दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, हमारे शरीर के सभी अंग अपना-अपना काम करते हैं। जब भी किसी अंग में कोई चोट लग जाये तो उसकी कार्य क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। मगर हमारे शरीर का एक अंग ऐसा है जिसका काम शरीर के सभी अंगों को आदेश देकर उनसे काम करवाना है। यह काम सबसे बड़ा होता है क्योंकि इसमें बहुत सोच समझ कर आदेश देना होता है। इसीलिये शरीर के इस अंग को मालिक कहा जाता है। और जब मालिक को कोई समस्या होने लगती है या चोट लगती है तो इसका सिस्टम भी गड़बड़ा जाता है। जी हां, शरीर के इस मालिक का नाम है मस्तिष्क जिसे अंग्रेजी में ब्रेन (Brain) कहा जाता है। और जब मस्तिष्क को आघात लगता है तो इसका तंत्रिका तंत्र गड़बड़ाने लगता है। इसको यह आघात उसी तरह लगता है जैसे हृदय को लगता है जिसे हृदयाघात Heart stroke या attack कहा जाता है। आखिर यह ब्रेन attack क्या है। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “ब्रेन हेमरेज क्या है?” देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको ब्रेन हेमरेज के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि इससे बचाव के क्या उपाय हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं ब्रेन के बारे में कि ब्रेन क्या होता है और ब्रेन हेमरेज क्या है?। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।
ब्रेन क्या होता है? – What is Brain
दोस्तो, मस्तिष्क यानी ब्रेन मानव शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है जिसकी संरचना सबसे जटिल है। यह खोपड़ी (Skull) में स्थित होता है। इसकी लगभग एक अरब तंत्रिका कोशिकाऐं (neuron) होती हैं, जिनमें से हर एक कोशिका दस हजार से भी ज्यादा अन्य तंत्रिका कोशिकाओं से संपर्क स्थापित करती है। ब्रेन वह अंग है जहां से सभी ज्ञानेंद्रियों का आवेग अर्थात् आंख, कान, नाक, जीभ और स्पर्श की अनुभूति यानी त्वचा यहीं से उठता है जिनको समझकर ज्ञान प्राप्त करता है। इसका मुख्य काम ज्ञान, बुद्धि, तर्कशक्ति, स्मरण, विचार निर्णय, व्यक्तित्व आदि को नियंत्रित करना और नियमन (Regulate) करना है।
व्यस्क व्यक्ति के ब्रेन का वजन 1400 ग्राम का होता है। इसके चार भाग होते हैं – पहला है सामने वाला हिस्सा जिसे फ्रंटल कहा जाता है। इसका काम सोचने समझने ज्ञान प्राप्त करना। दूसरा हिस्सा है पैरंटरल जो दायीं तरफ़ का हिस्सा है जिसका काम स्पर्श और दर्द की अनुभूति का। तीसरा भाग टेंपोरल यानी बायीं तरफ़ का जो सुनना, देखना, भाषा को समझना होता है। और चौथा हिस्सा होता है ऑक्सीपिटल का जो ब्रेन का पीछे का भाग होता है। इसका काम वस्तुओं को पहचानने का होता है। दोस्तो, स्टोरेज और प्रोसेसिंग के लिये तो कंप्यूटर में अगल-अलग हार्डवेयर होते हैं परन्तु ब्रेन में ये दोनों काम न्यूरॉन करते हैं।
