स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, जैसे सूर्य नमस्कार 12 योगासनों का समूह है, विटामिन-बी कम्प्लेक्स में बी समूह के 8 विटामिन शामिल होते हैं, कुछ वायरसों का अपना ग्रुप है, इसी प्रकार कुछ रोगों का भी समूह होता है जैसे सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीजिज़ (एसटीडी) – Sexually Transmitted Diseases तथा ऑटोइम्यून डिजीज़ (Autoimmune Disease)। ऑटोइम्यून डिजीज़ को ऑटो इम्युनिटी भी कहा जाता जिसके बारे में हमने पिछले आर्टिकल में विस्तार से बताया है। ऑटोइम्यून डिजीज़ में 80 प्रकार को रोग शामिल होते हैं। इस ग्रुप में एडिसन रोग भी आता है जो एड्रेनल ग्रंथियों की गड़बड़ी के कारण होता है जिसके परिणाम स्वरूप शरीर में कुछ आवश्यक हार्मोन नहीं बन पाते। आखिर यह एडिसन रोग है क्या? दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “एडिसन रोग क्या है?”।
देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको एडिसन रोग के बारे में विस्तार से जानकारी देगा यह भी बताएगा कि इस रोग का इलाज क्या है? इस एडिसन रोग को जानने से पहले एड्रेनल ग्रंथियों के बारे में जानना होगा। सबसे पहले जानते हैं कि एड्रिनल ग्रंथियां क्या हैं और इनके कार्य तथा एडिसन रोग क्या है? फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे। ऑटो इम्युनिटी के बारे में विस्तार से जानकारी के लिए हमारा पिछला आर्टिकल “ऑटो इम्युनिटी क्या है?” पढें।
एड्रिनल ग्रंथियां क्या हैं और इनके कार्य? – What are the Adrenal Glands and their Functions?
दोस्तो, हमारे शरीर के अंदर दो किडनी होती हैं। प्रत्येक किडनी के ऊपर तिकोनी संरचना जैसी एक-एक ग्रंथि होती है। इन्हीं ग्रंथियों को एड्रिनल ग्रंथि (Adrenal Gland) कहा जाता है।
किडनी के ऊपर स्थित होने की वजह से इनको Suprarenal Gland भी कहा जाता है। एड्रिनल ग्रंथि के दो भाग होते हैं, कोर्टेक्स (Cortex) और मेड्यूला (Medulla)। विवरण निम्न प्रकार है –
(a) कोर्टेक्स (Cortex)- एड्रिनल ग्रंथि के बाहरी हिस्से को कोर्टेक्स (Cortex) कहा जाता है जो लगभग 80 प्रतिशत होता है कोर्टेक्स का निर्माण पैरेंकाइमेट्स मल्टीन्यूक्लीटेड एपीथिलियम (Parenchymes multinucleated epithelium) भ्रूणीय मीजोडर्मल क्षेत्र द्वारा होता है।
ये कोशिकाएं रज्जु के रूप में होती हैं जो कई कोशिकाओं से मिलकर बनी हुई होती हैं और एड्रिनल के कैप्सूल से जुड़ी हुई होती हैं। कोर्टेक्स से एल्डोस्टीरोन, ग्लूकोकॉर्टिकॉइड्स, तथा एंड्रोजिंस नामक हार्मोन श्रावित होते हैं। इनका विवरण निम्न प्रकार है –
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(i) एल्डोस्टीरोन (Aldosterone)- यह हार्मोन किडनी में सोडियम क्लोराइड और बाइकार्बोनेट का अवशोषण बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाता है और फास्फोरस तथा पोटेशियम के अवशोषण को कम करता है। इसका काम रक्त में पानी की मात्रा को भी नियंत्रित करना होता है।
(ii) ग्लूकोकॉर्टिकॉइड्स (Glucocorticoids)- इस हार्मोन का काम कार्बोहाइड्रेट को वसा में बदलना होता है। आंत और किडनी में शर्करा के अवशोषण को बढ़ाना, प्रोटीन से ग्लाइकोजन बनाने में मदद करना, लिवर और मांसपेशियों में ग्लाइकोजन (Glycogen) के निर्माण में वृद्धि करना आदि इस हार्मोन के मुख्य कार्य होते हैं।
(iii) एंड्रोजिंस (Androgens)- इसे सेक्स हार्मोन भी कहा जाता है। इसका प्रमुख कार्य भ्रूण में लिंग विभेदन (gender discrimination) तथा जन्म के पश्चात लैंगिक ग्रंथियों तथा द्वितीयक लैंगिक गुणों (secondary sexual characteristics) की उत्पत्ति करना है। पुरुषों में दाढ़ी मूंछ आना और आवाज का भारी होना, इसी हार्मोन के कारण होता है।
