दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आज हम आपको बतायेंगे एक ऐसे तेल के बारे में जो अन्य तेलों की तुलना में लोकप्रिय नहीं है परन्तु अपने विशिष्ट गुणों के कारण विश्व में प्रसिद्ध है और जिसका उत्पादन करने में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है। एक ऐसा तेल जिसका उपयोग भोजन बनाने में नहीं किया जाता लेकिन खाद्य उद्योग में इसका उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों में भी किया जाता है। हम बात कर रहे हैं अरंडी के तेल की। शारीरिक स्वास्थ, त्वचा और बालों के स्वास्थ के लिये इसके बहुत फायदे हैं यहां तक कि इसके फायदे बच्चों के लिये भी हैं। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “अरंडी तेल के फायदे और नुकसान“। देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको अरंडी के तेल के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि इसके उपयोग के क्या फायदे हैं और क्या नुकसान। तो, सबसे पहले जानते हैं कि अरंडी क्या है, अरंडी की खेती कहां होती है और अरंडी का तेल क्या है। इसके बाद फिर बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।
अरंडी क्या है? – What is Castor?
अरंडी का पौधा वस्तुतः पुष्पीय पौधे की बारहमासी झाड़ी है। यह छोटे कद कि पौधा होता है जिसकी लंबाई 12 मी के आकार तक तेजी से बढ़ जाती है। इसकी पत्ते चमकदार, हथेली के आकार के और दांतेदार हाशिए के समान होते हैं। ये पत्ते 15-45 सेमी तक लंबे और 5-12 सेमी गहरे हो सकते हैं। अरंडी के बीजों को दबाकर इनका तेल निकाला जाता है। यह पौधा प्राकृतिक रूप से उपजता है परन्तु व्यावसायिक तौर पर भी इसकी खेती की जाती है।
अरंडी की खेती कहां होती है? – Where is Castor Cultivated?
1. अरंडी का पौधा, मूलतः दक्षिण-पूर्वी भूमध्य सागर, पूर्वी अफ्रीका तथा भारत की उपज है, परन्तु अब यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में खूब पाया जाता है। अरंडी की खेती व्यावसायिक तौर, पर चीन, ब्राज़ील, इथियोपिया, थाईलैण्ड, वियतनाम, पैराग्वे, पूर्व अफ्रीका, दक्षिण अफ्रीका, फ़िलीपीन्स, अंगोला आदि देशों में की जाती है।
2. भारत अरण्डी के उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान पर है इसके बाद चीन और ब्राज़ील दूसरे और तीसरे स्थान पर आते हैं। अरण्डी के तेल का वैश्विक उत्पादन लगभग 1० लाख टन प्रति वर्ष होता है जिसका 60 प्रतिशत उत्पादन भारत में होता है। भारत में गुजरात, आंध्रप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश में 7.3 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती की जाती है। उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र के पीलीभीत, खीरी, सीतापुर, बहराइच, श्रावस्ती, संत कबीर नगर, गोंडा, गोरखपुर में इसकी खेती सबसे अधिक होती है।
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अरंडी का तेल क्या है? – What is Castor Oil?
