दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आप कुछ समूह (Group) के बारे में जानते होंगे जो एक विशेष उद्देश्य के लिये काम करते हैं। समूह से जुड़ने वालों की अपनी अलग-अलग पहचान होती है लेकिन एक जगह जुड़ने पर सब मिलजुल कर काम करते हैं जैसे कि विश्व के राष्ट्रों का एक समूह है जिसे युनाइटिड नेशन्स् ऑरग्नाइजेशन (United Nations Organizations)। इससे जुड़े राष्ट्रों की अपनी अलग-अलग पहचान है लेकिन समूह के रूप में मानव जाति की सुरक्षा, स्वास्थ और शांति के लिये काम करते हैं। इनकी सेनायें भी एक झंडे के नीचे एक ग्रुप संयुक्त राष्ट्र शांतिस्थापन (United Nations Peacekeeping) के लिये काम करती हैं। इसी तरह इंडस्ट्रीज़ ग्रुप होते हैं जिनके अलग-अलग नाम और काम हैं लेकिन एक विशेष व्यक्ति, नाम के लिये काम करते हैं। दोस्तो, ठीक इसी प्रकार भोजन से हमें कुछ अवयव (Components) रसायन के रूप में मिलते हैं जिन्हें विटामिन कहा जाता है। इनमें कुछ विटामिन एक जगह मिल जाते हैं तो एक विशेष विटामिन का समूह बन जाता है जिसे विटामिन-बी कॉम्प्लेक्स कहा जाता है। इसमें आठ विटामिनों का योगदान होता है। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “विटामिन-बी के फायदे और नुकसान”। देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से आज आपको विटामिन-बी के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि विटामिन-बी के फायदे और नुकसान क्या होते हैं। तो सबसे पहले जानते हैं कि विटामिन क्या होता है, और विटामिन-बी क्या होता है?। फिर इसके बाद अन्य बिंदुओं पर जानकारी देंगे।
विटामिन क्या है? – What is Vitamin?
दोस्तो, भोजन से प्राप्त होने वाले वे तत्व जो सभी जीवों को अल्प मात्रा में, जीवन के लिये आवश्यक होते हैं और रसायन के रूप में कार्बनिक यौगिक होते हैं, विटामिन कहलाते हैं। इन यौगिकों को भोजन के माध्यम से लेना पड़ता है क्योंकि शरीर इनको स्वयं उत्पन्न नहीं कर सकता। ये विटामिन कई प्रकार के होते हैं जैसे विटामिन-ए, सी, डी आदि। इन्हीं में से एक विटामिन बी है जिसकी जानकारी हम आपको देंगे।
विटामिन-बी क्या है? – What is Vitamin B?
दोस्तो, विटामिन-बी अपने आप में कोई विटामिन नहीं है बल्कि आठ विटामिनों का समूह है जिसे विटामिन ‘बी’ कॉम्प्लेक्स कहा जाता है। ठीक उसी प्रकार जैसे सूर्य नमस्कार योगासन अपने आप में कोई योगासन नहीं बल्कि 12 अलग-अलग योगासनों का समूह है। विटामिन ‘बी’ कॉम्प्लेक्स के विटामिन एक दूसरे से एकदम अलग हैं लेकिन फिर भी एक दूसरे से जुड़े हुऐ, एक दूसरे के पूरक। ये विटामिन भोजन के द्वारा ही प्राप्त करने पड़ते हैं, शरीर में अपने आप नहीं बनते। विटामिन ‘बी’ कॉम्प्लेक्स पानी में घुलनशील है ओर 120° सेंटीग्रेड तक की गर्मी को झेल सकता है उसके बाद यह नष्ट हो जाता है। इसके समूह में कौन-कौन से विटामिन शामिल होते हैं, जानते हैं इस बारे में।
