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मुंहासों से छुटकारा पाने के देसी उपाय – Home Remedies to Remove Pimples in Hindi

दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर, हमारा आज का टॉपिक है । मुंहासों से छुटकारा पाने के देसी उपाय । दोस्तो सबसे पहले तो हमें यह समझना होगा कि कील-मुंहासे कोई बीमारी नहीं है अपितु एक विकार है जिसे त्वचा विकार कह सकते हैं। ऐलोपैथिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार मुंहासों का कारण होता है वसा ग्रन्थियों (सिबेसियस ग्लैंड्स) से निकलने वाले स्राव का रुक जाना। यह स्राव त्वचा को स्निग्ध रखने के लिए रोम छिद्रों से निकलता रहता है। यह स्राव रुक जाए तो फुंसी के रूप में त्वचा के नीचे इकट्ठा हो जाता है और सख्त हो जाने पर मुंहासा बन जाता है। इसमें मवाद पड़ जाए तो इसे कील यानी पिम्पल कहते हैं। 

किशोरावस्था और युवावस्था के मध्य के समय में हार्मोन्स् बदलते रहते हैं जिनका शरीर के अंदर और बाहर प्रभाव पड़ता है। और इसी अवस्था के बीच मुंहासे निकलते हैं जोकि कभी कभी दर्दनाक हो जाते हैं। 14 से 17 वर्ष की लड़कियों में, और 16 से 19 वर्ष की उम्र के लड़कों में मुंहासे होना सामान्य है।  14 से 30 वर्ष की उम्र के लगभग 80% लोग मुंहासों से प्रभावित होते हैं। 

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मुंहासों से छुटकारा पाने के देसी उपाय
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मुंहासे कई प्रकार के होते हैं। तो सबसे पहले जानते हैं इस बारे में कि ये कितने प्रकार के होते हैं।

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मुंहासों के प्रकार – Types of Pimples

मुंहासे छह प्रकार के होते हैं –

1. ब्लैकहैड्स (Blackheads)- ब्लैकहेड्स त्वचा में मेलानिन के ऑक्सीकरण के कारण होते हैं। ये पर काले या गहरे भूरे रंग के हल्के सख्त और लंबे रेशे होते हैं, जो त्वचा के रोमछिद्रों में इकट्ठे हो जाते हैं और ये त्वचा का कालापन बढ़ाते हैं। ये तब होते हैं जब सीबम और मृत त्वचा कोशिकाओं के समन्वय से त्‍वचा के रोम छिद्र भर जाते हैं। इनमें बाकी पिंपल्स की तरह सूजन नहीं होती।

2. व्हाइटहेड्स (Whiteheads)- व्हाइटहेड्स को बंद कॉमडोन के रूप में भी जाना जाता है। जब बैक्टीरिया, सीबम और मृत त्वचा के कारण त्वचा के रोमछिद्र बन्द हो जाते हैं, तब वाइटहेड्स उत्पन्न होते हैं। व्हाइटहेड्स त्वचा के अन्दर होते हैं। ये प्राकृतिक चमक को खत्म करके त्वचा को खुरदरा और चमकहीन बनाते हैं।

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3. दाने या फुंसी (Rash or Pimple)- दाने या फुंसी ठोस होते हैं। ज्यादातर इनमें और मवाद भर जाती है जिससे इनमें दर्द बहुत होता है। ये लाल रंग के होते हैं। इनका आकार छोटा या बड़ा हो सकता है। और साइज में छोटे या बड़े दाने हो सकते हैं। ये त्वचा के ऊपर होते हैं।

4. पेपुल्स (People)- ये बहुत ही संवेदनशील और दर्दनाक होते हैं। ये छोटे-छोटे, ठोस और गोल दाने होते हैं, जो त्वचा से उत्पन्न होते हैं और गुलाबी रंग के होते हैं। ये त्वचा के कटने फटने व, जलने या अन्य त्वचा संबंधी किसी और समस्या के कारण हो सकते हैं।

