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अमलतास के फायदे – Benefits of Amaltas in Hindi

अमलतास के फायदे

दोस्तो, प्रकृति ने अनगिनत पौधे, वृक्ष, जड़ी-बूटियां पैदा की हैं। सबका अपना-अपना अस्तित्व है, अपने-अपने गुण हैं, अपने-अपने फायदे हैं। कोई-कोई पौधा/वृक्ष ऐसा होता है जिसका हर भाग औषधीय गुणों से सम्पन्न होता है जैसे कि गिलोय, नीम, बरगद आदि। इसी कड़ी में एक और नाम जुड़ता है जिसे अमलतास कहते हैं। जब अमलतास के वृक्ष पर पीले रंग के फूल खिलते हैं तो यह बहुत सुन्दर लगता है, मन को भा जाता है। सर्दियों में जब इस पर एक-एक, दो, दो फुट लंबी ब्राउन रंग की फलियां लटकती हैं तो ऐसा लगता है कि मानो योद्धाओं ने अपने हथियार लटका रखे हों।

 खैर, अमलतास का पूरा वृक्ष ही औषधीय गुणों से भरपूर होता है, इसीलिए इसे आयुर्वेद में राजवृक्ष माना गया है। वैसे तो अमलतास की परम्परागत व्यवसाय की दृष्टि से खेती नहीं की जाती परन्तु ऊष्ण क्षेत्रों में इसके वृक्ष मिल जाएंगे, विशेषकर उत्तर भारत और अफ्रीका और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के गर्म क्षेत्रों में। अमलतास वृक्ष की छाल, पत्ते, फूल और फल आदि का उपयोग अनेक रोगों के उपचार में किया जाता है। यूनानी चिकित्सा पद्धति में भी अमलतास बहुत महत्व है। यह मानव के स्वास्थ के लिए बहुत लाभकारी होता है। आखिर ऐसा क्या है इस अमलतास में और कैसे यह लाभकारी होता है। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “अमलतास के फायदे”।

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको अमलतास के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसके क्या फायदे होते हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि अमलतास क्या है और यह कहां पाया जाता है? फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

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अमलतास क्या है? – What is Amaltas?

अमलतास, एक औषधीय वृक्ष है जिसे आयुर्वेद में राजवृक्ष की संज्ञा दी गई है। अप्रैल, मई में यह वृक्ष पीले रंग के फूलों से लद जाता है। ऐसा लगता है कि मानो प्रकृति ने वृक्ष का श्रृंगार किया है। ऐसा माना जाता है कि इस वृक्ष पर फूल खिलने के बाद 45 दिन के अंदर बरसात हो जाती है। इसी मान्यता की वजह से इसे इंडियन रेन इंडिकेटर ट्री या गोल्डन शॉवर ट्री कहा जाता है। 

यह वृक्ष 5 से 15 मीटर तक ऊंचा हो जाता है। इसके फल, फलियों के रूप में लगते हैं। ये फलियां डंडे के समान लंबी और बेलनाकार होती हैं। शुरु में इनका रंग हरा होता है और फली पकने पर यह बहुत सख्त हो जाती है तथा इसका रंग ब्राउन या काला हो जाता है। इन फलियों में कई कक्ष (chamber) होते हैं  जिनमें 25 से 100 चपटे ओर हलके पीले रंग के बीज होते हैं। इनके बीच में काला, लसादार, गूदा भरा होता है जो दवाई के रूप काम में आता है। इन अमलतास की फलियों से मधुर, सुगंधित, पीले गहरे रंग का उड़नशील तेल प्राप्त होता है।

इस वृक्ष की शाखाओं को छीलने पर लाल रंग का द्रव निकलता है जो जमकर गोंद की तरह हो जाता है। इस वृक्ष के सभी भाग उपयोगी होते हैं जैसे कि फूल, फल, पत्ते और छाल। कैसलपिनियासी (Caesalpiniaceae) कुल से संबंध रखने वाले अमलतास का वानस्पतिक नाम कैसिया फिस्टुला (Cassia fistula) है और अंग्रेजी में इसे कैसिया (Cassia) और गोल्डन शॉवर (Golden shower) कहा जाता है।

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अमलतास कहाँ पाया जाता है? – Where is Amaltas Found?

