स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। हमारा आज का आर्टिकल महिलाओं की सेवा में समर्पित है। अक्सर यह नोटिस किया गया शादी के तुरंत बाद ही नवविवाहित दम्पति फैमिली प्लानिंग के बारे में सोचकर अमल करना शुरु कर देते हैं। इसके लिए महिलाओं की पहली पसंद “कंट्रासेप्टिव पिल्स“ होती हैं जो महिलाओं को गर्भवती होने से बचाने में मदद करती हैं। महिलाओं में यह “गोली” सबसे लोकप्रिय उपाय इस लिये है कि यह ना केवल अनचाहे गर्भ को रोकती है बल्कि सेक्स के आनन्द में बाधक नहीं बनती। परन्तु इन गोलियों का दूसरा पहलू यह भी है कि लंबे समय तक इनका सेवन करने से महिलाओं के स्वास्थ पर बहुत बुरा असर पड़ता है। अतः कंट्रासेप्टिव पिल्स के साइड इफेक्ट्स और फायदों को ध्यान में रखते हुए देसी हैल्थ क्लब अपना कर्तव्य समझता है कि महिलाओं को कंट्रासेप्टिव पिल्स के बारे में जानकारी दी जाये। अतः हमारा आज का टॉपिक है “कंट्रासेप्टिव पिल्स के साइड इफेक्ट्स”।
देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको कंट्रासेप्टिव पिल्स के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसके क्या साइड इफेक्ट्स होते हैं और क्या फायदे होते हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि कंट्रासेप्टिव पिल्स क्या हैं और ये कितने प्रकार की होती हैं। फिर, इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।
कंट्रासेप्टिव पिल्स क्या है? – What are Contraceptive Pills?
महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन हार्मोन होते हैं। इनको सेक्स हार्मोन कहा जाता है। इन दोनों के संयोजन (combination) से गर्भ को रोका जा सकता है क्यों कि यह संयोजन ओव्यूलेशन की प्रक्रिया को बाधित करने में सक्षम होता है। इसी थ्योरी के आधार पर कृत्रिम एस्ट्रोजन और कृत्रिम प्रोजेस्टिन हार्मोन के संयोजन से, महिलाओं के लिये गर्भ निरोधक गोलियों का निर्माण किया गया। इन्हीं गोलियों को कंट्रासेप्टिव पिल्स कहा जाता है। दो कृत्रिम हार्मोन के संयोजन से बनी होने और मुंह द्वारा ली जाने के कारण इसका पूरा नाम “संयुक्त मौखिक गर्भनिरोधक गोली (Combined Oral Contraceptive Pills – COCP)” है।
ये वस्तुतः अनचाहे गर्भ को रोकने का लोकप्रिय माध्यम हैं। इस गोली को भोजन करने के बाद महिला द्वारा, मुंह के जरिए पानी से सटका जाता है। इनको सिर्फ़ “गोली” भी कहा जाता है। 1960 में, इन गोलियों को पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका में गर्भ निरोधक उपयोग के लिए स्वीकृत किया गया था। पूरे विश्व में 100 मिलियन से अधिक महिलाओं द्वारा इन गोलियों का सेवन किया जाता है।
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कंट्रासेप्टिव पिल्स के प्रकार – Types of Contraceptive Pills
कंट्रासेप्टिव पिल्स मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है – कॉम्बिनेशन पिल्स, एमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स और मिनि पिल्स। विवरण निम्न प्रकार है –
1. कॉम्बिनेशन पिल्स – Combination Pills
कॉम्बिनेशन पिल्स में एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टिन हार्मोन सिंथेटिक फॉर्म में होते हैं। ये गोलियां 28 और 21 के पैक में आती हैं। इनका विवरण निम्न प्रकार है –
