स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग में। दोस्तो, सर्दी के मौसम में खूब सारे कपड़े पहनने के बावजूद भी सर्दी लगती रहती है। जब तक शरीर में अंदर से गर्मी नहीं होगी तब तक सर्दी लगती ही रहेगी। इसलिए एक ऐसे खाद्य पदार्थ की आवश्यकता होती है जिसके सेवन से शरीर अंदर से गर्म रहे और स्ट्रोंग भी। इसके लिए एक ही नाम जेहन में उभरता है और वह है च्यवनप्राश। जी हां, च्यवनप्राश एक दैवीय औषधि जिसे स्वयं देवताओं के चिकित्सक सूर्य के दो पुत्रों, अश्विनी कुमारों ने तैयार किया था। आयुर्वेद ने भी च्यवनप्राश को एक संपूर्ण स्वास्थ टॉनिक माना है। एक ऐसा टॉनिक जो संक्रमण का शत्रु है और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए वरदान। इसके सेवन से सर्दियों में होने वाले खांसी, जुकाम की छुट्टी, अस्थमा में फायदेमंद, रक्त को शुद्ध करे और हृदय को सुरक्षित रखे। बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के लिए लाभकारी। आखिर ऐसा क्या है इस च्यवनप्राश में जो इतने फायदे देता है। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “च्यवनप्राश खाने के फायदे”।
देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको च्यवनप्राश के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसे खाने के क्या फायदे होते हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि च्यवनप्राश क्या है और इसका नामकरण। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।
च्यवनप्राश क्या है? – What is Chyawanprash?
दोस्तो, आयुर्वेद के अनुसार च्यवनप्राश एक संपूर्ण स्वास्थ टॉनिक है। स्वाद में मीठा, हल्की सी खटास लिए, अधिकतर काले रंग का चिपचिपा जैम के समान गाढ़ा पदार्थ है। यह लगभग 40-50 आयुर्वेदिक जड़ी, बूटियों का मिश्रण है। इसे त्रिदोष नाशक कफ़, पित्त और वात नाशक माना जाता है। स्मरण शक्ति, आंतरिक शक्ति, बुद्धि के लिये अत्यंत लाभदायक माने जाने वाला च्यवनप्राश, शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर, रक्त का भी शुद्धिकरण करता है तथा संक्रमणों से मुक्ति दिलाता है
आयुर्वेद में सर्दी, खांसी, जुकाम, फेफड़ों के संक्रमण तथा क्षय रोग के उपचार में दी जाने वाली दवाओं के साथ च्यवनप्राश का सेवन आवश्यक माना गया है। चूंकि च्यवनप्राश की तासीर गर्म होती है इसलिए इसका सेवन केवल सर्दियों में किया जाना चाहिए।
च्यवनप्राश का नामकरण – Naming of Chyawanprash
माना जाता है कि महर्षि भृगु के वंशज च्यवन ऋषि ने वृद्धावस्था में यौवनावस्था की पुनर्प्राप्ति के लिये, देवताओं के चिकित्सक सूर्य पुत्रों नासत्य और दस्त्र नामक अश्विनी कुमारों से प्रार्थना की। अश्विनी कुमारों ने एक दैवीय औषधि तैयार कर च्यवन ऋषि को दी और उन्होंने इसका सेवन कर पुनः यौवनावस्था प्राप्त की। कालान्तर में इसी दैवीय औषधि को च्यवन ऋषि के नाम से च्यवनप्राश कहा गया और आज भी च्यवनप्राश ही कहा जाता है।
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च्यवनप्राश की सामग्री – Ingredients of Chyawanprash
दोस्तो, च्यवनप्राश में लगभग 40-50 घटक होते हैं। इनमें से कुछ घटक निम्न प्रकार हैं –
आंवला, अश्वगंधा, तुलसी, नीम, केसर, पिप्पली, ब्राह्मी, वसाका, घी, शहद, लौंग, इलायची, दालचीनी, बेल, हल्दी, अगुरु, तेजपत्ता, पुनर्नवा, नाग केसर, शतावरी और तिल का तेल।
च्यवनप्राश के गुण – Properties of Chyavanaprash
1. च्यवनप्राश की तासीर गर्म होती है।
2. च्यवनप्राश का स्वाद मीठा परन्तु हल्की सी खटास लिए होता है। यह मनभावन नहीं होता।
