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एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया क्या है? – What is Acute Myelogenous Leukemia in Hindi

एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया क्या है

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग में। दोस्तो, यह तो लगभग सभी जानते हैं कि कैंसर के 200 से अधिक प्रकार होते हैं जिनमें ब्लड कैंसर भी है। ब्लड कैंसर के बारे में हम अपने पिछले आर्टिकल में जानकारी दे चुके हैं। आज हम आपको एक ऐसे कैंसर के बारे में बताएंगे जिसको डबल कैंसर कहना गलत नहीं होगा क्योंकि यह दोतरफा मार करता है। जी हां हम बात कर रहे हैं एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया की जो श्वेत रक्त कोशिकाओं की कार्यप्रणाली को तो ठप करता ही है साथ ही अस्थि मज्जा को भी प्रभावित करता है। 

दोस्तो, यह एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया इतनी गंभीर बीमारी है कि मरीज को तो दर्द से तोड़ देती है और परिवार को भावनात्मक और आर्थिक रूप से कमजोर कर देती है। क्योंकि इसके इलाज में कुछ लाख रुपये नहीं बल्कि बहुत सारे लाखों रुपये लगते हैं जो कि निम्न और मध्यमवर्गीय व्यक्तियों की पहुंच से बाहर हैं। इनको उपचार के लिए दान के पैसों या किसी ट्रस्ट की कृपा पर निर्भर रहना पड़ता है। ऐसा है ये एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया रोग। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया क्या है?”। 

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसका उपचार क्या है। तो, सबसे पहले जानते हैं कि एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया क्या है और इसके कारण। फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

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एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया क्या है? – What is Acute Myelogenous Leukemia?

दोस्तो, सबसे पहले हम जानते हैं कि ल्यूकेमिया क्या है। ल्यूकेमिया एक ब्लड कैंसर है जिसकी शुरुआत अस्थि मज्जा (Bone Marrow) के आंतरिक हिस्से में होती है और तीव्र गति से रक्त में चला जाता है। अस्थि मज्जा में बल्ड सेल्स का असामान्य रूप से उत्पादन होने लगता है। इसमें रेड ब्लड सेल्स की तुलना में व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। इसे व्हाइट ब्लड सेल्स का कैंसर भी कहा जाता है। हड्डियों में पाए जाने वाला अस्थि मज्जा एक स्पंजी ऊतक है जो रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है। 

एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया (Acute Myelogenous Leukemia – AML) वस्तुतः रक्त और अस्थि मज्जा का कैंसर है यानि डबल कैंसर जो मुख्य रूप से व्हाइट ब्लड सेल्स के एक प्रकार “माइलॉयड” कोशिकाओं के एक उपसमूह को प्रभावित करता है। ल्यूकेमिया के इस प्रकार यानि AML में कैंसर कोशिकाएं बोन मैरो की ओर तीव्र गति से बढ़ती हैं जहां ये विकसित होने लगती हैं। ये कोशिकाएं वस्तुतः अपरिपक्व सफेद रक्त कोशिकाएं होती हैं, इनको ब्लास्ट कहा जाता है। इस स्थिति में लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स के काम में रुकावट आती है जिससे अपना काम ये ठीक कर पाने में असमर्थ होती हैं।

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एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया मुख्यतः दो प्रकार का होता है – क्रोनिक और तीव्र (Acute)।  क्रोनिक माइलोजेनस ल्यूकेमिया बोन मैरो में रक्त का निर्माण करने वाली कोशिकाओं से शुरु होकर धीमी गति से रक्त में विकसित होता है और फिर शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है। इसे बढ़ने में कई वर्ष लग जाते हैं। इससे अधिकतर व्यस्क व्यक्ति प्रभावित होते हैं। वहीं तीव्र (Acute) माइलोजेनस ल्यूकेमिया ‘तीव्र’ गति से फैलता है। यह बच्चों और बुजुर्गों को अपना निशाना बनाता है। एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया को तीव्र माइलॉयड ल्यूकेमिया, तीव्र माइलोब्लास्टिक ल्यूकेमिया, तीव्र ग्रैनुलोसाइटिक ल्यूकेमिया और तीव्र नॉनलिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया के नाम से भी जाना जाता है।

एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया के कारण – Causes of Acute Myelogenous Leukemia

एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया का मुख्य कारण है अस्थि मज्जा कोशिका द्वारा अपनी आनुवंशिक सामग्री या डीएनए में बदलाव (म्यूटेशन) को विकसित करना। यहां हम स्पष्ट कर दें कि कोशिका के डीएनए में निर्देश उपस्थित होते हैं। ये निर्देश सामान्यतः कोशिका को एक निर्धारित दर के अंतर्गत बढ़ने के लिए कहते हैं तथा निर्धारित समय पर ही समाप्त होने के लिए कहते हैं। 

जब निर्देश द्वारा अस्थि मज्जा कोशिका को बढ़ने और विभाजित होने के लिए कहा जाता है तभी एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया की स्थिति उत्पन्न होती है। ऐसा होने पर रक्त कोशिका का उत्पादन असामान्य और नियंत्रण से बाहर हो जाता है। यद्यपि यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि डीएनए में उत्परिवर्तन की वजह क्या है परन्तु कुछ कारक ऐसे होते हैं जो एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया के जोखिम को ट्रिगर करते हैं। इनका विवरण हम आगे देंगे।

एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया के जोखिम कारक – Risk Factors for Acute Myelogenous Leukemia

जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि डीएनए में उत्परिवर्तन की वजह स्पष्ट नहीं है परन्तु डॉक्टरों के अनुसार निम्नलिखित कारक AML के जोखिम को बढ़ाने में मदद करते हैं-

1. आयु, यद्यपि AML अधिकतर बच्चों में होता है परन्तु 65 वर्ष या उससे अधिक की उम्र भी इस खतरे को बढ़ा सकती है।

2. लिंग आधार (Gender Basis)- AML महिलाओं की तुलना में पुरुषों में विकसित होने का अधिक जोखिम रहता है।

3. रेडिएशन के संपर्क में आना (Exposure to Radiation)- जो लोग किसी वजह से रेडिएशन के संपर्क में आ जाते हैं यानि ऐसी जगह काम करना जहां रेडिएशन फैलने की संभावना रहती हो या परमाणु रिएक्टर दुर्घटना से बचे लोगों में AML विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

4. रसायनों के संपर्क में आना (Chemical Exposure)-  बेंजीन जैसे कुछ खतरनाक रसायनों के संपर्क में आना या खतरनाक रसायनिक वातावरण में काम करना आदि AML को ट्रिगर कर सकते हैं।

5. कैंसर उपचार (Cancer Treatment)- कैंसर उपचार के लिए ली गई कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी भी AML की संभावना को जन्म दे सकती है।

6. माइलोडिसप्लासिया, माइलोफाइब्रोसिस, पॉलीसिथेमिया वेरा या थ्रोम्बोसाइटेमिया जैसे रक्त विकार भी AML विकसित होने का जोखिम बढ़ा सकते हैं।

7. डाउन सिंड्रोम, न्यूरोफाइब्रोमैटॉसिस टाइप 1 जैसे आनुवंशिक विकार भी AML को ट्रिगर कर सकते हैं।

8. सिगरेट में बेंजीन और अन्य कैंसर उत्पन्न करने वाले रसायन AML को ट्रिगर कर सकते हैं।

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एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया के लक्षण – Symptoms of Acute Myelogenous Leukemia

एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया में निम्नलिखित लक्षण प्रकट होते हैं –

  1. वजन कम होना, भूख ना लगना
  2. कमजोरी, थकान महसूस करना
  3. सांस लेने में दिक्कत होना
  4. बुखार होना
  5. असामान्य रक्तस्राव जैसे कि चोट लगना, मसूड़ों से खून आना, नाक से खून आना, मूत्र या मल में रक्त आना आदि।
  6. एनीमिया
  7. हड्डी और जोड़ों में दर्द
  8. त्वचा का रंग पीला हो जाना
  9. त्वचा पर छोटे लाल धब्बे पड़ना
  10. बार-बार संक्रमण होना
  11. मसूड़ों में सूजन
  12. बढ़ा हुआ लिवर या प्लीहा (Spleen)

एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया का निदान – Diagnosis of Acute Myelogenous Leukemia

एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया के निदान के लिए निमानलिखित टेस्ट करवाए जा सकते हैं –

1. कंप्लीट ब्लड काउंट टेस्ट (Complete Blood Count Test)- इस टेस्ट के जरिये रक्त कोशिकाओं की संख्या का पता चल जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य मेडिकल स्थितियों के बारे में भी पता चल जाता है।

2. इमेजिंग टेस्ट (Imaging Test)- इमेजिंग टेस्ट में एक्स-रे, सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड आदि शामिल होते हैं। इन सब से शरीर के अंगों के चित्र मिल जाते हैं और अंदर की गतिविधियों का पता चल जाता है।

3. बोन मैरो टेस्ट(Bone Marrow Test) – इस टेस्ट में मैरो, रक्त और हड्डी का सेंपल लेकर ल्यूकेमिया सेल्स की जांच के लिए लेब भेज दिए जाते हैं।

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4. स्पाइनल टैप यानी लम्बर पंक्चर (Spinal Tap i.e. Lumbar Puncture) – रीढ़ की हड्डी के आसपास से सेरिब्रलस्पायनल फ्लूइड का सेंपल लेकर ल्यूकेमिया सेल्स की जांच के लिए लेब भेज दिया जाता है।

5. जेनेटिक टेस्ट्स (Genetic Tests)- यह टेस्ट मरीज की जीन या क्रोमोसोम में बदलाव की जांच के लिए किया जाता है। इससे ल्यूकेमिया सेल्स की जांच में मदद मिलती है।

एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया का उपचार – Treatment of Acute Myelogenous Leukemia

एक्यूट मायलोइड ल्यूकेमिया के उपचार में निम्नलिखित उपचार विधि अपनाई जा सकती हैं –

1. रेमिशन इंडक्शन थेरेपी (Remission Induction Therapy)- इस थेरेपी के जरिए रक्त और अस्थि मज्जा में ल्यूकेमिया कोशिकाओं को नष्ट कर दिया जाता है। यद्यपि इस थेरेपी में कुछ ल्यूकेमिया कोशिकाएं छूट जाती हैं जिससे दुबारा होने की संभावना रहती है। इसके लिए अलग से उपचार की जरूरत पड़ती है।

2. कंसोलिडेटिंग थेरेपी (Consolidating Therapy) – जो ल्यूकेमिया कोशिकाएं पीछे छूट गई हैं उनको इस थेरेपी के जरिए नष्ट कर दिया जाता है ताकि इनकी पुनरावृत्ति ना हो सके। इसे थेरेपी को पोस्ट रेमिशन (Post-Remission) या रेमिशन कॉन्टिनुएशन थेरेपी (Remission Continuation Therapy) भी कहा जाता है।

3. कीमोथेरेपी (Chemotherapy)- यह कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए सबसे अधिक प्रचलित थेरेपी है। इस थेरेपी में रसायनों का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को मार दिया जाता है।

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4. लक्षित उपचार (Targeted Treatment) – इसमें विशेष दवाओं का उपयोग अकेले या कीमोथेरेपी के साथ किया जाता है। इसका उपयोग यह जानने के लिए किया जाता है कि इस चिकित्सा विधि से मरीज को फायदा हो सकता है या नहीं।

5. अस्थि मज्जा का प्रत्यारोपण (Bone Marrow Transplant)- चिकित्सा की इस विधि में ल्यूकेमिया से प्रभावित अस्थि मज्जा को ल्यूकेमिया रहित स्टेम कोशिकाओं से बदल दिया जाता है। यह बाद में एक स्वस्थ अस्थि मज्जा के रूप में विकसित हो जाती हैं। इस विधि को स्टेम सेल प्रत्यारोपण के नाम से भी जाना जाता है।

Conclusion –

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया क्या है?, एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया के कारण, एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया के जोखिम कारक, एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया के लक्षण और एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया का निदान, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया के उपचार बारे में भी बताया। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

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Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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