(i) दैनिक गोली – यह 28 गोलियों का पैक होता है। बिना नागा किये, रोजाना एक गोली भोजन करने के बाद खानी होती है। इन 28 गोलियों में 21 गोलियां एक्टिव होती हैं और 7 गोलियां इंएक्टिव। इंएक्टिव गोलियों का सेवन मासिक धर्म के दौरान किया जाता है। गोलियों का पैक खत्म होने के तुरन्त बाद ही अगला पैक शुरू करना होता है।
(ii) मोनोफैसिक – यह 21 गोलियों का पैक होता है जो कि रोजाना 21 दिनों तक खानी होती है। फिर 7 दिनों तक नहीं ली जाती। मासिक धर्म के बाद यानि 7 दिन बाद फिर से इनको लेना होता है। इन गोलियों में हार्मोन की मात्रा एक समान होती है।
(iii) फासिक – यह पैक भी 21 गोलियों का होता है और अलग-अलग रंग की गोलियों के 2 या 3 खंड (section) होते हैं। इनमें रंगों के अनुसार हार्मोन की मात्रा अलग-अलग होती है। इन को उचित क्रम के अनुसार लेना होता है।
2. इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स – Emergency Contraceptive Pills
इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स को I-pill कहा जाता है। इनको “अगली सुबह की गोली” भी कहते हैं। इन में हार्मोन की उच्च मात्रा होती है। ये गोलियां किसी भी मेडिकल स्टोर से बिना डॉक्टर की प्रेस्क्रीप्शन के आसानी से मिल जाती हैं। जैसा कि नाम में “इमरजेंसी” शब्द आया हुआ है, वैसे ही यह गोली इमरजेंसी स्थिति को संभाल लेती है।
इसका तात्पर्य यह है कि यदि असुरक्षित सेक्स किया है तो महिला को गर्भ ठहरने का डर सताने लगता है कि गर्भ ना ठहर जाए। इस स्थिति से उबारने के लिये यह गोली ली जाती है। इसे असुरक्षित सेक्स करने के 12 से 24 घंटे के बीच लेना होता है। आजकल कुछ ब्रांड ऐसी I-pill भी बनाते हैं जो 72 घंटे तक भी गर्भ से बचाव करती है अर्थात् इसे असुरक्षित सेक्स करने के 72 घंटे के अंदर सेवन किया जा सकता है।
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3. मिनि पिल्स (Mini Pills)- इन पिल्स को “प्रोजेस्टिन-ऑनली पिल्स” कहा जाता है। इनमें केवल प्रोजेस्टिन हार्मोन होता है। इन गोलियों का उपयोग करने की सलाह उन महिलाओं को दी जाती है जो शिशु को स्तनपान कराती हैं और वे महिलाएं जिनको एस्ट्रोजन से संबंधित को कोई रोग है। क्यों कि इन महिलाओं को एस्ट्रोजन नहीं दिया जा सकता।
ये भी 28 गोलियों का पैक होता है, सभी एक्टिव गोली होती हैं तथा रोजाना एक गोली निश्चित समय पर खाई जाती है। यदि महिला निश्चित समय पर यह गोली नहीं खा पाती है तो उस समय के तीन घंटे के दरम्यान गोली खा लेनी चाहिए। चौथे सप्ताह में मासिक धर्म हो सकता है। एक पैक खत्म होते ही दूसरा पैक शुरु करना होता है।
कंट्रासेप्टिव पिल्स कैसे काम करती हैं? – How do Contraceptive Pills Work?
कंट्रासेप्टिव पिल्स महिलाओं के अंडाशय की केमिस्ट्री ही बदल देती हैं। ये ओव्यूलेशन की प्रक्रिया को बाधित कर देती हैं जिससे अंडाशय से अंडा रिलीज़ नहीं हो पाता। साथ ही गर्भाशय ग्रीवा को गाढ़े कफ के रूप में परिवर्तित देती है अर्थात् ये गोलियां गर्भाशय से निकलने वाले द्रव को इतना गाढ़ा बना देती हैं जिससे कि पुरुष के शुक्राणु गर्भाशय में प्रवेश ना कर सकें। और इस प्रकार ये कंट्रासेप्टिव पिल्स महिला को प्रेग्नेंट होने से रोकती हैं।
पिल्स लेना भूलने पर क्या करें? – What to do if you Forget to Take Pills?