न्यूरॉन ही ब्रेन की इकाई होता है जबकि कंप्यूटर में बिट इकाई होती है। ब्रेन की स्मरणशक्ति (Memory) का पता लगाना बेहद मुश्किल है। फिर भी वैज्ञानिको के अनुसार ब्रेन की मेमोरी एक टेराबाइट (Terabyte -TB) से 2.5 पेटाबाइट petabyte होती है। एक टेराबाइट का मतलब है 1024 गीगाबाइट (Gigabyte – GB) और 1024 टेराबाइट एक पेटाबाइट होता है। तो कल्पना कीजिये कि 2.5 पेटाबाइट की कितनी Memory होगी जबकि एक आम व्यक्ति अपने जीवनकाल में अपने ब्रेन की केवल 512 मेगाबाइट (Megabyte – MB) का ही उपयोग करता है। विशेष व्यक्ति जैसे डॉक्टर तथा आईएएस अधिकारी एक गीगाबाइट और कोई महान वैज्ञानिक पांच गीगाबाइट तक का उपयोग कर पाते हैं।
ब्रेन हेमरेज क्या है? – What is Brain Hemorrhage
दोस्तो, जैसे हृदय की धमनी (Artery) के फटने या धमनी में रक्त प्रवाह में रुकावट से हृदयाघात (दिल का दौरा Heart Attack) होता है, इसी प्रकार ब्रेन की धमनी फटने से आस-पास के ऊतकों में रक्तस्त्राव होने लगता है। रक्तस्राव होने से खोपड़ी और ब्रेन के बीच दबाव बनता है जिससे ब्रेन के कई हिस्सों को नुकसान पहुंचाता है। इस रक्तस्राव से ब्रेन सेल्स (Brain Cells) नष्ट होने लगते हैं। ब्रेन में होने वाले इस रक्तस्राव की स्थिति को ही ब्रेन हेमरेज (Brain Hemorrhage) कहा जाता है। इसे ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke) या ब्रेन अटेक (Brain Attack) भी कहा जाता है। यह एक आपातकालीन स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति को तुरंत चिकित्सा की जरूरत होती है। ब्रेन हेमरेज हाई ब्लड प्रेशर, बहुत कमज़ोर रक्त वाहिकाऐं, दवाईयों का दुरूपयोग या सिर पर गंभीर चोट के कारण होता है। यह भी देखा गया है कि यह अधिकतर सर्दी के मौसम में होता है।
सर्दियों में अधिकतर ब्रेन हेमरेज क्यों होता है? – Why do Brain Hemorrhages Occur More Often in Winter?
अक्सर देखा गया है सर्दी के मौसम में ब्रेन हेमरेज के मामले अधिक बढ़ जाते हैं इसकी वजह है ब्लड प्रेशर का बढ़ जाना जो सर्दियों में दूसरे मौसम की तुलना में अधिक रहता है। ब्लड प्रेशर बढ़ने का कारण होता है कमजोर थर्मोरेगुलेशन और शरीर की वॉसोकंस्ट्रिक्शन की स्थिति। इसे हम स्पष्ट करते हैं कि शरीर में थर्मोरेगुलेशन सिस्टम होता है जो आंतरिक तापमान में संतुलन बनाये रखता है। सर्दी के मौसम में शरीर में कुछ बदलाव होते हैं जिससे थर्मोरेगुलेशन सिस्टम कमजोर पड़ने लगता है। रक्तवाहिनी नलिकायें सिकुड़ जाती हैं। इससे रक्त प्रवाह में रुकावट आती है और ब्लड प्रेशर बढ़ता है जो ब्रेन हेमरेज का कारण बनता है। इस संकीर्णन की स्थिति को वॉसोकंस्ट्रिक्शन (Vasoconstriction) कहा जाता है।
ब्रेन हेमरेज के प्रकार – Types of Brain Hemorrhage
