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चंदन के फायदे – Benefits of Sandalwood in Hindi

चंदन के फायदे

दोस्तो, आज हम आपको एक ऐसी लकड़ी के बारे में बताएंगे जो जिसकी कीमत दुनियां में सबसे ज्यादा है, फिर भी इसके बने उत्पाद खरीदने वाले लोगों की कमी नहीं है। इस लकड़ी से साज-सज्जा का सामान बनता है, खिलौने बनते हैं। यह एक सुगन्धित लकड़ी है। इसका तेल निकाला जाता है। इसका उपयोग साबुन और सौंदर्य प्रसाधनों को बनाने के लिए किया जाता है। इतना ही नहीं, इस लकड़ी के तेल और परफ्यूम का इस्तेमाल आरोमा थेरेपी में किया जाता है।  सबसे अधिक मंहगी होने के कारण इसकी तस्करी भी खूब की जाती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं चंदन की। चंदन के साथ यदि कुख्यात भारतीय चंदन तस्कर कर्नाटक निवासी कूज मुनिस्वामी वीरप्पन का नाम ना लिया जाए तो यह संभवतः चंदन के साथ बेमानी होगी। इस तस्कर ने लंबे समय तक तस्कर के रूप में राज किया और अंततः मारा गया। इस पर हिन्दी भाषा में फिल्म भी बनी। चंदन की लकड़ी के उपयोगों में सबसे महत्वपूर्ण उपयोग औषधीय उपयोग है। औषधीय गुणों से भरपूर चंदन का इस्तेमाल अनेक रोगों के निवारण के लिए किया जाता है। आखिर ऐसा क्या है इस चंदन में। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “चंदन के फायदे”।

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको चंदन के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसके क्या फायदे होते हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि चंदन क्या है और चंदन के प्रकार। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

चंदन क्या है? – What is Sandalwood? 

चंदन (Sandal) एक बेशकीमती लकड़ी का नाम है जो चंदन के वृक्ष से प्राप्त होती है। चंदन अपनी मनमोहक सुगंध के लिए विश्व प्रसिद्ध है। चंदन का वृक्ष मध्यम आकार का और अर्धपरजीवी उष्णकटिबंधीय है। इसकी लकड़ी विश्व में सबसे महंगी लकड़ियों में से है। इसको पैदा करने के लिए ढालवाँ जमीन, जल सोखनेवाली उपजाऊ चिकनी मिट्टी चाहिए तथा इसको 500 से लेकर 625 मिमी. तक वार्षिक वर्षा की जरूरत पड़ती है। इसके पत्ते अण्डाकार और मुलायम होते हैं। इसके फूल गंधहीन होते है तथा भूरे-बैंगनी, या जामुनी रंग के होते हैं और ये खुश्बू रहित होते हैं।

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चंदन के फल मांसल, गोलाकार होते हैं, पकने पर इनका रंग जो शयामया बैंगनी रंग का हो जाता हैं तथा बीज भी कठोर तथा अण्डाकार या गोलाकार होते हैं। चंदन के वृक्ष को पूरी तरह परिपक्व होने में लगभग 8 से 12 वर्ष का समय लग जाता है। सैंटेलेसी (Santalaceae) कुल से संबंध रखने वाले चंदन का वैज्ञानिक नाम संतलम एल्बम (Santalum album) है। चंदन को अंग्रेजी में (Sandal) कहा जाता है।

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चंदन के प्रकार – Types of Sandalwood

चंदन मुख्यतः तीन प्रकार का होता है। विवरण निम्नलिखित है – 

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1. रक्तचंदन (Blood Sandalwood)- जैसा कि नाम से जाहिर है रक्तचंदन लाल रंग का होता है। इसका वृक्ष छोटे आकार का होता है और यह भारत के कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के शुष्क और पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। इस चंदन की लकड़ी में सुगंध नहीं होती। 

