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आलूबुखारा खाने के फायदे – Benefits of Eating Plums in Hindi

आलूबुखारा खाने के फायदे

दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आज हम आपको गर्मियों में मिलने वाले एक ऐसे फल के बारे में बतायेंगे जो गर्मियों में शीतलता देता है और आपके शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है। स्वाद में खट्टा-मीठा होने के बावजूद यह रुचिकर लगता है। परन्तु विडम्बना यह है कि इसकी खेती हमारे देश भारत में बहुत ही कम होती है। इसीलिये गर्मियों में, मण्डी में आम, तरबूज, खरबूज, लीची जैसे फलों की अपेक्षाकृत यह बहुत कम दिखाई देता है। हम बात कर रहे हैं आलूबुखारा फल की। इस फल की विशेषता यह है कि इसको यदि सुखा लिया जाये तो यह सूखा आलूबुखारा कहलाता है जो ड्राई फ्रूट की श्रेणी में आता है। अनेक विटामिन और खनिजों से समृद्ध आलूबुखारा स्वास्थ के लिये अत्यंत लाभदायक होता है। यह कम ही खाया जाता है, ज्यादा खाने पर स्वास्थ का नुकसान भी होता है। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “आलूबुखारा खाने के फायदे”। देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको आलूबुखारा के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि आलूबुखारा खाने के क्या फायदे होते हैं और साथ ही कुछ नुकसान भी बतायेगा।  तो, सबसे पहले जानते हैं कि आलूबुखारा क्या होता है और इसकी खेती कहां होती है। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।

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आलूबुखारा खाने के फायदे
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आलूबुखारा क्या होता है? – What is a Plum?

दोस्तो, आलूबुखारा मोटी गुठली वाला, रोजेसी (Rosaceae) परिवार से संबंध रखने वाला फल है। आलूबुखारा का वानस्पतिक नाम प्रूनस डोमेस्टिका (Prunus domestica) है जिसे अंग्रेजी में प्लम (plum) के नाम से जाना जाता है। विश्व में आलूबुखारा की 2000 से अधिक किस्में पाई जाती हैं। आलूबुखारा को अलूचा भी कहा जाता है। आलूबुखारा बाहर से गाढ़े बैंगनी रंग का, लाल, पीला या काला होता है। अन्दर से गूदा पीला निकलता है। इसकी गुठली बहुत मोटी होती है। आलूबुखारे का आकार गोल और छोटे टमाटर जितना होता है। इसका स्वाद खट्टा-मीठा परन्तु रूचिकर होता है।

इसका छिलका बहुत पतला और बेहद खट्टा होता है। बाजार में आलूबुखारा मई से अक्टूबर तक मिलता है परन्तु सूखा आलूबुखारा किसी भी मौसम में हर समय बाजार में उपलब्ध होता है। आलूबुखारे को यदि सुखा लिया जाये तो यह “सूखा आलूबुखारा” कहलाता है जोकि ड्राई फ्रूट की श्रेणी में आता है। आलूबुखारे में कई विटामिन और खनिज होते हैं जो स्वास्थ के लिये बेहद लाभदायक होते हैं। आलूबुखारा खाने से शरीर में आयरन की कमी पूरी हो जाती है और हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक आदि का जोखिम भी कम हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि आलूबुखारा के सेवन से पुरुषों का शरीर मजबूत और शक्तिशाली बनता है। 

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आलूबुखारा की खेती कहां होती है? – Where is Plum Cultivation Done?:

आलूबुखारा की खेती पर्वतीय आंचल और मैदानी क्षेत्रों में की जाती है। इसकी खेती के लिये सभी प्रकार की भूमि उपयुक्त होती है। वैसे समुद्र तल से 900 से 2500 मीटर ऊंचाई वाले क्षेत्र में इसकी उत्तम खेती होती है। इसके लिये शीतल और ग्रीष्म जलवायु की आवश्यकता होती है। अक्टूबर, नवम्बर के महीने में इसके पौधे लगाये जाते हैं और लगभग दो वर्ष बाद इसका पेड़ जो कि बड़े आकार का होता है, फल देना शुरु कर देता है। 

1. आलूबुखारा भी एक प्रकार का अलूचा है जिसका जन्म स्थान दक्षिण-पूर्व यूरोप या पश्चिमी एशिया में काकेशिया तथा कैस्पियन सागरीय प्रांत है।

