स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। भारत में स्त्री बांझपन तो सबको समझ में आता है और जल्दी समझ में आता है परन्तु “पुरूष बांझपन” वाली बात, किसी को जल्दी से हज़म नहीं होती जब कि यह भी सच्चाई है कि पुरूष में भी बांझपन होता है। औरत के ठीक ठाक होने के बावजूद, बिना किसी प्रोटेक्शन के संभोग करने के बावजूद महीनों और साल गुजरने पर भी कोई पुरुष जब अपनी पत्नी को गर्भ धारण कराने में असमर्थ रहता है तो इसी को पुरूष बांझपन कहा जाता है। दोस्तो, इसी टॉपिक को हमने आज के आर्टिकल के लिये चुना है जिसका नाम है, “पुरूष बांझपन” तो आज हम आपको पुरूष बांझपन के घरेलू उपाय के बारे में बताने के कोशिश की है।
देसी हैल्थ क्लब आज के आर्टिकल में आपको पुरूष बांझपन के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि इसे दूर करने के क्या घरेलू उपाय हैं। तो सबसे पहले जानते हैं कि पुरूष बांझपन क्या है और इसके क्या कारण होते हैं। फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।
पुरुष बांझपन क्या है? – What is Male Infertility?
जब नई-नई शादी होती है तो विवाहित जोड़े से, घरवाले, रिश्तेदार, दोस्त, पड़ोसी सब उम्मीद लगाये रहते हैं कि कब “खुशखबरी” मिलेगी। शुरुआत में तो यह मान लिया जाता है कि यह जोड़ा इतनी जल्दी बच्चे की प्लानिंग नहीं कर रहा, परन्तु जब दो साल गुजर जायें तो यह जोड़ा “शक के घेरे” में आ जाता है और कानाफूसी होने लगती है। सबसे पहले महिला का चेकअप कराया जाता है। मेडिकल रिपोर्ट में महिला को हरी झंडी मिलने के बाद पुरुष के चेकअप की बारी आती है जिसके लिये वह आसानी से तैयार नहीं होता, परन्तु कराना तो पड़ता ही है। फिर मेडिकल रिपोर्ट में उसके बांझपन की बात निकल कर आती है और इसके कारण का इलाज किया जाता है।
कोई महिला चिकित्सा की दृष्टि से शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ है और गर्भधारण करने में सक्षम है। परन्तु उसका पति शादी के छः महीने, एक या दो वर्ष व्यतीत हो जाने पर भी उसे यानि अपनी पत्नी को गर्भवती नहीं कर पाता है जबकि वह बिना किसी प्रोटेक्शन के संभोग करता रहा है, तो इसी अक्षमता को “पुरुष बांझपन” कहा जाता है। यद्यपि पुरुष बांझपन के अनेक कारण होते हैं, जिनका जिक्र हम आगे करेंगे, परन्तु मुख्य कारण यह होता है कि पुरुष के वीर्य में शुक्राणु, महिला के अंडे को निषेचित करने में कामयाब नहीं हो पाता।
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पुरुष बांझपन के कारण – Causes of Male Infertility
पुरुष बांझपन के निम्नलिखित कारण होते हैं –
1. निल शुक्राणु जिसे मेडिकल भाषा में एजुस्पर्मिया (Azoospermia) कहा जाता है। इसका तात्पर्य यह है कि वीर्य में एक भी शुक्राणु ना होना।
2. सामान्य से कम शुक्राणु होना, अर्थात् वीर्य में शुक्राणु तो हैं लेकिन इनकी संख्या सामान्य से कम है। इसे मेडिकल भाषा में ओलिगोस्पर्मिया (Oligospermia) कहा जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार शुक्राणुओं की सामान्य संख्या, प्रति मिलीलीटर वीर्य में 1.5 से 3.9 करोड़ है।
3. शुक्राणुओं गुणवत्ता खराब होना, अर्थात् इनका स्वस्थ ना होना और गुणवत्ता निम्न कोटि की होना। इसे मेडिकल भाषा में लो क्वालिटी स्पर्म (Low Quality Sperm) के नाम से जाना जाता है।
4. शुक्राणुओं में गति की कमी, अर्थात् शुक्राणुओं का महिला के अंडे तक ना पहुंच पाना। इसे Low Sperm Motility कहा जाता है। शुक्राणुओं की कम गतिशीलता को मेडिकल भाषा में अस्थानोजोस्पर्मिया (Asthenospermia) कहा जाता है। कम से कम 50 प्रतिशत शुक्राणु गतिशील और प्रगतिशील होने चाहियें। मेडिकल साइंस में स्वस्थ शुक्राणु की गतिशीलता को 25μm/s (माइक्रोमीटर प्रति सेकंड) की दर से आगे बढ़ने वाले शुक्राणु के रूप में डिफाइन किया गया है।
