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काली मिर्च खाने के फायदे – Benefits of Eating Black Pepper in Hindi

काली मिर्च खाने के फायदे

दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, यह गौरव की बात है कि हमारे देश भारत के मसाले गुणवत्ता की दृष्टि से पूरी दुनियां में प्रसिद्ध हैं। इतिहास गवाह है कि मसालों के व्यापार के लिये विदेश से व्यापारी यहां आते रहे हैं यहां तक कि मसालों के व्यापार की आड़ में अंग्रेज ईस्ट इंडिया कम्पनी के रूप में भारत आये और बाद में सत्ता पर कब्जा कर लिया। आज जिस विशेष मसाले के बारे में हम आपको बतायेंगे उसके पौधे के फल से दो प्रकार के मसाले बनते हैं। रंग और गुणों के कारण नाम अलग हो जाते हैं। एक काला और दूसरा सफेद। आज हम काले मसाले के बारे में बतायेंगे। जी हां, इस काले रंग के मसाले को “काला सोना” कहा जाता है और इसका नाम है काली मिर्च जिसे “मसालों की रानी” भी कहा जाता है। यह केवल मसाला ही नहीं बल्कि अपने आप में आयुर्वेदिक औषधी है जो अनेक बीमारियों में फायदा पहुंचाती है मगर ज्यादा सेवन से नुकसान भी करती है। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “काली मिर्च खाने के फायदे”। देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से आज आपको काली मिर्च के बारे में विस्तृत जानकारी देगा और इसके खाने के फायदे और नुकसान भी बतायेगा। तो, सबसे पहले जानते हैं कि काली मिर्च क्या है, इसका इतिहास और यह कैसे बनती है। इसके बाद फिर बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे। सफेद रंग के मसाले को सफेद मिर्च कहा जाता है जिसका जिक्र हम आने वाले आर्टिकल में करेंगे। 

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काली मिर्च खाने के फायदे
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काली मिर्च क्या है? – What is Black Pepper?

काली मिर्च पिप्पली परिवार से, बारहमासी पौधे के समान एक लता के अधपके फल होते हैं। इसके पौधे की लताओं को सहारा देने के लिये वृक्षों या खंबों की जरूरत होती है। इसलिये इसके पौधे अधिकतर जंगलों में लगाये जाते हैं या समतल जगह पर पहले लकड़ी के बांस, बल्ली आदि लगा कर काली मिर्च पौधा लगाया जाता है। इसके पौधे की ऊंचाई भले ही 35 से 40 मीटर तक हो सकती है मगर अनेक कारणों से इसे केवल 6 से 9 मीटर तक ही बढ़ने दिया जाता है। इसकी पत्तियों की लम्बाई 12 से 18 सेंटीमीटर की होती है और चौड़ाई 5 से 10 सेंटीमीटर होती है। इस पर सफेद और हल्के पीले रंग के फूल आते हैं। इसके पौधों पर फलों के 100 से 150 मिली मीटर लंबे गुच्छे होते हैं। प्रत्येक गुच्छे पर 50 से 60 दाने होते हैं। फल व्यास में 3 से 6 सेंटीमीटर होते हैं।

काली मिर्च का इतिहास – History of Black Pepper

दोस्तो, काली मिर्च का इतिहास चार हजार वर्ष से भी अधिक पुराना है, जो केवल मसाला ही नहीं बल्कि औषधी भी है जिसका उपयोग आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा पद्धति में किया जाता रहा है। ग्रीस, रोम, पुर्तगाल आदि विभिन्न देशों के हजारों वर्ष पुराने इतिहास में भी इसका उल्लेख मिलता है। 15वीं शताब्दी में पुर्तगाल का व्यापारी वास्को-डि-गामा ने समुद्रमार्ग से यात्रा की और भारत के सुप्रसिद्ध मालाबार (आज का केरल) के तटवर्ती इलाकों की खोज की। यहां से वह अपने साथ बहुत सारे मसाले ले गया। बाद में पुर्तगालियों का लश्कर भी यहां आया और उन्होंने कोचिन में किले और कालोनियां बनवाईं तैयार कराईं। यहां के व्यापार पर कब्जा करना चाहा मगर सफल नहीं हुऐ। फिर यहूदी, चीनी, फ्रेंच और अंग्रेज भी काली मिर्च की चाहत में यहां आये, क्योंकि यूरोप में इसकी खपत बड़े पैमाने पर थी। एक समय में काली मिर्च करेंसी की तरह चलन में थी। देखते ही देखते भारत मसालों का हब बन गया विशेषकर काली मिर्च का। 

