दोस्तो, आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग पर। हमारा आज का टॉपिक है गर्मियों की रानी, दक्षिण भारत के व्यंजनों का महत्वपूर्ण हिस्सा और समस्त भारत में बिकने वाली पानी पूरी या गोलगप्पे का पानी की जान, खट्टी मीठी इमली। जी हां, इमली जो बच्चों को बेहद पसंद है और जिसे देखकर बड़ों के मुंह में भी पानी आ जाये। इमली जो याद दिला दे हलवाई के समोंसों की जिसके साथ मिलती है इमली की चटनी और शादी या अन्य कार्यक्रमों में बनने वाली केले वाली इमली की चटनी की। दोस्तो, आज इमली खाने के फायदे के बारे में आपको जानकारी देंगे।
इमली की यात्रा – Tamarind Trip
इमली का जन्मस्थल अफ्रीका है। इमली का वृक्ष अफ्रीका के ट्रॉपिकल (tropical) क्षेत्रों में पाया जाता है, खासतौर पर सूडान (Sudan) में। वहां से भारत पहुंचा और भारत से ईरान और सउदी अरब जहां इसको नाम दिया गया तमार-ए-हिन्द यानि भारत का खजूर। फिर यह इमली श्रीलंका, पाकिस्तान, मेक्सिको, दक्षिण अमेरिका, नाइजीरिया और पूरी दुनियां में पहुंच गयी। मेक्सिको और दक्षिण अमेरिका विश्व में इमली के सबसे बड़े उपभोक्ता और उत्पादक देश हैं।
इमली के पेड़ पूरे भारत में पाये जाते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में तो हजारों लोगों की आजीविका इमली पर ही निर्भर है। जगदलपुर, बस्तर आदि जिलों के आदिवासियों के की रोजी-रोटी भी इमली ही है।
इमली का उपयोग – Uses of Tamarind
इमली का उपयोग सबसे ज्यादा दक्षिण भारत के व्यंजनों में होता है। सांबर, रसम, बनाने में, दालों में डालने के लिये, और समस्त भारत में चटनी, अचार, मुरब्बा, कैंडी, पानी पूरी/गोलगप्पा का पानी बनाने में या किसी व्यंजन में खटास लाने के लिये किया जाता है।
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इमली के गुण – Tamarind Properties
1. इमली की तासीर ठंडी होती है।
2. खट्टे मीठे व्यंजनों का स्वाद बढ़ाने के अतिरिक्त अनेक पोषक तत्वों और खनिज पदार्थ होने के कारण अनेक रोगों में इसका उपयोग औषधी के रूप में भी किया जाता है।
इमली के पोषक तत्वों का विवरण (Nutritional) प्रति 100 gm के अनुसार-
कैल्शियम 35-170 मिली ग्राम
पोटेशिम 375 मिली ग्राम
फॉस्फोरस 54-110 मिली ग्राम
विटामिन ए 15 आईयू
मैग्नीशियम 92 मिली ग्राम
थियामीन 16 मिली ग्राम
टार्टेरिक एसिड 8-23.8 मिली ग्राम
प्रोटीन 10 ग्राम
रिबोफाल्विन 07 मिली ग्राम
इमली के फायदे -Benefits of Tamarind
1. सूरज की जलन से बचाये (Protect from sun burn)- सनस्क्रीन लोशन बनाने में जाइलोग्लुकन (एक प्रकार का पॉलीसैकराइड) का इस्तेमाल किया जाता है। यही गुण इमली में पाया जाता है जो त्वचा को सूरज की जलन से बचाता है। सूरज की यू।वी। किरणों के प्रभाव से त्वचा की रक्षा करता है। यह बात एक वैज्ञानिक अध्ययन से भी पता चलती है जिसमें कहा गया है कि इमली में मौजूद जाइलोग्लुकन, त्वचा की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में कारगर हो सकता है।
2. एंटी-एजिंग है इमली (Anti aging)- इमली के बीज के छिलके के अर्क में अनेक प्राकृतिक पोषक तत्व (फाइटोन्यूट्रिएंट्स) मौजूद होते हैं जो फ्री रेडिकल्स से लड़ने और त्वचा की कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाने में मदद करते हैं। इसके एंटीऑक्सीडेंट और एंटी एजिंग गुण सूरज से की अल्ट्रावायलेट किरणों के प्रभाव को रोकते हैं। ये अल्ट्रावायलेट किरण त्वचा को नुकसान पहुंचाकर आपको समय से पहले बूढ़ा बना सकती हैं। इसको फोटोएजिंग कहते हैं। इमली के औषधीय गुण एजिंग की समस्या से छुटकारा दिलाते हैं।
