दोस्तो, आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग पर। हमारा आज का टॉपिक शरीर के अंदर पाये जाने वाला एक ऐसा पदार्थ है जो शरीर की अनेक प्रकार की क्रियाकलापों को सुचारु रूप से चलाने के लिये अति आवश्यक है। यह पदार्थ हमारे शरीर में अच्छे और बुरे दोनों रूपों में होता है जिसके कम या ज्यादा होने पर गंभीर समस्याओं की संभावना बन जाती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं कोलेस्ट्रॉल कम करने के उपाय की। यही है हमारा आज का टॉपिक। तो, जानते हैं इस बारे में कि कोलेस्ट्रॉल क्या होता है?
कोलेस्ट्रॉल क्या होता है और क्या काम करता है? – What is cholesterol?
दोस्तो, शरीर के अंदर मोम या वसा जैसे पदार्थ को कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) या लिपिड (Lipid) कहा जाता है। कोलेस्ट्रॉल का 80% उत्पादन लिवर के द्वारा किया जाता है 20% भोजन के माध्यम से। कोलेस्ट्रॉल कोशिका झिल्ली का बहुत महत्वपूर्ण भाग है, जहां उचित मात्रा में पारगम्यता (Permeability) और तरलता (Liquidity) स्थापित करने में इसकी जरूरत होती है। यह विटामिन-डी, पाचन और एस्ट्रोजेन, प्रोजेस्टेरॉन, टेस्टोस्टेरॉन, कोर्टिसोल, एल्डोस्टेरॉन, कोर्टिसोल और एल्डोस्टेरॉन जैसे कई प्रकार के हार्मोन्स् का निर्माण करता है। कोलेस्ट्रॉल सूर्य की रोशनी की में ही शरीर में विटामिन-डी का निर्माण करता है। यह फैट को सही तरीके से पचाने के काम में मददगार होता है। इसके अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल विटामिन-ए, डी, ई और के, को शरीर में अवशोषित (Absorbe) करने में मदद करता है।
कोलेस्ट्रॉल से जुड़े कुछ तथ्य – Some Facts Related to Cholesterol
1. कोलेस्ट्रॉल शब्द यूनानी शब्द कोले और स्टीयरियोज (ठोस) से बना है। इसमें रासायनिक प्रत्यय् (Suffix) ओल लगा हुआ है।
2. सन् 1769 में फ्रेंकोइस पुलीटियर दी ला सैले ने गैलेस्टान में इसकी पहचान ठोस रूप में की थी।
3. रसायनशास्त्री यूजीन चुरवेल ने सन् 1815 में इसका नाम कोलेस्ट्राइन रखा था।
4. फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में नैशनल पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट के प्रमुख रिसर्चर डॉ। गांग हू के अनुसार कोलेस्ट्रॉल अधिक होने से पार्किंसन रोग का खतरा बढ़ जाता है।
कोलेस्ट्रॉल के प्रकार – Type of Cholesterol
आमतौर पर कोलेस्ट्रॉल के दो ही रूप जाने जाते हैं, बुरा कोलेस्ट्रॉल और अच्छा कोलेस्ट्रॉल। पर, इसको और भी रूप होते हैं। सबका वर्णन निम्न प्रकार है।
1. न्यूनघनत्व लिपोप्रोटीन LDL (Low Density Lipoprotein) – इसे खराब और हानिकारक कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है। यह लिवर द्वारा उत्पादित होता है। इसकी मात्रा कम होनी चाहिये। यह वसा को लिवर से ऊतकों, मांसपेशियों, इंद्रियों और हृदय तक पहुंचाता है। यदि इसकी मात्रा ज्यादा हो जाये तो रक्तनलियों में जमना शुरु हो जाता है और कभी-कभी नली के छिद्र बंद हो जाते हैं। जिससे हृदयाघात (Heart Attack) का खतरा बना रहता है। शरीर में इसका स्तर 100 मिली ग्राम/डीएल से कम होना चाहिये।
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2. उच्च घनत्व लिपोप्रोटीन, HDL (High Density Lipoprotein)- यह कोलेस्ट्रॉल भी लिवर द्वारा उत्पादित होता है और इसे स्वास्थ के लिये अच्छा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है जो कोलेस्ट्रॉल और पित्त (Bile) को ऊतकों (Tissues) और इंद्रियों (Senses) से पुनष्चक्रित (Recycle) करने के बाद वापस लिवर में भेजता है। शरीर में इसकी मात्रा अधिक होनी चाहिये। शरीर में इसका स्तर 40-60 मिली ग्राम/डीएल होना चाहिये। इससे हृदय के स्वास्थ के बारे में पता चलता है।