3. अधिकतर च्यवनप्राश रंग काला होता है जो कि देखने में भी बुरा लगता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसके प्रमुख घटक कच्चे आंवले को लोहे की कढ़ाई में उबाला जाता है, इससे आयरन के गुण तो आते ही हैं साथ ही लोहे का काला रंग भी आ जाता है।
4. च्यवनप्राश में एंटी-ऑक्सीडेंट्स, एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टेरियल, एंटी-फंगल, एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटी-एजिंग, एंटीकार्सिनोजेनिक, एंटीएजिंग, एंटीम्यूटाजेनिक आदि गुण मौजूद होते हैं।
5. च्यवनप्राश में विटामिन-सी, प्रोटीन, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं।
च्यवनप्राश के पोषक तत्व (मात्रा प्रति 10 ग्राम) – Nutrients of Chyawanprash (Quantity per 10 grams)
- कैलोरी : 35 कैलोरी
- प्रोटीन : 150 मिलीग्राम
- शूगर – 3.5 से 5.5 ग्राम
- कोलेस्ट्रॉल : 0 मिलीग्राम
- कार्बोहाइड्रेट : 7.5 ग्राम
- आहारीय फ़ाइबर : 500 मिलीग्राम
- सोडियम : 5 मिलीग्राम
- विटामिन-सी : 2.1 से 3.4 मिलीग्राम
- टोटल फैट : 750 मिलीग्राम
- सेच्युरेटिड फैट : 300 मिलीग्राम
- ट्रांस फैट : 0 मिलीग्राम
च्यवनप्राश खाने का सही समय? – Right time to Eat Chyawanprash?
1. विशेषज्ञों के अनुसार च्यवनप्राश खाने का सबसे सही समय सुबह का है। सुबह का भोजन करने के एक घंटे बाद च्यवनप्राश खाना चाहिए।
2. च्यवनप्राश का सेवन कभी रात के समय नहीं करना चाहिए क्यों कि रात को पेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि अपच, पेट फूलना, पेट में सूजन, पेट में दर्द आदि।
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च्यवनप्राश की मात्रा – Dosage of Chyawanprash
1. वयस्क प्रतिदिन एक चम्मच च्यवनप्राश सुबह के समय गुनगुने दूध या पानी के साथ सेवन कर सकते हैं।
2. बच्चों को प्रतिदिन केवल आधा चम्मच च्यवनप्राश खिला सकते हैं।
च्यवनप्राश किनको नहीं खाना चाहिए? – Who Should not Eat Chyawanprash?
- जो लोग बहुत जल्दी एलर्जी का शिकार हो जाते हैं उनको च्यवनप्राश का सेवन नहीं करना चाहिए।
- जिस व्यक्ति के मुंह में छाले हों तो उसे च्यवनप्राश का सेवन नहीं करना चाहिए।
- छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर की सलाह के बिना च्यवनप्राश नहीं खाना चाहिए।
- हाई ब्लड शुगर के मरीजों को च्यवनप्राश का सेवन नहीं करना चाहिए। हां, यदि उनका शुगर लेवल कंट्रोल में है तो उनको एक दिन में केवल तीन ग्राम ही च्यवनप्राश खाना चाहिए।
- अस्थमा या सांस की बीमारी से ग्रस्त मरीज केवल गर्म पानी के साथ च्यवनप्राश ले सकते हैं। दूध या दही के साथ नहीं।
च्यवनप्राश खाने के फायदे – Benefits of Eating Chyawanprash
और अब बताते हैं आपको च्यवनप्राश खाने के फायदे जो निम्न प्रकार हैं –
1. इम्युनिटी बढ़ाए (Boost your Immunity)- च्यवनप्राश खाने का प्रमुख फायदा यह है कि इसके सेवन से इम्युनिटी बढ़ती है। इम्युनिटी पावर के लिए मुख्य घटक विटामिन-सी का होना अति आवश्यक है। च्यवनप्राश के घटक आंवला, तुलसी, दालचीनी, इलायची आदि में भरपूर विटाममिन-सी होता है जो अपने आप में एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। एंटीऑक्सीडेंट इम्युनिटी बूस्ट करता है तथा संक्रमण आदि को समाप्त करता है। इसके अतिरिक्त च्यवनप्राश के अन्य घटक भी इम्युनिटी बढ़ाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
2. पाचन तंत्र को सही रखे (Keep the Digestive System Healthy)- च्यवनप्राश भोजन करने के उपरांत ही खाना चाहिए। इससे भोजन जल्दी पचने में मदद मिलती है। वस्तुतः पाचन तंत्र को सही बनाए रखने के लिए फाइबर बेहद जरूरी है। भोजन युक्त भोजन जल्दी पचता है। च्यवनप्राश में डाइटरी फाइबर की पर्याप्त मात्रा होती है जो भोजन को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर इसे रसादार बनाता है। इससे भोजन आसानी से और जल्दी पचता है पाचन तंत्र के समय की बचत होती है।