3. एंटी-बैक्टीरियल गुण (Anti-Bacterial)- इमली की छाल और गूदे से मिलने वाले अर्क, बेसिलस सबटिलिस, ई। कोली और स्यूडोमोनस एरुगिनोसा जैसे रोग कारक जीवाणुओं को पनपने से रोकते हैं। इमली के एंटी-बैक्टीरियल गुण आंतों में गड़बड़ी, भोजन से सम्बंधित रोग और यौन संक्रमणों का कारण बनने वाले बैक्टीरिया से लड़ते हैं।
4. कील, मुंहासों में फायदेमंद (Nail, Acne)- एक शोध में पता चलता है कि इमली के बीज में एंटी-माइक्रोबियल (बैक्टीरियल इफेक्ट को कम करना) और एंटी-थाइरोसिनेज (Antityrosinase – यानी पिगमेंटेशन को नियंत्रित करने वाला) प्रभाव पाए जाते हैं जो मुंहासे और पिगमेंटेशन (दाग-धब्बे) को हटाने में मददगार होते हैं। इमली में पाये जाने वाले विटामिन सी, विटामिन ए और अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स भी इसे कील, मुंहासे जैसी समस्या से छुटकारा दिलाते हैं। इमली के रस को हल्दी पाउडर और ताजा दही के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाने से दाग धब्बे की समस्या से छुटकारा मिल जायेगा। इमली में मौजूद अल्फा हाइड्रॉक्सी एसिड त्वचा की मृत कोशिकाओं से राहत दिलाने में सहायक होता है।
5. त्वचा को व्युतपन्न करे (Face Exfoliate)- व्युतपन्नता (Exfoliation) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें त्वचा की ऊपरी परत की कोशिकाओं को साफ किया जाता है जिसे त्वचा अंदर से स्वस्थ बनती है। मृत त्वचा खत्म हो जाती है। और आपकी त्वचा एकदम फ्रैश नजर आती है। इमली के गूदे में अल्फा हाइड्रॉक्सिल एसिड होता है जो मृत त्वचा सैल्स को त्वचा से बाहर निकाल देता है और त्वचा एक्सफोलिएट होकर निखर जाती है। इसके अतिरिक्त इमली के गूदे में टार्टरिक एसिड, लैक्टिक एसिड, साइट्रिक एसिड, मैलिक एसिड, पेक्टिन और इनवर्टेड शुगर होता है जो मॉइस्चराइजिंग प्रभाव छोड़कर त्वचा को स्वस्थ रखते हैं।
6. बालों के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी (Healthy Hair)- राइबोफ्लेविन, विटामिन-सी और जिंक की कमी के कारण बालों की जड़ें कमजोर होती हैं और बाल गिरने शुरू हो जाते हैं। इमली में ये तीनों तत्व होते हैं जो बालों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं। इमली के गूदे को जैतून के तेल और छाछ में मिलाकर एक पेस्ट बना लें फिर इस पेस्ट को बालों में लगाकर थोड़ी देर मसाज करें। 15 मिनट के बाद गर्म पानी और शैम्पू से सिर साथ धो लें। बालों की रूसी (Dandruff) की समस्या और बालों के गिरने की समस्या से छुटकारा मिल जायेगा।
7. पेट के लिये फायदेमंद (Stomach)– इमली के सेवन से पेट दर्द में आराम मिल जाता है और कब्ज की समस्या से राहत भी। थाई इमली विश्व में प्रसिद्ध है लैक्सेटिव गुणों के लिए। ये गुण पेट दर्द और कब्ज में अपना प्रभाव दिखाते हैं। मल त्याग में भी आसानी रहती है।
8. पाचन प्रक्रिया में फायदेमंद (Digestive System)- इमली में फाइबर की प्रचुर मात्रा पायी जाती है जो भोजन के पाचन के लिये पाचन प्रक्रिया संबंधी समस्यायों को खत्म करने में मदद करती है। इमली में कुछ ऐसे पोषक तत्व पाए होते हैं जो डाइजेस्टिव जूस (बाइल एसिड) को प्रेरित करते हैं। डाइजेस्टिव जूस पाचन प्रक्रिया में मदद करता है।
