दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आपने बहुत से लोगों को देखा होगा या उनके बारे में सुना होगा कि उनको यात्रा करते हुऐ चक्कर आता है, जी मिचलाता है और उल्टी आती है। चाहे वे बस से सफ़र कर रहे हों या आटोरिक्शा से अपनी कार से। पूछो तो कहते हैं कि उनके दिमाग में पेट्रोल, डीजल की महक चढ़ जाती है। वास्तव में ये पेट्रोल, डीजल की महक नहीं बल्कि कुछ और ही है। कुछ लोगों को सामान्य रूप से यात्रा करने में कोई समस्या नहीं होती परन्तु जब वे पहाड़ी क्षेत्र में यात्रा करते हैं तो उनको चक्कर आता है और उल्टी होने लगती है। इसी प्रकार किसी को जलयात्रा से तो किसी को हवाई यात्रा से परेशानी होती है। इसके अतिरिक्त कई लोगों को यात्रा समाप्त होने के बाद भी यह महसूस होता है कि वे अभी भी रेल में बैठे हैं या हवाई जहाज में उड़ रहे हैं। आखिर यह सब क्या है?। दोस्तो, इसे मोशन सिकनेस कहा जाता है और यही है हमारा आज का टॉपिक “मोशन सिकनेस क्या है?”
देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको मोशन सिकनेस के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि इसके प्रभाव से को कम करने के क्या उपाय हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि मोशन सिकनेस क्या है, यात्रा के अतिरिक्त मोशन सिकनेस और यह कितने प्रकार की होती है। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।
मोशन सिकनेस क्या है? – What is Motion Sickness?
दोस्तो, मोशन सिकनेस कोई बीमारी नहीं है और ना ही कोई विकार है। यह एक समस्या है जो उत्पन्न होती है आपके यात्रा करने पर, जिसमें आपको चक्कर आता है, जी मिचलाता है, उबकाई आती है और उल्टी भी हो जाती है। इस समस्या को मेडिकल भाषा में “मोशन सिकनेस” कहा जाता है। इस समस्या के उत्पन्न होने का आधार है सेंट्रल नर्वस सिस्टम का कन्फ्यूज हो जाना है, जो हमारे भीतरी कान, आंख और त्वचा से अलग-अलग संकेत मस्तिष्क को मिलने से होता है। मोशन सिकनेस की समस्या 12 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को प्रभावित नहीं करती और पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है, विशेषकर गर्भवती महिलाओं को या उन महिलाओं को जिनका “पीरियड” चल रहा होता है। यह समस्या उन लोगों को भी अधिक प्रभावित करती है जिनको माइग्रेन से ग्रस्त होते हैं। मोशन सिकनेस के समय उनको माइग्रेन का दर्द होने की संभावना बढ़ जाती है।
यात्रा के अतिरिक्त, मोशन सिकनेस – Motion Sickness other than Travel
दोस्तो, युद्ध में वह भी घायल होते हैं जिन्हें गोली नहीं लगती। यह बात मोशन सिकनेस पर भी लागू होती है। मोशन सिकनेस की समस्या उन लोगों को भी होती है जो वास्तव में यात्रा नहीं कर रहे होते बल्कि कुछ और कर रहे होते हैं जैसे कि
1. कम्प्यूटर पर बहुत तेज स्पीड वाले गेम खेलना जैसे रेसिंग गेम्स, फुटबॉल गेम, युद्ध वाले गेम, या हॉरर, सस्पेंस वाली किताब पढ़ना आदि।
2. कोई जुगुप्सा वाले दृश्य देखना या पढ़ना जैसे कि कोई जानवर किसी को मार रहा है, या कोई गन्दगी खा रहा है, कूड़े का ढेर आदि जो उबकाई पैदा करते हैं।