2. आलूबुखारे की एक जाति प्रूनस सैल्सिना का उत्पत्ति स्थल चीन है।

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3. भारत में आलूबुखारा का उत्पादन बहुत कम होता है परंतु अमरीका और यूरोपिय देशों में यह अत्यंत महत्वपूर्ण फल है। 

4. आलूबुखारा (प्रूनस बुखारेंसिस – अलूचा) की खेती अफगानिस्तान में होती है। 

5. भारत में उत्तर-पश्चिमी राज्यों जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, तथा दक्षिण भारत के नीलगिरी के पहाड़ी क्षेत्रों में आलूबुखारे की खेती की जाती है। 

आलूबुखारा के गुण – Properties of Plums

1. आलूबुखारे की तासीर ठंडी होती है। 

2. इसका स्वाद खट्टा मीठा होता है। इसका छिलका बहुत ही खट्टा होता है।

3. आलूबुखारे में 87 प्रतिशत पानी होता है। 

4. आलूबुखारे में कई विटामिन अनेक खनिज और एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं। 

5. आलूबुखारे के पोषक तत्व (मात्रा प्रति 100 ग्राम) –

जल                                   87 प्रतिशत

ऊर्जा                                 46 kcal

प्रोटीन                         0.70 ग्राम

कुल फैट                         0.28 ग्रा.

कार्बोहाइड्रेट                 11.42 ग्रा.

आयरन                               0.17 मि.ग्रा.

फाइबर                               1.4 ग्रा.

शुगर                                   9.92 ग्रा.

कैल्शियम                           6 मि.ग्रा. 

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मैग्नीशियम                           7 मि.ग्रा. 

पोटेशियम, के                 157 मि.ग्रा. 

फास्फोरस, पी                   16 मि.ग्रा. 

जिंक                                   0.10 मि.ग्रा. 

विटामिन-सी                   9.5 मि.ग्रा. 

विटामिन-बी6                   0.026 मि.ग्रा. 

फोलेट, डीएफई                   5 माइक्रो ग्रा.

विटामिन-ए, RAE         17 माइक्रो ग्रा.

विटामिन-ए, .U                   345.U

विटामिन-ई, 

(अल्फा-टोकोफेरॉल)           0.26 मि.ग्रा.

विटामिन-के 

(फाइलोक्विनोन)           6.4 माइक्रो ग्रा.

फैटी एसिड, 

सैचुरेटेड                               0.017 ग्रा.

फैटी एसिड, 

कुल मोनोअनसैचुरेटेड           0.134 ग्रा.

फैटी एसिड, 

कुल पॉलीअनसैचुरेटेड           0.044 ग्रा.

आलूबुखारा और सूखा आलूबुखारा में  अंतर – Difference between Plums and Dried Plums

दोस्तो, जब आलूबुखारे को सुखा दिया जाता है तो इसे सूखा आलूबुखारा कहा जाता है जोकि ड्राई फ्रूट की श्रेणी में आता है। इसे अंग्रेजी में प्रून्स (Prunes) कहा जाता है। अब देखते हैं इनके बीच का अंतर जो निम्न प्रकार है। 

1. नाम और श्रेणी बदल जाते हैं – आलूबुखारा फल है और सूखा आलूबुखारा ड्राई फ्रूट। 

2. सूखा आलूबुखारा चिपचिपा होता है जबकि आलूबुखारा मुलायम गूदे वाला होता है। 

3. सूखा आलूबुखारा हर मौसम में मिलता है परन्तु आलूबुखारा मई से अक्टूबर के बीच में बाजार में उपलब्ध होता है। 

4. सूखा आलूबुखारा अधिक मीठा होता है।

5. प्रति 100 ग्राम आलूबुखारा में पानी  87 प्रतिशत होता है तो सूखे आलूबुखारे में पानी 30 प्रतिशत रह जाता है। 

6. सूखे आलूबुखारे में कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट आलूबुखारा फल की तुलना में से ज्यादा होते हैं। 

7. सूखे आलूबुखारे में विटामिन-सी की मात्रा आलूबुखार फल की अपेक्षा कम होती है।

8. सूखे आलूबुखारे में फाइबर की मात्रा आलूबुखारा फल की तुलना में ज्यादा होती है।  

आलूबुखारे का उपयोग – Use of Plums

आलूबुखारे का निम्न प्रकार से उपयोग किया जा सकता है – 

1. आलूबुखारे के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर ओटमील, सलाद, दही, स्मूदी और पुडिंग में मिलाकर खाया जा सकता है।