3. अतिन्यून घनत्व लिपोप्रोटीन, VLDL (Very Low Density Lipoprotein)- इसका निर्माण भी लिवर द्वारा किया जाता है और शरीर के ऊतकों को आपूर्ति के लिये एक प्रकार की वसा ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides) के साथ रक्तप्रवाह (Bloodstream) में छोड़ा जाता है। यह न्यूनघनत्व लिपोप्रोटीन (LDL) से भी अधिक नुकसानदायक होता है। इसे मापने का कोई आसान तरीका नहीं है। इस कोलेस्ट्रॉल का मूल्यांकन सामान्यतौर पर ट्राइग्लिसराइड मूल्य के प्रतिशत के रूप में किया जाता है। फिर भी इसका स्तर 30 मिली ग्राम/डीएल से कम होना चाहिये। इसकी उच्च मात्रा से धमनी की दीवारों (Artery walls) में प्लॉक (Plaque) बनने लगता है जिससे Heart Attack का खतरा बना रहता है। इसे कम करने के लिये वजन कम करना और नियमित रूप से व्यायाम करना सर्वोत्तम विकल्प और उपाय है।
4. कुल कोलेस्ट्रॉल(Total Cholesterol) – जब कुल कोलेस्ट्रॉल की बात की जाती है तो इसका अर्थ होता है कि इसमें LDL और HDL दोनों प्रकार के कोलेस्ट्रॉल शामिल होते हैं। यह खून में कुल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बताता है। इसका सामान्य स्तर 160-250 मिली ग्राम/डीएल होना चाहिये।
5. ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides)- ट्राइग्लिसराइड्स वास्तव में खून में पाये जाने वाली वसा का एक प्रकार है जैसे कि कोलेस्ट्रॉल भी एक प्रकार का वसा है। अध्ययनों के अनुसार ट्राइग्लिसराइड्स के उच्च स्तर से हृदय रोग की संभावना बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त दिल यह मेटाबॉलिक सिंड्रोम का हिस्सा बन सकता है जिसके कारण कमर में चर्बी बढ़ना, हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर भी हो सकता है। लिवर या किडनी की समस्या भी हो सकता है। इसका सामान्य स्तर 150 मिली ग्राम/डीएल से कम होना चाहिये।
कोलेस्ट्रॉल टेस्ट – Cholesterol Test
कोलेस्ट्रॉल टैस्ट किसी भी डायग्नोस सेन्टर/पैथ लैब से करा सकते हैं। पूर्ण कोलेस्ट्रॉल परीक्षण (Complete Cholesterol Test) को लिपिड प्रोफाइल या लिपिड पैनल कहा जाता है जिसे रक्त परीक्षण के द्वारा किया जाता है। यह टैस्ट खाली पेट किया जाता है अर्थात् कम से कम 12 घंटे बिना कुछ खाये पीये रहना होता है। एक ही ब्लड सैंपल से ये सभी टैस्ट हो जाते हैं।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण – Symptoms of Cholesterol
दोस्तो, जब भी हम अपने शरीर में कुछ असहज महसूस करते हैं तो समझ जाना चाहिये शरीर किसी बीमारी का संकेत दे रहा है। सामान्य तौर उच्च कोलेस्ट्रॉल के कोई लक्षण नजर नहीं आते लेकिन जब भी कुछ निम्नलिखित असहजता महसूस करें तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिये क्योंकि ये हो सकते हैं उच्च कोलेस्ट्रॉल के लक्षण –
1. त्वचा का पीला हो जाना (Skin yellowing)- प्रथम दृष्टि में यह पीलिया लग सकता है लेकिन यह उच्च कोलेस्ट्रॉल का प्रमुख लक्षण होता है। इसलिये तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिये।
2. सीने में दर्द होना(Chest Pain)- यदि सीने में दर्द है रहा है, बेचैनी भी है और दिल की धड़कन बढ़ रही है तो इसे हल्के में ना लें। यह कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने के स्पष्ट लक्षण हो सकते हैं। कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से हार्ट अटैक भी हो सकता है। इसलिये तुरंत डॉक्टर के पास जायें।