3. या सिमुलेटर में बैठा व्यक्ति कार चला रहा है, टैंक चला रहा है, फाइटर प्लेन चला रहा है या अंतरिक्ष की सैर कर रहा है।
4. कोस्टर रोलिंग या घूमने वाले झूले पर बैठना।
5. ऐसी फिल्म देखना जो कंपन करने वाले कैमरे पर शूट की गई है। थियेटर में फास्ट ट्रैक फिल्में, विशेषकर 3D वाली फिल्में।
6. किसी को वर्चुअल रियलिटी गेम या रियलिटी शो या किसी टीवी शो का हिस्सा बनना।
7. स्वयं एक ही स्थान पर बहुत तेजी से घूमना जैसा कि नृत्य करते समय घूमते हैं।
इन सब स्थितियों में कान, आंखों, हाथ की त्वचा से अलग-अलग संकेत बहुत तेजी से दिमाग को जाते हैं। इन संकेतों में भी परिवर्तन बहुत तेजी से हो रहा होता है तो बेचारा दिमाग समझ ही नहीं पाता कि आखिर बंदा कर क्या रहा है। तब ऐसी स्थिति में चक्कर आने लगते हैं और जी मिचलाता है।
ये भी पढ़े – पैनिक अटैक के घरेलू उपाय
मोशन सिकनेस के प्रकार – Types of Motion Sickness
मोशन सिकनेस को यात्रा के साधन (Mode of transport) और अन्य श्रोत के आधार पर निम्नलिखित नामों से भी जाना जाता है –
1. ट्रैवल सिकनेस
2. सी सिकनेस
3. कार सिकनेस
4. सिमुलेशन सिकनेस
5. एयर सिकनेस
6. स्पेस सिकनेस
क्या सभी को मोशन सिकनेस हो सकती है? – Can Everyone Get Motion Sickness?
अब प्रश्न उठता है कि क्या मोशन सिकनेस की समस्या सभी को हो सकती है? तो, इस का उत्तर है हां। हर किसी को जीवनकाल में कभी ना कभी मोशन सिकनेस की समस्या का सामना करना पड़ता है। यह निर्भर करता है परिस्थितियों पर। जलयान से समुद्री यात्रा करते समय, दस में से तीन लोगों को मोशन सिकनेस होना सामान्य है। यह संख्या उस समय बढ़कर छः या सात भी हो सकती है जब समुद्र में तूफान आने पर लहरें अशांत हो जायें। इसी प्रकार सड़क मार्ग से यात्रा करने पर विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र में जहां सड़कें घुमावदार होती हैं, अधिकतर यात्रियों को जी मिचलाने और उल्टी आने की शिकायत होने लगती है क्योंकि जल्दी-जल्दी Turn लेना पड़ता है जिससे दिमाग में झटके लगते रहते हैं। ऐसी स्थिति में दिमाग गति और दृश्य के बीच बदलते संकेतों के आधार पर अपने को अपडेट नहीं कर पाता।
इस संबंध में लेखक का अपना अनुभव रहा है जिसने मोशन सिकनेस की समस्या को अनेक यात्रियों को झेलते देखा है। कोच्चि (केरल) से मुन्नार के बीच पर्वतीय श्रंखला है। बस में 18 यात्री सफ़र कर रहे थे। हर पहाड़ी के खत्म और दूसरी पहाड़ी के शुरु होने पर बस जल्दी-जल्दी Turn ले रही थी। कुछ देर बाद एक व्यक्ति को उल्टी हुई, एक महिला ने उसका मजाक उड़ाया, पांच मिनट बाद उस महिला को उल्टी हुई और फिर कुछ देर के अंतराल पर औरों को भी उल्टी आई, कुछ यात्रियों का भी जी मिचलाने लगा। इस तरह पांच लोगों को उल्टी हुई, फिर ड्राइवर ने ऐसी जगह बस रोकी जहां नींबू पानी वाला था। वहां सबने नींबू पानी पीया तब जाकर राहत महसूस हुई।
वेस्टिबुलर सिस्टम – Vestibular System
