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विटामिन-E के फायदे – Health Benefits of Vitamin- E in Hindi

विटामिन-E के फायदे

दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, हर विटामिन की अपनी महत्ता होती है, शरीर के लिये उसका अपना रोल होता है। देसी हैल्थ क्लब ने अपने पिछले आर्टिकल्स में आपको कई विटामिनों के बारे में जानकारी दी है जैसे विटामिन-बी, सी, डी, एफ़ और के। विटामिन की इस श्रंखला को आगे बढ़ाते हुऐ आज, हम आपके लिये एक और विटामिन लेकर आये हैं जिसका अपना अलग ही रोल है। यह त्वचा की रक्षा करता है तो लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में अपनी अहम भूमिका निभाता है। जी हां, इस विटामिन का नाम है विटामिन-Eजिसके शरीर के लिये अनेक फायदे होते हैं। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “विटामिन-E के फायदे”। 

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको विटामिन-E के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि विटामिन-E, के क्या फायदे होते हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि विटामिन-E क्या है और विटामिन-E के क्या कार्य हैं? फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।

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विटामिन-E के फायदे
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विटामिन-E क्या है? – What is Vitamin-E?

दोस्तो, विटामिन-E वसा में घुलनशील विटामिन है। वस्तुतः यह आठ यौगिकों का समूह है जिसमें चार टोकोफेरोल्स (अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा) और चार टोकोट्रिऑनोल (अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा) सम्मलित हैं। विटामिन-E की खोज 1922 में डॉ. हर्बर्ट इवांस और कैथरीन बिशप ने की थी। यह प्राकृतिक रूप से कई खाद्य पदार्थों में पाया जाता है जिसका जिक्र हम आगे करेंगे। 

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विटामिन-E के क्या कार्य हैं? – What are the Functions of Vitamin-E? 

विटामिन-E के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं –

1. विटामिन-E के शक्‍तिशाली एंटीऑक्‍सीडेंट त्‍वचा को क्षतिग्रस्‍त होने से बचाते हैं।

2. विटामिन-E  शरीर को ऑक्सीजन रेडिकल्स (Oxygen Radicals) से बचाता है यह ऑक्सीजन का एक नुकसानदायक रूप है। इस गुण को एंटीऑक्‍सीडेंट कहते हैं। 

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3. विटामिन-E रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में मदद करता है। 

4.  विटामिन-E शरीर में अंगों को सामान्य रूप में बनाये रखने और उनके क्रिया कलाप में मदद करता है जैसे कि मांसपेशियां तथा कोशिकाएं।

5. विटामिन-E  प्रोस्‍टाग्‍लैंडिन नामक हार्मोन के उत्‍पादन में सक्रिय भूमिका निभाता है। यह हार्मोन कई शारीरिक प्रक्रियाओं जैसे कि ब्‍लड प्रेशर और मांसपेशियों के संकुचन को नियंत्रित करता है।  

6. विटामिन-E प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य में भी सक्रिय भूमिका निभाता है। ये संक्रमण के विरुद्ध लड़ने में कोशिकाओं की मदद करता है। 

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विटामिन-E की प्रतिदिन की मात्रा – Daily Value of Vitamin-E 

अनुशंसित आहार भत्ता (Recommend Dietary Allowance) के अनुसार विटामिन-E की प्रतिदिन की मात्रा निम्न प्रकार है – 

1. बच्चे (पुरुष/महिला)

