स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आपने कुछ बच्चों को या बड़ों को भी अपने सिर के बाल खींचते रहते है। उनको मना करो तो थोड़े टाइम के बाद वे फिर से शुरु हो जाते हैं। यह उनकी कोई आदत नहीं है बल्कि एक समस्या है। इस समस्या को बाल खींचने वाला विकार कहा जाता है। यह एक ऐसा डिसऑर्डर है जिसमें व्यक्ति अन्जाने में या जान बूझकर बालों को नोंचता है, खींचता है। इसे “ट्रिकोटिलोमेनिया“ कहा जाता है। आखिर यह डिसऑर्डर है क्या? दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “ट्रिकोटिलोमेनिया क्या है?”।
देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको ट्रिकोटिलोमेनिया के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और इसके उपचार के बारे में भी बताएगा। तो, सबसे पहले जानते हैं कि ट्रिकोटिलोमेनिया क्या है और यह कितने प्रकार का होता है। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।
ट्रिकोटिलोमेनिया क्या है? – What is Trichotillomania?
सबसे पहले देसी हैल्थ क्लब स्पष्ट करता है कि बाल नोंचना या खींचना कोई बीमारी नहीं है और ना ही ये आदत है बल्कि यह बालों को खींचने वाला विकार है जिसे मेडिकल भाषा में “ट्रिकोटिलोमेनिया” कहा जाता है। यदि ट्रिकोटिलोमेनिया का शाब्दिक अर्थ देखा जाए तो ट्रिको (Tricho) का अर्थ है बाल, टिलो (Tillo) का अर्थ है खींचना और मेनिया (Mania) से तात्पर्य है मस्तिष्क की समस्या।
इसी लिए इसको मानसिक विकार की संज्ञा दी गई है। यह एक ऐसा डिसऑर्डर है जिसमें व्यक्ति जब बाल खींचता है तो उसे सुखद अनुभूति होती है, शांति मिलती है। सिर के बालों को खींचने के अतिरिक्त व्यक्ति, कभी-कभी अपनी दाढ़ी के बाल भी खींचने लगता है और भौंह के बाल भी। लंबे समय तक यह डिसऑर्डर, व्यक्ति की आदत बन जाता है। परिणाम स्वरूप बालों के झड़ने की समस्या शुरु हो जाती है। यह समस्या किशोरावस्था से शुरु होती है। छोटे बच्चे या शिशु भी कभी-कभी ऐसी हरकत करते हैं पर उनका यह मसला ज्यादा संगीन नहीं होता। ट्रिकोटिलोमेनिया से ग्रस्त व्यक्ति को एंग्जाइटी, डिप्रेशन या ओबेसिस्व कंप्लसिव डिसऑर्डर जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
प्रत्येक 100 व्यक्तियों में से 4 व्यक्ति ट्रिकोटिलोमेनिया से पीड़ित हैं। इस डिसऑर्डर से महिलाएं, पुरुषों की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक प्रभावित होती हैं। जहां तक इसके इतिहास की बात है तो माना जाता है कि पहली बार, चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में, प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तू ने इसका उल्लेख किया था। पहली बार 1885 में, आधुनिक साहित्य में इसका वर्णन किया गया था तथा 1889 में फ्रांसीसी त्वचा विशेषज्ञ फ्रांकोइस हेनरी हेलोपेउ द्वारा ट्रिकोटिलोमेनिया शब्द गढ़ा गया।
ट्रिकोटिलोमेनिया के प्रकार – Types of Trichotillomania
ट्रिकोटिलोमेनिया को मुख्य रूप से निम्नलिखित दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
1. ऑटोमेटिक पुलिंग (Automatic Pulling)- इसमें व्यक्ति को पता ही नहीं चलता कि वह कर क्या रहा है। उसे तब आभास होता है जब कोई अन्य व्यक्ति उसे ना टोके या जब तक कि वह निकले हुए बालों को स्वयं नहीं देख लेता।
2. फोकस्ड पुलिंग (Focused Pulling)- ट्रिकोटिलोमेनिया के इस प्रकार में व्यक्ति को अच्छी तरह पता होता है कि वह क्या कर रहा है। उसका फोकस बालों पर ही होता है और उसे बाल खींचना अच्छा लगता है।
