स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, जब शरीर में किसी वायरस का आक्रमण होता है तब प्रतिरक्षा प्रणाली इसके विरुद्ध लड़कर शरीर की रक्षा करती है। वायरस से होने वाली बीमारियों के बाद वायरस का वजूद ही खत्म हो जाता है। परन्तु एक वायरस ऐसा है जो एक बार यदि शरीर में प्रवेश कर गया तो यह वहीं का होके रह जाता है। इसका वजूद कभी खत्म नहीं होता। हम बात कर रहे हैं एचआईवी यानि ह्युमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस की। यह एक ऐसा अनोखा वायरस है जो किसी व्यक्ति की डीएनए एनेटोलिटिक्स में प्रवेश करने के बाद उस व्यक्ति के साथ एक गहरा संबंध बना लेता है, फिर इस पर ना कोई वैक्सीन असर करती है और ना ही कोई दवा। यह अंदर ही अंदर प्रतिरक्षा प्रणाली को खाता रहता है यानि इसे कमजोर करता रहता है। यदि इसकी रोकथाम ना की जाए तो व्यक्ति एड्स का शिकार हो जाता है। आखिर ये एचआईवी है क्या? दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “एचआईवी क्या है?”।
देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको एचआईवी के बारे में विस्तार से जानकारी देगा यह भी बताएगा कि एचआईवी का उपचार क्या है और इससे बचाव क्या है। तो, सबसे पहले जानते हैं कि एचआईवी क्या है और एचआईवी के प्रकार। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।
एचआईवी क्या है? – What is HIV?
एचआईवी यानि ह्युमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (Human Immunodeficiency Virus – HIV) एक ऐसा वायरस है जो शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाओं पर आक्रमण कर इनको नष्ट करता रहता है। प्रतिरक्षा प्रणाली की ये कोशिकाएं एक प्रकार की सफेद रक्त कोशिकाएं होती है जिनको सीडी4 (CD4) सेल्स कहते हैं। परिणाम स्वरूप प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती चली जाती है। यदि शुरुआत में ही इसे दवाओं से नियंत्रित ना किया जाये तो यह वायरस लाखों की संख्या में अपना क्लोन बना लेता है।
एक किस्म से वायरस की फैक्ट्री बना लेता है। सीडी4 (CD4) सेल्स के लगातार नष्ट होते रहने से प्रतिरक्षा प्रणाली इतनी कमजोर हो जाती है की मामूली सी बीमारी से भी लड़ नहीं पाती और नतीजा अक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स)(Acquired Immunodeficiency Syndrome) (AIDS) के रूप में सामने आता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो एचआईवी एक ऐसा वायरस है जो एड्स का कारण है। दूसरी बात यह कि एचआईवी यौन संचारित रोग (Sexually Transmitted Diseases) की श्रेणी में भी आता है। एचआईवी, लेंटिवायरस (रेट्रोवायरस परिवार का एक सदस्य) है।
एचआईवी के प्रकार – Types of HIV
दोस्तो, एचआईवी के कई प्रकार होते हैं। इनको दो मुख्य भागों में वर्गीकृत किया जाता है। विवरण निम्न प्रकार है –
1. एचआईवी-1 (HIV-1) – यह सबसे आम प्रकार का सर्वाधिक रोगजनक प्रकार है जो पूरे विश्व में पाया जाता है। इसे (ग्रुप एम) और दो या दो से अधिक साधारण ग्रुप्स में रखा गया है। प्रत्येक ग्रुप मानव जाति में एचआइवी के स्वतंत्र प्रसार (एक ग्रुप के भीतर उपप्रकार को छोड़कर) का प्रतिनिधित्व करता है –
(i) ग्रुप एम – यह एचआईवी-1 के पुनःसंयोजन (Recombination) का विकसित रूप है।
(ii) ग्रुप एन – इस ग्रुप की खोज सन् 1998 में हुई तथा यह केवल कैमरून में ही पाया गया है। सन् 2006 तक इस ग्रुप के केवल 10 संक्रमण पाए गए थे।