2. श्वेत चंदन (White Sandalwood)- इस चंदन का रंग सफेद होता है और यह एक सदाबहार वृक्ष है। इसमें औषधीय तत्व और गुण सबसे अधिक होते हैं। इसका उपयोग एसेंशियल ऑयल, साबुन, परफ्यूम व कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट बनाने में किया जाता है। इसके वृक्ष की ऊंचाई लगभग 18-25 फीट होती है और इसे पनपने के लिए अधिक पानी की जरूरत भी नहीं होती। इसी को मलयागिरि चंदन कहा जाता है तथा इसी को श्रेष्ठ माना जाता है। इसी चंदन से सफेद मालाएं बनती हैं। 

3. पीत चंदन (Yellow Sandalwood)- यहां हम बता दें कि श्वेत चंदन और पीत चंदन का एक ही वृक्ष होता है। श्वेत चंदन और पीत चंदन दोनों एक ही वृक्ष से प्राप्त होते हैं। यह त्वचा विकारों, दाग धब्बों, ब्लैक हैड्स आदि के निवारण में विशेष लाभदायक होता है।

चंदन का महत्व – Importance of Sandalwood

दोस्तो, आर्थिक और धार्मिक दृष्टि से चंदन का विशेष महत्व है। विवरण निम्न प्रकार है –

(A) चंदन का आर्थिक महत्व Economic Importance of Sandalwood)- चंदन का आर्थिक महत्व भी कम नहीं है। भारतीय चंदन का विश्व में प्रथम स्थान है। चंदन की लकड़ी सबसे ज्यादा मंहगी होती है। इसकी लकड़ी, छाल, बुरादा, छिलका, और छीलन आदि अलग-अलग बेचे जाते हैं। भारतीय किसान चंदन से लाखों रुपये कमा रहे हैं। इसके अतिरिक्त चंदन की लकड़ी का तेल भी बेचा जाता है। एक मीट्रिक टन चंदन की लकड़ी से लगभग 47 से लेकर 50 किलोग्राम तक चंदन का तेल निकाला जा सकता है। 

(B) धार्मिक महत्व (Religious Significance)- भारत सहित विश्व के अधिकतर देश चंदन को पवित्र मानते हैं। यदि हम भारत की बात करें तो धार्मिक महत्व का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि केवल हिन्दू धर्म ही नहीं अपितु अन्य धर्म वाले लोग भी चंदन को पवित्र मानते हुए इसका धार्मिक अनुष्ठानों में इसका उपयोग करते हैं। विवरण निम्न प्रकार है –

(i) हिन्दू धर्म (Hinduism)– भारत में चंदन का उपयोग देवी, देवताओं की पूजा के लिए किया जाता है। कल्याण की देवी लक्ष्मी (श्री) चंदन के पेड़ पर निवास करती हैं। इसलिए, चंदन को श्रीगंधा भी कहा जाता है। भारत की सर्वाधिक खपत मंदिरों से लेकर घरों में तिलक लगाने के लिए होती है। इसके लिए चंदन की लकड़ी को पानी के साथ सिल (पत्थर पर घिसना पड़ता है)। 

मंदिरों में और घरों में चंदन की धूप और अगरबत्ती जलाई जाती है। चूंकि चंदन सबसे अधिक मंहगी लकड़ी होने के नाते आम आदमी इसे वहन (afford) नहीं कर सकता इसलिए दाह संस्कार के समय चिता में आम लकड़ियों के साथ एक छोटा सा टुकड़ा चंदन की लकड़ी का डाल दिया जाता है। 

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(ii) इस्लाम धर्म (Islam Religion)- इस्लाम धर्म में भी चंदन को पवित्र माना गया है। सूफीवाद में सूफी की कब्र पर शिष्यों और भक्तों द्वारा चंदन का लेप लगाया जाता है या चंदन का पाउडर लगाया जाता है और चंदन की धूप और अगरबत्ती जलाई जाती है।