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5. नोडुल्स (Nodules)- ये त्वचा में अंदर गहराई में होते हैं। ये कठोर होते हैं और इनमें द्रव्य भरा होता है। इनको हल्के से छूने से भी बहुत दर्द होता है। ये अन्य पिंपल्स से बड़े होते हैं। जब पोर्स के साथ सूजन उत्पन्न होती है और इसके अन्दर कुछ भरा हुआ मौजूद होता है पुस्टूल और पेप्युल्स के विपरीत त्वचा के नीचे मौजूद होते हैं।

6. अल्सर, सिस्ट या गांठ (Ulcers, Cysts or Lumps)- ये एक प्रकार से गांठ ही होते हैं। इनमें मवाद भरी होती है और दर्दनाक होते हैं। इसमें सूजन भी होती है। त्वचा के बाहर नहीं अंदर की तरफ होते हैं। ये तब बनते हैं जब पोर्स बैक्टीरिया और मृत कोशिकाओं के संयोजन से भर जाता है।

मुंहासे किस कारण से होते हैं समझते हैं इसे।

मुंहासे होने के कारण – symptoms of Pimples

1. प्रदूषण (Pollution)– कील-मुंहासे के लिये काफी हद तक प्रदूषित वातावरण और धूल मिट्टी भी जिम्मेदार है। धूल मिट्टी हवा के माध्यम से नांक मुंह के रास्ते शरीर में जाती है जो अंदर समस्या उत्पन्न करती है। और बाहर से सीधा असर त्वचा पर पड़ता है। चेहरे पर गन्दगी की परतें जमने जमने लगतीं हैं। आखिर कोई कितनी बार नहायेगा, कितनी बार मुंह धोयेगा। नतीजा चेहरे पर कील-मुंहासे के रूप में सामने आता है। 

2. खराब पाचन प्रक्रिया तथा कब्ज (Poor Digestion)- तीव्र गति वाली जीवनशैली और आहार भी मुंहासों के कारण हैं। तीखा, ज्यादा मिर्च मसाले और ज्यादा तेल वाला खाना, ज्यादा मैदा वाले खाद्य पदार्थ, जंक फूड, क्रीमी खाना जैसे पेस्ट्री, बर्गर, पिज्जा, आइक्रीम, विरोधी भोजन का कुप्रभाव सीधे पाचन प्रणाली पर पड़ता है। पाचन प्रक्रिया में अवरोध से पेट खराब रहने लगता है। कब्ज की समस्या हो जाती है। इस कारण हमारे शरीर के विषाक्त (Toxin) तत्व बाहर नहीं निकल पाते। पेट ठीक से साफ  नहीं होता तो ये विषाक्त तत्व खून को गंदा कर चेहरे के रोम छिद्र बंद कर देते हैं। त्वचा को सांस ना मिलने से बैक्टीरिया पैदा होने लगते हैं। परिणामस्वरूप मुंहासों को झेलना पड़ता है। 

3. त्वचा का ज्यादा संवेदनशील होना (To be Sensitive)- बहुत अधिक संवेदनशील त्वचा वाले व्यक्तियों को मुंहासों की समस्या की संभावना बहुत ज्यादा हो जाती है। क्योंकि अति संवेदनशील त्वचा, बहुत ज्यादा तैलिय और बहुत ज्यादा शुष्क त्वचा में एक विशेष प्रकार का बैक्टीरिया सक्रिय हो जाता है जो चेहरे, कंधों और पीठ पर कील-मुंहासों, दाने आदि का कारण होता है।

