स्वागत है हमारे ब्लॉग में। दोस्तो, आपने अक्सर गर्भवती महिला के पैर सूजे हुए देखे होंगे, बुजुर्ग लोगों के पैरों में भी सूजन देखी होगी। यह कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है बल्कि सामान्य है। पैरों में सूजन की समस्या तब होती है जब पैर में चोट लग जाए, मोच आ जाए या हड्डी में फ्रेक्चर आ जाए। परन्तु जब बिना वजह पैरों में सूजन आ जाए तो यह सोचने का विषय बन जाता है क्योंकि कोई भी क्रिया/प्रतिक्रिया बिना वजह नहीं होती। पैरों में सूजन की स्थिति किसी बीमारी की ओर संकेत कर सकती है जिसका पता टेस्ट कराने पर चलता है। दोस्तो, पैरों में सूजन को मेडिकल भाषा में पीडल एडिमा (Pedal Edema) कहते हैं।
यहां हम स्पष्ट कर दें कि पैरों में सूजन यानि पीडल एडिमा अपने आप में कोई बीमारी नहीं है बल्कि यह सूजन यानि एडिमा (Edema) का ही एक प्रकार है। एडिमा पर हम अपने पिछले आर्टिकल में विस्तार से जानकारी दे चुके हैं। पैरों में सूजन एक सामान्य और आम समस्या जरूर है जिसमें दर्द नहीं होता परन्तु यह कभी-कभी कष्टकारी बन जाती है क्यों कि चलने फिरने में बहुत कष्ट होता है। पैर सुन्न हो जाते हैं और भारी-भारी लगते हैं। यह दिनचर्या को भी बाधित करती है। आखिर यह पैरों में सूजन है क्या और क्या इसके उपाय हैं। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “पैरों में सूजन के घरेलू उपाय”।
देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको पैरों में सूजन के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसके घरेलू उपचार क्या है। तो, सबसे पहले जानते हैं कि पैरों में सूजन क्या है। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे। एडिमा पर विस्तार से जानकारी के लिए हमारा पिछला आर्टिकल “एडिमा क्या है?” पढ़ें।
पैरों में सूजन क्या है? – What is Swelling in Feet
दोस्तो, सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं से किसी द्रव का रिसाव होता है और यह द्रव टांगों के नीचे टखनों, पैर के पंजों और पैर के तलवों में आकर रुक जाता है और इसमें शरीर के ऊतक फंस जाते हैं तो प्रतिक्रिया स्वरूप टखनों और पैरों में सूजन आ जाती है। इस स्थिति या लक्षण को मेडिकल भाषा में पीडल एडिमा (Pedal Edema) कहा जाता है। पीडल एडिमा कोई बीमारी नहीं है बल्कि एडिमा यानि सूजन का एक प्रकार है। यह एक सामान्य समस्या है जिसमें दर्द नहीं होता परन्तु चलने फिरने में तकलीफ़ होती है क्योंकि पैर भारी लगते हैं और कई बार ये सुन्न भी हो जाते हैं।
नि:संदेह यह एक सामान्य समस्या है परन्तु इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि यह रक्त संचार प्रणाली, लिम्फ नोड्स, लिवर या किडनी से संबंधित समस्याओं की ओर इशारा हो सकता है। पीडल एडिमा की समस्या अधिकतर बुजुर्ग लोगों और गर्भवती महिलाओं को होती है। इनके लिए यह स्थिति कभी-कभी बहुत कष्टकारी हो जाती है। यद्यपि पीडल एडिमा को कंजेस्टिव हार्ट फेलियर के प्रमुख लक्षणों में से एक लक्षण माना जाता है परन्तु यह अन्य चिकित्सा स्थितियों या अन्य स्थितियों या कुछ दवाओं के कारण भी हो सकता है। इसके कारणों का विस्तार से जिक्र हम आगे करेंगे।
पैरों में सूजन के कारण – Causes of Swelling in Feet
पैरों में सूजन के निम्नलिखित कारण होते हैं –
1. सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं (Minute Blood Vessels) यानि कैपिलरीज (capillaries) से किसी भी द्रव का रिसाव होने पर, इस द्रव में शरीर के ऊतक फंस जाते हैं। जब यह द्रव रिस कर टांगों के नीचे आ जाता है तो इस द्रव में ऊतकों के फंस जाने से पैरों और टखनों में सूजन आ जाती है। यह पैरों और टखनों में सूजन का प्रमुख कारण है।
2. ब्लड में एल्बुमिन नामक प्रोटीन की कमी होने पर पैरों और टखनों में सूजन आ जाती है। यह प्रोटीन, शरीर में द्रव संतुलन बनाए रखने, रक्त वाहिकाओं में द्रव अंदर रखने, सेल के विकास और ऊतकों की मरम्मत करने के लिए जिम्मेदार होता है। एल्बुमिन की कमी होने पर रक्त वाहिकाओं से द्रव का रिसाव शुरु हो जाता है।
3. रक्त गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्त पर बहता है। इसलिये ऑफिस में या सफर करते समय या कहीं अन्य स्थान पर बहुत देर तक पैर लटकाए बैठने से रक्त का संचालन ठीक से नहीं हो पाता और रक्त पैरों में जमा होने लगता है। ऐसी स्थिति पैरों में सूजन का कारण बनती है। यह सूजन अधिकतर रात को महसूस होती है।
4. एक ही जगह पर कई घंटे खड़े रहने पर या बहुत समय तक पैदल चलने से भी रक्त पैरों में जमा हो जाता है। इससे सूजन बनती है।
5. कुछ चिकित्सकीय स्थितियां भी पैरों में सूजन का कारण बनती हैं। विवरण निम्न प्रकार है –
(i) कंजेस्टिव हार्ट फेलियर (एचएफ) एक ऐसी स्थिति है जो हृदय के पंप करने की क्षमता धीरे-धीरे खराब करती है। हार्ट फेलियर से ग्रस्त व्यक्तियों के शरीर में रक्त ठीक प्रकार से संचारित नहीं हो पाता क्योंकि हृदय, रक्त को सुचारु रूप से पंप नहीं कर पाता। परिणाम स्वरूप द्रव, रक्त वाहिकाओं से रिस कर ऊतकों में चला जाता है।
(ii) जब लिवर पर्याप्त मात्रा में एल्ब्यूमिन नामक प्रोटीन का उत्पादन नहीं कर पाता तो रक्तवाहिकाओं में द्रव रुक नहीं पाता। फिर यह द्रव रिसकर शरीर के ऊतकों में पहुंच जाता है।
(iii) किडनी की समस्या होने पर, किडनी एल्ब्यूमिन को मूत्र के जरिए बाहर निकाल देती है। परिणाम स्वरूप रक्तवाहिकाओं से द्रव रिसने लगता है।
(iv) टांगों में रक्त के थक्के जमने से टांगों की मूवमेंट नहीं हो पाती है। इससे भी सूजन आती है
(v) टांग में फ्रेक्चर आ जाने से या सामान्य चोट लग जाने से या पैर में मोच आ जाने से सूजन बनती है।
(vi) पैरों में संक्रमण के कारण भी सूजन हो सकती है।
(vii) टांगों/ पैरों की हाल ही में हुई सर्जरी से भी सूजन आ जाती है।
(viii) पैरों से रक्त वापिस हृदय तक जाने में कोई रुकावट या अन्य कोई समस्या भी सूजन को जन्म देती है।
(ix) यदि पेट में ट्यूमर बन गया है और वो किसी रक्तवाहिका को दबा रहा है, तो निश्चित रूप से टांगों में सूजन आएगी।
6. गर्भवती महिलाओं के पैरों में सूजन आने का प्रमुख कारण है गर्भाशय का आकार बढ़ना। गर्भाशय का आकार बढ़ने से रक्तवाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं जिससे रक्तवाहिकाओं से द्रव रिसना शुरू हो जाता है और पैरों में सूजन आ जाती है। गर्भावस्था में महिला के शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ जाती है। इस वजह से भी पैरों में सूजन बन सकती है।
7. कुछ दवाओं की वजह से भी पैरों में सूजन आ जाती है जैसे कि एंटी-हाइपरटेंसिव, नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लामेट्री और स्टेरॉयड दवाएं।