(iii) जैन धर्म (Jainism)- जैन धर्म में दैनिक प्रथाओं को पूरा करने के लिए चंदन का उपयोग किया जाता है। तीर्थंकरों की पूजा में भी केसर के साथ चंदन के लेप की पृथा है। जैन भिक्षुओं, साधुओं और साध्वियों द्वारा शिष्यों और अनुयायियों पर आशीर्वाद स्वरूप चंदन पाउडर की वर्षा की जाती है।

(iv) बौद्ध धर्म (Buddhism)- बुद्ध और गुरु को धूप अर्पित करने के लिए चंदन को सबसे लोकप्रिय सुगंधों में से एक माना गया है। एक मत यह मानता है कि चंदन की सुगंध किसी की भी इच्छाओं में परिवर्तन कर ध्यान लगाने में सतर्कता बनाए रखती है। कुछ बौद्ध परंपराएं चंदन को कमल समूह मानती हैं और इसका श्रेय अमिताभ बुद्ध को देते हैं।

(v) पारसी धर्म (Zoroastrianism)- पारसी धर्म ने चंदन को हमेशा सुखद माना गया है। ये अग्नि की पूजा करते हैं। ये अपने अनुष्ठानों में अग्नि मंदिर अग्नि रखने वाले कलश, जिसे अफर्गन्यु कहा जाता है, में चंदन की टहनियां अर्पित करते हैं। अनुष्ठान समाप्ति के पश्चात, समारोह में भाग लेने वाले लोग भी अग्नि में चंदन के टुकड़े डालते हैं।

(C) प्रेम से संबंधित महत्व (Importance Related to love)- चंदन को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसकी मनभावन सुगंध प्रेम को आकर्षित और उत्तेजित करती है, इसीलिए इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों में की जाती है। नारी सौंदर्य और सुगंध की उपमा चंदन से की जाती है। कवि इंदीवर ने क्या खूब लिखा है “चंदन सा बदन, चंचल चितवन धीरे से तेरा मुस्काना”।  

चंदन का उत्पादन – Sandalwood Production

1. चंदन का उत्पत्ति स्थान मलयद्वीप तथा ऑस्ट्रेलिया को माना जाता है। 

2. चंदन का उत्पादन नेपाल, बंग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया तथा अन्य प्रशांत द्वीपसमूह में होता है।

3. चंदन के उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है। भारत में कर्नाटक राज्य सबसे अधिक चंदन का उत्पादन करता है। कर्नाटक के अतिरिक्त भारत के तमिलनाडू, केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, बिहार, मणिपुर, मध्यप्रदेश, राजस्थान तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश राज्यों में चंदन का उत्पादन होता है।

चंदन की लकड़ी की कीमत –  Sandalwood Wood Price

चंदन की लकड़ी की कीमत का विवरण निम्न प्रकार है:-

1. सैंडल हार्ट वुड (Sandal Heart Wood)- यह चंदन वृक्ष की जड़ होती है जिसे शुद्ध चंदन होने के कारण लकड़ी का दिल कहा जाता है। इसे वृक्ष का डायमंड भाग भी कहते हैं।  एक वृक्ष से लगभग 60-100 किलोग्राम हृदय लकड़ी मिल जाती है। इसकी कीमत लगभग 12,000 – 13,000/ रुपये प्रति किलोग्राम से आरम्भ होती है। 

2. चंदन की लकड़ी की बाहरी, लकड़ी जैसे छाल, टहनियों और शाखाओं को सैप लकड़ी कहा जाता है जिसकी कीमत लगगग 1500/- से 2000/- रुपये से आरम्भ होती है।

चंदन के गुण – Properties of Sandalwood

1. चंदन की प्रकृति शीतलता प्रदान करने की होती है।

2. चंदन में प्राकृतिक रूप से मनभावन सुगंध होती है इसी वजह से इसकी लकड़ी बेशकीमती होती है। 