जैसा कि नाम से जाहिर है यह एक वनस्पति तेल है। इसे अरंडी के पौधे के बीजों से निकाला जाता है। इसलिये इसको अरंडी के तेल के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे कैस्टर ऑयल (Castor oil) कहा जाता है। अरंडी के बीजों में 40-60 प्रतिशत तेल मौजूद होता है। अरंडी का तेल एक ट्राइग्लिसराइड (एक प्रकार की वसा) है जिसमें लगभग 90 प्रतिशत फैटी एसिड चेन रिकिनोलेट्स मौजूद होते हैं। यह रंग हल्के पीले रंग का होता है और थोड़ा गाढ़ा होता है। इसकी गंध एक अलग प्रकार की ही होती है। सूजन कम करने वाले (Anti-inflammatory) और जीवाणुरोधी (Antibacterial) गुणों के कारण इस तेल ने पूरे विश्व में प्रसिद्धि पाई है।
अरंडी के तेल के उपयोग – Castor Oil Uses
1. अरंडी के तेल के उपयोग साबुन, लुब्रीकेंट्स, हाइड्रोलिक और ब्रेक फ्लूड्स, पेंट, कोटिंग्स, स्याही, ठंड प्रतिरोधी प्लास्टिक, मोम, नायलॉन, पॉलिश और परफ्यूम बनाने के लिये किया जाता है।
2. अरंडी के तेल का इस्तेमाल क्रीम, कॉस्मेटिक के सामान, मॉइस्चराइज़र के निर्माण में किया जाता है। बालों की कंडीशनिंग बढ़ाने, डैन्ड्रफ़ खत्म करने के लिये भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
3. खाद्य उद्योग में, स्वाद बढ़ाने, कैंडी, चॉकलेट में, खाद्य योजक, एक मोल्ड अवरोधक के रूप में, और पैकेजिंग में, पॉलीऑक्सिइथाइलेटेड कैस्टर ऑयल (जैसे, कोल्लीफोर ईएल) का इस्तेमाल खाद्य उद्योगों में किया जाता है।
4. स्वास्थ के लिये मालिश वाले तेलों में, प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ाने में, फंगल इंफेक्शन, त्वचा पिग्मेंटेशन के उपचार, मुंहासों के उपचार, आंखों के उपचार में और बालों के स्वास्थ के लिये अरंडी के तेल का इस्तेमाल किया जाता है।
अरंडी के तेल के गुण – Properties of Castor Oil
1. अरंडी के तेल की तासीर गर्म होती है।
2. अरंडी के तेल में एंटीइंफ्लामेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण पाये जाते हैं।
3. इसके अद्वितीय गुणों के कारण इसका उपयोग खाद्य पदार्थों, सौंदर्य प्रसाधनों, लुब्रीकेंट्स उत्पादनों और स्वास्थ आदि के लिये किया जाता है।
4. पौष्टिक तत्व –
(i) अरंडी के तेल में सबसे अधिक लगभग 90 प्रतिशथ रिसिनोलिक एसिड पाया जाता है। अन्य सामग्री का विवरण निम्न प्रकार है।
(ii) रिकिनोलेइक एसिड 85% से 95%
(iii) ओलिक एसिड 2% से 6%
(iv) लिनोलिक एसिड 1% से 5%
(v) अल्फा-लिनोलेनिक
एसिड
(vi) पामिटिक एसिड
(vii) स्टीयरिक एसिड
(viii) डायहाइड्रोक्सीस्टीयरिक एसिड
(0.5% से 1% प्रत्येक)
अरंडी के तेल की मात्रा – Amount of Castor Oil
अरंडी के तेल के सेवन की मात्रा का कोई मापदंड या वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। हां, इतना अवश्य है कि यह बहुत गाढ़ा होता है इसलिये इसका उपयोग बहुत ही कम मात्रा में किया जाना चाहिये। बेहतर होगा यदि डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ की सलाह ले ली जाये।
अरंडी का तेल कितनी बार इस्तेमाल करना चाहिये? – How often Should Castor Oil be Used?