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काली मिर्च कैसे बनती है? – How is Black Pepper Made?

काली मिर्च के पौधे से कच्चे, पक्के फलों के गुच्छों को उतारकर, जमीन या चटाइयों पर फैलाकर हथेलियों से रगड़ा जाता है जिससे गोल मिर्च के दाने अलग हो जाते हैं। इन दानों को 5-6 दिन धूप में सुखाया जाता है। अच्छी तरह सूखकर सिकुड़ जाने से मिर्च के दानों के छिलकों पर झुर्रियां पड़ जाती हैं, ये खुरदुरी हो जाती हैं और इनका रंग गहरा काला हो जाता है। तब जाकर यह काली मिर्च कहलाती है।

ये भी पढ़े- लौंग के फायदे और नुकसान

काली मिर्च की खेती – Pepper Cultivation

1. भारत के दक्षिणी क्षेत्रों में मालाबार (आज का केरल) और कर्नाटक के कुछ क्षेत्र महाराष्ट्र, गोवा, असम के सिलहट तथा खासी के पहाड़ी क्षेत्रों में काली मिर्च की खेती की जाती है। अब छत्तीसगढ़ में भी बड़े पैमाने पर काली मिर्च की खेती की जाने लगी है।  विश्व में काली मिर्च का उत्पादन भारत के केरल राज्य में होता है।

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2. भारत के अतिरिक्त इंडोनेशिया, मलेशिया, इंडोचीन, वियतनाम, श्रीलंका, स्याम, बोर्नियो और अन्य देशों में काली मिर्च की खेती की जाती है। 

काली मिर्च और सफेद मिर्च में अंतर – Difference Between Black Pepper and White Pepper

काली मिर्च और सफेद मिर्च में अंतर केवल रंग और गुणों का है। वास्तव में ये एक ही पौधे का फल हैं इनको बनाने की प्रक्रिया अलग-अलग है। काली मिर्च कैसे बनाई जाती है इस बारे में हम ऊपर बता चुके हैं। पूरी तरह से पके हुऐ फलों को पानी में भिगोकर जाते हैं हाथ से मसलते हैं ताकि इनका छिलका हट जाये। छिलका हट जाने से इनका रंग सफेद हो जाता है। इसी को सफेद मिर्च कहा  जाता है। सफेद मिर्च को दखनी मिर्च भी कहा जाता है। इसकी गर्म तासीर काली मिर्च की अपेक्षा कुछ कम हो जाती है और गुणों में भी अंतर आ जाता है। सफेद मिर्च को कुछ लोग अलग प्रजाति की या सहिजन के बीजों को ही काली मिर्च मान लेते हैं।

काली मिर्च के गुण – Properties of Black Pepper

1. काली मिर्च की तासीर बहुत गर्म होती है। 

2. काली मिर्च का स्वाद तीखा होता है। 

3. काली मिर्च में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीफ्लैटुलेंस, ड्यूरेटिक, एंटीइंफ्लेमेटरी, डाइजेस्टिव, मैमोरी इनहेंसर और पेन रिविलर गुण होते हैं। 