मोशन सिकनेस के कारण जानने से पहले वेस्टिबुलर सिस्टम के बारे में जानना बहुत जरूरी है क्योंकि इसका सीधा संबंध मोशन सिकनेस से है। वेस्टिबुलर सिस्टम आंतरिक कान के भीतर की नसों, छोटे चैनलों और द्रव्यों का एक जटिल संयोजन (Combination) है जो मस्तिष्क को संतुलन और गति का बोध कराता है यानी आप क्या कर रहे हैं आदि। इसी बोध के आधार पर मस्तिष्क अपने को अपडेट करता है जैसे कि यदि आप घर में बैठे हुऐ हैं और उठकर बाहर की ओर चलने लगते हैं तो वेस्टिबुलर सिस्टम के द्रव्य की स्थिति में परिवर्तन हो जायेगा और परिवर्तित स्थिति की जानकारी मस्तिष्क को भेज दी जाती है।
मोशन सिकनेस के कारण – Cause of Motion Sickness
1. विशेषज्ञों के अनुसार मोशन सिकनेस का कारण बेहद जटिल है। इन्द्रियों द्वारा भेजे गये परस्पर विरोधी जानकारी को मस्तिष्क जब अपडेट नहीं कर पाता तब यह मोशन सिकनेस की स्थिति उत्पन्न होती है। अर्थात् आंखें कुछ और देखती हैं और आंतरिक कान (संवेदन गति, त्वरण, और गुरुत्वाकर्षण जो संतुलन और बोध में मदद करते हैं) कुछ और सुनते हैं और त्वचा की गतिविधि कुछ और होती है। ये अपने-अपने संकेत भेजते हैं।
इनके परस्पर विरोधी संकेतों के कारण मस्तिष्क अपने को अपडेट नहीं कर पाता तब मोशन सिकनेस की स्थिति बनती है। इसको इस तरह समझिये की आप कार से 50-60 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से कहीं जा रहे हैं, कार आप नहीं चला रहे। आप सिर्फ़ बैठे हुऐ किताब पढ़ रहे हैं या नहीं पढ़ रहे, या बाहर देख रहे हैं, शारीरिक कोई गतिविधि नहीं, तो वेस्टिबुलर सिस्टम आपके मस्तिष्क को बताता है कि आप अभी भी बैठे हैं। ऐसी हालत में मोशन सिकनेस उत्पन्न हो सकती है।
2. वायुयान से यात्रा करते समय आप केवल इंटीरियर देख सकते हैं या खिड़की से बाहर बादल देख सकते हैं, बादल से परे आप कुछ नहीं देख पाते, शारीरिक गतिविधि कुछ नहीं, कान केवल एक आवाज सुन रहे हैं वायुयान के अंदर की आवाज। ऐसे में सभी इन्द्रियों द्वारा भेजे गये विरोधी संकेतों को मस्तिष्क अपडेट नहीं कर पाता।
3. इसी प्रकार सड़क मार्ग से यात्रा करते समय विशेषतौर पर पहाड़ी क्षेत्र में, आंखें बहुत जल्दी-जल्दी अलग-अलग दृश्य देखती हैं जैसे कभी पहाड़, झरने, तो कभी गहरी खाई, कभी जंगल तो कभी सुन्दर फूलों भरे मैदान, हरे भरे समतल क्षेत्र और कभी रिहायशी क्षेत्र। इन्हीं के अनुसार ध्वनियां, हर मोड़ पर बदलती वाहन की गति। वाहन के मुड़ने से शरीर और मस्तिष्क पर झटका लगता है। जल्दी-जल्दी बदलते दृश्यों और गति के संकेतों और झटकों को मस्तिष्क, विरोधी जानकारी महसूस करता है और अपडेट नहीं कर पाता। यहां पर स्थिति और भी ज्यादा खराब हो जाती है जो मोशन सिकनेस को जन्म देती है।
4. रेल में यात्रा करते समय हमारी आंखों के सामने बहुत तेज गति से दृश्य बदलते हैं और दूर पृथ्वी घूमती नज़र आती है। रात को सोते समय रेल के साथ-साथ पूरा शरीर और मस्तिष्क लगातार हिलता है, रेल की खटखट की आवाज कानों में गूंजती रहती है, ऐसे में भला दिमाग क्या अपडेट करेगा। सुबह उठने पर सिर में चक्कर महसूस होता है, जी घबराने लगता है। यही है मोशन सिकनेस का सशक्त कारण।