9. लिवर के लिये फायदेमंद (Liver)- इमली में हेप्टोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं जो लिवर को सुरक्षा प्रदान करते हैं। एक शोध में भी इस बात की पुष्टि हो जाती है जिसमें इमली की पत्तियों में हेप्टोप्रोटेक्टिव गुण मौजूद होने की बात स्वीकार की गयी है। इमली के इस औषधीय गुण के कारण लिवर की सुरक्षा के लिये इमली का सेवन बहुत उपयोगी है।
10. पीलिया में लाभकारी (Jaundice)- मौसम के बदलने का प्रभाव हमारे स्वास्थ पर भी पड़ता है। खांसी, बुखार, सिरदर्द, कमजोरी बहुत सामान्य बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। लेकिन कभी कभी समस्या उस समय भयंकर हो जाती है जब पता चलता है कि हम पीलिये की चपेट में आ गये हैं। लिवर की रक्त कोशिकाओं में बिलीरुबिन (पीले रंग के रासायन) की मात्रा जब बढ़ जाती है तो आंखे, त्वचा और पूरा शरीर पीला नजर आने लगता है। यहां तक कि मूत्र का रंग भी अधिक पीला हो जाता है। शरीर दिन प्रतिदिन कमजोर होने लगता है। इसी को पीलिया कहते हैं। ऐसे में इमली काम आती है। इसकी पत्तियों और फूल को उबाल कर पीने से पीलिया में आराम आ जाता है। इस बात की पुष्टि एक शोध में भी मिलती है जिसमें कहा गया है कि इमली की पत्तियों से बने काढ़े को पीलिया और हेपेटाइटिस के लिए उपयोगी माना गया है।
11. गठिया में फायदेमंद (Arthritis)- इमली में एंटी-आर्थराइटिस (गठिया से बचाव की क्षमता) और दर्द निवारक गुण पाए जाते हैं। इमली के बीज का उपयोग गठिया से निजात पाने के लिये किया जा सकता है।
12. सूजन में फायदेमंद (Swelling)- इमली के बीज में, पत्तियों में, गूदा, तने की छाल और जड़ के अर्क में दर्द निवारक गुण के साथ साथ सूजन को कम करने के भी गुण होते हैं। इमली सूजन के उपचार में पारंपरिक चिकित्सा का हिस्सा रही है। इमली के बीज का पाउडर किसी खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ में मिक्स करके सेवन कर सकते हैं। अल्कालोइड्स, फ्लेवोनोइड्स, टैनिन, फिनोल, सैपोनिन और स्टेरॉयड जैसे यौगिक एंटी इन्फ्लामेट्री गुण शरीर के दर्द और सूजन से निजात दिलाते हैं।
13. लू लगने से बचाये (Avoid sunstroke)- गर्मी के मौसम में लू की चपेट में आ जाना सामान्य बात है। इससे बचने के लिये इमली का सेवन बहुत ही फायदेमंद होता है। कहीं बाहर जाने से पहले एक ग्लास पानी में 25 ग्राम इमली भिगोकर पी लें। लू नहीं लगेगी। यदि लू लग चुकी हो तो भी इमली का पानी फायदा करेगा। इसके गूदे हाथों और पैर के तलवों में लगाने से लू का प्रभाव समाप्त हो जायेगा।
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14. घाव भरने के लिये (Injury)- इमली के पत्ते और इमली के रस को गेंहू के आटे में मिलाकर थोड़ा सा नमक मिला कर घाव पर लगायें। किसी भी प्रकार का घाव हो, ठीक हो जायेगा। घाव के दर्द और सूजन में भी आराम मिलेगा।
15. भूख ना लगने की समस्या दूर करे (loss of Appetite)- कई लोगों को भूख ना लगने की समस्या हो जाती है। वे तनाव, चिंता या अन्य किसी कारण से भोजन नहीं कर पाते हैं। जिसकी वजह से कमज़ोरी, पेट गैस आदि बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। ऐसे में इमली इस समस्या से राहत दिलाती है। इमली के रस में काली मिर्च का पाउडर मिक्स करके 1 से 2 चम्मच थोड़ी थोड़ी देर के अंतराल पर पीयें इससे भूख बढ़ेगी।