अरंडी के तेल को हफ्ते में एक या दो बार से अधिक इस्तेमाल नहीं करना चाहिये और इसे नारियल के तेल या ऑलिव ऑयल के साथ मिक्स कर के ही इस्तेमाल करना चाहिये।
अरंडी तेल के फायदे – Benefits of Castor Oil
दोस्तो, अब बताते हैं आपको अरंडी के तेल के फायदे कुछ फायदे जो निम्न प्रकार हैं –
1. कब्ज़ में फायदा (Benefit in Constipation)- अरंडी का तेल लैक्सेटिव के तौर पर काम करता है और कब्ज़ की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। अरंडी का तेल पीने से पाचन प्रक्रिया में सुधार होता है और मल त्याग में भी कोई दिक्कत नहीं होती। इसके लिये दूध में अरंडी का तेल मिलाकर पीना चाहिये। नियमित रूप से कुछ दिनों तक दूध में अरंडी का तेल मिलाकर पीने से कब्ज़ की समस्या दूर हो जायेगी।
2. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाये (Strengthen the Immune System)- अरंडी के तेल को दूध में मिलाकर पीने से हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है जिससे शरीर वायरस, संक्रमण और खराब सेल्स से लड़ने में सक्षम होता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अरंडी के तेल का ऊपरी त्वचा पर इस्तेमाल करने से प्रतिरक्षा प्रणाली की मजबूती में बढ़ोत्तरी होती है। इससे टी-11 कोशिकाओं की संख्या बढ़ती है। ये कोशिकाऐं शरीर मेंर इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करने का काम करती हैं। इन कोशिकाओं में रोगजनकों और विषाक्त पदार्थों के विरुद्ध एंटीबॉडीज़ होते हैं, जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाये रखते हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “इम्युनिटी सिस्टम को बढ़ाने के उपाय” पढ़ें।
3. गठिया में फायदेमंद (Beneficial in Arthritis)- गठिया के उपचार के लिये अरंडी का तेल एक उत्तम विकल्प है। इसके एंटीइंफ्लामेटरी गुण सूजन और दर्द में राहत देते हैं। एक साफ़ कपड़े को अरंडी के तेल में भिगोकर हल्का निचोड़कर इसका अतिरिक्त तेल निकाल दें। इस कपड़े को जोड़ पर लपेट लें जहां दर्द है, फिर इसे प्लास्टिक से कवर कर दें ताकि हवा ना लगे। अब गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड से इसकी लगभग एक घंटे तक सिंकाई करें। इससे दर्द और सूजन में आराम लग जायेगा।
4. कमर दर्द के लिये (Back Pain)- जो प्रक्रिया गठिया के लिये करनी है वही कमर दर्द के लिये भी करनी है। अर्थात् कोई बड़ा और साफ़ कपड़ा लेकर, अरंडी के तेल में भिगोकर, हल्का निचोड़कर, कमर पर जहां दर्द है, रखना है और किसी प्लास्टिक से या किसी बड़े कपड़े से कवर करना है और गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड से सिंकाई करनी है एक घंटे तक। या कमर पर अरंडी का तेल लगाकर मालिश करनी है। यह दर्द और कठोरता से छुटकारा पाने का एक प्राकृतिक और स्वाभाविक उपाय है। कमर दर्द से छुटकारा पाने का यह सबसे अच्छा तरीका है।
5. घाव भरने में फायदेमंद (Beneficial in Wound Healing)- अरंडी का तेल प्राकृतिक एंटीसेप्टिक के रूप में काम करते हुऐ छोटे-छोटे कट, खरोंच या हल्के-फुल्के घाव को ठीक करने में मदद करता है। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण इन कट और खरोंच पर अपना प्रभाव छोड़ते हैं और सूजन और दर्द को भी कम करते हैं। कुछ लोगों का अनुभव है कि घाव में अरंडी का तेल इस्तेमाल करने पर अन्य उपचार की तुलना में यह काफी सार्थक सिद्ध हुआ है। कुछ अध्ययन यह भी बताते हैं कि अरंडी के तेल युक्त मरहम घाव को जल्दी ठीक करने में मददगार होते हैं।
