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कुट्टू के आटे खाने के फायदे – Benefits of Eating Buckwheat Flour in Hindi

कुट्टू के आटे खाने के फायदे

दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो,आज हम आपको बताएँगे कुट्टू के आते के बारे में, जो व्रत के दिनों में खाया जाता है। वो है कुट्टू के आटे खाने के फायदे के बारे में है। हमारा देश भारत विभिन्नताओं से भरा एक अनुपम देश है। भाषाऐं, खानपान, वेशभूषा, रहन-सहन अलग-अलग होते हुऐ भी सबको एक सूत्र में जोड़े रखती है यहां की संस्कृति, सभ्यता और आध्यात्म। दर्शन और आध्यात्म की दृष्टि से भारत विश्वगुरु माना जाता है। यहां का जप-तप, पूजा-पाठ, व्रत-उपवास सब की महिमा सबसे निराली और अद्वितीय है। व्रत-उपवास की बात करें तो, इनमें अन्न ग्रहण करना निषिद्ध माना गया है कुछ व्रत को छोड़कर जैसे कि सोमवार के व्रत। नवरात्री के व्रतों की तो छटा ही निराली होती है विशेषकर उत्तर भारत में। बहुत लोग नौ दिन तक व्रत रखते हैं। वे अन्न ग्रहण नहीं करते केवल फलाहार आदि के सहारे ही रहते हैं। और तो और यहां के नेता भी जब अनशन पर बैठते हैं तो वो भी फलों के जूस से ही अपना अनशन तोड़ते हैं।

 एक दिन के उपवास में भी अन्न ग्रहण नहीं किया जाता। लंबे चलने वाले व्रतों में शारीरिक स्वास्थ के लिये अन्न की आपूर्ती का विकल्प क्या है? कहते हैं ना कि भगवान बहुत दयालु है वो सब का ध्यान रखते हैं। प्रकृति के माध्यम से एक ऐसे पौधे को उत्पन्न किया जो अनाज ना होकर भी अनाज का विकल्प बना। जी हां, हम बात कर रहे हैं कुट्टू के आटे, जो की पर्वतीय क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है लेकिन अब इसकी बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। व्रत के दिनों में कुट्टू के आटे का उपयोग, पूड़ी, परांठा, पकौड़ी आदि के रूप में करके शरीर में अनाज की कमी को पूरा किया जाता है। आखिर यह कुट्टू का आटा है क्या, इसके क्या फायदे होते हैं। 

दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “कुट्टू के आटे खाने के फायदे”। देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको कुट्टू के बारे में विस्तृत जानकारी देगा और कुट्टू के आटे के फायदे और नुकसान भी बतायेगा। तो, सबसे पहले जानते हैं कि कुट्टू क्या होता है और यह कहां पाया जाता है। इसके बाद फिर बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।

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कुट्टू के आटे खाने के फायदे
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कुट्टू क्या होता है? – What is a Kuttu?

कुट्टू रबी की फसल का पोलिगोनेसिए कुल का वार्षिक पौधा है जो कि सीधा बढ़ता है और इसका तना ठोस ना होकर पोला होता है। इसे घास प्रजाति का पौधा माना जाता है। इसको अंग्रेजी में बकव्हीट (Buckwheat) कहते हैं परन्तु इसका गेहूं या किसी अन्य अनाज से कोई संबंध नहीं है। इसका पौधा ज्यादा बड़ा ना होकर मध्यम आकार का होता है, लगभग चार फीट तक। इसकी पत्तियां तिकोनी होती हैं और गुच्छों में फूल और फल आते हैं। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं और बीज सफेद भूरे रंग के, त्रिकोण आकार के होते हैं। इसके फल में से निकलने वाले बीजों को पीसकर आटा बनाया जाता है। इसी को कुट्टू का आटा कहा जाता है।

कुट्टू की खेती कहां होती है? – Where is Buckwheat Cultivated?

