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निपाह वायरस क्या है? – What is Nipah Virus in Hindi

निपाह वायरस क्या है?

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग में। दोस्तो, जब-जब भी कोई वायरस आया है उसने इस दुनियां में तबाही ही मचाई है। इसका सबसे सशक्त उदाहरण कोविड-19 है जिसमें लोगों ने मौत का मंजर देखा है। वैसे तो इस दुनियां में छः लाख से भी अधिक वायरस हैं जो जानवरों के माध्यम से मानव जाति को संक्रमित करते हैं। इनमें से कुछ मुख्य वायरस हैं मारबर्ग, इबोला, रैबीज, एचआईवी, स्मॉलपॉक्स, हंतावायरस (Hantavirus), रोटावायरस, सार्स (SARS), मर्स (MERS) आदि। 

अभी वर्तमान में, कोविड-19 के बाद एक और वायरस ने दस्तक देकर दुनियां की नींद उड़ा दी है और इस वायरस का नाम है निपाह वायरस (Nipah Virus) जिसकी उपस्थिति भारत सहित दक्षिण एशियाई देशों में देखी गई है। निपाह वायरस एक ऐसा खतरनाक वायरस है जो बहुत तेजी से फैलता है। चमगादड़ को इस वायरस का जन्मदाता माना जाता है। यह जानवर से जानवर से जानवर में, जानवर से मानव में और मानव से जानवर में फैलता है। इस वायरस की उच्च मृत्यु दर है। इस वायरस के उपचार के लिए कोई वैक्सीन नहीं बनी है और ना ही कोई दवाई, केवल बचाव ही इसके प्रकोप से बचने का एकमात्र विकल्प है। आखिर, ऐसा क्या है ये वायरस दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “निपाह वायरस क्या है?”। 

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको निपाह वायरस के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इससे बचने के उपाय क्या हैं? तो, सबसे पहले जानते हैं कि निपाह वायरस क्या है और वर्तमान में इसके केस कहां मिले हैं। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

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निपाह वायरस क्या है? – What is Nipah Virus?

दोस्तो, निपाह वायरस (NiV) एक जूनोटिक वायरस (zoonotic virus) है जो चमगादड़ जनित है। यह अति गंभीर और जानलेवा रोग है जिसकी मृत्यु दर बहुत अधिक होती है। यह हेंड्रा वायरस के साथ-साथ हेनिपावायरस जीनस से भी संबंधित है, जो बीमारी फैलने की वजह बनता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार निपाह वायरस यह एक तेजी से उभरता वायरस है, जो पशुओं और मानव जाति में गंभीर रोग को जन्म देता है। 

यह वायरस पशुओं से मनुष्यों और मनुष्यों से पशुओं में फैलता है। इसके अतिरिक्त यह वायरस मनुष्यों से मनुष्यों में भी फैलता है। एक कटु सत्य यह है कि निपाह वायरस का वर्तमान में कोई इलाज नहीं है और ना ही इसके निवारण हेतू कोई वैक्सीन बनी है। केवल “बचाव ही उपाय” है। 

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वर्तमान में निपाह वायरस के केस कहां मिले? – Where are Nipah Virus Cases Found at Present?

1. मीडिया की खबरों के अनुसार,15 सितंबर 2023 तक, भारत के केरल राज्य के कोझिकोड जिले (Kozhikode distric) में निपाह वायरस के कुल छह मामले नोटिस में आए और इनमें से चार लोगों की गंभीर बीमारी की वजह मृत्यु हो गई। अब तक कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग प्रक्रिया के अंतर्गत कुल 706 व्यक्तियों के संक्रमित होने की संभावना जताई जा रही है। 

706 व्यक्तियों में से 77 लोगों को हाई रिस्क कैटेगरी में रखा गया है और 153 स्वास्थ्य कर्मियों को लो रिस्क कैटेगरी में रखा गया है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री आदर्णीय वीणा जॉर्ज के अनुसार इन हाई रिस्क कैटेगरी के लोगों को अपने घरों में रहने की सलाह दी गई है और यह भी कहा गया है कि यदि इनमें से किसी को भी निपाह वायरस के लक्षण नज़र आते हैं तो वे कॉल सेंटर पर संपर्क कर सकते हैं। 

2. भारत के अलावा बांग्लादेश, थाईलैंड, कंबोडिया, फिलीपींस, लाओस और मलेशिया में  भी निपाह वायरस के फैलने की खबर है। इसकी वजह साफ़ है कि दक्षिण एशिया के देशों में चमगादड़ बहुत अधिक पाए जाते हैं।

सरकारी कार्रवाई और प्रबंध – Government Action and Arrangements

1. किसी भी आपदा/महामारी से निपटने के लिए भारत सरकार तुरन्त कार्रवाई करती है। इसका सशक्त उदाहरण हमने कोविड-19 के समय देखा है। केरल में निपाह वायरस के फैलने पर केंद्र सरकार की एक टीम कोझिकोड रवाना हुई और इस टीम ने निपाह वायरस संक्रमित क्षेत्र का दौरा किया।

