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फास्फोरस क्या है? – What is Phosphorus in Hindi

फास्फोरस क्या है?

स्वागत है हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, भोजन के पोषक तत्वों में हर किसी तत्व की अपनी अहमियत होती है। हर किसी का अपनी-अपनी भूमिका होती है चाहे वे विटामिन हों या खनिज। अपने गुण के अनुसार हर कोई शरीर को फायदा पहुंचाता है। ऐसा ही एक खनिज है फास्फोरस जो जीव जन्तुओं और पौधों के लिए महत्वपूर्ण और आवश्यक तत्व है। मानव, पशु और पक्षियों में अस्थि निर्माण और विकास के लिए जिम्मेदार होता है। मानव में केवल अस्थि निर्माण और विकास  ही नहीं बल्कि मस्तिष्क, किडनी, रक्त तथा हृदय की सुचारु रूप से कार्य प्रणाली के संचालन में फास्फोरस की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

पौधों में यह प्रकाश संश्लेषण, श्वसन क्रिया, ऊर्जा संरक्षण के लिए जिम्मेदार होता है। वैज्ञानिक परिपेक्ष में यदि बात की जाए तो यह नाइट्रोजन परिवार से संबंध रखने वाला रसायनिक तत्व है जिसका संकेत अंग्रेजी का P अक्षर है। अभिक्रियाशील (reactive) तत्व होने के नाते यह मुक्त अवस्था में नहीं मिलता। भोजन में फास्फोरस की कमी या अधिकता होने पर अनेक रोग होने का खतरा बन जाता है। आखिर यह फास्फोरस है क्या? दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “फास्फोरस क्या है?”। 

देसी हैल्थ क्लब आज आपको फास्फोरस के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसकी अधिकता और कमी से क्या रोग हो सकते हैं और फास्फोरस के क्या फायदे होते हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि फास्फोरस क्या है। फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

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फास्फोरस क्या है? – What is Phosphorus?

फास्फोरस (Phosphorus), आवर्त सारणी (periodic table) का समूह 15 (वीए VA) का, नाइट्रोजन परिवार का अधात्विक (nonmetallic) रासायनिक तत्व है जिसका संकेत अंग्रेजी वर्णमाला का P अक्षर है। इसकी परमाणु संख्या 15 है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (electronic configuration) 1s² 2s² 2p⁶ 3s² 3p³ है और इसमें आखिरी इलेक्ट्रॉन p उपकक्ष में प्रवेश करता है इसीलिए फास्फोरस को p ब्लॉक का तत्व कहा जाता है। 

फास्फोरस शब्द ग्रीक भाषा के फॉस यानि प्रकाश और फोरस यानि धारक के मेल से बना है जिसका अर्थ है प्रकाश को धारण करने वाला। इसकी खोज, सन् 1669 में हैम्बुर्ग के व्यापारी हेनिंग ब्रांड ने की थी। चूंकि फास्फोरस एक अभिक्रियाशील (reactive) तत्व है इसलिये यह मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता। ये फॉस्फेट चट्टानों में पाए जाते हैं और कुछ खनिजों में धातुओं के फॉस्फेट पाए जाते हैं। 

फास्फोरस जीव जन्तुओं और पौधों के लिए आवश्यक आवश्यकता है। पौधों में प्रकाश संश्लेषण, श्वसन क्रिया, ऊर्जा संरक्षण व कोशिका विभाजन व अन्य कई क्रियाओं में फास्फोरस की महत्वपूर्ण और सक्रिय भूमिका होती है। फास्फोरस की कमी के कारण भूमि रेतीली और अम्लीय हो जाती है जिसमें कुछ भी नहीं उपजता। भारत में किसान इसे खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं।

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फास्फोरस के अपरूप, अम्ल और यौगिक – Allotropes, Acids and Compounds of Phosphorus

(A) अपरूप – फास्फोरस के मुख्यतः निम्नलिखित तीन अपरूप (allotropic forms) होते हैं – 

(i) लाल फास्फोरस (Red Phosphorus)- यह सफेद फास्फोरस की अपेक्षा कम क्रियाशील होता है। अंधेरे में प्रकाश नहीं देता। पानी और कार्बन डाईसल्फाइड में अघुलनशील होता है।  इसका उपयोग दियासलाई और आतिशबाजी का सामान बनाने में किया जाता है।