6. प्रसव बढ़ाने के लिये (Increase Delivery)- कई मामले ऐसे होते हैं जिनमें गर्भवती महिला का समय पूरा हो जाता है परन्तु उसे प्राकृतिक रूप से लेबर पेन नहीं बनते। ऐसी स्थिति में अरंडी के तेल का सेवन बहुत लाभकारी सिद्ध होता है। यह 24 घंटे के भीतर लेबर पेन बनाने/बढ़ाने का काम करने में सक्षम होता है। परन्तु ध्यान रखिये गर्भावस्था की यह स्थिति अत्यंत संवेदनशील होती है इसके लिये डॉक्टर की सलाह लेना बेहद जरूरी है। अपनी मर्जी से कुछ ना करें।
7. वजन कम करे (Lose Weight)- अरंडी के तेल के सेवन मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और पाचन तंत्र मजबूत होता है। जो लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं उनके लिये अरंडी का तेल एक उत्तम विकल्प है। इसके गुण वजन कम करने में मदद करते हैं। इसके लिये रोजाना सुबह खाली पेट एक चम्मच अरंडी का तेल पीकर एक गिलास गर्म पानी भी पीयें। इसके साथ ही व्यायाम करना ना भूलें। व्यायाम करना भी वजन कम करने के लिये जरूरी है। निश्चित रूप से यह प्रक्रिया वजन कम करने में सहायक सिद्ध होगी।
8. स्ट्रेच मार्क्स को कम करे (Reduce Stretch Marks)- दोस्तो, यह एक वास्तविकता है और आम समस्या भी कि गर्भ धारण के बाद 13वें सप्ताह से लेकर 21वें सप्ताह के बीच गर्भवती महिला के शरीर पर स्ट्रेच मार्क्स बनने शुरू हो जाते हैं। 75 से 90 प्रतिशत महिलायें इस समस्या का शिकार हो जाती हैं। ये स्ट्रेच मार्क्स पेट के नीचे वाले हिस्से पर, जांघों, घुटनों के आसपास, बगल के आस-पास, सीने पर या हिप्स् पर कहीं भी बन जाते हैं। गर्भवती महिलाओं के अतिरिक्त ये गर्भ के निशान कुंवारी कन्याओं और पुरूषों के शरीर पर भी पाये जाते हैं। यह एक आनुवांशिक कारण हो सकता है।
अरंडी का तेल इन स्ट्रेच मार्क्स को कम करने में सक्रिय भूमिका निभाता है। स्ट्रेच मार्क्स पर अरंडी का तेल लगा कर काफी देर मालिश करें। ऐसा करने से त्वचा तेल को सोख लेगा। मालिश करने के बाद प्रभावित क्षेत्र को प्लास्टिक शीट/पोलीथीन से कवर करके गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड से सिंकाई करें, इससे त्वचा के रोमछिद्र खुल जायेंगे और तेल पूरी तरह त्वचा के अंदर चला जायेगा। इस प्रक्रिया से स्ट्रेच मार्क्स कम हो जायेंगे। स्ट्रेच मार्क्स पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “स्ट्रेच मार्क्स के कुछ देसी उपचार” पढ़ें।
9. त्वचा रोगों/विकारों में लाभकारी (Beneficial in Skin Diseases/Disorders)- दोस्तो, अरंडी का तेल शारीरिक स्वास्थ के अतिरिक्त त्वचा के स्वास्थ के लिये भी बहुत उपयोगी और लाभकारी होता है। त्वचा संबंधी फायदे निम्न प्रकार हैं –
(i) दाद खुजली में फायदेमंद – दाद और खुजली खुजली ऐसे त्वचा रोग हैं जिनसे व्यक्ति बहुत परेशान रहता है। कई बार तो असहजता और लज्जा का अनुभव होता है। यदि इनका उपचार जल्दी ना किया जाये तो एक्जिमा बनने की संभावना रहती है। इनके उपचार के लिये 2 चम्मच अरंडी के तेल में 4 चम्मच नारियल तेल मिलाकर दाद और खुजली पर हल्के हाथ से लगायें। आराम लग जायेगा। अरंडी तेल में मौजद अंडरएलेनेनिक एसिड नामक कंपाउंड इनके उपचार में मदद करता है।