2. आलूबुखारे का उपयोग मफिन, ब्रेड तथा अन्य डेजर्ट में किया जा सकता है।

3. आलूबुखारे का जैम, जैली भी बनाई जाती है। 

4. आलूबुखारे की अच्छी क्वालिटी की बरांडी भी बनाई जाती है। 

5. आलूबुखारे की खट्टी-मिठ्ठी चटनी भी बनाई जा सकती है।

6. आलूबुखारे का जूस बनाकर पीया जा सकता है।

7. सूखे आलूबुखारे को आइसक्रीम या केक की टॉपिंग के लिये इस्तेमाल कर सकते हैं।

8. सूखे आलूबुखारे को स्नैक के रूप में खा सकते हैं। 

9. आलूबुखारा और सूखा आलूबुखारा दोनों को ही पिज्जा की टॉपिंग के लिये उपयोग कर सकते हैं। 

10. आलूबुखारा के बीज में 40 से 50 प्रतिशत तेल का इस्तेमाल सौन्दर्य प्रसाधनों में और दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। 

आलूबुखारा कितना खाना चाहिये? – How much Should you Eat Plums?

चूंकि आलूबुखारा का स्वाद खट्टा-मीठा होता है, इसलिये इसकी खटास के कारण आलूबुखारा ज्यादा नहीं खाया जाता है, फिर भी अपने शरीर की जरूरत के हिसाब से खाना चाहिये।

1. एक व्यस्क और स्वस्थ व्यक्ति एक दिन में 200-250 ग्राम आलूबुखाया खा सकता है।

2. गर्भवती महिला एक दिन में 150 से 200 ग्राम आलूबुखारा खा सकती है। 

आलूबुखारा खाने के फायदे – Benefits of Eating Plums

दोस्तो, अब बताते हैं आपको आलूबुखारा खाने के फायदे जो निम्न प्रकार हैं –

1. प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बने (Strengthen the Immune System)- आलूबुखारा खाने का सबसे बड़ा फायदा यही है कि प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है जो आपको संक्रमण से होने वाले रोगों से बचाती है। आलूबुखारा में प्रचुर मात्रा में विटामिन-सी होता है जो जरूरत पड़ने पर शरीर के ऊतकों की मरम्मत करता है। विटामिन-सी को प्रतिरक्षा प्रणाली के लिये महत्वपूर्ण और आवश्यक सामग्री मानी जाती है। एक अध्ययन भी इस बात की पुष्टी करता है कि आलूबुखारा में प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने वाले गुण होते हैं। इसे आहार में शामिल करना चाहिये।

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2. पानी की कमी पूरी करें (make up for the lack of water)- आलूबुखारा खाने का एक और महत्वपूर्ण फायदा यह है कि यह आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता और गर्मियों में शरीर का तापमान सामान्य बनाये रखने में मदद करता है। अक्सर देखा गया है कि गर्मी के मौसम में शरीर में पानी की कमी हो जाती है विशेषकर उस स्थिति में जब दस्त लगे हों, हैजा हो गया हो या उल्टी लगी हों। ऐसी विकट परिस्थितियों में आलूबुखारा खाने से बहुत राहत मिलती है क्योंकि इसमें 87 प्रतिशत पानी होता है जो पानी के स्तर को सामान्य लाकर शरीर को हाइड्रेट रखता है। इसके विटामिन और खनिज शरीर को तुरंत एनर्जी देते हैं।

3. आलूबुखारा फ्री रेडिकल्स से बचाए (Plums Protect from free Radicals)- आलूबुखारा विटामिन-ए, विटामिन-सी की पर्याप्त मात्रा होती है जो एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करते हैं। आलूबुखारा में कैरोटीनॉयड और पॉलीफोनिक एंटीऑक्सीडेंट जैसे लुटेइन (lutein), क्रयपटोसानथीन (cryptoxanthin) और जेक्सनथिन होते हैं जो हानिकारक ऑक्सीजन द्वारा उत्पन्न फ्री रेडिकल्स को खत्म कर देते हैं। फ्री रेडिकल्स की वजह से गठिया, आंखों की समस्या, मस्तिष्क और हृदय संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं। आलूबुखारा के एंटीऑक्सीडेंट शरीर को फ्री रेडिकल्स से सुरक्षा प्रदान कर इन सब समस्याओं की संभावना को ही खत्म कर देते हैं। इसके अतिरिक्त आलूबुखारा में मौजूद पोटेशियम  शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बनाये रखता है। 

