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मंकी पॉक्स क्या है? – What is Monkeypox in Hindi

मंकी पॉक्स क्या है?

दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, पूरी दुनियां ने कोविड-19 को झेला है, भारी संख्या में लोगों की मृत्यु भी हुई है और अभी भी दुनियां झेल रही है। इसके प्रकोप से उभर भी नहीं पाये थे कि हाल ही में एक और वायरस “मंकी पॉक्स” से ग्रसित कुछ मामले सामने आये जिससे दुनियां सन्न रह गई। इसके तेजी से बढ़ते हुऐ मामलों ने स्वास्थ विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है क्योंकि आज तक इस मंकी पॉक्स महामारी की कोई विशेष  वैक्सीन नहीं बनी है। इसके उपचार के लिये केवल चेचक के टीके को ही विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। आखिर यह मंकी पॉक्स है क्या, अचानक तेजी से कैसे फैल गया और इससे बचाव के क्या उपाय है? दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “मंकी पॉक्स क्या है?”। 

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको मंकी पॉक्स के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि इस महामारी से कैसे बचा जाये। तो, सबसे पहले जानते हैं कि मंकी पॉक्स क्या है, इसकी स्थितियां और इसके तेजी से फैलने के कारण। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।

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मंकी पॉक्स क्या है?
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मंकी पॉक्स क्या है? –  What is Monkeypox

मंकी पॉक्स एक दुर्लभ महामारी है जो मंकी पॉक्स नामक वायरस के संक्रमण की वजह से होती है और यह वायरस Poxviridae परिवार में ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से संबंध रखता है। पहली बार 1958 में इसकी पहचान प्रीबेन वॉन मैग्नस द्वारा की गई। इसे डेनमार्क के कोपेनहेगन की प्रयोगशाला में शोध के प्रायोजन से रखे गये बंदरों में पहचाना गया। यह पहचान, जानवरों के रूप में इस्तेमाल होने वाले केकड़े खाने वाले मकाक बंदरों (मैकाका फासीक्यूलिस) के एक रोगज़नक़ के रूप में थी। 

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ये चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप थे। इसलिए इसको ‘मंकी पॉक्स’ नाम दिया गया। यह बीमारी मंकी पॉक्स वायरस के कारण मनुष्यों के साथ-जानवरों में भी फैलता है। इसके लक्षण बहुत कुछ चेचक के समान होते हैं। बुखार आने के 1 से 3 दिन के अंदर मरीज के चेहरे पर दाने बनना शुरू हो जाते हैं जो बाद में शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैलने लगते हैं। यद्यपि यह संक्रमण 7 से 14 दिन तक रहता है परन्तु गंभीर मामलों में 21 दिन या अधिक दिन तक भी रह सकता है।

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मंकी पॉक्स की स्थितियां – Monkeypox Conditions

दोस्तो, यदि मंकी पॉक्स की स्थितियों की बात की जाये तो संक्षेप में इसके इतिहास पर नज़र डालनी होगी जो निम्न प्रकार है। 

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1. 1958 – हम ऊपर बता चुके हैँ कि पहली बार सन् 1958 में मंकी पॉक्स की पहचान बंदरों में की गई थी।

2. 1970 – मनुष्यों में मंकी पॉक्स की पहचान सबसे पहले 1970 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में की गई थी। कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य बुकेंडा में एक 9 महीने का बच्चा चेचक जैसी बीमारी  से पीड़ित था। यद्यपि इसका वर्णन 1972 में मिलता है। 

3. 1970-1979- इस दर्मियान लगभग 50 मामले सायने आये जिनमें से दो तिहाई से जायरे के थे तथा अन्य लाइबेरिया, नाइजीरिया, आइवरी कोस्ट और सिएरा लियोन से। 

4. 1986 तक – 10 प्रतिशत की सीमा में मृत्यु दर के साथ 400 से ज्यादा मनुष्यों के मामले दर्ज किए गये। 

5. 2003 – अफ्रीका के बाहर का पहला मामला सन् 2003 में अमेरिका में देखने को मिला जहां संक्रमित प्रैरी कुत्तों के सम्पर्क में आने से संक्रमण फैला था। एक प्रकोप एक पालतू पशुओं की दुकान में सामने आया जहां घाना से आयात किए गए कृन्तकों को बेचा जाता था। 

6. 2017 – नाइजीरिया में सन् 2017 में ज्यादा संख्या में मंकी पॉक्स के मामले सामने आये थे जिनमें अधिकतर युवा पुरुष थे।