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विटामिन ‘बी’ कॉम्प्लेक्स के आठ विटामिनों के नाम और उनका विवरण – Name and Description of Eight Vitamins of Vitamin ‘B’ Complex
1. बी-1 (थायमिन Thiamine) इसे थायमिन हाइड्रोक्लोराइड – एन्यूरिन और बेरी-बेरी विटामिन के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसा विटामिन है जिसकी वयस्क पुरुष और महिला को इस विटामिन की प्रतिदिन केवल एक मिलीग्राम की जरूरत होती है। गर्भवती महिलाओं को संपूर्ण काल तक इसकी मात्रा केवल पांच मिलीग्राम जरूरी होती है। यह आंतड़ियों (Intestine) की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है और इसकी पर्याप्त मात्रा होने के कारण आंतों की झिल्ली भी मजबूत रहती है जिससे कोई भी संक्रमण या कीटाणु इनको क्षति नहीं पहुंचा सकते।
2. बी-2 (रिबोफ्लेविन Riboflavin)- रिबोफ़्लेबिन या लैक्टोफ़्लेबिन। इसको विटामिन ‘जी’(G) के नाम से भी जाना जाता है। यह दूसरा और महत्वपूर्ण विटामिन है जो एक प्रकार से एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है। मेटाबॉलिज्म को सही रखने, त्वचा और आंखों के स्वास्थ को बनाये रखने, मुक्त कणों (Free radicals) को खत्म करने, और सबसे महत्वपूर्ण काम शरीर में एनर्जी बनाने, बढ़ाने और रक्त कोशिकाओं के निर्माण में यह अत्यंत सक्रिय भूमिका निभाता है।
3. बी-3 (नियासिन Niacin) – यह विटामिन नियासिन कहलाता है जो कार्बनिक यौगिक है। जीवन पद्धति को सुचारु रूप से चलाने में इनकी महत्वपूर्ण और सक्रिय भूमिका होती है। प्रकृति में कार्बनिक यौगिकों की संख्या 10 लाख से भी ज्यादा है। हमारा शरीर, विटामिन-बी3 के दो रसायनों ‘निकोटिनिक एसिड’ (Nicotinic acid) और ‘निकोटिनैमाइड’ (Nicotinamide), का इस्तेमाल करता है ताकि दो अन्य प्रकार के रसायनों एनएडी (NAD) और एनएडीपी (NADP) का उत्पादन हो सके। ये दोनों एनएडी और एनएडीपी, शरीर में विभिन्न प्रकार के रासायनिक प्रतिक्रियाओं में अपनी भूमिका निभाते हैं जिससे कोशिकाओं को चयापचय (Metabolism) प्रक्रिया में मदद मिल सके। विटामिन बी-3 की जरूरत, पाचन तंत्र, त्वचा, मस्तिष्क और लगभग 200 से ज्यादा एन्जाइम्स (enzyme) को सुचारू रूप से अपना काम करने में मदद करने के लिये पड़ती है।
4. बी-5 पैंटोथेनिक एसिड (Pantothenic Acid) – यह विटामिन भोजन से प्राप्त वसा (Fat) और कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा में बदलने में मदद करता है। यह हृदय के स्वस्थ को बनाता है, तनाव को दूर करता है, शारीरिक थकावट को दूर कर एनर्जी देता है और शरीर में हार्मोन्स् के लेवल को सामान्य बनाये रखने का भी काम करता है। यह रूमेटाइड अर्थराइटिस यानी एक प्रकार का गठिया को भी करने में मदद करता है और बालों को मजबूती देता है।