4. पोषक तत्व (प्रति 100 ) –

ऊर्जा                            251 kcal

प्रोटीन                          10.39 ग्रा

टोटल लिपिड (फैट)        3.26 ग्रा

कार्बोहाइड्रेट                  63.95 ग्रा

फाइबर, टोटल डाइटरी    25.3 ग्रा

शुगर                             0.64 ग्रा

आयरन                         71 मिली ग्रा

कैल्शियम                      443 मिली ग्रा

मैग्नीशियम                    171 मिली ग्रा

सोडियम                        20 मिली ग्रा

फास्फोरस                     158 मिली ग्रा

पोटैशियम                     1329 मिली ग्रा

जिंक                             1.19 मिली ग्रा

कॉपर                            1.33 मिली ग्रा

मैंगनीज                         12.753 मिली ग्रा

थायमिन                         0.108 मिली ग्रा

राइबोफ्लेविन                  0.18 मिली ग्रा

नियासिन                        1.143 मिली ग्रा

सेलेनियम                       4.9 माइक्रो ग्रा

विटामिन-बी                    60.291 मिली ग्रा

फोलेट                            17 माइक्रो ग्रा

विटामिन-ए                      27 माइक्रो ग्रा

विटामिन-ई                     1.04 मिली ग्रा

(अल्फा टोकोफेरोल) 

विटामिन-के                    167.7 माइक्रो ग्रा

फैटी एसिड,                    1.392 ग्रा

टोटल सैचुरेटेड 

फैटी एसिड,                    0.739 ग्रा

टोटल मोनोअनसैचुरेटेड 

फैटी एसिड,                    0.998 ग्रा

टोटल पोलीअनसैचुरेटेड 

काली मिर्च का उपयोग – Use of Black Pepper

काली मिर्च का सेवन निम्न प्रकार से किया जा सकता है –

1. सब्जी बनाते समय इसे डाला जा सकता है।

2. नमकीन पुलाव व अन्य नमकीन व्यंजनों में डाली जा सकती है।

3. पास्ता बनाते समय इसे डाला जा सकता है।

4. फास्ट फूड को तीखा और स्वादिष्ट बनाने के लिये काली मिर्च पाउडर ऊपर से छिड़का जा सकता है।

5. सॉस बनाते समय इसका उपयोग किया जा सकता है।

6. चाय में दो काली मिर्च कूट कर डाल सकते हैं। 

7. काढ़ा बनाते समय दो काली मिर्च कूट कर डाल सकते हैं। 

8. गुनगुने दूध में चुटकी भर काली मिर्च पाउडर डालकर पी सकते हैं।

9. शहद के साथ चुटकी भर काली मिर्च पाउडर मिलाकर चाट सकते हैं। इससे सर्दी और खांसी में आराम लगेगा।

10. सूप, सैंडविच बनाते समय काली मिर्च पाउडर डाल सकते हैं।

11. सलाद और फ्रूट चाट पर काली मिर्च पाउडर ऊपर से छिड़क सकते हैं।

12. रायता बनाते समय काली मिर्च पाउडर डाल सकते हैं।

काली मिर्च की मात्रा – Amount of Black Pepper

1. बेहद गर्म तासीर होने के कारण काली मिर्च पाउडर एक या दो ग्राम से अधिक सेवन नहीं करना चाहिये। 

2. किसी व्यंजन में यदि साबुत मिर्च डालनी है तो चार या पांच दाने डाल सकते हैं। 

काली मिर्च खाने के फायदे – Benefits of Eating Black Pepper

1. सर्दी में खांसी, जुकाम से बचाए (Prevent cough, cold in winter)- काली मिर्च का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह सर्दियों में खांसी, जुकाम में फायदा पहुंचाती है। काली मिर्च में पाइपराइन नामक कंपाउंड सर्दी से होने वाली बीमारियों में राहत दिलाता है और गले की खराश में भी आराम दिलाता है। दो ग्राम काली मिर्च के पाउडर को मिश्री मिले हुऐ गर्म दूध के साथ सेवन करें। खांसी में आराम लग जायेगा, या एक चम्मच शहद में दो ग्राम काली मिर्च के पाउडर का सेवन करें। जुकाम से राहत पाने के लिये 50 ग्राम दही में थोड़ा सा गुड़ मिलाकर इसमें एक ग्राम काली मिर्च का पाउडर का मिलायें और इसका सेवन करें। दिन में तीन बार खा सकते हैं। 