3. चंदन में चंदन की लकड़ी बेशकीमती होने के कारण ही कर्नाटक निवासी कूज मुनिस्वामी वीरप्पन चंदन ने विश्व में चंदन तस्कर के रूप प्रसिद्धि पाई और कई वर्षों तक तस्कर के रूप में राज किया परन्तु अंततः उसे 18 अक्टूबर 2004 को और उसके तीन साथियों को, के। विजयकुमार के नेतृत्व में तमिलनाडु स्पेशल टास्क फोर्स ने मार दिया।  

4. एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लामेटरी, एंटीसेप्टिक, एंटीप्रोलिफ़ेरेटिव, एंटीमाइक्रोबियल, मूत्रवर्धक, एंटीपायरेटिक,एंटीस्केबेटिक और एंटीएनलजेसिक गुण पाए जाते हैं।

चंदन के उपयोग – Uses of Sandalwood

चंदन के उपयोग निम्न प्रकार हैं –

  • धार्मिक समारोहों में चंदन की लकड़ी और चंदन के तेल का उपयोग किया जाता है।
  • चंदन की लकड़ी का उपयोग मूर्तिकला, खिलौने तथा साज सज्जा का सामान बनाने में भी किया जाता है। 
  • दाह संस्कार में भी अन्य लकड़ियों के साथ एक चंदन की लकड़ी का टुकड़ा चिता पर रखा जाता है।
  • चंदन का तेल भी निकाला जाता है। हम यहां बता दें कि एक मीट्रिक टन लकड़ी से लगभग 47 से 50 किलोग्राम तक चंदन का तेल मिल जाता है। प्रतिवर्ष लगभग 3000 मीट्रिक टन तेल निकाला जाता है।
  • चंदन का उपयोग परफ्यूम, बॉडी स्प्रे और टैलकॉम पाउडर जैसे सौंदर्य प्रसाधनों को बनाने के लिए किया जाता है। हम यहां बता दें कि चंदन का तेल और परफ्यूम अरोमा थेरेपी में भी उपयोग में लाए जाते हैं। 
  • चंदन से नहाने का साबुन बनाया जाता है जो दक्षिण भारत में महिलाओं और पुरुषों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। 
  • चंदन की लकड़ी का बुरादा भी बनाया जाता है। 
  • चंदन के पाउडर को दूध के साथ मिलाकर पीया जा सकता है।
  • चंदन का फेसपैक बनाकर त्वचा पर लगाया जा सकता है। इससे त्वचा में चमक आ जाएगी। 
  • चंदन का पेस्ट अथवा चंदन के तेल पानी में मिलाकर नहाया जा सकता है। इससे शरीर की बदबू खत्म हो जाएगी और त्वचा सुगंधित हो उठेगी। यह ठीक उसी प्रकार है जैसे गुलाब जल पानी में मिलाकर नहाना। गुलाब जल पर विस्तार से जानकारी के लिए हमारा पिछला आर्टिकल “गुलाब जल के फायदे पढ़ें”। 

चंदन के फायदे – Benefits of Sandalwood

दोस्तो, अब बताते हैं आपको चंदन के फायदे जो निम्न प्रकार हैं –

1. मानसिक स्वास्थ ठीक रखे (Keep Mental Health Good)- मस्तिक पर तिलक लगाने के बहुत फायदे होते हैं। इससे मानसिक स्वास्थ ठीक रहता है। चंदन की प्रकृति शीतलता प्रदान करने की होती है। इसलिये यह उग्र भाव को हर कर शीतलता प्रदान करता है। तनाव को दूर करके तन मन को शान्त करता है। नींद संबंधी विकार और चिंता को दूर करता है। अलजाइमर के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है। ज्योतिष की मानें तो यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मकता लाता है और ग्रहों को शांत करता है। ज्योतिष कुछ भी कहे मगर इतना तय है कि माथे पर चंदन लगाने से मानसिक स्वास्थ पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