(ii) सफेद फास्फोरस (White Phosphorus)- यह पानी में अघुलनशील परन्तु कार्बन डाईसल्फाइड में घुलनशील होता है। अंधेरे में प्रकाश देता है। यह कम पारदर्शी मोम के समान मुलायम और ठोस होता है। इसका उपयोग फास्फोरस कांस्य, फास्फोरस टिन, फास्फोरस ताँबा, जैसी मिश्र धातुओं के उत्पादन और हानिकारक कीटाणुओं को रोकने के लिए विषैले पदार्थ बनाने के लिए किया जाता है। 

(iii) काला फास्फोरस (Black Phosphorus)- काले फास्फोरस का निर्माण, लाल फास्फोरस को 803 केल्विन ताप पर बंद नलिका में गर्म करने पर होता है। इसी क्रियाशीलता बहुत ही कम होती है। यह भी दो प्रकार का होता है – अल्फा काला फास्फोरस और बीटा काला फास्फोरस। 

(B) फास्फोरस के अम्ल (Phosphoric Acid)- फास्फोरस के अम्लों में से पांच अम्ल, मेटाफास्फोरस, फास्फोरस, मेटाफास्फोरिक, पाइरोफास्फोरिक और आर्थोफास्फोरिक; पानी के संयोजन से बनते हैं तथा तीन अन्य अम्ल, हाइपोफास्फोरस, पाइरोफास्फोरस तथा हाइपोफास्फोरस; पानी की प्रतिक्रिया स्वरूप प्राप्त नहीं होते।

(C) फास्फोरस के यौगिक (Phosphorus Compounds)- ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, क्लोरीन, गंधक तथा अन्य धातुओं के साथ मिलकर फास्फोरस, क्रमानुसार ऑक्साइड, हाइड्राक्साइड, क्लोराइड, सल्फाइड तथा फास्फाइड यौगिक बनाता है।

भोजन में फास्फोरस क्या है? – What is Phosphorus in Food?:

दोस्तो, फास्फोरस एक पोषक तत्व है जो खनिज की श्रेणी में आता है। यह शरीर में कैल्शियम के बाद सबसे अधिक पाए जाने वाला महत्वपूर्ण तत्व है। फास्फोरस का सबसे अधिक भाग यानि लगभग 85 प्रतिशत हड्डियों और दांतों में उपस्थित रहता है। मूलतः यह फास्फेट के रूप में मानव तथा पशु, पक्षियों में हड्डियों के निर्माण के लिए जिम्मेदार होता है। 

यहां हम स्पष्ट कर दें कि खाद्य पदार्थों से प्राप्त फास्फोरस जब शरीर में आंतों में जाकर ऑक्सीजन से मिलता है, तो यह फॉस्फेट बन जाता है। इसीलिए इसके टेस्ट को फॉस्फेट टेस्ट कहा जाता है। फास्फोरस ना केवल हड्डियों के निर्माण और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है बल्कि मस्तिष्क, किडनी, रक्त, हृदय की सुचारु रूप से कार्य प्रणाली के संचालन में तथा शरीर की अनेक प्रतिक्रियाओं में भी इसकी आवश्यकता होती है। 

चूंकि बच्चों का विकास सबसे अधिक बहुत तेजी से होता है इसलिये उनके स्वास्थ के लिए फास्फोरस अति आवश्यक होता है। शरीर में फास्फोरस उचित मात्रा में होना बहुत जरूरी है। शरीर में फास्फोरस की कितनी मात्रा होनी चाहिए, इस बारे में हम आगे बताएंगे। इसके स्तर में कमी या अधिकता के फलस्वरूप कई रोग होने की संभावना रहती है, जिसका जिक्र हम आगे करेंगे। 

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फास्फोरस की मात्रा – Phosphorus Content 

आयु के अनुसार शरीर को प्रतिदिन फास्फोरस की कितनी मात्रा की जरूरत होती है। इसका विवरण निम्न प्रकार है – 