(ii) त्वचा के लिये उत्तम मॉइस्चराइज़र – दोस्तो, अरंडी का तेल सस्ता और प्राकृतिक मॉइस्चराइज़र है। इसमें रिकिनोलिक एसिड तथा अन्य ऐसे फैटी एसिड मौजूद होते हैं जो त्वचा को नरम बनाये रखने में सक्रिय भूमिका निभाते मदद हैं। यह प्राकृतिक मॉइस्चराइज़र के रूप में त्वचा के लिये सबसे उत्तम तेल माना जाता है। यह त्वचा में नमी बनाये रखता है और त्वचा को कोमलता प्रदान करता है। अरंडी के तेल की कुछ बूंदों को हाथ में रखकर चेहरे की मसाज करें।
(iii) मुंहासों को दूर करे – अरंडी के तेल का मुंहासों की समस्या को दूर करने में अत्यंत लाभदायक है। अरंडी के तेल में मौजूद राइसिनोलिक एसिड मुंहासों से उत्पन्न बैक्टीरिया के विरुद्ध लड़ता है और त्वचा को स्वस्थ और मुलायम रखता है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण पाये जाते हैं। अरंडी का तेल त्वचा की गंदगी को साफ करने में मदद करता है। अरंडी के तेल में एलोवेरा जैल मिलाकर चेहरे पर लगाकर छोड़ दें और सूख जाने पर चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें। रात को सोने से पहले चेहरा गर्म पानी से धोकर अरंडी के तेल से चेहरे की मसाज करें और सुबह ठंडे पानी से चेहरा धो लें। मुंहासों पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “मुंहासों से छुटकारा पाने के देसी उपाय” पढ़ें।
(iv) दाग धब्बों को मिटाये – अरंडी के तेल चेहरे के काले दाग, धब्बों, निशान आदि को मिटाकर त्वचा की रंगत को निखारता है। अरंडी के तेल में पाये जाने वाला फैटी एसिड त्वचा के अंदर जाकर विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है। इसके कार्य करने की प्रक्रिया धीमी होती है परन्तु नियमित रूप से यदि अरंडी के तेल से चेहरे की मसाज की जाये तो इसके बेहतरीन परिणाम निकलते हैं।
(v) एंटी एजिंग प्रभाव – अरंडी के तेल में पाये जाने वाला फैटी एसिड त्वचा के अंदर जाकर एंटी एजिंग प्रभाव छोड़ता है। यह कोलेजन और ईलेस्टिन के उत्पादन को बढ़ाता है, त्वचा के प्रोटीन में सुधार करता है। त्वचा को मुलायम बनाने और नमी बनाये रखने में मदद करता है। यह चेहरे की झुर्रियों और फाइन लाइन्स को कम करता है जिससे बढ़ती उम्र के लक्षण कम होते हैं और आप अपनी वास्तविक आयु से कम दीखते हैं। इसके लिये रात में चेहरे को गुनगुने पानी से धोकर अरंडी के तेल की कुछ बूंदें हाथ पर रखकर चेहरे की मसाज करें। अगले दिन चेहरा धो लें।
10. बालों के लिये फायदेमंद (Beneficial of Hair)- जिस प्रकार अरंडी का तेल त्वचा के लिये फायदेमंद है उसी प्रकार यह बालों के स्वास्थ के लिये भी बहुत फायदेमंद है। अरंडी के तेल में मौजूद रिसिनोलेइक एसिड स्कैल्प के पीएच लेवल को संतुलित बनाये रखने और नैचुरल ऑयल को बनाये रखने में सक्रिय भूमिका निभाता है। हम बता रहे हैं बालों के लिये कुछ फायदे जो निम्न प्रकार हैं –
(i) स्कैल्प इंफेक्शन से बचाये – नारियल के तेल में अरंडी के तेल की कुछ बूंदें मिलाकर हफ्ते में दो बार खोपड़ी और बालों की अच्छी तरह मालिश करें। इससे खोपड़ी का रूखापन गंजेपन के पैचेज, डैंड्रफ और खुजली के कारण होने वाले सिर की त्वचा में इंफेक्शन, से बचाव होगा। अरंडी के तेल में पाये जाने वाले एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण इस प्रकार की समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं।
