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Health Tips for Pregnant Ladies in Hindi

दोस्तो, आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग पर। हमारा आज का टॉपिक है गर्भावस्था में सावधानियां Health Tips for Pregnant Ladies । आज हम कुछ टिप्स देंगे महिलाओं को, जो गर्भवती हैं।  सृष्टी का ये सिद्धान्त है कि संसार में किसी प्राणी के आने का आधार नर और मादा का मिलाप होता है। मानव के जन्म के लिये भी यही सिद्धान्त लागू होता है अर्थात् पुरूष के मिलन से स्त्री गर्भवती होती है। महिला गर्भवती होने पर गर्व का अनुभव करती है कि वो सृष्टी में एक जीव को जन्म देने वाली है। उसके लिये ये पल बहुत अनमोल और सुखद होते हैं। वह अपने बच्चे के लिये बहुत सपने संजोती है। ये पल उसके जीवन के सबसे अधिक महत्तवपूर्ण होते हैं क्योंकि उसके अंदर एक और जीवन पल रहा होता है, उसकी और स्वयम् की सुरक्षा सर्वोपरी होती है। 

दोस्तो, ये बात हम सब जानते हैं कि संयुक्त परिवार में गर्भवती महिला की देखभाल परिवार की अन्य महिलायें  रखती हैं, उसके खाने पीने से लेकर उसकी सुरक्षा तक। कई बार उनकी सलाह/टोका-टाकी जैसे ये खाओ, ये ना खाओ, वहां ना जाओ, ये ना करो, वो ना करो, ऐसे मत उठो, बैठो आदि से ऐसी स्थिती पैदा हो जाती है कि गर्भवती महिला, विशेषकर जो पहली बार मां बनेगी, उलझन में आ जाती है।  

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Health Tips for Pregnant Ladies in Hindi
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और ये भी एक सच्चाई है कि आज के समय में संयुक्त परिवार की अपेक्षा एकल (Single) परिवार का चलन है जहां महिला को खुद ही सब कुछ देखना पड़ता है। कामकाजी महिलाओं के लिये तो और भी ज्यादा जिम्मेदारी बढ़ जाती है। वो अपने लिये समय ही नहीं निकाल पाती हैं। कुछ महिलायें अपनी फिगर, सुन्दरता को लेकर बहुत जागरूक रहती हैं, सोचती हैं कि कहीं बच्चे के जन्म के बाद उनका वजन ना बढ़ जाये, फिगर ना बिगड़ जाये आदि। उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि वे अपने लिये समय निकालें और स्वास्थ का अपने खाने पीने का विशेष ध्यान रखें। 

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Health Tips for Pregnant Ladies in Hindi

इन्हीं सब बातों को ध्यान में रख कर हम गर्भवती महिलाओं के लिये कुछ टिप्स बता रहे हैं जो उनको स्वस्थ रखने में मददगार साबित होंगे। ये इस प्रकार हैं :-

1. नियमित चेकअप (Regular Checkup)- गर्भवती होने के बाद महिला को नियमित रूप से डॉक्टर से अपनी जांच कराते रहना चाहिये। 25 वर्ष से अधिक की आयु में गर्भवती होने वाली महिलाओं में हॉर्मोनल संतुलन और रोग प्रतिरोधक रक्षा प्रणाली में कमी आने लगती है। इसलिये उनको कुछ वैक्सीन दी जाती हैं जो संभावित रोग के खतरों से बचाती हैं। वैसे हेपेटाइटिस, रुबेला, इन्फ्लुएंजा एवं टिटनेस  वैक्सीन हर गर्भवती महिला के लिये आवश्यक होती है।

यदि गर्भ सामान्य है और किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है, फिर भी 28 सप्ताह तक हर 4 सप्ताह के अंतराल में चेक-अप करवाना चाहिये। 36वें सप्ताह तक हर दो सप्ताह में एक बार चेकअप करवायें। और  डिलीवरी का समय नजदीक आने पर हर सप्ताह जांच करवानी चाहिये। याद रखिये नियमित जांच गर्भवती महिला और उसके होने वाले बच्चे के स्वास्थ के लिये बेहद जरूरी है। 