(i) शिशु, छः महीने तक : 100 मिलीग्राम प्रतिदिन

(ii) बच्चा/किशोर 

7 महीने से 12 महीने तक : 275 मिलीग्राम प्रतिदिन

1 वर्ष से 3 वर्ष तक : 460 मिलीग्राम प्रतिदिन

4 वर्ष से 8 वर्ष तक : 500 मिलीग्राम प्रतिदिन

9 वर्ष से 18 वर्ष तक : 1250 मिलीग्राम प्रतिदिन

(iii) व्यक्ति

19 वर्ष से अधिक : 700 मिलीग्राम प्रतिदिन

(iv) गर्भवती महिलाएं  

18 वर्ष से कम आयु : 1250 मिलीग्राम प्रतिदिन

18 वर्ष से अधिक : 700 मिलीग्राम प्रतिदिन

फास्फोरस के कार्य – Functions of Phosphorus

फास्फोरस के कार्य निम्नलिखित हैं – 

  1. हड्डियों और दांतों का निर्माण करना।
  2. अस्थि खनिज घनत्व (Bone Mineral Density – BMD) के स्तर को बनाए रखना ताकि हड्डियों को मजबूती मिले।
  3. यह ऊर्जा का निर्माण करने और ऊर्जा को मांसपेशियों तक पहुंचाने का काम करता है। 
  4. यह ऊर्जा का भंडारण करता है।
  5. यह प्रोटीन का भी निर्माण करता है ताकि ऊतकों और कोशिकाओं की हुई क्षति की मरम्मत हो सके। 
  6. यह डीएनए और आरएनए के निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका निभाता है।
  7. मांसपेशियों के संकुचन का काम करना।
  8. एक्सरसाइज के बाद अक्सर मांसपेशियों में दर्द होना स्वाभाविक है। फास्फोरस इस दर्द को कम कम करता है और मांसपेशियों को आराम पहुंचाता है।
  9. हृदय गति को सामान्य बनाए रखना।
  10. तंत्रिका प्रणाली को सुविधाजनक बनाना।
  11. विटामिनों तथा अन्य खनिजों जैसे आयोडीन, मैग्नीशियम, जिंक आदि में संतुलन बनाए रखना।
  12. अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना।

फास्फोरस की कमी से होने वाले रोग – Phosphorus Deficiency Diseases

दोस्तो, रक्त में फास्फोरस की कमी से निम्नलिखित रोग हो सकते हैं –

  1. धमनियों का सख्त हो जाना जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस (atherosclerosis) कहा जाता है। 
  2. विटामिनों तथा खनिजों में असंतुलन।
  3. बच्चों में अस्थि रोग।
  4. बड़ों में अस्थिमृदुता जिसे ऑस्टेओमालासिया  (osteomalacia) कहा जाता है। 
  5. अस्थि खनिज घनत्व में कमी जिससे हड्डियों का कमजोर होना निश्चित है।
  6. हड्डियां कमजोर होने पर ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) नामक अस्थि रोग हो सकता है।
  7. डिमेंशिया (Dementia) और अल्जाइमर (Alzheimer) की उच्च संभावना।

फास्फोरस की कमी के कारण – Cause of Phosphorus Deficiency

रक्त में फास्फोरस का स्तर कम होने को मेडिकल भाषा में हाइपोफोस्फेटेमिया (Hypophosphatemia) कहा जाता है। यह दो स्थितियों में होता है – पहली स्थिति में फास्फोरस का स्तर एकदम से कम हो जाता है और दूसरी स्थिति में फास्फोरस का स्तर धीरे-धीरे लंबे समय तक कम होता जाता है। विवरण निम्न प्रकार है –

(A) पहली स्थिति में फास्फोरस का स्तर एकदम से कम होने के निम्नलिखित कारण हो सकते    हैं – 