(ii) बालों को घना और लंबा करे – अरंडी के तेल में पाये जाने वाला ओमेगा 9 आवश्यक फैटी एसिड है जो बालों को मजबूत, घना और लंबा बनाने में सक्रिय भूमिका निभाता है। हफ्ते में दो बार नारियल, जैतून या आर्गन तेल में अरंडी के तेल की कुछ बूंदें मिलाकर सिर और बालों की 5-10 मिनट तक मालिश करें। इससे खोपड़ी के रक्च संचार में सुधार होगा। इससे बालों का विकास तेजी से होगा। शैम्पू करने के बाद एक चम्मच अरंडी का तेल बालों में लगायें इससे बाल मुलायम रहेंगे।
(iii) बाल सफेद होने से रोके – समय से पहले बालों का सफेद होने का पर, इनको अरंडी के तेल से रोका जा सकता है। यह एक प्रचलित और लोकप्रिय उपाय माना जाता है। यह बालों को रूखेपन और क्षतिग्रस्त होने से बचाता है। यह बालों का प्राकृतिक रंग बनाये रखने में अपनी भूमिका निभाता है। बस हफ्ते में दो बार नारियल के तेल में अरंडी का तेल मिलाकर मालिश करनी है।
(iv) दोमुंहे बालों से छुटकारा – अरंडी का तेल दोमुंहे बालों की समस्या से भी छुटकारा दिलाता है। इस तेल की सिर पर मालिश करने से यह त्वचा के अंदर जाकर बालों के रूखे फॉलिकल्स को नरम करने का काम करता है। इस तेल में पाये जाने वाले ओलिक और लिनोलिक एसिड बालों को स्ट्रेस, प्रदूषण और देखभाल की कमी से बालों की क्षति को ठीक करने में मदद करते हैं। यदि रात को बालों में अरंडी के तेल लगाकर सोना संभव नहीं है तो इसे कंडीश्नर के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। शैम्पू करने के बाद अरंडी के तेल की कुछ बूंदों को बालों के सिरे पर लगायें।
(v) डैंड्रफ से छुटकारा दिलाये – बालों में डैंड्रफ की समस्या आम समस्या है जो बालों की जड़ों को कमजोर बनाती है और बालों को रूखा करती है। अरंडी के तेल में पाये जाने वाले एंटीफंगल गुण डैंड्रफ को खत्म करने में मदद करते हैं। इस समस्या से राहत पाने के लिये दो चम्मच अरंडी के तेल में एक चम्मच एलोवेरा जैल और कुछ बूंदें नींबू के रस की मिलाकर स्कैल्प पर मालिश करें। इस प्रक्रिया को हफ्ते में दो बार करें। डैंड्रफ पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “डैन्ड्रफ़ हटाने के देसी उपाय” पढ़ें।
बच्चों के लिये अरंडी के तेल के फायदे – Benefits of Castor Oil for Children
दोस्तो, बच्चों के लिये अरंडी के तेल के फायदे बताने से पहले देसी हैल्थ क्लब यह स्पष्ट करता है कि अरंडी के तेल का उपयोग नवजात शिशु के लिये नहीं हैं। ये छः महीने से अधिक आयु के बच्चों के लिये हैं।
1. हड्डियों और मांसपेशियों के स्वास्थ के लिये (Bone and Muscle Health)- अरंडी के तेल में पाये जाने वाले गुण बच्चों की हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाने का काम करते हैं। यह एक प्राकृतिक मॉइश्चराइजर है जो बच्चों की त्वचा में नमी बनाये रखता है। बच्चे को निहलाने से पहले आधा घंटा तक बच्चे की अरंडी के तेल से मालिश करें। इससे बच्चे की हड्डियां मजबूत बनेंगी और मांसपेशियां भी। साथ ही मांसपेशियों का दर्द भी खत्म हो जायेगा।