1. क्सर ऐसा होता है कि हम सामान्य तौर पर भी जब किसी बीमारी का इलाज चल रहा होता है तो कभी-कभी कोई दवाई लेना भूल जाते हैं। जब एक गोली रोजाना लेने की बात आती है तो कभी भूल जाना भी स्वाभाविक है। ऐसी स्थिति में जिस दिन आप गोली लेना भूल गईं तो याद आने पर तुरन्त गोली ले सकती हैं। मान लीजिये आपका गोली लेने का समय दिन में 11 बजे का है और याद आती है आपको शाम के 5 बजे, तो 5 बजे आप गोली ले लीजिये।
2. आपको उस दिन याद ना आकर दूसरे दिन याद आती है कि कल आप गोली लेना भूल गईं तो आप (आज) दो गोलियां ले सकती हैं।
3. यदि दो दिन से ज्यादा आप गोली लेना भूल गईं हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि भूलने वाले दिनों के हिसाब से गोलियां ले लें। आपको तुरन्त डॉक्टर के पास जाकर यह जानना चाहिए कि आपको गोलियों का पिछला कोर्स पूरा करना है या कोर्स दोबारा से शुरू करना है।
कंट्रासेप्टिव पिल्स के सेवन के बारे में जरूरी जानकारी – Important Information About the Use of Contraceptive Pill
1. कंट्रासेप्टिव पिल्स, डॉक्टर की सलाह के बिना शुरु ना करें।
2. ये पिल्स लेने का एक समय निश्चित कर लें। रात का समय भी निश्चित किया जा सकता है। रोजाना, उसी निश्चित समय पर गोली लें।
3. ये पिल्स कभी खाली पेट लेने की गलती ना करें। खाना खाने के बाद ही निश्चित समय पर गोली खाएं। यदि रात का समय निश्चित किया हुआ है तो रात का भोजन करने के बाद उसी निश्चित समय पर गोली खाएं।
4. याद रखें कि ये गोलियां अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए ली जाती हैं, किसी अन्य बीमारी के लिए नहीं। इसलिये इनका उपयोग केवल अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए ही करें।
5. गर्भवती महिलाएं ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का सेवन ना करें। इनका उपयोग सामान्य महिला को प्रेग्नेंसी को रोकने के लिए किया जाता है।
6. स्तनपान कराने वाली महिलाएं भी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स ले सकती हैं मगर उनके लिये अलग से पिल्स आती हैं जिनको मिनि पिल्स कहा जाता है। इसमें केवल प्रोजेस्टिन हार्मोन होता है क्यों कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं को एस्ट्रोजन नहीं दिया जा सकता।
7. यद्यपि कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स गर्भ रोकने का ही माध्यम है, इसके रहते किसी अन्य उपाय को अपनाने की जरूरत नहीं होती परन्तु अन्य कारणों को ध्यान में रखते हुऐ जैसे संक्रमण आदि से बचाव के लिए, यौन संबंध को “सुरक्षित” बनाने के लिये अपने साथी को कॉन्डम का उपयोग करने के लिए कहें।
कंट्रासेप्टिव पिल्स के साइड इफेक्ट्स – Side Effects of Contraceptive Pills
अब बताते हैं आपको महिलाओं में होने वाले कंट्रासेप्टिव पिल्स के साइड इफेक्ट्स जो निम्नलिखित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी गर्भनिरोधक गोलियों के नियमित सेवन को स्वास्थ के लिये ठीक नहीं माना है –
1. यीस्ट इंफेक्शन का जोखिम (Risk of Yeast Infection)- यीस्ट इंफेक्शन जो कि वजाइना का इंफ्लेमेशन है, को मेडिकल भाषा में वजाइनल क्रश कहा जाता है। कैंडिडा एल्बीकैंस नामक फंगस के संक्रमण की वजह से होता है। कंट्रासेप्टिव पिल्स के लगातार सेवन से एस्ट्रोजेन स्तर में कमी होने लगती है। परिणाम स्वरूप यीस्ट इंफेक्शन होने की संभावनाएं बन जाती हैं। इम्युनिटी जो कि एल्बीकैंस फंगस का नाश करती है, वह भी कमजोर पड़ जाती है।