ब्रेन हेमरेज निम्नलिखित चार प्रकार का होता है। ब्रेन से बल्ड बहने वाले भाग के आधार पर उसका प्रकार निर्धारित किया जाता है –
1. सबड्यूरल हेमरेज (Subdural Hemorrhage)- मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आस-पास की झिल्ली की निचली सतह और मस्तिष्क के ऊपरी हिस्से के बीच होने वाला रक्तस्राव।
2. एपीड्यूरल हेमरेज (Epidural Hemorrhage)- इसे एक्स्ट्राड्यूरल हेमेटोमा भी कहा जाता है। यह मस्तिष्क और खोपड़ी की परतों के बीच होने वाला रक्तस्राव है।
आमतौर पर सबड्यूरल और एपीड्यूरल हेमरेज किसी भी हादसे या दुर्घटना के बाद होने वाले हेमरेज हैं लंबे समय तक रहने पर ये मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाते हैं।
3. सबाराकनॉइड हैमरेज(Subarachnoid Hemorrhage) – यह मस्तिष्क और उसे सुरक्षित रखने वाली झिल्ली के बीच रक्तस्राव है।
4. इंट्रासेरेब्रल हेमरेज (Intracerebral Hemorrhage)- यह मस्तिष्क के अंदर होने वाला रक्तस्राव है।
सबरकनॉइड और इंट्रासेरेब्रल अचानक होने वाले होते हैं। रक्तधमनी में छोटी-सी खरोंच भी आने पर बेहोशी आ सकती है।
ब्रेन हेमरेज के कारण – Cause of Brain Hemorrhage
ब्रेन हेमरेज होने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –
1. सिर में गंभीर चोट लगना (Severe Head Injury)- सिर में गंभीर और तेज चोट लगना विशेषकर 50 वर्ष से कम आयु वाले व्यक्तियों में, ब्रेन हेमरेज का सबसे सामान्य कारण होता है।
2. ब्लड क्लॉट (Blood Clot)- ब्रेन में बना ब्लड क्लॉट या शरीर के किसी अन्य हिस्से में ब्लड क्लॉट बन कर ब्रेन तक पहुंच कर आर्टरी क्षतिग्रस्त कर दी हो। इस कारण भी रक्तस्राव हो सकता है।
3. हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)- लंबे समय तक चलने वाला हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी रक्त वाहिकाओं (Blood vessels) को कमजोर बना सकती है जिसके कारण ये रक्त वाहिकाऐं फट सकती हैं।
4. एन्यूरिज्म (Aneurysm)- जब मस्तिष्क की धमनी की दीवार फूलने पर इसमें सूजन आ जाती है या उभार आ जाता है तो इसके फटने की संभावना बन जाती है। जिससे रक्तस्राव होने लगता है। इसे ब्रेन एन्युरिज्म कहा जाता है। इसको इंट्राक्रेनियल एन्यूरिज्म (Intracranial Aneurysm) या सेरिब्रल एन्यूरिज्म (Cerebral Aneurysm के नाम से भी जाना जाता है। ब्रेन एन्यूरिज्म पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “ब्रेन एन्यूरिज्म क्या है?” पढ़ें।
5. आर्टरी और वेन की असामान्यताएं (Artery and vein Abnormalities)- इसे आर्टेरिओवेनॉस असामान्यताएं या एवीएम (Arteriovenous malformations or AVM) कहा जाता है। आर्टरी जो हृदय से ब्रेन तक ऑक्सीजन युक्त रक्त पहुंचाती है और नसें (Veins) ब्रेन से हृदय तक बिना ऑक्सीजन वाला रक्त पहुंचाती हैं। इनमें एक ऐसी असमान्यता आती है कि रक्त हृदय या ब्रेन तक नहीं पहुंच पाता बल्कि ये बीच में ही एक गुच्छा बना लेती हैं। इससे ब्रेन की रक्तवाहिकाएं बाधित हो जाती हैं।