2. बच्चे को संक्रमण से बचाये (Protect Baby from Infection)- बच्चे की त्वचा बहुत संवेदनशील और कोमल होती है। वह फर्श पर खेलता है, धूल मिट्टी लगती है ऐसे में उसे संक्रमण होने की संभावना रहती है जिससे उसकी त्वचा पर खाज-खुजली होने का खतरा रहता है। बच्चे की अरंडी के तेल से मालिश करने पर संक्रमण होने का खतरा नहीं रहता और त्वचा में नमी बनी रहती है। अरंडी के तेल में मौजूद एंटीफंगल गुण बच्चे को संक्रमण से बचाते हैं
3. बालों के विकास के लिये (Hair Growth)- अरंडी के तेल में मौजूद ओमेगा 9 आवश्यक फैटी एसिड बालों के विकास में मदद करता है। अक्सर माता पिता बच्चों के सिर पर जल्दी-जल्दी उस्तरा फिरवा देते हैं, फिर बालों को बढ़ने में समय लगता है। बच्चों के सिर पर अरंडी के तेल की मालिश करने पर बालों का विकास तेजी से होता है और इनमें प्राकृतिक चमक आ जाती है।
4. रैशेज़ खत्म करे(Get Rid of Rashes) – आज के समय में बच्चों को डायपर पहनाते हैं पुराने जमाने की तरह सूती कपड़े का लंगोट या कच्छी नहीं। सूती कपड़े से बने इन परिधानों का यह फायदा था कि त्वचा पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता था परंतु डायपर का त्वचा पर बुरा पड़ता है कि बच्चा बंधा-बंधा और असहज रहता है रात को भी वह डायपर में ही रहता है। परिणामस्वरूप उसकी त्वचा पर रैशेज़ पड़ जाते हैं जोकि खुजली का कारण बनते हैं। ऐसे में बच्चे की त्वचा पर हल्के हाथ से अरंडी के तेल की मालिश करें। अरंडी के तेल में उंडिक्लेनिक एसिड (undecylenic acid) भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो संक्रमणों से, डायपर की वजह से हो रही खुजली और जलन से बच्चे को राहत दिलाता है।
5. गैस से राहत दिलाये (Relieve Gas)- बच्चों को अक्सर पेट में गैस बनती है जिससे उनके पेट में दर्द हो जाता है और कभी-खभी पेट भी फूल जाता है। इस कारण वे रोने लगते हैं। इस समस्या से राहत पाने के लिये अरंडी के तेल को हल्का गुनगुना करके बच्चे के पेट पर लगायें। बच्चे को थोड़ी देर में आराम लग जायेगा।
अरंडी तेल के नुकसान – Disadvantages of Castor Oil
दोस्तो, देसी हैल्थ क्लब ने आपको अरंडी के तेल के बहुत सारे फायदे बताये, बच्चों के लिये भी फायदे बताये परन्तु इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं जो निम्न प्रकार हैं –
1. अरंडी के तेल की गर्म तासीर होने के कारण अधिक मात्रा में सेवन करने से मिचली, उल्टी, दस्त की समस्या हो सकती है।
2. पेट में मरोड़ हो सकती है।
3. त्वचा पर रैशेज़ पड़ सकते हैं, खुजली और सूजन की समस्या हो सकती है।
4. गर्भवती महिलाओं को इसके सेवन से बचना चाहिये। यह गर्भपात का कारण बन सकता है।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको अरंडी के तेल बारे में विस्तार से जानकारी दी। अरंडी क्या है, अरंडी की खेती कहां होती है, अरंडी का तेल क्या है, अरंडी के तेल के उपयोग, अरंडी के तेल के गुण, अरंडी के तेल की मात्रा और अरंडी का तेल कितनी बार इस्तेमाल करना चाहिये, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से अरंडी के तेल के बहुत सारे फायदे बताये और बच्चों के लिये भी अरंडी के तेल के फायदे तथा कुछ नुकसान भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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