दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, स्वास्थ, मानव के लिये इस दुनियां में सबसे बड़ी दौलत है। यदि मनुष्य का स्वास्थ ठीक नहीं है तो समझिये कुछ भी ठीक नहीं है, धन दौलत उसके लिये सब निर्रथक है। दोस्तो, स्वास्थ की दौलत को बढ़ाने के लिये चिकित्सा विज्ञान ने बहुत प्रगति की है, मनुष्य को बहुत कुछ दिया है। वैज्ञानिकों ने वैक्सीन का आविष्कार करके चिकित्सा जगत को सबसे बड़ा उपहार और मनुष्य के स्वास्थ के लिये सबसे बड़ा वरदान दिया है। वैक्सीन के कारण ही गंभीर और जानलेवा बीमारियों का उपचार संभव हो पाया है। विशेषकर शिशुओं के स्वास्थ के लिये वैक्सीन अत्यंत आवश्यक है। वस्तुतः मनुष्य के स्वास्थ की सुरक्षा उसी समय से शुरु हो जाती है जब वह माता के गर्भ में होता है। सभी गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के समय टीटी वैक्सीन दी जाती है जो गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु को टिटनेस रोग से बचाव करती है। प्रसव के बाद शिशु के स्वास्थ के लिये टीकाकरण की प्रक्रिया शुरु हो जाती है जिसमें डीपीटी वैक्सीन का नाम भी शामिल है। आखिर यह डीपीटी वैक्सीन है क्या?। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “डी.पी.टी वैक्सीन क्या है?”। देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से आज आपको यह बतायेगा कि डीपीटी वैक्सीन क्या है और यह लगवानी क्यों जरूरी है। तो सबसे पहले जानते हैं कि वैक्सीन क्या है और वैक्सीन लगवाना क्यों जरूरी है। फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।
वैक्सीन क्या है? – What is Vaccine?
दोस्तो, प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण से होने वाली जानलेवा बीमारियों से रक्षा करती है। इसीलिये इसे बचपन से ही मजबूत बनाने का प्रयास किया जाता है। और इसे मजबूत बनाया जाता है विशेष दवाओं के माध्यम से। अतः गंभीर और जानलेवा बीमारियों, विभिन्न जीवाणु तथा विषाणुओं के विरुद्ध लड़ने के लिये रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने के लिये दी जाने वाली दवाओं को वैक्सीन (टीका) और दवाओं की प्रक्रिया को वैक्सीनेशन (टीकाकरण) कहा जाता है। यह वैक्सीन इंजेक्शन के रूप में या सीधा मुंह में डालकर दी जाती है। मुंह में डालकर दी जाने वाली दवा का सबसे अच्छा उदाहरण पोलियो की दवा का है जो पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों को दो बूंद के रूप में पिलाई जाती है।
वैक्सीन लगवाना क्यों जरूरी है? – Why is it Necessary to Get the Vaccine?
बच्चों को, माता पिता के माध्यम से जीवन जीने और अपने स्वास्थ को ठीक रखने का मौलिक अधिकार है साथ ही भारत के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunization Program – UIP) के अनुसार, बच्चों की संक्रामक रोगों से रक्षा करने के लिये वैक्सीन लगवाना अनिवार्य है।
भारत में वैक्सीनेशन की स्थिति – Vaccination Status in India
भारत में राष्ट्रीय टीकाकरण नीति (National Immunization Policy) को 1975 में लागू किया गया था जिसे सन् 1985 में बदलकर सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunization Program – UIP) कर दिया गया जिसके अंतर्गत सभी बच्चों का टीकाकरण करने के लिए एक विशाल तंत्र सुनिश्चित किया गया। आज टीकाकरण के मामले में यह भारत का, पूरी दुनियां में सबसे बड़ा कार्यक्रम है। इसके अंतर्गत गुणवत्तापूर्ण वैक्सीन का उपयोग करने, लाभार्थियों की संख्या, टीकाकरण सत्रों के आयोजन और भौगोलिक क्षेत्रों की विविधता को कवर करने में विश्व में अद्वितीय स्थान है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत वैक्सीन न केवल मुफ्त दी जाती है, बल्कि परिधीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, सहायक नर्स/ग्राम स्वास्थ्य नर्सों के माध्यम से समुदायों के पास पहुंचाया भी जाता है।
गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली वैक्सीन – Vaccines Given to Pregnant Women
गर्भवती महिलाओं को टिटनेस टॉक्साइड (टीटी) के दो टीके दिये जाते हैं जिन्हें टीटी-1 और टीटी-2 कहा जाता है। ये टीके गर्भवती महिला और उसके बच्चे का टिटनेस रोग से रक्षा करते हैं। टिटनेस एक घातक रोग है जिसमें मांसपेषियों में ऐंठन और जकड़न हो जाती है, गर्भस्थ शिशु, पसलियों में जकड़न के कारण सांस नहीं ले पाता। इस वजह से उसकी जान को खतरा पैदा हो जाता है। गर्भवती महिला को टिटनेस टॉक्साइड की दो खुराक दी जाती हैं इनके बीच में चार सप्ताह का अंतर रखना होता है। यदि गर्भवती महिला को पिछले तीन वर्ष मेंं टीटी के दो टीके लग चुके हों तो उसे वर्तमान गर्भावस्था के समय केवल बूस्टर टीटी का टीका ही लगाया जाता है।
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शिशु को 24 घंटे के भीतर लगने वाले टीके – Baby Vaccines within 24 Hours
UPI कार्यक्रम के अंतर्गत अस्पताल या किसी भी अन्य संस्थान में पैदा होने वाले शिशु को जन्म लेने के 24 घंटे के भीतर बीसीजी (Bacillus Calmette–Guérin) का टीका, पोलियो की ’’जीरो’’ खुराक और हेपेटाईटिस-बी का टीका लग जाना चाहिये। बीसीजी का टीका, टीबी और मेनिनजाइटिस से बचाव के लिये होता है।
बच्चों का वैक्सीनेशन कहां लगवा सकते हैं? – Where Can I Get My Children Vaccinated?
