दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आज हम बात करेंगे साइटिका की जो ना तो बीमारी है और ना ही कोई विकार बल्कि एक लक्षण है जिसमें “दर्द का अहसास” होता है। दर्द उठता है हल्का-हल्का कमर के नीचे नितम्बों से मगर हम परवाह नहीं करते कि हो जायेगा ठीक दो चार दिन में। फिर ये दर्द थोड़ा आगे बढ़कर नीचे की और उतरता है एक टांग में या दोनों में, हम फिर भी परवाह नहीं करते। जब यह दर्द भयंकर असहनीय रूप लेकर पैरों में पहुंचता है और चलने फिरने में भी परेशानी होने लगती है तब हम सोचते हैं कि “ये दर्द नहीं आसां बस इतना समझ लीजे, बचा नहीं है रास्ता कोई, अब तो हॉस्पिटल ही जाना है”। जी हां, हॉस्पिटल जाकर ही हमें अपनी गलती काम अहसास होता है। पता चलता है कि यह कोई मामूली दर्द नहीं बल्कि साइटिका पेन (Pain – दर्द) है। यह दर्द साइटिका का लक्षण था। अब यह साइटिका क्या होता है और इससे कैसे छुटकारा मिल सकता है?। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “साइटिका के घरेलू उपाय” देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको साइटिका के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि इससे राहत पाने के घरेलू उपाय क्या हैं। साइटिका के बारे में जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि साइटिक क्या होता है? तो, सबसे पहले जानते हैं साइटिक क्या होता है, साइटिका क्या है और इसके कारण क्या होते हैं। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।
साइटिक क्या है? – What is Sciatic
साइटिक एक तंत्रिका (Nerve) होती है जो रीढ़ की हड्डी से शुरू कर कूल्हों और नितम्बों के पीछे से दो शाखाओं में विभाजित होकर जांघों के पीछे से होते हुऐ, पैरों से होते हुऐ एड़ियों तक जाती है। यह शरीर की महत्वपूर्ण तंत्रिकाओं में से एक है जो सबसे लंबी और सबसे मोटी होती है। यह तंत्रिका पैरों की मांसपेशियों को और त्वचा को संवेदना महसूस कराती है। इसका सीधा प्रभाव पैरों को नियंत्रित करने और अनुभव करने की क्षमता पर पड़ता है।
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि साइटिक नर्व रीढ़ की हड्डी से शुरू होकर पीछे की तरफ से पैरों से होती हुई एड़ियों तक जाती है, यदि किसी भी कारण से यह साइटिक नर्व दब जाये तो दर्द का अहसास होता है। यह दर्द कमर से शुरु होता है और जहां-जहां यह नर्व गुजर रही होती है वहां ये दर्द महसूस होता है, एक खिंचाव महसूस होता है और झनझनाहट महसूस होता है। यह दर्द साइटिक नर्व के दबाव की तीव्रता (Intensity) पर निर्भर करता है। यदि साइटिक नर्व कम दबी है तो दर्द, खिंचाव कुछ ऊपर तक ही लगेगा यानी घुटने के ऊपर तक।
और यदि ज्यादा दबाव पड़ा है तो दर्द पैरों, एड़ियों तक आ जायेगा और बहुत ज्यादा दबने की स्थिति में पैरों में भारीपन, छनझनाहट और सुन्नपन महसूस होगा। सीधे खड़े नहीं हो पायेंगे आपको थोड़ा बहुत झुकना (Bend) पड़ेगा। यद्यपि यह दर्द शुरुआत में हल्का हो सकता है परन्तु बाद में यह भयंकर और असहनीय रूप ले लेता है। इसी कारण दर्द के इस लक्षण को “बीमारी” मान लिया गया है। निष्कर्षतः साइटिक नर्व के दबने से होने वाले दर्द को साइटिका कहा जाता है। साइटिका होने की संभावना 30 से 50 वर्ष की आयु के लोगों में अधिक होती है।
साइटिका के कारण – Cause of Sciatica