3. कब्ज दूर करे (Relieve Constipation)- कब्ज का मुख्य कारण भोजन का ना पचना और पेट सुबह प्राकृतिक रूप से साफ़ ना होना है। इसके लिये जरूरी है फाइबर युक्त भोजन। फाइबर, पेट साफ़ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हमने ऊपर बताया है कि फाइबर भोजन के छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर इसे रसादार बनाता है ताकि भोजन जल्दी और सरलता से पच सके।
इसके अतिरिक्त फाइबर मल को नरम बनाता है और ढीला करता है ताकि इसे बिना किसी कठिनाई के सरलता से त्यागा जा सके। च्यवनप्राश में मौजूद डाइटरी फाइबर यही काम करता है। परिणामतः अगले दिन सुबह पेट प्राकृतिक रूप से साफ़ हो जाता है और इस प्रकार कब्ज होने की संभावना नहीं रहती।
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4. हृदय को स्वस्थ रखे (Keeps the Heart Healthy)- खराब वाला कोलेस्ट्रॉल LDL हृदय का सबसे बड़ा शत्रु होता है। इससे हृदय धमनियों में प्लाक जम जाता है जिससे रक्त प्रवाह में बाधा आती है तथा हदय को पंप करने के लिये पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं पहुंच पाता। परिणामस्वरूप हृदय पर जोर पड़ता है और रक्त को पंप करने के लिए हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
ऐसा होने पर हार्ट अटैक की संभावना रहती है। च्यवनप्राश खाने से खराब वाला कोलेस्ट्रॉल LDL कम होता है और अच्छे वाले कोलेस्ट्रॉल HDL में वृद्धि होती है। च्यवनप्राश स्वयं भी कोलेस्ट्रॉल मुक्त होता है। इस प्रकार च्यवनप्राश के सेवन से हृदय स्वस्थ रहता है।
5. रक्त साफ करे (Cleanse the Blood)- च्यवनप्राश के एक घटक पाटला का काम है रक्त का शुद्धिकरण करना। यह प्राकृतिक ब्लड प्यूरीफायर के रूप में रक्त को साफ़ करने का काम करता है। इतना ही नहीं यह रक्त में उपस्थित विषाक्त पदार्थों को भी शरीर से बाहर निकालने का काम करता है। परन्तु हर कंपनी के च्यवनप्राश में पाटला नहीं होता। वैसे इसके स्थान पर तुलसी और हल्दी भी रक्त को साफ़ करने का काम करते हैं।
6. कमजोरी और धकावट दूर करे (Eliminate Weakness and Fatigue)- कई बार बिना कोई परिश्रम किए और थकावट महसूस होने लगती है। ऐसा तब भी हो सकता है जब व्यक्ति बीमार पड़ कर उठा हो। इस स्थिति में ऐसे पदार्थों की जरूरत पड़ती है जो शरीर को स्ट्रोंग बनाए ताकि कमजोरी और धकावट महसूस ना हो। च्यवनप्राश शरीर की इस जरूरत को पूरा करता है। सुबह के समय खाना खाने के एक घंटे बाद च्यवनप्राश खाने से शरीर में ऊर्जा का संचार होने लगता है और कमजोरी और थकावट दूर हो जाती है।
7. सर्दी, खांसी और जुकाम दूर करे (Relieve cold, Cough and Flu)- सर्दी के मौसम में विशेषकर सर्दी की शुरुआत और अंत में संक्रमण, वायरस तथा बैक्टीरिया का अटैक सबसे ज्यादा होता है। अधिकतर बूढ़े और बच्चे इसकी चपेट में आ जाते हैं। परिणामस्वरूप उनको सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार हो जाते हैं। ऐसे में च्यवनप्राश वरदान बनकर आता है और इन बीमारियों से छुककारा दिलाता है। च्यवनप्राश में मौजूद शहद, तुलसी, पिप्पली, इलायची और हल्दी ऐसी मौसमी बीमारियों से राहत दिलाने का काम करते हैं।
8. अस्थमा में फायदेमंद (Beneficial in Asthma)- वात और कफ के बिगड़ जाने पर (इनको वात और कफ दोष भी कहा जा सकता है), सांस लेने में कठिनाई होती है क्योंकि कफ श्वास मार्ग में बाधा डालता है। इसी स्थिति को अस्थमा कहते हैं। मरीज खुलकर सांस ले पाने में असमर्थ होता है और उसका सांस फूलता है। यह स्थिति वास्तव में दुखदाई होती है। च्यवनप्राश, फेफड़ों में जमे बलगम को ढीला करता है और उसे बाहर निकालने में मदद करता है। इससे मरीज को बहुत राहत मिलती है और वह खुलकर सांस ले पाता है।