8. शरीर का बढ़ता वजन।
9. अधिक आयु
ये भी पढ़ें- यूरिक एसिड का घरेलू उपाय
पैरों में सूजन के लक्षण – Symptoms of Swelling in Legs
पैरों पर सूजन आने पर निम्नलिखित लक्षण प्रकट हो सकते हैं –
- त्वचा में फूलापन स्पष्ट दिखाई देना, त्वचा में तनाव और चमक।
- त्वचा को दबाने पर गड्ढा बनना
- पैरों में दर्द हो भी सकता है और नहीं भी
- जोड़ों में अकड़न
- पैरों में सुन्नत या झुनझुनी
- पैरों में भारीपन महसूस होना
- चलने फिरने में दिक्कत होना
- सिर में दर्द, पेट में दर्द
- मितली, उल्टी
- भ्रम महसूस करना
- थकावट, कमजोरी महसूस करना
- नाड़ी का तेज होना
- ब्लड प्रेशर बढ़ना
- वजन का कम होना या बढ़ना।
पैरों में सूजन का निदान – Diagnosis of Swelling in Feet
पैरों में सूजन के निदान के लिए डॉक्टर व्यक्ति से बातचीत करके उसकी पिछली मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानकारी लेते हैं और उसके लक्षणों को समझकर यह जानने की कोशिश करते हैं कि किस बीमारी के कारण या किस विशेष स्थिति के कारण पैरों में सूजन की आई है। इसके लिए डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं –
1. शारीरिक परीक्षण (Physical Examination)- शारीरिक परीक्षण में डॉक्टर व्यक्ति का वजन माप सकते हैं तथा पिटिंग टेस्ट कर सकते हैं।
2. एल्बुमिन ब्लड टेस्ट (Albumin Blood Test)- ब्लड में एल्बुमिन प्रोटीन का स्तर जानने के लिए यह टेस्ट किया जाता है। एल्बुमिन शरीर में द्रव संतुलन बनाए रखने का काम करता है।
3. ब्लड इलेक्ट्रोलाइट लेवल (Blood Electrolyte Level)- यह टेस्ट शरीर में सोडियम, क्लोरीन, पोटेशियम और कार्बन डाईऑक्साइड जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स लेवल का पता लगाने के लिए किया जाता है।
4. इकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography)- इकोकार्डियोग्राम हृदय की इमेज तैयार करने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है। ये ध्वनि तरंगें हृदय की धड़कन और हृदय द्वारा रक्त पंप करने के चित्र बनाने में मदद करती हैं।
5. किडनी फंक्शन टेस्ट (Kidney Function Test)- इस टेस्ट के जरिए किडनी की कार्य प्रणाली की क्षमता का पता चल जाता है कि किडनी कितने अच्छे प्रकार से ब्लड को छान रही है।
6. लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver Function Test)- ब्लड में बिलीरुबिन, प्रोटीन और लिवर एंजाइम के स्तर का पता चल जाता है जिससे लिवर की कार्य प्रणाली की क्षमता का विश्लेषण किया जाता है।
7. मूत्र-विश्लेषण (Urine Analysis)- इस टेस्ट के जरिए मूत्र पथ में संक्रमण, किडनी की पथरी, किडनी की समस्या, मांसपेशियों का टूटना आदि के बारे में पता चल जाता है।
8. छाती का एक्स-रे (Chest X-Ray)- छाती के एक्स-रे से शरीर के प्रभावित अंग की हड्डियों और कोमल ऊतकों की तस्वीरें मिल जाती हैं।
9. पेट और पैरों का अल्ट्रासाउंड (Ultrasound of Abdomen and Legs)- इस टेस्ट के जरिए पेट और पैरों के अंदर की समस्याओं का पता चल जाता है।
10. सीबीसी टेस्ट (CBC Test)- यह ब्लड टेस्ट है जिसे कंप्लीट ब्लड सेल काउंट कहा जाता है। इस टेस्ट के जरिए शरीर में सभी प्रकार की रक्त कोशिकाओं का स्तर, उनकी संख्या प्लेटलेट्स और हीमोग्लोबिन के स्तर का पता चल जाता है।
ये भी पढ़ें- बोन कैंसर क्या है?