5. शुक्राणुओं के आकार की समस्या भी बांझपन का कारण बनती है, इसे मेडिकल भाषा में Poor Sperm Morphology या टेराटोज़ोस्पर्मिया (Teratozoospermia) के नाम से जाना जाता है। यदि शुक्राणुओं का आकार एक दूसरे से अलग होगा तो वे महिला के अंडे के साथ ठीक से नहीं मिल नही पाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा 2010 में प्रकाशित मानदंड के अनुसार टेराटोज़ोस्पर्मिया तब होता है, जब 96 प्रतिशत से ज्यादा शुक्राणुओं का आकार असामान्य हो। यदि कम से कम 4 प्रतिशत या इससे अधिक शुक्राणुओं का आकार सामान्य है, तो पुरुष को, महिला को गर्भधारण करवाने में सक्षम माना जाता है।
6. वीर्य का कम बनना और स्खलति होने में दिक्कत होना।
7. कामेच्छा, कामशक्ति में कमी या फिर नपुंसकता या शीघ्रपतन की स्थिति।
8. अंडकोष की नसों में वृद्धि होना, आसपस के हिस्से में गांठ बनना, अंडकोष में दर्द और सूजन। इसे मेडिकल भाषा में वैरीकोसेल (Varicocell) कहा जाता है।
9. टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की कमी।
10. असामान्य रूप से छाती का बढ़ना जिसे (gynecomastia) कहा जाता है।
11. श्वांस संबंधी संक्रमण बार बार होना।
12. धूम्रपान करना, अधिक शराब पीना, ड्रग्स लेना।
शुक्राणु पर अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “Sperm Count बढ़ाने के देसी उपाय पढ़ें“
पुरुष बांझपन का निदान – Male Infertility Diagnosis
पुरुष बांझपन के निदान के लिये निम्नलिखित टेस्ट किये जा सकते हैं –
1. सामान्य जानकारी (General Information)- सबसे पहले डॉक्टर मरीज से बातचीत करके कुछ सामान्य जानकारी जुटाते हैं जैसे यौन आदतों के बारे में, युवावस्था के विकास से जुड़ी घटनाएं, पिछली और वर्तमान बीमारियों के बारे में मेडिकल हिस्ट्री, चोटों और सर्जरी के बारे में जानकारी, पारिवारिक इतिहास आदि।
2. शारीरिक परीक्षण (Physical Examination)- डॉक्टर मरीज के प्राईवेट पार्ट्स की जांच करते हैं।
3. वीर्य विश्लेषण (Semen Analysis)- यह एक महत्वपूर्ण विश्लेषण है क्योंकि इससे बांझपन के कारक का पता चल जाता है। वीर्य 20 मिनट के भीतर अपनी प्रारंभिक मोती जेल संरचना से तरल में बदल जाये तो यह यह सामान्य है अन्यथा यह पुरुष सेक्स ग्रंथियों में या वीर्य पुटिकाओं में समस्या का संकेत हो सकता है।
न्यूनतम या बिल्कुल भी शुक्राणु ना होने की स्थिति को पुरुष का स्थायी तौर बांझपन माना जा सकता है। इसे स्पर्म काउंट टेस्ट भी कहा जाता है। वीर्य विश्लेषण में शुक्राणुओं की संख्या, आकार और गतिशीलता का पता लगाया जाता है। यदि इस विश्लेषण से कोई स्पष्ट परिणाम नहीं मिलता तो कुछ और टेस्ट करवाये जाते हैं जो निम्न प्रकार हैं –
4. आनुवंशिक परीक्षण (Genetic Testing)- इसके लिये ब्लड सेंपल लेकर जन्मजात या विरासत में मिले सिंड्रोम का का पता लगाया जाता है।
5. हार्मोन परीक्षण (Hormone Test)- यह भी ब्लड टेस्ट है जिसमें टेस्टोस्टेरोन और अन्य हार्मोन के स्तर का पता लगाया जाता है। शुक्राणु उत्पादन में तथा यौन विकास में पिट्यूटरी ग्रंथि, हाइपोथैलेमस और अंडकोष द्वारा उत्पादित हार्मोन महत्वपूर्ण और सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
