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आई फ्लू क्या है? – What is Eye Flu in Hindi

आई फ्लू क्या है?

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग में। दोस्तो, बरसात के मौसम में अक्सर आंखों से पानी आना, आंखों का सूज जाना, आंखें लाल हो जाना आदि समस्याएं होती हैं क्योंकि बरसात के मौसम में ही बैक्टीरिया, वायरस, फंगल आदि फलते फूलते हैं। आम भाषा में इसे आंख आना या आई फ्लू (Eye Flu) कहते हैं। आजकल इसका प्रकोप बहुत बढ़ गया है। मेडिकल भाषा में इसे “कंजंक्टिवाइटिस” कहते हैं। यह एक ऐसा नेत्र रोग है जो बैक्टीरिया, वायरस, एलर्जी या हानिकारक रसायनों के प्रभाव से संक्रमित होकर, होता है। छोटे बच्चे इस बीमारी का सॉफ्ट टारगेट होते हैं और उनको परेशानी भी बड़ों से ज्यादा होती है क्योंकि उनकी सहनशक्ति बड़ों की अपेक्षा कम होती है। हालांकि व्यस्क भी इसकी चपेट में आते हैं। यह कोई बहुत बड़ी बीमारी नहीं है और ना ही जानलेवा, ज्यादा से ज्यादा दो हफ्ते में अपने आप ठीक हो जाती है। हां, कुछ आई फ्लू के गंभीर मामलों में डॉक्टरी उपचार की जरूरत पड़ती है। इसके प्रकार और कारणों के आधार पर इसका उपचार किया जाता है। दोस्तो, आखिर यह आई फ्लू क्या है?।

दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “आई फ्लू क्या है?”। देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको आई फ्लू के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसका उपचार क्या है। तो, सबसे पहले जानते हैं कि आई फ्लू क्या है और इसके प्रकार। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

आई फ्लू क्‍या है? – What is Eye Flu

आई फ्लू  (Eye Flu), नेत्र रोग है जो बैक्टीरियल इंफेक्शन, वायरल इंफेक्शन, एलर्जिक रिएक्शन या रसायनों के संपर्क में आने की वजह से होता है। जब कंजंक्टिवा (Conjunctiva), इनके कारण संक्रमित हो जाता है तब कंजंक्टिवाइटिस यानि आई फ्लू की स्थिति उत्पन्न होती है। कंजंक्टिवा के संक्रमित हो जाने से इसकी छोटी-छोटी रक्त नलिकाओं में सूजन आ जाती है।

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फिर, आंखों का सफेद भाग जिसे स्क्लीरा (Sclera) कहा जाता है, लाल या गुलाबी रंग का हो जाता है। इसी कारण आई फ्लू को पिंक आई भी कहा जाता है। हम यहां बता दें कि कंजंक्टिवा एक पारदर्शी और पतली झिल्ली होती है जो स्क्लीरा (Sclera) की बाहरी सतह और पलकों की आंतरिक सतह को आच्छादित (cover) करती है।

आई फ्लू की समस्या एक आंख या दोनों आंखों में हो सकती है और किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति हो सकती है। वैसे छोटे बच्चे आई फ्लू के सॉफ्ट टारगेट होते हैं। यह संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है। यद्यपि आई फ्लू के अधिकतर मामले ज्यादा से ज्यादा एक या दो हफ्ते में अपने आप ठीक हो जाते हैं। परन्तु कुछ गंभीर मामलों में डॉक्टर की सलाह लेनी पड़ती है।

आई फ्लू के प्रकार – Types of Eye Flu

आई फ्लू के प्रकार, उनके कारणों के आधार पर निर्धारित किए गए हैं जो निम्न प्रकार हैं –

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1. एलर्जिक आई फ्लू (Allergic Eye Flu)- किसी प्रदूषित तत्व, पशुओं से एलर्जी अथवा अन्य प्रकार के पदार्थ का आंखों से संपर्क हो जाना। 

2. जाइंट पैपिलरी आई फ्लू (Giant Papillary Eye Flu)- यदि कोई तत्व या पदार्थ बहुत दिनों तक आंखों में पड़ा रहे तब इससे आंखें संक्रमित हो जाती हैं।

3. बैक्टीरियल आई फ्लू (Bacterial Eye Flu)- बैक्टीरिया से संक्रमण बैक्टीरियल आई फ्लू की स्थिति उत्पन्न करता है। यह बैक्टीरिया त्वचा पर हो सकता है, श्वसन पथ में हो सकता है या फिर खराब फेस लोशन या मेकअप की वजह से हो सकता है। 

4. वायरल आई फ्लू (Viral Eye Flu)- सर्दी, जुकाम, बुखार अथवा श्वास पथ से संबंधी वायरस के कारण होने वाला आई फ्लू, वायरल आई फ्लू कहलाता है।