2. पेट के कीड़ों को दूर करें (Get rid of Stomach Worms)- काली मिर्च पाउडर के साथ किशमिश खाने से पेट के कीड़ों की समस्‍या से राहत मिल जाती है। भोजन में भी काली मिर्च के पाउडर का इस्तेमाल करें।

3. हिचकी बंद करें (Stop Hiccups)- कई बार हिचकियां बंद होने का नाम नहीं लेतीं। ये कई दिन तक भी परेशान करती हैं। ऐसे में कुछ पुदीने की पत्तियां, दो चम्मच सौंफ, मिश्री और छः सात दाने काली मिर्च पीसकर एक गिलास पानी में अच्छी तरह उबाल लें। इस पानी को छान कर पीयें। आराम लग जायेगा। या कुछ काली मिर्च के दाने जलाकर,  पीसकर बार-बार सूंघें।

4. पाचन के लिये फायदेमंद (Beneficial for Digestion)- पाचन संबंधी समस्यायें  हाइड्रोक्लोरिक एसिड की कमी होने के कारण होती हैं न कि उसके बढ़ने के कारण। हाइड्रोक्लोरिक एसिड बढ़ जाने के कारण पेट में अल्सर बनने की संभावना रहती है। अल्सर पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा आर्टिकल “अल्सर के घरेलू उपाय” पढ़ें। काली मिर्च स्वाद टेस्ट बड्स को उत्तेजित करती है और पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड के स्राव को बढ़ाने में मदद करती है जिससे पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है। काली मिर्च के सेवन से पैंक्रियाटिक लाइपेज, काइमोट्रिप्सिन की गतिविधियां भी ठीक रहती हैं। 

5. पेट की समस्या दूर करे (Cure Stomach Problems)- पेट से संबंधित अनेक समस्याऐं होती हैं जैसे पेट में दर्द होना, पेट फूलना, सूजन, कब्ज, भूख ना लगना, हिचकी, पेट में कीड़े आदि, इन सब का रामबाण उपाय है काली मिर्च। अपने भोजन में काली मिर्च को सम्मलित कीजिये और इन समस्याओं से छुटकारा पाइये। 

6. गैस की समस्या दूर करे (Solve Gas Problem)- काली मिर्च में कार्मिनेटिव गुण पाये जाते हैं। कार्मिनेटिव एक पदार्थ होता है जो जड़ी बूटियों में पाया जाता है। यह पेट फूलने और गैस बनने जैसी समस्याओं में राहत देता है। यह पेट में गैस बनने को रोकने में और गैस को बाहर निकालने में मदद करता है। गैस के कारण पेट दर्द में भी आराम देता है। इसके लिये काली मिर्च को अपने भोजन का हिस्सा बनाइये। गैस बनने पर एक गिलास छाछ में एक तिहाई चम्मच जीरा पाउडर और एक चौथाई चम्मच काली मिर्च पाउडर मिलाकर पीयें। या एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़कर इसमें थोड़ा सा काला नमक और चुटकी भर काली मिर्च पाउडर मिलाकर पीयें। गैस और इससे होने वाले दर्द में तुरंत आराम लग जाएगा।

7. वजन कम करे (Lose Weight)- काली मिर्च वजन कम करने में भी मदद करती है। इसमें पाये जाने वाले ओबेसिटी और पाइपरिन गुण इस काम में मदद करते हैं। काली मिर्च की बाहरी परत के फाइटोन्यूट्रिएंट्स वसा को जमा नहीं होने देते। ये वसा कोशिकाओं को तोड़ते हैं और मेटाबॉलिज्म में सुधार करके कैलोरी के बर्न में मदद करते हैं।

8. दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ रखे (Keep Teeth and Gums Healthy)- अक्सर दांतों में दर्द, मसूड़ों में सूजन मसूड़ों से खून आने की समस्याऐं होती रहतीं हैं। जिससे मुंह में बदबू हो जाती है और सांस से भी बदबू आती है। इन सब समस्याओं से काली मिर्च पाउडर और लौंग का तेल राहत दिलाते हैं। काली मिर्च के एंटीमाइक्रोबियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण इन  समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं। दांत में दर्द होने पर लौंग के तेल में एक चुटकी काली मिर्च का पाउडर मिलाकर लगायें। दर्द में आराम आ जायेगा। काली मिर्च, माजूफल और सेंधा नमक इनको पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें चूर्ण में दो, तीन बूंद सरसों के तेल की मिलाकर में दांतों और मसूड़ों में लगायें और आधा घंटा बाद मुंह साफ कर लें। इससे दांतों और मसूड़ों की समस्याऐं और मुंह की बदबू भी दूर हो जायेगी। मुंह की बदबू और लौंग पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारे पिछले आर्टिकल “मुंह की बदबू हटाने के देसी उपाय पढ़ें।

9. मस्तिष्क के लिये फायदेमंद (Beneficial to the Brain)- काली मिर्च में एंटीऑक्सीडेंट, ऑक्सीडेटिव और एंटी-डिप्रेसेंट गुण होते हैं जो तनाव और डिप्रेशन को दूर करने में मदद करते हैं। ये गुण अल्जाइमर रोग यानी भूलने की बीमारी से भी राहत दिलाते हैं और स्मरण शक्ति बढ़ाने में मदद करते हैं।  सुबह के समय खाली पेट एक या दो ग्राम काली मिर्च पाउडर, एक चम्मच देसी घी और मिश्री पाउडर मिलाकर खायें इससे दिमाग तेज होगा, स्मरण शक्ति बढ़ेगी और और आंखों की दृष्टि भी तेज होगी।  

10. कोलेस्ट्रॉल में संतुलन रखे (Balance Cholesterol)- काली मिर्च में पाये जाने वाले पाइपरिन गुण खराब वाले कोलेस्ट्रॉल एलडीएल को कम करने में मदद करता है जिससे अच्छे वाले कोलेस्ट्रॉल एचडीएल का सामान्य स्तर बना रहता है। इस कारण रक्त धमनियों की दीवारों में कोलेस्ट्रॉल की परत नहीं जमती और रक्त निर्बाध गति से प्रवाहित होता रहता है। इससे हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा नहीं रहता और हृदय सुरक्षित रहता है। 

11. ब्लड शुगर को कंट्रोल करे (Control Blood Sugar)- काली मिर्च का पाइपरिन गुण एंटीहाइपरग्लिसेमिक प्रभाव छोड़ता है जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है इससे ब्लड शुगर का स्तर सामान्य बना रहता है। इससे आप डायबिटीक होने से बच जाते हैं। अतः काली मिर्च का सेवन ब्लड शुगर को कंट्रोल करके डायबिटीज होने से बचाव करता है। 

12. गठिया में फायदेमंद (Beneficial in Gout)- काली मिर्च में पाइपरिन के अतिरिक्त एंटीअर्थराइटिस और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण मौजेद होते हैं।  ये गुण अर्थराइटिस के कारण होने वाली सूजन और गठिया के दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं। यदि कोई गठिया से पीड़ित है तो उसे काली मिर्च का सेवन करना चाहिये और काली मिर्च के तेल से त्वचा की मालिश भी करे त्वचा में गर्माहट, रक्त परिसंचरण सही से होगा और दर्द में भी आराम लगेगा। काली मिर्च रोगी के  शरीर से विषाक्त पदार्थ यूरिक एसिड को भी बाहर निकालने में मदद करती है।