6. एमिलॉइड एंजिओपैथी (Amyloid Angiopathy) – इस स्थिति में ब्रेन की आर्टरी वाल्स के भीतर एमिलॉइड प्रोटीन भारी मात्रा में जमा होने लगता है। ऐसा बढ़ती उम्र के साथ या हाई ब्लड प्रेशर होने पर होता है। इसमें अधिक रक्तस्राव होने से पहले कम रक्तस्राव हो सकता है।
7. ब्रेन ट्यूमर (Brain Tumor)- ब्रेन ट्यूमर भी ब्रेन हेमरेज का कारण बन सकता है क्योंकि ब्रेन ट्यूमर ब्रेन टिश्यूज़ पर दबाव डालते हैं जिसके चलते रक्तस्राव हो सकती है।
8. नशा (Intoxication)- स्मोकिंग, शराब का अधिक सेवन या ड्रग्स का सेवन भी ब्रेन हेमरेज का कारण बन सकते हैं।
ब्रेन हेमरेज के लक्षण – Symptoms of Brain Hemorrhage
दोस्तो, ब्रेन हेमरेज के लक्षण रक्तस्राव होने के साथ ही तत्काल प्रकट होने लगते हैं या बाद में धीरे-धीरे प्रकट हो सकते हैं। इसके लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि ब्लीडिंग ब्रेन के किस हिस्से में हुई है और कितनी हुई है। निम्नलिखित लक्षण दिखाई देने पर तुरंत एम्बुलेंस बुलायें या अपने वाहन से मरीज को अस्पताल लेकर जाना चाहिये –
1. अचानक सिर में बहुत तेज दर्द हो जाना।
2. बाहों या टांगों में बेहद कमज़ोरी महसूस होना।
3. सुस्ती महसूस होना।
4. ऐसा दौरा पड़ना जैसा पहले कभी पड़ा हो।
5. जी मिचलाना, उल्टी होना।
6. सिर में चक्कर बनना, जिससे ठीक से ना खड़े हो पाना और ना ही ठीक से बैठ पाना।
7. हाथों की मांसपेशियों का आपस में तालमेल बिगड़ जाने से हाथ कांपने लगना।
8. मूर्छा आना।
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ब्रेन हेमरेज से शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव – Effects of Brain Hemorrhage on the Body
ब्रेन हेमरेज के बाद शरीर पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ सकते हैं या जटिलताऐं हो सकती हैं –
1. शरीर के किसी अंग का पेरेलाइज (Paralyze) हो जाना।
2. शरीर का कोई अंग सुन्न हो जाना या कमजोर पड़ जाना।
3. साफ-साफ ना बोल पाना और ना ही किसी की बात समझ पाना।
4. दृष्टि कम हो जाना। साफ़-साफ़ दिखाई ना देना।
5. भोजन ना निगल पाना।
6. स्वाद का अनुभव ना होना।
7. स्मरणशक्ति क्षीण हो जाना। कुछ याद ना आना, वस्तुओं को लेकर उलझन में रहना।
8. शारीरिक हाव-भाव में परिवर्तन, भावनात्मक दिक्कत।
9. ब्रेन हेमरेज की वजह से ब्लड प्लेटलेट्स की कमी हो सकती है।
10. ब्रेन हेमरेज में अधिक रक्तस्राव होने के कारण लिवर से संबंधित रोग हो सकते हैं।
ब्रेन स्ट्रोक के समय क्या करें?- What to do During a Brain Stroke?
