दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आपने कभी ना कभी नोटिस किया होगा कि परिवार में या बाहर कोई बच्चा या बड़ा व्यक्ति एक बार में बात नहीं सुनता उसे कई बार कहना पड़ता है, या वह ध्यान नहीं दे रहा। कई बार चिल्ला कर कहना पड़ता है। या सुन भी लेगा तो समझ नहीं पाता है कि उसे क्या कहा गया है। वह खुद बोलेगा कि क्या कहा, दुबारा से बोलो, ऐसी घटनाऐं अक्सर बुजुर्ग लोगों के साथ होती रहती हैं। हमें लगता है कि वह जानबूझ कर ऐसा कर रहा है। सुनी अनसुनी कर रहा है या हमारी बातों को इग्नोर कर रहा है। ऐसी स्थिति में कई बार छोटी बड़ी परेशानियां या समस्याऐं खड़ी हो जाती हैं, कई बार तो सुनने सुनाने के चक्कर में गलतफहमियां पैदा हो जाती हैं, मनमुटाव भी हो जाता है। आप कहोगे कि मैंने पहले ही कहा था, वो बोलेगा कहा था या मैंने सुना नहीं फिर आप बोलोगे कि आप सुनते ही कब हो। और फिर झगड़े की शुरुआत। जबकि दोष किसी का नहीं है, दोष हमारी समझ का है कि हम यह नहीं सोचते कि हो सकता है कि उस व्यक्ति को सुनने में कोई समस्या हो, उसे कम सुनाई देता हो, ऊंचा सुनता हो बिल्कुल भी ना सुनता हो। यह बहरापन भी हो सकता है। उसकी इस समस्या को जानकर उसका उपचार कराना चाहिये। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “बहरापन को दूर करने के घरेलू उपाय”। देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से आज आपको बहरापन के बारे में विस्तृत जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि बहरापन के घरेलू उपाय क्या हैं। बहरापन को जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि हमारे कान किस तरह काम करते हैं यानी कान की संरचना क्या है। तो, सबसे पहले जानते हैं कि कान की रचना के बारे में और बहरापन क्या है। इसके बाद फिर बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।
कान की रचना – Ear Structure
दोस्तो, कान के तीन भाग होते हैं – बाह्य कान (Outer ear), मध्य कान (Middle ear) और आंतरिक कान (Inner ear)।
1. बाह्य कान – हम जो कुछ बोलते हैं वे शब्द ध्वनि का रूप ले लेते हैं। ये ध्वनि तरंगें बनती हैं जो हवा में कंपन पैदा करती हैं। बाह्य कान, हवा से इन ध्वनि तरंगों को पकडता है और उसे कान की नहर (Canal) में भेज देता है, ठीक उसी प्रकार जैसे मोबाइल टावर काम करता है। ये तरंगें कैनाल के रास्ते कान के पर्दे तक पहुंचती हैं जिससे कान के पर्दे में कंपन होने लगती है।
2. मध्य कान – इस कंपन से मध्य कान में मौजूद सुनने से संबंधित तीन हड्डियों-मेलियस, इन्कस और स्टेपीज में गति आ जाती है। यह कंपन इन हड्डियों के द्वारा आंतरिक कान में चला जाता है। इस गति के कारण कान के आंतरिक भाग में उपस्थित द्रव में हलचल शुरु हो जाती है और यह द्रव हिलने लगता है।
3. आंतरिक कान – आंतरिक कान में उपस्थित द्रव के हिलने से सुनने वाली कोशिकाऐं (Hearing Cells) हरकत में आ जाती हैं, ये थोड़ा मुड़ जाती हैं और ध्वनि तरंगों को इलेक्ट्रिक पल्स के रूप में मस्तिष्क को संकेत भेजती हैं। इन्हीं संकेतों को ही हम शब्दों और ध्वनि के रूप में सुन पाते हैं।
बहरापन क्या है? – What is Deafness?