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6. ट्रांसरेक्टल अल्ट्रासाउंड (Transrectal Ultrasound)- इस विधि को सोनोग्राम कहा जाता है। इसके लिये डॉक्टर छोटी चिकनाई वाली छड़ी मलाशय में डाल कर उच्च ऊर्जा ध्वनि तरंगों को प्रक्षेपित करते हैं। ये ध्वनि तरंगें आंतरिक अंगों से उछलती हैं और शरीर के ऊतकों के इमेज बनाती हैं। इस टेस्ट के जरिये यह पता चलता है कि वीर्य पुटिका या स्खलन नलिकाएं सही प्रकार से काम कर रही हैं या इनमें कोई रुकावट है या ये खराब तो नहीं हैं।
7. वृषण बायोप्सी (Testicular Biopsy)- यह टेस्ट पुरुष को लोकल एनेस्थीसिया देकर किया जाता है। इस विधि में अंडकोष में एक छोटा चीरा लगाते हैं। फिर एक सुई के जरिये हर अंडकोष से ऊतक का एक छोटा सा नमूना निकालते हैं। इनको जांच के लिये लैब भेज दिया जाता है। इस टेस्ट से बांझपन के कारण जानने में मदद मिलती है। यह भी पता चलता है कि शुक्रणु उत्पादन सामान्य है या नहीं। शुक्राणु उत्पादन सामान्य होने की स्थिति, यह शुक्राणु परिवहन की समस्या या कोई अन्य प्रकार की रुकावट हो सकती है।
पुरुष बांझपन का उपचार – Male Infertility Treatment
पुरुष बांझपन के उपचार लिये निम्नलिखित विधियां अपनाई जा सकती हैं –
1. संक्रमण (Infection)- यदि बांझपन, प्रजनन पथ (reproductive tract) में संक्रमण से जुड़ा हुआ है तो इसके निवारण के लिये एंटीबायोटिक्स का सहारा लिया जाता है। पर यह उपचार प्रजनन क्षमता के लिये हमेशा सफल नहीं होता।
2. यौन समस्याओं के लिये (Sexual Problems)- यदि बांझपन का संबंध यौन समस्याओं से है जैसे कि नपुंसकता, शीघ्रपतन, तो इनके इलाज के लिये दवाएं दी जा सकती हैं और काउंसलिंग का भी सहारा लिया जा सकता है।
3. हार्मोन उपचार (Hormone Therapy)- हमने ऊपर बताया है कि शुक्राणु उत्पादन में तथा यौन विकास में पिट्यूटरी ग्रंथि, हाइपोथैलेमस और अंडकोष द्वारा उत्पादित हार्मोन। महत्वपूर्ण और सक्रिय भूमिका निभाते हैं। यदि कुछ हार्मोन स्तर कम है या ज्यादा है, जो कि बांझपन का कारण हो सकते हैं, तो दवाओं के उपयोग से इस स्तर में सुधार किया जा सकता है।
4. सर्जरी (Surgery)- यदि बांझपन का कारण वैरीकोसेल निर्धारित हुआ है तो इसे सर्जरी के जरिये ठीक किया जाता है। स्खलन होने में शुक्राणु मौजूद ना होने की स्थिति में स्पर्म रिट्रीवल तकनीक अपनाते हुए टेस्टिकल्स या एपिडिडाइमिस के द्वारा सीधे शुक्राणु डाले जाते हैं।
5. वेसेक्टॉमी रिवर्सल (Vasectomy Reversal)- वेसेक्टॉमी पुरुष नसबंदी है जो जन्म का नियंत्रण सुनिश्चित करती है। जिस पुरुष की नसबंदी हो रखी है और वह फिर से पिता बनना चाहता है तो इसके लिये उसे एक छोटी सी सर्जरी से गुजरना पड़ता है इसे वेसेक्टॉमी रिवर्सल कहा जाता है। इस माइक्रोसर्जरी के द्वारा मार्ग को फिर से जोड़ दिया जाता है जिससे कि शुक्राणु वीर्य तक पहुंच सकें।
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6. वृषण शुक्राणु आकांक्षा (Testicular Sperm Aspiration)- वृषण शुक्राणु आकांक्षा (testicular sperm aspiration), पुरुष को पिता बनने का, पुरुष बांझपन के विकल्प स्वरूप एक प्रक्रिया है जिसमें अंडकोष से ऊतकों और शुक्राणुओं को निकाला जाता है और अंडे महिला से लिये जाते हैं। यह प्रक्रिया लोकल एनेस्थीसिया देकर की जाती है।
7. पर्क्यूटेनियस शुक्राणु आकांक्षा (percutaneous Sperm Aspiration) – यह भी पुरुष बांझपन के विकल्प स्वरूप एक प्रक्रिया है और लोकल एनेस्थीसिया देकर की जाती है। इस प्रक्रिया में आईवीएफ या आईसीएसआई के लिए शुक्राणुओं को निकाला जाता है। यह प्रक्रिया मुख्य रूप से किसी भी संक्रमण या पुरुष नसबंदी या कम शुक्राणु की स्थिति के लिये है।