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ट्रिकोटिलोमेनिया के कारण – Causes of Trichotillomania
ट्रिकोटिलोमेनिया के प्रमाणिक और सटीक कारण अज्ञात हैं। अनुमान के आधार पर निम्नलिखित को ट्रिकोटिलोमेनिया के कारण माना जाता है –
1. अनुवांशिकता – यदि परिवार में किसी को पहले से ही यह डिसऑर्डर रहा है या वर्तमान में है तो अन्य व्यक्ति को भी इस डिसऑर्डर के होने की संभावना बढ़ जाती है।
2. पर्यावरण संबंधी कारक भी इसकी वजह बन सकते हैं जैसे प्रदूषण, धूल, मिट्टी, धूंआ, हवा में विषैले तत्व, कुछ रसायनिक तत्व। इन से स्कैल्प की त्वचा प्रभावित होती है जिस कारण किसी को यह समस्या हो सकती है।
3. मस्तिष्क की असामान्य सरंचना और गतिविधियां भी इस डिसऑर्डर का कारण बन सकते हैं।
4. चिंता, तनाव और डिप्रेशन भी इसके कारण हो सकते हैं।
ट्रिकोटिलोमेनिया के लक्षण – Symptoms of Trichotillomania
इस डिसऑर्डर से ग्रस्त व्यक्ति के व्यवहार में तथा शरीर में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं –
1. बालों को खींचना, यह मुख्य लक्षण है।
2. बालों को खींचने की तलब लगने से पहले तनाव महसूस करना।
3. बालों में उंगली से घुमाना, झटका देना।
4. दांतों के बीच बालों को रख कर खींचना, चबाना या खाना।
5. खींच कर निकाले गये बालों के साथ खेलना, गिनना या उनको चेहरे पर, होठों पर रगड़ना।
6. बाल खींचने के बाद खुश होना।
ट्रिकोटिलोमेनिया के कुप्रभाव – Side Effects of Trichotillomania
बाल खींचने के व्यक्ति के जीवन पर, उसके शरीर पर, उसकी मानसिक स्थिति पर क्या असर पड़ता है, इसका विवरण निम्नलिखित है –
1. हमने ऊपर बताया है कि बाल खींचना कोई आदत नहीं है परन्तु यह लंबे समय तक चले तो इसका सीधा असर मस्तिष्क पर पड़ता है। जैसे किसी धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को बीड़ी, सिगरेट ना मिले तो वह बेचैन हो जाता है क्योंकि उसे तलब लगती है ठीक इसी प्रकार बाल खींचना से पहले उस पर तनाव हावी हो जाता है, उसे बाल खींचने की तलब उठती है और यही तलब उसकी लत यानि आदत में तब्दील हो जाती है।
2. उसके सामाजिक दायरे में भी तनाव सा बना रहता है, कोई उसे उस इज्जत से नहीं देखता जिसका वह हकदार है केवल बाल खींचने के कारण से क्योंकि लोग यही समझते हैं कि वह जान बूझ कर ऐसा करता है।
3. उसकी पारिवारिक प्रतीष्ठा भी अच्छी नहीं रहती। परिवार के लोग भी यह कहने लगते हैं कि “अरे यह तो ऐसा करता ही रहता है”। उसकी तरफ कोई ज्यादा तवज्जो नहीं देता।
4. जहां से बाल खींचे जाते हैं, उस स्थान पर खुजली होना स्वाभाविक है जो ज्यादा फैल कर भयंकर रूप ले सकती है।
5. बाल खींचे जाने से सिर में गंजेपन की समस्या बन सकती है।
ट्रिकोटिलोमेनिया का निदान – Diagnosing Trichotillomania
ट्रिकोटिलोमेनिया के निदान के लिए डॉक्टर निम्नलिखित तथ्यों की जांच कर सकते हैं :-
1. ट्रिकोटिलोमेनिया से पीड़ित व्यक्ति के साथ संवाद करते हैं यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि कितने बाल झड़ चुके हैं। इसके लिये डॉक्टर खोपड़ी को देखकर परीक्षण करते हैं।
2. बाल झड़ने के अन्य कारणों की भी जांच की जाती है और उसका समाधान सुझाया जाता है।
3. डॉक्टर यह भी पता लगाने का प्रयास करते हैं कि बाल खींचने की समस्या के पीछे कोई शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य समस्या तो नहीं है।
4. यदि व्यक्ति इम्पल्स कंट्रोल डिसऑर्डर (Impulse Control Disorder) से पीड़ित है तो उसे उपचार के लिए मनोचिकित्सक के पास रेफर कर दिया जाता है।