(i) जन्म से लेकर 6 महीने तक  – 4 मिलीग्राम

(ii) 7 से 12 महीने तक            – 5 मिलीग्राम

(iii) 1 से 3 वर्ष तक                 – 6 मिलीग्राम

(iv) 4 से 8 वर्ष तक                 – 7 मिलीग्राम

(v) 9 से 13 वर्ष तक               – 11 मिलीग्राम

2. किशोर/किशोरी –

14 से 18 वर्ष तक             – 15 मिलीग्राम

3. वयस्क (पुरुष/महिला) –

18 वर्ष से अधिक                   – 15 मिलीग्राम

4. गर्भवती महिला-           – 15 मिलीग्राम

5. स्तनपान कराने 

वाली महिला                   – 19 मिलीग्राम

विटामिन-E की कमी के कारण – Couse of Lack of Vitamin-E

विटामिन-E की कमी के हो सकते हैं निम्नलिखित कारण :-

1. आहार में सब्जियों विशेषकर हरी सब्जियों की और फलों की कमी होना।

2. जंक फूड, डिब्बा-बंद खाद्य पदार्थों का सेवन करना।

3. ऐसी स्थितियां जो शरीर को विटामिन-E, का अवशोषण करने से रोकती हैं जैसे सिस्टिक फाइब्रोसिस, गंभीर अग्नाशयशोथ, कोलेस्टेसिस रोग, छोटी आंत सिंड्रोम, क्रोन रोग, प्राइमरी बाइलरी सिरोसिस आदि।

4. जेनेटिक स्थितियां भी विटामिन-E की कमी का कारण हो सकती हैं। एबिटालिपोप्रोटीनेमिया (abetalipoproteinemia) और फेमिलिआल दोनों ही पुरानी स्थितियां पुरानी होती हैं, परिणामस्वरूप शरीर में विटामिन-E, का स्तर बहुत ही कम होता है। 

5. जेनेटिक की दुर्लभ तंत्रिका संबंधी स्थितियों पर आधारित, स्थिति है जिसे गतिभंग (Ataxia) कहा जाता है, यह स्थिति मांसपेशियों के नियंत्रण व समन्वय को प्रभावित करती है तथा 5 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों में इसके विकसित होने की संभावना अधिक रहती है। 

6. समय से पहले पैदा होने वाले नवजात शिशुओं में  विटामिन-E की कमी की संभावना रहती है।

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विटामिन-E की कमी की स्थितियां और लक्षण – Conditions and Symptoms of Vitamin-E Deficiency

विटामिन-E की कमी से निम्नलिखित स्थितियां बन सकती हैं या लक्षण प्रकट हो सकते हैं –

1. शरीर में विटामिन-E की कमी हो जाने से एंटीऑक्सिडेंट भी कम हो जाते हैं, परिणामस्वरूप ये न्यूरॉन्स जोकि ज्यादातर कवर या शीत्स, फैट्स से बने होते हैं, इन फैट्स को सुरक्षित नहीं कर पाते। अतः नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है।

2. ऑक्सिडेटिव स्टैस पैदा होता है। 

3. संज्ञानात्मक कार्यों में बाधा आना जैसे ध्यान और एकाग्रता में कमी होना, सीखने और याद रखने में परेशानी होना। 

4. मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं।

5. मांसपेशियों में मौजूद फैट की मात्रा में कमी होने लगती है जिससे मांस घटने लगता है। 

6. विटामिन–E की कमी होने से पुरकिंजे न्यूरॉन्स (Purkinje neurons) का विघटन होने लगता है जिससे संकेतों को भेज पाने की क्षमता की क्षति होती है। परिणामस्वरूप शरीर के अंगों का आपस में समन्वय और संतुलन बिगड़ जाते हैं। इससे क्रिया के उत्तर में प्रतिक्रिया की गति पर असर पड़ता है। 

7. सुन्नता और कंपकंपी। यह एक न्यूरोलॉजिकल समस्या का लक्षण है जिसमें सेंट्रल और पेरिफेरल नर्वस सिस्टम के नष्ट होने का संकेत मिलता है जिसके चलते न्यूरॉन्स पूरी बॉडी में ठीक से संकेत नहीं भेज पाते हैं।

8. विटामिन-E की पर्याप्त मात्रा के अभाव में इम्यून सिस्टम गड़बड़ा जाता है। इससे इम्यून कोशिकाओं में रुकावट आती है। परिणामस्वरूप संक्रमण के कारण बीमारियां जल्दी-जल्दी होंगी और मरीज जल्दी से ठीक भी नहीं हो पायेगा। ऐसी स्थिति अधिकतर वयस्कों में होने की संभावना रहती है।  

9. विटामिन-E की कमी के कारण रेटिना और आंख की अन्य कोशिकाओं में लाइट रिसेप्टर्स कमजोर पड़ जाते हैं जिससे दृष्टि दोष या दृष्टि हीनता की संभावना बन जाती है। 