13. डैंड्रफ हटाना (Dandruff Removal)- काली मिर्च बालों के स्वास्थ के लिये भी फायदेमंद है। डैन्ड्रफ़ की समस्या होने पर दही में एक चम्मच काली मिर्च पाउडर मिलाकर सिर पर लगाकर छोड़ दें। आधा घंटा बाद सिर को पानी से धो लें फिर अगले दिन बालों को शैम्पू लगाकर धो लें। हफ्ते में दो बार कर सकते हैं। डैन्ड्रफ़ पर अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “डैन्ड्रफ़ हटाने के देसी उपाय” पढ़ें।  

14. त्वचा रोगों में फायदेमंद (Beneficial in Skin Diseases)-  काली मिर्च त्वचा रोगों में फायदेमंद होती है। फोड़ा, फुंसी होने पर काली मिर्च को घिसकर प्रभावित स्थान पर लगायें। यहां तक कि यदि कोई मुहांसों से परेशान है तो वह काली मिर्च घिस कर लगाये। यद्यपि ऐसा करने से थोड़ी देर दर्द जरूर होगा लेकिन बहुत जल्दी मुहांसों से राहत मिल जायेगी। मुंहासों पर अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “मुंहासों से छुटकारा पाने के देसी उपाय” पढ़ें। 

काली मिर्च के नुकसान – Side Effects of Black Pepper

काली मिर्च के अत्याधिक सेवन से हो सकते हैं निम्नलिखित नुकसान –

1. तासीर अधिक गर्म होने के कारण काली मिर्च का अधिक सेवन करने से पेट में जलन हो सकती है। 

2. दस्त लग सकते हैं। 

3. पेट में गैस की समस्या हो सकती है।

4. खूनी बवासीर हो सकती है।

5. आंखों के संपर्क में आने से आंखों में जलन हो जायेगी। इसलिये कोशिश करें कि यह आंखों के संपर्क में ना आये।

6. काली मिर्च को सूंघने से बचें विशेषकर इसके पाउडर को। इससे श्वसन संबंधी समस्या बन सकती है। 

7. गर्मी के मौसम में काली मिर्च का बहुत कम और कभी-कभी सेवन करना चाहिये। नियमित और अधिक सेवन से नाक से खून आ सकता है।

8. बहुत कम मामलों में त्वचा संबंधी समस्याऐं हो सकती हैं जैसे, खुजली, एक्जीमा, सूजन और लालिमा आदि।

9. गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को काली मिर्च के सेवन से बचना चाहिये। गर्भावस्था के समय शरीर मसालों के प्रति बहुत संवेदनशील होता है और डिलीवरी के बाद काली मिर्च की गर्मी स्तन-पान कराते दूध में पहुंचने की संभावना रहती है जिससे शिशु को हानि पहुंच सकती है।

Conclusion – 

दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको काली मिर्च खाने के फायदे के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। तथा काली मिर्च क्या है?, काली मिर्च का इतिहास, काली मिर्च कैसे बनती है?, काली मिर्च की खेती, काली मिर्च और सफेद मिर्च में अंतर, काली मिर्च के गुण, काली मिर्च के उपयोग और काली मिर्च की मात्रा, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से काली मिर्च के फायदे बताये और काली मिर्च के नुकसान भी बताये। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा। 

दोस्तो, इस लेख से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो लेख के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह लेख आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और  सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह लेख केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको काली मिर्च खाने के फायदे के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। तथा काली मिर्च क्या है?, काली मिर्च का इतिहास, काली मिर्च कैसे बनती है?, काली मिर्च की खेती, काली मिर्च और सफेद मिर्च में अंतर, काली मिर्च के गुण, काली मिर्च के उपयोग और काली मिर्च की मात्रा, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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2 thoughts on “काली मिर्च खाने के फायदे – Benefits of Eating Black Pepper in Hindi

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  2. मेने आपके दुबार बताए गए काली मिर्च के फायदे पढकर बहुत लाभ मिला धन्यवाद सोनाली कुमारी

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