यदि किसी को ब्रेन स्ट्रोक हुआ है निम्नलिखित कार्यवाही तुरंत करनी चाहिये
1. तुरंत अस्पताल पहुंचायें (Get to the Hospital Immediately)- चूंकि यह आपातकालीन स्थिति होती है इसलिये बिना समय गंवाये मरीज को अपने वाहन से या भाड़े के वाहन से तुरंत नजदीक के अस्पताल पहुंचायें। एंबुलेंस का इंतजार ना करें क्योंकि एंबुलेंस आने में समय लगता है, कई बार बहुत देर भी हो जाती है। मरीज को अस्पताल ले जाते हुऐ रास्ते से अस्पताल को फोन पर मरीज के बारे में सूचित कर दें ताकि वहां पहुंचकर समय खराब ना हो।
2. शरीर को गर्म रखें (Keep Body Warm)- अस्पताल ले जाते हुऐ मरीज के शरीर पर गर्म कपड़ा कंबल आदि डालकर रखें, उसे अच्छी तरह कवर कर दें ताकि उसका शरीर ठंडा ना पड़े। मरीज के साथ ज्यादा लोग ना हों ताकि उसे घबराहट ना हों।
3. शांत रहें (Keep Calm)- मरीज को देखकर परिवार के सदस्यों का घबरा जाना स्वाभाविक है जिसका असर मरीज पर भी पड़ता है। इसलिये हर किसी को शांत रहना चाहिये और ऐसा व्यवहार ना करें जिसे मरीज और घबरा जाये वर्ना मरीज का दिमाग और कमजोर हो जायेगा। इसलिये मरीज को दिलासा देनी चाहिये कि वह जल्दी ठीक हो जायेगा।
4. सांस लेने में मदद करें (Help Breathing)- मरीज को अस्पताल ले जाते हुऐ यह चैक करें कि उसे ठीक से सांस आ रहा है या नहीं। यदि सांस लेने में कोई दिक्कत आ रही है तो उसे दूर करने की कोशिश करें जैसे कि उसके कपड़े ढीले कर दें, शर्ट के बटन को खोल दें, बैल्ट ढीली कर दें आदि।
5. खाने पीने को ना दें (Don’t Eat or Drink)- ध्यान रखें, ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित व्यक्ति को कुछ भी खाने पीने को ना दें।
ब्रेन हेमरेज का परीक्षण – Brain Hemorrhage Test
1. चूंकि आमतौर पर मरीज में शारीरिक लक्षण दिखाई नहीं देते इसलिये ब्रेन हेमरेज की जांच करना मुश्किल होता है। रक्तस्राव ब्रेन के किस हिस्से हो रहा है यह जानने के लिये डॉक्टर रेडियोलोजी टैस्ट कराते हैं। रेडियोलोजी टैस्ट में सीटी स्कैन या एमआरआई स्कैन होते हैं जिनसे यह पता चल जाता है कि ब्रेन के किस हिस्से में रक्तस्राव हो रहा है। इससे ब्रेन में लगी चोट का भी पता चल जाता है।
2. कई मामलों में “स्पाइनल टैप” (spinal tap) का उपयोग किया जाता है इस प्रक्रिया में रीढ़ की हड्डी में सुई डाल कर एक तरल पदार्थ निकालते हैं। इस तरल पदार्थ की जांच से रक्तस्राव होने की प्रमाणिक पुष्टि हो जाती है और यह निश्चित करना आसान हो जाता है कि मरीज को ब्रेन हेमरेज है या नहीं।
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ब्रेन हेमरेज का इलाज – Brain Hemorrhage Treatment
1. आरंभिक उपचार (Initial Treatment)- आरंभिक उपचार में मरीज की हालत को स्थिर करना और जांच प्रक्रिया शामिल है। यह कार्य एक प्रकार से युद्ध स्तर पर किये जाते हैं। विवरण निम्न प्रकार है –
(i) सबसे पहले ब्रेन हेमरेज के मरीज की हालत को बहुत जल्दी स्थिर करना जरूरी होता है। उसके ब्लड प्रेशर, श्वसन प्रक्रिया, को स्थिर किया जाता है। उसके मस्तिष्क और शरीर के विभिन्न अंगों में ऑक्सीजन पहुंचाने के लिये मरीज को वेंटीलेटर लगाया जाता है।
(ii) यदि मरीज बेहोश है तो उसकी नसों में सुईयों के जरिये डाल दवाऐं और खाना दिया जाता है। हृदय गति, धड़कन, ब्लड-ऑक्सीजन स्तर और खोपड़ी के अंदर का दबाव को समय-समय पर जांचते रहते हैं। मरीज की हालत स्थिर होने पर रक्तस्राव को जांचने का काम शुरु किया जाता है ताकि उसे कोई नुकसान ना हो।