साइटिका के मुख्य रूप से दो कारण बहुत ही सामान्य हैं, एक प्रोलेपस्ड इंटरवर्टेब्रल डिस्क (Prolapsed Intervertebral Disk) और दूसरा पायरिफोर्रमिस सिंड्रोम (Piriformis Syndrom)। इनके अलावा और भी कारण होते हैं। विवरण निम्न प्रकार है :-
1. प्रोलेपस्ड इंटरवर्टेब्रल डिस्क (Prolapsed Intervertebral Disc)- गर्दन और धड़ के पीछे मध्य भाग में, एक लंबी, घुमावदार, श्रंखलाबद्ध हड्डियां (कशेरुकाएं) होती हैं। इन हड्डियों के समूह को (प्रत्येक व्यस्क व्यक्ति में 26 हड्डियां) रीढ़ की हड्डी कहा जाता है। इन सभी हड्डियों के बीच गोल पट्टियां होती हैं जिनका बाहरी हिस्सा कठोर मगर लचीला होता है, इनके आन्तरिक भाग में सोफ्ट जैली के समान मेटिरियल भरा होता है, इन्हीं पट्टियों को डिस्क कहा जाता है और इन्हीं डिस्क के सहारे रीढ़ की हड्डियां जुड़ी होती हैं। ये रबर के समान लचीली होती हैं इनको रीढ़ की हड्डियों का “शॉक अब्ज़र्वर” (Shock absorber) कहा जा सकता है।
इन्हीं के कारण हम चल, फिर, दौड़ और झुक सकते हैं और वजन उठा सकते हैं। ये डिस्क ऐसे पैड होते हैं, जो हड्डियों को झटकों या दबाव से बचाते हैं, ठीक उसी प्रकार जैसे शॉक अब्ज़र्वर मोटरसाईकल को झटकों से बचाते हैं। मगर, हद से ज्यादा वजन उठाने से या सामान्य वजन भी गलत पोजीशन में उठाने से, गलत तरीके से झुकने से इस डिस्क में पंक्चर हो जाता है तब आन्तरिक द्रव्य बाहर निकल जाता है। यह बाहर निकला हुआ द्रव्य रीढ़ की हड्डी के साथ आती हुई साइटिक नर्व को दबा देता है। जिसके कारण साइटिका पेन होने लगता है। स्लिप डिस्क पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “स्लिप डिस्क के लिए योगासन” पढ़ें।
2. पिरिफोर्मिस सिंड्रोम (Piriformis Syndrom) – यह साइटिका का दूसरा मुख्य कारण है। यह बहुत ज्यादा देर लगातार बैठे रहने या गलत पोजीशन में बैठे रहने से होता है विशेषकर प्रोफेशनल्स को जैसे कंप्यूटर पर काम करने वाले या जिनका काम अधिकतर बैठे रहने का ही है, ट्रक ड्राइवर्स, या लोंग ड्राइव पर जाना आदि। हमारे बैठने का काम नितम्ब (Buttucks) के द्वारा होता है। दोनों नितम्ब में एक मांसपेशी (Muscles) होती है, सियाटिक नर्व इस मांसपेशी के अंदर से होकर गुजरती है। जब यह मांसपेशी टाइट हो जाती है तो यह सियाटिक नर्व को दबा देती है और साइटिका पेन होने लगता है।
3. स्पाइनल स्टेनोसिस (Spinal Stenosis)- स्पाइनल स्टेनोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें रीढ़ की हड्डी की निचली नलिका असामान्य रूप से सिकुड़ जाती है। इस संकुचन से साइटिक नर्व की जड़ों पर दबाव पड़ता है।
4. स्पोंडिलोलिस्थीसिस (Spondylolisthesis)- यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक रीढ़ की हड्डी या कशेरुक (Vertebrae) एक दूसरे से आगे बढ़ती है, तो बढ़ी हुई रीढ़ की हड्डी साइटिक नर्व को प्रभवित कर सकती है।
5. पेल्विक की चोट या फ्रैक्चर या ट्यूमर।
साइटिका के लक्षण – Symptoms of Sciatica
साइटिका के लक्षण साइटिक नर्व के दबाव के स्थान और तीव्रता पर निर्भर करते हैं और अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग हो सकते हैं। शुरुआत में दर्द हल्का हो सकता है जो बाद में तेज हो सकता है। निम्नलिखित कुछ लक्षण प्रकट हो सकते हैं –
1. शुरुआत में कमर में हल्का दर्द हो सकता है जो बाद बढ़ सकता है और यह दर्द धीरे-धीरे आपके कूल्हों और फिर पैरों में होने लगता है।
2. कई बार दर्द हिलने-डुलने से और तेज होने लगता है।
3. किसी एक पैर या दोनों पैरों में दर्द हो सकता है।