7. 2022 – 2022 से पहले तक, यह बीमारी केवल अफ्रीका के कुछ हिस्सों में ही पाई जाती थी परन्तु आज तक (29 मई 2022, आर्टिकल लिखने की तारीख तक) की स्थिति यह है कि संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, कनाडा, ऑस्ट्रिया, कैनरी द्वीप, इजराइल, स्विट्जरलैंड आदि 21 देशों में यह महामारी फैल चुकी है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने मंकी पॉक्स के 131 मामलों की पुष्टि की है और 106 संदिग्ध मामले बताये हैं। 

मंकी पॉक्स की भारत में स्थिति – Status of Monkeypox in India

यह एक अच्छी बात है कि अभी तक भारत में कहीं भी मंकी पॉक्स वायरस का कोई भी मामला सामने नहीं आया है। विशेषज्ञों मानना ​​है कि ‘भारत को डरने की जरुरत नहीं’ क्योंकि भारत में एक सकारात्मक माहौल है और भारत सरकार ने भी कुछ एडवाइजरी जारी की है जिसका जिक्र हम आगे करेंगे। डॉक्टरों और विशेषज्ञों के अनुसार मंकी पॉक्स वायरस चेचक वाले वायरस जैसा है, इसलिए चेचक का टीका लोगों को मंकी पॉक्स से बचाव कर सकता है। 

वायरस का घनत्व – Virus Density

यह वायरस कितना खतरनाक है, इस बारे में स्वास्थ विशेषज्ञों का मानना है कि मंकी पॉक्स गंभीर रोग नहीं है, इसका खतरा अधिक नहीं है। परन्तु इसके मामले कभी-कभी अधिक गंभीर होने की संभावना हो सकती है जिसमें मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है। आज की स्थिति के अनुसार, मंकी पॉक्स की बढ़ती रफ्तार और पश्चिम अफ्रीका में कुछ मौतों ने स्वास्थ विशेषज्ञों को चिंता में डाल रखा है क्योंकि इसकी कोई विशेष वैक्सीन नहीं है।

मंकी पॉक्स वायरस कैसे फैलता है? – How Does the Monkeypox Virus Spread?

दोस्तो, मंकी पॉक्स दो प्रकार से फैलता है – एक मानव से मानव में और दूसरा पशुओं से मानव में। विवरण निम्न प्रकार है –

1. मानव द्वारा मानव में (Human by Human)- मानव द्वारा मानव में मंकी पॉक्स वायरस निम्नलिखित प्रक्रिया द्वारा फैलता है –

(i) कोई भी वायरस अधिकतर संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से श्वसन तंत्र (Respiratory tract) द्वारा बहुत आसानी से फैलता है। मंकी पॉक्स वायरस के फैलने की भी यही थ्योरी है। 

(ii) संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से आंख, नाक और मुंह के जरिये भी वायरस स्वस्थ व्यक्ति शरीर में प्रवेश कर जाता है।

(iii) संक्रमित व्यक्ति को छूने अर्थात् उसकी त्वचा के छू जाने जैसे कि हाथ मिलाना, गले लगाना, चूमना आदि, से भी बहुत जल्दी वायरस फैलता है। 

(iv) संक्रमित व्यक्ति के निजी सामान का इस्तेमाल करने से जैसे, तौलिया, साबुन, कपड़े आदि।

(v) मंकी पॉक्स, यद्यपि सेक्सुअली फैलने वाली बीमारी नहीं है, फिर भी सेक्स के माध्यम से शरीर में वायरस के फैलने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। 

2. पशुओं द्वारा (Animals)- पशुओं द्वारा मानव में वायरस निम्नलिखित प्रक्रिया द्वारा फैल सकता है –

(i) संक्रमित पशु का मांस खा लेने से।

(ii) संक्रमित पालतू या गैर पालतू पशु द्वारा काटने पर या उसके द्वारा खरोंच लग जाने पर। 

(iii) पशुओं के शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ के सम्पर्क में आने या छू जाने से। 

(iv) संक्रमित पालतू पशु के खाना खाने, पानी पीने या उसके उपयोग में आने वाले अन्य सामान के सम्पर्क में आने या छू जाने से भी वायरस फैलने की संभावना रहती है।

(v) पशुओं, विशेषकर पालतू पशु, के लिये भी समान स्थिति है अर्थात् संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से वे संक्रमित हो सकते हैं। 

मंकी पॉक्स के तेजी से फैलने के कारण – Reasons for the Rapid Spread of Monkeypox

मंकी पॉक्स के बहुत तेज गति से फैलने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –

1. अनुमान लगाया जा रहा है कि मंकी पॉक्स वायरस यू.एस. की लैब से लीक हुआ है जो तेज गति से फैला, ठीक उसी प्रकार जैसे कोविड-19 वायरस चीन की लैब से लीक हुआ था। ऐसा कुछ विशेषज्ञ मानते हैं। 

2. समुचित जानकारी के अभाव में समय रहते बचाव ना कर पाना।

3. कोरोना गाइडलाइन के हटने के बाद बड़ी संख्या में लोगों का अफ्रीका और अन्य देशों में यात्रा करना।  