बच्चों का वैक्सीनेशन मुफ्त में निम्नलिखित स्थानों पर करवाया जा सकता है –
1. सरकारी अस्पताल
2. मेडीकल कॉलेज
3. शहरी डिस्पेंसरियां
4. शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र
5. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र
6. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, उपकेन्द्र
7.आंगनबाडी केन्द्र
8. निजी अस्पतालों में (पैसे का भुगतान करके)।
डी.पी.टी वैक्सीन क्या है? – What is DPT Vaccine?
दोस्तो, डीपीटी (Diphtheria Pertussis Tetanus) वह वैक्सीन है जो छः वर्ष से कम की आयु के बच्चों को दी जाती है ताकि उन्हें डिप्थीरिया, पर्टुसिस (काली खांसी) और टिटनेस जैसे संक्रामक रोगों से बचाया जा सके। विकासशील देशों में प्रति वर्ष लगभग एक साल से कम आयु के तीन लाख बच्चे इन संक्रमण की वजह से दम तोड़ देते हैं। ये वो बच्चे होते हैं जिनको डीपीटी वैक्सीन नहीं लगाई गयी या उनको सही समय पर नहीं लगाई गई। डिप्थीरिया एक गंभीर प्रकार का संक्रमण है जिससे नाक और गले की श्लेष्मा झिल्ली प्रभावित होती है। इसमें जुकाम, बुखार, गला खराब, कमजोरी और ग्रन्थियों में सूजन जैसे लक्षण होते हैं। इसमें बच्चों को सांस लेने में दिक्कत होती है और इस कारण वह लकवाग्रस्त हो सकता है या उसे हृदयघात हो सकता है। यद्यपि काली खांसी जानलेवा नहीं होती परन्तु बच्चों की मृत्यु का यह आम कारण बनती है। टिटनेस बैक्टीरिया मिट्टी में पाये जाते हैं जो तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं और मांसपेशियो में ऐंठन पैदा करते हैं। भारत सरकार ने 12 आवश्यक और अनिवार्य, निशुल्क वैक्सीन की सूचि में डीपीटी वैक्सीन को शामिल किया है। यह वैक्सीन बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
डी.पी.टी वैक्सीन के प्रकार – Types of DPT Vaccine
डीपीटी वैक्सीन निम्नलिखित दो प्रकार की होती है –
1. डीटीएपी (Diphtheria, Tetanus, and Acellular Pertussis) – इस टीके को तैयार करने के लिये पर्टुसिस बैक्टीरिया की कोशिकाओं के कुछ हिस्सों का उपयोग किया जाता है। डीटीएपी का उपयोग से दर्द कम होता है और इसके साइड इफैक्ट्स भी कम होते हैं।
2. डीटीडब्लूपी (Diphtheria and Tetanus Toxoids and Whole cell Vaccines)- इस टीके को बनाने के लिये पर्टुसिस बैक्टीरिया की कोशिकाओं का पूर्ण रूप से उपयोग किया जाता है और काली खांसी से बचाव के लिये इसका उपयोग किया जाता है। डीटीडब्लूपी को लगवाने के बाद अधिक दर्द होता है लेकिन बच्चों का प्रभावशाली रूप से बचाव करती है।
डी.पी.टी वैक्सीन का शेड्यूल – DPT Vaccine Schedule
बच्चों को डीपीटी वैक्सीन लगवाने का शेड्यूल निम्न प्रकार है –
1. पहली खुराक – बच्चों को 2 महीने में दी जाती है।
2. दूसरी खुराक – 4 महीने में।
3. तीसरी खुराक – 6 महीने में।
4. चौथी खुराक – 15 से 18 महीने।
(पहला बूस्टर डोज़)
5. पांचवी खुराक – 4 से 6 वर्ष।
(दूसरा बूस्टर डोज़)
6. टीडीएपी की खुराक – 11 से 12 वर्ष।
इसके बाद हर दस वर्ष बाद डीपीटी की खुराक ली जाती है।
डी.पी.टी किन बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए? – To whom Should DPT not be Given?