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4. अव्यवस्थित जीवनशैली, आचार, विचार, स्वभाव और व्यवहार – व्यक्ति के जीवन पर, स्वास्थ पर उसके आहार, आचार, विचार, स्वभाव और व्यवहार का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। अव्यवस्थित दिनचर्या जैसे सुबह देर से सोकर उठना, असमय शौच व स्नान, रात को देर तक जागना तीखे, तेज मिर्च मसाले वाले, तले हुए, भोजन, जंक फूड, गरम तासीर वाले खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करना, मद्यपान, कामुकता वाले विचार मन में रहना, रात को देर तक जागना, ईर्ष्या, क्रोध, स्वभाव में गर्मी व चिड़चिड़ापन आदि अनेक कारण हैं जिनसे शरीर में गर्मी बढ़ती है और तैलीय वसा के स्राव में व्यावधान बनते हैं। और मुंहासों का कारण बनते हैं। 

5. पानी की कमी (Insufficiency of Water)- आवश्यक मात्रा में पानी पीना हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है। कम से कम 8 गिलास यानि 2 लीटर पानी पीना चाहिये। लेकिन अधिकतर लोग शरीर की जरूरत के अनुसार पानी नहीं पीते हैं जिससे डिहाइड्रेशन की समस्या हो जाती है। और हार्मोन्स शरीर में ठीक तरह घुल नहीं हो पाते। इसका प्रभाव हमारी त्वचा पर भी पड़ता है। त्वचा शुष्क हो जाती है। और मुंहासे होने की संभावना बढ़ जाती है। 

6. दवाईयों की प्रतिकूलता (Reaction) – हम बीमारियों को ठीक करने के लिये अनेक प्रकार की दवाओं का सेवन करते हैं तो कई बार कोई विशेष दवा का प्रतिकूल असर हमारी पाचन प्रणाली पर होने लगता है। या कोई दवा गर्मी कर जाती है। इसी प्रतिकूलता के कारण मुंहासे हो सकते हैं।

7. सौन्दर्य प्रसाधन (Cosmetics)- कई बार कुछ सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री जैसे क्रीम, पाउडर, लोशन आदि भी त्वचा को नुकसान पहुंचते हैं, विषाक्त पदार्थों का समावेश कर देते हैं। जोकि मुंहासों का कारण बनते हैं। 

8. मानसिक तनाव (Mental Stress)- कहने को तो तनाव मानसिक बीमारी है परन्तु इसका सीधा असर हमारे शरीर पर और ऊर्जा पर पड़ता है। मस्तिष्क को प्रसन्न और विश्राम (Relax) स्थिती में रखने के लिये डोपामाइन और एंडोर्फिन नाम के हॉर्मोन्स् मुख्य भूमिका निभाते हैं। तनाव के समय इनका बनना कम हो जाता है और इससे हार्मोन्स् असंतुलित होने लगते हैं। इस कारण से भी मुंहासे हो जाते हैं। 

9. गर्भावस्था के समय हार्मोन में परिवर्तन (Changes in Hormones)- गर्भावस्था  के समय मासिक स्राव नौ महीने के लिए रुक जाता है। स्वाभाविक रूप से हार्मोन्स् में परिवर्तन होते हैं। ये असंतुलित हो जाते हैं। प्रोजेस्टेरॉन या एन्ड्रोजेनिक हार्मोन्स् के असंतुलित होने की वजह से चेहरे की त्वगवसा से तेल का स्राव ज्यादा होने लगता है। इस कारण कुछ महिलाओं को मुंहासे की समस्या हो जाती है। 

10. गर्भनिरोधक दवाएं (Contraceptive Medicines)- गर्भनिरोधक दवाओं के कुप्रभाव से भी एन्ड्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन्स् असंतुलित हो जाते हैं। फिर आरम्भ होता है त्वगवसा का अधिक स्राव, त्वचा के रोम छिद्रों का बंद हो जाना और मुंहासों का बनना। 

11. नींद का पूरा ना होना (Lack of Sleep)- रात को ज्यादा देर तक जगने से स्वाभाविक निद्रा में व्यावधान पड़ता है। जिससे नींद  पूरी नहीं होती। या किसी वजह से सोये होने पर नींद खुल गयी और फिर दुबारा नींद ना आये तो ऐसी स्थिती तनाव पैदा करती है। जिसका शरीर में चयापचय प्रक्रियाओं पर असर पड़ता है, ये अपनी क्षमता खो देती हैं। फिर शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं जो मुंहासे का कारण बनते हैं। एक स्वस्थ और कुशल चयापचय प्रणाली को बनाए रखने के लिए प्रतिदिन कम से कम 7-8 घंटे के लिए सोना बहुत जरूरी है। 