5. यात्रा के अतिरिक्त वीडियो गेम्स, कुछ पुस्तकें, कोस्टर रोलिंग, सिमुलेटर, एक ही स्थान पर घूमना, थियेटर की फिल्में राफ्टिंग, ट्रैकिंग आदि भी मोशन सिकनेस की वजह बन सकती हैं।
मोशन सिकनेस के लक्षण – Symptoms of Motion Sickness
मोशन सिकनेस की समस्या में निम्नलिखित लक्षण आमतौर पर देखने को मिलते हैं –
1. जी मिचलाना
2. बार-बार उबकाई आना
3. उल्टी हो जाना
4. सिर चकराना, सिर में दर्द होना।
5. पसीने-पसीने हो जाना
6. चेहरा पीला पड़ जाना
7. बेचैनी महसूस करना
8. उबासी आना, नींद की छपकी लगना।
विशेष लक्षण – Special Features
1. मल डी डेबर्कमेंट सिंड्रोम (Mal de debarquement syndrome) यानी “विच्छेदन की बीमारी” (Disembarkation)। यह बेहद दुर्लभ स्थिति है जो नाव, जलयान या वायुयान में यात्रा करने से उत्पन्न होती है। कुछ लोगों को यात्रा खत्म होने के बाद भी यह महसूस होता है कि वे हिल रहे हैं या ऊपर नीचे हो रहे हैं। ये लक्षण कुछ घंटों, दिनों, महीनों या कई वर्षों तक उपस्थित रह सकते हैं।
2. कई लोगों को ऐसी स्थिति दो, तीन दिन की लंबी रेल यात्रा के बाद भी, महसूस होती है की जैसे जमीन हिल रही हो। मगर यह इस श्रेणी में नहीं आता।
मोशन सिकनेस दूर करने के घरेलू उपाय – Home Remedies to Get Rid of Motion Sickness
दोस्तो, मोशन सिकनेस को स्थाई रूप से दूर नहीं किया जा सकता क्योंकि यह समस्या यात्रा के दौरान ही होती है और कुछ घंटों या दिनों में अपने आप समाप्त हो जाती है। इसीलिये डॉक्टर भी इसकी दवा ना लेने की सलाह देते हैं क्योंकि दवाऐं पाचन क्रिया की गति को धीमा कर सकती हैं। हां, इसके प्रभाव को निम्नलिखित घरेलू उपायों के माध्यम से कम किया जा सकता है। इन उपायों में बताई गई सामग्री को आप सफ़र में आसानी से ले जा सकते हैं –
1. अदरक (Ginger)- अदरक में पाया जाने वाला बायोएक्टिव कंपाउंड जिसे जिंजेरोल कहा जाता है, पेट की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। इसी कारण इसे चाय, फलों के जूस, नींबू पानी आदि में मिलाया जाता है। यह बायोएक्टिव कंपाउंड और इसके एंटीइंफ्लामेट्री गुण, जी मिचलाना, उल्टी आना जैसे मॉर्निंग सिकनेस से राहत दिलाने के अतिरिक्त मोशन सिकनेस में भी राहत दिलाता है। मोशन सिकनेस की होने पर अदरक का एक छोटा टुकड़ा काटकर मुंह में रखें और धीरे-धीरे चूसें। आप राहत महसूस करेंगे। अदरक पर विस्तृत जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “अदरक के फायदे और नुकसान” पढ़ें।
2. अनानास (Pineapple)- सफ़र में अनानास के छोटे-छोटे टुकड़े काट कर एयर टाइट कंटेनर में भर कर ले जाया सकता है या अनानास का जूस किसी थर्मस में भर कर ले जाया सकता है। रास्ते में सफर करते हुऐ। विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र में जी मिचलाना, उल्टी लगना आदि मोशन सिकनेस के लक्षण महसूस होने पर इनका सेवन किया जा सकता है। गर्भवती महिला अनानास का बहुत कम सेवन करे, एक या दो टुकड़े, इसी तरह अनानास के जूस का एक या दो घूंट ही पीये क्योंकि अनानास का अधिक सेवन (abortifacient) यानी गर्भपात कराने वाला गुण होने के कारण गर्भवती महिला के लिये हानिकारक माना जाता है। अनानास का खट्टा-मीठा स्वाद मॉर्निंग सिकनेस और मोशन सिकनेस दोनों में ही राहत दिलाता है।