5. बी-6 पायरीडॉक्सीन (Pyridoxine) – यह भोजन में से प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट को निकालने का काम करता है। हीमोग्लोबिन को बढ़ा कर हीमोग्लोबिन रक्त में उपस्थित ऑक्सीजन को ऊतकों तक पहुंचाने का अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य करता है। ब्लड में शुगर लेवल को सामान्य बनाये रखने का काम करता है। इसके अतिरिक्त चयापचय (मेटाबॉलिज्म) प्रक्रिया को सुचारु रूप से चलाने, तंत्रिका कार्यों, लिवर, त्वचा, आंखों, अन्य अंगों को स्वस्थ बनाये रखने और एनर्जी लेवल को बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिये विटामिन-बी6 की आवश्यकता पड़ती है।
6. बी-7 बायोटिन (Biotin) – इसे विटामिन-एच (H) भी कहा जाता है। चयापचय (मेटाबॉलिक) प्रक्रियाओं के लिये इसकी आवश्यकता पड़ती है ताकि शरीर को इन प्रक्रियाओं के द्वारा एनर्जी लगातार मिलती रहे। यह विटामिन मुख्यतः भोजन से प्राप्त प्रोटीन के अवशोषण (Absorption) में अपनी भूमिका निभाता है और शुगर बनने की प्रक्रिया में भी सहायता करता है।
7 बी-9 फोलिक एसिड (Folic Acid) – इसकी आवश्यकता लिवर, त्वचा, बालों और आंखों के स्वास्थ को बनाये रखने के लिये होती है। तंत्रिका-तंत्र के ठीक से काम करने और शरीर की अन्य कार्य प्रणाली के ठीक से काम करने में यह मदद करता है जैसे प्रतिरक्षा प्रणाली, शरीर में ऊर्जा का स्तर, भ्रूण का सामान्य रूप से विकास कार्य, सामान्य रक्त निर्माण का कार्य आदि। इस सब में विटामिन-बी9 की सक्रिय भूमिका होती है।
8. बी-12 कोबालिन (Cobalamin) – यह एक अद्भुत विटामिन है जिसका श्रोत, प्राकृतिक सम्पदा यानी पेड़ पौधे नहीं हैं बल्कि पशु आधारित भोजन है। इसीलिये इसकी कमी अधिकतर शाकाहारियों को होती है। इस विटामिन को कोबालमीन (Cobalamin) भी कहा जाता है और यह एकलौता विटामिन है जिसमें कोबाल्ट नामक धातु पायी जाती है। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिये, संतुलित कार्य प्रणाली के लिये, लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिये, एनीमिया से बचाव के लिये, तंत्रिका-तंत्र के विकास के लिये, इम्युनिटी बूस्ट करने के लिये, अत्यंत आवश्यक होता है।
विटामिन ‘बी’ कॉम्प्लेक्स की कमी से होने वाले रोग – Diseases Caused by Deficiency of Vitamin ‘B’ Complex
दोस्तो, विटामिन ‘बी’ कॉम्प्लेक्स की कमी से हमारे शरीर में, सामान्यतः निम्नलिखित प्रभाव/रोग हो सकते हैं –
1. मांसपेशियों का कमजोर हो जाना।
2. हाथ पैरों के जोड़ों में अकड़न।
3. हाथ पैरो की उंगलियों मे सनसनाहट महसूस होना।
4. वजन का कम हो जाना।
5. मूत्राशय में समस्या हो जाना।
6. दृष्टि कमजोर हो जाना।
7. हृदय कमजोर हो जाना।
8. शरीर पर सूजन छ जाना।
9. पाचन क्रिया का गड़बड़ा जाना।
10. शरीर पर लाल चकत्ते पड़ जाना।
11. मस्तिष्क के स्नायु में (Muscle) या सिर के पिछले भाग में सूजन या विकार होना।
12. सिर में चक्कर आना।
विटामिन ‘बी’ कॉम्प्लेक्स के प्रत्येक विटामिन की कमी से होने वाले प्रभाव/रोग – Deficiency Effects/Diseases of Each Vitamin of Vitamin ‘B’ Complex
