Advertisements

बोन कैंसर क्या है? – What is Bone Cancer in Hindi

बोन कैंसर क्या है?

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, कैंसर की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज हम लेकर आये हैं एक ऐसा टॉपिक जो महिलाओं और पुरुषों से समान रूप से संबंधित है यानि “बोन कैंसर”। बोन कैंसर हड्डियों में होने वाला या शरीर के किसी अन्य अंग से शुरु होकर हड्डियों तक पहुंचने वाला कैंसर है। बोन कैंसर के कुछ प्रकार बच्चों में भी हो सकते हैं जिनमें कुछ दुर्लभ होते हैं। बोन कैंसर घातक ही होता है। यदि यह समय रहते इसका उपचार ना किया जाये तो निश्चित रूप से यह जानलेवा हो सकता है। आखिर यह बोन कैंसर है क्या?। यही है हमारा आज का टॉपिक “बोन कैंसर क्या है?”। 

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको बोन कैंसर के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसका उपचार क्या है और इससे बचाव के उपाय क्या हैं?। तो, सबसे पहले जानते हैं कि बोन कैंसर क्या है और इसके प्रकार। फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

Advertisements
बोन कैंसर क्या है?
Advertisements

बोन कैंसर क्या है? – What is Bone Cancer?

साधारण भाषा में कहा जाये तो हड्डी में होने वाले कैंसर को बोन कैंसर कहा जाता है। जब घातक ट्यूमर सामान्य हड्डी के ऊतकों को नष्ट करने लगता है तब कोशिकाएं निरन्तर गुणन में विभाजित होने लगती हैं और हड्डियों में अनियंत्रित हो जाती हैं। इससे हड्डियों में कोशिकाएं कैंसर का रूप ले लेती हैं। बोन कैंसर दो तरीके से होता है एक तो वो जो हड्डियों में ही पनपता है और दूसरे तरीके में कैंसर, शरीर के किसी अन्य हिस्से में पनपता है और हड्डियों तक पहुंच जाता है।   

Advertisements

बोन कैंसर के प्रकार –  Types of Bone Cancer

बोन कैंसर मुख्यतः दो ही प्रकार के होते हैं – प्राइमरी और सेकेंड्री। विवरण निम्न प्रकार है – 

1. प्राइमरी बोन कैंसर (Primary Bone Cancer)- प्राइमरी बोन कैंसर को सारकोमा (sarcomas) कहा जाता है। यह एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है। यह हड्डियों में और नरम ऊतकों में शुरु होता है। ऊतक जब आपस में एक दूसरे से जुड़ने लगते हैं तो वहीं से ट्यूमर का निर्माण होने लगता है। इन्हीं ट्यूमर्स को सारकोमा के नाम से जाना जाता है। सारकोमा के 70 से भी अधिक प्रकार होते हैं। हम बता रहे हैं सारकोमा के कुछ प्रकार जो निम्नलिखित हैं –

(i) ओस्टियोसारकोमा (Osteosarcoma) – ऑस्टियोसार्कोमा, ओस्टिऑइड टिश्यू में बनने वाली बोन सेल्स हैं, जिनको ऑस्टियोब्लास्ट्स कहा जाता है। इसे ऑस्टोजेनिक सारकोमा भी कहा जाता है। इसकी शुरुआत हड्डियों की कोशिकाओं से होती है। यह अक्सर 10 से 30 वर्ष की आयु के बीच के युवा वर्ग में होता है। 

Advertisements

यद्यपि ऑस्टियोसार्कोमा किसी भी हड्डी में हो सकता है परन्तु आमतौर पर यह हाथ में कंधे के पास, पैरों में घुटने के पास और पेडू (पेल्विस) के हड्डियों में पनपता है। यह बहुत तीव्र गति से बढ़ता है और फेफड़ों के साथ-साथ शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल जाता है। यह महिलाओं की अपेक्षाकृत पुरुषों में अधिक होता है। 

ये भी पढ़े- ऑस्टियोपोरोसिस क्या है?