5. ओफ्थाल्मिया नियोनेटरम (Ophthalmia Neonatorum)- यह नवजात शिशुओं में होने वाला एक गंभीर आई फ्लू है। यह बच्चे की आंखों का, जनन मार्ग (Birth Canal) में उपस्थित बैक्टीरिया के संपर्क में आने की वजह से होता है। इसमें तुरंत उपचार की जरूरत होती है अन्यथा इससे आंखों की स्थाई रूप से हानि हो सकती है।

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आई फ्लू के कारण – Cause of Eye Flu

ऊपर बताए गए आई फ्लू के प्रकार से इसके कारण भी स्पष्ट हो जाते हैं जो निम्न प्रकार हैं –

  1. स्ट्रेप्टोकोकी, स्टेफिलोकोकी बैक्टीरिया, गोनोरिया, क्लैमाइडिया आदि आई फ्लू के कारण बन सकते  हैं।
  2. खराब गुणवत्ता वाले सौंदर्य प्रसाधन, संक्रमित आंखों के कॉन्टैक्ट लेंस या गन्दे हाथों से कॉन्टैक्ट लेंस बदलना या कॉन्टैक्ट लेंस का लंबे समय तक लगे रहना।
  3. एडेनोवायरस, हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस, वैरिसेला जोस्टर वायरस या अन्य प्रकार के वायरस।  
  4. जानवरों के फर से एलर्जी। 
  5. धूल, धूंआ, मिट्टी से एलर्जी। 
  6. फूलों के पराग कण।
  7. आंखों में लगा प्रोस्थेटिक।
  8. आंखों का हानिकारक रसायनों के संपर्क में आना। 
  9. स्विमिंग पूल में क्लोरीन की उपस्थिति।
  10. नवजात शिशुओं में अश्रु नलिका (tear duct) का बंद होना। 

आई फ्लू के जोखिम कारक –  Risk Factors for Eye Flu

निम्नलिखित कारक आई फ्लू को ट्रिगर कर सकते हैं – 

  1. आई फ्लू के मरीज के संपर्क में आना।
  2. दूषित वस्तुओं, सतहों को छूना या इनके संपर्क में आना।
  3. बहुत पुराने या प्रदूषित गंदे सौंदर्य प्रसाधनों का  उपयोग।
  4. प्रदूषित कपड़ों या तौलिया का उपयोग। 
  5. गंदे पानी का उपयोग।
  6. कॉन्टैक्ट लेंस के बारे में असावधानी बरतना।
  7. प्रसव के समय योनि का संक्रमित होना।

आई फ्लू के लक्षण – Symptoms of Eye Flu

आई फ्लू होने पर निम्नलिखित लक्षण प्रकट हो सकते हैं –

  1. आंखें लाल हो जाना।
  2. आंखें सूज जाना।
  3. आंखों में दर्द होना।
  4. आंखों में खुजली लगना।
  5. ऐसा महसूस होना जैसे आंखों में किरकिरी हो रही हो या जैसे आंखों में कुछ गिर गया हो।
  6. आंखों से पानी आना।
  7. आंखों से पीला सा पानी आना।
  8. आंखों से कीचड़ जैसा पदार्थ आना।
  9. प्रकाश से परेशानी होना।

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आई फ्लू का निदान – Eye Flu Diagnosis

आई फ्लू की जांच के लिए निम्नलिखित टेस्ट कर सकते हैं – 

  1. डॉक्टर दृष्टि की जांच के लिए विजुअल एक्विटी मेजरमेंट टेस्ट कर सकते हैं। 
  2. आंखों की आंतरिक संरचना की जांच कर सकते हैं। 
  3. चमकीले प्रकाश और मैग्निफिकेशन के द्वारा कंजंक्टिवा और आंखों के ऊतकों का मूल्यांकन कर सकते हैं।
  4. स्वैब टेस्ट के जरिए आंखों से निकलने वाले चिपचिपे पदार्थ का सेंपल लेकर लैब भेजा जा सकता है।
  5. आई फ्लू बार-बार होने पर या गंभीर लक्षणों के मद्देनजर स्लिट लैंप उपकरण के जरिए आंखों की गहन जांच की जाती है।

आई फ्लू से बचाव – Eye Flu Prevention

दोस्तो, यदि कई बार हम सफाई के प्रति लापरवाह हो जाते हैं। छोटी-छोटी लापरवाहियां संक्रमण का कारण बन जाती है। यदि हम सफाई विशेष ध्यान रखें तो संक्रमण से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है। अतः यदि निम्नलिखित उपाय अपनाए जाएं तो आई फ्लू से बचाव किया जा सकता है – 