2. सिर में दर्द (Headache)- कंट्रासेप्टिव पिल्स के कारण सिर में दर्द रहने की समस्या अक्सर होती है। यह एक आम समस्या है। कई महिलाओं में बहुत तेज सिर दर्द की शिकायत रहने लगती है। जिन महिलाओं को माइग्रेन की समस्या है, यह सिर दर्द माइग्रेन को प्रभावित कर उनकी माइग्रेन की समस्या को और बढ़ा देता है। सिर दर्द की समस्या एस्ट्रोजन का स्तर घटने-बढ़ने की वजह से होता है जो कि कंट्रासेप्टिव पिल्स में मौजूद कृत्रिम हार्मोन्स के कारण होता है। शुरुआत में चक्कर भी आ सकते हैं जो कि बाद में अपने आप ठीक हो जाते हैं।
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3. डिप्रेशन (Depression)- कंट्रासेप्टिव पिल्स का प्रभाव मानसिक स्वास्थ पर भी पड़ता है। सिर में दर्द और माइग्रेन को प्रभावित कर इसे और बढ़ाना, मानसिक प्रभाव के ही लक्षण हैं। एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन में असंतुलन और उतार, चढ़ाव के कारण मूड बिगड़ने लगता है। मूड में परिवर्तन, गंभीर स्थिति होने की ओर संकेत करता है कि लगातार यही स्थिति बनी रहे तो महिला आसानी से डिप्रेशन का शिकार हो सकती है और लंबे समय तक मानसिक परेशानी के परिणाम निश्चित रूप से अच्छे नहीं होते।
4. आंखों पर प्रभाव (Effect on Eyes)- कंट्रासेप्टिव पिल्स आंखों पर भी प्रभाव डालती हैं। इनके लगातार और लंबे समय तक सेवन करने से आंखों की समस्याएं होने की संभावना रहती है। आंखों में नमी कम होकर, सूखापन बढ़ सकता है, आंखों में जलन रहना, लाल हो जाना ये समस्याएं हो सकती हैं। और सबसे बड़ी बात कि इससे आंखों की दृष्टि धीरे-धीरे कम होने लगती है।
5. जी मिचलाना (Nausea)- इन गोलियों से शुरुआत में जी मिचलाने की समस्या हो सकती है जो कि लगभग तीन महीने तक चल सकती है। बाद में धीरे-धीरे ठीक हो जाती है। यदि फिर भी यह समस्या बनी रहे तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कुछ महिलाओं में इन गोलियों से जी मिचलाने जैसी कोई समस्या नहीं होती।
6. पीरियड्स की समस्या हो जाना (Problem with Periods)- नियमित रूप से कंट्रासेप्टिव पिल्स का सेवन करने के पर भी कई महिलाओं में पीरियड मिस हो जाता है, जो उनको रेगुलर पीरियड आते रहना चाहिये था वह नहीं आता। यहीं से पीरियड की प्रॉब्लम शुरू होती है। ऐसा तनाव, अवसाद, क्रॉनिक डिजीज या हॉर्मोनल प्रॉब्लम के कारण भी हो सकता है। पीरियड मिस की स्थिति में प्रेग्नेंसी टेस्ट करवा लेना चाहिए क्यों कि प्रेग्नेंट होने पर पीरियड नहीं आता है।
7. मेन्स्ट्रुअल स्पॉटिंग (Menstrual Spotting) – महिलाओं में कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स की शुरुआत करने के बाद दो मासिक धर्म के बीच वजाइनल स्पॉटिंग या हल्की ब्लीडिंग (Bleeding) होने की संभावना रहती है। ऐसा तीन महीने तक हो सकता है, यह समस्या बाद में धीरे-धीरे ठीक हो जाती है।
8. कामेच्छा की कमी होना (Loss of Libido)- कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट यह है कि इसके नियमित सेवन से महिलाओं में कामेच्छा की कमी होने लगती है, उसकी सेक्स करने की इच्छा मरने लगती है। काम क्रीडा को मन नहीं करता। यह सब होता है महिला के हार्मोन्स में हुए परिवर्तन के कारण। ये गोलियां एस्ट्रोजेन, प्रोजेस्टेरॉन के सिंथेटिक वर्जन होने के कारण महिलाओं में टेस्टोस्टेरॉन लेवल को कम कर देती हैं।
टेस्टोस्टेरॉन एक हार्मोन होता है जो सेक्स के लिए जिम्मेदार होता है। इसे सेक्स हार्मोन कहा जाता है। यह हार्मोन पुरुषों में अंडकोष से तथा महिलाओं में अंडाशय से स्रावित होता है। पुरुषों की तुलना में, बेशक महिलाओं में यह हार्मोन बहुत कम होता है परन्तु महिलाओं को सेक्स के लिए उत्तेजित करता है। यदि यह समस्या लंबे समय तक नोटिस की जाए तो डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