10. विटामिन-E की कमी से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।  

11. विटामिन-E की कमी से त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

12. विटामिन-E की कमी के कारण बालों के झड़ने जैसी तथा अन्य समस्याएं हो सकती हैं। 

विटामिन-E की कमी से होने वाले रोग – Vitamin-E Deficiency Diseases

विटामिन-E की कमी से हो सकते हैं निम्नलिखित रोग –

1. एनीमिया (Anemia)- रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं की मात्रा कमी होने पर रक्त की कमी हो जाती है।

2. पीलिया (Jaundice)- लंबे समय से विटामिन-E की कमी से बिलीरुबिन का स्तर बढ़ जाता है जिससे पीलिया रोग होने की संभावना बन जाती है।  

ये भी पढ़ें- पीलिया से छुटकारा पाने के उपाय

3. गंभीर अग्नाशयशोथ (Severe Pancreatitis) – यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें बहुत ही कम समय में अग्नाशयशोथ में सूजन हो जाती है। पेट के मध्य भाग में अचानक तेज दर्द होना, जी मिचलाना, उल्टी होना इस रोग के सामान्य लक्षण हैं। 

4. कोलेस्टेसिस रोग (Cholestasis) – यह लिवर से संबंधित रोग है जिसको पित्तस्थिरता भी कहा जाता है। लिवर द्वारा निर्मित यह एक ऐसा द्रव है जो भोजन को पचाने में मदद करता है। इस रोग में लिवर से पित्त का प्रवाह कम हो जाता है या रुक जाता है। 

5. सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic Fibrosis)- यह ऐसा रोग है जो पाचन तंत्र, फेफड़ों और शरीर के अन्य अंगों को गंभीर हानि पहुंचाता है। यह उन कोशिकाओं को क्षति पहुंचाता है जो पाचन रस, पसीना और बलगम उत्पन्न करती हैं। 

6. प्राथमिक पित्तवाहिनीशोथ (Primary Biliary Cirrhosis) – यह एक ऑटोइम्यून रोग है जो लिवर को प्रभावित करता है। इसे पहले प्राथमिक पित्त सिरोसिस के नाम से जाना जाता था। यह लिवर की छोटी पित्त नलिकाओं के धीमे, प्रगतिशील विनाश के कारण होता है, जिससे पित्त और अन्य विषाक्त पदार्थ लिवर में एकत्र हो जाते हैं। लिवर के ऊतकों को और धीमी क्षति से फाइब्रोसिस और सिरोसिस हो सकता है। 

7. क्रोन रोग (Crohn’s Disease) –  यह लंबे समय तक चलने वाला इंफ्लामेटरी रोग है जो क्रोनिक रोग की श्रेणी में आता है। यह रोग पाचन तंत्र में सूजन, जलन और लालिमा पैदा करता है। यह सूजन पाचन तंत्र के किसी भी हिस्से (मुंह से लेकर मलद्वार तक) में हो सकती है, परन्तु यह छोटी आंत (इलियम) या बड़ी आंत (कोलन) को प्रभावित करता है। 

8. छोटी आंत सिंड्रोम (Short Bowel Syndrome)- लघु आंत्र सिंड्रोम (एसबीएस  या छोटी आंत ) एक दुर्लभ कुअवशोषण  (malabsorption) विकार है जो कार्यात्मक छोटी आंत की कमी की वजह से होता है। इस स्थिति में शरीर छोटी और शिथिल छोटी आंत के कारण भोजन से पोषक तत्वों का अवशोषण करने में असमर्थ हो जाता है।  इसमें डिहाइड्रेशन, कुपोषण, वजन कम हो जाना, सूजन, थकान, लैक्टोज असहिष्णुता और दुर्गंधयुक्त मल जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं।

विटामिन-E के स्रोत – Sources of Vitamin-E

दोस्तो, अब बताते हैं आपको कुछ निम्नलिखित खाद्य पदार्थों के नाम जिनके द्वारा आपको विटामिन-E मिल जाता है। प्रत्येक खाद्य पदार्थ की मात्रा 100 ग्राम से मिलने वाले विटामिन-E की मात्रा का विवरण निम्न प्रकार है –