1. विटामिन-बी1 (Vitamin B1)- भूख और वजन का कम हो जाना, बेरी बेरी रोग हो जाना, इस रोग के लक्षणों में डाइट कम हो जाना, शारीरिक कमजोरी, हाथ-पैरों में दर्द, सांस फूलना आदि शामिल हैं। थकावट रहना, पेट खराब रहना। अनियमित हृदय की धड़कन।
2. विटामिन-बी2 (Vitamin B2)- जीभ में, मुंह में सूजन आ जाना, छाले हो जाना, होंठ फटना, दृष्टि का कमजोर हो जाना, असमय बुढ़ापा, रोशनी से परेशानी होना।
3. विटामिन-बी3 (Vitamin B3)- त्वचा पर फोड़े फुंसी हो जाना, पाचन तंत्र में गड़बड़ी, सोने में दिक्कत होना, मानसिक भ्रम होना आदि।
4. विटामिन-बी5 (Vitamin B5)- मांसपेशियों में दर्द या कभी लकवा भी हो सकता है, पैरों में जलन होना, त्वचा में झुनझुनी या सुन्नत महसूस करना, चेहरे पर कील-मुंहासे हो जाना।
5. विटामिन-बी6 (Vitamin B6)- त्वचा विकार, न्यूरोलोजिकल विकार या कोई अन्य जैसे मिर्गी आदि मस्तिष्क रोग होना या मस्तिष्क का ठीक से काम ना कर पाना, शरीर का वजन कम होना, अनीमिया आदि।
6. विटामिन-बी7 (Vitamin B7)- बालों के विकास में कमी, बालों का झड़ना, शरीर में दर्द रहना, लकवा की संभावना, शिशुओं के विकास में अवरोध, तांत्रिका से जुड़े विकार आदि।
7. विटामिन-बी9 (Vitamin B9)- यह वस्तुतः फोलिक एसिड होता है जिसकी कमी होने पर मांसपेशियों में कमजोरी, वजन घटना, चक्कर आना, व्यक्तित्व में बदलाव, चिड़चिड़ापन, सांस फूलना, डिप्रेशन, दस्त हो जाना आदि लक्षण प्रकट होते हैं।
8. विटामिन-बी12 (Vitamin B12)- चूंकि यह डीएनए और लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है इसलिये इसकी कमी सबसे अधिक गंभीर और खतरनाक हो सकती है। इसकी कमी से रक्त की कमी हो जायेगी। यह कमी एक अलग प्रकार के एनीमिया का कारण बन सकती है। इसके अलावा न्यूरोलॉजिकल समस्या हो सकती है। थकावट, हाथ-पांव में झनझनाहट, कान बजना, सांस फूलना, सिरदर्द, त्वचा के रंग में परिवर्तन, मुंह में छाले होना आदि इसकी कमी के लक्षण हैं।
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विटामिन-बी कॉम्प्लेक्स के सामान्य स्रोत – Common sources of Vitamin B Complex
दोस्तो, विटामिन-बी मांसाहार से बहुत अधिक मिलता है जैसे मांस, मछली, चिकन, अंडा आदि लेकिन शाकाहारी लोग अनाज, फल, सब्जियों, दूध और डेयरी उत्पाद से प्राप्त कर सकते हैं। विटामिन-बी समूह के विटामिनों के सामान्य स्रोत निम्नलिखित हैं –
(i) मांसाहार – मांस, मछली, चिकन, समुद्री भोजन, अंडे।
(ii) शाकाहार – भूसीवाला गेहूं का आटा, बिना पालिश किया हुआ चावल, मक्का, चना, पौधों के बीज, दाल, दूध, डेयरी उत्पाद, खमीर, हरी पत्तियों के साग, पालक, सेम, मटर, पत्ता गोभी, आलू, गाजर, मूली, नारियल, सुपारी, अखरोट, पिस्ता, बादाम, संतरा, अंगूर, माल्टा।
प्रत्येक विटामिन-बी के अलग-अलग स्रोत – Different Sources of Each B Vitamin
1. विटामिन-बी1 (Vitamin B1)- इसे थायमिन हाइड्रोक्लोराइड भी कहा जाता है। यह रंगहीन और स्वाद में नमकीन हल्का सा कड़वा होता है। इसे मुख्य स्रोत गेहूं, हरे मटर, आलू, संतरा, दूध, खमीर, अंडा, हरी सब्जियां, मूंगफली, चावल और अंकुर वाले बीज हैं।