(i) डायबिटिक कीटोएसिडोसिस रोग (Diabetic Ketoacidosis Disease)- डायबिटीज के मरीजों में होने वाला यह एक ऐसा रोग है जिसमें इंसुलिन द्वारा पर्याप्त मात्रा में उत्पादन ना कर पाने से कोशिकाएं ग्लूकोज़ को अवशोषित नहीं कर पाती हैं तो वे वसा से ऊर्जा ग्रहण करती हैं, जिससे रक्त में कीटोन्स बढ़ने लगते हैं और फलस्वरूप रक्त अम्लीय होने लगता है। यह स्थिति जानलेवा बन सकती है। डायबिटिक कीटोएसिडोसिस पर विस्तार से जानकारी के लिए हमारा पिछला आर्टिकल “डायबिटिक कीटोएसिडोसिस क्या है?” पढ़ें। 

  • विटामिन और खनिजों से भरपूर पोषक भोजन ना करना।
  • अधिक मात्रा में शराब का सेवन करना। 

(B) दूसरी स्थिति जहां धीरे-धीरे लंबे समय तक फास्फोरस कम होता रहता है। इसके निम्नलिखित कारण होते हैं – 

  • हाइपरथायराइडिज्म।
  • क्रोनिक डायरिया।
  • मूत्रवर्धक दवाओं का लंबे समय तक सेवन करना।
  • एल्यूमीनियम युक्त एंटासिड्स दवा का लंबे समय तक सेवन करना।
  • अस्थमा के उपचार में उपयोग में लाई जाने वाली दवा थियोफाइललाइन का बड़ी मात्रा में सेवन करना।

फास्फोरस की कमी के लक्षण – Symptoms of Phosphorus Deficiency 

फास्फोरस की कमी पर व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण प्रकट हो सकते हैं –

  1. यदि किसी व्यक्ति में फास्फोरस की बहुत ज्यादा कमी हो जाए तो अत्याधिक दुर्भलता के कारण वह बेहोश हो सकता है। गंभीर स्थिति होने पर व्यक्ति की जान भी जा सकती है।
  2. मांसपेशियों का कमजोर हो जाना।
  3. हड्डी में जोड़ों में दर्द। हड्डियां कमजोर होने पर उनके आसानी से टूटने की संभावना बढ़ जाती है।
  4. भूख में कमी होना।
  5. वजन घटना।
  6. सांस लेने में दिक्कत होना।
  7. थकावट रहना।
  8. इलेक्ट्रोलाइट्स का असंतुलित हो जाना।
  9. व्यवहार में परिवर्तन – चिड़चिड़ापन, चिंताग्रस्त रहना।
  10. भ्रमित रहना। 

फोस्फोरस की अधिकता – Excess Phosphorus

रक्त में फास्फोरस की अधिकता को हाइपरफोस्फेटेमिया (Hyperphosphatemia) कहा जाता है। यह स्थिति अधिकतर उन लोगों को होती है जो गुर्दे की पुरानी बीमारी से पीड़ित हैं या वे लोग जिनका शरीर कैल्शियम को कंट्रोल नहीं कर पाता। ऐसा दुर्लभ मामलों में ही होता है।  फास्फोरस की अधिकता के निम्नलिखित प्रभाव पड़ सकते हैं। 

  1. किडनी का पूरी तरह खराब होना।
  2. आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, ज़िंक जैसे कई खनिजों में असंतुलन। 
  3. दूध-क्षार सिंड्रोम (milk-alkali syndrome)
  4. तीव्र फॉस्फोरस विषाक्तता की स्थिति। 
  5. मैग्नीशियम की कमी
  6. मल्टिपल मायलोमा 

फास्फोरस की अधिकता के लक्षण – Symptoms of Phosphorus Excess

हाइपरफोस्फेटेमिया की स्थिति होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं –

  1. हड्डियों का कमजोर हो जाना
  2. जोड़ों का सख्त हो जाना। जोड़ों में और हड्डियों में दर्द होना।
  3. मांसपेशियों में ऐंठन 
  4. अंगों में झुनझुनी या सुन्नत
  5. कमजोरी और थकावट
  6. भूख कम लगना
  7. सांस लेने में परेशानी
  8. अनिद्रा 
  9. चिड़चिड़ापन
  10. चिंता

फास्फोरस के फायदे –  Benefits of Phosphorus

अब तक यह तो स्पष्ट हो ही चुका है कि फास्फोरस हमारे शरीर के लिए क्यों जरूरी है। इसके बिना हड्डियों का विकास नहीं हो सकता और ना ही हड्डियों को मजबूती मिल सकती है। तो, जान लेते हैं फास्फोरस के फायदे जो निम्नलिखित हैं – 