(iii) जब यह पता चल जाता है कि ब्रेन हेमरेज का आकार क्या है और ब्रेन के किस हिस्से में हुआ है तब सर्जरी करने और कैसे करने का निर्णय लिया जाता है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि हर इंटरक्रीनिअल हेमरेज के मामले में सर्जरी करना जरूरी नहीं होता। डॉक्टर्स का मानना है कि दवाओं के जरिये भी हेमरेज के आस-पास की सूजन कम की जा सकती है, ब्लड प्रेशर को स्थिर किया जा सकता है और दौरे पड़ने को रोका जा सकता है।
2. सर्जरी प्रक्रिया (Surgery Procedure)- सर्जरी का प्रकार; मरीज की उम्र, उसकी स्वास्थ की स्थिति और ब्रेन की हुई क्षति की तीव्रता और क्षति का स्थान पर निर्भर करता है। सर्जरी का विवरण निम्न प्रकार है –
(i) डीकंप्रेसन सर्जरी दिमाग के दबाव को दूर करने का काम करती है। न्यूरोसर्जन अत्यंत कुशलता से जमा हुऐ रक्त को इकट्ठा करते हैं, हेमेटोमा को निकालते हैं और ब्रेन की हई क्षति को रिपेयर करने का काम करते हैं। यहां हम हेमेटोमा के बारे में बता दें कि रक्त वाहिकाओं के बाहर असामान्य रूप से जमा हुऐ रक्त के संग्रह को हेमेटोमा कहा जाता है। इससे रक्त वाहिकाओं की दीवार, धमनी, नसें या कोशिकाऐं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।
यह हेमेटोमा डॉट या इससे बड़े या बहुत बड़े आकार का हो सकता है। न्यूरोसर्जन हेमेटोमा निकालने के लिये क्रैनियोटॉमी या ओपन सर्जरी करते हैं। इसके लिये सिर के एक हिस्से को आंशिक रूप से हटाना पड़ता है। इसमें फटी हुई रक्त वाहिकाओं को भी बाहर निकाल दिया जाता है। यह सर्जरी तभी की जाती है जब हेमेटोमा का आकार बहुत बड़ा हो।
(ii) सरल एस्पिरेशन सर्जिकल प्रक्रिया में हेमेटोमा को निकालने के लिये सुई के जरिये खोपड़ी में एक छेद किया जाता है ताकि हेमेटोमा को निकाला जा सके परन्तु इस सर्जरी की दिक्कत रक्तस्राव के स्रोत का पता लगाने में आती है। एंडोस्कोपिक मूल्यांकन विधि, सरल एस्पिरेशन सर्जिकल पद्धति के ही समान है जिसमें हेमेटोमा की स्थिति का पता लगाने के लिए एंडोस्कोपिक या कैमरे के उपयोग किया जाता है। स्टीरियोटैक्टिक एस्पिरेशन विधि में हेमेटोमा का पता लगाने और इसे निकालने के लिये सक्शन टूल के साथ एक सीटी (कंप्यूटेड टोमोग्राफी) का इस्तेमाल किया जाता है।
रिकवरी – Recovery
1. ब्रेन हेमरेज के लिये हुई सर्जरी के बाद रिकवरी इसके कारकों पर निर्भर करती है। धमनीविस्फार; (Aneurysm) जो सबराचोनोइड रक्तस्राव का कारण बनता है, के मामले में मरीज को दो सप्ताह तक अस्पताल में रहने की जरूरत होती है ताकि सेरेब्रल वैसोस्पास्म की संभावना ना हो।
2. क्रैनियोटॉमी सर्जरी या किसी अन्य ब्रेन हेमरेज को ठीक होने में लगभग 4-6 सप्ताह लग जाते हैं।
3. इसके अतिरिक्त पूरी तरह स्वास्थ को सुधारने के लिये निम्नलिखित विधि की भी मदद ली जाती है –
(i) फिजियोथेरपी (physical therapy)
(ii) स्पीच थेरेपी (speech therapy)
(iii) ऑक्युपेशनल थेरेपी (occupational therapy)।
(iv) जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन जिससे एक और हेमरेज आने की संभावना ना हो।
ब्रेन हेमरेज से बचाव के उपाय – How to Prevent Brain Hemorrhage
दोस्तो, अब बताते हैं आपको कुछ निम्नलिखित ऐसे उपाय जिनको अपनाकर अपने को ब्रेन हेमरेज होने से काफी हद तक बचा सकते हैं