(ii) कोंड्रोसारकोमा (Chondrosarcoma) – यह कार्टिलेजिनस (cartilaginous) ऊतकों में बनने वाला बोन कैंसर है जो हड्डियों के किनारों को कवर करता है। फिर पेल्विस, जांघों, कंधों, पैर की हड्डियों या बांह की हड्डियों को प्रभावित करता है। यह धीमी गति से बढ़ता है और शरीर के अन्य भागों को अपनी चपेट में ले लेता है। इसके होने की संभावना 20 से 75 वर्ष की आयु के बीच रहती है। यदि यह किसी में 20 वर्ष की आयु से कम लोगों में होता है तो इसे दुर्लभ ही कहा जाएगा। कोंड्रोसारकोमा होने की संभावना महिलाओं और पुरुषों में बराबर रहती है।  

(iii) ईविंग सरकोमा/ईविंग ट्यूमर (Ewing Sarcoma) – यह किशोरावस्था और युवाओं में होने वाला आम कैंसर है। 30 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में होना, दुर्लभ माना जाता है। यह पेल्विस, पैरों या पसलियों में पनपता है और फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल जाता है। इसके फैलने की गति तीव्र होती है। लड़कियों की अपेक्षाकृत लड़कों में इविंग सरकोमा की संभावना अधिक होती है। 

(iv) फाइब्रोसारकोमा (Fibrosarcoma) – यह भी एक दुर्लभ प्रकार का सारकोमा है जिससे मध्यम आयु वर्ग के वयस्क तथा बुजुर्ग प्रभावित होते हैं। फाइब्रोसार्कोमा, फाइब्रोब्लास्ट नाम के सेल्स को प्रभावित करता है। फाइब्रोब्लास्ट्स शरीर में मौजूद फाइबर (रेशेदार) टिश्यूज़ के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। टेंडॉन्स जो रेशेदार टिश्यूज़ से बने होते हैं, मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ते हैं। फाइब्रोसारकोमा का शरीर के फाइब्रोब्लास्ट पर जब आक्रमण होता है तो ये अनियंत्रित होकर बढ़ने लगते हैं और कैंसर का रूप ले लेते हैं। 

(v) कॉर्डोमा (Chordoma) – कॉर्डोमा भी दुर्लभ प्रकार ट्यूमर है जो सामान्य तौर पर खोपड़ी और रीढ़ की हड्डियों में उत्पन्न होता है। इसकी गति धीमी होती है परन्तु शरीर के अन्य भागों में नहीं फैलता। यदि इसको पूरी तरह ना हटाया जाये तो इस कैंसर की पुनरावृति हो जाती है। यह ट्यूमर आमतौर पर 30 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में होता है, महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज्यादा।  

(vi) मलिग्नेंट फाइब्रोस हिस्टियोसिटामा (Malignant fibrous histiocytoma – MFH) – यह भी सारकोमा का एक प्रकार है जो हड्डियों की तुलना में नरम ऊतकों (संयोजी ऊतकों जैसे कि स्नायुबंधन, रंध्र, वसा और मांसपेशी) में पनपता है। सामान्य तौर पर पैरों (घुटनों के आसपास) या बाहों को प्रभावित करने वाला एक घातक सारकोमा है जो अक्सर बुजुर्ग और मध्यम आयु वर्ग के वयस्कों में पाया जाता है, बच्चों में दुर्लभ माना जाता है। 

इसके शरीर के अन्य अंगों, फेफड़ों आदि में फैलने की भी संभावना रहती है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में इसके होने की संभावना अधिक रहती है। यहां हम स्पष्ट कर दें कि सन् 2002 से पूर्व किसी भी तरह के सारकोमा को मलिग्नेंट फाइब्रोस हिस्टियोसिटामा (MFH) का नाम दिया क्योंकि सेल टाइप 2 को अक्सर एमएफएच के लिए ही रेफर किया जाता था। 

2. सेकेंडरी बोन कैंसर (Secondary Bone Cancer)- वह कैंसर जो हड्डियों में उत्पन्न ना होकर, शरीर के किसी अन्य अंग में शुरू होता है और हड्डियों में पहुंच जाता है तो उसे सेकेंडरी बोन कैंसर कहा जाता है। जैसे कि महिला के स्तन में होने वाला ब्रेस्ट कैंसर, पुरुषों में होने वाला प्रोस्टेट कैंसर, दोनों में समान रूप से होने वाला फेफड़ों का Lung कैंसर आदि। 