कंट्रासेप्टिव पिल्स के फायदे – Benefits of Contraceptive Pills
और अब, कंट्रासेप्टिव पिल्स के फायदे जो निम्नलिखित हैं –
1. निश्चिंतता और प्रसन्नता (Peace and Happiness)- कंट्रासेप्टिव पिल्स लेने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि महिला मानसिक रूप से निश्चिंत रहती है कि वह गर्भवती नहीं होगी। यह निश्चिंतता उसे अंदर से प्रसन्नता प्रदान करती है। वह मानसिक और शारीरिक तौर पर स्वस्थ रहती है। साथ ही दम्पति निश्चिंत होकर सहवास का आनन्द लेते हैं।
2. कैंसर से बचाव करे (Prevent Cancer)- कंट्रासेप्टिव पिल्स महिलाओं को विभिन्न प्रकार के कैंसर से बचाने में मदद करती हैं। एक अध्ययन यह बताता है कि एंडोमेट्रियल कैंसर (endometrial cancer) यानि गर्भाशय कैंसर से बचाव करने में कंट्रासेप्टिव पिल्स लाभदायक हो सकती हैं। लंबे समय से इन पिल्स का सेवन करने से गर्भाशय कैंसर होने की संभावना नहीं रहती तथा अंडाशय के कैंसर से बचाव के लिए भी ये मददगार होती हैं।
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3. आयरन की कमी दूर करें (Overcome Iron Deficiency)- मासिक धर्म के समय अधिक रक्तस्राव होने से महिलाओं में आयरन की कमी हो जाती है। इसकी पूर्ति के लिए जरूरी है कि जितना रक्तस्राव कम हो, उतना अच्छा है। कंट्रासेप्टिव पिल्स मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव में कमी करती हैं। इस प्रकार शरीर में आयरन की भारी मात्रा में कमी होने से बचाव हो जाता है।
4. मासिक धर्म की समस्याएं दूर करें (Cure Menstrual Problems)- महिलाओं में मासिक धर्म अनियमित हो जाने की समस्या आम है। कंट्रासेप्टिव पिल्स के सेवन से इस समस्या में लाभ होता है, मासिक धर्म नियमित हो जाता है। इसके अतिरिक्त मासिक धर्म के दौरान पेट में दर्द, ऐंठन आदि में ये गोलियां राहत दिलाती हैं। अधिक रक्तस्राव को भी कम करने में मदद करती हैं।
5. पेल्विक में सूजन से राहत दिलाए (Relieve Pelvic Inflammation)- श्रोणि में सूजन रोग (Pelvic Inflammatory Disease) की वजह से महिलाओं के प्रजनन अंगो में सूजन आती है। कंट्रासेप्टिव पिल्स इस सूजन से छुटकारा दिलाने में मदद करती है। कुछ लेख भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि कंट्रासेप्टिव पिल्स पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज़ से बचाने में मददगार हो सकती है।
6. रूमेटाइड अर्थराइटिस से बचाव करें (Prevent Rheumatoid Arthritis)- रुमेटाइड अर्थराइटिस से तात्पर्य है जोड़ों का दर्द जो असहनीय होता है। इस दर्द से राहत दिलाने में कंट्रासेप्टिव पिल्स मदद करती हैं। कुछ अध्ययन इस बात को मानते हैं कि जिन महिलाओं में रुमेटाइड अर्थराइटिस की समस्या है उनके कंट्रासेप्टिव पिल्स का सेवन करने से दर्द में आराम मिल सकता है। जो महिलाएं रुमेटाइड अर्थराइटिस से पीड़ित नहीं हैं, उनमें इस समस्या से बचाव हो सकता है।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको कंट्रासेप्टिव पिल्स के साइड इफेक्ट्स के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कंट्रासेप्टिव पिल्स क्या हैं, कंट्रासेप्टिव पिल्स के प्रकार, कंट्रासेप्टिव पिल्स कैसे काम करती हैं, पिल्स लेना भूलने पर क्या करें और कंट्रासेप्टिव पिल्स के सेवन के बारे में जरूरी जानकारी, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से कंट्रासेप्टिव पिल्स के खाने के साइड इफेक्ट्स बताये और कुछ फायदे भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।
Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।
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