पुरुष बांझपन के घरेलू उपाय – Home Remedies for Male Infertility
दोस्तो, शुक्राणुओं से संबंधित या यौन संबंधित समस्यायें पुरुष बांझपन का मुख्य कारण होते हैं तो इनका उपचार होना आवश्यक है, हम बता रहे हैं आपको कुछ घरेलू उपाय जो इन समस्याओं को समाप्त कर पुरुष बांझपन का निवारण करेंगे। ये निम्न प्रकार हैं –
1. शतावरी (Asparagus)- हिमालय क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से उगने वाली शतावरी औषधीय गुणों से भरपूर एक जड़ी बूटी है जिसका उपयोग सब्जी के रूप में भी किया जाता है। आयुर्वेद में शतावरी को “जड़ी बूटियों की रानी”, “औषधियों की रानी” और “सौ रोगों में प्रभावकारी” के नाम से नवाजा गया है। आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉक्टर दीक्षा भवसार इसे “महिलाओं की सबसे सच्ची साथी” मानती हैं। क्योंकि यह महिलाओं की स्वास्थ समस्याओं में रामबाण उपाय है यह महिलाओं की प्रजनन समस्याओं को दूर करती है। इसके साथ ही पुरुष की प्रजनन की समस्या को सुलझाने में सक्रिय और महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
डॉक्टर दीक्षा भवसार के अनुसार, शतावरी का सेवन पुरुष सीमन क्वालिटी और स्पर्म काउंट सुधारने के लिये किया जा सकता है। यह टेस्टोस्टेरोन और ल्युटिनाइजिंग हार्मोन में वृद्धि करती है, काम शक्ति को बढ़ाती है, नपुंसकता को दूर करती है, स्वप्न दोष से मुक्ति दिलाती है, शुक्राणुओं के आकार में सुधार करती है, शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता बढ़ाती है। निष्कर्षतः पुरुष बांझपन की समस्या से छुटकारा दिलाती है। शतावरी पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “शतावरी के फायदे और नुकसान” पढ़ें।
2. अश्वगंधा (Ashwagandha)- अश्वगंधा वस्तुतः एक जड़ी बूटी है जो औषधीय गुणों से समृद्ध होती है। इसके सेवन से नपुंसकता का अंत होता है, शीघ्रपतन की समस्या हल होती है, वीर्य गाढ़ा और पुष्ट होता है, शुक्राणुओं की संख्या बढ़ती है, गुणवत्ता में सुधार होता है, शुक्राणुओं की गतिशीलता बढ़ती है और सबसे बड़ी बात यह है कि पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर में वृद्धि होती है जिससे कामशक्ति और कामेच्छा बढ़ती है। परिणाम स्वरूप पुरुषों के बांझपन की समस्या खत्म होती है और प्रजनन क्षमता में वृद्धि होती है। इसके लिये अश्वगंधा चूर्ण या अश्वगंधा कैप्सूल डॉक्टर की सलाह के अनुसार लें।
3. शिलाजीत (Shilajit)- शिलाजीत एक ऐसा दुर्लभ चिपचिपा पदार्थ है जिसका निर्माण, पर्वतों की गुफाओं में हजारों वर्षों से पौधों और पौधों के विघटन से होता है। शिलाजीत एक ऐसा पदार्थ है जिसमें 86 प्रकार के खनिज, प्रोटीन और लिपिड के साथ 5 प्रतिशत स्टेरॉयड भी विद्यमान होते हैं। शिलाजीत के सेवन से महिला और पुरुष दोनों को ही यौन समस्याओं और यौन रोगों से छुटकारा मिलता है। शिलाजीत के सेवन से शुक्राणु स्वस्थ बनते हैं, उनकी संख्या बढ़ती है और पुरुष की प्रजनन क्षमता में सुधार होता है। शिलाजीत का सेवन दूध के साथ करना उत्तम माना जाता है। इसके कैप्सूल भी मिलते हैं जिनको पानी के साथ ले सकते हैं। शिलाजीत पर अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “शिलाजीत के फायदे और नुकसान” पढ़ें।
4. सफेद मूसली (White Muesli)- सफेद मूसली भी एक दुर्लभ भारतीय जड़ी बूटी है जो केवल भारत के जंगलों में पाई जाती है। इसे भारतीय व्याग्रा या हर्बल व्याग्रा के नाम से जाना जाता है। यह महिलाओं के लिये भी विशेष फायदेमंद है। यह पाउडर और कैप्सूल के रूप में मिलती है। यह पुरुष की कामेच्छा को जागृत कर कामशक्ति को बढ़ाती है।