4. कमर की अपेक्षा पैरों में दर्द ज्यादा महसूस होता है।
5. पैरों की उंगलियों में भी दर्द हो सकता है।
6. कमर और पैरों में झनझनाहट या सुन्नता महसूस हो सकती है।
7. पैरों का बेजान महसूस होना।
8. चलने फिरने और हिलने डुलने में भी तकलीफ होना।
साइटिका का परीक्षण – Sciatica Test
1. साइटिका के परीक्षण के लिये डॉक्टर सबसे पहले व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानकारी लेते हैं और चोट लगने के बारे में पूछते हैं और दर्द के बारे में पूछते हैं। दर्द कहां और कैसा महसूस होता है।
2. शारीरिक परीक्षण में मांसपेशियों की ताकत और सजगता का परीक्षण करते हैं। इसके लिये स्ट्रेचिंग या एक्सरसाइज करवा सकते हैं कि किन गतिविधियों से दर्द होता है।
3. कुछ इमेजिंग टैस्ट करवाये जा सकते हैं जिनमें रीढ़ की हड्डी का एक्स-रे, एमआरआई और सीटी स्कैन शामिल हैं।
साइटिका का उपचार – Treatment of Sciatica
साइटिका के उपचार के लिये डॉक्टर द्वारा निम्नलिखित उपाय अपनाये जा सकते हैं –
1. दवाएं (Medicines)- डॉक्टर दर्द के लिये कुछ दवाएं निर्धारित कर सकते हैं जैसे सूजन विरोधी दवाएं, स्नायु शिथिलता की दवाएं, नारकोटिक्स दवाएं, ट्राइसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट्स उद्वेग विरोधी दवाएं आदि।
2. फिजियोथेरेपी (Physiotherapy)- दर्द में आराम लगने के बाद डॉक्टर भविष्य की चोटों को रोकने के लिये फिजियो थेरेपी लेने की सलाह दे सकते हैं। इसके अंतर्गत बैठने, खड़े होने या चलने की मुद्रा को सुधारने के अभ्यास, अपनी पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करना और लचीलेपन में सुधार करना आदि कार्यक्रम शामिल होते हैं।
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3. स्टेरॉयड इंजेक्शन (Steroid Injections)- बहुत ही कम मामलों में कॉर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्शन देने की जरूरत पड़ती है। जिससे कि प्रभावित नर्व के आसपास सूजन और दर्द को कम किया जा सके। इन इंजेक्शनों को सीमित संख्या में दिया जाता है क्योंकि इनके गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
4. सर्जरी (Surgery)- 90 प्रतिशत मामलों में सर्जरी की सर्जरी की जरूरत नहीं होती है। बहुत ही दुर्लभ मामलों में सर्जरी की जरूरत पड़ती है जहां पीड़ित व्यक्ति का मूत्राशय पर नियंत्रण न रहे या अन्य उपचारों से दर्द में आराम ना लगे। सर्जरी में बढ़ी हुई हड्डी (बोन स्पर) या हर्नियेटेड डिस्क के हिस्से को निकाल दिया जाता है जो साइटिक नर्व पर दबाव डालते हैं।
साइटिका के घरेलू उपाय – Home Remedies for Sciatica
अब कुछ निम्नलिखित घरेलू उपाय जिनके जरिये साइटिका के दर्द से राहत पाई जा सकती है –
1. मालिश करें (Massage)- मालिश करने से साइटिका के दर्द को दूर कर किया जा सकता है। इससे मांसपेशियों की ऐंठन भी ठीक हो जायेगी और ब्लड सर्कुलेशन भी सही रहेगा। इसके लिये सेंट जॉन वोर्ट तेल से दिन में 2 या 3 बार रोजाना मालिश करें। इसके एंटीइंफ्लामेटरी गुण साइटिका की सूजन और दर्द से छुटकारा दिलाने में सक्षम होते हैं। यदि सेंट जॉन वोर्ट तेल ना मिले तो जायफल के तीन चम्मच पाउडर में एक कप तिल का तेल मिलाकर गर्म कर लें। फिर इसे ठंडा करके इस तेल से मालिश करें।