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2. खून की कमी ना होने दें (Don’t let the blood loss)- गर्भावस्था का समय बहुत ही नाजुक होता है। इस समय में बहुत सावधानियां बरतने  की आवश्यकता होती है। विशेषकर खून के मामले में।  गर्भावस्था के समय खून का वौल्यूम 30 से 50% तक बढ़ जाता है। आयरन और पौष्टिक तत्त्व शरीर में अधिक खून बनाने के लिए जरूरी लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करते हैं।

हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन ले जाता है। ऐनीमिया यानी खून में मौजूद लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन की कमी।  इसके लिये आयरन तथा पौष्टिक तत्त्व युक्त भोजन के अतिरिक्त डॉक्टर की सलाह पर जरूरी सप्लीमैंट लेने चाहियें ताकि गर्भावस्था में खून की कमी ना होने पाये। 

3. व्यायाम (work out)- गर्भावस्था में व्यायाम निर्भर करता है गर्भवती महिला के स्वास्थ, शारीरिक क्षमता और गर्भ की स्थिति पर। इस बारे में डॉक्टर से परामर्श अवश्य करना चाहिये। डॉक्टर की सलाह से ही व्यायाम आखरी सप्ताह तक जारी रखा जा सकता है। व्यायाम गर्भवती महिला तथा गर्भस्थ दोनों के लिये लाभदायक होता है।

परन्तु कोई भी व्यायाम डॉक्टर की सलाह के बिना अपनी मर्जी से ना चुनें। ऐसा कोई भी व्यायाम ना करें जिससे शरीर के किसी अंग पर, विशेषकर पेट पर, दबाब, खिंचाव पड़े या दर्द हो जाये। व्यायाम करते हुए यदि सांस फूलने लगे तो थोड़ा रुक कर दुबारा शुरू कर सकती हैं। हां, असहनीय और असुविधा की स्थिति में व्यायाम रोक दें। 

व्यायाम के लिये किसी ऐसे स्थान को चुनें जो आपको आरामदायक लगे, यानि गर्मी के मौसम में ज्यादा गर्मी ना लगे और सर्दी के दिनों में सर्दी से परेशान ना हों। 

व्यायाम के लिये आरामदायक कपड़े पहनें। कपड़े तंग (Tight) ना हों। 

4. भ्रमण (Morning/Evening walk) – भ्रमण यानि सुबह-शाम की सैर व्यायाम का ही हिस्सा है। गर्भावस्था में सुबह की सैर से मन प्रसन्न रहता है और आप सारे दिन एक्टिव रहेंगी। पर याद रखिये आपको तेज-तेज नहीं चलना है, जॉगिंग नहीं करनी है, केवल चलना है वो भी सामान्य चाल से या धीरे धीरे। इसी तरह शाम को भी सैर कर सकती हैं। रात को भोजन करने के पश्चात थोड़ा चहलकदमी कर लें तो स्वास्थ के लिये बहुत ही अच्छा रहेगा। 

5. भरपूर नींद (Full sleep)- गर्भवती महिला के अच्छे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ के लिये नींद पूरी होना बहुत ही जरूरी है। आठ घंटे की नींद से मां और बच्चे में रक्त का संचार ठीक से होता है। और महिला तनाव रहित रहती है। सोने से पहले गर्म दूध में शहद डालकर पीने से अच्छी नींद आयेगी।

खानपान के बारे में – गर्भवती महिला के अच्छे स्वास्थ के लिये और गर्भस्थ बच्चे के विकास के लिए ज्यादा मात्रा में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन, मिनरल, फाइबर और आयरन की जरूरत होती है। गर्भवती महिला को रोजाना 1,000mg कैल्शियम की जरूरत होती है। इसलिये गर्भवती महिला का भोजन इन सब तत्वों से भरपूर होना चाहिये। 

6. पानी (Water)- यूं तो हर किसी को दिन में कम से कम आठ गिलास पानी पीना आवश्यक होता है। परन्तु गर्भवती महिला के मामले में आठ गिलास पानी पीना और भी आवश्यक हो जाता है क्यूंकि गर्भावस्था के समय शरीर को हाइड्रेट रखना बेहद जरूरी होता है।