9. हड्डियों को मजबूती दे (Strengthens Bones)- हड्डियों के विकास और मजबूती का आधार अस्थि खनिज घनत्व (Bone Mineral Density) का स्तर होता है जिसके लिये कैल्शियम, विटामिन-डी और प्रोटीन मुख्य घटक हैं। च्यवनप्राश में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है। च्यवनप्राश कैल्शियम के श्रेष्ठ अवशोषण और प्रोटीन के संश्लेषण में सहायक होता है जिससे अस्थि खनिज घनत्व में सुधार होता है और हड्डियां मजबूत बनती हैं। इसके लिए च्यवनप्राश को दूध के साथ लिया जाना चाहिए ताकि विटामिन-डी भी मिल सके।
10. यौन विकार दूर करे (Eliminate Sexual Disorders)- च्यवनप्राश यौन समस्याओं के निवारण में भी सक्रिय भूमिका निभाता है। यह शुक्राणुओं की गुणवत्ता सुधारने, वीर्य को गाढ़ा करने, कामेच्छा और कामशक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। पुरुष ही नहीं महिलाओं की सेक्स समस्याओं को भी दूर करता है। च्यवनप्राश में उपस्थित एफ्रोडीसीयाक गुण, महिलाओं और पुरुषों के मस्तिष्क को तनाव रहित करके शांत करता है और कामक्रीड़ा को सुधारने तथा उसका समय बढ़ाने में मदद करता है।
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11. मस्तिष्क स्वास्थ के लिए लाभदायक (Beneficial for Brain Health)- शारीरिक स्वास्थ के अतिरिक्त च्यवनप्राश मानसिक स्वास्थ के लिए भी अत्यंत लाभदायक होता है। यह तनाव, अवसाद, बेचैनी से मुक्ति दिलाकर मन को शांत करता है। बच्चों की स्मरण शक्ति को बढ़ाए और बढ़ती आयु में कम होती स्मरण शक्ति की हानि को रोके। प्रलाप, अनिद्रा व अन्य मानसिक विकारों की स्थिति के उपचार में भी यह सक्रिय भूमिका निभाता है।
12. त्वचा के लिए फायदेमंद (Beneficial for Skin)- त्वचा के स्वास्थ के लिए भी च्यवनप्राश के लाभ देखे जा सकते हैं। यह त्वचा को स्वस्थ बनाए रखती है। च्यवनप्राश, धूल, धूँआ, मिट्टी, प्रदूषण आदि के प्रभाव को निष्क्रिय कर त्वचा की रक्षा करता है। च्यवनप्राश के सेवन से त्वचा कोमल और मुलायम रहती है तथा चेहरे फर दमक आती है। च्यवनप्राश के एंटीएजिंग गुण, चेहरे की फाइनलाइन्स और झुर्रियां को कम करते हैं और आपको युवा होने का अहसास दिलाते हैं। आप अपनी वास्तविक आयु से दस वर्ष कम नजर आते हैं।
च्यवनप्राश के नुकसान – Disadvantages of Chyawanprash
च्यवनप्राश खाने के हो सकते हैं निम्नलिखित नुकसान :-
- च्यवनप्राश के अधिक खाने से पाचन तथा पेट से जुड़ी अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
- च्यवनप्राश के अधिक खाने से दांतों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि इसका मुख्य घटक आंवला खट्टा होता है।
- सुबह खाली पेट च्यवनप्राश दूध के साथ लेना हानिकारक हो सकता है सुबह के समय अग्नि तत्व प्रबलता पर होता है।
- च्यवनप्राश में चीनी होने के कारण डायबिटीज के मरीजों की समस्या बढ़ सकती है।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको च्यवनप्राश के बारे में विस्तार से जानकारी दी। च्यवनप्राश क्या है, च्यवनप्राश का नामकरण, च्यवनप्राश की सामग्री, च्यवनप्राश के गुण, च्यवनप्राश के पोषक तत्व, च्यवनप्राश खाने का सही समय, च्यवनप्राश की मात्रा और च्यवनप्राश किनको नहीं खाना चाहिए, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से च्यवनप्राश खाने के बहुत सारे फायदे बताए और च्यवनप्राश खाने के कुछ नुकसान भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।