3. सिर में दर्द(Headache)- यदि आपको अक्सर सिरदर्द रहता है या कभी-कभी सिर बहुत हल्का महसूस होता है या कभी चक्कर आता है तो यह खतरे की घंटी हो सकती है। कोलेस्ट्रॉल के बढ़ जाने के कारण सिर की प्रत्येक नस में रक्त का संचार ठीक से नहीं हो पाता है। यह बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के स्पष्ट लक्षण हैं।
4. सांस फूलना (Breathlessness)- यदि हल्का सा भागने दौड़ने से, थोड़े से काम करने से किसी काम में थोड़े से श्रम करने से थकावट होने लगती है या सांस फूलने लगती है, दिल की धड़कन बढ़ जाती है तो समझिये कि ये बढ़े हुऐ कोलेस्ट्रॉल के लक्षण हो सकते हैं।
5. मोटापा (Obesity)- अचानक से वजन बढ़ना बिना किसी विशेष कारण के, पेट में भारीपन महसूस करना, हद से ज्यादा गर्मी लगना और सामान्य से ज्यादा पसीना आना ये सब बढ़े हुऐ कोलेस्ट्रॉल के लक्षण हो सकते हैं।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के हो सकते हैं निम्न कारण – Cause of Cholesterol Increases
1. शारीरिक गतिविधि में कमी (Decrease in Physical Activity)- यदि किसी व्यक्ति की दिनचर्या में गतिविधि में कमी है अर्थात् वह न तो कोई काम करता है, ना कोई योग, व्यायाम, ना बाजार जाना, बस बैठे रहना; तो उसका शरीर बेकार होने लगता है और मोटापा भी बढ़ने लगता है। ऐसी स्थिती में रक्त में एलडीएल की मात्रा बढ़ने लगती है। और अच्छा कोलेस्ट्रॉल एचडीएल कम होने लगता है। नतीजा शरीर बीमारियों का घर बन जाता है।
2. खानपान (Food and Drink)- खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का मुख्य कारण है ऐसा भोजन जिसमें सैच्युरेटेड फैट की मात्रा बहुत ज्यादा हो। यदि आप अत्यधिक तेल वाला भोजन, घी, पाम ऑइल, मक्खन, प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड, मीट, अंडा, फुल क्रीम वाला दूध, पनीर, केक, तला भुना खाद्य पदार्थ, अधिक मिर्च मसाले वाला भोजन का सेवन करते हैं तो खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जायेगी।
3. धूम्रपान करना (To Smoke)- धूम्रपान करने से रक्त धमनियां सख्त होने लगती हैं जिससे रक्त के साथ ऑक्सीजन को हृदय तक पहुंचने में दिक्कत होती है फिर ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है। और इस कारण फैट मेटाबॉलिज्म से जुड़ी एक बीमारी हो सकती है जिससे रक्त में खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है और अच्छा कम होने लगता है।
4. शराब(Alcohol) – शराब के अधिक सेवन से लिवर और हृदय की मांसपेशियों को क्षति पहुंचती जिससे है ब्लड प्रेशर बढ़ने के साथ-साथ खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने लगती है।
5. तनाव (Tension)- तनाव ग्रस्त व्यक्ति अधिक शराब पीने लगता है, धूम्रपान करता है ज्यादा फैट वाला खाना खाता है जिससे ब्लड में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने लगती है।
6. बीमारियां (Diseases)- कुछ बीमारियों के कारण कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ने लगता है जैसे हाइपोथायरायडिज्म, डायबिटीज, किडनी की समस्या, एचआईवी, रुमेटायड आर्थराइटिस, सोरायसिस आदि।
खराब कोलेस्ट्रॉल कम करने के उपाय – How to Control Bad Cholesterol