1. अमलतास के वृक्ष वैसे तो भारत के हर राज्य में मिल जाएंगे परन्तु उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों में अधिक मिलते हैं। दिल्ली की सड़कों पर भी अमलतास के वृक्ष बहुत अधिक संख्या में देखे जा सकते हैं।

2. भारत के अतिरिक्त अमलतास के वृक्ष एशिया के अन्य देशों में और अफ्रीका और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के गर्म और शुष्क क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

अमलतास के गुण – Properties of Amaltas

1. आयुर्वेद में अमलतास की तासीर ठंडी मानी गई है जबकि यूनानी चिकित्सा विज्ञान अमलतास की तासीर गर्म मानता है।

2. अमलतास के फल का स्वाद मीठा होता है।

3. अमलतास के बीज विषैले होते हैं।

4. अमलतास में हेपाटोप्रोटेक्टिव, एंटीआक्‍सीडेंट, एंटीडाइबिटिक, एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटीइंफ्लामेटरी, एंटीट्यूसिव आदि गुण उपस्थित होते हैं। 

अमलतास की उपलब्धता – Availability of Amaltas

अमलतास निम्नलिखित रूपों में मिलता है –

  • फल का गूदा
  • विरेचन(Purgation)
  • जड़ और छाल का काढ़ा
  • फूल का चूर्ण
  • अमलतास वटी (गोलियां)
  • अमलतास अवलेहा (सिरप)
  • कैप्सूल
  • पाउडर 

अमलतास सेवन की मात्रा – Amount of Amaltas Intake

  • फूल  : 5 से 10 ग्राम.
  • फल का गूदा : 5 से 10 ग्राम.
  • जड़ का काढ़ा : 50 से 100 मिलीलीटर.
  • पेस्ट (paste) : 1 से 2 बड़ा चम्मच
    दिन में एक बार.
  • जड़ और छाल का काढ़ा : 50 से 100 मिलीलीटर
  • कैप्सूल : 1 से 2 कैप्सूल
  • पाउडर : 1/4 से 1/2 चाय की चम्मच,
    दिन में दो बार
  • विरेचन(For Purgation) : 10 से 20 ग्राम

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अमलतास के फायदे – Benefits of Amaltas

दोस्तो, अब बताते हैं आपको अमलतास के फायदे जो निम्न प्रकार हैं –

1. कब्ज से राहत दिलाए (Provides Relief from Constipation)- अमलतास कब्ज का निवारण करने के लिए रामबाण उपाय है। वस्तुतः अमलतास में रेजिनोल नामक पदार्थ मौजूद होता है। यह मल को नरम और ढीला करता है। इससे मल त्यागने में कोई दिक्कत नहीं होती। यह आसानी से त्याग दिया जाता है। इसके लिए नियमित रूप से अमलतास की फली का रस पीएं। कब्ज से छुटकारा मिल जाएगा।

 दूसरा उपाय यह है कि एक या दो चम्मच अमलतास फल के गूदे का पेस्ट बनाकर, एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर रात को खाना खाने के बाद सेवन करें। तीसरा उपाय यह है कि अमलतास के फूलों के गूदे को रात को पानी में भिगो दें। अगले दिन सुबह इसमें जरा सी चीनी मिलाकर, अच्छे से पेस्ट बनाकर सेवन करें।

2. बवासीर में फायदा (Benefit in Piles)- अमलतास के फायदे बवासीर में भी देखे जा सकते हैं। बवासीर मूलतः कब्ज का बिगड़ा हुआ रूप है। बवासीर होने पर व्यक्ति परेशान रहता है। बवासीर होने पर मलाशय एरिया में नसों में सूजन आ जाती है जिससे ढेर जमा हो जाता है। अमलतास सरल रेचक गुण कब्ज को प्रबंधित करते हैं जिससे ढेर द्रव्यमान (pile mass) का आकार कम होने लगता है। बवासीर की समस्या में एक या दो चम्मच अमलतास फल के गूदे का पेस्ट बनाकर, एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर रात को खाना खाने के बाद सेवन करें।