1. कुट्टू की खेती सबसे अधिक अमेरिका में होती है। अमेरिका और यूरोप में इसका उपयोग केक, पैनकेक, बिस्किट्स, चीला आदि बनाने में किया जाता है। 

2. अमेरिका के अतिरिक्त इसकी खेती रूस, यूनान, कज़ाकिस्तान, यूक्रेन, चीन, जापान, नेपाल, पाकिस्तान,अफगानिस्तान, ईरान और म्यांमार में की जाती है। जापान में इसका उपयोग नूडल्स बनाने में और चीन में सिरका बनाने में किया जाता है।

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3. भारत में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, दक्षिण के नीलगिरी, छत्तीसगढ़, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश व अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में की जाती है।

कुट्टू के आटे के गुण – Properties of Buckwheat Flour

1. इसकी तासीर बहुत गर्म होती है।

2. इसमें एंटीऑक्‍सीडेंट, न्‍यूरोप्रोटेक्‍शन, एंटीकैंसर, एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटीडायबिटिक आदि गुण होते हैं।

3. यह प्रोटीन से भरपूर होता है। इसमें पाये जाने वाला फाइटोन्यूट्रिएंट रुटीन कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। इसमें पाये जाने वाला लाइनोलेनिक एसिड अच्छे वाले कोलेस्ट्रॉल एचडीएल को बढ़ाता है और खराब वाले कोलेस्ट्रॉल एलडीएल को कम करता है।

4. इसमें मैग्नीशियम, विटामिन, आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम, फॉलेट, जिंक, कॉपर, मैग्नीज, फास्फोरस आदि की पर्याप्त मात्रा होता है।

5. पोषक तत्व (मात्रा प्रति 100 ग्राम) –

पानी                              – 11.2 ग्राम

कैलोरी                           – 335 कैलोरी

प्रोटीन                            – 12.6 ग्राम

वसा                               – 3.1 ग्राम

शुगर                              – 2.6 ग्राम

कार्बोहाइड्रेट                    – 70.6 ग्राम

फाइबर                           – 10 ग्राम

नियासिन                         –  6.15 मि.ग्राम

राइबोफ्लेविन                   –  0.19 मि.ग्राम

थियामिन                         – 0.417 मि.ग्राम

फोलेट                             – 54 µg

विटामिन-ए                      – 0 आईयू

विटामिन-ई                       – 0.32 मि.ग्राम µg

विटामिन-बी                     – 60.582 मि. ग्राम

विटामिन-के                     –  7 µg

सोडियम                          – 11 मि.ग्राम

पोटैशियम                        – 577 मि.ग्राम

कैल्शियम                        – 41 मि.ग्राम

आयरन                           – 4.06 मि.ग्राम

मैग्नीशियम                      – 251 मि.ग्राम

फास्फोरस                       –  337 मि।ग्राम

जिंक                              –  3.12 मि.ग्राम

फैटी एसिड,

कुल सैचुरेटेड                       – 0.677 ग्राम

फैटी एसिड,

कुल मोनोसैचुरेटेड            – 0.949 ग्राम

फैटी एसिड,

कुल पोलीअनसैचुरेटेड      – 0.949 ग्राम

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कुट्टू के आटे का उपयोग – Use of Buckwheat Flour

कुट्टू के आटे का निम्न प्रकार से उपयोग किया जा सकता है –

1. कुट्टू के आटे का उपयोग व्रत के दिनों में तो किया ही जाता है, इसके अतिरिक्त आप इसे कभी भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

2. कुट्टू के आटे के अक्सर पकौड़ियां और पूड़ियां बनाई जाती हैं।

3. इसके परांठे व सादा रोटी भी बना सकते हैं।

4. उबले हुऐ आलू के साथ मिक्स करके टिक्की, कटलैट्स आदि भी बना सकते हैं।

5. कुट्टू के आटे का हलुआ भी बनाया जा सकता है।

कुट्टू के आटे का कितना उपयोग करना चाहिये? – How Much Buckwheat Flour Should Be Used?