2. केरल राज्य सरकार ने भी इस मामले में तेजी दिखाते हुए संक्रमित व्यक्तियों को क्वारंटीन के लिए उचित प्रबंध किए हैं। केरल की स्वास्थ्य मंत्री आदर्णीय वीणा जॉर्ज के अनुसार मेडिकल कॉलेज में 75 कमरों को आइसोलेशन सेंटर का रूप दिया गया है। 

3. यदि आइसोलेशन में रखे गए लोगों में से किसी को भी निपाह वायरस के लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे मेडिकल कॉलेज भेजा जाएगा। टेलीमेडिसिन की व्यवस्था भी की गई है। 

4. मोबाइल वायरॉलजी लैब का भी प्रबंध किया गया है।

5. निपाह वायरस के संक्रमण पर नज़र रखने के लिए 19 समितियां बनाई गई हैं।

6. निपाह वायरस के फैलाव को रोकने के लिए सात ग्राम पंचायतों को कंटेनमेंट ज़ोन घोषित कर दिया गया है।

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कब क्या हुआ? – What Happened When?

दोस्तो, निपाह वायरस का प्रकोप कब-कब हुआ और तब क्या हुआ था, इसकी सिलसिलेवार जानकारी निम्न प्रकार है। 

1. 1998 – पहली बार सन् 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई स्थान से निपाह वायरस का पता चला जब एक व्यक्ति से वायरस को निकाला गया और उसकी पहचान की गई। तभी से इसको “निपाह वायरस” का नाम मिला। उस समय इस वायरस का कारण सूअर थे।

2. 1998-99 – सन् 1998-99 में निपाह वायरस से 265 लोग संक्रमित हुए थे, इनमें से लगभग 40% की जान चली गई थी जिनको गंभीर नर्वस बीमारी हुई थी।

3. 2004 – सन् 2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग इस वायरस से संक्रमित हुए थे, इन लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल पदार्थ को पिया था। उस समय निपाह वायरस की वजह चमगादड़ थे। 

4. 2018 – सन् 2018 में यह वायरस केरल में फैला था जिसमें एक 12 वर्ष के लड़के सहित 17 व्यक्तियों की मृत्यु हुई थी।  

निपाह वायरस कैसे फैलता है? – How Does the Nipah Virus Spread?

हम यहां स्पष्ट कर दें कि निपाह वायरस हवा के जरिए नहीं फैलता। निपाह वायरस निम्न प्रकार से फैलता है –

1. अक्सर चमगादड़ रात को पेड़ों के फलों में मुंह मारते रहते हैं विशेषकर ताड़ के पेड़ों को। इससे पेड़ का फल संक्रमित हो जाता है। वही फल जब बाजार में पहुंचते हैं तो लोग इनका सेवन करके संक्रमित हो जाते हैं। 

2. चमगादड़ या सूअर के रक्त, मूत्र या लार के सीधे संपर्क में आने से संक्रमण फैल जाता है। 

3. चमगादड़ों के जरिए सूअर, घोड़े, बकरी, भेड़, कुत्ते, बिल्ली आदि पशुओं में फैल जाता है। फिर इनके संपर्क में आने, या इनके द्वारा खाई गई वस्तुओं द्वारा यह वायरस फैलता है।

4. संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से।

5. संक्रमित व्यक्ति के इलाज के दौरान उसकी देखभाल करने वाले व्यक्ति को संक्रमण होने का खतरा रहता है। 

6. मलेशिया और सिंगापुर में सूअरों के माध्यम से संक्रमण फैलने की खबरें आती रही हैं तो भारत और बांग्लादेश में मानव का मानव से संपर्क के जरिए संक्रमण फैलने की संभावना अधिक रहती है।

निपाह वायरस कितना खतरनाक है? – How Dangerous is Nipah Virus?

1. निपाह वायरस जानलेवा वायरस है। यह कितना खतरनाक है इसका अनुमान इस बात से आसानी से लगाया जा सकता है कि मलेशिया में 300 से अधिक निपाह वायरस से पीड़ित लोगों में से अब तक 100 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। 

2. इससे पहले भी निपाह वायरस से पीड़ित लोगों की मौत की खबर आती रही है। 

3. फिलहाल भारत के केरल राज्य के जिले में चार लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। 

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निपाह वायरस के कारण – Cause of Nipah Virus

1. निपाह वायरस का प्रमुख कारण चमगादड़ों द्वारा जनित जूनोटिक वायरस निपाह वायरस का प्रमुख कारण है। 

2. इसके अतिरिक्त सूअर तथा अन्य पशु भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। 