14. अनुवांशिकता (Heredity)- अनुवांशिकता भी मुंहासों का करण हो सकता है। अर्थात यदि माता या पिता में से किसी को मुंहासे हुए हैं तो संतान को भी 12-18 वर्ष की आयु में मुंहासे हो सकते हैं।  गर्मी के मौसम में धूल मिट्टी कुछ ज्यादा ही उड़ती है जिसके कारण प्रदूषण बढ़ जाता है और मुंहासे होने की संभावनाएं भी। यदि कुछ सावधानियां बरती जायें तो कुछ हद तक मुंहासों से बचा जा सकता है।

दोस्तो यदि कुछ सावधानियां बरती जायें तो मुंहासों की संभावना से बचा जा सकता है। क्या हो सकती हैं ये सावधानियां, डालते हैं इन पर नजर।

मुंहासे से बचाव के लिए सावधानियां :-

1. ज्यादा पानी पीना चाहिये। इससे विषाक्त पदार्थ (टॉक्सिन्स) नहीं पनपते, शरीर हाईड्रेट होता रहता है। पानी की कमी नहीं होती गन्दगी भी खत्म होती है। गर्मियों में ज़्यादा से ज़्यादा पानी पीने का प्रयास करें। पानी से शरीर के सिस्टम में उत्पन्न होने वाले विषाक्त पदार्थ (टॉक्सिन्स) तथा गंदगी खत्म होती है और आपकी त्वचा भी कोमल बनी रहती है। 

2. पसीना साफ करते रहें। गर्मियों में पसीना बहुत आता है। ये एक अच्छी बात है कि पसीने के जरिये अंदर की गन्दगी, विषाक्त पदार्थ आदि बाहर निकलते हैं लेकिन पसीना साफ ना हो तो ये शरीर पर जमता रहेगा और फिर मुंहासे बनने की संभावना रहेगी। इसलिये रूमाल, छोटा तौलिया या टीशू पेपर से पसीना साफ करना चाहिये।

3. सौंदर्य प्रसाधन खरीदते समय ध्यान रखें कि वह तैलीय उत्पादन ना हो या कोई अन्य जैसे फेस वाश, क्लेंज़िंग आदि गलत या कम स्तर का ना हो जिससे त्वचा  को नुकसान ना हो या जिनसे एलर्जी हो। ऐसे उत्पादन त्वचा के रोम छिद्रों को बन्द कर सकते हैं। 

4. चेहरे को साफ रखना चाहिये। उच्च स्तरीय फेस वाश या साबुन से दो-तीन बार धोइये। और बीच बीच में पानी से मुंह धोइये/पानी के छींटे मारते रहिये। इससे त्वचा नम व नरम रहेगी। फेस वाश या साबुन ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिये। त्वचा के लिये विशेषकर मुंहासे वाले चेहरे के लिये नीम युक्त या अन्य हर्बल साबुन का प्रयोग बेहतर रहता है।

5. तनाव से बचें व्यक्तिगत, घरेलू जीवन में होने वाली समस्याओं से उत्पन्न तनाव या कार्यस्थल और कार्य से जुड़ी समस्याओं से मानसिक तनाव से दूर रहने का प्रयास करें। 

6. भरपूर नींद लें। रात को देर तक ना जागें। समय पर सोयेंगे तो अच्छी और भरपूर नींद आयेगी। जब नींद पूरी हो जाती है तो दिमाग भी फ्रैश रहेगा, मन प्रसन्न रहेगा।