इसका अर्थ एकदम साफ़ है कि सेकेंडरी बोन कैंसर का कारण बोन कैंसर नहीं होता बल्कि शरीर का वह अंग होता है जिससे यह कैंसर चला है और हड्डियों में पहुंचा है। इसे हाई ग्रेड कैंसर या मेटास्टाटिक कैंसर कहा जाता है। यह सेकेंडरी बोन कैंसर, बड़े बुजुर्गों में होने वाला सबसे आम बोन कैंसर है। माइक्रोस्कोप से देखने पर ये उन ऊतकों के समान दिखते हैं जिस अंग से वो आए हैं। यानि फेफड़ों का कैंसर है जो हड्डियों में फैल चुका है, तो हड्डी में कैंसर की कोशिकाएं फेफड़ों के कैंसर की कोशिकाओं के समान ही नजर आती हैं और काम करती हैं।

ये भी पढ़े- एवैस्कुलर नेक्रोसिस क्या है?

बोन कैंसर के स्टेज – Bone Cancer Stages

बोन कैंसर को निम्नलिखित चार स्टेज में विभाजित किया गया है –

1. स्टेज-1(Stages-1) – स्टेज 1 के बोन कैंसर को लो ग्रेड कैंसर माना जाता है। इसमें ट्यूमर का आकार 8 cm या इससे कम हो सकता है और इससे से बड़ा भी हो सकता है। यह अपनी जगह पर ही रहता है और किसी अन्य हिस्से में नहीं फैलता। इस स्टेज पर कैंसर डिटेक्ट भी नहीं हो पाता है। 

2. स्टेज -2(Stages-2) – इस स्टेज में भी ट्यूमर का आकार 8cm ही होता है परन्तु कैंसर सेल बहुत तेज गति से बढ़ते हैं।

3. स्टेज 3 (Stages-3)- इस स्टेज में ट्यूमर दो अलग-अलग स्थानों पर में पहुंच चुका होता है परन्तु फेफड़ों या लिम्फ नोड्स को चपेट में नहीं लिया होता। इस स्टेज पर इसे हाई ग्रेड कैंसर माना जाता है। 

4. स्टेज 4 (Stages-4)- यह कैंसर की एडवांस स्टेज होती है। इसमें फेफड़ों, लिम्फ नोड्स या शरीर के अन्य भाग प्रभावित हो चुके होते हैं। इसे भी हाई ग्रेड कैंसर माना जाता है।

बोन कैंसर के कारण – Cause of Bone Cancer 

बोन कैंसर के सटीक कारण अज्ञात हैं। परन्तु अभी तक इस विषय पर जो भी रिसर्च हुई है उसके मद्देनजर रखते हुए वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके कारण निम्नलिखित हो सकते हैं –

1. डीएनए में किसी भी प्रकार का परिवर्तन होने के कारण सामान्य कोशिकाओं में कैंसर उत्पन्न हो सकता है।

2. यह अनुवांशिक भी हो सकता है यानि यदि परिवार में पहले किसी को बोन कैंसर हुआ है तो यह पीढ़ी दर पीढ़ी चल सकता है। यह कैंसर हुए व्यक्ति के जीवन में अर्जित उत्परिवर्तन (Mutations) का परिणाम होता है ना कि उस व्यक्ति के डीएनए परिवर्तन की वजह से। ये परिवर्तन रेडिएशन तथा केमिकल का परिणाम होते हैं। 

3. पहले से हुए कैंसर के उपचार के लिये ली जाने वाली रेडिएशन थेरिपी, कीमोथेरिपी या स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन बोन कैंसर का कारण बन सकते हैं।  

4. 40 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों जो किसी ना किसी हड्डी रोग से पीड़ित हैं, को बोन कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। 

बोन कैंसर के लक्षण – Bone Cancer Symptoms 

बोन कैंसर के निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते  हैं –

1. दर्द रहना – प्रभावित हड्डी में दर्द रहना एक मुख्य और आम लक्षण है। यह असहनीय होता है। रात को और पैदल चलते समय अधिक दर्द होता है। 

2. सूजन – प्रभावित क्षेत्र में सूजन हो सकती है जोकि एक सप्ताह बाद नहीं भी हो सकती। 

3. गांठ या द्रव्यमान – दर्द वाली जगह पर गांठ या द्रव्यमान का अनुभव हो सकता है। ये गांठ ट्यूमर का संकेत हो सकती हैं।