2. विटामिन-बी2 (Vitamin B2)- राइबोफ्लेविन के नाम से मशहूर इसे विटामिन जी (G) भी कहा जाता है। इसका रंग पीला होता है। अंडे की ज़र्दी, मांस, मछ्ली, दालें, चावल, खमीर, ब्रोकोली, गोभी, पालक, हरी मटर, मशरूम, गेहूं, शकरकंद, दही, दूध, डेयरी उत्पाद, किशमिश, इसके मुख्य स्रोत हैं।
3. विटामिन-बी3 (Vitamin B3)- मशरूम, मूंगफली, मटर, ब्रोकली, आलू, राजमा, सूरजमुखी के फूल, शिमला मिर्च, ओटमील, सोयामिल्क, दूध, अखरोट, अंडे की ज़र्दी, मांस, मछली इस विटामिन के मुख्य श्रोत हैं।
4. विटामिन-बी5 (Vitamin B5)- इस विटामिन को पैंटोथेनिक एसिड के नाम से भी जाना जाता है। एवोकाडो, ब्रोकली, आलू, मशरूम, शकरकंद, बीन्स, मटर, दालें, दूध, खमीर, मक्खन, पिस्ता, ड्राई फ्रूट्स, मांस, मछली, इसके श्रोत हैं।
5. विटामिन-बी-6(Vitamin B6) – इसे पायरीडॉक्सीन भी कहा जाता है। यह विटामिन चावल, गेहूं, दूध, खमीर, केला, मटर, गाजर, पालक, ब्रोकली, शलजम, शिमला मिर्च, शकरकंद, तिल, सूरजमुखी के बीज, एवोकाडो, मांस, मछ्ली, चिकन, अंडे की ज़र्दी में पाया जाता है।
6. विटामिन-बी-7 (Vitamin B7)- इसको बायोटिन के नाम से जानते हैं और विटामिन एच (H) भी कहा जाता है। पालक, ब्रोकली, बीन्स, फूलगोभी, मशरूम, शकरकंद, दूध, दही, पनीर, केला, सेब, एवोकाडो, ओटमील, मूंगफली, बादाम, गेहूं, बाजरा, ज्वार, चावल, मैदा, सोयाबीन, चॉकलेट, आदि इसके मुख्य श्रोत हैं।
7. विटामिन-बी-9 (Vitamin B9)- यह फोलिक एसिड होता है। इसके श्रोतों में अंकुरित अनाज, दलिया, मूंगफली, मटर, सरसों का साग, शलजम, चुकंदर, कसूरी मेथी, सेम, राजमा, सोयाबीन, एवोकाडो, संतरा, दूध, मछली शामिल हैं।
8. विटामिन-बी12 (Vitamin B12)- इस विटामिन का रंग लाल होता है। इसकी यह विशेषता है कि यह पशु आधारित भोजन में मिलता है ना कि वनस्पति जगत से यानी पेड़, पौधों से। इसीलिये शाकाहारियों को इसकी कमी सबसे ज्यादा होती है। हां, दूध और दूध से बने खाद्य पदार्थों में कुछ अंश इस विटामिन का मिल जाता है। इसके अतिरिक्त शाकाहारी लोग विटामिन-बी12 के सप्लीमेंट ले सकते हैं। मांसाहारियों के लिये मांस, मछ्ली, समुद्री भोजन और अंडे विटामिन-बी12 का समृद्ध श्रोत हैं।
प्रत्येक विटामिन-बी की मात्रा – Quantity of each B vitamin
दोस्तो, प्रत्येक विटामिन-बी की अनुशंसित भोजन भत्ता (Recommended Dietary Allowances – RDA) के अनुसार मात्रा अलग-अलग होती है जो निम्न प्रकार है –
महिलाऐं –
विटामिन-बी1: 1.1 मि.ग्रा. (मिलीग्राम)
विटामिन-बी2: 1.1 मि.ग्रा.
विटामिन-बी3: 14 मि.ग्रा.
विटामिन-बी5: 5 मि.ग्रा. (आरडीए स्थापित नहीं)
विटामिन-बी6: 1.3 मि.ग्रा.
विटामिन-बी7 (बायोटिन): 30 माइक्रोग्राम (एमसीजी) (आरडीए स्थापित नहीं)
विटामिन-बी9 (फोलिक एसिड): 400 एमसीजी.
विटामिन-बी12: 2.4 एमसीजी.
पुरुष –
विटामिन-बी1: 1.2 मि.ग्रा. (मिलीग्राम)
विटामिन-बी2: 1.3 मि.ग्रा.
विटामिन-बी3: 16 मि.ग्रा.
विटामिन-बी5: 5 मि.ग्रा. (आरडीए स्थापित नहीं)
विटामिन-बी6: 1.3 मि.ग्रा.