(iii) ग्रुप ओ – यह कैमरून में पाए जाने वाला सबसे आम है और इस ग्रुप को पश्चिम – मध्य अफ्रीका के बाहर नहीं देखा गया है। इस ग्रुप के वायरस, एचआईवी -1 जांच की प्रारंभिक प्रक्रिया में चिन्हित नहीं किए जा सकते थे। यद्यपि, अधिक विकसित एचआईवी परीक्षण के जरिए अब ओ और एन दोनों ग्रुप के वायरस का पता लगाया जाना संभव है।
(v) ग्रुप पी – सन् 2004 में यह वायरस केवल फ्रांस में रहनेवाली कैमरूनी महिला में पाया गया था। 2009 में एक नये तरह का एचआईवी पाया गया जो जंगली गोरिलों में पाए गए एचआइवी वायरस के समान था परन्तु चिंपांजियों में पाए जाने वाले एचआइवी से अलग था।
2. एचआईवी-2 (HIV-2)- एचआईवी-2 के छः उप-प्रकार होते हैं जिनमें से ए और बी को महामारी माना गया है। छः उप-प्रकार का वायरस एक-एक व्यक्तियों में पाया जा चुका है। ग्रुप ए के मामले पश्चिम अफ्रीका, अंगोला, मोजाम्बिक, ब्राजील, भारत और बहुत मामूली रूप से यूरोप तथा अमेरिका में भी पाए गए हैं जबकि ग्रुप बी मुख्य रूप से पश्चिम अफ्रीका तक ही सीमित रहा है। एचआईवी-2 पहली बार सन् 1987 में संयुक्त राज्य अमेरिका पाया गया था।
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एचआईवी का इतिहास – History of HIV
1. यदि एचआईवी के इतिहास पर नज़र डालें तो पता चलता है कि अध्ययनों के अनुसार 18वीं सदी के अंत में यह वायरस चिंपांजी से मनुष्यों में आया और इसका स्थान था मध्य अफ्रीका। माना जाता है कि जब मनुष्यों ने खाने के लिए चिंपांजी का शिकार किया होगा तो उस समय वह संक्रमित चिंपांजी के खून के संपर्क में आ गए होंगे, जिससे यह वायरस मनुष्यों के शरीर में पहुंच गया।
2. इसके बाद कई दशकों तक एचआईवी धीरे-धीरे अफ्रीका के कई हिस्सों में फैल गया, फिर पूरी दुनिया में फैल गया।
3. चिंपांजी में इसी प्रजाति का जो वायरस पाया जाता है, उसे सिमियन इम्युनोडेफिसिएंसी वायरस (SIV) कहा जाता है।
3. एचआईवी 1970 के दशक के अंतिम दिनों से अमेरिका में मौजूद है।
4. 1986 में, पहली बार भारत में एचआईवी के मामले चेन्नई की यौनकर्मी महिलाओं (Female Sex Workers) में नज़र में आए।
5. आंकड़े बताते हैं कि आज की भारत में 51 लाख से अधिक व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित हैं।
एचआईवी फैलने का आधार – Source of HIV
दोस्तो, शरीर के निम्नलिखित पांच तरल पदार्थ होते हैं जो एचआईवी फैलने का आधार बनते हैं –
1. वीर्य
2. योनि तरल पदार्थ
3. रक्त (मासिक सहित)
4. मलाशय (Rectal) तरल पदार्थ
5. स्तनों का दूध
एचआईवी कैसे फैलता है? – How does HIV Spread?
एचआईवी निम्न प्रकार से फैलता है –
1. असुरक्षित संभोग करने से।
2. संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित संभोग करने से।
3. असुरक्षित गुदा (Anal) सेक्स।
4. गे सेक्स
5. ग्रुप सेक्स
6. ड्रग्स के लिये उपयोग में लाए जाने वाले पदार्थ जैसे, सुई, सिरिंज, पानी व अन्य उपकरण
7. संक्रमित महिला से उसके बच्चे को जन्म या स्तनपान के माध्यम से।
8. संक्रमित व्यक्ति के कट, चोट, घाव आदि से त्वचा के संपर्क में आने से। नाई द्वारा हजामत के लिये एक ही उस्तरे के उपयोग से।
9. बीमारी में इंजेक्शन लगवाने के लिये उपयोग में लाई गई एक ही सुई के जरिए।
10. संक्रमित व्यक्ति का खून किसी अन्य व्यक्ति को चढ़ाये जाने से।
एचआईवी किस से नहीं फैलता है? – What does HIV not Spread Through?