पानी के अलावा नारियल पानी, घर में निकाला हुआ फलों का रस भी पीना चाहिये। एक बात का ध्यान रखें कि फलों का जूस बाहर बाजार वाला ना पीयें इससे आप संभावित संक्रमण से बच जायेंगी।

7. हरे पत्तेदार सब्जियां (Green leafy vegetables)- जैसा कि हम पहले बता चुके हैं कि आयरन या पौष्टिक तत्त्व शरीर में अधिक खून बनाने के लिए जरूरी लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करते हैं। इसलिये गर्भवती महिलाओं को भोजन में हरे पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिये जैसे पालक, पत्तागोभी, ब्रोकली, मेथी, साग, धनिया, पुदीना आदि। इनमें आयरन, विटामिन और पौष्टिक तत्त्व भरपूर मात्रा में होते हैं। पालक में तो आयरन सबसे ज्यादा होता है। 

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8. दालें (Pulses)- भोजन में दालों का अपना ही महत्व होता है। दालों में प्रोटीन तथा विटामिन्स् की प्रचुर मात्रा होती है। गर्भवती महिलाओं को अपने भोजन में मटर, बींस और दालों को अवश्य शामिल करना चाहिये।  

9. फौलिक ऐसिड (Folic Acid)- जन्म से जुड़ी कई समस्याओं को खत्म करता है फौलिक ऐसिड। जैसे कि गर्भावस्था में शिशु को न्यूरल ट्यूब डिफैक्ट से बचाना। आखिर ये फौलिक ऐसिड है क्या? एक तरह से ये विटामिन-बी है जो घुलनशील होता है। ये हरी पत्त‍ियों वाली सब्जियों में पाया जाता है।

यह विटामिन हीमोग्लोबिन बनाने में अपनी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। भिंडी, केला, कोर्न, ऐवोकाडो आदि से भी फौलिक ऐसिड की पूर्ति होती है।  इसलिये गर्भवती महिलाओं को ये सब खाना चाहिये। 

10. साबुत अनाज (whole grains)- भूरे चावल, ओट्स, किनोआ आदि में प्रोटीन भरपूर होता है। इनसे भरपूर कैलोरी मिलती है। विटामिन-बी, फाइबर और मैग्नीशियम की मात्रा भी इनमें खूब होती है जो प्रैग्नेंसी में फायदा पहुंचाते हैं। ये गर्भस्थ शिशु के विकास में सहायक होते हैं। इसलिये गर्भवती महिला के लिये ये सब साबुत अनाज उसके भोजन में शामिल होने चाहियें।

11. मांसाहार (Non-vegetarian)-  मांसाहारी महिलाओं के लिये गर्भावस्था के समय मांसाहार लेना, जैसे अंडा, मटन, चिकन या मछली, बहुत फायदेमंद होता है। परन्तु याद रखिये ये  सब अच्छी तरह पका हुआ होना चाहिये।  कभी भी कच्चा मांस, अंडा आदि ना खायें।  ये पूरी तरह से पके होने चाहियें। 

       (i) मछली (Fish)-  मछली के बारे में हम स्पष्ट करना चाहेंगे कि उन मछलियों को नहीं खाना चाहिये जिन मछलियों के शरीर में पारे का स्तर ज्यादा होता है जैसे कि स्पेनिश मेकरल, मार्लिन या शार्क, किंग मकरल और टिलेफिश। ये गर्भस्थ बच्चे के विकास में बाधक बन सकती हैं और अनेक प्रकार की समस्या खड़ी कर सकती हैं। 

         जो मछलियां मीठे पानी या तालाब में पायी जाती हैं जैसे साल्मन, ट्राउट, रोहू आदि का ही सेवन करना चाहिये। इनके सेवन से गर्भवती महिला और उसके होने वाले बच्चे, दोनों की इम्यूनिटी बढ़ती है। इन मछलियों में प्रोटीन, आयरन, ओमेगा 3 फैटी एसिड व ओमेगा 6  पाया जाता है।  

        (ii) अंडा (Egg)- अंडे के सेवन से थकावट, कमजोरी दूर होती है। गर्भवती महिला अपने में ऊर्जा की कमी महसूस नहीं करती। सुबह नाश्ते में पूरा उबला हुआ अंडा या  ऑमलेट बनाकर खाया जा सकता है। यह प्रोटीन से भरपूर होता है, कैलोरी की मात्रा अधिक होती है और कॉलेस्ट्रोल को नियंत्रण में रखता है। 