2. सिर दर्द को दूर करे (Eliminate Headaches)- कई बार तेज धूप के कारण या तनाव के कारण अथवा काम के बोझ के कारण सिर में दर्द हो जाया करता है जोकि स्वाभाविक है। ऐसे में चंदन को पानी के साथ पत्थर पर घिसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को माथे पर लगाएं। थोड़ी देर बाद सिर में दर्द कम होने लगेगा। अन्ततः खत्म भी हो जाएगा। चंदन में उपस्थित एंटीएनलजेसिक गुण सिर दर्द को दूर करने का काम करते हैं।

3. जोड़ों का दर्द दूर करे (Relieve Joint Pain)- वृद्धावस्था में अक्सर जोड़ों में दर्द रहने लगता है अर्थराइटिस के अतिरिक्त यह वृद्धावस्था का प्रभाव भी हो सकता है। जोड़ों के दर्द से बुजुर्ग लोग बहुत परेशान रहते हैं। इस समस्या से राहत पाने के लिए जोड़ों पर चंदन का तेल हल्का गर्म करके मालिश करें, अथवा चंदन को पानी में घिसकर इसका पेस्ट जोड़ों पर लगा लें। इससे जोड़ों के दर्द से राहत मिलेगी। इस काम में चंदन में मौजूद एंटीएनलजेसिक गुण काम करते हैं। 

4. सूजन को दूर करे (Relieves Inflammation)– कई बार गिरने-पड़ने से गुम चोट लग जाती है और शरीर पर उस भाग में सूजन हो जाती है। अथवा वृद्धावस्था में जोड़ों में दर्द के साथ सूजन रहने लगती है या किसी मेडिकल स्थिति की वजह से सूजन आई हुई है तो चंदन का तेल हल्का गर्म करके मालिश करें या चंदन का पेस्ट बनाकर प्रभावित स्थान पर लगाएं। इससे सूजन कम होती चली जाएगी। चंदन में उपस्थित एंटीइंफ्लामेटरी गुण सूजन कम करने का काम करते हैं।

5. घाव जल्दी भरे (Wounds Heal Quickly)- गिरने-पड़ने के कारण हल्की-फुल्की चोट लगती रहती हैं या त्वचा में कट लग जाता है या घाव हो जाता है। ऐसा अधिकतर छोटे बच्चों को खेलते-कूदते समय होता है या साइकिल चलाते समय साइकिल से गिर जाने से होता है। ऐसे में चंदन का पेस्ट बनाकर घाव पर लगाएं। इससे घाव जल्दी भरने में मदद मिलेगी। दरअसल चंदन में एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते हैं जो घाव जल्दी भरने का काम करते हैं। इसके अतिरिक्त घाव में दर्द और जलन में भी आराम मिलेगा। 

6. एसिडिटी से राहत दिलाए (Provides Relief from Acidity)- कई बार बाहर का खाने से पेट खराब हो जाता है या बहुत ज्यादा खा लिया तो एसिडिटी होने से तबियत खराब हो जाती है। एसिडिटी बहुत तंग करती है। इससे सिर में दर्द हो जाता है। कई बार यह दर्द कलेजे पर चढ़ जाता है जिससे सीने में जलन होने लगती है। इस स्थिति से राहत पाने के लिए शिरीष, हल्दी और चंदन का पेस्ट बनाकर हृदय पर लगाएं। इससे थोड़ी देर बाद आराम आना शुरु हो जाएगा और जलन भी खत्म हो जाएगी।

7. अत्यधिक प्यास से राहत दिलाए (Provides Relief from Excessive Thirst)- गर्मी के मौसम में बार-बार प्यास लगती है जोकि स्वाभाविक है। परन्तु कुछ लोगों को कुछ ज्यादा ही प्यास लगती है और परेशान रहते हैं। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए नारियल पानी में दो से चार ग्राम चंदन का पाउडर मिलाकर पीएं। नारियल भी शीतल प्रकृति का होता है और चंदन का गुण भी शीतलता प्रदान करना है। इससे प्यास की बार-बार की इच्छा मर जाएगी। 