1. सिर को बचाकर रखें(Save Head) – सिर पर चोट लगना, ब्रेन हेमरेज होने का मुख्य कारण है। इसलिये हमेशा ध्यान रखें कि सिर पर चोट ना लगे। बाईक, स्कूटर चलाते समय हेलमेट सिर पर जरूर पहनें, यह आपको दुर्घटना में सिर पर चोट लगने से बचाता है। इसी प्रकार कार में हमेशा सीट बेल्ट का लगायें और कार सीट पर भी एयर बैग होना चाहिये। दुर्घटना के समय यह खुल जाता है और आपको पीछे खींच लेता है। इससे आपका सिर स्टेरिंग से नहीं टकराता। और भी कई गतिविधियां होती हैं जिनमें सिर को बचाना बहुत जरूरी हो जाता है।
2. गहरे पानी में गोता ना लगाएं (Don’t Dive in Deep Water)- स्वीमिंग पूल पर पानी में गोता लगाना सामान्य है परन्तु जिस जगह के पानी की गहराई का पता नहीं और यह भी पता नहीं कि यहां पानी के नीचे जमीन की क्या स्थिति है, और यदि पता भी है तब भी पानी में 12 फीट के नीचे गोता कभी ना लगायें। यह सिर के लिये घातक हो सकता है।
3. ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करें (Control Blood Pressure)- यदि हाई ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है तो इसे अपने खानपान में बदलाव करके कंट्रोल करें। यदि डॉक्टर ने दवाई चला रखी है तो इसे नियमित रूप से लेते रहें। क्योंकि हाई ब्लड प्रेशर से तनाव बनता है और तनाव से हार्ट स्ट्रोक और ब्रेन स्ट्रोक होने खतरा हो जाता है। इसके लिये नियमित रूप से व्यामाम करें, सोडियम और अल्कोहल की मात्रा कम करें। ब्लड प्रेशर की जांच नियमित रूप से करवाते रहना चाहिये।
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4. कोलेस्ट्रॉल और संतृप्त वसा कम करें (Reduce Cholesterol and Saturated Fat)- अपने भोजन में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करें जो खराब वाले कोलेस्ट्रॉल LDL के स्तर को कम करें और अच्छे वाले कोलेस्ट्रॉल को बढ़ायें। इसी प्रकार संतृप्त वसा और ट्रांस वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें क्योंकि ये सब वसा और खराब कोलेस्ट्रॉल रक्त धमनियों की अंदर की दीवारों में जम जाते हैं जिससे रक्त प्रवाह में रुकावट आती है और ये हृदय और ब्रेन के लिये घातक होते हैं। ओमेगा फैटी एसिड वाले खाद्य पदार्थों जैसे तैलीय मछलियां, अखरोट, सोयाबीन, का सेवन करें। ये कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
5. डायबिटीज और वजन को कंट्रोल करें (Control Diabetes and Weight)- हाई ब्लड प्रेशर, खराब कोलेस्ट्रॉल और फैट जिस प्रकार घातक हैं उसी प्रकार ग्लुकोज का बढ़ता स्तर भी दिल और दिमाग के लिये खतरनाक होता है। इसलिये इसे भी खानपान और व्यायाम के जरिये कंट्रोल करें। यदि दवा ले रहे हैं तो नियमित रूप से दवा लेते रहें। इसके साथ ही अपने वजन को भी कंट्रोल करें। अधिक वजन भी स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है।
6. नशीले पदार्थों का सेवन ना करें (Do not Use Drugs)- कोकेन और मेथाम्फेटामाइन जैसे नशीले पदार्थों का सेवन ना करें। ये स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाते हैं। कोकीन रक्त प्रवाह को कम कर धमनियों को पतला करता है। वैसे भी ये सब अवैध हैं। इनसे बचकर रहना चाहिये।