1. सूरजमुखी के बीज – 35.17 मिलीग्राम।

2. गेहूं के बीज का तेल – 149.40 मिलीग्राम। 

3. एवोकाडो –  2.07 मिलीग्राम।

4. कीवी –  1.46 मिलीग्राम।

5. पालक –  2.03 मिलीग्राम।

6. ब्रोकली –   0.78 मिलीग्राम।

7. टमाटर –  0.54 मिलीग्राम।

8. पीनट बटर –  9.1 मिलीग्राम।

9. ऑलिव ऑयल –  3.81 मिलीग्राम।

10. सोयाबीन ऑयल –  12.1 मिलीग्राम।

11. पीनट ऑयल –  15.7 मिलीग्राम।

12. कॉर्न ऑयल –  14.8 मिलीग्राम।

13. बादाम –  25.63 मिलीग्राम।

14. हेज़लनट –  17.5 मिलीग्राम।

15. चिलगोजे (पाइन नट्स) –  9.33 मिलीग्राम।

16. सूखे खुबानी –  4.33 मिलीग्राम।

17. पिस्ता –  2.8 मिलीग्राम।

18. काजू –  0.9 मिलीग्राम।

19. अजवायन –  0.75 मिलीग्राम। 

20. मछली –  1.0 से 2.8 मिलीग्राम।

21. अंडा –  1.1 मिलीग्राम। 

22. मांस –  0.1 मिलीग्राम।

विटामिन-E के फायदे – Bemefits of Vitamin- E

दोस्तो, अब नज़र डालते हैं विटामिन-E के फायदों पर जो निम्न प्रकार हैं –

1. रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाये (Boost Immunity)- विटामिन-E, प्रतिरक्षा प्रणाली के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण विटामिन है। बुजुर्गों के लिये तो और भी आवश्यक है क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ यह कम होने लगती है। ऐसे में खाद्य पदार्थों से मिलने वाला विटामिन-E, सभी में इम्युनिटी को बढ़ाने का काम करता है विशेष तौर पर बुजुर्गों को इसका फायदा अधिक होता है। यह विटामिन वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से हमारी रक्षा करता है। 

2. आंखों के लिए फायदेमंद (Beneficial for Eyes)- विटामिन-E के फायदे आंखों के लिए भी देखे जा सकते हैं। यह आंखों की लंबे समय तक रक्षा करता है। एक रिसर्च यह बताती है कि विटामिन-E का सेवन करने वालों में मोतियाबिंद की समस्या कम देखी गई है। इसके अतिरिक्त एज़ रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेशन (Age-related macular degeneration-AMD) की वजह से होने वाले अंधेपन के खतरे को कम करने में विटामिन-E की सशक्त भूमिका होती है। एंटीऑक्सीडेंट, ज़िंक और कॉपर के साथ प्राकृतिक रूप से मिलने वाले विटामिन-E या इसके सप्लीमेंट्स AMD से ग्रस्त मरीज के अंधेपन की संभावना को कम करते हैं।

3. मस्तिष्क स्वास्थ के लिये फायदेमंद (Beneficial for Brain Health)- खाद्य पदार्थों से जो विटामिन-E प्राप्त होता है उसका मस्तिष्क स्वास्थ पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। यह मस्तिष्क के स्वास्थ को बनाये रखता है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को दूर करने में मदद करता है। चूंकि यह अल्जाइमर का एक कारण होता है इसलिये इसे समाप्त कर याददाश्त को सुधारने में मदद करता है।

इस प्रकार यह अल्जाइमर के लक्षण को कम करके राहत दिलाता है। शरीर में विटामिन-E की कमी को पूरा करने के लिये विटामिन-E युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें जैसे सूरजमुखी के बीज, हरी पत्तेदार सब्जियां कीवी, एवोकाडो आदि। इसके अलावा डॉक्टर की सलाह के अनुसार 3 से 15 मि।ग्रा तक विटामिन-E सप्लीमेंट्स लिये जा सकते हैं।

ये भी पढ़ें- अल्जाइमर क्या है?