1. लहसुन (Garlic)- लहसुन सबसे सरल, सस्ता, घर में उपलब्ध होने वाला सर्वोत्तम देसी उपाय है। इसमें शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण तो होते ही हैं साथ ही कुछ एंजाइम्स् भी होते हैं जो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को करते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा की गई एक शोध से पता चलता है कि लहसुन के नियमित सेवन से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर 9 से 15% तक कम हो सकता है। यह उच्च रक्तचाप को कम करके नियन्त्रित करता है। यह सब्जी बनाते समय तो मसालों के साथ डाला ही जाता है, इसे चटनी के रूप में भी सेवन कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त लहसुन की दो कलियां छील कर सुबह खाली पेट खा सकते हैं। यदि इसे ऐसे ही कच्चा खाने में अच्छा ना लगे या कोई समस्या हो, या तकलीफ हो तो देसी हैल्थ क्लब इसे सेवन करने के आपको बहुत आसान और तकलीफ रहित उपाय बताता है कि रात को लहसुन की दो कलियां छील कर, छोटे-छोटे टुकड़े काट कर आधा गिलास पानी में भिगो दें, सुबह उठकर, खाली पेट इस लहसुन के पानी को पी जायें। हो सके तो भीगे हुऐ लहसुन के टुकड़े भी खालें। ये बहुत ही कम चरपरे लगेंगे। नियमित रूप से लहसुन इसी प्रकार सेवन कीजिये, 15 दिन में ही आपको आराम लग जायेगा।
2. प्याज(Onine) – खराब कोलेस्ट्रोल को कम करने के लिये लाल प्याज का सेवन बहुत बेहतरीन विकल्प है। प्याज औषधीय गुणों से सम्पन्न होती है। इसमें मौजूद हाइपोलिपिडेमिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण उच्च कोलेस्ट्रोल को कम करने में मदद करते हैं। वैज्ञानिकों ने भी अपनी शोध में लाल प्याज को कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करने का अच्छा घरेलु उपचार माना है। यह हृदय रोग से जुड़ी समस्याओं की संभावना को भी कम करती है। प्याज को सब्जी में डालने के अतिरिक्त प्रतिदिन सलाद के रूप में सेवन कीजिये। प्याज का रस निकाल कर आधा चम्मच शहद मिलाकर पी सकते हैं। इसमें आप अदरक, लहसुध, काली मिर्च भी मिला सकते हैं, स्वाद अच्छा बन जायेगा।
3. आंवला(Gooseberry)- आंवला तो औषधीय रूप में प्रकृति का उपहार है। आंवला विटामिन-सी और साइट्रिक एसिड से भरपूर होता है। इसके साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट और हाइपोलिपिडेमिक गुण मौजूद होते हैं। जो अच्छे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाते में हैं और खराब कोलेस्ट्रोल तथा टोटल कोलेस्ट्रोल को कम करते हैं। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफार्मेशन) में प्रकाशित एक शोध से यह बात प्रमाणित हो जाती है कि आंवला के ये सभी गुण खराब कोलेस्ट्राॅल व टोटल कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। प्रतिदिन सुबह खाली पेट एक चम्मच आंवला के रस में एक चम्मच एलोवेरा का रस मिलाकर पीया जा सकता है। या एक चम्मच सूखे आंवला के पाउडर को एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर सुबह के समय पीयें। या आंवला के रस ऐसे ही पीयें। आंवला को पानी में उबालकर पानी को सुबह खाली पेट नियमित रूप से सेवन कर सकते हैं।
4. सेब का सिरका (Apple Vinegar)- सेब का सिरका एंटीऑक्सीडेंट गुणों और एसेटिक (Acetic) एसिड से भरपूर होता है जो टोटल कोलेस्ट्रोल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करते हैं। इसके सेवन से हृदय जुड़ी समस्याओं की संभावना भी कम हो जाती है। इसे भोजन में शामिल करना चाहिये। सलाद के ऊपर भी इसे डाल सकते हैं। भोजन से पहले पानी में एक चम्मच सिरका डालकर पीना भी फायदेमंद होता है।