7. धूम्रपान ना करें (Do not Smoke)- धूम्रपान भी नशे का ही रूप है चाहे, बीड़ी हो या सिगरेट, हुक्का हो या सिगार, तम्बाकू का सेवन सभी रूप में हानिकारक है इनसे बचाव तो समझो 80 प्रतिशत तक बीमारियों से बचाव। तम्बाकू हानिकारक उनके लिये ही नहीं है जो इसका इस्तेमाल करते हैं बल्कि उन लोगों के लिये और भी ज्यादा है जो धूम्रपान करने वालों के धूऐं की चपेट में आ जाते हैं। इसे “सेकिंड हेंड स्मोकिंग” कहा जाता है। तम्बाकू के उपयोग से और धूम्रपान से स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है।
8. शराब का सेवन कम करें (Reduce Alcohol Consumption)- शराब का उचित मात्रा में सेवन करना फायदेमंद हो सकता है परन्तु अधिक मात्रा में सेवन करना हाई ब्लड प्रेशर, इस्केमिक स्ट्रोक और रक्तस्रावी स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है। अतः शराब का सेवन कम मात्रा में करके इसका सदुपयोग करें ना कि दुरुपयोग। शराब पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “शराब पीने के फायदे और नुकसान” पढ़ें।
9. नियमित रूप से व्यायाम करें (Exercise Regularly)- दोस्तो, प्रतिदिन कम से कम तीस मिनट के व्यायाम से आप सारे दिन फिट रहते हैं, शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है और अनेक बीमारियों से बहुत दूर रहते हैं। नियमित व्यायाम करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है, बल्ड शुगर स्तर संतुलित रहता है, अच्छे वाला कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है, आपका वजन कंट्रोल में रहता है। परिणामस्वरूप तनाव तथा किसी भी प्रकार के स्ट्रोक का खतरा नहीं रहता। व्यायाम में मॉर्निंग वॉक, जॉगिंग, एरोबिक, तैराकी या साइकिलिंग आदि कर सकते हैं।
10. खानपान (Food and Drink)- खानपान का स्वास्थ पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। जैसा आपका भोजन होगा वैसा शरीर बनेगा। इसलिये तीखा, तेज मसालेदार, तला, भुना ऑयली भोजन को अवॉइड करना चाहिये। एंटीआक्सीडेंट, विटामिन-बी, सी, ए और ई, प्रोटीन, फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को अपने भोजन में शामिल करें। हरे पत्तेदार साक, सब्जियां, फलियां और मौसमी फलों, ड्राई फ्रूट्स को भोजन का हिस्सा बनायें। इनसे कभी कोई हृदय या मानसिक या अन्य बीमारी नहीं होगी।
भारत में इलाज लागत – Treatment Cost in India
भारत में ब्रेन हेमरेज के उपचार की लागत अलग-अलग राज्यों में अस्पतालों पर निर्भर करती है। वैसे ओपन सर्जरी की लागत लगभग 70,000 रुपये और क्रैनियोटॉमी की लागत लगभग 33,000 रुपये आती है। कोइलिंग की लागत लगभग 3 लाख है।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको ब्रेन हेमरेज के बारे में विस्तार से जानकारी दी। ब्रेन क्या होता है?, ब्रेन हेमरेज क्या है?, सर्दियों में अधिकतर ब्रेन हेमरेज क्यों होता है?, ब्रेन हेमरेज के प्रकार, ब्रेन हेमरेज के कारण, ब्रेन हेमरेज के लक्षण, ब्रेन हेमरेज से शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव, ब्रेन स्ट्रोक के समय क्या करें, ब्रेन हेमरेज का परिक्षण, ब्रेन हेमरेज का इलाज और रिकवरी, इन सब के बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से ब्रेन हेमरेज से बचाव के बहुत सारे उपाय बताये और इलाज की लागत भी बताई। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।
Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।
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