1. चुंबन से
2. छूने या गले लगाने से
3. पारस्परिक हस्त मैथुन से।
4. गुदा या योनि में उंगली डालने से।
5. लार, पसीना तथा मूत्र से।
एचआईवी के आरंभिक लक्षण – Early Symptoms of HIV
किसी व्यक्ति के एचआईवी से संक्रमित होने के दो से चार सप्ताह के अंदर आरंभ में फ्लू जैसे लक्षण प्रकट हो सकते हैं जो निम्न प्रकार हैं –
1. बुखार
2. गले में खराश
3. सिर में दर्द
4. ग्रंथियों में सूजन
5. मांसपेशी में दर्द/अकड़न
6. रात को अधिक पसीना आना
7. बहुत ज्यादा थकावट होना
8. त्वचा पर रैशेज़ पड़ जाना
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एचआईवी के क्रोनिक लक्षण – Chronic Symptoms of HIV
जब यह वायरस प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाओं को क्षति पहुंचाना जारी रखता है और कई गुणा नष्ट कर देता है तब निम्नलिखित क्रोनिक लक्षण विकसित हो सकते हैं –
1. बुखार
2. निमोनिया
3. लिम्फ़ नोड्स में सूजन
4. अत्याधिक थकावट
5. वजन धीरे-धीरे कम होना
6. दस्त लगना
7. दाद (herpes zoster)
8. मौखिक खमीर संक्रमण (थ्रश) (Oral yeast infection (thrush)
एचआईवी के चरण – Stages of HIV
दोस्तो, एचआईवी को निम्नलिखित तीन चरणों में विभाजित किया जा सकता है –
1. पहला चरण (एक्यूट इंफेक्शन) – यह एचआईवी का आरम्भिक चरण होता है। संक्रमित होने के दो या चार सप्ताह में फ्लू जैसे लक्षण प्रकट होते हैं। लक्षण हम ऊपर बता चुके हैं। इसी आरम्भिक चरण में उचित इलाज मिल जाना चाहिये ताकि इसकी विकास की गति को बाधित कर इसे तीसरे चरण तक पहुंचने से रोका जा सके। यदि किसी को फ्लू जैसे लक्षण महसूस हो रहे हैं तो उसे एचआईवी का टेस्ट करवा लेना चाहिए।
2. दूसरा चरण (क्रोनिक इंफेक्शन) – इस चरण में एचआईवी इतना सक्रिय होता है कि यह वायरस शरीर में अपना क्लोन बनाने लगता है जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाएं कई गुणा की संख्या में नष्ट होने लगती हैं। इसके लक्षण भी हम ऊपर बता चुके हैं। इस दूसरे चरण को एसिम्टमैटिक एचआईवी इंफेक्शन या क्लिनिकल लेटेंसी भी कहा जाता है। उचित इलाज ना मिलने की स्थिति में एचआईवी बहुत तेजी से विकसित होता है और यह एक दशक या इससे भी अधिक समय तक शरीर में रह सकता है।
3. तीसरा चरण (एड्स) – एचआईवी जब तेज गति से विकसित होते हुए तीसरे चरण में पहुंचता है तो इस स्थिति को एचआईवी पोजिटिव (HIV+ive) कहा जाता है जो अक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) (Acquired Immunodeficiency Syndrome – AIDS) के नाम से जाना जाता है। यह एक गंभीर, सबसे खतरनाक और जानलेवा बीमारी है। यदि दवाओं के जरिए इसका प्रबंधन ना किया जाये तो मरीज बहुत कम समय लगभग तीन वर्ष तक जीवित रह पाता है।
एचआईवी परीक्षण – HIV Test
एचआईवी जांच के लिए निम्नलिखित टेस्ट करवाए जा सकते हैं –
1. एंटीबॉडी टेस्ट (Antibody Tests) – इसमें ब्लड सेंपल के जरिये या मुंह लार का सेंपल लेकर एचआईवी की जांच की जाती है। एंटीबॉडी रोग से लड़ने वाले ऐसे प्रोटीन होते हैं, जिनका निर्माण शरीर संक्रमण के विरुद्ध लड़ने के लिए करता है।
2. एंटीबॉडी और एंटीजेन टेस्ट (Antibody and Antigen Tests)- इसे संयोजित टेस्ट भी कहा जाता हे। ब्लड सेंपल लेकर ब्लड में एचआईवी (एंटीबॉडी/एंटीजेन) का पता लगाया जाता है।
3. न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (Nucleic Acid Tests) – यह बहुत महंगा है। यह टेस्ट नियमित रूप से नहीं किया जाता। किसी व्यक्ति के संक्रमित होने पर 7 से 28 दिन में यह एचआईवी परीक्षण के लिए यह टेस्ट उपयुक्त होता है। यह टेस्ट भी ब्लड सेंपल के जरिये किया जाता है।
एचआईवी टेस्ट के परिणाम – HIV Test Results
एचआईवी टेस्ट के परिणाम नेगेटिव या पॉजिटिव आता है इसका अर्थ निम्न प्रकार है –
1. नेगेटिव परिणाम (Negative Result)- नेगेटिव परिणाम आने का अर्थ होता है कि व्यक्ति एचआईवी संक्रमित नहीं हैं। परन्तु इसका तात्पर्य यह भी नहीं है कि अमुक व्यक्ति को एचआईवी नहीं हो सकता।
क्योंकि एक समयावधि होती है जो हर व्यक्ति और एचआईवी के प्रकार के अनुसार अलग-अलग होती है। इसे ‘विंडो पीरियड’ कहा जाता है। नेगेटिव परिणाम आने पर विंडो पीरियड के बाद एक फिर से एचआईवी टेस्ट करवाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि व्यक्ति एचआईवी संक्रमित नहीं है।
2. पॉजिटिव परिणाम (Positive Result)- यदि पॉजिटिव परिणाम आता है तो एचआईवी की उपस्थिति की पुष्टि करने के लिए कई और टेस्ट किए जाते हैं। यदि उन टेस्ट के भी परिणाम एक के बाद पॉजिटिव आते हैं तो यह मान लिया जाता है कि व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित है और तुंरत उसका उपचार शुरू करना बहुत जरूरी हो जाता है।
एचआईवी परीक्षण कहां होता है? – Where is the HIV Test Done?