5. नींबू (Lemon)- नींबू में विटामिन-सी के अतिरिक्त फ्लेवोनोइड यौगिक भी मौजूद होता है। फ्लेवोनोइड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड को कम करने में मददगार होते हैं। विटामिन-सी रक्तवाहिका नलियों की सफाई का कार्य करता है। नींबू जैसे खट्टे फलों में पाये जाने वाले एंजाइम्स मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया तेज करके कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करते हैं अर्थात् नींबू खराब कोलेस्ट्रॉल को पाचन तंत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकालने का काम करता है। नींबू पानी में शहद मिलाकर पीने से वजन भी कम होता है। शहद में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। जब वजन कम होगा तो कोलेस्ट्रॉल स्वतः ही कम हो जायेगा।
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6. संतरे का रस (Orange Juice)- संतरे को विटामिन-सी की खान माना जाता है और इसके रस को आयुर्वेद में औषधी। संतरे में विटामिन-सी के अतिरिक्त, हाइपोलिपिडेमिक व एंटीऑक्सीडेंट गुण पाये जाते हैं। ये गुण और फ्लेवोनोइड्स यौगिक रक्त में मौजूद खराब कोलेस्ट्रॉल काे कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का कार्य करते हैं। कलेस्ट्रॉल को प्राकृतिक तौर पर कम करने के लिए प्रतिदिन तीन कप संतरे का रस पीना चाहिये।
7. अंगूर का रस (Grape juice)- अंगूर का रस पीने से भी आपका कोलेस्ट्रॉल कम हो सकता है। इसमें मौजूद रेसवेरेट्रॉल (Resveratrol), फेनोलिक एसिड (Phenolic acids), एन्थॉकायनिन (Anthocyanins) और फ्लेवोनोइड (Flavonoids) जैसे पॉलीफेनोल्स (Polyphenol) यौगिक एंटीऑक्सीडेंट्स के रूप में खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने कार्य करते हैं। दोपहर या शाम को अंगूर का रस पीना ठीक रहेगा।
8. अनार का रस (Pomegranate Juice)- अनार का रस भी खराब कोलेस्ट्रॉल को घटाने के लिये फायदेमंद माना जाता है। इसके एंटीऑक्सीडेंट्स गुण अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने और खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने का कार्य करते हैं। अनार में पॉलीफेनोलिक, टैनिन और एंथोसायनिन (Anthocyanin) जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स पाये जाते हैं।
9. अजवाइन के पत्ते का रस (Celery leaf juice)- सेलेरी यानि अजवाइन इसे अजमोद भी कहा जाता है, इसके पत्ते देखने में धनिया जैसे लगते हैं लेकिन धनिया नहीं होता। इसके पत्तों का रस पीने से खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में फायदा होता है। इनमें फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इनमें एंटीआक्सीडेंट गुणों के अतिरिक्त 3-एन-ब्यूटिफ्थाथाइड नामक एक रासायनिक यौगिक भी पाया जाता है। ये सब रक्त में खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने का काम करते हैं।
10. ग्रीन टी (Green Tea)- ग्रीन टी के एंटीऑक्सीडेंट गुण अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा कर खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार होते हैं। यह एक अच्छा विकल्प है। प्रतिदिन दो बार ग्रीन टी का सेवन करें।