16. दांतो के लिए (Teeth)- इमली के बीजों का पाउडर दांतों और मसूड़ों के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसके पाउडर से दांत साफ करने से दांतों का पीलापन खत्म हो जाता है। धूम्रपान के कारण दांतों पर पड़े निकोटीन के दाग भी खत्म हो जाते हैं। दांत साफ और चमकीले दिखाई देते हैं।
17. वजन घटाने में मददगार (Weight Loss)- एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि इमली के गूदे के अर्क में एंटी-ओबेसिटी (मोटापा रोधी) गुण पाये जाते हैं। अतः इमली का सेवन वजन कम करने में किया जा सकता है। इमली के बीज में ट्रिप्सिन इन्हिबिटर गुण (प्रोटीन को बढ़ाना और नियंत्रित करना) मौजूद होता है। शोध में यह भी पता चला कि इमली के बीज में पाया जाने वाला एंटी-ओबेसिटी विशेष गुण, मेटाबॉलिक सिंड्रोम (हाई ब्लड शुगर, हाई-कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप, हाई ट्राइग्लिसराइड्स और मोटापा जैसी संबंधी समस्याओं को दूर करता है। इमली में हाइड्रॉक्सिल एसिड की प्रचुर मात्रा होती है जो शरीर में बनने वाली अतिरिक्त चर्बी को जलाने वाले एन्ज़ाइम को बढ़ाता है और वजन कम करने में मदद करता है।
18. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करे (Defence system)- इमली के बीज में पॉलीसैकेराइड नामक तत्व होते हैं जिनमें इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गतिविधियां करते हैं और रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं। इस तथ्य की पुष्टि वैज्ञानिकों द्वारा किये गये एक अद्धयन से हो जाती है। इमली में विटामिन-सी (एस्कार्बिक एसिड) की कुछ मात्रा पाई जाती है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में एक प्रभावीशाली और महत्वपूर्ण पोषक तत्व माना जाता है।
19. बवासीर में (Piles)- इमली के फूल और पत्तों को पीसकर जूस निकाल लें। इसके सेवन से बवासीर में आराम मिलेगा। या इमली के फूलों का रस, थोड़ी सी दही और एक एक चम्मच धनिया पाउडर, अदरक और अनार को मिक्स करके पीयें।
20. हृदय को स्वस्थ रखे (Heart healthy)- इमली के सेवन से कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करती है और एंटीऑक्सीडेंट और फिनोल की सहायता से अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाती है। इमली में पोटैशियम की पर्याप्त मात्रा होती है जो उच्च रक्तचाप को कम करता है और कार्डियोवैस्कुलर प्रणाली पर कम तनाव डालता है। इमली में कुछ मात्रा विटामिन सी की भी होती है जो एक एंटीऑक्सिडेंट है। ये मुक्त कणों के प्रभाव को कम करता है। इस प्रकार ये सब हृदय से जुड़ी बीमारियों के खतरे को खत्म करते हैं।
21. डायबिटीज में फायदेमंद (Diabetes)- ब्लड शुगर को कन्ट्रोल करने के लिये इमली का सेवन फायदेमंद है। इसके बीज के अर्क में पॉलीफेनोल (Polifenol) और फ्लेवोनोइड (Flavonoid) होते हैं। पॉलीफिनोल माइक्रोन्यूट्रिएंट होते हैं जो उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं और शरीर को स्वस्थ रखते हैं। फ्लेवोनोइड्स फाइटोकेमिकल्स के समूह से संबंधित हैं जो कई एंजाइमों की गतिविधियों को प्रभावित करते हैं। इमली के बीज के अर्क में एंटी-डायबिटिक गुण पाए जाते हैं जो ब्लड शुगर को कन्ट्रोल करने में मदद करते हैं।
23. तंत्रिका तंत्र में सुधार (Improve Nervous System)- इमली में कैल्शियम की काफी अधिक होती है जो तंत्रिका तंत्र की कार्यप्रणाली में सुधार कर उसे मजबूत बनाता है। इमली बिगड़ी तंत्रिका क्रिया (Neural activity) को सुधारने में भी मददगार होती है।