4. फ्री रेडिकल्‍स के विरुद्ध लड़े (Fight Against Free Radicals)- विटामिन-E का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह फ्री रेडिकल्‍स के विरुद्ध लड़कर कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाता है। जिससे ह्रदय रोग, डिमेंशिया और कैंसर आदि की संभावना कम हो जाती है। फ्री रेडिकल्‍स के विरुद्ध लड़ने का काम विटामिन-E में प्रचुर मात्रा में मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट्स करते हैं। ये फ्री रेडिकल्‍स की प्रतिक्रिया को कम करने में सक्षम होते हैं। ये एंटीऑक्‍सीडेंट्स अन्य अणुओं के ऑक्सीकरण को रोकने का काम करते हैं। ये फ्री रेडिकल्‍स को अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन प्रदान कर प्रभावहीन कर देते हैं। 

5. त्वचा के लिए फायदेमंद (Beneficial for Skin)- त्वचा स्वास्थ के लिये विटामिन-E के बहुत फायदे होते हैं, इसीलिये सौंदर्य प्रसाधन उत्पाद में विटामिन-E का इस्तेमाल किया जाता है। त्वचा के रूखेपन की समस्या जिसे जेरोसिस (Xerosis) कहा जाता है, खुजली तथा सूजन की समस्या यानि एटॉपिक डर्मेटाइटिस (Atopic Dermatitis) आदि से राहत दिलाने में यह विटामिन मदद करता है। इनके अतिरिक्त विटामिन-E सनबर्न, फोटोसेंसेटिव होने की समस्या तथा सूरज की हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाव करने में मदद करता है। त्वचा की समस्याओं से राहत पाने के लिये विटामिन-E युक्त क्रीम या तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।

6. प्रोस्टाग्लैंडीन हार्मोन को बढ़ाने (Increase Prostaglandin Hormones)- विटामिन-E, प्रोस्‍टाग्‍लैंडिन नामक हार्मोन के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हार्मोन शरीर की अनेक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है जैसे ब्‍लड प्रेशर और मांसपेशियों का संकुचन।  इसके अतिरिक्त, यह विटामिन एक्‍सरसाइज के पश्चात मांसपेशियों की मरम्मत कर ठीक से रखरखाव करने का काम करता है। 

7. अन्य बीमारियों में फायदा (Benefits in Other Diseases)- क्रॉन रोग (Crohn’s disease), सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic fibrosis) अथवा लिवर से पित्त को पाचन तंत्र में स्रावित करने की समस्या को विटामिन-E के जरिये ठीक किया जा सकता है। इसके लिये विटामिन-E को पानी में घुलनशील रूप में लिया जा सकता है अर्थात् विटामिन-E के सप्‍लीमेंट, डॉक्टर की सलाह पर लिये जा सकते हैं।

विटामिन-E के नुकसान – Side Effects of Vitamine- E

दोस्तो, यहां हम स्पष्ट कर दें कि खाद्य पदार्थों से मिलने वाले विटामिन-E से कोई नुकसान नहीं होता। समस्या अधिक मात्रा में विटामिन-E के सप्लीमेंट लेने से होती है। विटामिन-E के सप्लीमेंट अधिक मात्रा में लेने से हो सकते हैं निम्नलिखित नुकसान –

1. विटामिन-E वसा में घुलनशील होने के नाते, अधिक मात्रा में लेने पर शरीर में विषाक्त स्तर तक जमा हो सकता है। क्योंकि इसे मूत्र पथ के जरिये से शरीर अलग नहीं किया जा सकता।  

2. रक्तस्राव हो सकता है। 

3. थकावट व कमजोरी महसूस करना।

4. आंत में ऐंठन।

5. डायरिया।

6. जी मिचलाना, उल्टी होना।

7. सिर में दर्द

8. धुंधला दिखाई देना।

9. यूरिन में क्रेटीन का बढ़ जाना।

10. अंडकोष में समस्या होना।

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको विटामिन-E के फायदे, के बारे में विस्तार से जानकारी दी। विटामिन-E क्या है, विटामिन-E के क्या कार्य हैं, विटामिन-E की प्रतिदिन की मात्रा, विटामिन-E की कमी के कारण, विटामिन-E की कमी की स्थितियां और लक्षण, विटामिन-E की कमी से होने वाले रोग और विटामिन-E के स्रोत, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से विटामिन-E, के फायदे बताये और कुछ नुकसान भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा। 

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको विटामिन-E के फायदे, के बारे में विस्तार से जानकारी दी। विटामिन-E क्या है, विटामिन-E के क्या कार्य हैं, विटामिन-E की प्रतिदिन की मात्रा, विटामिन-E की कमी के कारण, विटामिन-E की कमी की स्थितियां और लक्षण, विटामिन-E की कमी से होने वाले रोग और विटामिन-E के स्रोत, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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