4. हड्डी का कमजोर हो जाना – बोन कैंसर के प्रभाव से प्रभावित हड्डी कमजोर हो जाती है जिससे फ्रैक्चर होने का खतरा रहता है। 

5. सुन्नता – बोन कैंसर के प्रभाव से सुन्नता, झुनझुनी या कमजोरी महसूस हो सकती है। 

6. वजन कम होना।

7. कमजोरी और थकावट महसूस होना।

8. यदि किसी अन्य अंग में कैंसर है तो उसके लक्षण प्रकट हो जाएंगे जैसे कि फेफड़ों के कैंसर में सांस लेने में दिक्कत होना। 

बोन कैंसर का निदान – Bone Cancer Diagnosis

बोन कैंसर के निदान के लिये निम्नलिखित टेस्ट करवाये जा सकते हैं –

1. एक्स-रे (X-Ray) – हड्डी के एक्स-रे के माध्यम से जो चित्र मिलते हैं उनसे बोन कैंसर का पता चल जाता है हड्डी में जिस जगह कैंसर है वह जगह खुरदुरी दिखाई देती है या हड्डी में कैंसर छेद के रूप में दिखाई दे सकता है। सीने का भी एक्स-रे किया जाता है जिससे यह पता चल सके कि यह कैंसर फेफड़ों तक पहुंचा है या नहीं।

2. सीटी स्कैन (CT Scan) – इसे कैट स्कैन भी कहा जाता है। इसके जरिये बोन कैंसर की स्टेज के बारे में जानकारी मिल जाती है। एक्स-रे की तुलना में इसके चित्र काफी स्पष्ट और साफ़ होते हैं। इसका उपयोग इसलिये भी किया जाता है ताकि यह पता चल सके कि इसका फैलाव, फेफड़े, लिवर या अन्य अंगों में हुआ है या नहीं।  

3. एमआरआई स्कैन (MRI Scan) – एमआरआई के जरिये कैंसर के आकार के बारे में पता चल जाता है। एमआरआई के चित्र लेने के लिये रेडियो तरंगों और स्ट्रॉन्ग मैग्नेट का उपयोग किया जाता है। एमआरआई स्कैन अक्सर कॉर्डोमा बोन कैंसर के मामले में किया जाता है। मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की जांच में भी एमआर आई उपयोगी होते हैं। 

4. बोन स्कैन (Bone Scan) – यह बोन स्कैन यह पता लगाने के लिये किया जाता है कि बोन कैंसर किन अंगों में फैल गया है। इस टेस्ट के लिये लो लेवल के रेडियोएक्टिव पदार्थ की एक छोटी मात्रा को ब्लड में डाला जाता है, जो पूरे शरीर में हड्डी के प्रभावित क्षेत्र में जाता है। फिर इसके बाद एक विशेष कैमरे के जरिये हड्डियों के चित्र निकाल लिये जाते हैं। 

ये भी पढ़े- यूरिक एसिड का घरेलू उपाय

5. पीईटी स्कैन (PET Scan) – यह भी एक प्रकार से बोन स्कैन है। इसमें कैंसर, प्रभावित जगह पर शुगर हॉट स्पॉट के रूप में दिखाई देता है। इससे यह भी पता चलता है कि ट्यूमर कैंसरस है या नहीं। 

6. बायोप्सी (Biopsy) – बायोप्सी के लिए फाइन सुई या  कोर सुई का उपयोग किया जाता है। फाइन सुई के लिये बहुत पतली सुई को सिरिंज से जोड़ कर ट्यूमर से कुछ द्रव और कुछ कोशिकाओं को निकाल लिया जाता है और जांच के लिये लैब भेज दिया जाता है। कोर सुई की विधि में डॉक्टर बड़ी सुई का उपयोग करते हुए ऊतकों का एक छोटा समूह निकाल कर लैब भेज देते हैं। इस टेस्ट से यह पता लगाया जाता है कि ट्यूमर में कैंसर सेल्स हैं या नहीं। 

बोन कैंसर का इलाज – Bone Cancer Treatment

बोन कैंसर का इलाज बोन कैंसर के प्रकार, स्टेज और मरीज के सामान्य स्वास्थ पर निर्भर करता है। बोन कैंसर का इलाज के लिये रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी और सर्जरी विधि अपनाई जाती हैं। मरीज को कीमोथेरेपी के बाद सर्जरी और सर्जरी के बाद फिर से कीमोथेरेपी दी जा सकती है।