3. भुनी लौंग का पाउडर (Roasted Clove Powder)- लौंग को भूनकर इसे पीसकर पाउडर बना लें। इसमें थोड़ा सा काला नमक पाउडर भी मिला लें। सफ़र में जाते समय इस पाउडर को साथ ले जायें। रास्ते में जी मिचलाने पर एक चुटकी यह पाउडर मुंह में रखकर चूसें, उल्टी नहीं आयेगी। आपको बहुत राहत महसूस होगी। लौंग पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “लौंग के फायदे ” पढ़ें।
4. तुलसी के पत्ते (Basil Leaves)- सफ़र पर जाते समय आप कुछ पत्तियां तुलसी की भी लेकर जा सकते हैं। जब भी आपको ऐसा लगे कि जी मिचला रहा है या उल्टी आयेगी या सिर भारी-भारी हो रहा है तो उसी समय तुलसी की दो पत्तियां मुंह में रखकर चबायें, आपको उल्टी नहीं होगी और इसकी खुश्बू से जी भी साफ हो जायेगा।
5. पुदीना (Mint)- पाचन और पेट से संबंधित समस्याओं से छुटकारा पाने के लिये पुदीना बहुत फायदेमंद होता है। पुदीना को साथ ले जाने के लिये दो तरीके हैं एक तो एक बोतल में पुदीना की पत्तियां डाल लें और पानी भर लें। इसमें नींबू का रस और काला नमक पाउडर भी मिला लें। और दूसरा तरीका है किसी रुमाल में इसकी पत्तियां भरकर गांठ बांध लें। जब भी जी मिचलाये इसका पानी पीयें इससे मुंह में लार ज्यादा नहीं बनेगी और जी नहीं मिचलायेगा। हो सके तो, पुदीना की पत्तियों को भी चबायें। रुमाल में बंधे पुदीना को सूंघने पर भी आराम मिलेगा और जी सही रहेगा। लार पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “सुबह के बासी लार के चमत्कारी फायदे” पढ़ें।
6. नींबू (Lemon)- नींबू को सफ़र में अपने साथ ले जायें। जब भी आपको जी मिचलाये, नींबू काट सूंघे। सूंघने मात्र से भी जी मिचलाने में आराम लग जायेगा। इस पर काला नमक लगाकर चाटने से भी जी साफ़ हो जाता है, उल्टी नहीं आती है। एक गिलास पानी में नींबू निचोड़कर, काला नमक मिलाकर पीयें। सफ़र के लिये नींबू एक अच्छे साथी का फ़र्ज निभाता है।
7. इलायची (Cardamom)- हरी इलायची को भी सफ़र में लेकर जाया जा सकता है। इलायची के एंटी-ऑक्सिडेंट गुण जी मिचलाने, उल्टी आने की समस्या को दूर करने में मदद करते हैं। यह स्थिति में यह बहुत फायदेमंद होती है चाहे वह मॉर्निंग सिकनेस की स्थिति में भी बहुत फायदेमंद होती है। जी मिचलाने पर हरी इलायची के दो दाने मुंह में रखकर धीरे-धीरे चबायें। निश्चित रूप से आराम लग जायेगा।
8. सौंफ़ (Fennel)- मॉर्निंग के साथ-साथ मोशन सिकनेस के लक्षणों को भी कम करने में भी सौंफ़ अपना प्रभाव दिखा सकती है। सफ़र में इसे अपने पास रखें। जब भी आपको लगे की उल्टी आयेगी या जी मिचलाये तभी सौंफ़ के 5-7 दाने मुंह में रख लें और धीरे-धीरे चबायें। जी साफ़ हो जायेगा।