       (iii) मटन (Mutton)- मटन को विटामिन, जिंक और आयरन का अच्छा स्रोत माना जाता है। यह नर्वस सिस्टम ठीक रखता है और गर्भवती महिला में खून की कमी को दूर करता है। 

       (iv) चिकन(Chicken)- चिकन में सेलेनियम होता है जो गर्भवती महिला का थायराइड से बचाव करता है। इसमें आयरन, कैल्शियम, विटामिन, फास्फोरस जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। गर्भवती महिला व गर्भस्थ शिशु को चिकन से भरपूर प्रोटीन मिलता है। चिकन में पाये जाने वाला विटामिन-सी, गर्भवती महिला की इम्यूनिटी को मजबूत बनाये रखता है और उच्च रक्तचाप को भी नियंत्रित रखता है।

12. पॉश्चरीकृत डेयरी उत्पादन (Pasteurized dairy products)- कैल्शियम की आपूर्ति के लिये भोजन में दुग्ध उत्पाद खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है जैसे दही, छाछ, दूध, पनीर आदि। परन्तु गर्मवती महिला के भोजन में ये खाद्य पदार्थ केवल पॉश्चरीकृत डेयरी के ही होने चाहियें ना कि साधारण डेयरी के उत्पादन। यानि दूध भी पॉश्चरीकृत होना चाहिये। क्यूंकि क्रीम दूध में मौजूद लिस्टेरिया नाम का बैक्टीरिया अनेक समस्यायें पैदा कर सकता है। 

13. ड्राई फ्रूट्स (Dry Fruits)- गर्भवती महिला को सूखे मेवों का सेवन करना चाहिये क्योंकि ये हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाते हैं। सूखे मेवों में अनेक प्रकार के विटामिन, कैलोरी, फाइबर, आयरन तथा ओमेगा 3 फैटी एसिड मौजूद होते हैं जो गर्भावस्था में बेहद फायदेमंद होते हैं। यदि एलर्जी नहीं है तो काजू, बादाम, अखरोट, किशमिश आदि का सेवन करना चाहिये।

अखरोट को पानी में रात भर के लिये भीगने को रख दें और सुबह खायें तो ज्यादा फायदा होगा। खजूर और अंजीर में आयरन की भरपूर मात्रा होती है जो हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाते हैं। खजूर और अखरोट भी खून बढ़ाने में सहायता करते हैं। सूखा नारियल खाने से भी बहुत फायदा होगा। इससे आपके दांतों की एक्सरसाइज भी होती है।

14. फल और फलों का रस (Fruit and juice)- फलों के सेवन का अपना ही महत्व है। गर्भावस्था में फल खाना या फलों का रस पीना गर्भवती महिला के लिये बहुत लाभदायक होता है।  परन्तु फल खाने से पहले अच्छी तरह से धो लें ताकि किसी भी प्रकार के संक्रमण की संभावना ना हो। अनार, कीवी, आड़ू, चकोतरा और अमरूद में आयरन की प्रचुर मात्रा पायी जाती है।

और संतरा विटामिन सी से भरपूर होता है जो इम्यूनिटी को तो बढ़ाता है साथ ही हीमोग्लोबिन के स्तर को भी बढ़ाता है। तरबूज और नाशपाती का सेवन भी फायदेमंद होता है। यदि फल ना खाना चाहें तो फलों का जूस पी सकती हैं लेकिन जूस घर पर निकाला हुआ होना चाहिये। बाजार वाला जूस या डिब्बा बंद जूस का सेवन ना करें।

दोस्तो, अब बताते हैं आपको कि गर्भवती महिला को क्या नहीं खाना चाहिये। 

क्या नहीं खाना चाहिये – What not to eat

1. सबसे पहले तो ये बात समझिये कि सब्जियों और फलों को बिना धोये नहीं खाना चाहिये। 

2. अधपका, कच्चा मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिये।

3. कभी भी गर्भवती महिला को कच्चे अंडे का सेवन नहीं करना चाहिये। क्योंकि इससे सालमोनेला संक्रमण  हो सकता है जिससे कि उल्टी दस्त की संभावना रहती है।