एचआईवी परीक्षण निम्नलिखित स्थानों पर किया जाता है –
1. सभी सरकारी अस्पताल और हैल्थ क्लीनिक्स।
2. यौन स्वास्थ्य क्लीनिक्स, जिनको जेनिटोयुरनेरी मेडिसिन (GUM) क्लीनिक्स भी कहा जाता है।
3. टेरेंस हिगिंस ट्रस्ट द्वारा चलाए जाने वाले क्लीनिक्स।
4. कुछ गर्भनिरोधक और युवा लोगों के क्लीनिक्स।
5. कुछ चिकित्सक सर्जरीज़।
6. स्थानीय दवाओं की एजेंसियां।
7. एक प्रसवपूर्व क्लिनिक (गर्भवती महिलाओं) के लिए।
8. प्राइवेट क्लीनिक्स (भुगतान करना होगा)।
9. घर पर – टेस्ट किट के द्वारा। इस किट से केवल 20 मिनट में उन्हें परिणाम मिल जाता है।
एचआईवी की वैक्सीन – HIV Vaccine
दोस्तो, एचआईवी की रोकथाम के लिये आज तक कोई वैक्सीन नहीं बन पाई। इसका कारण यह है कि यह वायरस किसी व्यक्ति की डीएनए एनेटोलिटिक्स में प्रवेश करने के बाद उस व्यक्ति के साथ एक गहरा संबंध बना लेता है जिसके लिए कोई दवा या वैक्सीन काम कर पाने में सक्षम नहीं हो पाती।
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एचआईवी का उपचार – HIV Treatment
दोस्तो, जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि एचआईवी की रोकथाम के लिये आज तक कोई वैक्सीन नहीं बन पाई, तो इसके उपचार के लिये कोई समुचित दवा भी नहीं है। परन्तु इस वायरस को प्रबंधित करने के लिए कुछ दवाएं दी जाती हैं।
ये दवाएं एंटीरेट्रोवाइरल उपचार या एआरटी के रूप में जानी जाती हैं इसे प्रबंधित करने में मदद करती हैं। यद्यपि ये वायरस को तो खत्म नहीं कर सकतीं पर एचआईवी को एड्स में परिवर्तित होने से रोकने का काम करती हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाए रखने और जीवन को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती हैं।
एचआईवी से बचाव के उपाय – Ways to Prevent HIV
दोस्तो, जैसा कि हमने ऊपर बताया कि एचआईवी के उपचार के लिए ना तो कोई वैक्सीन है और ना ही कोई दवा। ऐसी स्थिति में केवल एक विकल्प बचता है और वह है इससे बचाव। तो, हम बता रहे हैं कुछ निम्नलिखित उपाय जिनको अपना कर एचआईवी के संक्रमण से बचाव किया जा सकता है –
1. यौन संबंध सुरक्षित बनाएं अर्थात् सेक्स के लिए हमेशा कंडोम का उपयोग करें।
2. गुदा मैथुन (Anal sex) को अवॉइड करें।
3. ओरल सेक्स को अवॉइड करें।
4. ग्रुप सेक्स को अवॉइड करें।
5. ड्रग्स को अवॉइड करें।
6. दवाओं, हार्मोन या टैटू के लिए सुनिश्चित करें कि सुई जीवाणुरहित (स्टरलाइज़्ड ) हो।
7. यदि आप एचआईवी संक्रमण के उच्च जोखिम में हैं, तो डॉक्टर से प्री-एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस (पीआरईपी) के बारे में सलाह लें।
8. महिलाएं बच्चा प्लान करने से पहले यानि गर्भधारण से पहले अपना चैकअप कराएं। यदि नहीं करा पाई हैं तो गर्भधारण के बाद चैकअप कराएं।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको एचआईवी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। एचआईवी क्या है?, एचआईवी के प्रकार, एचआईवी का इतिहास, एचआईवी फैलने का आधार, एचआईवी कैसे फैलता है?, एचआईवी किस से नहीं फैलता है?, एचआईवी के आरंभिक लक्षण, एचआईवी के क्रोनिक लक्षण, एचआईवी के चरण, एचआईवी परीक्षण, एचआईवी टेस्ट के परिणाम, एचआईवी परीक्षण कहां होता है और एचआईवी की वैक्सीन, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से एचआईवी के उपचार के बारे में बताया और एचआईवी से बचाव के उपाय भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।
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