4. चेचक के टीकाकरण का बंद होने को, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में यूसीएलए में महामारी विज्ञान की प्रोफेसर ऐनी रिमोइन, इसके फैलने का मुख्य कारण मानती हैं।   

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मंकी पॉक्स के लक्षण – Symptoms of Monkeypox

दोस्तो, मंकी पॉक्स के लक्षणों की अवधि सामान्य तौर पर दो से चार सप्ताह की होती है, परन्तु बच्चों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में इसके लक्षण गंभीर हो सकते हैं। मंकी पॉक्स के निम्नलिखित लक्षण प्रकट होते हैं जो चेचक के लक्षणों के समान ही दिखाई देते हैं –

1. पहले बुखार आता है।

2.  बुखार आने के 1 से 3 दिन के अंदर चेहरे पर दाने उभरने शुरू हो जाते हैं जो बाद में शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैलने लगते हैं। ये दाने फफोलों के समान बड़े हो जाते हैं और पपड़ी बनाते हैं। 

3. दानों में खुजली लगना

4. सिर में दर्द रहता है। 

5. मांसपेशियों में दर्द रहता है। 

6. पीठ में दर्द।

7. सूजी हुई लिम्फ नोड्स।

8. थकावट रहना। 

9. कमजोरी महसूस करना।

10. ठंड लगना।

मंकी पॉक्स वायरस का टेस्ट – Monkeypox Virus Test 

मंकी पॉक्स वायरस का टेस्ट के विषय में शोधकर्ताओं की शोध जारी है ताकि इसकी टेस्टिंग के द्वारा आसानी से पता लगाया जा सके और सटीक इलाज भी हो सके। इस सिलसिले में लैंसट जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार इस वायरस का पता ब्लड और गले के स्वैब टेस्ट के माध्यम से लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त  अध्ययन यह भी दावा करता है कि मंकी पॉक्स वायरस के उपचार में कुछ एंटीवायरल दवाएं काम कर सकती हैं।

मंकी पॉक्स का उपचार – Treatment of Monkeypox

1. दोस्तो, मंकी पॉक्स के इलाज के लिये कोई विशेष वैक्सीन अभी नहीं बनी है यूनाइटेड स्टेट्स सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) भी यही बताता है कि मंकी पॉक्स का कोई विशेष उपचार उपलब्ध नहीं है, परन्तु दवाओं के जरिये इसे फैलने से रोका जा सकता है। 

2. चूंकि अधिकतर मामले गम्भीर नहीं होते, इसलिये वायरस से संक्रमित होने के संदेह वाले मरीजों को कमरे में अलग रखा जा सकता है और प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट का उपयोग करके हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स द्वारा उनकी देखरेख की जाती है। 

3. मंकी पॉक्स के उपचार में विकल्प के तौर पर चेचक के टीके का उपयोग किया जाता है जोकि संक्रमण को रोकने में 85 प्रतिशत तक प्रभावी होता है। 

4. डेनिश दवा कंपनी बवेरियन नॉर्डिक द्वारा बनाई गई वैक्सीन JYNNEOSTM उपलब्ध है जो बहु-राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति पा चुकी है। इस वैक्सीन को इम्वाम्यून या इम्वेनेक्स के नाम से भी जाना जाता है।

5. कुछ दवाऐं बाजार में उपलब्ध हैं जिनको पहले से ही मंकी पॉक्स में उपयोग के लिए स्वीकृति मिली हुई है। ये मंकी पॉक्स संक्रमण के विरुद्ध अत्यंत प्रभावशाली रही हैं। इनमें सिडोफोविर, एसटी-246 और वैक्सीनिया इम्युनोग्लोबुलिन जैसी दवाऐं शामिल हैं।

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मंकी पॉक्स से बचाव के उपाय – How to Prevent Monkeypox

दोस्तो, कोविड-19 से खतरनाक कोई वायरस नहीं है। कोविड-19 ने सिखा दिया है कि वायरस से कैसे बचा जा सकता है। यह हम, आप सब अच्छी तरह जानते हैं। बस, यही थ्योरी मंकी पॉक्स से बचाने में भी काम आयेगी। निम्नलिखित कुछ सावधानियां अपनाइये और मंकी पॉक्स से बचाव कीजिये –

1. मांस खरीदते समय सावधान रहें (Be Careful when Buying Meat)- यदि मंकी पॉक्स के मामले सामने आते हैं तो, मांसाहारी व्यक्ति मंकी पॉक्स वायरस के खत्म होने तक मांसाहारी को अवॉइड करें। यदि नहीं कर सकते तो मांस खरीदने से पहले सुनिश्चित करे कि वह संक्रमित पशु का मांस नहीं है।