एड्रिनल कॉर्टेक्स के हार्मोन के कम श्रवित होने से ब्ल्ड प्रेशर का कम हो जाना, मांसपेशियों में थकावट और कमजोरी महसूस करना, उपापचय क्रिया का धीमा हो जाना, सोडियम क्लोराइड अधिक मात्रा में निकलना और पोटेशियम का कम श्रवित होना जैसे लक्षण प्रकट होते हैं।
एड्रिनल कॉर्टेक्स के हार्मोन के अधिक श्रवित होने पर महिलाओं में दाढ़ी मूंछ आना और आवाज का भारी होना, मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाना, नपुंसकता, रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाना शरीर की हड्डियों में छिद्र होने लगना जैसे विकार उत्पन्न होने लगते हैं।
2. मेड्यूला (Medulla) – एड्रिनल ग्रंथि के बाहरी आंतरिक भाग को मेड्यूला (Medulla) कहते हैं जो लगभग 20 प्रतिशत होता है। यह अनिश्चित प्रकार की बहुकोणीय कणयुक्त कोशिकाओं से बना होता है। इन कोशिकाओं के कणों में एक विशेष प्रकार का एड्रीनेलिन (Adrenaline) नामक हार्मोन भरा होता है। ये कोशिकाएं दो प्रकार के हार्मोन श्रवित करती हैं – एड्रीनेलिन (Adrenaline) और नॉरएड्रीनेलीन (Noradrenaline)। विवरण निम्न प्रकार है –
(i) एड्रीनेलिन (Adrenaline)- मायोकोडियल मांसपेशियों के संकुचन क्षमता को बढ़ाना, कोरोनरी तथा पेशियों की रक्त वाहिकाओं को फैलाना, कोरोनरी तथा पेशियों की रक्त वाहिकाओं को फैलाना, ब्लड प्रेशर बढ़ाना, बल्ड में लैक्टिक की मात्रा बढ़ाना, प्लाज्मा में प्रोटीन की सांद्रता बढ़ाना, ब्लड में पोटेशियम की सांद्रता बढ़ाना, संकट पड़ने पर हृदय गति को नियंत्रित करना आदि इस हार्मोन के मुख्य कार्य हैं। इसे इमरजेंसी हार्मोन भी कहा जाता है।
(ii) नॉरएड्रीनेलीन(Noradrenaline)- इस हार्मोन की संरचना लगभग एड्रीनेलिन के समान ही होती है परन्तु नॉरएड्रीनलिन में 1-methyl वर्ग कम होता है। इसके कार्य भी एड्रीनेलिन के समान ही होते हैं, यह सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दोनों प्रकार के दबावों को बढ़ाने का कार्य करता है। यह हार्मोन रक्त वाहिकाओं को संकुचित करता है।
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एडिसन रोग क्या है? – What is Addison’s Disease?
दोस्तो, एडिसन रोग ऑटोइम्यून रोगों के समूह का एक रोग है। यह एक दुर्लभ रोग है जो कि लाखों में से एक को होता है। ऑटोइम्यून रोग वे होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली अपने पर ही तथा शरीर के स्वस्थ ऊतकों पर आक्रमण करके उनको नष्ट करती रहती है।
इसके परिणाम स्वरूप एड्रिनल ग्रंथियां खराब होने पर ये ठीक से काम नहीं कर पाती हैं। एड्रिनल ग्रंथियों के खराब होने के कारण ये शरीर के लिए जरूरी पर्याप्त मात्रा में हार्मोन श्रवित नहीं कर पाती हैं और ना ही इनको नियंत्रित कर पाती हैं। इसी एड्रिनल इंसफीसियंसी (Adrenal Insufficiency) की स्थिति को एडिसन रोग कहा जाता है। एड्रिनल ग्रंथियां क्या होती हैं और इनके कार्य होते हैं इस बारे में हम ऊपर बता ही चुके हैं।
यद्यपि यह रोग किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को हो सकता है परन्तु इस रोग से सबसे अधिक 30 से 50 वर्ष की आयु वाले लोग प्रभावित होते हैं। इस रोग का नाम ब्रिटिश चिकित्सक थॉमस एडिसन के नाम पर रखा गया है। उन्होंने पहली बार सुपररेनल कैप्सूल (1855) के रोग के संवैधानिक और स्थानीय प्रभावों पर स्थिति का वर्णन किया था। मूल रूप से इसे “मेल्स्मा सुपररेनेल” के रूप में वर्णित किया गया था परन्तु बाद में चिकित्सकों ने एडिसन की खोज की मान्यता का मान रखते हुए इसे “एडिसन रोग” नाम दिया।