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ट्रिकोटिलोमेनिया का उपचार – Treatment of Trichotillomania
जहां तक ट्रिकोटिलोमेनिया के उपचार का प्रश्न है तो इसके लिये मुख्य रूप से बिहेवियर थेरेपी का सहारा लिया जाता है जो इसके उपचार में काफी हद तक कारगर सिद्ध होती है। और भी कई थेरेपी की जाती हैं तथा कुछ दवाएं भी दी जा सकती हैं। विवरण निम्न प्रकार है –
1. हैबिट रिवर्सल ट्रेनिंग (Habit Reversal Training)- यह बिहेवियर थेरेपी है जो कि ट्रिकोटिलोमेनिया के लिये प्राथमिक इलाज है। इस के माध्यम से व्यक्ति को उस परिस्थितियों को समझने और निपटने का प्रशिक्षण दिया जाता है जो बाल खींचने के लिए उकसाती हैं जैसे कि बाल खींचने की तलब होने पर मुट्ठी कसकर बंद कर लेनी चाहिए।
2. कॉग्निटिव थेरेपी (Cognitive Therapy)- इस थेरेपी में बालों के खींचने से जुड़ी गलत अवधारणाओं और मान्यताओं की पहचानने और जांच करने के बारे में बताया जाता है।
3. एक्सेपटेंस और कमिटमेंट थेरेपी (Acceptance and Commitment Therapy)- इस थेरेपी के द्वारा व्यक्ति को उसकी अपनी स्थिति को स्वीकरना सिखाया जाता है।
4. दवाएं (Medicines)- ट्रिकोटिलोमेनिया के इलाज के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन (Food and Drug Administration) ने किसी विशेष दवा को मान्यता नहीं दी है। इसके बावजूद डॉक्टर, इस डिसऑर्डर के लक्षणों को कम करने लिए एंटीडिप्रेसेंट दवाएं जैसे क्लोमीप्रैमाइन (एनाफ्रानिल) लेने की सलाह दे सकते हैं। अन्य दवाएं जो मूड से संबंधित न्यूरोट्रांसमीटर को प्रभावित करती है, लेने की सलाह दे सकते हैं जैसे कि एसिटाइलसिस्टीन (एक एमिनो एसिड) तथा ऑलंजापाइन (जिप्रेक्सा), यह एक एटिपिकल एंटीसाइकोटिक है।
ट्रिकोटिलोमेनिया से बचाव के उपाय – Ways to Prevent Trichotillomania
दोस्तो, ऐसा कोई उपाय नहीं है जिसके द्वार ट्रिकोटिलोमेनिया से बचाव किया जा सके। फिर भी निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं जो इस समस्या से सघनता को कम करने में मदद कर सकते हैं –
1. स्वच्छ वातावरण में रहें।
2. प्रतिदिन सुबह योग, ध्यान, प्राणायाम, अनुलोम, विलोम करें। इससे शरीर स्वस्थ रहेगा, स्फूर्ति बनी रहेगी, मन का भटकाव नहीं होगा, मन शांत रहेगा, तनाव, चिंता, डिप्रेशन से राहत मिलेगी।
3. शरीर की सफाई रखें। रोजाना नहाऐं, सिर को अच्छे से साफ करें।
4. ट्रिकोटिलोमेनिया के लक्षण दिखने पर तुरन्त डॉक्टर से मिलें, थेरेपी लें, स्ट्रेस मैनेजमेंट सीखें।
5. बाल खींचने की तलब लगने पर कोई ऐसा खेल खेलें जिसमें हाथों की मूवमेंट ज्यादा हो। इसमें इंडोर गेम भी हो सकते हैं जैसे कैरम, शतरंज, चौपड़ टाइप गोटियों वाला खेल। अथवा अन्य किसी तरीके से अपना मनोरंजन करें ताकि बालों से ध्यान हट जाए।
6. स्ट्रेस बॉल का उपयोग करें। यह ऐसी गेंद होती है जिसे हाथ में लेकर उंगलियों से दबाया जाता है। इससे हाथ की मांसपेशियों की एक्सरसाइज हो जाती है और तनाव भी दूर होता है।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको ट्रिकोटिलोमेनिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। ट्रिकोटिलोमेनिया क्या है?, ट्रिकोटिलोमेनिया के प्रकार, ट्रिकोटिलोमेनिया के कारण, ट्रिकोटिलोमेनिया के लक्षण, ट्रिकोटिलोमेनिया के कुप्रभाव और ट्रिकोटिलोमेनिया का निदान, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से ट्रिकोटिलोमेनिया के उपचार बताये और ट्रिकोटिलोमेनिया से बचाव के उपाय के कुछ उपाय भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।
Nice Article