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पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर क्या है? – What is Persistent Depression Disorder in Hindi

पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर क्या है

आजकल  AI app का दुरुपयोग करके, लड़कियों की डीप फेक वीडियो (Deep Daje Video) बनाकर वीडियो बनाकर internet पर अपलोड किए जा रहे हैं संबंधित और लड़कियों को भेजे जा रहे हैं। यह अपराध संबंधित लड़के लड़कियों के लिए अभिशाप बन रहा है, उनके और उनके परिवार के आत्मसम्मान को कुचल रहा है। इस अपराध के परिणाम स्वरूप ये पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर का शिकार हो रहे हैं। कई लड़के, लड़कियों ने स्कूल, कॉलिज जाना बंद कर दिया है तो किसी को नौकरी से निकाल दिया गया। उनका घर से बाहर निकलना दूभर हो गया और वे पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर का शिकार हो गए। पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर, डिप्रेशन का ही रूप है परन्तु इसकी गंभीरता कम होती है। यह पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर लंबे समय तक चलता है, दो वर्ष या इससे अधिक भी। यह डिसऑर्डर पूरे जीवन भर भी रह सकता है। इसे हिन्दी में “लगातार अवसादग्रस्तता विकार” कहा जाता है। आखिर यह पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर क्या है?। यही है हमारा आज का टॉपिक “पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर क्या है?”

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसका उपचार क्या है। तो, सबसे पहले जानते हैं कि पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर क्या है और इसके क्या कारण होते हैं। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर क्या है? – What is Persistent Depression Disorder?

पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर (Persistent Depressive Disorder – PDD) को खराब मूड के रूप में परिभाषित किया गया है जिसमें अवसाद (Depression) कम से कम दो अन्य लक्षणों के साथ, कम से कम दो वर्षों तक रह सकता है। इसे डिस्टीमिया (Dysthymia) भी कहा जाता है। इसमें सामान्य अवसाद की तुलना में अवसाद की गंभीरता कम होती है, परन्तु यह लंबे समय तक चलता है। दो वर्ष या इससे अधिक भी हो सकते हैं। पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर से ग्रस्त व्यक्ति को आत्मग्लानि होती है और उसकी दैनिक गतिविधियों में रुचि प्रायः समाप्त ही हो जाती है। वे जीवन में असफल और निराश महसूस करते हैं। 

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वे अपना आत्मसम्मान खोया हुआ महसूस करते हैं। किसी के द्वारा किया गया अपराध प्रभावित व्यक्ति को पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर में धकेल सकता है और अन्य स्थितियां भी इस डिसऑर्डर का कारण बनती हैं। जहां तक अपराध की बात है तो हम एक ताजा घठना आपको बताते हैं। स्पेन के छोटे से शहर Almendralejo के स्कूल की 28 लड़कियों के डीप फेक वीडियो (Deep Daje Video) बनाकर internet पर अपलोड कर दिए गए और इन लड़कियों को भी भेज दिये गए। परिणाम स्वरूप इन्होंने अपने सोशल मीडिया एकाउंट बंद कर दिए। इनका घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। इनको लगता है कि कोई इनको देखता है तो उसने इनकी डीप फेक वीडियो देखी है। 

इसी सोच के फलस्वरूप ये लड़कियां पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर (Persistent Depressive Disorder – PDD) का शिकार हो चुकी हैं। इस अपराध ने इन लड़कियों के आत्मसम्मान को कुचलकर रख दिया है। इस अपराध के चलते बहुत महिलाओं की नौकरी चली गई और सामाजिक बहिष्कार हो गया। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस समय डीप फेक वीडियोज़ की संख्या 2,44,625 है। पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर की वजह अपराध ही नहीं अपितु और भी कारण होते हैं या कुछ ऐसे कारक भी होते हैं जो इसे ट्रिगर कर सकते हैं। इनका जिक्र हम आगे करेंगे।

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पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर के कारण – Causes of Persistent Depressive Disorder

पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं :-

1. किसी के द्वारा किया गया अपराध मन को प्रभावित कर सकता है, जीवन उथल-पुथल कर सकता है। इसका उदाहरण हम ऊपर दे चुके हैं AI app का दुरुपयोग।

2. न्यूरोट्रांसमीटर में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले मस्तिष्क रसायनों में परिवर्तन।

3. नकारात्मक विचार जैसे कि खुद को ही कोसते रहना, अपने को मनहूस समझना, खुद की ही आलोचना करना जैसे कि मेरे से काम अच्छा नहीं होता, जो करता हूं वह उल्टा या बुरा ही होता है।

4. गहरा तनाव।

5. मस्तिष्क विकारों का इतिहास होना या लंबे समय से चली आ रही किसी बीमारी से ग्रस्त होना।

6. प्राकृतिक आपदा को देखना या आपदा से गुजरना जैसे कि तूफान, बाढ़, भूकंप आदि।

पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर के जोखिम कारक – Risk Factors for Persistent Depressive Disorder

निम्नलिखित कारक भी पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर के लक्षणों को जन्म दे सकते हैं –