एडिसन रोग के चरण – Addison’s Disease Stages
एडिसन रोग के मुख्य रूप से दो चरण (Stages) होते हैं विवरण निम्न प्रकार है –
1. प्राइमरी स्टेज (Primary Stage)- इम्युनिटी सिस्टम के इम्युनिटी सिस्टम के तहत एंटीबॉडीज़ द्वारा एड्रिनल ग्रन्थियों पर हुऐ आक्रमण से एड्रिनल ग्रन्थियों का बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाने पर हार्मोन का उत्पादन करने में असफल होने की एड्रिनल इंसफीसियंसी (Adrenal Insufficiency) की स्थिति को प्राइमरी स्टेज कहा जाता है।
इसके लिये शरीर में बार-बार के इंफेक्शन, कैंसर, ट्यूमर, रक्त को पतला करने वाली दवाओं का उपयोग आदि जिम्मेदार हो सकते हैं।
2. सेकेंडरी स्टेज (Secondary Stage)- जब पिट्यूटरी ग्रंथि, एड्रेनोकोर्टिकोट्रोपिक नामक हार्मोन (एसीटीएच) का निर्माण नहीं कर पाती है तो एड्रिनल इंसफीसियंसी की इस स्थिति को सेकेंडरी स्टेज कहा जाता है। एसीटीएच हार्मोन ही एड्रिनल ग्रंथियों को यह संकेत देता है कि हार्मोन का उत्पादन कब करना है।
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एडिसन रोग के कारण – Causes of Addison’s Disease
एडिसन रोग के निम्नलिखित कारण होते हैं –
1. एडिसन रोग का मुख्य कारण एड्रिनल ग्रंथियों का क्षतिग्रस्त होना है जो इम्युनिटी सिस्टम के तहत एंटीबॉडीज़ द्वारा होती है। इस वजह से जरूरी हार्मोन का उत्पादन नहीं हो पाता। इसके अतिरिक्त –
2. बार-बार होने वाले इंफेक्शन। इसमें फंगल इंफेक्शन तथा एचआईवी/एड्स संबंधित इंफेक्शन सम्मलित हैं।
3. शरीर के किसी भी भाग से कैंसर कोशिकाओं द्वारा, एड्रिनल ग्रंथियों पर आक्रमण।
4. एड्रिनल ग्रंथियों में रक्तस्राव होना।
5. एड्रिनल ग्रंथियों के किसी भाग को सर्जरी द्वारा हटाया जाना।
6. लंबे समय से चला आ रहा टीबी रोग।
7. एड्रिनल ग्रंथियों में या इनके आसपास कैंसर रोग।
8. एड्रेनल ग्रंथियों में या उसके आसपास कोई चोट लग जाना या चोट लगी हो।
9. टाइप 1 डायबिटीज़ या ग्रेव्स रोग।
10. एमिलॉयडोसिस। यह एक ऐसा विकार है जिसमें जिसमें एमाइलॉयड प्रोटीन महत्वपूर्ण अंगों में इकट्ठा हो जाता है जो एड्रिनल ग्रंथियों के लिए नुकसानदायक होता है।
11. रक्त के थक्कों को कम करने वाली दवाओं के अत्यधिक सेवन की प्रतिक्रिया।
एडिसन रोग के लक्षण – Addison’s Disease Symptoms
एडिसन रोग के निम्नलिखित लक्षण प्रकट होते हैं –
1. भूख न लगना
2. वजन घटना
3. अत्याधिक कमजोरी और थकावट
4. त्वचा का रंग काला हो जाना
5. मांसपेशियों में दर्द रहना और कमजोरी
6. हृदय गति कम हो जाना
7. ब्लड प्रेशर कम हो जाना
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8. रक्त में ग्लूकोज़ की कमी
9. मुंह में छाले होना
10. बेहोशी छाना
11. जी मिचलाना, उल्टी होना
12. नमकीन खाद्य पदार्थ खाने की तीव्र इच्छा होना
13. नींद से जुड़ी समस्याएं होना
14. चिड़चिड़ापन
15. तनाव और डिप्रेशन
16. बेचैन रहना
17. भ्रम या भय महसूस करना
18. कभी-कभी तेज बुखार होना
19. अचानक से पीठ के निचले हिस्से, पेट या पैरों में दर्द होना
20. एडिसन रोग का उपचार ना मिलने पर एडीसंस क्राइसेस नाम की समस्या होने की संभावना होना।
एडिसन रोग का निदान – Addison’s Disease Diagnosis
एडिसन रोग के निदान के लिए निम्नलिखित जानकारी ली जा सकती हैं और टेस्ट किए जा सकते हैं –
1. डॉक्टर सबसे पहले मरीज की पिछली और वर्तमान मेडिकल हिस्ट्री की जानकारी लेते हैं मेडिकल पेपर्स (यदि हैं तो) किस बीमारी के लिए ली गई दवाओं की जानकारी लेते हैं।