8. ल्यूकोरिया से राहत दिलाए (Provides Relief from Leucorrhoea)– महिलाओं में ल्यूकोरिया की समस्या बड़ी आम है। इस समस्या में योनि से बदबूदार, चिपचिपा सफेद पानी का रिसाव होता है। इसकी वजह से महिला का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। उसके सिर में, कमर में दर्द रहने लगता है और वह बहुत परेशान रहने लगती है।

ल्यूकोरिया को श्वेत प्रदर भी कहा जाता है। चंदन इस समस्या से राहत दिलाता है। इसके लिए चंदन का काढ़ा बनाकर 20-30 मिली मात्रा में पीएं या 2-4 ग्राम चंदन के पाउडर को दूध अथवा घी में पकाकर, इसमें शहद मिलाकर पीएं। आराम लग जाएगा।

9. सोरायसिस में फायदेमंद (Beneficial in Psoriasis)- चंदन के फायदे सोरायसिस जैसे त्वचा विकार में भी देखे जा सकते हैं। यह एक ऐसी मेडिकल स्थिति है जिसमें मरीज की त्वचा पर पपड़ीदार लाल धब्बे हो जाते हैं और इनमें खुजली लगती है। ये धब्बे खोपड़ी से लेकर शरीर के किसी भी भाग पर हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त त्वचा पर दाद, एक्जीमा या सामान्य खुजली की समस्या हो जाती है। त्वचा की इन सब समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए चंदन के तेल में नींबू का रस और कपूर मिलाकर प्रभावित त्वचा पर लगाएं।  आराम लग जाएगा। 

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10. अन्य त्वचा विकारों में फायदेमंद (Beneficial in other Skin Disorders)- बैक्टीरिया की वजह से, फंगल की वजह से या वायरस के कारण त्वचा विकार होना आम बात है। इनमें कील-मुंहासे, ब्लैक हैड्स, डार्क सर्किल, त्वचा का कालापन आदि मुख्य हैं। चन्दन में एंटीएंफ्लामेटरी, एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटीवायरस जैसे गुण होते हैं जो इस समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं। 

इसके लिए चंदन का फेसपैक बनाकर प्रभावित त्वचा पर लगाया जा सकता है। इससे त्वचा में जलन भी कम हो जाएगी। चंदन का फेसपैक बनाकर प्रभावित त्वचा पर लगाने से चेहरे की झुर्रियां, फाइनलाइंस भी खत्म हो जाएंगे। इससे आप अपनी वास्तविक आयु से कम नजर आएंगे। इसके लिये चंदन के एंटीएज़िंग गुण अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हैं।

चंदन के नुकसान –  Disadvantages of Sandalwood

चंदन के अधिक मात्रा में उपयोग में लाने से हो सकते हैं निम्नलिखित नुकसान –

  1. यदि किसी को एलर्जी है तो उसकी त्वचा पर रैशेज पड़ सकते हैं, त्वचा में खुजली हो सकती है या जलन हो सकती है। 
  2. पेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि पेट में दर्द, सीने में जलन, उल्टी, दस्त आदि।
  3. डिप्रेशन की समस्या हो सकती है। 
  4. यूरीमिया जैसी समस्याएं बन सकती है।
  5. गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को चंदन का उपयोग डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। 

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको चंदन के फायदे के बारे में विस्तार से जानकारी दी। चंदन क्या है, चंदन के प्रकार, चंदन का महत्व, चंदन का उत्पादन, चंदन की लकड़ी की कीमत, चंदन के गुण और चंदन के उपयोग, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से चंदन के बहुत सारे फायदे बताए और चंदन के कुछ नुकसान भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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चंदन के फायदे
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चंदन के फायदे
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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको चंदन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। चंदन क्या है, चंदन के प्रकार, चंदन का महत्व, चंदन का उत्पादन, चंदन की लकड़ी की कीमत, चंदन के गुण और चंदन के उपयोग, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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