निम्नलिखित परिस्थितियों में शिशु/बच्चों को डीपीटी वैक्सीन नहीं दी जानी चाहिये –
1. यदि शिशु छः सप्ताह का ना हुआ हो।
2. यदि डीपीटी की पहली खुराक से गंभीर एलर्जी हो गई हो।
3. पहली खुराक लेने से बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावित हुई हो या तंत्रिका तंत्र को हानि हुई हो।
4. डी.पी.टी की खुराक से बच्चे को सात दिन तक दौरे पड़े हों या कोमा की समस्या हुई हो।
5. डीपीटी की खुराक से बच्चे को गंभीर दर्द हुआ हो या सूजन की समस्या देखी गई हो।
उपरोक्त परिस्थितियों में डॉक्टर से बात करनी चाहिये। संभवतः डॉक्टर अगली निर्धारित खुराक के लिये कुछ समय के बाद खुराक दिलवाने की सलाह दें। सामान्यतः मामूली सर्दी जुकाम या अन्य बीमारी के हल्के लक्षण होने पर, डॉक्टर की सलाह से अगली खुराक बच्चे को दिलवायें।
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डी.पी.टी वैक्सीन के साइड इफेक्ट – DPT Vaccine Side Effects
डीपीटी वैक्सीन की खुराक लेने के बाद कुछ बच्चों में निम्नलिखित साइड इफैक्ट्स/प्रतिक्रिया दिखाई दे सकते हैं –
1. जहां टीका लगा है उस जगह पर सूजन हो जाना।
2. टीके वाली जगह को छूने से बच्चे को बहुत ज्यादा दर्द होना।
3. टीके वाली जगह की त्वचा पर लालिमा आ जाना।
4. टीका लगने के बाद, गंभीर रूप से बुखार हो जाना है जो कई घंटों तक रह सकता है। बच्चे का तीन घंटे से ज्यादा रोते रहना या दौरे पड़ना।
5. टीका लगने के तीन दिन बाद बुखार आना, बेचैनी, उल्टी, भूख कम लगना।
6. डीपीटी की चौथी या पांचवी खुराक के बाद बच्चे के हाथ पैरो में दर्द और सूजन हो जाना।
7. दुर्लभ मामलों में कुछ बच्चों के दिमाग को हानि पहुंचना।
कुछ सावधानियां – Some Precautions
ये सावधानियां बच्चे के माता पिता के लिये हैं। जब भी वे अपने बच्चे को टीका लगवाने के लिये लेकर जायें तो टीका लगने के बाद निम्नलिखित सावधानियां बरतें –
1. बच्चे को टीका लगवाने के बाद आधा घंटा तक वहीं बैठें ताकि यदि बच्चे को कोई समस्या हो तो तभी डॉक्टर को दिखा सकें।
2. टीका लगने वाली जगह को ना मलें और ना ही कोई दवा लगायें। सिकाई करनी है या नहीं इस बारे में डॉक्टर से पूछें।
3. यदि टीका लगने वाली जगह पर सूजन है या लालिमा है तो कपड़े को ठंडे पानी में भिगोकर, निचोड़ कर उस जगह पर रखें।
4. यदि बुखार होता है तो पैरासिटामोल की गोली की डॉक्टर द्वारा बताई गई उचित मात्रा में दें।
5. टीका लगने के बाद, मां बच्चे को दूध पिलाने के बाद बच्चे को कमर के बल सीधा लिटा दे।
Conclusion –
दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको डी.पी.टी वैक्सीन क्या है? के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वैक्सीन क्या है?, वैक्सीन लगवाना क्यों जरूरी है?, भारत में वैक्सीनेशन की स्थिति, गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली वैक्सीन, शिशु को 24 घंटे के भीतर लगने वाले टीके, बच्चों का वैक्सीनेशन कहां करवा सकते हैं, डीपीटी वैक्सीन क्या है, डीपीटी वैक्सीन के प्रकार, डीपीटी वैक्सीन का शेड्यूल, डीपीटी किन बच्चों को नहीं दी जानी चाहिये, डीपीटी वैक्सीन के साइड इफेक्ट, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से बच्चे के माता पिता के लिये कुछ सावधानियां भी बताईं। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा।
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Disclaimer – यह लेख केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।