1. हड्डियों और दांतों के लिए आवश्यक (Essential for Bones and Teeth)- फास्फोरस ना हो तो बच्चे की हड्डियों का विकास नहीं हो पाएगा। उसके दांत भी नहीं बनेंगे। फास्फोरस हड्डियों और दांतों का निर्माण करता है। फास्फोरस, शरीर में कैल्शियम फॉस्फेट लवण में बदल जाता है और हड्डियों को कठोरता प्रदान करता है। साथ ही अस्थि खनिज घनत्व को बनाए रखने में मदद करता है। यह दांतों की सड़न और मसूड़ों से जुड़ी समस्याओं को खत्म करता है। 

2. पाचन तंत्र को स्वस्थ रखे (Keep the Digestive System Healthy)- रिबोफ्लेविन (विटामिन-बी2) और नियासिन (विटामिन-बी3) मेटाबॉलिज्म, शारीरिक ऊर्जा, तंत्रिका और भावनात्मक कार्य प्रणाली के सुचारु रूप से कार्य करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। फास्फोरस इन दोनों विटामिन को उकसाने का काम करता है ताकि पाचन तंत्र ठीक से काम करता रहे। यह दस्त, कब्ज जैसी समस्याओं को भी खत्म करता है ताकि पाचन तंत्र साफ़ और स्वस्थ रहे। 

3. कमजोरी को दूर करे (Overcome Weakness)- मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन चाहे व्यायाम करने से हो या व्यायाम के बिना, को खत्म कर इनको आराम पहुंचाने में फास्फोरस की सक्रिय भूमिका होती है। यह अंगों की सुन्नता थकावट या इससे जुड़ी कोई और समस्या हो, को खत्म करता है। 

4. यौन विकारों में फायदेमंद (Beneficial in Sexual Disorders)- फास्फोरस ना केवल शारीरिक कमजोरी को दूर करता है बल्कि यह पुरुषों में यौन से संबंधित विकारों/समस्याओं को भी दूर करता है। फास्फोरस, टेस्टोस्टेरोन जिसे सेक्स हार्मोन कहा जाता है, को उत्तेजित करने में मदद करता है। 

कामशक्ति, कामेच्छा में कमी, नपुंसकता की समस्या में फास्फोरस युक्त भोजन करने की सलाह दी जाती है। फास्फोरस शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि और शुक्राणुओं की गुणवत्ता सुधारने में मदद करता है।

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5. प्रोटीन का उत्पादन करे (Produce Protein)- फास्फोरस, शरीर में प्रोटीन का उत्पादन भी करता है। यह प्रोटीन ऊतकों और कोशिकाओं की हुई क्षति की मरम्मत करता है। यह प्रोटीन के मेटाबोलिज्म को सक्रिय करता है। कार्बोहाइड्रेट और वसा का उपयोग करने में शरीर की सहायता करता है। 

6. मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद (Beneficial for Brain Health)- फास्फोरस की कमी, न्यूरोलॉजिकल समस्याओं को बढ़ा सकती है जैसे की डिमेंशिया और अल्जाइमर रोग होने की संभावना। फास्फोरस ऐसे रोगों की संभावना को खत्म करता है। यह तंत्रिका प्रणाली को सुविधाजनक बनाने में मदद करता है ताकि यह अपना कार्य ठीक प्रकार से कर सके। यह सीखने की क्षमता को बढ़ाता है और सोचने समझने की शक्ति का विस्तार करता है। 

7. किडनी स्वास्थ के लिए फायदेमंद (Beneficial for Kidney Health)- किडनी के सुचारु रूप से कार्य करने में फास्फोरस का बहुत बड़ा योगदान है। यह एक ऐसा खनिज है जिसकी वजह से किडनी अपना कार्य बेहतरीन तरीके से कर पाती है। क्यों कि फास्फोरस किडनी के अपशिष्ट पदार्थों को मूत्र विसर्जन और मल त्याग की प्रक्रिया द्वारा बाहर निकाल देता है। इससे किडनी में कोई गंदगी नहीं रहती। फास्फोरस यूरिक एसिड, इलेक्ट्रोलाइट्स, पानी और वसा के स्तर में संतुलन बनाए रखता है। इससे किडनी स्वस्थ रहती है और ठीक प्रकार से कार्य करती है। 