4. पाचन क्रिया को सुधारे (Improve Digestion)- आलूबुखारा में फाइबर पर्याप्त मात्रा में होता है। यह फाइबर पाचन क्रिया में  सुधार करने का काम करता है  ताकि पेट की पाचन क्रिया सुचारु रूप से काम करे। इसमें मौजूद सोर्बिटोल (Sorbitol) और आइसटिन (Isatin) जिससे पाचन क्रिया ठीक से काम करता है और स्वास्थ ठीक रहता है। 

5. कब्ज से राहत (Constipation Relief)- आलूबुखारा में मौजूद फाइबर पाचन क्रिया को सुधारने के अतिरिक्त कब्ज के उपचार में भी अपनी सक्रिय भूमिका निभाता है। सूखा आलूबुखारा इस काम में मदद करता है। सूखे आलूबुखारे में पाये जाने वाला फेनोलिक कंपाउंड मल त्याग को आसान बनाता है।  

6. वजन कम करे(Lose Weight) – वजन कम करने वालों के लिये आलूबुखारा एक उत्तम विकल्प है। आलूबुखारा खाने से फैट नहीं बढ़ता। फैट ही मोटापे का कारण होता है और वजन कंट्रोल में रहता है। इसमें सुपरऑक्साइड (superoxide) जिसे ऑक्सीजन रेडिकल भी कहा जाता है, उग्र होता है। इसकी मदद से शरीर का फैट कम किया जा सकता है। फाइबर भी वजन कम करने में मदद करता है। आलूबुखारा में कैलोरी भी बहुत कम होती है। 

7. कोलेस्ट्रॉल में संतुलन बनाए रखें (Maintain Cholesterol Balance)- आलूबुखारा में मौजूद घुलनशील फाइबर (soluble fiber) होता है जो शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल LDL को कम करता है और अच्छा वाला कोलेस्ट्रॉल HDL को बढ़ाता है। इस तरह शरीर की जरूरत के हिसाब से कोलेस्ट्रॉल में संतुलन बनाये रखता है। आलूबुखारा खाने से आंत भी ठीक रहती है और फैट आसानी से पच जाता है। 

8. डायबिटीज (Diabetes)- आलूबुखारा में प्राकृतिक मिठास होती है जिससे ब्लड शुगर नहीं बढ़ती बल्कि डायबिटीज को कंट्रोल करती है। इस प्रकार डायबिटीज के मरीज आलूबुखारा को बेझिझक खा सकते हैं। सूखा आलूबुखारा भी डायबिटीज में फायदा करता है। सूखे आलूबुखारे में पाये जाने वाला बायोएक्टिव कंपाउंड डायबिटीज के जोखिम को कम करने में करते हैं। 

9. रक्तचाप को नियंत्रित करे (Control Blood Pressure)- आलूबुखारा के सेवन से उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) कम होता है। आलूबुखारा में पाये जाने वाला पोटेशियम रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। जिससे हृदय सुरक्षित रहता है। एक अध्ययन के अनुसार जिन लोगों ने सूखा आलूबुखारा खाया और आलूबुखारे के जूस का सेवन किया, उनमें रक्तचाप का स्तर कम पाया गया। 

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11. हृदय को स्वस्थ रखे (Keep Heart Healthy)- अब तक हमने देखा कि आलूबुखारा के सेवन से खराब कोलेस्ट्रॉल भी कम होता है, डायबिटीज में भी फायदा होता है और उच्च रक्तचाप भी कम होता है। इन सभी का बढ़ता स्तर हृदय के लिये घातक होता है। जब ये नियंत्रण में रहेंगे तो हृदय स्वयं सुरक्षित हो जायेगा। आलुबुखारा में ओमेगा-3 पर्याप्त मात्रा में होता है जो हृदय को स्वस्थ बनाये रखने का काम करता है। सूखा आलूबुखारा खाने से एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) से बचाव होता है। एथेरोस्क्लेरोसिस वह स्थिति है जिसमें आर्टरी वाल्स में फैट, कोलेस्ट्रॉल और प्लाक जमने लगते हैं और ब्लड क्लॉट यानी खून के थक्के और हृदय संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसलिये हृदय को सुरक्षित रखने के लिये आलूबुखारा या सूखे आलूबुखारे का सेवन करना चाहिये। 