निपाह वायरस के लक्षण – Symptoms of Nipah virus

किसी व्यक्ति के संक्रमित होने पर निपाह वायरस के लक्षण प्रकट होने में 4 -14 दिन लग जाते हैं। किसी किसी में इसके लक्षण दिखाई देने में लंबा समय भी लग सकता है, लगभग 45 दिन। निपाह वायरस के निम्नलिखित लक्षण प्रकट हो सकते हैं – 

1. शुरुआत में आमतौर पर फ्लू जैसे लक्षण जैसे कि 

  • बुखार आना
  • सिर में दर्द
  • मांसपेशियों में दर्द
  • मितली, उल्टी
  • गले में खराश

2.  बाद में – After

  • चक्कर आना।
  • मस्तिष्क में सूजन या घातक एन्सेफलाइटिस
  • उनींदापन
  • मानसिक भ्रम 
  • भटकाव
  • असामान्य  निमोनिया
  • व्यक्ति का 24 से 48 घंटों के अंदर कोमा में चले जाना। 
  • श्वासनली या फेफड़ों में संक्रमण

निपाह वायरस का निदान –  Nipah Virus Diagnosis

निपाह वायरस के निदान के लिये निम्नलिखित टेस्ट किए जा सकते हैं –

(A). आरम्भ में – Beginning

  • सेरिब्रोस्पाइनल फ्लूइड टेस्ट
  • यूरिन टेस्ट 
  • ब्लड टेस्ट
  • नाक व गले से तरल पदार्थ के सैंपल लेकर लैब भेजे जा सकते हैं। 
  • रियल टाइम पोलीमर्स चेन रिएक्शन टेस्ट (Real Time Polymerase Chain Reaction – RT-PCR Test)।
  • वायरस आईसोलेशन” (Virus Isolation Test)

(B) बाद में – After

एलिसा टेस्ट (ELISA Test) – यह टेस्ट शरीर में “एंटीबॉडी” की जांच के लिए किया जाता है, जो कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे द्वारा किया जाता है। 

निपाह वायरस का उपचार –  Nipah Virus Treatment

दोस्तो, बहुत अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि निपाह वायरस का उपचार कहीं भी नहीं है। कोविड-19 के बचाव/उपचार के लिये तो फिर भी कुछ समय बाद विश्व के वैज्ञानिकों ने वैक्सीन बना ली है। परन्तु 1999 से अब तक वैज्ञानिकों को अथक प्रयासों के बावजूद इस दिशा में सफलता नहीं मिल पाई है। अभी तक निपाह वायरस का उपचार के लिए बाजार में कोई वैक्सीन या दवा उपलब्ध नहीं है। केवल बचाव ही इसका उपचार है।

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निपाह वायरस से बचाव – Protection from Nipah Virus

दोस्तो, अब बताते हैं आपको निपाह वायरस से बचाव के उपाय जो निम्नलिखित हैं –

  1. ऐसे स्थान पर ना जाएं जहां चमगादड़ और सूअर रहते हों। 
  2. संक्रमित चमगादड़ों और सूअरों के नजदीक ना जाएं। इनसे दूर रहें।
  3. संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में ना आएं। इनको छूने की गलती तो बिल्कुल भी ना करें। इनसे दूरी बना कर रखें। 
  4. संक्रमित व्यक्ति का कोई भी सामान इस्तेमाल ना करें और ना ही उसके साथ अपना कोई सामान शेयर करें। 
  5. किसी भी जानवर के रक्त और शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में ना आएं। इनसे बचना चाहिए।
  6. ऐसे फल, सब्जियां और अन्य खाद्य/पेय पदार्थों का सेवन ना करें जिनको चमगादड़ों और सूअरों ने स्पर्श किया हो। यद्यपि इसका पता चलना बेहद मुश्किल है परन्तु कटे, फटे, दांत मारे हुए फलों और सब्जियों को तो एकदम अवॉइड किया जा सकता है। वैसे भी फलों और सब्जियों को खूब अच्छी तरह से धोकर इस्तेमाल करें।
  7. बार-बार अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं या सैनिटाइजर का उपयोग करते रहें जैसे कि कोविड-19 के समय में किया था।
  8. जिन राज्यों में/स्थानों पर निपाह वायरस फैल रहा है, वहां की यात्रा स्थगित कर दें अथवा उन स्थानों पर जाना अवॉइड करें। 
  9. सरकारी गाइडलाइंस का पालन करें।

Conclusion –

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको निपाह वायरस के बारे में विस्तार से जानकारी दी। निपाह वायरस क्या है?, वर्तमान में निपाह वायरस के केस कहां मिले, सरकारी कार्रवाई और प्रबंध, कब क्या हुआ, निपाह वायरस कैसे फैलता है, निपाह वायरस कितना खतरनाक है, निपाह वायरस के कारण, निपाह वायरस के लक्षण, निपाह वायरस का निदान और निपाह वायरस का उपचार, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से निपाह वायरस से बचाव के बहुत सारे उपाय बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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