दोस्तो, कान में लगभग 15 हजार सुनने वाली कोशिकाऐं (Hearing Cells) होती हैं, फिर नसें होती हैं। इन सुनने वाली कोशिकाओं को नसों की शुरुआत कह सकते हैं। इन्हीं कोशिकाओं के कारण हम सुन पाते हैं। ये कोशिकाऐं उम्र बढ़ने के साथ-साथ नष्ट होती रहती हैं और नसें भी कमजोर पड़ने लगती हैं। इसी कारण सुनने की क्षमता कम होने लगती है। निष्कर्षतः जब पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से ध्वनियों को सुनने की क्षमता नष्ट होने लगे या किसी अन्य कारण से ध्वनि तरंगों में रुकावट आने लगे तो इस स्थिति को ही बहरापन कहा जाता है। इस स्थिति में कोशिकाऐं मस्तिष्क को संकेत नहीं भेज पाती हैं।
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बहरापन के प्रकार – Types of Deafness
बहरापन निम्नलिखित दो प्रकार का होता है –
1. प्रवाहकीय बहरापन (Conductive Deafness) – ध्वनि कंपन का अवरोध कान के पर्दे या सुनने की हड्डियों तक रहता है अर्थात् यह कंपन बाह्य कान से आंतरिक कान तक नहीं पहुंच पाता तो इस स्थिति को प्रवाहकीय बहरापन कहते हैं। यह अवरोध कान के पर्दे या सुनने की हड्डियों तक रहता है। इस प्रकार का बहरापन, कान पर चोट लगने, कान का पर्दा फटने, कान बहने या ना बहने से भी, कान में मैल या संक्रमण, पटाका फटने, धमाका होने आदि से होता है। ऐसी स्थिति में कान सुन्न हो जाता है या कान में सांय-सांय की आवाज आती है। ये सभी कारण ध्वनि को आंतरिक कान तक जाने से रोकते हैं।
2. संवेदी बहरापन (Sensorineural Deafness) – इसका संबंध आंतरिक कान में या सुनने से संबंधित नस से होता है। इस स्थिति में सुनने वाली कोशिकाओं (Hearing Cells) और नसों (Auditory nerves) क्षतिग्रस्त हो चुकी होती हैं ये ध्वनि कंपन को विद्युत सिग्नल (Electrical pulses) में परिवर्तित करके मस्तिष्क में नहीं भेज पातीं। संवेदी बहरापन का कारण जन्मजात बहरापन हो सकता है, ध्वनि प्रदूषण जैसे वाहनों का शोर, लाउडस्पीकर, तेज स्टीरियो, डीजे, कारखाने फैक्ट्री का शोर या बढ़ती आयु का प्रभाव आदि हो सकते हैं।
बहरापन के कारण – Cause of Deafness
दोस्तो, बहरापन के अनेक कारण हो सकते हैं जो निम्न प्रकार हैं –
1. उम्र बढ़ने के साथ-साथ सुनने वाली कोशिकाओं की क्षति होने वाले बहरापन को प्राकृतिक घटना कहा जा सकता हे।
2. कान के मध्य या आंतरिक हिस्से में फोड़ा, फुन्सी या सूजन होना।
3. कान के अंदर किसी कीड़े मकोड़े का प्रवेश कर अंदर घाव कर देना।
4. विस्फोट या धमाकों के कारण कान के पर्दे फट जाना।
5. कान पर या कान के अंदर चोट लग जाना या जैसे कोई थप्पड़ मार दे।
6. कान में गंभीर संक्रमण होना।
7. कान में हड्डियों का बढ़ जाना।
8. कान में पानी चले जाना या कान बहना, इनके उपचार के बाद बहरापन की समस्या हो सकती है।
9. टीम्पेनिक झिल्ली में छेद होना या कोई रोग होना।
10. गलत दवाओं के सेवन से भी यह समस्या हो सकती है।
11. कई बीमारियों का दुष्परिणाम से भी बहरापन की संभावना बन सकती है।
12. शोर-शराबे वाली जगह काम करना जैसे फैक्ट्रीज़, कारखाने आदि, इससे भी लंबे समय के बाद बहरापन आता है।