11. कैंसर को रोके (Prevent Cancer)- आलूबुखारा में पाये जाने वाले शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट्स और कई पोषक तत्व शरीर में कैंसर की कोशिकाओं को पनपने नहीं देते। आलूबुखारा में पाये जाने वाला बीटा कैरोटीन शरीर में होने वाले कैंसर की रोकथाम करता है। आलूबुखारा के सेवन से फेफड़ों और मुंह का कैंसर होने का खतरा नहीं होता। आलूबुखारे का जूस पीने से ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा भी कम हो जाता है। ब्रेस्ट कैंसर की रोकथाम के लिये छिलका सहित आलूबुखारा खाना चाहिये। एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, सूखे आलूबुखारे में पाये जाने वाले फाइबर और पॉलीफेनोल्स पेट के कैंसर की संभावना को कम कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त आलूबुखारा ट्यूमर सेल्स को बढ़ने से रोकने में भी मददगार हो सकता है। 

12. सर्दी और जुकाम से राहत दिलाए (Provide Relief from Cold and Flu)- जिन लोगों को सर्दी और जुकाम की शिकायत रहती है वे आलूबुखारा का सेवन करके इससे राहत पा सकते हैं। इस काम में आलूबुखारा में मौजूद विटामिन-सी मदद करता है। विटामिन-सी शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करके प्रतिरक्षा प्रणाली की कार्य क्षमता को बढ़ाता है। 

13. हड्डी स्वास्थ्य के लिये (Bone Health)- आलूबुखारा में केल्शियम और विटामिन-के, की पर्याप्त मात्रा होती है जो शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करते हैं। आलूबुखारे के सेवन से बोन मिनरल डेंसिटी में भी सुधार होता है। इसके सेवन से  महिलाओं की रजोनिवृत्ति की स्थिति में कोई भी नुकसान नहीं पहुंचता। प्रतिदिन 100 ग्राम सूखा आलूबुखारा खाने से हड्डियों को कमजोर करने वाले कारणों को खत्म किया जा सकता है। 

14. आंखों के लिये फायदेमंद (Beneficial for Eyes)- आलूबुखारा में विटामिन-ए की पर्याप्त मात्रा होती है जो आंखों के स्वास्थ के लिये अच्छा होता है। आलूबुखारा के सेवन से आंख की श्लेष्मा झिल्ली (mucous membrane) ठीक रहती है। फाइबर जेक्सनथिन (fiber zeaxanthin) आंखों के रेटिना को मजबूती देता है और आंखों को अल्ट्रा वॉयलट किरणों से बचाव करता है। आलूबुखारा में मौजूद विटामिन-सी और ई उम्र के साथ कम होती आंखों की दृष्टि की समस्या से राहत दिलाने में मदद करते हैं। 

आलूबुखारा के नुकसान – Side Effects of Plums

दोस्तो, जैसा कि हमने ऊपर बताया कि आलूबुखारा अपने शरीर की जरूरत के अनुसार खाना चाहिये और यह भी बताया कि इसे कितना खा सकते हैं, इसके बावजूद यदि कोई इसे हद से ज्यादा खाता है तो हो सकते हैं निम्नलिखित नुकसान –

1. पेट में गैस बनना, सूजन और पाचन की समस्या। 

2. किसी को एलर्जी भी हो सकती है।

3. लैक्सेटिव (पेट साफ करने का प्राकृतिक गुण) होने के कारण इसके ज्यादा खाने से डायरिया भी हो सकता है। 

4. इसमें उच्च ऑक्सलेट (oxalates) होने के कारण गुर्दे या पित्ताशय की पथरी की समस्या हो सकती है।

5. इसके ज्यादा खाने से हाइपरकलेमिया अर्थात् शरीर में पोटेशियम की मात्रा बढ़ सकती है। परिणामस्वरूप सीने में दर्द, सांस लेने में परेशानी, मितली और उल्टी आदि की समस्या हो सकती है।

6. सूखे आलूबुखारे के अधिक खाने से गैस की समस्या हो सकती है। 

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको आलूबुखारा खाने के फायदे के बारे में विस्तार से जानकारी दी। आलूबुखारा क्या होता है, आलूबुखारा की खेती कहां होती है, आलूबुखारा के गुण, आलूबुखारा और सूखा आलूबुखारा में अंतर, आलूबुखारे का उपयोग और आलूबुखारा कितना खाना चाहिये, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से आलूबुखारा खाने के बहुत सारे फायदे बताये और कुछ नुकसान भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा। 

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको आलूबुखारा खाने के फायदे के बारे में विस्तार से जानकारी दी। आलूबुखारा क्या होता है, आलूबुखारा की खेती कहां होती है, आलूबुखारा के गुण, आलूबुखारा और सूखा आलूबुखारा में अंतर, आलूबुखारे का उपयोग और आलूबुखारा कितना खाना चाहिये, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया है।
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