दोस्तो, कुट्टू के आटे का कितना उपयोग करना चाहिये, इस विषय में कोई निर्धारित मानदंड नहीं है परन्तु इतना तय है कि इसका बहुत सीमित मात्रा में सेवन करना चाहिये, केवल व्रत के सीमित भोजन के रूप में ना कि रोजाना की तरह पेट भरने के लिये। वैसे भी इसकी तासीर बेहद गर्म होती है, अधिक खाने से आप अस्वस्थ हो सकते हैं।

कुछ सावधानियां – Some Precautions

दोस्तो, कुट्टू के आटे का उपयोग करने के लिये कुछ निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहियें –

1. कुट्टू का आटा कभी खुला ना खरीदें क्योंकि इसमें मिलावट हो सकती है इसलिये इसे हमेशा पैकेट बंद ही खरीदें।

2. कुट्टू के आटे को एक महीने के अंदर खत्म कर लें क्योंकि बाद में यह खराब होने लगता है, इसमें कीड़े पड़ सकते हैं।

3. चूंकि कुट्टू का आटा सख्त होता है, यह चबाने में भी सरल नहीं होता इसलिये इसे नर्म बनाये रखने के लिये इसे छः घंटे पहले भिगोकर रख देना चाहिये।

4. चूंकि कुट्टू के आटे में ग्लूटन नहीं होता इसलिये यह आसानी से गुंधने में नहीं आता। इसके लिये उबले हुऐ आलू को इसके साथ मिक्स कर देना चाहिये फिर यह आसानी से गुंध जायेगा।

5. यदि इसके सेवन से मुंह में छाले हों या पेट की कोई समस्या हो जाये तो भविष्य में इसका उपयोग ना करें। 

6. इसकी अत्यधिक गर्म तासीर को ध्यान में रखते हुऐ, इसके आटे से बने व्यंजनों का सेवन ठंडी वस्तुओं के साथ करना चाहिये जैसे दही, इमली आदि।

7. इसके आटे से बने व्यंजनों का सेवन करने के बाद पानी अधिक पीयें।

8. हम दुबारा दोहराते हैं कि इसका सेवन व्रत के भोजन के रूप में सीमित मात्रा में करें, पेट भरने के लिये नहीं।

कुट्टू के आटे खाने के फायदे – Benefits of Eating Buckwheat Flour

1. शारीरिक शक्ति प्रदान करे (Provide Physical Strength)- व्रत के समय सारे दिन भूखा रहने पर शारीरिक ऊर्जा कम हो जाती है जिससे कमजोरी और थकान महसूस होती है। ऐसे में कुट्टू के आटे से बने व्यंजन अन्न की कमी पूरी करते हैं। कुट्टू का आटा प्रोटीन से भरपूर होता है, विटामिन, खनिजों से समृद्ध होता है। यह शरीर को तुरंत ऊर्जा देता है और शारीरिक कमजोरी को दूर करता है।

2. गर्भावस्‍था में लाभकारी (Beneficial in Pregnancy)- गर्भवती महिलाओं के शारीरिक स्वास्थ और गर्भस्थ शिशु के लिये विकास के लिये बहुत लाभकारी है। इसके विटामिन शिशु के विकास में सहायक होते हैं, इसका प्रोटीन नई कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है, प्रचुर मात्रा में पाये जाने वाला कार्बोहाइड्रेट्स शरीर को एनर्जी देता है। यह गर्भवती महिला के वजन को भी कंट्रोल करता है क्योंकि कुट्टू का आटा, कैलोरी कम होने के कारण शरीर में जल्दी घुल जाता है। परन्तु प्रेगनेंट होने के कितने महीने बाद इसका सेवन करना है इस बारे में डॉक्टर की सलाह बहुत आवश्यक है क्योंकि इसकी गर्म तासीर शुरुआती दिनों में गर्भ को क्षति पहुंचा सकती है।

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3. वजन कम करे (Lose Weight)- वजन को नियंत्रित करने के लिये उच्च प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की जरूरत होती है क्योंकि ये अन्य प्रकार के भोजन की अपेक्षा, कम कैलोरी के साथ अधिक समय तक पेट को भरे रखते हैं। दूसरे, यही काम फाइबर भी करता है। कुट्टू के आटे में प्रोटीन और फाइबर की उच्च मात्रा पाई जाती है और कैलोरी कम होती है। अतः इसके उपयोग से पेट लंबे समय तक भरा रहता है और जल्दी-जल्दी भूख नहीं लगती। वजन कम करने के मतलब से इसे दैनिक आहार के रूप में, मगर कम मात्रा में शामिल किया जा सकता है।