2. वर्तमान में महसूस हो रहे लक्षणों के बारे में जानकारी ली जाती है।
3. शारीरिक परीक्षण किया जा सकता है।
4. ब्लड टेस्ट (Blood Test)- मरीज का ब्लड सेंपल लेकर ब्लड में सोडियम, पोटेशियम, एड्रेनोकोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन और कोर्टिसोल की मात्रा की जांच की जाती है।
5. एसीटीएस स्टिमुलेटिंग टेस्ट (ACTS Stimulating Test)- चूंकि एसीटीएच हार्मोन ही एड्रिनल ग्रंथियों को यह संकेत देता है कि हार्मोन का उत्पादन कब करना है, इसलिए सिंथेटिक एसीटीएच के इंजेक्शन से पहले और बाद में ब्लड में कोर्टिसोल के स्तर को जांचने के लिए यह टेस्ट किया जाता है।
6. इंसुलिन इंडक्टेड हाइपोग्लाइसीमिया टेस्ट (Insulin Induced Hypoglycemia Test)- एड्रिनल इंसफीसियंसी का कारण पिट्यूटरी रोग होने की स्थिति में इंसुलिन के इंजेक्शन के बाद ब्लड शुगर और कोर्टिसोल के स्तर की जांच के लिये यह टेस्ट किया जा सकता है।
7. इमेजिंग टेस्ट (Imaging Tests)- एड्रिनल ग्रंथियों के आकार व अन्य असामान्यताओं का आकलन करने के लिए एमआरआई टेस्ट किया जा सकता है। सेकेंडरी स्टेज के मामले में पिट्यूटरी ग्रंथि का एमआरआई स्कैन किया जा सकता है।
एडिसन रोग का इलाज – Addison’s Disease Treatment
एडिसन रोग का इलाज, इसके कारणों के आधार पर किया जाता है। इसके लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जा सकती हैं –
1. दवाएं – Medicines
(i) सामान्य स्थिति में एड्रिनल ग्रंथियों को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए कुछ दवाएं प्रिसक्राइब की जा सकती हैं।
(ii) ग्लूकोकार्टोइकोड्स दवाएं प्रिसक्राइब जा सकती हैं जिनको आजीवन लेने की जरूरत होती है। इसकी एक भी खुराक नहीं छोड़नी नहीं चाहिए।
(iii) हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरपी को भी उपयोग में लाया जा सकता है।
2. वैकल्पिक उपचार – Alternative Treatments
एडिसन रोग में मरीज अक्सर तनाव और डिप्रेशन में रहता है। इन परिस्थितियों से बाहर निकलने के लिए योग, ध्यान, प्राणायाम, अनुलोम-विलोम का उपयोग किया जाना जाना चाहिए।
एडिसन रोग से बचाव – Addison’s Disease Prevention
एडिसन रोग ऐसा रोग है जिससे पूरी तरह बचाव कर पाना संभव नहीं है परन्तु फिर भी सतर्क रहने के लिए कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं जो निम्नलिखित हैं –
1. यदि किसी व्यक्ति को ऊपर बताए गए लक्षणों में से कुछ लक्षण महसूस हो रहे हैं तो डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए और पूछना चाहिए कि कहीं उसे एडिसन रोग तो नहीं है ताकि समय से ही इसका उपचार किया जा सके।
2. एडिसन रोग का निदान किए जाने की स्थिति में कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स की अपनी खुराक बढ़ाने के तरीकों के बारे में गया डॉक्टर से सलाह लें।
3. बहुत ज्यादा बीमार होने विशेषकर लगातार उल्टी होने और दवा ना ले पाने की स्थिति में अस्पताल के आपातकालीन विभाग में रिपोर्ट करें और सेवाएं लें।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको एडिसन रोग के बारे में विस्तार से जानकारी दी। एड्रिनल ग्रंथियां क्या हैं और इनके कार्य, एडिसन रोग क्या है?, एडिसन रोग के चरण, एडिसन रोग के कारण, एडिसन रोग के लक्षण और एडिसन रोग का निदान, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से एडिसन रोग के इलाज के बारे में बताया और एडिसन रोग से बचाव के उपाय भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।
Fantastic Article
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