Advertisements

विटामिन-डी की कमी कैसे दूर करें

प्रिय मित्रगण, आज हम बात करेंगे विटामिन-डी की कमी कैसे दूर करें । आखिर क्या है ये, क्यों आवश्यक है हमारे जीवन के लिये, इसकी कमी का प्रमुख कारण क्या है, क्या इसके कुप्रभाव हैं? और इसकी उपलब्धता के मुख्य क्या स्रोत हैं? तो मित्रो, सबसे पहले जानते हैं कि विटामिन डी के बारे में।  

सभी को अपने अपने रोजगार के लिये सुबह जाना होता है और देर रात को घर आते हैं, इनको समय ही नहीं मिल पाता धूप सेकने का, वैसे भी शहर तो क्या गांवों भी ऊंचे-ऊंचे मकान, अट्टालिकाएँ, इमारतों  के कारण धूप नहीं आ पाती इसलिए अवकाश वाले दिन भी व्यक्ति धूप नहीं सेक पाते।  महिलाओं व छोटे-बड़े बच्चों को भी धूप नहीं मिल पाती है। जोड़ों का दर्द इन दिनों कॉमन प्रॉब्लम बन गया है। हर उम्र के लोग इस दर्द का शिकार बन रहे हैं। अक्सर दर्द की वजह विटामिन डी की कमी होती है। हैरानी की बात है कि शहरों में रहने वाले करीब 80-90 फीसदी लोग विटामिन डी की कमी से होने वाली समस्याओं से जूझ रहे हैं। 

Advertisements
विटामिन-डी की कमी कैसे दूर करें
Advertisements

विटामिन-डी की कमी कैसे दूर करें

ये वसा-घुलनशील प्रो-हार्मोन का एक समूह होता है जिसके दो प्रमुख रूप हैं – 1.विटामिन डी 2 (या अर्केल फेरोल). डी 2 पौधों से जैसे- मशरूम (लेकिन जो धूप में उगे हुए होते हैं) और फोर्टिफाइड फूड्स से मिलता है। 

Advertisements

2.विटामिन डी 3 (या कॉलेकैल्सिफेरॉल)

विटामिन डी 3 पशुओं से मिलता है, जैसे- मछली, फिश ऑयल, अंडे की जर्दी, मक्खन और डायटरी सप्लीमेंट्स,

त्वचा जब धूप के संपर्क में आती है तो शरीर में विटामिन डी निर्माण की प्रक्रिया आरंभ होती है। अत: धूप इसका प्रमुख स्रोत है और जब यही नहीं मिल पाएगी तो कमी तो हो ही जायेगी ना। 

Advertisements

ये भी पढ़े:- अजवाइन के फायदे – Benefits of Celery in Hindi

विटामिन-डी का प्रमुख कार्य 

कैल्शियम को शरीर में बनाए रखने में विटामिन-डी से मदद मिलती है, जो हड्डियों की मजबूती के लिए बेहद जरूरी होता है, इसके अभाव में हड्डी कमजोर हो जाती हैं और टूट भी सकती हैं। छोटे बच्चों में यह स्थिति रिकेट्स कहलाती है और बड़ों में हड्डी के मुलायम होने को ओस्टीयोमलेशिया कहते हैं। 

इसके अतिरिक्त विटामिन डी कैंसर, क्षय रोग जैसे रोगों से भी बचाव करता है। हमारे शरीर में टी- कोशिकाएं होती हैं जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मुख्य भूमिका निभाती हैं।  विटामिन डी शरीर की टी-कोशिकाओं की क्रियाविधि में वृद्धि करता है, जो किसी भी बाहरी संक्रमण से शरीर की रक्षा करती हैं, यदि इन कोशिकाओं को रक्त में पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी नहीं मिलता, तो वे अपना कार्य भी नहीं करती हैं। 

उम्र के अनुसार विटामिन-डी की जरूरत 

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च  (Indian council of medical research) के अनुसार भारतीयों के लिए RDA (Recommended Dietary Allowance) की मात्रा उम्र के हिसाब से जो होनी चाहिए वह निम्न प्रकार है जैसे-

1-50 साल : 5 माइक्रोग्राम्स (200 IU)

50 साल या उससे ज्यादा : 10 माइक्रोग्राम (400 IU)

गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माँ : 5 माइक्रोग्राम (200 IU)