पैरों में सूजन के घरेलू उपाय – Home Remedies for Swelling in Feet
दोस्तो अब बताते हैं आपको पैरों की सूजन से राहत पाने के घरेलू उपाय जो निम्न प्रकार हैं –
1. पलाश के फूल (Palash Flowers)- पलास के फूलों में एंटीइंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण उपस्थित होते हैं जो चोट, मोच या अन्य कारणवश आई सूजन और दर्द को खत्म करते हैं। इसके लिए पलास के सूखे फूलों को पानी में उबालें। इसमें थोड़ा सा फिटकरी पाउडर और सेंधा नमक या साधारण नमक भी डाल दें। सहन करने लायक गर्म पानी में पैरों को कम से कम 20 मिनट तक डालकर रखें। इससे सारा दर्द खिंच जाएगा और सूजन भी खत्म हो जाएगी। इसे दिन में दो बार करें। यह लेखक का अपनाया हुआ एक बेहतरीन उपाय है।
2. सेंधा नमक से सिकाई करें (Gargle with Rock Salt)- सेंधा नमक में भी एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं। पानी उबालकर गर्म करके इसमें थोड़ा सा सेंधा नमक और फिटकरी मिला लें। सहन करने लायक गर्म पानी में पैरों को कम से कम आधा घंटा तक डुबोकर रखें। इसे दिन में दो या तीन बार करें। सूजन उतर जाएगी। यदि सेंधा नमक ना हो तो साधारण नमक भी मिलाया जा सकता है।
3. ठंडी सिकाई (Cold Compress)- जिस प्रकार गर्म सिकाई से सूजन में आराम आता है उसी प्रकार ठंडी सिकाई सूजन में लाभकारी होती है। इससे भी सूजन उतर जाती है। इसके लिये एक कपड़े में बर्फ़ के टुकड़े भरकर पैरों पर लगाएं। इससे सूजन में आराम लगेगा। हम बता दें कि बाजार में आइसपैड भी मिल जाते हैं। इसका उपयोग सीधे तौर पर कर सकते हैं। सिकाई करने के बाद इसको फ्रीजर में रख दें ताकि ये ठंडे रहें।
4. मालिश (Massage)- जैतून के तेल और ऑरेगेनो ऑयल में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन को कम करने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। 30 मिलीलीटर जैतून का तेल लेकर इसमें 5-6 बूंद ऑरेगेनो ऑयल मिलाकर पैरों पर लगाकर मालिश करें। मालिश के लिए अरंडी का तेल और टी ट्री ऑयल का भी उपयोग किया जा सकता है। यदि ये कोई भी तेल उपलब्ध नहीं हैं तो सरसों का तेल गुनगुना करके इससे मालिश करें। सरसों के तेल में एंटीइंफ्लेमेटरी तथा एनालेजिक (Analgesic) गुण मौजूद होते हैं। सूजन में आराम आ जाएगा।
5. नींबू, दालचीनी और जैतून का तेल (Lemon, Cinnamon and Olive Oil)- नींबू, दालचीनी और जैतून के तेल में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं। सूजन की समस्या से राहत पाने के लिए एक चम्मच नींबू का रस, एक चम्मच जैतून का तेल और आधा चम्मच दालचीनी पाउडर लेकर एक चम्मच दूध में मिला लें। इसे एक, दो घंटे पैरों पर लगाकर छोड़ दें। बाद में गुनगुने पानी से धो लें।
6. अन्य तेल से मालिश (Massage with Other Oils)- यूकेलिप्टस, पेपरमिंट और नींबू के तेल में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। इन तेलों की चार-चार बूंदें आधी बाल्टी गर्म पानी में मिला लें। फिर इस पानी में पैरों को कम से कम आधा घंटा तक डुबोकर रखें। इससे पैरों की नसें भी खुल जाएंगी और सूजन भी उतर जाएगी। इसे रोजाना करें।
7. हल्दी (Turmeric)- हल्दी में एंटीइंफ्लेमेटरी और दर्द निवारक (Analgesic) गुण पाए जाते हैं। आयुर्वेद में हल्दी को दर्द और सूजन के लिए रामबाण उपाय माना जाता है। पैरों की सूजन कम करने के लिए हल्दी पाउडर में थोड़ा सा पानी मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को पैरों पर लगाएं। रात को एक गिलास गुनगुने दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर जरूर पीएं। इससे आपको डबल फायदा होगा। दर्द, सूजन खत्म होने के साथ-साथ आपकी इम्युनिटी भी मजबूत बनेगी।