11. धनिया के बीज का पाउडर (Coriander Powder)- धनिया पाउडर अर्थात् धनिया के बीज का पाउडर खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कन्ट्रोल करने के लिये बहुत अच्छा उपाय है। इसमें हाइपोलिपिडेमिक, एंटीहाइपोकोलेस्ट्रॉलमिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाये जाते हैं जो रक्त में मौजूद खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं। इसका सेवन शुगर कम करने के लिये भी किया जाता है। सूखा धनिया पाउडर सब्जी बनाते समय मसाले के रूप में इस्तेमाल किया ही जाता है। सब्जी बनने के बाद हरा धनिया भी डाल देते हैं। हरा धनिया को सलाद के रूप में भी उपयोग में लाया जा सकता है। यह सब खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। रही बात धनिया बीज के पाउडर की तो एक कप पानी में दो चम्मच धनिया बीज के पाउडर मिलाकर उबालें और छान कर दिन में दो बार पीयें। स्वादिष्ट बनाने के लिये दूध, चीनी और इलायची भी मिला सकते हैं।
12. अलसी के बीज (Flaxseed seeds)- अलसी के बीज का पाउडर भी अच्छा विकल्प है कोलेस्ट्रॉल को कन्ट्रोल करने का। अलसी के बीज में फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है जोकि टोटल कोलेस्ट्रॉल और खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है। इसके बीज के पाउडर को पानी से या छाछ में मिलाकर पी सकते हैं। इसे सब्जी में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
13. चिया के बीज (Chia Seeds)- चिया के बीज फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं जो रक्त में मौजूद खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं। इनसे हृदय से जुड़ी समस्याओं की संभावना भी कम हो जाती है। चिया के बीज को आप पानी में भिगोकर कर खा सकते हैं या दही के साथ भी खा सकते हैं। इसका पाउडर बनाकर भी सेवन कर सकते हैं।
14. ओट्स (Oats)- जिस प्रकार लोग वजन कम करने के लिये ओट्स को अपनाते हैं उसी प्रकार कोलेस्ट्रॉल को कन्ट्रोल करने के लिये ओट्स के विकल्प को अपनाइये, निश्चित रूप से फायदा होगा। इसे नाश्ते में दूध के साथ या दलिया के रूप में खा सकते हैं। चाहें तो इसमें ड्राईफ्रूट्स या फल भी मिला सकते हैं। इसे सूप के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
ओट्स में घुलनशील फाइबर के अतिरिक्त बीटा-ग्लूकॉन नामक घटक (Component) होता है। ये अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा कर खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करके कोलेस्ट्रॉल लेवल को कन्ट्रोल करते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययनों के अनुसार यदि तीन महीने तक नियमित रूप से ओट्स का सेवन किया जाये तो इससे कोलेस्ट्रॉल के स्तर में 5% तक की कमी है सकती है।
15. दही (Curd)- प्रतिदिन दही के सेवन से आप कोलेस्ट्रॉल को नियन्त्रित कर सकते हैं। दही में पाये जाने वाले
लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस (Lactobacillus acidophilus) और बिफिदोबैक्टीरियम लैक्टिस (Bifidobacterium lactis) घटक (Component) खून में मौजूद खराब वाले कोलेस्ट्रॉल को कम करने का कार्य करते हैं।
16. काला चना (Black gram)- काला चना कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियन्त्रित करने में रामबाण औषधी के रूप में कार्य करता है। रात को थोड़े से काले चने भिगो कर रख दें। सुबह खाली पेट इनको खायें और चने का पानी पी लें। आप चने भूनकर भी खा सकते हैं। काले चनों में विटामिन-ए,बी,सी,डी, कैल्शियम, फाइबर, आयरन, कार्बोहाइड्रेट, मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं।
17. अंकुरित दालें (Sprouted pulses)- अंकुरित दालों को सलाद के रूप में सेवन से करने कोलेस्ट्रॉल नियन्त्रण में रहेगा। दालों में आप मूंग, सोयाबीन, काला चना, उड़द का उपयोग कर सकते हैं।