4. डायबिटीज में फायदेमंद (Beneficial in Diabetes)- ग्लिसेमिक इंडेक्स कम होने के कारण डायबिटीज के मरीजों के लिये कुट्टू के आटे का सेवन एक उत्तम आहारीय विकल्‍प है। कुट्टू के आटे में यह इंडेक्स 47 होता है। इसमें पाये जाने वाला डी-चिरो-इनोसिटोल (D-chiro-inositol) नामक यौगिक ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित रखने का काम करता है। टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों में अक्सर इस यौगिक की कमी हो जाया करती है जो कि शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिये जरूरी होता है। इसमें पाये जाने वाले विशेष कार्ब्स और फाइबर भी ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित करने का काम करते हैं। कुल मिलाकर कुट्टू के आटे का सेवन, ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित कर, डायबिटीज के मरीजों को राहत प्रदान करता है।

5. कोलेस्ट्रॉल स्तर बनाये रखे (Maintain Cholesterol Level)- कुट्टू के आटे में मौजूद अल्फा लाइनोलेनिक एसिड अच्छे वाले कोलेस्ट्रॉल एचडीएल को बढ़ाता है और खराब वाले कोलेस्ट्रॉल एलडीएल को कम करता है। इस प्रकार रक्त में कोलेस्ट्रॉल का सामान्य स्तर बनाये रखने में कुट्टू का आटा मदद करता है। इसमें मौजूद उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन ट्राइग्लिसराइड्स और कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (LDL) बनाने वाली प्लाक को भी रक्त धमनियों से हटाने में मदद करते हैं।

6. ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करे (Control Blood Pressure)- मैग्‍नीशियम का काम रक्‍त वाहिकाओं में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करना, ब्लड की गति को निर्बाध बनाये रखना है ताकि रक्‍त वाहिकाऐं नरम बनी रहें। इससे रक्‍त वाहिकाओं को भी आराम मिलता है उन्हें सामान्य से अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती। इसके फलस्वरूप ब्लड प्रैशर नियन्त्रण में रहता है। कुट्टू के आटे में मैग्‍नीशियम की पर्याप्त मात्रा होती है जो स्वाभाविक रूप से हाई ब्लड प्रैशर को कम कर ब्लड प्रैशर के स्तर को सामान्य बनाये रखता है।

7. हृदय के लिए लाभकारी (Beneficial for Heart)- अब तक हमने जाना कि कुट्टू का आटा वजन कम करने में मदद करता है, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रैशर को नियंत्रित करने में भी मदद करता है, रक्त वाहिकाओं से प्लाक को हटाकर इन्हें नर्म बनाये रखता है जिससे निर्बाध गति से रक्त प्रवाह निरन्तर बना रहे। ये सभी हृदय समस्याओं का कारण बनते हैं। जब ये सब सही रहेंगे तो हृदय खुद ही सुरक्षित रहेगा और हृदय से जुड़ी किसी भी समस्या की संभावना नहीं रहेगी। वैसे भी कुट्टू के आटे में मौजूद विटामिन-बी6, नियासिन, फोलेट हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। नियासिन रक्त वाहिकाओं से कोलेस्ट्रॉल हटाने का काम करता है, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, कॉपर और मैंगनीज आदि उच्च ब्लड प्रैशर को कम करके ब्लड में सुधार करते हैं।

8. हड्डियों के स्वास्थ्य के लिये (For Bone Health)- कुट्टू के आटे में कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैग्नीज, प्रोटीन, फास्‍फोरस और पोटेशियम आदि की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है जो हड्डियों के स्वास्थ को बनाये रखने का कार्य करते हैं। मैग्नीज हड्डियों के निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका निभाता है। मैग्नीशियम भी हड्डियों और दांतों को स्वस्थ बनाये रखने मदद करता है। यह शरीर से कैल्शियम को सोखता है जिससे ऑस्टियोपोरोसिस नामक अस्थि रोग की संभावना नहीं रहती। 

9. पित्त की पथरी को रोके (Prevent Gallstones)-  अमेरिकन जरनल ऑफ गेस्ट्रोएन्ट्रोलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार 5 प्रतिशत अधिक अघुलनशील फाइबर लेने से पित्त की पथरी होने की संभावना 10 प्रतिशत तक कम हो जाती है। कुट्टू का आटा अघुलनशील फाइबर का उत्तम श्रोत है। यह आंतों के द्वारा भोजन को गति देता है जिससे इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ जाती है। कुट्टू के आटे के सेवन से अघुलनशील फाइबर पित्त की पथरी होने से बचाव करता है और इसके सेवन से शरीर में बाइल एसिड का निर्माण होता है जो पित्त की पथरी से राहत दिलाने में मदद करता है। 