8. अनानास का रस (Pineapple Juice)- अनानास में ब्रोमेलैन नामक एंजाइम मौजूद होता है जो शरीर में एंटीएडेमेटस, एंटीथ्रोम्बोटिक और एंटीइंफ्लेमेटरी के रूप में कार्य करता है। रोजाना दिन में दो या तीन बार अनानास का रस निकाल कर पीएं। इससे पैरों की सूजन खत्म होने में मदद मिलेगी। यदि रक्त के थक्के जमने की समस्या है तो वह भी खत्म हो जाएगी।
ये भी पढ़ें- अनानास खाने के फायदे
9. अदरक की चाय (Ginger Tea)- अदरक के छोटे टुकड़ों को अच्छी तरह पीस कर डेढ कप पानी में उबालें। जब यह पानी आधा कप रह जाए तो इसे छानकर थोड़ा ठंडा करके पी लें। आप चाहें तो स्वाद के लिए इसमें इसमें आधा चम्मच शहद और आधा चम्मच नींबू का रस भी मिला सकते हैं। अदरक में मौजूद एंटीइंफ्लेमेटरी गुण सूजन कम करने में मदद करेंगे।
10. अलसी के बीज (Flax Seeds)- अलसी के बीजों में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं जो सूजन को करने में मदद करते हैं। एक चम्मच अलसी के बीज का पाउडर, एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर पीएं। इसे दिन में दो बार पीएं। यदि अलसी के बीज का पाउडर उपलब्ध नहीं है तो इसके स्थान पर अलसी के तेल की कुछ बूंदें मिलाकर पीएं।
11. धनिया के बीज (Coriander Seeds)- सूजन के लिए धनिया के बीजों का उपयोग दो तरीके से किया जाता है। एक कप पानी में दो चम्मच धनिया के बीज डालकर उबालें। जब यह पानी आधा कप रह जाए तो छानकर पी लें। इसे दिन में दो बार पी सकते हैं। दूसरा तरीका है कि धनिया के बीजों को कुछ घंटों के लिए भिगो दें। फिर इनको पीसकर पेस्ट बना लें और पैरों पर लगा लें। दोनों ही तरीके से सूजन उतर जाएगी।
12. जौ का पानी (Barley Water)- जौ का पानी प्राकृतिक रूप से दर्द निवारक के रूप में काम करता है। साथ ही सूजन को भी कम करता है। इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी गुण उपस्थित होते हैं। इसके लिए दो कप पानी में एक मुट्ठी जौ तब तक उबालें जब तक पानी का रंग हल्का भूरा ना हो जाए। इस पानी को छानकर ठंडा होने दें। ठंडा होने पर यह जौ का पानी पी लें। रोजाना एक या दो गिलास जौ का पानी पी सकते हैं।
13. पत्ता गोभी (Cabbage)- सूजन कम करने लिए पत्ता गोभी का उपयोग किया जाता रहा है। यह एक प्राकृतिक उपचार है। पत्ता गोभी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण उपस्थित होते हैं जो कि दर्द और सूजन से छुटकारा दिलाने में मददगार होते हैं। इसके लिए पत्ता गोभी के पत्तों को निकालकर अच्छे से धो लें। फिर इनको फ्रिज में रख दें ताकि ये ठंडे हो जाएं। इन पत्तों को सूजन वाले स्थान पर रखकर ऊपर से ढीली पट्टी बांध लें। लगभग आधा घंटे बाद पट्टी खोल दें और पत्ते भी हटा दें।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको पैरों में सूजन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। पैरों में सूजन क्या है?, पैरों में सूजन के कारण, पैरों में सूजन के लक्षण और पैरों में सूजन का निदान, इन सब के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से पैरों में सूजन के बहुत सारे घरेलू उपाय भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।
Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।