2. गर्म और ठंडे सेक से सिकाई करें (Warm and Cold Compress)- गर्म और ठंडी सिंकाई भी साइटिका की समस्या से राहत पाने का कारगर उपाय है। गर्म सिंकाई से मांसपेशियों को आराम मिलता है। इससे शरीर में रक्त प्रवाह को ठीक होता है। ठंडी सिंकाई से सूजन और दर्द खत्म होते हैं। इसके लिये सिंकाई गर्म सेक से शुरू करें और ठंडे सेक के साथ खत्म करें। आइस पैक से एक घंटे के अंतराल पर 15 मिनटों तक सिंकाई करें और दो से तीन घंटे के अंतराल पर गर्म सिंकाई करें। गर्म सिंकाई के लिये भाप से गर्म तौलिये का इस्तेमाल करें, यह अधिक प्रभावकारी होता है। ठंडी सिंकाई, बर्फ़ के टुखड़ों को तौलिया में भरकर या सिंकाई वाली बॉटल में भरकर कर सकते हैं।
3. एलोवेरा (Aloe vera)- एलोवेरा साइटिक नर्व में उत्पन्न अवरोध और तनाव को दूर करने में मदद करता है। यह नर्व के दर्द को समाप्त करने में सक्षम है। इसके लिये एलोवेरा के एक पत्ते का गूदा निकालकर, एक कप पानी में डाल दें, चार, पांच बूंद नींबू का रस और आधा चम्मच शहद मिलाकर जूस बनाकर पीयें। एलोवेरा जूस दिन में दो बार पी सकते हैं।
4. हल्दी (Turmeric)- हल्दी प्राकृतिक रूप से दर्द निवारक और सूजनरोधी दवा है। इसमें मौजूद कर्क्यूमिन नामक यौगिक नर्व के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है। इसके लिये एक कप दूध में एक चम्मच हल्दी पाउडर और एक छोटा दालचीनी का टुकड़ा डालकर, उबाल लें। इसे थोड़ा ठंडा करके आधा चम्मच शहद मिलाकर पीयें। या तिल के तेल में हल्दी पाउडर मिलकर पेस्ट बनाकर प्रभावित स्थान पर लगाकर हल्के हाथ से मालिश करें। या डॉक्टर की सलाह पर कुछ हफ्तों के लिये दिन में 3 बार 250 से 500 मिलीग्राम हल्दी के सप्लीमेंट्स ले सकते हैं।
5. मेथी दाना (Fenugreek Seeds)- मेथी दाने में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-नोकिसेप्टिव गुण मौजूद होते हैं जो नर्व से संबंधित विकार और सूजन को दूर करने में सक्षम होते हैं। एक चम्मच मेथी दाने के पाउडर को एक चम्मच दूध में अच्छी तरह मिक्स कर लें। इस पेस्ट को प्रभावित स्थान पर लगाकर छोड़ दें। सूख जाने पर गर्म पानी से धो लें। यह रूमेटीइड गठिया और गाउट दर्द से भी राहत दिलायेगा।
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6. लहसुन (Garlic)- लहसुन में भी एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन और दर्द से राहत दिलाते हैं। साइटिक पेन से राहत पाने के लिये लहसुन को दूध में उबालकर पीयें। इसके लिये 8 से 10 लहसुन की कलियां को कूट कर एक गिलास दूध और एक कप पानी में मिलाकर, अच्छी तरह उबाल लें। इसको थोड़ा ठंडा (गुनगुना रहे) करके इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पीयें। लहसुन वाला दूध दिन में दो बार पी सकते हैं।
7. अदरक (Ginger)- अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-सेप्टिक, एंटी-बायोटिक आदि गुण पाये जाते हैं किसी भी तरह की सूजन और दर्द से छुटकारा दिलाते हैं। साइटिका के दर्द से छुटकारा पाने के लिये अदरक के जूस का सेवन करें। इसके लिये अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर मिक्सर में डालकर पीस लें। इस पेस्ट को साफ कपड़े में डालकर निचोड़ लें। इससे अदरक का जूस मिल जायेगा। इसमें आधा नींबू निचोड़ लें और आधा चम्मच शहद मिलाकर पीयें। इसे दिन में दो बार पी सकते हैं। विकल्प के तौर पर अदरक की चाय भी पी सकते हैं।