  1. आपका तौलिया, रूमाल साफ़ रहने चाहिएं। इनको किसी के साथ शेयर ना करें। 
  2. किसी अन्य व्यक्ति का तौलिया, रूमाल इस्तेमाल ना करें।
  3. हाथों को साबुन से बार-बार अच्छी तरह धोकर साफ़ रखें। 
  4. छींकते और खांसते समय अपने मुंह और नाक को रूमाल से अच्छी तरह ढकें।
  5. हाथों से आंखों को बार-बार ना छुएं/रगड़ें।
  6. आंखों को भी कई बार ठंडे पानी से धोएं।
  7. कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग सावधानी से करें, अधिक समय तक लगाकर ना रखें। इनको लगाते और उतारते समय हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोकर साफ़ तौलिया/रूमाल/टिशू पेपर से पोंछ लें। 
  8. कॉन्टैक्ट लेंस की देखभाल के लिए डॉक्टर के दिशा निर्देशों का पालन करें।
  9. तैराकी के लिये भी कॉन्टैक्ट लेंस उतार लें तथा तैराकी वाला विशेष चश्मा पहनें।
  10. छूने वाली वस्तुओं जैसे नल की टोंटी या अन्य को पहले एंटीसेप्टिक/डिसइंफेक्शन क्लीनर से साफ़ करें।
  11. आई फ्लू के मरीज के संपर्क में ना आएं। 
  12. आई फ्लू हो जाने पर घर में ही रहें बाहर जाना अवॉइड करें। यदि जाना ही पड़े तो आंखों पर काला चश्मा लगाकर जाएं।
  13. अपने कमरे में बत्ती ना जलाएं, अंधेरा रखें, इससे रोशनी से होने वाली परेशानी नहीं होगी। 
  14. अपना सामान, अपने कपड़ों को किसी और को ना छूने दें।
  15. थोड़ी-थोड़ी देर बाद आंखों पर ठंडे पानी के छींटे मारें। अधिक समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।

आई फ्लू का उपचार – Eye Flu Treatment

दोस्तो, आई फ्लू के अधिकतर मामलों में डॉक्टरी उपचार की आश्यकता नहीं पड़ती। यह एक या दो हफ्ते में अपने आप ठीक हो जाता है। हां अगर स्थिति बिगड़ने लगे या मामला गंभीर हो जाए तो आई फ्लू के प्रकार को समझकर इसके अनुसार उपचार किया जाता है। विवरण निम्न प्रकार है – 

1. बैक्टीरियल आई फ्लू के मामले में डॉक्टर आंखों में एंटीबायोटिक आई ड्रॉप डालने को कह सकते हैं। 

2. वायरल आई फ्लू के मामले में एंटीबायोटिक दवाएं काम नहीं करतीं इसलिये डॉक्टर दवाएं प्रिसक्राइब नहीं करते। परन्तु इसके लक्षणों से राहत दिलाने के लिए डॉक्टर आंखों में अन्य आई ड्रॉप डालने और आंखों को ठंडा रखने की सलाह देते हैं। हां, यदि वायरल आई फ्लू का कारण यौन संचारित रोग या अन्य वायरस हैं जैसे कि वैरीसेला-ज़ोस्टर वायरस, हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस आदि तो उन्हीं के अनुसार उपचार होता है।

3. रसायनों के संपर्क में आने से हुए आई फ्लू में डॉक्टर खारे पानी या नमकीन घोल से आंखें धोने की सलाह देते हैं। टॉपिकल स्टेरॉएड आई ड्रॉप भी दिया जा सकता है। 

4. एलर्जी से हुए सामान्य आई फ्लू में आर्टिफिशियल टीयर आई ड्रॉप दिया जा सकता है तथा आंखों को ठंडा रखने की सलाह दी जाती है। इसके गंभीर मामलों में डॉक्टर एंटीहिस्टामाइन, नॉन-स्टेरॉएडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं प्रिसक्राइब कर सकते हैं तथा टॉपिकल स्टेरॉएड आई ड्रॉप भी दी जा सकती है। 

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Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको आई फ्लू के बारे में विस्तार से जानकारी दी। आई फ्लू क्या है?, आई फ्लू के प्रकार, आई फ्लू के कारण, आई फ्लू के जोखिम कारक, आई फ्लू के लक्षण, आई फ्लू का निदान और आई फ्लू से बचाव, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से आई फ्लू के उपचार भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको आई फ्लू के बारे में विस्तार से जानकारी दी। आई फ्लू क्या है?, आई फ्लू के प्रकार, आई फ्लू के कारण, आई फ्लू के जोखिम कारक, आई फ्लू के लक्षण, आई फ्लू का निदान और आई फ्लू से बचाव, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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