7. खानपान का विशेष ध्यान रखें। हलका, सुपाच्य और सादा आहार उत्तम होता है। ज्यादा ग्लाइसेमिक वाले खाने से बचना चाहिए, जैसे कि डोनट्स, गेहूं की रोटी, सोडा और पके या तले हुए आलू। मीठे तथा स्टार्च उत्पादों को अपने आहार से दूर रहें। हरी सब्ज़ियां व फल ज़्यादा खायें। तीखा, ज्यादा मिर्च मसाले वाला, ज्यादा तैलिय भोजन से बचें। शराब, चीज़ और कॉफी का सेवन कम करें। सामान्य तापमान का पानी पियें फ्रिज के ठंडे पानी। आइसक्रीम या ठंडे पेय से बचना चाहिये।  

और अब बताते हैं आपको कुछ देसी उपाय जो मुंहासों से छुटकारा दिलायेंगे।

मुंहासों से छुटकारा पाने के देसी उपाय –  Home Remedies to Remove Pimples

1. नींबू विटामिन सी से भरपूर होता है। वैसे भी खट्टे फलों में सिट्रिक एसिड पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है जो कि जलन कम करने, दागों को मिटाने और त्वचा में पड़ने वाली झुर्रियों को दूर करने में बेहद मददगार होता है। नींबू का रस मेलानिन को बनने से रोकता है त्वचा की चमक दमक को निखारता है। नींबू के रस में शहद या गुलाब जल को भी मिलाया जा सकता है।

2. एक एक चम्मच तुलसी और नीम के पत्तों का पाउडर, और एक चम्मच हल्दी पाउडर में थोड़ा सा मुल्तानी मिट्टी पाउडर मिला कर पेस्ट बना लें। और सप्ताह में दो बार चेहरे पर लगायें।  

3. एलोवेरा जैल को रात को लगायें और सुबह को धो लें। दाग-धब्बों को दूर करने में यह मददगार है।  

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4. सेब का सिरका एंटिफंगल और एंटिबैक्टिरियल होता है। इसको चेहरे पर लगा कर कुछ देर बाद पानी से धो दें। यह त्वचा के रोम छिद्रों को बैक्टीरिया, तेल, धूल मिट्टी से बचाता है। सेब का सिरका मुंहासों के लिये बेहद फायदेमंद है। 

5. गाय के ताजे दूध में एक चम्मच चिरौंजी पीसकर  तैयार पेस्ट कर लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगायें। जब ये अच्छी तरह सूख जाये तो पानी से धो लें।

6. जायफल को पत्थर पर पानी डालकर घिस लें। इसके  लेप को चेहरे पर लगायें। फायदा होगा।

7.  शहद को हल्दी या दालचीनी के साथ मिलाकर त्वचा पर लगायें। फायदा होगा।  शहद त्वचा के रोम छिद्रों में जाकर बैक्टीरिया को हटाता है उसके विकास को रोकता है। और गन्दगी को खत्म करता है।  शहद मुंहासों को खत्म करने का शक्तिशाली प्राकृतिक विकल्प है। 

8.  हल्दी के औषधीय गुणों से सभी परिचित हैं। यह एंटीऑक्सिडेंट गुणों से सम्पन्न होती है। यह त्वचा रोगों के लिये शक्तिशाली उपचार है। इसे दूध के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें। त्वचा के प्रभावित हिस्से पर लगायें। मुंहासों में फायदा होगा। इससे त्वचा की रैडनैस और सूजन में भी आराम मिलेगा।  

9.  हल्दी के औषधीय गुणों से सभी परिचित हैं। यह एंटीऑक्सिडेंट गुणों से सम्पन्न होती है। यह त्वचा रोगों के लिये शक्तिशाली उपचार है। इसे दूध के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें। त्वचा के प्रभावित हिस्से पर लगायें। मुंहासों में फायदा होगा। इससे त्वचा की रैडनैस और सूजन में भी आराम मिलेगा।  

10. एक चम्मच चमेली के तेल में तीन ग्रा। सुहागा मिलायें। रात को चेहरे पर लगाकर सोयें। सुबह बेसन के पेस्ट को चेहरे हल्का हल्का मसलें। थोड़ी देर के बाद चेहरा धो लें। 