 इलाज शुरु करने से पहले मस्कुलोस्केलेटल/ऑर्थोपेडिक ऑन्कोलॉजिस्ट, पीडियाट्रिक/सीनियर मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट, पैथोलॉजिस्ट और अन्य विशिष्टताओं से युक्त एक बहु-विषयक, एक विशाल टीम मरीज की स्थिति का विस्तृत मूल्यांकन करता है ताकि जल्दी से जल्दी इलाज शुरु किया जा सके। निम्नलिखित विधि के द्वारा इलाज किया जा सकता है –

1. रेडियोथेरेपी (Radiotherapy)- इसे रेडिएशन थेरेपी के नाम से भी जाना जाता है। इस विधि का उपयोग उच्च ऊर्जा वाले एक्स-रे बीम के द्वारा कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है। रेडियोग्राफी, ट्यूमर कोशिकाओं के अंदर डीएनए को क्षति पहुंचाता है ताकि ट्यूमर के प्रसार से रोका जा सके। रेडियोथेरेपी का इस्तेमाल सर्जरी के साथ संयोजन में भी किया जा सकता है। 

2. कीमोथेरेपी (Chemotherapy)- कीमोथेरेपी का उपयोग मरीज को रोग से पूरी तरह से राहत दिलाने और कैंसर के वापसी की संभावनाओं को पूरी तरह खत्म करे के लिये किया जाता है। कीमोथेरेपी में कैंसर विरोधी रसायनों का उपयोग किया जाता हे जो कैंसर कोशिकाओं के विकास की गति को कम करने के साथ-साथ कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं। इसका उपयोग सामान्यतः सर्जरी से पहले किया जाता है, लेकिन स्थिति का आकलन करते हुए सर्जरी के बाद भी कीमोथेरेपी का उपयोग किया जा सकता है। 

ये भी पढ़े- कीमोथेरेपी क्या है?

3. सर्जरी (Surgery)- सर्जरी के द्वारा स्वस्थ ऊतकों के कुछ भाग के साथ हड्डी के ट्यूमरू प्रभावित क्षेत्र को हटा दिया जाता है  ताकि कैंसर की फिर से वापसी ना हो सके और ऊतकों को फिर से प्रभावित ना हों। 

4. लिंब स्पेरिंग सर्जरी (Limb-sparing Surgery)- इस प्रकार की सर्जरी में हड्डी को निकाले बिना, शरीर के किसी अन्य भाग से कुछ हड्डी लेकर कृत्रिम हड्डी का उपयोग करके, प्रभावित हड्डी को बदल दिया जाता है। यद्यपि कुछ मामलों में हड्डी को निकालना जरूरी हो जाता है।

बोन कैंसर से बचाव के उपाय – How to Prevent Bone Cancer 

दोस्तो, यदि हम अपने खानपान का ध्यान रखें और जीवनशैली को सुधारें तो निश्चित रूप से हमारी हड्डियों का स्वास्थ सुधरेगा, अस्थि खनिज घनत्व (Bone Mineral Density) का स्तर सामान्य रहेगा, हड्डियां मजबूत बनेंगी। परिणाम स्वरूप हड्डी से जुड़े विकारों, बीमारियों तथा बोन कैंसर से बचाव होगा। इसके लिये हम कुछ उपाय बता रहे हैं जो निम्न प्रकार हैं –

1. दूध, बादाम (Milk, Almonds)- दूध विटामिन-डी की कमी पूरी करेगा। इससे दैनिक जरूरत का 20 प्रतिशत विटामिन-डी मिल जाता है। बादाम से भरपूर कैल्शियम मिल जाएगा। इसके लिये रात को पानी में 5-7 बादाम पानी में भिगो दें। अगले दिन सुबह इनका छिलका उतारकर इनको पीस लें। इस पेस्ट को गाय का दूध, या सोया मिल्क या बकरी के दूध में मिलाकर पीयें।