विटामिन-बी7 (बायोटिन): 30 माइक्रोग्राम (एमसीजी)(आरडीए स्थापित नहीं)
विटामिन-बी9 (फोलिक एसिड): 400 एमसीजी
विटामिन-बी12: 2.4 एमसीजी
विटमिन-बी के फायदे – Benefits of Vitamin-B
दोस्तो, विटामिन-बी हमारे शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिये और मुंह, जीभ और आंखों के लिये अत्यंत आवश्यक है। विस्तार से जानते हैं इसके फायदों के बारे में जो निम्न प्रकार हैं –
1. विटमिन-बी शरीर की कोशिकाओं में उपलब्ध ज़ीन और डीएनए को बनाने का काम करते हैं। इसके अतिरिक्त इनकी मरम्मत का काम भी यही विटामिन करते हैं।
2. यह विटामिन रीढ़ की हड्डी, बुद्धि और नसों के कुछ तत्वों को बनाने के काम में मदद करता है।
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3. यह विटामिन लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है।
4. विटामिन-बी, रक्त में मौजूद श्वेत रक्त कोशिकाओं (White Blood Cells) की रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं जिससे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता (Immunity) भी बढ़ती है।
5. तन्त्रिकाओं (Nerves) को स्वस्थ बनाये रखना।
6. त्वचा, उत्तकों, हड्डियों और मांसपेशियों को स्वस्थ बनाये रखने का काम करता है।
7. त्वचा को नर्म और चमकदार बनाये रखने तथा उसे स्वस्थ रखने का काम करता है।
8 भोेजन के प्रति अरूची होना, अपच की समस्या, मंदाग्नि, अतिसार, आदि पर नियंत्रण करना।
9. मेटॉबालिज्म को बढ़ाता है। भोजन पचाने में पाचन-तंत्र की कार्य प्रणाली में सहयोग देना।
10. भूख बढ़ाकर भोजन का अंगों के लिये उचित उपयोग करवाना।
11. भोजन के द्वारा शरीर को आवश्यक जीवन शक्ति प्रदान करना।
12. यह विटामिन शरीर के पोषक तत्वों को ऊर्जा में बदलने में सहायता करता है।
13. विटामिन-बी, शारीरिक स्वास्थ के अतिरिक्त मस्तिष्क को भी स्वस्थ बनाये रखता है।
14. विटामिन-बी हमारी स्मरणशक्ति को बढ़ाने में सहायता प्रदान करता है।
15. अनेक प्रकार के रोगों से दूर रखना।
विटामिन-बी, अधिक मात्रा में लेने के नुकसान – Vitamin-B, Side Effects of Taking in Excess
1. त्वचा में एलर्जी हो सकती है।
2. अनिद्रा यानी नींद ना आने की समस्या हो सकती है।
3. सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। या कोई अन्य सांस सम्बन्धी समस्या हो सकती है।
4. सीने में दर्द बन सकता है।
5. विटामिन-बी3 (नियासिन) की अधिक मात्रा से उल्टी लग सकती है। बल्ड में शुगर का लेवल बढ़ सकता है।
6. विटामिन-बी3 (नियासिन) की अधिक मात्रा से लिवर की समस्या हो सकती है।
7. विटामिन-बी6 की उच्च मात्रा से तंत्रिका की हानि हो सकती है और त्वचा के घावों में, यह दर्द की वजह बन सकती है।
8. ज्यादा लंबे समय तक विटामिन-बी9 की अनियमित और अधिक मात्रा लेने से किडनी खराब होने की संभावना बन सकती है जिससे कैंसर का जोखिम हो सकता है।
9. गर्भवती महिला को डॉक्टर की सलाह पर विटामिन-बी लेना चाहिये क्योंकि यह गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। या स्वयं गर्भवती महिला के स्वास्थ के लिये भी हानिकारक हो सकता है।
10। मूत्र में विकृति हो सकती है, यद्यपि यह खतरनाक स्थिति नहीं है परन्तु संभवतः इसका कारण यह हो सकता है कि शरीर से, अतिरिक्त विटामिन का उपयोग ना होकर बाहर आ रहा है।
Conclusion –
दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको विटामिन-बी के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। विटामिन क्या है, विटामिन-बी क्या है, विटामिन ‘बी’ कॉम्प्लेक्स के आठ विटामिनों के नाम क्या हैं और उनका विवरण, विटामिन ‘बी’ कॉम्प्लेक्स की कमी से होने वाले रोग, विटामिन ‘बी’ कॉम्प्लेक्स के प्रत्येक विटामिन की कमी से होने वाले प्रभाव/रोग क्या हैं, विटामिन-बी कॉम्प्लेक्स के सामान्य स्रोत क्या हैं, प्रत्येक विटामिन-बी के अलग-अलग स्रोत क्या हैं, प्रत्येक विटामिन-बी की मात्रा इन सब के बारे में भी बहुत विस्तारपूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से आपको विटामिन-बी के फायदे और नुकसान भी विस्तार से बताये। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा।
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Disclaimer – यह लेख केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।
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