9. कैमोमाइल टी (Chamomile Tea)- गर्म पानी तो सफ़र में कहीं भी चाय की दुकान या छोटे रेस्टोरेंट में मिल जाता है। अपने साथ कैमोमाइल टी बैग्स रखें। मोशन सिकनेस के लक्षण महसूस होने पर कहीं से एक कप गर्म पानी ले लें और इसमें कैमोमाइल टी का एक बैग डाल कर अपनी चाय तैयार करके पी लें। इससे जी मिचलाना, उल्टी, थकान, सिर दर्द स्टैस आदि में आराम लग जायेगा।
10. मुलेठी (Muleti)- मुलेठी को पेट से जुड़ी समस्याओं और मितली, उल्टी के लिये एक अच्छा उपाय माना जाता है। इसके एंटीइंफ्लेमेटरी गुण इन समस्याओं से राहत पहुंचाते हैं। सफ़र में मुलेठी का पाउडर अपने साथ रखें। रास्ते में कहीं से एक कप गर्म पानी लेकर इसमें एक चम्मच मुलेठी पाउडर मिलाकर पीयें। इससे मिचली की समस्या नहीं होगी और ना ही उल्टी आयेगी।
कुछ टिप्स – Some Tips
दोस्तो, अब बताते हैं आपको कुछ निम्नलिखित टिप्स जिनको अपनाकर मोशन सिकनेस के लक्षणों से राहत पा सकते हैं –
1. सबसे पहले तो आप यह समझें कि सफ़र पर खाली पेट ना निकलें, कुछ खा पीकर सफ़र करें मगर हल्का फुल्का और कम भोजन करें विशेषकर पहाड़ी क्षेत्र यात्रा करने के लिये। भर पेट खाना ना खायें अन्यथा निश्चित रूप से रास्ते में उल्टी होगी ही होगी।
2. सफ़र करने से पहले शराब ना पीयें।
3. सफ़र करते हुऐ किसी विषय पर अधिक ना सोचें, चिंता ना करें, तनाव ना लें, शांत रहें और यात्रा का आनन्द लें।
4. सफ़र में किताब ना पढ़ें क्योंकि इससे मस्तिष्क को विरोधाभासी संकेत मिलते हैं जिससे मोशन सिकनेस की समस्या बन सकती है।
5. बड़ी कार बस जैसे बड़े वाहन की पिछली सीट पर बैठने से बचें। पीछे की सीट पर बैठने से स्पीड का अधिक महसूस होती है, छटके भी ज्यादा लगते हैं। इससे सिर चकराने लगता है और ऐसा लगने लगता है कि उल्टी आयेगी।
6. कुछ हल्की-फुल्की समस्या महसूस हो तो संगीत सुनें। सांस पर फोकस करें। 100 की उल्टी गिनती करें, इससे दिमागी कसरत हो जायेगी और आप रिलैक्स फील करेंगे।
7. किसी भी स्थिर वस्तु पर फोकस करें। बेहतर होगा यदि आप आकाश को देखें।
8. वाहन की खिड़की खुली रखें। ताजी हवा का आनन्द लें। गर्मी से बचें।
9. सिर और शरीर की गतिविधि को कम करें। नाव, जलयान या वायुयान में केबिन या बीच की सीट को चुनें क्योंकि इन जगह पर स्पीड कम महसूस होती है।
10. नींबू, अदरक और एक छोटा चाकू साथ रखें ताकि तबियत बिगड़ने पर इनको काटकर सेवन किया जा सके।
11. कुछ खट्टे फल भी अपने साथ रख सकते हैं।
12. कुछ खट्टी मीठी गोलियां/चूरन की गोलियां अपने साथ रख सकते हैं।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको मोशन सिकनेस के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मोशन सिकनेस क्या है?, यात्रा के अतिरिक्त मोशन सिकनेस, मोशन सिकनेस के प्रकार, क्या सभी को मोशन सिकनेस हो सकती है, वेस्टिबुलर सिस्टम, मोशन सिकनेस के कारण, मोशन सिकनेस के लक्षण और मोशन सिकनेस के विशेष लक्षण, इन सब के बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से मोशन सिकनेस दूर करने के बहुत सारे घरेलू उपाय बताये और कुछ टिप्स भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।
Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।
Nice Article