13. बहुत तेज आवाज में म्यूजिक सुनना जैसे कान में ईयरफोन लगाकर म्यूजिक सुनना।
14. अनुवांशिकता। इसमें चार छः महीने के बच्चे में बहरापन के लक्षण देखे जा सकते हैं। जब बच्चा किसी आवाज पर प्रतिक्रिया ना दे तो डॉक्टर को दिखाना चाहिये।
बहरापन के लक्षण – Symptoms of Deafness
1. बच्चे में बहरापन के लक्षण –
बच्चे में बहरापन लक्षण छोटेपन से ही अर्थात् एक वर्ष से कम आयु में ही प्रकट होने लगते हैं जो इस प्रकार हैं –
(i) पुकारने पर या किसी आवाज पर प्रतिक्रिया व्यक्त ना करना, जवाब ना देना।
(ii) किसी की बात को ना समझ पाना।
(iii) जोर से बोलने को कहना।
(iv) टीवी को तेज आवाज करके देखना।
2. बड़ों में बहरापन के लक्षण –
(i) आवाज और ध्वनियां हल्की सुनाई देना, या बिल्कुल सुनाई ना देना।
(ii) भीड़भाड़ में पीछे से किसी का पुकारना स्पष्ट सुनाई ना देना या अन्य आवाजों को ना सुन पाना, ठीक से ना सुन पाना, या ना समझ पाना।
(iii) साफ-साफ, धीरे-धीरे मगर जोर से बोलने को, या दुबारा से बोलने को कहना।
(iv) रेडियो, संगीत को तेज आ आवाज पर सुनना।
(v) टीवी को भी तेज आवाज करके देखना।
कान के लिये कितनी आवाज सुरक्षित? – How much Sound is Safe for the Ear?
दोस्तो, मनुष्य के कानों 30 Hz से 20,000 Hz तक की ध्वनि तरंगों के लिए बहुत अधिक संवेदनशील होते हैं परन्तु सभी ध्वनियां सुनाई नहीं देती हैं। मनुष्य के कानों के लिये 60 डेसीबल (Decibel) तक की आवाज सामान्य और सुरक्षित मानी जाती है। इससे अधिक आवाज कानों की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती हैं। उदहारण के दिवाली पर पटाखों की आवाज 110 से 150 डेसीबल तक होती है जो कानों के लिये बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। डेसीबल एक ध्वनि की तीव्रता या विद्युत संकेत के शक्ति स्तर को मापने के लिये प्रयुक्त की जाने वाली इकाई है। डेसी का अर्थ है 10 और बेल शब्द लिया है महान वैज्ञानिक ग्राहमबेल के नाम से। अब बताते हैं आपको कुछ ध्वनियों के स्तर के बारे में ।
कुछ ध्वनियों के स्तर (डेसीबल में) –
(i) सांस लेने की आवाज 10
(ii) पत्तियों की सरसराहट 10
(iii) फुसफुसाने की आवाज 30
(iv) शांत ऑफिस 40
(v) पुस्तकालय 40
(vi) शांत रेस्टोरेंट 50
(vii) सामान्य वार्तालाप 55-60
(viii) घरेलू बहस 55-60
(ix) तेज वर्षा 55-60
(x) सामान्य ट्रैफिक, घरेलू मशीनें 70-90
(xi) एमपी3 की अधिकतम आवाज 105
(xii) तेज स्टीरियो, रॉक कंसर्ट 100-115
(xiii) वायुयान 120-140
(xiv) पटाखे की आवाज 110-150
(xv) साउंड एंप्लीफायर, 150
लाउडस्पीकर, सायरन
(xvi) राकेट इंजन 180-195
कानों की जांच – Ear Text
1. शारीरिक परीक्षण (Physical Test)- शारीरिक परीक्षण में डॉक्टर कानों में मैल कोई संक्रमण, फुंसी, कान की सूजन की जांच करते हैं।
2. सामान्य स्क्रीनिंग टेस्ट (Common Screening Test)- डॉक्टर एक कान को बंद करके विभिन्न प्रकार ध्वनियों को अलग-अलग स्तर पर सुनाते हैं। इन ध्वनियों पर मरीज की प्रतिक्रिया के आधार पर निर्धारित करते हैं कि मरीज किस ध्वनि को कितनी अच्छी तरह सुन पाता है।