विटामिन-डी की कमी के लक्षण तथा कुप्रभाव

1. हड्डियों, पीठ और मांसपेशियों में दर्द – यदि हड्डियों में दर्द व कमजोरी के साथ ही मांसपेशियों में लगातार दर्द महसूस होता है, तो यह विटामिन डी की कमी के कारण हो सकता है। विटामिन डी हड्डियों के लिए अति आवश्यक होने के साथ ही दांतों और मांसपेशियों के पोषण के लिए भी बहुत जरूरी है। विशेषकर वृद्धावस्था में इसकी कमी के कारण हड्डियां बार-बार टूटने लगती हैं।

2. बार-बार बीमार पड़ना – विटामिन-डी के कमी के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है जिसके कारण बार-बार सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार या लंग इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।

3. उच्च रक्तचाप – विटामिन-डी 3 की कमी का असर आपके ब्लड प्रेशर यानी रक्तचाप पर पड़ सकता है। जिसकी वजह से दिल का दौरा पड़ने की संभावना रहती है, इसलिए रक्तचाप को हमेशा नियंत्रण में रखने की जरूरत होती है। 

4 . तनाव एवं उदासी – विशेष तौर पर महिलाओं में विटामिन-डी की कमी से तनाव की समस्या पैदा हो जाती है और वे लगातार उदासी महसूस करती हैं। महिलाओं में विटामिन डी की आवश्यकता अधिक होती है। महिलाओं में विटामिन डी की कमी के मामले ज्यादा होते हैं. क्योंकि महिलाएं प्रतिमास पीरियड्स (माहवारी) से गुजरती है। साथ ही, प्रेग्नेंसी के बाद भी यह कमी देखी गई है।

5. मूड पर असर – शरीर में विटामिन-डी की कमी से सेरोटोनिन हार्मोन के निर्माण पर असर पड़ता है जो बदलते मूड के लिये जिम्मेदार हो सकता है। 

6. आलस्य और थकावट – शरीर में ताकत की कमी, थकावट और आलस्य, हमेशा नींद महसूस होना, किसी भी कार्य में मन ना लगना विटामिन डी की कमी के लक्षण हो सकते हैं, इसलिये विटामिन डी के स्तर की जांच करवा लेनी चाहिये। 

7. रिकेट्स या सूखा रोग – यद्यपि आजकल इस रोग के की संभावना ना के बराबर हो गई है लेकिन इसकी अत्यधिक कमी के कारण बच्चों में सूखा रोग होने की संभावना हो जाती है।

यदि आपको उपरोक्त लक्षण महसूस होते हैं तो आप डॉक्टर से सलाह लें और टेस्ट करवायें।

विटामिन-डी टेस्ट

शरीर में विटामिन-डी के स्तर पर नजर रखने का सबसे बेहतर तरीका 25-हाइड्रोक्सी विटामिन-डी (25-hydroxy vitamin D) टेस्ट माना जाता है। खून में ’25-हाइड्रोक्सी’ विटामिन-डी की मात्रा का कम होना एक अच्छा संकेत होता है, जो आपके शरीर में विटामिन डी की मात्रा को बताता है। 

इस टेस्ट को 25-ओएच विटामिन डी (25-OH vitamin D) और कैलेसीडियल 25- हाइड्रोक्सीकोलेकैल्सीफोएरोल (Calcidiol 25-hydroxycholecalciferol) टेस्ट भी कहा जाता है। यह ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों में कमजोरी) और रिकेट्स (हड्डियों में विकृति) की जाँच हेतु एक महत्वपूर्ण टेस्ट हो सकता है।

विटामिन-डी की कमी को पूरा करने के देसी उपाय

दोस्तो डॉक्टर विटामिन-डी की कमी को दूर करने के लिये आपको गोली, कैप्सूल, पाउडर (शैसे), इंजेक्शन आदि की देते हैं। हम आपको बताएँगे कि प्राकृतिक तौर पे और खानपान के जरिये विटामिन-डी की कमी कैसे दूर करें।

धूप सेंकना (Sunbathe)

धूप विटामिन डी का सर्वोत्तम प्राकृतिक स्रोत है। धूप सीधे स्किन पर पड़नी चाहिये। जब भी धूप सेकने जाएं तो कोशिश करें कि चेहरा, गर्दन, कंधा, छाती, पीठ खुली हो। ताकि धूप शरीर में प्रवेश कर सके। हफ्ते में 1-2 दिन या महीने में कुल 4-5 दिन आप 45 मिनट के लिए धूप में बैठते हैं तो काफी हद तक विटामिन डी की खुराक पूरी हो जाती है। गर्मियों में सुबह 8-10 बजे और शाम को 4-6 बजे और सर्दियों में सुबह 9-12 बजे और शाम को 3-5 बजे के बीच का बेहतर है। एक बार शरीर में जाने के बाद विटामिन डी लिवर में स्टोर हो जाता है और फिर धीरे-धीरे लिवर जरूरत के मुताबिक इसे ब्लड में रिलीज करता रहता है। 

