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घड़े का पानी पीने के फायदे – Benefits of Drinking Pot Water in Hindi

घड़े का पानी पीने के फायदे

दोस्तो, घड़े का पानी पीने के फायदे अद्भुत हैं। मगर आज का टाइम ऐसा चल रहा है कि बोतलों से पानी पीया जा रहा है। क्या स्कूल जाने वाले बच्चे, क्या अपने काम पर जाने वाले पुरुष, महिलाएं, सभी के बैग में पानी से भरी बोतल जरूर होती है। ये बोतलें अधिकतर प्लास्टिक की या धातु की बनी होती हैं जिनकी अच्छे से सफाई नहीं की जा सकती। इन बोतलों में फ्रिज का पानी भरा होता है जो अक्सर बीमार करने के लिए काफी है। पुराने समय में गांवों और शहरों में घड़े का पानी पीया करते थे जो प्राकृतिक और वैज्ञानिक तरीके से पानी को ठंडा करता है और मिट्टी के गुण भी मिला देता है। 

इसीलिए पानी की वजह से पहले किसी का गला खराब नहीं होता था मगर आज फ्रिज का पानी गला खराब करता है, सर्दी जुकाम बनाता है और प्लास्टिक का हानिकारक रसायन बीमार करता है। तो, इसका विकल्प क्या है?। इसका विकल्प है घड़ा। इसके साथ एक वस्तु और जुड़ जाती है और वह है पानी भरने के लिए मिट्टी की बोतल। मिट्टी की बोतल की वही फायदे देती है जो घड़ा देता है। घड़े के पानी पीने के स्वास्थ के लिए क्या फायदे होते हैं?। यही है हमारा आज का टॉपिक “घड़े का पानी पीने के फायदे”।

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको घड़े  के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि घड़े का पानी पीने के क्या फायदे होते हैं। तो सबसे पहले जानते हैं घड़ा : एक परिचय। फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

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घड़ा एक परिचय – An Introduction to the Pitcher

घड़ा एक ऐसा बर्तन है जिसका उपयोग अधिकतर पानी भरने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसमें धान, अनाज आदि वस्तुएं भी भरकर रखी जाती हैं। घड़े को मटकी या मटका भी कहा जाता है। मटका का एक और अर्थ होता है सट्टा। यहां हमारा मतलब सट्टाबाजार से नहीं है बल्कि पानी भरने वाले पात्र से है तो हम इसे घड़ा कहकर ही संबोधित करेंगे। 

घड़ा दक्षिण एशिया के जीवन और सभ्यता का अभिन्न अंग रहा है। यह घड़ा हर गांव और शहर में, अमीर और गरीब से गरीब के घर में मिल जाएगा। हालांकि अमीर और मध्यम वर्ग के घरों में अब घड़े का स्थान फ्रिज ने ले लिया है। घड़ा मिट्टी से बनाया जाता है। भारत में घड़ा बनाने वाले वर्ग को कुम्भकार (कुम्हार) कहा जाता है जिनको भगवान ब्रह्मा जी, जो प्रजा के पालक हैं, के बराबर का दर्जा देकर “प्रजापति” कहा जाता है। 

दोस्तो, यह है भारत की संस्कृति की महानता। घड़ा बनाने के लिए दो प्रकार की मिट्टी का उपयोग किया जाता है। एक धरती की सतह वाली मिट्टी और दूसरी धरती को 10 फीट से ज्यादा खोदने पर प्राप्त होने वाली मिट्टी। दोनों मिट्टी को पानी के साथ अच्छी तरह मिलाकर बहुत बड़े पहिए के बीच में रखा जाता है। इस पहिए को चाक (चक्र) कहा जाता है जिसे एक लकड़ी की सहायता से बहुत जोर से घुमाया जाता है फिर यह चाक अपने आप बहुत देर तक बहुत तेजी से घूमता रहता है। 

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घूमते हुए चाक के बीच में रखी मिट्टी को हाथ से घड़े का आकार दिया जाता है। फिर इस कच्चे घड़े को धूप में सुखाया जाता है और बाद में इसे 5 दिनों तक भट्टी में पकाया जाता है। फिर इसको फाइनल टच दिया जाता है। आज के आधुनिक समय में चाक लोहे के छोटे पहिए में सिमट कर रह गया है जिसके नीचे मोटर लगी रहती है जिसकी सहायता से यह चाक घूमता है।