11.  त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला ) चूर्ण एक चम्मच, सुबह और रात को खाने के बाद ताजा पानी से लें। कब्ज नहीं होगी, पेट साफ रहेगा, खून साफ रहेगा। पेट साफ रहने पर विषाक्तता भी नहीं होगी। मुंहासे ठीक होने लगेंगे और नये उत्पन्न नहीं होंगे।

12.  2 चम्मच मसूर की दाल को खूब बारीक पीस कर,थोड़ा दूध और घी मिला लें। अब इसे अच्छी तरह फेंटें। और ये लेप मुंहासों पर लगायें। 

13. जैतून का तेल भी मुंहासों main फायदेमंद है। रात को सोने से समय चेहरे को अच्छी तरह पानी से साफ कर हल्का गुनगुना जैतून का तेल लगायें।

14.  गुलाब जल में चन्दन का पाउडर में डाल कर पेस्ट बनालें। इसमें 2 चम्मच नारियल तेल डालकर गर्म कर लें। गुनगुना-गुनगुना चेहरे पर लगायें। यह प्रक्रिया दिन में कई बार करें। 

15.  नीम के पत्तों का पाउडर मुल्तानी मिट्टी में मिला लें अब इसमें गुलाब जल मिलाकर पेस्ट  बना लें। इस पेस्ट चेहरे पर लगायें। 

16.  पपीता का पेस्ट बना कर चेहरे पर लगाने से मुंहासों में फायदा होगा। 

17.  लहसुन का पेस्ट बनाकर इस में थोड़ा सा शहद और कुछ बूंदें पानी की मिला लें। इस पेस्ट को चेहरे फर लगायें। सूखने पर चेहरा साफ पानी से धो लें। लहसुन में एलिसिन (Allicin) होता है, जो एंटीबैक्टीरियल की तरह काम करता है। यह त्वचा के बैक्टीरिया को मुक्त पनपने से रोकता है। इसमें एंटीमाइक्रोबियल, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं।

18.  प्रतिदिन ग्रीन टी पीने से मुंहासों में फायदा होगा। टी बैग को फेंकने के बजाय ठन्डा होने पर मुंहासों पर भी लगा सकते हैं। ग्रीन टी में पॉलीफेनोल्स सीबम (त्वचा ग्रंथियों से निकलने वाला तैलीय पदार्थ) के स्राव को कम कर सकता है। इस में एंटी-माइक्रोबियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं।

19. अरंडी का तेल यानि कैस्टर ऑयल त्वचा से जुड़ी  समस्याओं से लड़कर त्वचा को स्वस्थ और मुलायम रखता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण  पाए जाते हैं। यह तेल त्वचा की गंदगी को साफ करता है। ये  मुंहासों के लिये भी लाभदायक हो सकता है। अरंडी के तेल को एलोवेरा जैल में मिलाकर चेहरे पर लगायें और सूख जाने पर चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें। 

20. प्रतिदिन व्यायाम करें। व्यायाम करने से शरीर से पसीना निकलता है। पसीना शरीर से विषाक्त पदार्थों से मुक्ति दिलाता है। व्यायाम से तनाव भी कम होता है। याद रखिये कि  व्यायाम के बाद नहाना बहुत जरूरी है क्योंकि पसीना आने से त्वचा पर मृत कोशिकाएं जमा हो जाती हैं जिनको हटाना जरूरी होता है।

Conclusion

दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको मुंहासों से छुटकारा पाने के देसी उपाय के बारे में बताया। मुंहासे कितने प्रकार के होते हैं, इनके उत्पन्न होने के क्या कारण होते हैं और क्या सावधानियां बरती जायें जिससे ये ना हों, ये सब बताया हैं। दोस्तो हमारा आज का यह लेख आपको कैसा लगा।  कृपया अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health- Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer- यह लेख केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर उत्तरदायी नहीं है।  कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें। 

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