एक्सरसाइज (Excercise)

एक्सरसाइज रक्त में व्याप्त विटामिन-डी और कैल्शियम को जज्ब करने में भी मदद करती है। रोजाना कम-से-कम 30 मिनट एक्सरसाइज से आप सारा दिन फिट एवं चुस्त दुरुस्त रहते है। एक्सरसाइज में कार्डियोवस्कुलर, स्ट्रेंथनिंग और स्ट्रेचिंग को मिलाकर करें। कार्डियो के लिए साइकिलिंग, एरोबिक्स, स्विमिंग या डांस, स्ट्रेंथनिंग के लिए वेट लिफ्टिंग और स्ट्रेचिंग के लिए योग कर सकते हैं। कम-से-कम 45 मिनट ब्रिस्क वॉक यानी तेज-तेज वॉक भी फायदा करेगी। 

दूध (Milk)

स्वास्थ्य विशेषज्ञ और पोषण विशेषज्ञ दैनिक आहार में एक गिलास गाय के दूध लेने का सुझाव देते हैं, जो विटामिन डी की आपकी दैनिक जरूरत का 20% देता है। गाय का दूध विटामिन डी और कैल्शियम का एक बड़ा स्रोत है। सुनिश्चित करें कि आप पूर्ण वसा वाला दूध पीते हैं, क्योंकि इसमें विटामिन डी की अधिकतम सामग्री होती है।

दही (Curd)

दही/योगर्ट विटामिन-डी का अच्छा स्रोत है। प्रोटीन से भरपूर, योगर्ट में भी विटामिन डी के साथ फोर्टिफाइड होते हैं। 8-औंस में लगभग 5 आईयू होते हैं। विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए खाने में दही को सम्मिलित करना चाहिये। प्रोटीन और विटामिन डी से भरपूर दही आपकी बॉडी में विटामिन डी की कमी को पूरा करेगी। घर का बना हुआ ताजा दही सबसे बेहतर होता है।

ये भी पढ़े:- Morning Walk के फायदे

पनीर (Cheese)

चीज़  दूध का उत्पादन है। यह विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन बी 12, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम जैसे अन्य लाभकारी पोषक तत्वों से भरपूर होने के साथ साथ विटामिन डी से भरपूर होता है। और टॉप फूड्स में से एक है माना जाता है। रिकोटा चीज़ अन्य चीज की तुलना में ज्यादा विटामिन डी देता है। स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ के रूप में पनीर श्रेष्ठ खाद्य पदार्थ है, क्योंकि इसमें प्रोटीन, मांस के समान यथेष्ट मात्रा में होता है। पनीर कैल्शियम के अतिरिक्त का विटामिन डी प्रचुर मात्रा में होता है।(140 IU प्रति 40 ग्राम होता है [यानी लगभग 350 IU प्रति 100 ग्राम)। इसे अपने खाने में शामिल करना चाहिये।

मशरूम (Mushroom)

सूर्य की रोशनी में उगने के कारण मशरूम में विटामिन-डी प्रचुर मात्रा में होता है। परन्तु सभी में एक समान नहीं होता। प्राकृतिक धूप में सुखाये जाने वाले मशरूम ही अच्छे होते हैं। मशरूम में विटामिन B1, B2, B5 और तांबा जैसे खनिज भी होते हैं।

दलिया (Oatmeal)

दलिया साबुत अनाज का ही प्रारूप है और, विटामिन डी और प्रोटीन का एक भरपूर स्रोत, इसमें लो कैलोरी और फाइबर भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। नाश्ते में दलिया खाने से दिनभर के लिए जरूरी सभी तत्व पूरे हो जाते हैं। प्रतिदिन एक कप दलिया खाकर शरीर में विटामिन बी1, बी2, मिनरल्स, मैग्नीशियम, मैग्नीज आदि की पूर्ति की जा सकती है। इसमें मौजूद न्यूट्रिएंट्स शरीर से एंटीऑक्सीडेंट को बाहर निकालकर कई बीमारियों से बचाते हैं। इसे दूध या फलों के साथ बनाया जाये तो इसके गुण भी इसमें आ जाते हैं और लाभकारी भी अधिक होता है।

संतरा (Orange)

संतरे में विटामिन सी और डी भरपूर मात्रा में होता है। संतरे का जूस हड्डियों को मजबूत करने वाले खनिज पदार्थों को अवशोषित करता है जो कि शरीर को एनर्जी और मजबूती देने के लिए जरूरी होता है। एक कप संतरे के रस से पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी मिल जाता है। यह फोलेट और पोटेशियम से भी युक्त होता है।