1. पारिवारिकता यदि माता-पिता या भाई-बहन को पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर की समस्या है तो परिवार के अन्य सदस्य को भी यह डिस्ऑर्डर हो सकता है।

2. परिवार के किसी सदस्य या परमप्रिय संबंधी की मृत्यु या किसी अन्य प्रकार की हानि।

3. परीक्षा में असफल हो जाना।

4. भरसक प्रयत्न करने पर भी नौकरी ना मिल पाना या व्यापार ना चल पाना। जीविका का कोई साधन ना होना।

5. आर्थिक संकट, या व्यापार डूब जाना या धन की हानि या धन से संबंधित कोई अन्य समस्या।

6. अप्रत्याशित घटना, दुर्घटना जैसे कि कोई सड़क दुर्घटना, रेल दुर्घटना, भवन में आग लगना आदि देख लेना या गैस रिसाव अथवा रसायनों का प्रभाव।

7. समाज से मिला अपमान या समाज में सम्मान ना होना या उसे बुरा समझा जाना या समाज में बदनाम छवि होना।

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पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर के लक्षण – Symptoms of Persistent Depression Disorder

पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर के लक्षण निम्न प्रकार हो सकते हैं –

1. अकेलापन महसूस करना।

2. उदास रहना, निराशा, किसी से बात ना करने का मन करना।

3. मूड में जल्दी-जल्दी परिवर्तन आना।

4. बात-बात पर गुस्सा आना।

5. व्यवहार में चिड़चिड़ापन।

6. आत्मग्लानि महसूस करना, आत्मसम्मान में कमी महसूस करना।

7. दैनिक गतिविधियों के प्रति अरुचि।

8. सामाजिक कार्यों से बचना।

9. किसी विषय पर ध्यान केंद्रित ना कर पाना।

10. कोई भी निर्णय लेने में असमर्थ होना।

11. भूख कम लगना या अधिक लगना।

12. ठीक से नींद ना आना।

13. कमजोरी और थकावट रहना।

14. ऊर्जा की कमी।

पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर की जटिलताएं – Complications of Persistent Depressive Disorder

पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर किस तरह जीवन को उथल-पुथल कर सकता है अर्थात् इसकी क्या जटिलताएं हो सकती हैं, इसका विवरण निम्न प्रकार है –

1. जीवन की गुणवत्ता में कमी।

2. जीने की इच्छा मरने लगती है। आत्मघाती विचार मन में रहते हैं।

3. सामाजिक संबंध खराब होने लगते हैं।

4. सामाजिक परिवेष में आत्म सम्मान खोने लगता है।

5. कई घटनाएं ऐसी स्थितियों को जन्म देती हैं जिनमें घर से बाहर निकलना बेहद मुश्किल और ग्लानि भरा होता है जब कि व्यक्ति की कोई गलती नहीं होती।

6. पारिवारिक रिश्ते बिगड़ने लगते हैं। घर में क्लेश रहने लगता है।

7. मानसिकता खराब होने लगती है। नकारात्मक विचार मस्तिष्क में घूमते रहते हैं।

8. कामकाज बुरी तरह प्रभावित होता है क्योंकि काम करने का मन नहीं करता, उदासीनता बनी रहती है।

9. दैनिक कार्य प्रभावित होते हैं किसी काम को करने का मन नहीं करता। यहां तक कि व्यक्ति  अपनी वैयक्तिक साफ़-सफाई से भी जी चुराने लगता है। यह स्थिति आलस्य को जन्म देती है।

10. नींद की गुणवत्ता खराब होने से कई विकार/रोग होने की संभावना बन जाती है।

पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर का निदान – Diagnosis of Persistent Depressive Disorder

पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर के निदान के लिए कोई ब्लड टेस्ट नहीं, ना कोई एक्स रे या ना सीटी स्केन ना एमआरआई। कोई विशेष टेस्ट मुकर्रर नहीं है। सीधे सवाल जवाब। मरीज की भावनाएं, विचार, व्यवहार और बताए गए लक्षणों के आधार पर निदान किया जाता है। डॉक्टर, मरीज से निम्न प्रकार के प्रश्न पूछ सकते हैं –

1. पिछली मेडिकल हिस्ट्री?

2. परिवार में किसी सदस्य को क्या इस प्रकार की परेशानी है या रही है?

3. थायराइड की समस्या? और इसके उपचार में ली जाने वाली दवाएं।

4. ध्यान केंद्रित करने में कोई दिक्कत?

5. नींद कैसी आती है?

6. भूख कैसी लगती है?

7. रात को सोने का समय और अगले दिन उठने का समय?

8. थकावट, कमजोरी?

9. जीवन में घटित कोई अप्रत्याशित घटना?

10. कामकाज में कोई बाधा/समस्या?

पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर का उपचार – Treatment of Persistent Depressive Disorder

पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर के उपचार के लिए कोई समुचित उपचार उपलब्ध नहीं है परन्तु इसके लक्षणों को मैनेज करने में एंटीडिप्रेसेंट दवाएं, मनोचिकित्सा और जीवनशैली में बदलाव सक्रिय भूमिका निभाते हैं। विवरण निम्न प्रकार है –

1. एंटीडिप्रेसेंट दवाएं (Antidepressant Medications)- पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर के उपचार में एंटीडिप्रेसेंट दवाएं दी जा सकती हैं। यद्यपि इनके साइड इफेक्ट भी होते हैं जो शरीर के समायोजन के साथ खत्म हो जाते हैं। इन दवाओं को पूरी तरह काम करने के लिए कुछ सप्ताह लग जाते हैं और इनको सुरक्षित रूप से बंद करने में भी कई सप्ताह लग सकते हैं। इनमें निम्नलिखित दवाएं शामिल हो सकती हैं –

(i) चयनात्मक सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर (Selective Serotonin Reuptake Inhibitors –  SSRIs) – इनमें प्रोज़ैक, लेक्साप्रो, पैक्सिल और ज़ोलॉफ्ट शामिल हो सकती हैं।

(ii) ट्राइसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट्स (Tricyclic Antidepressants) – इनमें एलाविल, टोफ्रेनिल और विवैक्टिल सम्मलित हैं।

(iii) सेरोटोनिन और नॉरपेनेफ्रिन रीपटेक अवरोधक (Selective Serotonin Reuptake Inhibitors – SSRIs) – इनमें एफेक्सोर और सिम्बल्टा शामिल होती हैं।

(iv) अन्य दवाएं (Other Medications)- इनमें रेमरॉन और वेलब्यूट्रिन का उपयोग किया जा सकता है।

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2. मनोचिकित्सा (Psychotherapy)- दवाएं तो रोग के लक्षणों को खत्म कर देती हैं परन्तु मनोचिकित्सा करने वाले मनोवैज्ञानिक (psychologist) जीवनशास्त्र ही बदलकर रख देते हैं। ये मनोवैज्ञानिक मरीज में नकारात्मक विचारों को निकालकर सकारात्मक सोच की ओर मरीज को अग्रसर करते हैं। इनके अन्दर एक नई सकारात्मक ऊर्जा संचरित होती है और एक नई जीवन शैली का आनन्द उठाते हुए खुशहाल और स्वस्थ जीवन जीते हैं। मनोचिकित्सा में टॉक थेरेपी, फिजियो थेरेपी, कॉग्निटिव थेरेपी, व्यवहार थेरेपी, स्पीच थेरेपी आदि का उपयोग किया जा सकता है।

3. जीवनशैली में बदलाव (Lifestyle Changes)- दवाएं रोग को खत्म करने और मनोवैज्ञानिक जीवनशास्त्र बदलने का काम करते हैं तो आप स्वयं जीवनशैली में बदलाव करके जीवनशास्त्र को सुचारू रूप से अपनाने और चलाने में बहुत बड़ा योगदान देते हैं। इसके लिये निम्नलिखित बातों का ध्यान   रखें –

(i) पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर के लक्षणों को कम करने के लिए प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड,  विटामिन-ए, विटामिन-सी, विटामिन-बी और विटामिन-ई तथा जिंक युक्त खाद्य पदार्थों को अपने भोजन में शामिल करें। इनमें चिया के बीज, अलसी के बीज, कद्दू (pumpkin) के बीज, अखरोट, गाय का दूध, दही, दलिया, अंडा, मीट, चिकन, मशरूम, हरी पत्तेदार सब्जियां, ताजे फल, साबुत अनाज, नट्स सैल्मन, टूना एवं छोटी समुद्री मछली को शामिल किया जा सकता है।

(ii) फास्ट फूड, जंक फूड को अवॉइड करें।

(iii) धूम्रपान, शराब, ड्रग्स का त्याग करें।

(iv) योग, ध्यान, प्राणायाम करें। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा और सकारात्मक सोच बनेगी।

(v) कम से कम 45 मिनट का व्यायाम करें। इससे शरीर में सारे दिन स्फूर्ति बनी रहेगी तथा शारीरिक व मानसिक स्वास्थ ठीक रहेगा।

(vi) योगासन और प्राणायाम के जरिये भी आप पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर के लक्षणों से राहत पा सकते हैं। इसके लिए निम्नलिखित योगासनों और प्राणायाम को अपनाया जा सकता है –

  • शिशुआसान
  • हलासन
  • अधोमुख श्वानासन
  • शवासन
  • सेतु बंधासन
  • भ्रामरी प्राणायाम
  • नाड़ी शोधन प्राणायाम

Conclusion –

आज के आर्टिकल में हमने आपको पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर क्या है?, पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर के कारण, पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर के जोखिम कारक, पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर के लक्षण, पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर की जटिलताएं और पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर का निदान, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर का उपचार भी बताया। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

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Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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आज के आर्टिकल में हमने आपको पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर क्या है?, पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर के कारण, पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर के जोखिम कारक, पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर के लक्षण, पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर की जटिलताएं और पर्सिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर का निदान, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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