2. दूरी बना लें (Keep Distance)- चूंकि यह वायरस संक्रमित पशु और मानव के माध्यम से फैलता है इसलिये उनके उपयोग में आने वाली वस्तुओं के सम्पर्क में आने से बचें। इनसे दूरी बना लें। 

3. संक्रमित मरीजों को अलग रखें (Isolate Infected Patients)– चूंकि यह वायरस संक्रमित पशु और मानव के माध्यम से तुरन्त फैलता है, इसलिये यह बेहद जरूरी है कि संक्रमित मरीजों अन्य मरीजों से एकदम अलग रखा जाये। घर में या आसपास कोई संक्रमित व्यक्ति है तो उसे अलग कमरे में रखा जाये।  केवल एक व्यक्ति के अतिरिक्त कोई अन्य सदस्य उससे सम्पर्क ना करे। 

4. पीपीई का इस्तेमाल करें (Use PPE)- संक्रमित मरीज की देखभाल करने वाले व्यक्ति को बहुत अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। वह मरीज की देखभाल करते समय व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (Personal Protective Equipment – PPE) का उपयोग करे। 

5  साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें (Take Special Care of Cleanliness)- संक्रमित व्यक्ति या पशु के सम्पर्क में आने के बाद या उनकी देखभाल करने के बाद अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह रगड़ कर धोयें या अल्कोहल बेस्ड हैंड सैनिटाइजर से हाथों को सैनिटाइज़ करें। याद रखें, अपनी सुरक्षा में औरों की भी सुरक्षा है। 

भारत सरकार के दिशा निर्देश – Government of India Guidelines

यद्यपि भारत में मंकी पॉक्स वायरस का अभी तक कोई मामला रिपोर्ट नहीं हुआ है, मगर भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने सभी राज्यों को सतर्क रहने का निर्देश जारी कर दिया है। इस निर्देश के आधार पर उत्तर प्रदेश, जम्मू, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, उडीसा, चण्डीगढ़ आदि राज्यों/केन्द्रिय शासित प्रदेशों के राज्य स्वास्थ विभाग ने एडवाइजरी भी जारी कर दी है। इन निर्देशों के अनुसार –

1. सभी एयरपोर्ट्स पर कड़ी निगरानी रखी जायेगी।

2. अधिकारियों को, अफ्रीकी देशों से आने वाले यात्रियों की पहचान करके, उनके टेस्ट के लिएसैंपल जमा करने को कहा गया है।

3. जिन्होंने मंकी पॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा पिछले 21 दिनों में की है, उन संदिग्ध मरीजों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी।  

4. इन सभी संदिग्ध मरीजों की सूचना स्थानीय जिला अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग को तुरन्त दी जायेगी। 

5. संदिग्ध मरीजों के ब्लड और थूक के सेंपल परीक्षण के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) पुणे को भेजे जाएंगे।

6. यदि रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो कांटेक्ट ट्रेसिंग शुरू की जाएगी।

7. पिछले 21 दिन में मरीज के सम्पर्क में आए व्यक्तियों  की तुरन्त पहचान करके उन्हें आइसोलेट करना होगा।

8. सभी मरीजों का इलाज करते समय सभी संक्रमण नियंत्रण उपायों का पालन किया जाना चाहिए।

9. सभी घाव भरने और त्वचा की एक नई परत बन जाने तक, मरीज आइसोलेशन समाप्त नहीं कर सकते हैं और तब तक उन्हें क्वारेंटाइन रहना चाहिए।

10. मुंबई के कस्तूरबा अस्पताल में 28 बेड्स का एक अलग वार्ड बनाया गया है।  

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको मंकी पॉक्स के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मंकी पॉक्स क्या है?, मंकी पॉक्स की स्थितियां, मंकी पॉक्स की भारत में स्थिति, वायरस का घनत्व (Density), मंकी पॉक्स वायरस कैसे फैलता है, मंकी पॉक्स के तेजी से फैलने के कारण, मंकी पॉक्स के लक्षण, मंकी पॉक्स वायरस का टेस्ट और मंकी पॉक्स का उपचार, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से मंकी पॉक्स वायरस से बचाव के कुछ उपाय बताये और मंकी पॉक्स पर भारत सरकार के दिशा निर्देश भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा। 

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको मंकी पॉक्स के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मंकी पॉक्स क्या है, मंकी पॉक्स की स्थितियां, मंकी पॉक्स की भारत में स्थिति, वायरस का घनत्व (Density), मंकी पॉक्स वायरस कैसे फैलता है, मंकी पॉक्स के तेजी से फैलने के कारण, मंकी पॉक्स के लक्षण, मंकी पॉक्स वायरस का टेस्ट और मंकी पॉक्स का उपचार, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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