गाजर (Carrot)

विटामिन-डी की कमी होने पर गाजर खाना भी फायदेमंद होता है। गाजर के रस का एक गिलास पूर्ण भोजन के समान होता है इसके सेवन से रक्त में वृद्धि होती है. मधुमेह आदि को छोड़कर गाजर प्रत्येक रोग में सेवन की जा सकती है। गाजर के रस में विटामिन ‘A’,’B’, ‘C’, ‘D’,’E’, ‘G’, और ‘K’ मिलते है। गाजर खाने से बेहतर होगा कि गाजर का जूस पीया जाये।

मछली (Fish)

मांसाहारियों के लिये मछली विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत है. सॉल्‍मन, टुना और सार्डिन मछली से विटामिन डी प्रचुर मात्रा मिल जाता है. सॉल्‍मन –  विटामिन डी  526 IU (100 ग्राम), टुना –  विटामिन D के 268 IU (100 ग्राम) और सार्डिन मछली से 193 IU (100 ग्राम) विटामिन डी मिल जाता है।  कार्ड लिवर ऑयल में भी काफी मात्रा में विटामिन डी पाया जाता है। यदि आपको मछली खाना पसंद नहीं है तो आप अंडे को भी भोजन में शामिल कर सकते हैं।  इससे भी विटामिन डी की कमी नहीं होती है।

अंडा (Egg)

अक्सर देखा गया है कि कुछ व्यक्ति अंडे की जर्दी ही खाते हैं और कुछ केवल सफेद हिस्सा, जबकि सर्दी से ही अंडे में विटामिन डी बनता है, इसलिए पूरे अंडे को ही खाना चाहिए।  अंडे का सफेद वाला हिस्सा विटामिन डी से भरपूर होता है।  जिनको दूध पीना अच्छा नहीं लगता या नहीं पी सकते उनके लिए अंडा अच्‍छा विकल्‍प है।

ये भी पढ़े:- निम्बू पानी के फायदे और नुकसान

विटामिन-डी की अधिक खुराक से होने वाली समस्याएं

कोई व्यक्ति  डॉक्टर की सलाह लिये बिना विटामिन-डी की गोलियां, शैसे आदि लेना शुरु कर देते हैं जो कि गलत है। विटामिन-डी का अधिक सेवन हानिकारक भी हो सकता है। इसकी अत्यधिक मात्रा हाइपरकैल्सीमिया (Hypercalcemia) का कारण भी बन सकती है। इस स्थिति में खून में कैल्शियम का स्तर सामान्य से ऊपर हो जाता है। विटामिन डी का उच्च स्तर कैल्शियम की वृद्धि की ओर जाता है, जिसे आपका शरीर अवशोषित करता है और यह कई जटिलताओं का कारण बन सकता है, जैसे कि भूख न लगना, भ्रम और उच्च रक्तचाप। इसके अतिरिक्त दिल की धड़कन का अनियमित होना (जिससे दिल के दौरे का खतरा बढ़ सकता है), सीने में दर्द, थकावट चक्कर आना, किडनी का प्रभावित होना, फेफड़ों की क्षति, ब्रेन स्ट्रोक का खतरा होना आदि, समस्या हो सकती हैं।

conclusion

दोस्तों इस लेख में हमने आपको  विटामिन-डी की कमी कैसे दूर करें इसके बारे में बताया है। और इसकी हमारे शरीर के लिये क्या आवश्यकता है, इसकी कमी और लक्षण तथा हानि पर प्रकाश डाला। साथ ही इसकी कमी को पूरा करने के प्राकृतिक व देसी खानपान से पूर्ति के उपाय भी बताएं। आशा है कि आज का यह लेख आपको पसन्द आयेगा। यदि आपके मन में इसको लेके कोई भी सवाल है तो आप हमे कमेंट करके पूछ सकते हैं। हम उसका उत्तर देने की पूरी कोशिश करेंगे। अगर आपको यह जानकारी पसंद आयी हो तो कृपया आप इस पोस्ट को दूसरों के साथ शेयर भी कीजिए। इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

Disclaimer :- प्रिय पाठकगण, विटामिन-डी से संबंधित किसी भी समस्या के लिये कृपया डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। इस बारे में, अपनी मर्जी से कोई दवा ना लें। ब्लॉगर किसी भी प्रकार की हानि के लिये उत्तरदायी नहीं  होंगे।

2 thoughts on “विटामिन-डी की कमी कैसे दूर करें

  1. Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page