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भारतीय संस्कृति में घड़े का महत्व – Importance of Pitcher in Indian Culture

1. भारतीय संस्कृति में घड़े को शरीर का प्रतीक माना गया है और इसके अंदर पानी को आत्मा। जैसे मनुष्य की मृत्यु हो जाने पर आत्मा परमात्मा से मिल जाती है वैसे ही घड़े (शरीर) के टूटने पर पानी (आत्मा) पृथ्वी का एक तत्व पानी (परमात्मा) से मिल जाता है। 

2. मनुष्य के जन्म और मृत्यु पर भी घड़े का उपयोग किया जाता है। 

3. घड़े में रखे अनाज को वैभव का प्रतीक माना जाता है।

4. घड़े में रखी गई वस्तु को मनुष्य के संचित कर्मों यानि भाग्य के रूप में जाना जाता है।

5. घड़ा मनुष्य के कर्मों से संचित पाप, पुण्य को आंकने का पैमाना माना जाता है। तभी तो कहा जाता कि उसके पापों का घड़ा भर गया है। 

6. माना जाता है कि मिट्टी का छोटा घड़ा या सुराही में पानी भरकर घर की उत्तर दिशा में रखने से धन की कमी नहीं होती।

7. घड़े को कलश का प्रतीक माना जाता है। कलश पूर्णता का प्रतीक है और कलश का पानी वरुण देवता का रूप। इसलिए घर में कलश या घड़े की पूजा होती है। अक्षय तृतीया को घड़े को घर पर लाने से देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

पानी ठंडा करने की प्रक्रिया – Water Cooling Process

दोस्तो, घड़े द्वारा पानी को ठंडा करने की प्रक्रिया वैज्ञानिक है। मिट्टी के बने घड़े में हजारों की संख्या में सूक्ष्म छिद्र होते हैं जो केवल माइक्रोस्कोप द्वारा ही देखे जा सकते हैं। पानी का ठंडा होना वाष्पीकरण (Evaporation) की क्रिया पर आधारित है और इसी पर निर्भर करता है। पानी की जितना अधिक वाष्पीकरण होगा, उतना ही ज्यादा पानी भी ठंडा होगा। दरअसल, घड़े की सतह पर पानी का वाष्पीकरण होता है। 

चूंकि घड़े को ढक दिया जाता है तो पानी से बनी भाप को बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिलता इसलिए यह भाप घड़े के सूक्ष्म छिद्रों से जैसे-जैसे बाहर निकलती रहती है, अंदर घड़े का पानी वैसे-वैसे ठंडा होता रहता है। 

घड़े का पानी कुछ देर बाद ठंडा होना क्यों बंद हो जाता है? – Why Does the Water in a Pot Stop Getting Cold after Some Time?

दोस्तो, आपने देखा होगा कि घड़े का पानी कुछ देर बाद ठंडा होना बंद हो जाता है, ऐसा क्यों। इसका भी वैज्ञानिक आधार है। हमने ऊपर बताया है कि पानी का ठंडा होना वाष्पीकरण की क्रिया पर आधारित है। जब घड़े की सतह पर वाष्पीकरण द्वारा भाप घड़े के सूक्ष्म छिद्रों से बाहर निकलती रहती है तो पानी का तापमान कम होता रहता है और पानी ठंडा होता रहता है। 

इस क्रिया में एक समय ऐसा भी आता है जब घड़े की सतह पर वाष्पीकरण होना बंद हो जाता है तो भाप भी नहीं बनती। जब भाप नहीं बनती तो पानी का तापमान स्थिर हो जाता है यानि पानी का और अधिक ठंडा होना बंद हो जाता है। इसका अर्थ यह नहीं है कि घड़ा फिर कभी पानी ठंडा नहीं करेगा। जब घड़े में दुबारा पानी भरा जाएगा तब फिर से वाष्पीकरण की क्रिया आरम्भ हो जाएगी। 

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दोस्तो, अब बताते हैं आपको घड़े का पानी पीने के फायदे जो निम्नलिखित हैं :-

घड़े का पानी पीने के फायदे – Benefits of Drinking Pot Water

1. गला और पेट सुरक्षित रहे (Keep Your Throat and Stomach Safe)- घड़े का पानी पीने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि घड़े का पानी बेशक चाहे कितना भी ठंडा हो, इसके पीने से आपका गला और पेट सुरक्षित रहते हैं, ये खराब नहीं होंगे। जबकि फ्रिज का पानी पीने से आपका गला बैठ जाएगा और पेट भी खराब हो जाएगा। 