24. रक्त का संचार को सही करे (Blood circulation)- इमली रक्त के प्रवाह को नियन्त्रित कर रक्त संचार को सही बनाये बनाये रखती है और लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाती है।
25. शीघ्रपतन व नपुंसकता की समस्या दूर करे (Premature Ejaculation)- इमली के बीजों में शीघ्रपतन और नपुंसकता जैसी बीमारियों को खत्म करने के गुण होते हैं। इसके लिये इमली के बीजों का पाउडर बनाना पड़ेगा। बीजों को पानी में भिगोने से पहले उनका छिलका उतार कर अलग करना होगा। भीगे हुऐ बीजों को सुखाकर, पीस कर पाउडर बनालें। इसमें मिश्री मिलाकर दूध के साथ सेवन करने से शीघ्रपतन की समस्या से छुटकारा मिल जायेगा। इमली के बीज के पाउडर के साथ गुड़ मिलाकर, देशी घी में भून कर सेवन करने से नपुंसकता भी खत्म हो जायेगी।
इमली की मात्रा – Quantity of Tamarind
दोस्तो, इमली के सेवन की मात्रा तय करने का कोई पैमाना नहीं है और ना ही कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध है। फिर भी –
1. दो से चार इमली खा सकते हैं।
2. ग्राम की बात करें तो ज्यादा से ज्यादा 30 ग्राम इमली खा सकते हैं। इससे ज्यादा में समस्या हो सकती है।
3. इमली के बीज का चूर्ण – एक से तीन ग्राम।
इमली खाने के नुकसान – Side Effects of Tamarind
इमली ज्यादा खाने से हो सकते हैं ये नुकसान –
1. यदि दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो इमली का सेवन ना करें। विशेषकर दर्द निवारक दवा, नॉन स्टेरॉयडल एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग आदि के साथ तो इमली का सेवन ना करें अन्यथा रक्तस्राव का खतरा बढ़ने की संभावना हो सकती है।
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2. इमली से एलर्जी वालों को तो इसके सेवन से बचना चाहिये अन्यथा त्वचा पर रेशिश, खुजली, सूजन, चक्कर, बेहोशी, उल्टी, सांस की तकलीफ आदि की समस्या हो सकती है।
3. खांसी, खराश आदि में इमली का सेवन ना करें। इससे ये समस्या और बिगड़ सकती है।
4. गर्भवती महिलाओं को विटामिन सी युक्त फल और सब्जियों को बहुत सीमित मात्रा में लेने को कहा जाता है क्योंकि विटामिन-सी युक्त पदार्थों से रक्त में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है जिससे गर्भाशय में संकुचन और ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है। इमली में भी विटामिन-सी की मात्रा होती है।
5. इमली के नियमित और अधिक सेवन से दांतों की सतह को हानि पहुंच सकती है। क्योंकि इमली में एसिड तत्व भी होते हैं
6. इमली को भिगोकर रखने के बाद या उबालने के बाद ही सेवन करना चाहिये क्योंकि इमली में पाये जाने वाले टैनिन और अन्य यौगिक पाचन प्रक्रिया को बाधित कर सकते हैं।
7. कच्ची इमली खाने से शरीर में गर्मी पैदा हो सकती है।
Conclusion
दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको इमली के बारे में जानकारी दी। इमली के गुण और उपयोगिता के बारे में बताया। और साथ ही इमली खाने के फायदे और नुकसान भी बताये। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर करें। ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, हमारा आज का यह लेख आपको कैसा लगा, इस बारे में कृपया अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health- Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।
So nice and perfect information on Tamarind.
Nicely explained