्यक है कि भोजन, फल, सब्जियां पोषक तत्वों और विटामिन-सी, ए, ई आदि से भरपूर हो। इसलिये बच्चों की इम्यूनिटी  बढ़ाने के लिये भोजन में निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को शामिल करें – 

(i)  अनाज – गेहूं, जौ, चना, चावल, मल्टी ग्रेन ब्रेड।

(ii) मांसाहार – लाल मांस, चिकन, अंडा, टूना मछली, झींगा, सीफ़ूड।

6. सब्जियां (The vegetables)- सब्जियां हमारे शरीर के स्वास्थ की नींव होती हैं आंखों के स्वास्थ के लिये सबसे स्वस्थ आहार। यही बात बच्चों को समझायें कि हर सब्जी का अपना विशेष गुण होता है जो स्वास्थ की रक्षा और इम्यूनिटी  में अपना सहयोग देती है। बच्चों को कुछ ऐसी सब्जियां बनाकर खिलाईये जो एंटीऑक्सीडेंट्स, बीटा कैरोटिन, विटामिन-ए, बी, सी, पोटेशियम और सोडियम युक्त हों। इनके खाने से निश्चित रूप से बच्चे की इम्यूनिटी  बढ़ेगी। ऐसी सब्जियों में गाजर, सेम की फली, बीन्स, मटर, टमाटर, कद्दू, काले चने, पालक, मशरूम, शिमला मिर्च, ब्रोकली, आलू देना लाभदायक होगा। एक बात का विशेष ध्यान रखें कि बच्चे को दिन में कम से कम दो सब्जियां बनाकर खिलायें परन्तु अगले दिन यही सब्जी दोहराई नहीं जानी चाहिये। इसके अतिरिक्त आप दालों को भी शामिल करें।

7. फल (The fruit)- सब्जियों के साथ-साथ इम्यूनिटी  बढ़ाने में फलों  की बहुत बड़ी भूमिका होती है। विटामिन-सी जिसे एस्कॉर्बिक एसिड के नाम से जाना जाता है, शरीर के ऊतकों (Tissues) के विकास और मरम्मत के लिए अति आवश्यक होता है। यह अपने आप में एंटीऑक्सीडेन्ट है जो शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है। ये विटामिन-सी वाले फलों के सेवन से बच्चों की इम्यूनिटी  निश्चित रूप से बढ़ेगी। ऐसे फलों में  बच्चों को दे सकते हैं – नींबू रस (नींबू रस 88% विटामिन-सी, नींबू रस पानी में मिलाकर), कमरख (विटामिन-सी 57%), पपीता (दैनिक आवश्यकता का 200% से अधिक), संतरा (69.7%), कीवी (विटामिन-सी, टोटल एस्कॉर्बिक एसिड 92.7 मि.ग्रा।)। इनके अतिरिक्त, जामुन, आड़ू , अमरूद, चेरी, मौसमी, अंगूर, अनानास, स्ट्रॉबेरी, खरबूज, शकरकंदी आदि दे सकते हैं। 

Conclusion

दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के उपाय के विषय में विस्तृत जानकारी दी। बच्चों की इम्यूनिटी  क्या होती है, बच्चों में इम्यूनिटी  कम हो जाये तो इसके क्या लक्षण होते हैं, इसके कमजोर होने के क्या कारण होते हैं, इस बारे में विस्तारपूर्वक बताया। इस लेख के माध्यम से बच्चों की इम्यूनिटी  बढ़ाने के देसी उपाय भी बताये ताकि उनकी इम्यूनिटी  मजबूत बने। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और  सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर करें। ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, हमारा आज का यह लेख आपको कैसा लगा, इस बारे में कृपया अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health- Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह लेख केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर उत्तरदायी नहीं है।  कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के उपाय के विषय में विस्तृत जानकारी दी। बच्चों की इम्यूनिटी क्या होती है, बच्चों में इम्यूनिटी कम हो जाये तो इसके क्या लक्षण होते हैं, इसके कमजोर होने के क्या कारण होते हैं, इस बारे में विस्तारपूर्वक बताया।
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