8. नींबू का रस (Lemon Juice)- विटामिन-सी और ई संयुक्त रूप से मिलकर साइटिक नर्व के दबाव, सूजन और दर्द को ठीक करने में मदद करते हैं। नींबू विटामिन-सी का भरपूर स्रोत है और विटामिन-ई भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। साइटिका की समस्या के लिये एक गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़कर एक चुटकी काला नमक मिलाकर पीयें। यह नींबू वाला पानी दिन में दो बार पी सकते हैं।
9. सेब का सिरका (Apple Vinegar)- सेब के सिरके में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होता है जो साइटिका की सूजन और इसके कारण पैरों में मरोड़ और दर्द को दूर करने में मदद करता है। इसके लिये एक गिलास गुनगुने पानी में दो चम्मच सेब का सिरका और स्वाद के लिये एक चम्मच शहद स्वाद मिलाकर दिन में दो बार पीयें। कमर, कमर के नीचे और पैरों में होने वाले दर्द में आराम मिलेगा।
10. हरसिंगार (Harsingar)- हरसिंगार का उपयोग अनेक बीमारियों के उपचार में पुराने समय से ही किया जाता रहा है। विशेषकर आयुर्वेद में इसका उपयोग तंत्रिका विकार के निवारण हेतू किया जाता है जिसमें साइटिका का दर्द भी शामिल है। इसके लिये हर हरसिंगार की दो पत्तियां और हरसिंगार का एक लेकर दो कप पानी में तब तक उबालें जब तक कि यह पानी एक कप ना रह जाये। इसे हरसिंगार की चाय कहा जाता है। इस चाय में मिश्री मिलाकर गुनगुना पीयें। इसे दिन में दो बार पी सकते हैं।
कुछ सावधानियां – Some Precautions
अब कुछ सावधानियां जिनको अपनाकर साइटिक समस्या से बचाव कर सकते हैं। ये निम्न प्रकार हैं –
1. सबसे पहले तो धूम्रपान बंद करें क्योंकि यह अनेक बीमारियों/विकारों/समस्याओं की जड़ है।
2. वजन उतना ही उठायें जितने में आप सक्षम हो, आपको असुविधा ना हो और ध्यानपूर्वक सही तरीके से उठायें। हद से ज्यादा वजन उठाने की कोशिश ना करें।
3. खड़े होने, चलने और बैठने का सही पोस्चर बनाये रखें।
4. कभी झटके से ना उठें ना बैठें। सही तरीके से, सही पोस्चर में यह गतिविधि करें।
5. एक्सपर्ट्स की सलाह पर/निगरानी में कुछ ऐसे व्यायाम करें जो पेट और रीढ़ की हड्डी की मांसपेशियों में ताकत और लचीलापन बनाये रखे जैसे एरोबिक।
6. कोई भी वस्तु सही तरीके से उठायें। इसके लिये घुटनों को मोड़कर पीठ को सीधा रखें। इससे सारा तनाव कूल्हे और पैरों पर आ जायेगा, पीठ पर नहीं।
7. कुर्सी पर बैठने के लिये ऐसी कुर्सी का चयन करें जो पीठ को सपोर्ट प्रदान करे। कंप्यूटर चेयर इसी बात को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं। विकल्प के तौर पर कुशन लगा सकते हैं।
8. काम करते समय विशेषकर कंप्यूटर पर लगातार एक घंटे से ज्यादा ना बैठें। बीच-बीच में 2-5 मिनट का ब्रेक लेकर चहलकदमी करें।
9. Long Drive पर जाते हुऐ भी अधिक देर तक लगातार गाढ़ी ना चलायें। एक, डेढ़ घंटे बाद या 100 कि।मीटर गाढ़ी चलाने के बाद कम से कम आधा घंटे का ब्रेक लें। इससे आपको और गाढ़ी दोनों को आराम मिल जायेगा।
10. अपने शरीर के वजन का स्तर बनाये रखें।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको साइटिका के घरेलू उपाय के बारे में विस्तार से जानकारी दी। साइटिक क्या है, साइटिका क्या है, साइटिका के कारण, साइटिका के लक्षण, साइटिका का परीक्षण और साइटिका का उपचार, इन सब के बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से साइटिका के घरेलू उपाय बताये और कुछ सावधानियां भी बताईं। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।
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