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3. हाइपरएसिडिटी में फायदा (Beneficial in Hyperacidity)- पेट में एसिड के बढ़े हुए स्तर की स्थिति को हाइपरएसिडिटी कहा जाता है। जब पित्त बढ़ता है तो यह पाचन अग्नि को प्रभावित करता है जिससे भोजन ठीक से नहीं पच पाता। परिणामस्वरूप अमा का उत्पादन शुरू हो जाता है। जब यह अमा, पाचन नाड़ियों में जमा होने लगता है तो हाइपरएसिडिटी की स्थिति बनती है। अमलतास इसी अमा को हटाने का काम करता है जिससे हाइपरएसिडिटी से राहत मिलने लगती है। इसके लिए एक चम्मच अमलतास फल के गूदे में आधा चम्मच मिश्री मिलाकर, दोपहर और रात के भोजन से पहले सेवन करें।

4. रूमेटाइड आर्थराइटिस में फायदेमंद (Beneficial in Rheumatoid Arthritis)- हमने ऊपर बताया है कि अमा के पाचन नाड़ियों में जमा होने से हाइपरएसिडिटी की स्थिति बनती है। इससे भोजन का पाचन ठीक से नहीं हो पाता। जब पाचन ठीक से नहीं हो पाता तो विषाक्त पदार्थ भी शरीर से बाहर नहीं निकल पाते। अमा शरीर के विभिन्न अंगों में पहुंचता है। यह अवशोषित ना होकर जोड़ों में इकट्ठा होने लगता है। 

इस स्थिति को रूमेटाइड आर्थराइटिस कहा जाता है। रूमेटाइड के कारण ही गठिया बनता है। निष्कर्षतः इस अमा को हटाना बहुत जरूरी हो जाता है। इसके लिए अमलतस के काढ़े का सेवन करें। अमलतस का काढ़ा बनाने के लिए एक या दो चम्मच अमलतस फल का गूदा लेकर दो कप पानी में, आधा कप रहने तक उबालें। इस काढ़े की 4 चम्मच इतने ही पानी में मिलाकर दोपहर और रात के भोजन के बाद सेवन करें।

5. गठिया में फायदेमंद (Beneficial in Arthritis)- हमने ऊपर बताया है कि रूमेटाइड के कारण ही गठिया बनता है। गठिया एक ऐसा रोग है जिसमें जोड़ों में दर्द रहता है और सूजन होती है। इसके कारण चलने फिरने में बहुत तकलीफ होती है। अमलतास का काढ़ा और पेस्ट, गठिया के दर्द और सूजन से राहत दिला सकते हैं। वस्तुतः अमलतास में एनाल्जेसिक यानि दर्द-निवारक गुण तथा सूजनरोधी एंटीइंफ्लामेटरी गुण, दर्द और सूजन को कम करने का काम करते हैं। इसके लिए अमलतास के पत्तों और छाल का काढ़ा बनाकर सेवन करें और इनका पेस्ट बनाकर जोड़ों पर लगाएं।

6. मुंह के छालों में आराम दिलाए (Provides Relief in Mouth Ulcers)- मुंह में छाले हो जाने पर कुछ भी खाया पीया नहीं जाता। हर समय मुंह में चीस लगती रहती हैं। अमलतास इस समस्या से छुटकारा दिला सकता है। इसके लिए अमलतास की गिरी को उतनी ही मात्रा में धनिए के साथ पीसकर उसमें चुटकी-भर कत्था मिलाकर चूर्ण बना लें। आधा चम्मच इस चूर्ण को मुंह में भरकर धीरे-धीरे चूसें। इसे दिन में 2-3 बार लें। मुंह के छालों में आराम लग जाएगा।

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7. बुखार में फायदेमंद (Beneficial in Fever)- आयुर्वेद में अमलतास की तासीर ठंडी मानी गई है जो तापमान को नियंत्रित करता है और ज्वर को कम करने में मदद करता है। इसके लिए अमलतास की छाल का या जड़ का काढ़ा बनाकर पीएं। इससे बुखार उतर जाएगा और शरीर में शान्ति का आभास होगा। बुखार के कारण शरीर में दर्द भी खत्म हो जाएगा। इस काढ़े को दिन में दो, तीन बार पी सकते हैं। यह काढ़ा पेनकिलर के रूप में काम करता है। यह एक प्राकृतिक उपाय है जो ज्वर से राहत दिलाता है।