इसके सेवन से टेस्टोस्टेरोन हार्मोन में वृद्धि होती है यह नपुंसकता को खत्म करती है, शीघ्रपतन की समस्या से छुटकारा दिलाती है,स्वप्नदोष को दूर करती है, शुक्राणुओं की संख्या में बढ़ोत्तरी करती है, शुक्राणुओं की गुणवत्ता को सुधारती है जिससे पुरुष प्रजनन क्षमता में सुधार होता है। इसके लिये केवल 1-2 ग्राम सफेद मूसली पाउडर या 1-2 सफेद मूसली के कैप्सूल, दिन में दो बार लेने हैं। फिर भी डॉक्टर की सलाह लेना बेहतर होगा।
5. केसर (Saffron)- केसर विश्व की सबसे मंहगी वस्तु है। इसे लाल सोना (Red Gold) भी कहा जाता है। यह मसाले की श्रेणी में आता है। इसे क्रोकस सैटाइवस नाम के फूल से प्राप्त किया जाता है। 450 ग्राम केसर बनाने के लिये 75,000 फूलों की जरुरत पड़ती है, इसीलिये यह सबसे मंहगी वस्तु है। केसर का अर्क और इसमें पाये जाने वाला क्रॉकेटिन कामोत्तेजना पैदा करता है और पुरुष प्रजनन क्षमता को क्षति होने वाले से बचाता है।
केसर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण पुरुषों में शुक्राणुओं की गुणवत्ता और गतिशीलता को बढ़ाने के लिये सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
6. पिप्पली (Pippi)- औषधीय गुणों से समृद्ध पिप्पली भी जड़ी बूटी है जो भारत के गर्म प्रदेशों, केंद्रीय हिमालय से असम, पश्चिम बंगाल की पहाड़ियों और पश्चिमी घाट के सदाहरित जंगलों में पायी जाती है। एक्सपर्ट, पुरुष बांझपन, नपुंसकता और शीघ्रपतन के मामलों में पिप्पली का नियमित सेवन करने की सलाह देते हैं। यह वीर्य और प्रजनन ऊतकों को बढ़ाने में मदद करती है। शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता बढ़ाने तथा शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार करने में सक्रिय भूमिका निभाती है। एक्सपर्ट पिप्पली का सेवन दूध के साथ करने की सलाह देते हैं।
7. माका रूट (Maca Root)- माका वस्तुतः पत्ते वाली सब्जी है। इसका पौधा पेरू देश के एंडीज पर्वत श्रंखला के लगभग 4000 मीटर के ऊंचाई पर पाया जाता है। इसकी जड़ को खाद्य के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। माका की जड़ सूखी होती है और इसका पाउडर बनाया जाता है। इसके कैप्सूल भी बाजार में मिलते हैं। माका में प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाले गुण मौजूद होते हैं।
इसका उपयोग यौन इच्छा को बढ़ाने, पुरुष प्रजनन क्षमता बढ़ाने, नपुंसकता और शीघ्रपतन की समस्या दूर करने के लिये किया जाता है। इसके सेवन से शुक्राणुओं की संख्या बढ़ती है, शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार होता है और पुरुष बांझपन के लक्षणों में कमी होती है। एक्सपर्ट की राय के अनुसार इसका सेवन करें।
8. मेथी (Fenugreek)- मेथी पत्ते वाली सब्जी होने के साथ-साथ औषधीय गुणों से संपन्न जड़ी बूटी है। मेथी का उपयोग अनेक प्रकार की बीमारियों को दूर करने के लिये किया जाता है। मेथी के सेवन से पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर में वृद्धि होती है और प्रजनन क्षमता को बढ़ती है। यह तथ्य एक अध्ययन ने निकल कर आया है जिसमें बताया गया है कि मेथी के अर्क के इस्तेमाल से पुरुषों में इनफर्टिलिटी की समस्या को दूर किया जा सकता है। इसको सब्जी के रुप में खाने या चाय के रूप में इस्तेमाल करने से उतना प्रभाव नहीं होगा जितना कि इसके अर्क से। अतः बांझपन की समस्या को दूर करने के लिये डॉक्टर की सलाह पर मेथी के अर्क का सेवन कर सकते हैं।