18. अखरोट (Walnut)- अखरोट को ऊर्जा का भंडार कहा जाता है। इसकी यह विशेषता होती है कि इसे खाने से शरीर में तुरन्त ऊर्जा का संचार होता है। अखरोट के सेवन से रक्तवाहनियों में जमा कोलेस्ट्रॉल पिघल जाता है और फिर खराब कोलेस्ट्रॉल को लिवर तक पहुंचाने में मदद करता है। अखरोट में कैल्शियम, मैग्नीशियम, ओमेगा-3, फाइबर, कॉपर और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं। अतः प्रतिदिन 4 अखरोट खाइये।
19. किशमिश और बादाम (Raisins and Almonds)- किशमिश और बादाम के सेवन से भी कोलेस्ट्रॉल नियन्त्रित रहेगा। रात को 8-10 किशमिश और 6-7 बादाम भिगो दें, सुबह खाली पेट इनको खायें। डायबिटीज वाले लोग किशमिश को अवाइड करें।
20. अन्य ड्राई फ्रूट्स (Other Dry Fruits) – अखरोट, किशमिश और बादाम के अतिरिक्त पिस्ता, काजू , मूंगफली आदि अन्य नट्स का भी सेवन कर सकते हैं। नट्स में ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर, विटामिन-सी की पर्याप्त मात्रा होती है जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सामान्य रखने में मदद करते हैं।
21. डार्क चॉकलेट (Dark Chocolate)- डार्क चॉकलेट का स्वाद बेशक कड़वा होता है पर इसके एंटी-ऑक्सीडेंट् गुणों से रक्त नलिकाएं मजबूत होती हैं और इसको खाने से सेवन कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य रहता है।
22. मछली(Fish) – मछली का सेवन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सामान्य रखने के लिये अच्छा विकल्प है। स्टीम्ड या ग्रिल्ड मछली सप्ताह में दो बार सेवन करना लाभदायक होगा। मछली में पाये जाने वाला ओमेगा-3 पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है।
23. विटामिन (Vitamin)– दोस्तो, ऊपर बताये गये उपायों के अतिरिक्त, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में विटामिन-बी अर्थात् नियासिन (Niacin) भी बहुत बड़ी सक्रिय भूमिका निभाता है। विटामिन-बी की उच्च खुराक कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड (Triglyceride) लिपिड के स्तर को संतुलित करने में मदद करती है।
विटामिन-बी में एंटी-एथेरोस्क्लोरोटिक गुण होता है जो उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) को बढ़ाने में सहायक माना जाता है। विटामिन-ई को भी आवश्यक समझा गया है जो खराब कोलेस्ट्रॉल के कारण हृदय की धमनी (Heart artery) में जमने वाले प्लाक को कम करता है। पर याद रखिये कि अपनी मर्जी से कोई भी विटामिन के सप्लीमेंट्स् ना लें। इस बारे में डॉक्टर की सलाह आवश्यक है।
Conclusion
दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको कोलेस्ट्रॉल कम करने के उपाय के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इससे जुड़े कुछ तथ्य बताये। कोलेस्ट्रॉल के प्रकार, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण और टैस्ट के बारे बताया। इस लेख के माध्यम से खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने के बहुत सारे देसी उपाय भी बताये। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर करें। ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, हमारा आज का यह लेख आपको कैसा लगा, इस बारे में कृपया अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health- Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।
Disclaimer- यह लेख केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।
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