3. ट्यूनिंग फोर्क टेस्ट (Tuning Fork Test)- ये धातु के औजार होते हैं, इनको टकराकर ध्वनि पैदा की जाती है। इस परीक्षण से यह पता चलता है कि बहरापन, मध्य कान के कंपन वाले भाग और सेंसर की क्षति के कारण है या आंतरिक कान की सुनने वाली नसों की क्षति के कारण या दोनों के नुकसान के कारण यह बहरापन है।
4. ऑडियोमीटर टेस्ट (Audiometer Test)- यह टैस्ट ऑडियोलॉजिस्ट द्वारा किया जाता है। वह मरीज को ईयरफोन लगाकर कान में म्यूजिक को सीधे सुनायेगा और हर बार सुनाई देने वाले म्यूजिक की तरफ इशारा करने के लिये कहता है। प्रत्येक ध्वनि को बेहोशी के स्तर पर सुनाया जाता है ताकि यह पता चल सके कि मरीज को सुनना कब मुश्किल होता है। इसके अतिरिक्त ऑडियोलॉजिस्ट अनेक प्रकार के शब्द भी सुनाता है जिससे आपकी सुनने की क्षमता का आंकलन करता है।
बहरापन का उपचार – Deafness Treatment
बहरापन का उपचार निम्न प्रक्रियाओं द्वारा किया जाता है –
1. कान का मैल साफ करना (Earwax Cleaning)- कान में मैल जमने से मैल की गांठ बन जाती है जो निकलने में बहुत मुश्किल होती है। इसके लिये डॉक्टर तेल के द्वारा से इसे मुलायम कर देते हैं। पूरी तरह ढीला होने पर इसको निकाल देते हैं।
2. कान की मशीन (Hearing Aids)- बहरापन की स्थिति को देखते हुऐ ऑडियोलॉजिस्ट कान की मशीन की हियरिंग एड्स लगाने की सलाह दे सकता है। यह मशीन ध्वनि को आसान और मजबूत बनाती है जिससे सुनना आसान हो जाता है।
3. सर्जरी (Surgery)- कान में बार-बार संक्रमण होने या कान में चोट लगने या अन्य गंभीर मामने में कान की सर्जरी भी करनी पड़ती है। कान में चोट लगने या दुबारा संक्रमण होने की स्थिति में कान को साफ करने के लिए एक छोटी नली डालने की जरूरत हो तो सर्जरी करनी पड़ती है।
4. कोचलियर इम्प्लांट (Cochlear Implant) – कोक्लियर इंप्लांट एक छोटी सी इलेक्ट्रानिक डिवाइस होती है जिसके भीतरी और बाहरी दोनों भाग होते हैं। यद्यपि यह सुनने की क्षमता को वापस नहीं ला सकती और ना ही सुनाई कम देने की प्रक्रिया को रोक सकती है। यह डिवाइस ध्वनि को सीधे कान की केनाल में पहुंचाती है और सुनने वाली कोक्लेयर नस को ध्वनि समझने के लिये उत्तेजित करती है।
बहरापन को दूर करने के घरेलू उपाय – Home Remedies for Deafness
दोस्तो, अब बताते हैं आपको बहरापन को दूर करने के घरेलू उपाय जो निम्नलिखित हैं –
1. सरसों का तेल (Mustard Oil)- सरसों के तेल में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। सप्ताह में शुद्ध सरसों का तेल हल्का गुनगुना करके इसकी कुछ बूंद कानों में डालें। इससे बहरापन में फायदा होगा।
2. सरसों का तेल और मूली (Mustard Oil and Radish)- सरसों के तेल में थोड़ा-सा मूली का रस मिलाकर कान में 2-4 बूंद दिन में तीन या चार बार डालें। इससे बहरापन दूर होता है।
3. सरसों और धनिया (Mustard and Coriander)- सरसों के तेल में थोड़े से धनिया के दाने डालकर आग पर पकायें। इसे उतारकर, छानकर, ठंडा करके, थोड़ा हल्का गुनगुना रहे, इसकी 2-4 बूंद कान में डालें।
4. बेल, अनार और सरसों का तेल (Bael, Pomegranate and Mustard Oil)- एक-एक चम्मच बेल के पत्तों का रस और अनार के पत्तों का रस को मिलाकर 100 ग्राम सरसों के तेल में पकायें जब तक कि तेल आधा ना रह जाये। फिर इसे छानकर ठंडा करके, किसी शीशी में भर लें। इस तेल की नियमित रूप से 2-4 बूंद कान में डालें।