9. डार्क चॉकलेट (Dark Chocolate)- डार्क चॉकलेट एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है। रात का भोजन करने के बाद अपने पार्टनर के साथ डार्क चॉकलेट खाने से कामेच्छा बढ़ती है। इसमें एल-आर्जिनिन नामक एक एमिनो acid भी पाया जाता है जो शुक्राणुओं की संख्या को बढ़ाने और गुणवत्ता सुधारने में सक्रिय भूमिका निभाता है। पुरुष बांझपन के लक्षणों को कम करने में यह मधुर और स्वादिष्ट चॉकलेट, सहायक हो सकती है। डार्क चॉकलेट पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “डार्क चॉकलेट के फायदे” पढ़ें।
10. अंडे (Eggs)- अंडे, शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के लिए सुपरफूड की श्रेणी में आते हैं। ये विटामिन-ई और प्रोटीन से समृद्ध होते हैं, जो शुक्राणु की गतिशीलता बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। अंडे ज़िंक का भरपूर स्रोत हैं। पुरुष प्रजनन की समस्या में ज़िंक युक्त भोजन करने की सलाह दी जाती है। इनसे शुक्राणुओं की संख्या में बढ़ोत्तरी होती है। अंडे, शुक्राणुओं को नुकसानदायक फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं जिससे प्रजनन की संभावना बढ़ जाती है।
11. काले चने (Black Gram)- शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने, गुणवत्ता में सुधार करने, गतिशीलता बढ़ाने के लिये काले चनों के सेवन की सलाह दी जाती है। इसका उल्लेख आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी मिलता है। दो कप दूध में एक बड़ा चम्मच काला चने डालकर अच्छी तरह पकायें जब तक कि ये दूध को पूरी तरह से ना सोख लें। फिर इसमें एक चम्मच चीनी मिलाकर सुबह के नाश्ते में इसका सेवन करें।
12. विटामिन-डी, हेल्दी फैट और ज़िंक युक्त भोजन (Vitamin-D, healthy fat and zinc rich food)- बांझपन के लक्षणों को कम करने और प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिये विटामिन-डी और ज़िंक युक्त खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता देते हुए, अपने भोजन में शामिल करें। साथ ही हेल्दी फैट जैसे ओमेगा-3 फैटी एसिड और ओमेगा-6 युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने और टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ाने में विटामिन-डी और ज़िंक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड और ओमेगा-6, पुरुषों में बांझपन के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।
13. नशीले पदार्थों का सेवन न करें (Don’t do Drugs) – यदि बांझपन से निजात पानी है और प्रजनन क्षमता को बढ़ाना है तो सबसे पहले धूम्रपान को तुरन्त बंद करें, तम्बाकू का सेवन किसी भी रूप में ना करें, शराब का सेवन सीमित मात्रा में करें और ड्रग्स का सेवन बिल्कुल भी ना करें।
14. पंचकर्म चिकित्सा पद्धति (Panchakarma Therapy)- प्राकृतिक रूप से पुरुष बांझपन के लिये यह चिकित्सा पद्धति उत्तम मानी जाती है। वमन कर्म, विरेचन कर्म, बस्ती कर्म, नस्यम कर्म तथा रक्त मोक्षण के जरिये बहुत ही कम समय में पुरुष बांझपन की समस्या से मुक्ति मिल जाती है।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको पुरुष बांझपन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। पुरुष बांझपन क्या है, पुरुष बांझपन के कारण, पुरुष बांझपन का निदान और पुरुष बांझपन का उपचार, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से पुरुष बांझपन के बहुत सारे घरेलू उपाय भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।
Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।
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