फास्फोरस के स्रोत – Sources of Phosphorus

अब बताते हैं आपको उन खाद्य पदार्थों के नाम जिनसे फास्फोरस मिलता है। किससे कितनी मात्रा में फास्फोरस मिल सकता है इसका विवरण निम्नलिखित है –

  1. राजमा – 100 ग्राम राजमा में 406 मिलीग्राम फास्फोरस होता है।
  2. सोयाबीन – एक कप से लगभग 1309 मिलीग्राम फास्फोरस मिल जाता है जो रोजाना की जरूरत 131 प्रतिशत है।
  3. अलसी के बीज – 100 ग्राम अलसी के बीज में 642 मिलीग्राम फास्फोरस होता है 
  4. दालें – एक कप किसी भी दाल से लगभग 886 मिलीग्राम फोस्फोरस मिल जाता है जो रोजाना की जरूरत का 87 प्रतिशत है। 
  5. ओट्स – 100 ग्राम ओट्स से 410 मिलीग्राम फॉस्फोरस मिल जाता है।
  6. ब्राउन राइस – 100 ग्राम ब्राउन राइस में 103 मिलीग्राम फास्फोरस होता है।
  7. राई – एक कप राई में लगभग 632 मिलीग्राम फास्फोरस होता है, यह फास्फोरस की रोजाना की जरूरत का 63 प्रतिशत है।
  8. तिल – 100 ग्राम तिलों से 774 मिलीग्राम फास्फोरस मिल जाता है।
  9. बादाम – 100 ग्राम बादाम में 481 मिलीग्राम फास्फोरस होता है।
  10. मंगूफली – एक कप मंगूफली से लगभग 523 मिलीग्राम फास्फोरस मिल जाता है। यह रोजाना की जरूरत का लगभग 52 प्रतिशत है।
  11. आलू – 100 ग्राम आलू में लगभग 38 मिलीग्राम फास्फोरस होता है।
  12. हरी मटर – 100 ग्राम हरी मटर से 108 मिलीग्राम फास्फोरस मिल जाता है।
  13. दही – 100 ग्राम दही से 144 मिलीग्राम फास्फोरस मिल जाता है।
  14. पनीर – 100 ग्राम पनीर में 438 मिलीग्राम फास्फोरस होता है।
  15. अंडे – एक अंडे में लगभग 84 मिलीग्राम फास्फोरस  होता है जो कि रोजाना की जरूरत का 8 प्रतिशत है।
  16. सैल्मन मछली – 100 ग्राम सैल्मन मछली से लगभग 261 मिलीग्राम फास्फोरस मिल जाता है।

Conclusion –

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको फास्फोरस के बारे में विस्तार से जानकारी दी। फास्फोरस क्या है, फास्फोरस के अपरूप, अम्ल और यौगिक, भोजन में फास्फोरस क्या है, फास्फोरस की मात्रा, फास्फोरस के कार्य, फास्फोरस की कमी से होने वाले रोग, फास्फोरस की कमी के कारण, फास्फोरस की कमी के लक्षण, फास्फोरस की अधिकता, फोस्फोरस की अधिकता के कारण और फोस्फोरस की अधिकता के लक्षण, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से फास्फोरस के बहुत सारे फायदे बताए और फास्फोरस के बहुत सारे स्रोत भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको फास्फोरस के बारे में विस्तार से जानकारी दी। फास्फोरस क्या है, फास्फोरस के अपरूप, अम्ल और यौगिक, भोजन में फास्फोरस क्या है, फास्फोरस की मात्रा, फास्फोरस के कार्य, फास्फोरस की कमी से होने वाले रोग, फास्फोरस की कमी के कारण, फास्फोरस की कमी के लक्षण, फास्फोरस की अधिकता, फोस्फोरस की अधिकता के कारण और फोस्फोरस की अधिकता के लक्षण, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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