5. तुलसी और सरसों (Basil and Mustard)- तुलसी के पत्तों में एंटीबैक्टीरियल, एंटीइंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक या दर्दनाशक गुण होते हैं। तुलसी के पत्तों का रस सरसों के तेल में मिलाकर गरम कर लें। इसे ठंडा करके, थोड़ा गुनगुना सा दो बूंद कान में डालें।
6. तुलसी के पत्ते (Basil Leaves)- तुलसी के पत्तों के गुण हम ऊपर बता ही चुके। तुलसी के पत्तों को पीसकर दिन में दो बार कान में 2-3 बूंद डालें।
7. लहसुन और सरसों (Garlic and Mustard)- लहसुन में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटी वायरल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। लहसुन की कुछ कलियों को छीनकर (चाहें तो इसके साथ प्याज का रस भी मिला सकते हैं )100 ग्राम सरसों के तेल में पकायें। इसे ठंडा करके, छानकर किसी शीशी में भर लें। रोजाना इस तेल की दो बूंद कान में डालें।
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8. प्याज (Onion)- प्याज अपने आप में एंटीसेप्टिक है। इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। सफेद प्याज का रस निकालकर, दिन में तीन बार कान में, इस रस की दो बूंद डालें।
9. अदरक (Ginger)- अदरक का रस निकालकर और शहद में बहुत थोड़ा नमक मिलाकर कान में 2-4 बूंद डालें।
10. सोंठ, गुड़ और घी (Dry Ginger, Jaggery and Ghee)- सोंठ, गुड़ और घी के सेवन से बहरापन में फायदा होता है। कान की सांय-सांय की आवाज़ भी बंद हो जायेगी।
11. दूध और हींग (Milk and Asafoetida)- दूध में थोड़ी सी हींग मिलाकर कान में दो बूंद डालें। बहरापन में फायदा होगा।
12. दालचीनी (Cinnamon)- रात को सोने से पहले दालचीनी के तेल की 2-3 बूंद कान में डालें।
13. अखरोट, बादाम (Walnuts, Almonds)- अखरोट या कड़वे बादाम के तेल की 2-3 बूंद कान में डालें। इससे सुनने की क्षमता बढ़ेगी।
14. सेब का सिरका (Apple vinegar)- एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच सेब का सिरका और आधा चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन दो बार पीयें।
15. सुहागा और नींबू (Honey and Lemon)- सुहागा को बारीक पीसकर इसमें 5-6 बूंद नींबू का रस मिला दें और 2-4 बूंद कान में डालें। इससे कान का मैल फूलकर बाहर आ जायेगा। इसे कान से बाहर निकाल दें। इस तरह कान का पर्दा साफ़ हो जाएगा और सुनाई भी देने लगेगा।
Conclusion –
दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको बहरापन को दूर करने के घरेलू उपाय के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कान की रचना, बहरापन क्या है, बहरापन के प्रकार, बहरापन के कारण, बहरापन के लक्षण, कान के लिये सुरक्षित आवाज, कुछ ध्वनियों के स्तर, कानों की जांच और बहरापन का उपचार, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से बहरापन को दूर करने के घरेलू उपाय भी बताये। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा।
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