फ्रिज का ठंडा पानी पीने से गले की कोशिकाओं का तापमान अचानक से कम हो जाता है जिससे गले की ग्रंथियों मे सूजन भी आ जाती है। घड़े में भरा हुआ पानी क्षारीय प्रकृति का होता है जो पेट में एसिड के लेवल में संतुलन बनाए रखता है और पाचन तंत्र में मदद करता है। 

2. लू से रक्षा करे (Protect from Heat Wave)- घड़े के पानी का महत्वपूर्ण फायदा यह है कि गर्मी में आपको लू से बचाता है। आप गर्मी में कहीं बाहर से आ रहे हैं और आपने आते के साथ ही मुंह धोकर घड़े का पानी पी लिया तो आपको सर्दी, जुकाम नहीं होगा और ना ही आपको लू लगेगी। घड़े का ठंडा पानी शरीर के तापमान को नियंत्रित करते हुए शरीर को शीतलता प्रदान करता है और लू से बचाव करता है। 

यह चमत्कार इसके पानी में मौजूद विटामिन और खनिज के द्वारा होता है। इस पानी में कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, फास्फोरस जैसे खनिज उपस्थित होते हैं। ये खनिज शरीर में शुगर लेवल को कंट्रोल करते हुए शरीर को ठंडक पहुंचाते हैं। यदि गर्मी में कहीं बाहर जाना पड़े तो एक गिलास घड़े का पानी पीकर जाएं।

3. पीएच लेवल बैलेंस रहता है (Keeps the pH Level Balanced)- मिट्टी की प्रकृति क्षारीय होती है। क्षारीय गुण अम्लता के साथ प्रभावित होकर पानी के पीएच लेवल को उचित और संतुलित करता है। घड़े के पानी का पीएच घड़े की मिट्टी की क्षारीय प्रकृति पर निर्भर करता है। यदि घड़े के पानी का पीएच 7 या इससे ऊपर है तो यह स्वास्थवर्धक माना जाएगा। यदि 7 से कम है तो यह पानी हानिकारक हो सकता है। वैसे अधिकतर घड़ेq के पानी का पीएच 7 से ऊपर ही होता है।

4. पानी की गुणवत्ता बेहतर होती है (The Water Quality is Better)- आजकल यह ट्रेंड चल रहा है कि फ्रिज में प्लास्टिक की बोतलें पानी से भरी रहती हैं। इन्हीं बोतलों का पानी पीया जाता है। बाहर जाते समय भी फ्रिज से प्लास्टिक की बोतल निकली और चल दिए। प्लास्टिक की बोतलों में अशुद्धियां होती हैं क्योंकि इनको कोई साफ़ नहीं करता है जबकि घड़े में रोजाना पानी भरने से पहले उसे अच्छी तरह अंदर-बाहर से साफ़ किया जाता है। इसलिए घड़े के पानी की गुणवत्ता, फ्रिज के पानी से बेहतर होती है।

5. पानी को शुद्ध करे (Purify Water)- यह वैज्ञानिक सत्य है की मिट्टी में पानी को शुद्ध करने का गुण होता है। यह विषैले पदार्थों को सोखकर पानी को शुद्ध करती है। पानी को शुद्ध करने और हैल्दी बनाने का काम इसमें मौजूद खनिज करते हैं। फ्रिज में रखे पानी में यह शुद्धता नहीं मिलेगी। 

6. चयापचय को बेहतर करे (Improves Metabolism)- घड़े के पानी में एक यह भी विशेषता होती है कि यह चयापचय (Metabolism) की गति को बढ़ाकर इसे बेहतर बनाता है। प्लास्टिक की बोतल में बिस्फेनॉल जैसे जहरीले कैमिकल चयापचय को गतिमान नहीं बना सकते अपितु इसकी गतिशीलता को कम जरूर कर देंगे।  

7. ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करे (Control Blood Pressure)- घड़े के पानी की गुणवत्ता ऐसी है कि यह हाई ब्लड प्रेशर को कम करके ब्लड प्रेशर लेवल को कंट्रोल कर सामान्य बनाए रखता है। इसके अतिरिक्त यह खराब वाले कॉलेस्ट्रोल LDL को कम करता है जिससे हार्ट अटैक की संभावना कम हो जाती है।

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8. गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद (Beneficial for Pregnant Women)- घड़े का पानी गर्भवती महिलाओं के लिए उत्तम माना जाता है क्योंकि मिट्टी की सोंधी खुश्बू इनके मन को भाती है। इनका मन उद्विग्न (worried) होने पर एक गिलास घड़े का पानी पीने पर शांत हो जाता है। इसके अतिरिक्त इस पानी के पोषक तत्व भी गर्भवती महिला को मिल जाते हैं। इसीलिए डॉक्टर भी गर्भवती महिलाओं को घड़े का पानी पीने की सलाह देते हैं। 

9. प्लास्टिक के अवगुणों से बचाए (Save from the ill-effects of Plastic)– घड़े के गुणों को देखते हुए आजकल मिट्टी से बनी बोतलें भी चलन में आ चुकी हैं। कामकाजी महिला, पुरुष, विद्यार्थी इन मिट्टी की बोतलों में पानी भरकर ले जा सकते हैं। जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि प्लास्टिक की बोतलों में बिस्फेनॉल जैसे जहरीले कैमिकल होते हैं और ये अशुद्ध भी मानी जाती हैं तो इन अवगुणों से बचाने के लिये यह उत्तम विकल्प है कि घड़े का पानी इन मिट्टी की बोतलों में भरकर ले जाया सकता है। 

10. अन्य फायदे (Other Advantages)- घड़े का पानी पीने से निम्नलिखित फायदे भी होते हैं। 

  • निश्चित रूप से पानी की गुणवत्ता में सुधार होता है।
  • पानी में मिट्टी की प्राकृतिक मनभावन खुश्बू आती है जिससे मन शांत रहता है। 
  • प्लास्टिक से होने वाले नुकसान से बचाव होता है क्योंकि घड़ा बनाते समय इसमें किसी भी प्रकार के कैमिकल का उपयोग नहीं किया जाता।
  • घड़े के पानी में मौजूद खनिज प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करते हैं।
  • घड़े का खनिज युक्त शुद्ध पानी किडनी को स्वस्थ रखता है। 
  • घड़े का पानी पीने से टेस्टोस्टेरोन हार्मोन में वृद्धि होती है। 

घड़े के पानी के नुकसान – Disadvantages of Pot Water

1. दोस्तो, घड़े के पानी के तब तक कोई नुकसान नहीं हैं जब तक यह साफ़ होता रहता है। रोजाना पानी भरने से पहले घड़े को अंदर से साफ़ करना बेहद जरूरी है। सफाई ना होने पर घड़े के अंदर काई, फंगस पैदा हो जाते हैं जो पानी को दूषित करते हैं और दूषित पानी पीकर बीमार पड़ते हैं। 

2. अधिकतर किसान अपने खेतों पर जो घड़ा रखते हैं उसे जमीन के अंदर दबा कर रखते हैं। इससे पानी बहुत ठंडा रहता है परन्तु इसकी सफाई नहीं हो पाती। ऐसे घड़ों का पानी हानिकारक हो सकता है। इस आर्टिकल के लेखक ने ऐसे घड़े बहुत देखे हैं और पानी भी पीया है।

3. घड़े के साथ लापरवाही भी पानी को दूषित कर सकती है। कई बार ऐसा होता है कि किसी ने घड़े से पानी निकाला और उसे खुला छोड़ दिया, घड़े को ढका नहीं। ऐसी स्थिति में धूल, मिट्टी, तिनके आदि घड़े के अंदर जाकर पानी को दूषित कर सकते हैं।

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको घड़े के बारे में विस्तार से जानकारी दी। घड़ा : एक परिचय, भारतीय संस्कृति में घड़े का महत्व, पानी ठंडा करने की प्रक्रिया और घड़े का पानी कुछ देर बाद ठंडा होना क्यों बंद हो जाता है, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से घड़े का पानी पीने के बहुत सारे फायदे बताए और घड़े के पानी के कुछ नुकसान भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको घड़े के बारे में विस्तार से जानकारी दी। घड़ा : एक परिचय, भारतीय संस्कृति में घड़े का महत्व, पानी ठंडा करने की प्रक्रिया और घड़े का पानी कुछ देर बाद ठंडा होना क्यों बंद हो जाता है, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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