4. ऐसी मछलियों का सेवन नहीं करना चाहिये जिनमें पारे का स्तर ज्यादा हो।

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5. क्रीमयुक्त दूध और इससे बने खाद्य पदार्थ जैसे, दही, पनीर आदि का सेवन नहीं करना चाहिये।

6. कॉफी, चॉकलेट और चाय का बहुत अधिक सेवन नहीं करना चाहिये। क्योंकि इनमें कैफीन होता है। गर्भावस्था में केवल 200 मिलिग्राम तक ही कैफीन को सुरक्षित समझा जाता है। ज्यादा कैफीन के सेवन से जन्म के समय बच्चे का वजन कम रह सकता है। 

7. शराब सिगरेट आदि नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिये। इसका सीधा असर गर्भस्थ शिशु के मस्तिषक और शारीरिक स्वास्थ पर पड़ता है। 

8. कच्ची अंकुरित दालों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि साल्मोनेला, लिस्टेरिया और ई-कोलाई जैसे बैक्टीरिया की वजह से फूड पॉइजनिंग, उल्टी, दस्त आदि की समस्या हो सकती है।

9. कच्चा पपीता तो भूल कर भी नहीं खाना चाहिये। क्योंकि इसमें लैटेक्स की मात्रा अधिक होती है, जिससे गर्भपात की संभावना रहती है। विटामिन-सी की अधिकता से कब्ज, गैस आदि हो सकती है। 

10. अनन्नास (Pineapple) के कारण गर्भपात की संभावना रहती है।  इसमें ब्रोमेलियन की अधिकता होने के कारण गर्भ ठहर नहीं पाता। अतः इसको भोजन में शामिल नहीं करना चाहिये।   

11. जंक फूड में बहुत अधिक  फैट होता है जिससे कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है। इसलिये गर्भवती महिला को इससे दूर ही रहना चाहिये।

अब कुछ विशेष सावधानियां जो गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ और सुरक्षा से जुड़ी हैं। 

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1. गर्भवती महिला को आराम से उठना, बैठना चाहिये। जल्दबाजी नहीं करनी चाहिये। वर्ना शरीर के किसी अंग को झटका लग सकता है।

2. गर्भावस्था में बहुत देर तक खड़े रहना नहीं चाहिये क्योंकि इससे पैरों में सूजन आ सकती है।

3. रात को ज्यादा देर तक जागना नहीं चाहिये। भरपूर नींद लेनी चाहिये कम से कम आठ घंटे की।

4. बहुत ज्यादा लम्बे समय तक लगातार काम नहीं करना चाहिये। बीच-बीच में विश्राम लेना चाहिये। 

5. बहुत ज्यादा झुकना नहीं चाहिये। झुकना भी हो तो बहुत आराम से और धीरे से झुकें ताकि पेट पर दवाब ना पड़े।

6. भारी वस्तुओं को ना उठायें।

7. आलती-पालती (टांगें क्रॉस करके) मार के ना बैठें।

8. भागें दौड़ें नहीं।

9. लम्बी यात्रा करने से बचें।

10. ऊंची एड़ी (High Heals) की सैन्डिल ना पहनें।

11. मोबाइल का बहुत ही कम प्रयोग करें। जितना हो सके उतना मोबाइल को अवाइड करें।

Conclusion

दोस्तो, आज के लेख में हमने गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के समय के लिये कुछ टिप्स दिये Health Tips for Pregnant Ladies in Hindi । उनके खानपान के बारे में बताया।  उनको क्या नहीं करना चाहिये, क्या उनको सावधानियां बरतनी चाहिये ये भी बताया। हमें  उम्मीद है कि गर्भवती महिलायें इन टिप्स का फायदा उठायेंगी। दोस्तो, आशा है आपको ये लेख पसन्द आयेगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों या सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर करें। ताकि सभी गर्भवती महिलायें इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो हमारा आज का यह लेख आपको कैसा लगा।  कृपया अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health- Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer- यह लेख केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर उत्तरदायी नहीं है।  कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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