10. अस्‍थमा में लाभकारी (Beneficial in Asthma)- कुट्टू के आटे में मैग्नीशियम और विटामिन-ई की पर्याप्त मात्रा होती है जो अस्थमा से बचाव करने में मदद करते हैं विशेषकर बच्चों को अस्थमा से बचाने में। इस बात की पुष्टी नीदरलैंड में हुऐ एक अध्‍ययन से हो जाती है जिसमें कहा गया है कि जिन बच्‍चों को कुट्टू का सेवन कराया जाता है उनमें दूसरे बच्‍चों की अपेक्षा अस्‍थमा होने की संभावना कम हो जाती है। इसके सेवन से बचपन के अस्थमा का लगभग 50 प्रतिशत तक का खतरा कम हो जाता है।

11. एनीमिया में लाभकारी (Beneficial in Anemia)- शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होने पर ऑक्सीजन भी घटने लगता है और नया खून बनने में रुकावट आने लगती है।  खून की इसी कमी या रेड ब्लड सेल्स की कमी को एनीमिया कहा जाता है। इसका प्रमुख कारण होता है भोजन से पर्याप्त मात्रा में आयरन का ना मिल पाना, यानी आयरन की कमी, रक्त की कमी। कट्टू के आटे के सेवन से रक्त की कमी को रोका जा सकता है क्‍योंकि इससे अन्य पोषक तत्वों के साथ आयरन की भी पर्याप्त मात्रा मिल जाती है। यह आयरन जो लाल रक्‍त कोशिकाओं के उत्‍पादन को बढ़ाने में  अपनी सक्रिय भूमिका निभाता है। अतः कुट्टू के आटे को एनीमिया से राहत पाने के लिये एक बेहतरीन विकल्प के रूप में अपनाया जा सकता है।  एनीमिया के विषय में अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “एनीमिया को दूर करने के घरेलू उपाय” पढ़ें।

12. इम्युनिटी सिस्टम को बढ़ाये (Boost Immunity System)- कुट्टू के आटे में अनेक शक्तिशाली एंटीऑक्‍सीडेंट होते हैं जो फ्री रेडिकल्‍स से हमारा बचाव करते हैं। इसमें पाये जाने वाला विटामिन-सी अपने आप में एक विशेष शक्तिशाली एंटीऑक्‍सीडेंट होता है जो हमारे शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करता है। कुट्टू के आटे में टोकोफेरोल, फेनोलिक एसिड, सेलेनियम और फ्लेवोनोइड जैसे एंटीऑक्‍सीडेंट घटक भी मौजूद होते हैं। ये सभी शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। सीमित मात्रा में कुट्टू के आटे का नियमित सेवन इम्युनिटी सिस्टम को बढ़ाने के लिये एक अच्छा विकल्प है।

13. त्वचा के लिये लाभकारी (Beneficial for Skin)- त्वचा के स्वास्थ और सुंदरता को बनाये रखने के लिये पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। कुट्टू के आटे में वे सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं जिनसे त्वचा के स्वास्थ और सौन्दर्य बना रहे। इसमें पाये जाने वाले विटामिन-सी और ई त्वचा की रंगत को निखारते हैं। इसके एंटीऑक्‍सीडेंट्स फ्री रेडिकल्‍स से त्वचा की कोशिकाओं की रक्षा करते हैं, लिपिड पेरोक्‍सीडेशन के स्‍तर को भी सामान्य बनाये रखने में मदद करते हैं और सूरज की अल्ट्रा वॉयलट  किरणों से बचाते हैं। कुट्टू के आटे में न्‍यूक्लिक एसिड की भी पर्याप्त मात्रा पाई जाती है जो एंटी-एजिंग गुण होते हैं। ये गुण त्वचा पर अपना एंटी-एजिंग प्रभाव  छोड़ते हैं जो चेहरे की झुर्रियों और फाइन लाइन्स को कम कर बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करते हैं। त्वचा के लिये कुट्टु के आटे का उपयोग निम्न प्रकार कर सकते

हैं –

(i)  त्वचा की रंगत निखारने के लिये – दो-दो चम्मच कुट्टू का आटा, बेसन और गुलाब जल लेकर इनको अच्छी तरह मिक्स करके फेस पैक बना लें। इस पैक को चेहरे पर लगाकर छोड़ दें, जब यह सूख जाये तो चेहरे को पानी से धो लें। हफ्ते में तीन बार कर सकते हैं। इस फेस पेक के लिये आप बेसन ना मिलाना चाहें तो आपकी इच्छा है इसकी जगह मेथी के बीज पीसकर मिक्स कर सकते हैं।

(ii) एंटी-एजिंग के लिये – एक चम्‍मच कुट्टू का आटा और दो चम्‍मच दूध की मलाई लेकर मिक्स कर लें। इसे चेहरे पर लगाकर छोड़ दें। सूख जाने पर चेहरे को पानी से धो लें।

14. बालों के स्वास्थ्य के लिये (For Hair Health)- कुट्टू का आटा त्वचा के साथ-साथ बालों के स्वास्थ के लिये भी लाभदायक है। इसमें भरपूर अमीनो एसिड पाया जाता है जो बालों को बढ़ने में मदद करता है और उनको मजबूत बनाता है। यह अमीनो एसिड बालों को टूटने और झड़ने से भी बचाता है। बालों के स्वास्थ को बनाये रखने के लिये कुट्टू के आटा से बने खाद्य पदार्थ तो फायदा करते ही हैं साथ ही इसका हेयर पैक बना कर बालों में लगाने से फायदा होता है। हेयर पैक बनाने के लिये कुट्टू का आटा और दही बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह मिला लें। इस पेक को बालों में लगाकर थोड़ी देर खोपड़ी की मालिश करें। इससे बालों की जड़ें मजबूत बनेंगी। लगभग आधा घंटा बाद सिर धो लें।

कुट्टू के आटे के नुकसान – Side Effects of Buckwheat Flour

दोस्तो, कुट्टू के आटे का ज्यादा उपयोग करने से हो सकते हैं निम्नलिखित नुकसान –

1. कई लोगों को इससे एलर्जी हो सकती है जिसमें उल्टी, मिचली, चक्कर आना, सांस लेने में दिक्कत, गला बंद हो जाना जैसे लक्षण प्रकट हो सकते हैं। ऐसी अवस्था होने पर भविष्य में इसके उपयोग से बचना चाहिये। 

2. एलर्जी से त्वचा पर रैशेज पड़ सकते हैं और सूजन भी हो सकती है।

3. मुंह में छाले हो सकते हैं।

4.  पेट में दर्द, पूट फूलना आदि।

5. आहार फाइबर की अधिक मात्रा होने के कारण गैस्ट्रोइंटेन्स्टीन लक्षण प्रकट हो सकते हैं जैसे ऐंठन गैस आदि, विशेषकर संवेदनशील आंत की बीमारी (Irritable Bowel Syndrome) से पीड़ित मरीजों में।

6. चूंकि कुट्टू के आटे में पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है जिससे रक्त में पोटेशियम का स्तर बढ़ सकता है जोकि मांसपेशियों में कमजोरी, पैरालाइसिस और दिल की धड़कन बंद होने का करण बन सकता है।

7. लंबे समय तक रखे हुऐ आटे का उपयोग से कोशिकाओं को नुकसान हो सकता है या फूड पाइज़निंग की संभावना बन सकती है।

Conclusion

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको कुट्टू के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कुट्टू क्या होता है, कुट्टू की खेती कहां होती है, कुट्टू के आटे के गुण, इसका उपयोग, कुट्टू के आटे का कितना उपयोग करना चाहिये और कुछ सावधानियां, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से कुट्टू के आटे के फायदे और नुकसान भी बताये। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा।

दोस्तो, इस लेख से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो लेख के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह लेख आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और  सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।
Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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कुट्टू के आटे खाने के फायदे
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कुट्टू के आटे खाने के फायदे
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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको कुट्टू के आटे खाने के फायदे के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कुट्टू क्या होता है, कुट्टू की खेती कहां होती है, कुट्टू के आटे के गुण, इसका उपयोग, कुट्टू के आटे का कितना उपयोग करना चाहिये और कुछ सावधानियां, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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