8. प्रेग्नेंसी की संभावना को रोके (Prevent the Possibility of Pregnancy)- प्राचीन काल से ही अमलतास का उपयोग प्राकृतिक गर्भनिरोधक के रूप में किया जाता रहा है क्योंकि अमलतास के बीज में कुछ विशेष गुण होते हैं जो प्रेग्नेंसी को रोकने में मदद करते हैं। माना जाता है कि अमलतास, संभोग के पश्चात प्रेग्नेंसी की संभावना को 70 प्रतिशत कम कर देता है। इसके लिए अमलतास के फल के बीज को पीस कर पांच दिन तक सेवन करें। जो लोग बच्चे की प्लानिंग नहीं करना चाहते वे इसके बीजों का सेवन केवल डॉक्टर की सलाह पर ही करें।

9. दाद, खाज, खुजली, जलन में फायदेमंद (Beneficial in Ringworm, Itching, Burning Sensation)- अमलतास में कुछ ऐसे विशेष गुण होते हैं जो त्वचा रोगों/विकारों से आराम दिलाते हैं। त्वचा रोगों को दूर करने में अमलतास को रामबाण उपाय माने जाते हैं। 

अमलतास दाद, खाज, खुजली और जलन को दूर करने का काम करता है। इन समस्याओं से राहत पाने के लिए अमलतास की पत्तियों का, या छाल का या फलियों का पेस्ट बनाकर प्रभावित त्वचा पर रोजाना दिन में दो बार लगाएं। इससे त्वचा की जलन भी खत्म होगी और शीतलता मिलेगी।

10. फोड़े, फुंसी को खत्म करे (Eliminate boils, Pimples)- हमने ऊपर बताया है कि अमलतास के गुण त्वचा रोगों/विकारों को दूर करने के लिए रामबाण उपाय है। बरसात के दिनों में अक्सर त्वचा पर फोड़े, फुंसी हो जाते हैं जोकि गंदगी से संक्रमण के कारण होते हैं। 

अमलतास में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल गुण मौजूद होते हैं जो बैक्टीरिया को खत्म कर संक्रमण को दूर करते हैं। फोड़े, फुंसियों से छुटकारा पाने के लिये अमलतास की छाल और नीम की छाल को एक साथ पीसकर यह पेस्ट प्रभावित त्वचा पर दिन में दो बार रोजाना लगाएं। यह समस्या जड़ से खत्म हो जाएगी।

11. चेहरे की सुंदरता निखारे (Enhance Facial Beauty)- अमलतास चेहरे की सुंदरता निखारने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाता है। इसके लिए अमलतास के फूलों को पीसकर इसका पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाकर छोड़ दें। इसके सूखने पर चेहरा सादा पानी से धो लें। 

चेहरे की ड्राइनेस खत्म हो जाएगी, चेहरे से अतिरिक्त तेल निकल जाएगा। चेहरे की त्वचा मुलायम हो जाएगी और चेहरा अमलतास के पीले फूलों के समान दमक उठेगा। विकल्प के तौर पर अमलतास की छाल या पत्तियों से निकाला गया तेल चेहरे पर लगाएं या इनका पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगायें। सूखने पर चेहरा सादा पानी से धो लें। इससे भी चेहरे की गंदगी निकल जाएगी।

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अमलतास के नुकसान – Disadvantages of Amaltas

  • अमलतास के हो सकते हैं निम्नलिखित नुकसान-
  • अमलतास के अधिक सेवन से मतली, उल्टी, चक्‍कर आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
  • अमलतास के अधिक सेवन से दस्त लग सकते हैं।
  • अमलतास के अधिक सेवन से डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है।
  • अमलतास, गर्भपात का कारण बन सकती है, इसलिये गर्भवती महिलाओं को अमलतास का सेवन करने की सलाह नहीं दी जाती है।
  • डायरिया और खसरा में भी अमलतास के सेवन करने की सलाह नहीं दी जाती है।
  • यदि पहले से ही कोई दवा ले रहे हैं तो अमलतास का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य ले लें।

Conclusion –

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको अमलतास के बारे में विस्तार से जानकारी दी। अमलतास क्या है, अमलतास कहां पाया जाता है, अमलतास के गुण, अमलतास की उपलब्धता और अमलतास के सेवन की मात्रा, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से अमलतास के बहुत सारे फायदे बताए और अमलतास के कुछ नुकसान भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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आज के आर्टिकल में हमने आपको अमलतास के बारे में विस्तार से जानकारी दी। अमलतास क्या है, अमलतास कहां पाया जाता है, अमलतास के गुण, अमलतास की उपलब्धता और अमलतास के सेवन की मात्रा, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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