2. सोया उत्‍पाद (Soy Products)- कई लोग किसी वजह दूध नहीं पी सकते हैं या डेयरी उत्पाद का इस्तेमाल नहीं कर सकते, उनके लिये सोया एक बेहतरीन विकल्प है। वे लोग सोया मिल्क पी सकते हैं और सोया उत्पाद खा सकते हैं। सोया से विटामिन-डी, कैल्शियम तथा अन्य पोषक खनिज मिल जाते हैं जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं और हड्डियों के घनत्व में सुधार होता है। 

3. पनीर (Cheese)- पनीर में विटामिन-डी, विटामिन-सी, विटामिन-ए, विटामिन-बी12 तथा पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम जैसे पोषक खनिज तत्व मौजूद  होते हैं। ये हड्डी के घनत्व के लिये लाभकारी होते हैं।

4. तिल के बीज (Sesame Seeds)- तिल के बीजों में विटामिन-डी पर्याप्त मात्रा में होता है जो हड्डियों से जुड़ी बीमारियों विशेषकर ऑस्टियोपोरोसिस से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। इससे हड्डियों के घनत्व में सुधार होता है। थोड़े से तिल के भुने हुए बीजों का एक गिलास दूध के साथ सेवन करें। 

5. फल (Fruit)- ऐसे फलों का सेवन करें जिनमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फास्फोरस जैसे खनिज तथा विटामिन मौजूद हों जैसे अनानास, केला, सेब आदि। 

6. सब्जियां (Vegetables)- हड्डियों के स्वास्थ के लिये पालक और ब्रोकली बेहतरीन सब्जियां है। ये कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फास्फोरस और आयरन जैसे खनिजों और विटामिनों से समृद्ध होती हैं। 

7. सालमन मछली (Salmon Fish)- मांसाहारियों के लिये यह सबसे बेहतरीन विकल्प है। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फास्फोरस और कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। सालमन मछली में विटामिन-डी3 भी होता है जो विटामिन-डी का ही एक रूप माना जाता है। यह हड्डियों, इम्यूनिटी, मांसपेशियों और मस्तिष्क के लिए लाभकारी होता है। सालमन मछली के सेवन से हड्डियों को मजबूती मिलती है तथा हड्डियों के घनत्व में सुधार होता है। 

8. शराब कम पीयें (Avoided Alcohol)- शराब के अधिक मात्रा में और लंबे समय तक सेवन से हड्डियों में पतलापन आने की संभावना रहती है। वैसे भी अधिक नशे गिरने-पड़ने का खतरा बना रहता है जिससे हड्डियों में फ्रैक्चर आ सकता है। बार-बार का फ्रैक्चर होना हड्डी स्वास्थ के विरुद्ध जाता है। 

9. स्मोकिंग ना करें (Don’t Smoke)- यदि आप स्मोकिंग करते हैं तो इसे तुरन्त बंद कर दें क्योंकि यह नुकसानदायक है और कैंसर का कारक भी है। यह हड्डियों के स्वास्थ के लिये बेहद खराब है इससे फ्रैक्चर, ऑस्टियोपोरोसिस तथा अन्य हड्डियों से जुड़ी समस्याओं को बढ़ावा मिलता है। 

10. व्यायाम करें (Exercise)- मांसपेशियां हड्डियों के कवच के रूप में काम करती हैं। रोजाना नियमित रूप से व्‍यायाम करें। इससे मांसपेशियां मजबूत बनेंगी और इनमें ताकत आयेगी। ये मांसपेशियां हड्डियों को और मजबूत सुरक्षा प्रदान करेंगी। 

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको बोन कैंसर के बारे में जानकारी दी। बोन कैंसर क्या है?, बोन कैंसर के प्रकार, बोन कैंसर के स्टेज, बोन कैंसर के कारण, बोन कैंसर के लक्षण, बोन कैंसर का निदान और बोन कैंसर का इलाज, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से बोन कैंसर से बचाव के बहुत सारे उपाय भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा। 

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

Summary
बोन कैंसर क्या है?
Article Name
बोन कैंसर क्या है?
Description
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको बोन कैंसर के बारे में जानकारी दी। बोन कैंसर क्या है?, बोन कैंसर के प्रकार, बोन कैंसर के स्टेज, बोन कैंसर के कारण, बोन कैंसर के लक्षण, बोन कैंसर का निदान और बोन कैंसर का इलाज, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया है।
Author
Publisher Name
Desi Health Club
Publisher Logo

One thought on “बोन कैंसर क्या है? – What is Bone Cancer in Hindi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *